असली रत्न को कैसे पहचानें?

क्या आप जो रत्न पहन रहे हैं वह असली है या नकली? रत्न एक बहुमूल्य पत्थर होता है। इसके द्वारा लोगों को कई तरह के फायदे मिलते हैं। लेकिन बाज़ार में नकली रत्न थोक के भाव बिक रहे हैं। इसलिए लोगों के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि असली रत्न को कैसे पहचाना जाए? वास्तविक रत्न को पहचानने का क्या तरीक़ा है? भारतीय बाज़ार की बात करें तो यहाँ के अधिकांश रत्न व्यापारी बैंकॉक से नकली रत्न को आयात कर रहे हैं जिनका ज्योतिषीय महत्व शून्य है।

दरअसल, बैंकॉक में कई ऐसी लैब हैं जहाँ नकली रत्न असली रत्न की तरह हू-ब-हू बड़ी मात्रा में तैयार किए जाते हैं और फिर विभिन्न माध्यमों से बाज़ार में पहुँचाए जाते हैं, जहाँ ये सस्ते दाम में लोगों को बेचे जाते हैं। हालाँकि बाज़ार में वास्तविक रत्न भी उपलब्ध हैं, लेकिन आम जनता को यह कैसे पता चले कि असली रत्न कौन सा है? ऐसे में उनके सामने बस एक ही रास्ता बचता है, वह है रत्न की गुणवत्ता को किसी प्रतिष्ठित लैब में टेस्ट करके परखने का।


आपको बता दें कि उत्तम क्वालिटी के सिलोन रत्न श्रीलंका की खानों और कश्मीर से प्राप्त होते हैं। हालाँकि वास्तविक रत्नों की चमक ज़्यादा आकर्षक नहीं होती है। लेकिन इनको धारण करने से व्यक्तियों को विभिन्न प्रकार के ज्योतिषीय और चमत्कारिक लाभ प्राप्त होते हैं।
बैंकॉक स्थित लैब में रत्नों से छेड़छेड़ कैसे होती हैं?

जैसा कि हमने आपको बताया है कि बैंकॉक की प्रयोगशालाओं में कृत्रिम रत्नों का निर्माण या असली रत्नों की गुणवत्ता से छेड़छाड़ की जाती है। लैब में रत्नों की गुणवत्ता से कैसे खिलवाड़ किया जाता है यह जानने से पहले हमें रत्नों के प्रकार को जानना होगा। रत्न तीन प्रकार के होते हैं-


1. प्राकृतिक रत्न: प्राकृतिक रत्न खदान से प्राप्त होते हैं। यह भूतल में होने वाले दबाव और गर्मी से बनते हैं।

2. कृत्रिम रत्न: कृत्रिम रत्न अप्राकृतिक रत्न होते हैं। इनका निर्माण विभिन्न रासायनिक पदार्थों से लैब या फैक्ट्री में होता है।

3. ट्रीटेड जेमस्टोन (रत्न): टूटे-फूटे प्राकृतिक रत्न को ठीक अवस्था में करने के लिए उनमें काँच अथवा अन्य धातुओं का प्रयोग किया जाता है। इन रत्नों को ट्रीटेड जेमस्टोन्स कहते हैं। बाहरी रूप ये बिल्कुल प्राकृतिक रत्न की तरह दिखते हैं।

वास्तविक रत्नों की चमक बढ़ाने के लिए कई बार उनमें भी छेड़छाड़ की जाती है जिसके द्वारा रत्नों का ज्योतिषीय महत्व प्रभावित होता है। आइए जानते हैं कि लैब में रत्नों से किस तरह छेड़छाड़ की जाती है:


  • ताप: रत्न को चमकदार और आकर्षक बनाने के लिए उसमें छेड़छाड़ की जाती है। इस प्रक्रिया में उच्च ताप पर रत्न को गर्म करके उसे एक ऐसा आकार दिया जाता है जिससे कि वह एक दम ओरिजनल दिखाई दे। यह छेड़छाड़ समान रूप से पुखराज, माणिक्य और ब्लू ज़रकन आदि रत्नों में की जाती है।


  • विकिरण: कई मामलों में ऐसा देखा जाता है कि रत्नों की क्वालिटी को बढ़ाने तथा उसके रंग में परिवर्तन करने के लिए रेडिएशन का भी प्रयोग किया जाता है। टोपाज एवं हीरे में अधिकतर ऐसा किया जाता है।
  • वैक्सिंग/तेल का प्रयोग: पन्ना, फिरोज़ा जैसे अन्य रत्नों में कई बार दरारें आ जाती हैं। रत्न में पड़ी उन दरारों को वैक्सिंग और तेल के प्रयोग से छुपाया जाता है। इस प्रकार रत्नों की ख़ूबसूरती बढ़ाने के लिए वैक्सिंग और तेल का भी प्रयोग किया जाता है। 
  • खण्डित रत्न को सही करना: माणिक्य, पन्ना एवं पुखराज जैसे रत्न कई बार खंडित हो जाते हैं। ऐसे में खण्डित रत्नों को ठीक करने के लिए उनमें काँच या अन्य धातुओं का प्रयोग कर उन्हें सुंदर और आकर्षक बनाया जाता है।
  • विस्तार: इस प्रक्रिया मे रत्न को एक या दो कैमिकल के साथ गर्म किया जाता है। प्रसार प्रक्रिया के माध्यम से रत्नों की सतह प्रभावित होती है और रत्न में किसी तत्व के माध्यम से उसके रंग-रूप में परिवर्तन किया जाता है। 

एस्ट्रोसेज केवल असली रत्न को बेचता है पर बैंकॉक के रत्न को क्यों नहीं?


एस्ट्रोसेज का उद्देश्य अपने ग्राहकों को वास्तविक और श्रेष्ठ क्वालिटी के उत्पादों को उपलब्ध कराना है। इसलिए हमारे द्वारा बेचे जा रहे रत्न एकदम वास्तविक, प्राकृतिक और प्रामाणिक हैं। हमारे रत्नों से ग्राहकों को उनका वास्तविक लाभ प्राप्त होता है। एस्ट्रोसेज की प्राथमिकता अपने ग्राहकों के विश्वास को बनाए रखने में है। यही कारण है कि हम बैंकॉक के रत्नों अथवा अन्य नकली रत्नों को नहीं बेचते हैं। 


हमारे रत्नों में ग्राहकों को पादर्शिता भी देखने को मिलती है। हम अपने रत्नों की जानकारी सर्टिफिकेट के माध्यम से लिखित रूप में देते हैं, जिसमें रत्न का रंग-रूप, आकार आदि शामिल है। इसके अलावा हमारे विद्वान ज्योतिष आपकी जन्म कुंडली का अध्ययन कर आपको यह बताते हैं कि किस रत्न को धारण करने से आपको लाभ होगा और किस ज्योतिषीय उपाय से आपका कल्याण होगा। एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर पर 100 % वास्तविक रत्न ख़रीद सकते हैं। 

असली या नकली: कैसे पहचानें?


अक्सर यह देखा जाता है कि रत्न को ख़रीदते समय लोग उसकी गुणवत्ता, उसके ज्योतिषीय महत्व तथा अन्य महत्वपूर्ण पक्ष को नज़रअंदाज़ कर जाते हैं। ऐसे में उन्हें रत्न का वास्तविक लाभ नहीं मिलता है। आइए जानते हैं असली और नकली रत्न को पहचानने का क्या तरीक़ा है:

1. नकली और असली रत्न के बीच एक सबसे बड़ा अंतर यही होता है कि प्राकृतिक अवस्था के कारण असली रत्न देखने में आकर्षक नहीं लगते हैं। जबकि नकली रत्न एक दम परफेक्ट दिखाई देते हैं।

2. नकली रत्न अधिक चमकीले और सस्ते होते हैं। इनमें काँच एवं अन्य धातुओं का प्रयोग किया जाता है।

3. लैब द्वारा प्रमाणित रत्न के साथ एक सर्टिफिकेट दिया जाता है जिसमें रत्न से संबंधित जानकारी लिखित रूप में दी जाती है। नीचे दिए गए सर्टिफिकेट के चित्र में आप यह समझ सकते हैं।


उपरोक्त सर्टिफिकेट के अनुसार, यह पता चलता है कि रत्न में रासायनिक विधि (थर्मल इनहैंसमेंट) द्वारा किसी प्रकार की छेड़छाड़ की गई है। इसलिए यह रत्न नकली है।


इसी प्रकार, उपरोक्त सर्टिफिकेट यह दर्शाता है कि इस रत्न में किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई है। अतः यह रत्न एक दम वास्तविक है और ज्योतिषीय महत्व के लिए पूर्ण रूप से उपयोगी है।


4. यदि किसी रत्न के सर्टिफिकेट पर “नॉट स्पेसिफाइड” (Not Specified) लिखा हुआ होता है तो इसका मतलब यह है कि पत्थर की प्रमाणिकता के संबंध में कोई परीक्षण नहीं किया गया है। 



5. दूसरी ओर, प्राकृतिक रत्न प्रकृति की गरमाहट एवं दबाव के कारण दिखने में आकर्षक नहीं होते हैं परंतु उनका ज्योतिषीय महत्व बहुत बड़ा होता है। जबकि कृत्रिम रत्न का ज्योतिषीय महत्व शून्य होता है।

नकली रत्न धारण करने के क्या नुकसान हैं?


वास्तविक रत्न का संबंध विभिन्न ग्रहों से होता है। इसलिए जो व्यक्ति असली रत्न को धारण करता है उस व्यक्ति पर संबंधित ग्रह की कृपा होती है। असली रत्न ज्योतिषीय उपाय के लिए बहुत कारगर होते हैं। 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार लोगों को नकली रत्न नहीं धारण करना चाहिए। क्योंकि कृत्रिम रत्न अपारदर्शी होते हैं जो दैवीय ऊर्जा को शरीर में आने रोकते हैं। इस कारण धारण करने वाले व्यक्ति को इसका लाभ नहीं मिलता है। वैसे तो रत्न की सत्यता को कई तरह से परखा या जाँचा जा सकता है। लेकिन लैब द्वारा रत्न की प्रमाणिकता ज्यादा विश्वसनीय होती है।

एस्ट्रोसेज से हाथ मिलाएँ और नकली रत्न को कहें अलविदा।

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3 comments:

  1. Panna ki pahchan kaise karen?

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  2. नीलम की पहचान कैसे करें?

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  3. और भी कोई उपाय बताइए जिससे असलियत की पहचान हो

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