साप्ताहिक राशिफल 26 नवंबर से 02 दिसंबर 2018 में क्या है ख़ास !

पढ़ें अपना साप्ताहिक राशिफल और जानें क्या कहती है आपकी राशि। किन राशियों के लिए ये सप्ताह होगा शुभ और किन लोगों को रहना होगा सावधान ! 
नवंबर की समाप्ति और नए माह दिसंबर के शुभ आरंभ के साथ इस साल का एक और नया सप्ताह शुरू हो चला है। इसलिए ही एस्ट्रोसेज पर अपने इस लेख में आज हम आपको बताएंगे कि 26 नवंबर से 02 दिसंबर तक आपके सितारे कैसे रहने वाले है। हर राशि के अनुसार हम ये भी जानकारी देंगे कि इस सप्ताह करियर, शिक्षा, व्यवसाय और धन को लेकर आपका भविष्य कैसा रहने वाला है। इसके अलावा हम आपको यह भी बताएंगे कि प्रेम संबंधों के लिए ये सप्ताह आखिर कैसा रहेगा, इसका सारा लेखा जोखा आज हम आपको देंगे। 


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। चंद्र राशि कैल्कुलेटर से जानें अपनी चंद्र राशि।

मेष


मेष राशि के जातकों के लिए इस हफ्ते खर्चे बढ़ सकते हैं। किसी विदेशी श्रोत से लाभ प्राप्त होने की संभावना है…आगे पढ़ें 

वृषभ


सप्ताह के मध्य में धन अर्जित करने के लिए काफी कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता पड़ सकती है। इस दौरान आपके ऊपर अष्टम शनि का प्रकोप रहेगा जो आपके वैवाहिक जीवन में काफी बाधाएं उत्पन्न कर सकता है…आगे पढ़ें 

मिथुन


इस हफ्ते के दौरान, मिथुन राशि के चन्द्रमा चिन्ह के जातक यात्रा के दौरान धन लाभ कर सकते हैं। लंबी यात्रा आपके लिए फलदायी साबित हो सकती है। कार्यक्षेत्र में इस हफ्ते…आगे पढ़ें 

कर्क


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार, ये हफ्ता पारिवारिक दृष्टिकोण से आपके लिए काफी अच्छा बीतेगा। हालांकि केतु के आपके सातवें भाव में विराजमान होने की वजह से वैवाहिक जीवन में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है…आगे पढ़ें 

सिंह


इस हफ्ते परिवार की तरफ आपका विशेष झुकाव रहेगा। सप्ताह के मध्य में विदेश यात्रा की संभावना बन सकती है। इस दौरान पारिवारिक माहौल अच्छा रेहगा…आगे पढ़ें

कन्या


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार इस हफ्ते कन्या राशि के जातकों को सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। अपने परिवार के लिए कुछ आरामदायक वस्तुएं खरीद सकते हैं…आगे पढ़ें 

तुला


इस हफ्ते आपके पहले भाव में चद्रमा की उपस्थिति होने से आप अंदरूनी रूप से प्रसन्नता महसूस करेंगे। इस समय अपनी वाणी और स्वभाव से दूसरों के बीच आप आकर्षण का केंद्र रहेंगे…आगे पढ़ें 

वृश्चिक


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार, बृहस्पति का वृश्चिक राशि में गोचर करने से ये समय आपके लिए काफी लाभदायक साबित हो सकता है। हालांकि बृहस्पति का आपकी राशि में गोचर से पहले का समय कुछ तनाव भरा गुजर सकता है…आगे पढ़ें 

धनु


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार इस हफ्ते आपका रूझान धार्मिक कार्यों की तरफ ज्यादा रहेगा। किसी लंबी यात्रा पर जाना हो सकता है। विदेश जाने के लिए लम्बे समय से अटके हुए वीज़ा का काम भी सफलतापूर्वक पूर्ण होगा…आगे पढ़ें

मकर


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार केतु के प्रथम भाव में विराजमान होने की वजह से इस समय धार्मिक कार्यों की तरफ आपका रुझान होगा। इस दौरान खर्चों में बढ़ोत्तरी हो सकती है…आगे पढ़ें

कुंडली मिलान के लिए क्लिक करें

कुंभ


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार कार्यक्षेत्र में ख़ासा तरक्की मिलेगी। किसी विदेशी श्रोत से आय के साधन प्राप्त हो सकते हैं। सप्ताह के मध्य में अपने स्वभाव में थोड़ी विचलनता देख सकते हैं…आगे पढ़ें

मीन


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार इस हफ्ते धार्मिक कार्यों की तरफ आपका रुझान होगा। इस दौरान किसी लंबी यात्रा पर जा सकते हैं। किसी विदेशी स्रोत से आय के मार्ग बनेंगे…आगे पढ़ें 

एस्ट्रोसेज की ओर से आप सभी को शुभकामनाएँ!
Read More »

कार्तिक पूर्णिमा पर चुपचाप करें दीपदान, घर में होगा शुभ ही शुभ

पढ़ें कार्तिक पूर्णिमा पर आखिर क्या है पवित्र नदी में स्नान करने और दान करने का महत्व। जानें कार्तिक पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि और सही मुहूर्त !
कल यानि शुक्रवार, 23 नवंबर 2018 को कार्तिक पूर्णिमा है। जो कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में आती है इसलिए भी इस पूर्णिमा को कार्तिक पूर्णिमा कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था, इसलिए इसे ‘त्रिपुरी पूर्णिमा’ भी कहते हैं। यदि इस दिन कृतिका नक्षत्र होती है तो इसे ‘महाकार्तिकी’ कहा जाता है। वहीं ये भी माना जाता है कि भरणी नक्षत्र होने पर इस पूर्णिमा का विशेष फल प्राप्त होता है। इसके साथ ही रोहिणी नक्षत्र की वजह से इसका महत्व और बढ़ जाता है।

कार्तिक पूर्णिमा व्रत मुहूर्त New Delhi, India के लिए

नवंबर 22, 2018 को
12:55:50 से पूर्णिमा आरम्भ
नवंबर 23, 2018 को
11:11:15 पर पूर्णिमा समाप्त


हिन्दू मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर संध्या के समय भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। ऐसे में इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान करने पर उसका फल दस यज्ञों के समान प्राप्त होता है। इस पूर्णिमा की महत्वता को देखते हुए ही इसे ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य ने महापुनीत पर्व बताया है। कई जगह इसे देव दीपावली भी कहा जाता है। 

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व


कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा देशभर की सभी पवित्र पूर्णमासियों में से एक होती है। इस विशेष दिन किये जाने वाले सभी दान-पुण्य कार्य बेहद फलदायी साबित होते हैं। कहा जाता है कि यदि इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और विशाखा नक्षत्र पर सूर्य हो तो ऐसे में पद्मक योग का निर्माण होता है, जो कि बेहद दुर्लभ योग होता है। इसके साथ ही इस दिन कृतिका नक्षत्र पर चंद्रमा और बृहस्पति हो तो, यह महापूर्णिमा कहलाती है। इस दिन संध्याकाल में त्रिपुरोत्सव करके दीपदान करने से पुनर्जन्म का कष्ट समाप्त हो हो जाता है। 

कार्तिक पूर्णिमा व्रत और धार्मिक कर्म


मान्यता के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान, दीपदान, यज्ञ और ईश्वर की उपासना करने का विशेष महत्व है। इस दिन किये जाने वाले सभी धार्मिक कर्मकांड कुछ इस प्रकार हैं-
● पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल जाग कर व्रत का संकल्प लें और किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करें।
● इस दिन चंद्रोदय पर शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसुईया और क्षमा इन छः कृतिकाओं का पूजन अवश्य करना चाहिए।
● कार्तिक पूर्णिमा की रात्रि में व्रत करके बैल का दान करने से शिव पद प्राप्त होता है।
● गाय, हाथी, घोड़ा, रथ और घी आदि का दान करने से संपत्ति बढ़ती है।
● इस भेड़ का दान करने से ग्रहयोग के कष्टों का नाश होता है।
● कार्तिक पूर्णिमा से प्रारंभ होकर प्रत्येक पूर्णिमा को रात्रि में व्रत और जागरण करने से सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।
● कार्तिक पूर्णिमा का व्रत रखने वाले व्रती को किसी जरुरतमंद को भोजन और हवन अवश्य कराना चाहिए।
● इस दिन यमुना जी पर कार्तिक स्नान का समापन करके राधा-कृष्ण का पूजन और दीपदान करना चाहिए।

कार्तिक पूर्णिमा की पौराणिक कथा


पौराणिक कथा के अनुसार पुरातन काल में एक समय त्रिपुर राक्षस ने एक लाख वर्ष तक प्रयागराज में घोर तप किया। उसकी उसी तपस्या के प्रभाव ने सभी जड़-चेतन, जीव और देवताओं को भयभीत कर दिया था। ऐसे में सभी देवताओं ने उसका तप भंग करने के लिए योजना बनाते हुए अप्सराएँ भेजने का फैसला किया लेकिन उनकी इस योजना को सफलता नहीं मिल सकी। जिसके बाद त्रिपुर राक्षस के तप से प्रसन्न होकर ब्रह्मा जी स्वयं उसके सामने प्रकट हुए और उन्होंने राक्षस से वरदान मांगने को कहा।

त्रिपुर ने वरदान मांगा कि, ‘मैं न देवताओं के हाथों मरूं, न मनुष्यों के हाथों से’। ब्रह्मा जी से वरदान मिलने पर त्रिपुर निडर होकर अत्याचार करने लगा। इतना ही नहीं उसने कैलाश पर्वत पर भी चढ़ाई कर दी। इसके बाद भगवान शंकर और त्रिपुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ। अंत में शिव जी ने ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु की मदद से त्रिपुर का संहार इसी दिन किया।

हमारी ओर से आप सभी को कार्तिक पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएँ !
Read More »

साप्ताहिक राशिफल 19 से 25 नवंबर 2018 में जानिए आपके लिए क्या है ख़ास

पढ़ें साप्ताहिक राशिफल और जानें इस सप्ताह की प्रमुख भविष्यवाणियां। किन राशियों के लिए ये सप्ताह होगा लाभदायक और किन लोगों को रखने होंगे संभलकर कदम ! 
एस्ट्रोसेज पर आज हम आपको बताएंगे कि 19 से 25 नवंबर तक आपके सितारे कैसे रहेंगे। आपकी राशि के मुताबिक़ हम आपको जानकारी देंगे कि इस सप्ताह में करियर, शिक्षा और धन को लेकर आपका भविष्य कैसा रहेगा। साथ ही हम आपको यह भी बताएंगे कि किन राशियों के बिजनेस में या नौकरी में परिवर्तन के योग बनेंगे। प्रेम संबंधों के लिए ये सप्ताह कैसा रहेगा इसका लेखा जोखा भी हम आपको देंगे। साथ ही बता दें कि नवंबर का ये हफ्ता सिंह, वृश्चिक, धनु और मकर राशियों के लिए बहुत ख़ास रहेगा।


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। चंद्र राशि कैल्कुलेटर से जानें अपनी चंद्र राशि।

मेष


मेष राशि के जातक इस सप्ताह किसी सुदूर यात्रा पर जा सकते हैं और साथ ही साथ उन्हें अत्यधिक खर्च का सामना करना पड़ सकता है इसलिए पैसे के मामले में सोच विचार कर ही कोई निर्णय लें। दूसरी और आमदनी में वृद्धि होगी और आप कुछ हद तक…आगे पढ़ें

वृषभ


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार वृषभ राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह काफी अच्छा रह सकता है क्योंकि इस दौरान ना केवल उन्हें उत्तम धन लाभ होगा बल्कि सुदूर यात्रा का भी योग बनेगा। कार्यक्षेत्र में आपकी धाख जमेगी और आपके अधिकारों में…आगे पढ़ें 

मिथुन


इस सप्ताह मिथुन राशि के लोग कार्यक्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करेंगे और उनके काम की सराहना होगी। पारिवारिक जीवन सुचारु रुप से चलता रहेगा और सामान्य रूप से शांति रहेगी तथा पिताजी को कुछ…आगे पढ़ें 

कर्क


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार कर्क राशि के लोग इस सप्ताह अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देंगे तो अच्छा होगा और अपना खान-पान संतुलित रखना और अत्यधिक तले भुने और गरम मसालों से परहेज आपको काफी हद तक…आगे पढ़ें 

सिंह


इस सप्ताह आपको अपने प्रयासों से हर काम में सफलता मिलेगी और परिवार में किसी शुभ कार्य के होने से मन खिला-खिला रहेगा। कार्यक्षेत्र में आपको अपने सहकर्मियों का सहयोग मिलेगा और यदि आप प्रयासरत हैं तो…आगे पढ़ें

कन्या


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार कन्या राशि के जातक इस सप्ताह अपने परिवारिक और पेशेवर जीवन के बीच तालमेल बिठाने के लिए मेहनत करेंगे। किसी बात को लेकर परिवार में तनाव का माहौल रह सकता है जिससे…आगे पढ़ें 

तुला


इस सप्ताह आप अपने अंदर एक विशेष प्रकार का आकर्षण अनुभव करेंगे। आपकी वाणी में भी मिठास बढ़ेगी और लोग आपसे प्रभावित होंगे जिसके कारण आप अनेक प्रकार के…आगे पढ़ें 

वृश्चिक


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार वृश्चिक राशि के जातक अपनी कार्य कुशलता के चलते कई क्षेत्रों में सफलता अर्जित करेंगे। परिवार में कुछ परेशानी रह सकती है और संभवतया आप की माताजी का…आगे पढ़ें 

धनु


इस सप्ताह आपका आचरण काफी धार्मिक रहेगा और आप धर्म संबंधी क्रियाकलापों पर काफी हद तक खर्च करेंगे। कुछ लोगों को विदेश यात्रा का सौभाग्य मिलेगा और…आगे पढ़ें

मकर


मकर राशि वालों के लिए यह सप्ताह काफी धन लाभ लेकर आ रहा है और यदि आप अपने मार्ग में आने वाली अपॉर्चुनिटी को लेकर सजग रहें तो आप एक शानदार समय का आनंद लेंगे जिसमें आपको अनेक प्रकार से…आगे पढ़ें

कुंडली मिलान के लिए क्लिक करें

कुंभ


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार इस सप्ताह आप किसी कम दूरी की यात्रा पर जा सकते हैं। यह यात्रा आप अपनी खुशी से किसी मित्र मंडली के साथ कर सकते हैं अथवा परिवार के साथ…आगे पढ़ें

मीन


मीन राशि वाले जातकों को इस सप्ताह भी अपने कार्यस्थल पर काफी मेहनत करनी होगी लेकिन आपको इससे परेशान नहीं होना चाहिए क्योंकि भविष्य में यही मेहनत आप के लाभ का मार्ग प्रशस्त करेगी। परिवार में…आगे पढ़ें 

एस्ट्रोसेज की ओर से आप सभी को शुभकामनाएँ!
Read More »

जानिये देवउठनी एकादशी के दिन क्यों किया जाता है तुलसी विवाह का आयोजन

पढ़ें देवउठनी एकादशी पर आखिर क्या है तुलसी विवाह का महत्व, जानिए देवोत्थान एकादशी की पूजा विधि और सही मुहूर्त !
कल यानि 19 नवंबर 2018 को देवउठनी एकादशी ग्यारस है। जिसे हम प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जानते हैं। प्रबोधिनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास काल समाप्त हो जाता है और मंगलकार्य शुरू किए जाते हैं, क्योंकि ये माना जाता है कि चातुर्मास में कोई भी मंगलकार्य करना वर्जित होता है। तो आइए जानते हैं विस्तार से इस दिन और इसके मुहूर्त के बारे में।

देवउठनी एकादशी व्रत मुहूर्त New Delhi, India के लिए

देवउठनी एकादशी मुहूर्त
06:47:17 से 08:55:00 तक 20th, नवंबर को
अवधि
2 घंटे 7 मिनट


देवउठनी ग्यारस दीपावली के बाद आती है। मान्यता है कि आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयन करते हैं जो कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन उठते हैं, यही कारण है कि इसे देवोत्थान एकादशी कहा जाता है।

हिन्दू शास्त्रों अनुसार देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में 4 महीने शयन करने के बाद जगते हैं। इसीलिए ही भगवान विष्णु के शयनकाल के चार मास में विवाह आदि मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है और देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु के जागने के बाद शुभ तथा मांगलिक कार्य दुबारा शुरू होते है। मांगलिक कार्य की शुरुआत होने के साथ ही इसी दिन सबसे पहले तुलसी विवाह का आयोजन भी किया जाता है।


देवोत्थान एकादशी व्रत और पूजा विधि

देवउठनी ग्यारस यानी प्रबोधिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन और उनको जगाने की प्रार्थना की जाती है। इस दिन होने वाले धार्मिक कर्म इस प्रकार हैं-
  • इस दिन प्रातःकाल उठकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए और भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए।
  • घर की सफाई के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनाना चाहिए।
  • एक ओखली में गेरू से चित्र बनाकर फल,मिठाई,बेर,सिंघाड़े,ऋतुफल और गन्ना उस स्थान पर रखकर उसे डलिया से ढांक देना चाहिए। 
  • इस दिन रात्रि में घरों के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाना चाहिए।
  • रात्रि के समय परिवार के सभी सदस्य को भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं का पूजन करना चाहिए।
  • इसके बाद भगवान को शंख, घंटा-घड़ियाल आदि बजाकर उठाना चाहिए और ये वाक्य दोहराना चाहिए- उठो देवा, बैठा देवा, आंगुरिया चटकाओ देवा, नई सूत, नई कपास, देव उठाये कार्तिक मास

तुलसी विवाह का आयोजन

देवउठनी एकादशी के दिन देशभर में तुलसी विवाह का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया जाता है। जिसकी प्रक्रिया के लिए तुलसी के वृक्ष और शालिग्राम की शादी अन्य सामान्य विवाह की तरह पुरे विधि-विधान के साथ की जाती है। तुलसी को विष्णु प्रिया भी कहते हैं इसलिए माना जाता है कि देवता जब जागते हैं, तो सबसे पहली प्रार्थना हरिवल्लभा तुलसी की ही सुनते हैं। शास्त्रों के अनुसार तुलसी विवाह का सीधा अर्थ है, तुलसी के माध्यम से भगवान का धरती पर आह्वान कराना। कई ज्योतिषी ये सलाह देते है कि जिन दंपत्तियों के कन्या नहीं होती, वे जीवन में एक बार तुलसी का विवाह करके कन्यादान का पुण्य अवश्य प्राप्त करें।

आप सभी को एस्ट्रोसेज की ओर से देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह की ढेरों शुभकामनाएँ।
Read More »

सूर्य के गोचर से आपकी राशि पर पड़ने वाला हैं ये बड़ा प्रभाव, हो जाएं सावधान !

सूर्य कर रहा है अपना स्थान परिवर्तन। जानें सूर्य के इस गोचर का आपकी राशि पर क्या पड़ने वाला है प्रभाव ! 
ज्योतिष में सूर्य को नवग्रहों के राजा होने का दर्जा प्राप्त है, जो हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य के गोचर यानी कि जब सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में स्थान परिवर्तन करते हैं तो उसे सूर्य संक्रांति कहा जाता है। सभी नौ ग्रहों के राजा होने के चलते माना गया हैं कि सूर्य को रोज़ाना जल अर्पित करने से उससे संबंधी हर दोष दूर होता है। देव सूर्य को आत्मा, पिता, पूर्वज, मान-सम्मान, प्रतिष्ठा व उच्च सरकारी सेवा का कारक माना गया है। चूकि सूर्य एक राशि में एक महीने की अवधि तक गोचर करता है तो ऐसे में इस काल के दौरान वह विभिन्न राशियों के अलग-अलग भावों में स्थित होकर उनपर उसका प्रभाव डालता है। बारह राशियों में से सूर्य सिंह राशि के स्वामी है।

गोचर का समय 

हिन्दू शास्त्रों अनुसार सूर्य के स्थान परिवर्तन की अवधि लगभग एक महीने की होती है। साल 2018 में 16 नवंबर, शुक्रवार को शाम 6 बजकर 48 मिनट पर सूर्य वृश्चिक राशि में गोचर करेगा जो इस राशि में 16 दिसंबर 2018, रविवार सुबह 9 बजकर 25 मिनट तक स्थित रहने वाला है। 


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। चंद्र राशि कैलकुलेटर से जानें अपनी चंद्र राशि

मेष

सूर्य आपकी राशि से आठवें भाव में गोचर करने वाला है। जिसके परिणामस्वरुप आप स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां जैसे बुख़ार, सिरदर्द आदि से पीड़ित रह सकते है…आगे पढ़ें 

वृषभ

आपकी राशि से सूर्य सातवें भाव में प्रवेश करेगा। जिसके चलते आपके करियर में ग्रोथ देखने को मिल सकती है…आगे पढ़ें 

मिथुन

आपकी राशि से सूर्य छठे भाव में गोचर करेगा। ऐसे में इस गोचर से आपके द्वारा किए गए प्रयास सफल होंगे जिसका लाभ भी आपको ही प्राप्त होगा…आगे पढ़ें 

कर्क

सूर्य आपकी राशि से पांचवें भाव में प्रवेश करेगा। इसके परिणामस्वरूप आर्थिक लाभ होगा और साथ ही आपको अपने साथी संग मतभेद होने के चलते प्रेम संबंधों में परेशानी व तनाव महसूस होगा…आगे पढ़ें 

सिंह

सूर्य आपकी राशि से चौथे भाव में गोचर करेगा जिससे आपको सरकारी फायदे जैसे घर, गाड़ी आदि सुविधाओं का लाभ प्राप्त होगा…आगे पढ़ें 

कन्या 

सूर्य आपकी राशि से तीसरे भाव में प्रवेश कर रहा है। इस अवधि के दौरान आपके साहस में कमी देखी जायेगी लेकिन बावजूद इसके आप अपने संकल्प के प्रति अडिग रहेंगे…आगे पढ़ें

तुला

आपकी राशि से सूर्य दूसरे भाव में प्रवेश करेगा। ऐसे में आपकी भाषा कठोर हो जाएगी जिससे परिवार में विवाद हो सकते हैं…आगे पढ़ें

वृश्चिक

सूर्य आपकी राशि में गोचर करेगा और प्रथम भाव में स्थित रहेगा। इस गोचर काल के दौरान आपका ध्यान केवल अपने काम पर ही केंद्रित रहेगा हालांकि इस अवधि में आपके समक्ष कई तरह की रुकावटें भी आती रहेंगी…आगे पढ़ें

धनु

आपकी राशि से सूर्य बारहवें भाव में प्रवेश लेगा। जिसके चलते आपको बुख़ार, पेट दर्द, अनिद्रा या नेत्र संबंधित समस्याएं आ सकती हैं…आगे पढ़ें

मकर

सूर्य आपकी राशि से ग्यारहवें भाव में स्थित रहने वाला है। इस चलते आपको अप्रत्याशित लाभ मिलने की संभावना है…आगे पढ़ें

कुंडली मिलान के लिए क्लिक करें

कुंभ

आपकी राशि से सूर्य दसवें भाव में गोचर करेगा। गोचर के दौरान आपको कार्यक्षेत्र में तरक्की प्राप्त होगी…आगे पढ़ें

मीन

सूर्य आपकी राशि से नौवें भाव में प्रवेश करेगा। इस गोचर से आपके जीवन में संघर्ष बढ़ जाएगा और हर कार्य को पूर्ण करने के लिए आपको ज़्यादा मेहनत करनी होगी…आगे पढ़ें

एस्ट्रोसेज की ओर से आप सभी को शुभकामनाएँ!
Read More »

छठ पूजा: इसलिए बेहद ख़ास होती है छठ पूजा की संध्या अर्घ

पढ़ें छठ पूजा के दिन संध्या अर्घ और उषा अर्घ का क्यों होता है ख़ास महत्व और साथ ही जानें पूजा की सम्पूर्ण विधि और सही मुहूर्त।
छठ पर्व कार्तिक माह की शुक्ल षष्ठी को मनाया जाने वाला उत्तर भारत के कुछ राज्यों जैसे की बिहार, झारखण्ड और पूर्वी उत्तर प्रदेश का मुख्य लोकपर्व है। इन राज्यों के प्रमुख पर्वों में से छठ पूजा को महापर्व के रूप में जाना जाता है जिसे बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। बीते कुछ वर्षों में आस्था के इस महापर्व को उत्तर भारत के राज्यों के अलावा देश के अन्य भागों में भी मनाया जाने लगा है। इस दिन विशेष रूप से छठ माता और सूर्य देव की पूजा अर्चना की जाती है। छठ पूजा वैसे तो चार दिनों का त्यौहार है लेकिन इस पर्व में सबसे ज्यादा महत्ता तीसरे और चौथे दिन की होती है जिसे क्रमशः संध्या अर्घ और उषा अर्घ के नाम से जाना जाता है।

छठ पूजा मुहूर्त 2018

       13 नवंबर (संध्या अर्घ ) सूर्यास्त का समय : 17:28:46

        14 नवंबर (उषा अर्घ ) सूर्योदय का समय : 06:42 :31

सूचना: उपरोक्त मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। 


इस प्रकार से करें छठी मैया और सूर्य देव की पूजा अर्चना 

छठ पूजा के दिन विशेष रूप से छठी मैया की पूजा अर्चना की जाती है। एक पौराणिक मान्यता के अनुसार छठ पूजा विशेष रूप से महिलाएं अपनी संतानों की लंबी आयु के लिए करती है। ऐसा माना जाता है की छठी मैया जिन्हें षष्ठी माता भी कहते हैं खासतौर से बच्चों को लम्बी उम्र प्रदान करने वाली देवी के रूप में जानी जाती है। इन्हें माता कात्यायनी का रूप माना गया है जिनकी पूजा नवरात्रि में षष्ठी तिथि को होती है। मुख्य रूप से बिहार और झारखण्ड में षष्टी माता को ही स्थानीय भाषा में छठी मैया कहा गया है। 

चार दिनों का महापर्व 

  • नहाय खाये ( पहला दिन ) 
छठ पूजा की शुरुवात विशेष रूप से इसी दिन से की जाती है। इस दिन छठ पूजा के व्रत की शुरुवात करने वाली महिलाएं खासतौर से स्नान करके घर की साफ़ सफाई करती हैं और इस दिन केवल शाकाहारी भोजन ग्रहण किया जाता है। 

  • खरना (दूसरा दिन)
खरना को छठ पूजा के दूसरे दिन के रूप में जाना जाता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं और शाम के वक़्त विशेष रूप से गुड़ की खीर, फल और घी लगी हुई रोटियां प्रसाद के रूप में चढ़ाने के बाद खुद भी उसका सेवन करती हैं। यही गुड़ की खीर, फल और घी लगी हुई रोटियां परिवार के अन्य सदस्यों को प्रसाद स्वरुप बांटी। 

  • संध्या अर्घ ( तीसरा दिन ) 
संध्या अर्घ को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। कार्तिक शुल्क की षष्टी को संध्या अर्घ के दौरान सूर्य देव को दूध और जल का अर्घ अर्पित किया जाता है। इस दिन सभी व्रती महिलाएं प्रसाद स्वरुप बांस की बनी सूप और टोकरियों में ठेकुआ, चावल के लड्डू और फल लेकर अपने परिवार के साथ नदी घाट पर पहुँचती है। संध्या अर्घ के दिन डूबते सूर्य को अर्घ दिया जाता है और छठी माता का लोक गीत एवं पौरणिक कथाएं भी सुनी जाती है। 

  • उषा अर्घ ( चौथा दिन ) 
उषा अर्घ या भोर का अर्घ विशेष रूप से छठ पर्व की समाप्ति का दिन होता है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले ही व्रती अपने-अपने परिवार के साथ किसी नदी या घाट पर पहुँचकर उगते सूर्य को अर्घ देते है। व्रती महिलाएं विशेष रूप से अर्घ के बाद छठी माता से अपनी संतानों के लिए लंबी आयु और परिवार की सुख शांति की कामना करती हैं। पूजा के बाद सभी व्रती महिलाएं कच्चे दूध का शरबत और प्रसाद खाकर अपना व्रत खोलती हैं। 


इस विधि से संपन्न करें छठ पूजा 

  • पूजा से पहले ये सामग्रियां विशेष रूप से एकत्रित कर लें !
  • थाली, दूध, ग्लास, तीन बांस की टोकरी, तीन बांस से बने सूप या पीतल के सूप।
  • नारियल, गन्ना, शकरकंद, चकोतरा या बड़ा निम्बू, सुथनी, लाल सिन्दूर, चावल, कच्ची हल्दी, सिंघारा आदि। 
  • कर्पूर, चन्दन, दिया, शहद, पान , सुपारी, कैराव, नाशपाती। 
  • प्रसाद के लिए मालपुआ, खीर पूरी, ठेकुआ, सूजी का हलवा और चावल के लड्डू रखें। 

इस विधि से अर्पण करें अर्घ 

  • सबसे पहले बांस और पीतल की टोकरियों में उपरोक्त सामनों को रखें।
  • इसके बाद हर सूप में एक दिया और अगरबत्ती जरूर जलाएं। 
  • फिर सूर्य को अर्घ देने के लिए नदी या तालाब में उतरें। 

छठ पूजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व 

छठ पूजा को धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था के महापर्व के रूप में जाना जाता है। इस पर्व में विशेष रूप से सूर्य देव को अर्घ अर्पण करने का ख़ास महत्व है। हिन्दू धर्मशास्त्र में सूर्य देव को विशेष महत्व दिया जाता है क्योंकि सूर्य ही एक मात्र ऐसे देवता हैं जिन्हें सामने से लोग देख सकते हैं। सूर्य की पवित्र किरणों में बहुत से रोगों को हरने की शक्ति होती है, इसके अलावा सूर्य के प्रकाश से मनुष्य अरोग्य और आत्मविश्वास से परिपूर्ण बनता है। छठ के पावन पर्व पर लोग छठी मैया और सूर्य देव की पूजा अर्चना विशेष रूप से संतान सुख प्राप्ति और अपने बच्चों की लम्बी आयु के लिए करते हैं। ऐसा माना जाता है की छठ पर्व पर सच्चे मन से मांगी गयी सभी मनोकामनाएं निश्चित रूप से पूरी होती है। 

ज्योतिषशास्त्र और खगोलीय दृष्टिकोण से छठ पर्व का महत्व 

देखा जाएँ तो ज्योतिषशास्त्र और खगोलीय दृष्टिकोण से भी छठ पर्व की विशेष महत्ता होती है क्योंकि शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को सूर्य पृथ्वी के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित रहता है और इसे एक विशेष खगोलीय अवसर के रूप में माना जाता है। इस अवधि में सूर्य की किरणें पृथ्वी पर ज्यादा मात्रा में जमा हो जाती है जिससे मनुष्यों पर इन किरणों का असर ज्यादा हानिकारक पड़ता है। इससे बचाव के लिए छठ पर्व के अवसर पर सूर्य देव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और उन्हें अर्घ दिया जाता है। 

हम उम्मीद करते हैं की छठ पूजा के पवन अवसर पर आधारित हमारा ये लेख आपको पसंद आये। सभी पाठकों को छठ महापर्व की शुभकामनाएं ! 
Read More »

साप्ताहिक राशिफल 12 से 18 नवंबर 2018 में जानिए क्या हैं आपके लिए ख़ास

पढ़ें साप्ताहिक राशिफल और जानें इस सप्ताह की प्रमुख भविष्यवाणियां। किन राशियों के लिए ये सप्ताह होगा लाभदायक और किन लोगों को रहना होगा सावधान ! 


नवंबर का दूसरा सप्ताह प्रारंभ हो चुका है। यह सप्ताह ख़ासतौर पर मेष, वृषभ, सिंह, कुंभ और मीन राशि वाले जातकों के लिए बेहद खास रहने वाला है। इस अवधि के दौरान इन राशियों के जातकों को पारिवारिक सुख, संतान सुख, व्यवसायिक लाभ और तरक्की मिलने की पूरी संभावना है, साथ ही किसी विदेश यात्रा पर भी जाने का योग बनता नज़र आ रहा है। इसके अलावा जहाँ कुछ राशि के जातकों का जीवन उतार-चढ़ाव के साथ सामान्य गति से चलता रहेगा, तो वहीं कुछ लोगों को सफ़लता हर कदम पर मिलेगी। 

ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से भी यह सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है। क्योंकि इस सप्ताह छठ पर्व और सूर्य का तुला राशि में गोचर हो रहा है। जिसके चलते इस सप्ताह की अहमियत कई गुना बढ़ गई है। 


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। जानें चंद्र राशि कैल्कुलेटर से अपनी चंद्र राशि

मेष


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार मेष राशि के जातक इस सप्ताह किसी सुदूर यात्रा पर जा सकते हैं। आपके प्रयासों में सफलता मिलने से आपको धन लाभ भी होगा और मानसिक शांति भी मिलेगी लेकिन इन सबके बावजूद भी आप अपनी तरक्की से संतुष्ट नहीं दिखेंगे...आगे पढ़ें

वृषभ


वृषभ राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह चिंता में वृद्धि करने वाला हो सकता है। अष्टम भाव में शनि की उपस्थिति जहां आपके स्वास्थ्य को कमजोर कर सकती है और आपको मानसिक रूप से व्याकुल बना सकती है...आगे पढ़ें

मिथुन


मिथुन राशि के जातकों के लिए इस सप्ताह कुछ चुनौतियाँ सामने आने वाली हैं जिनका आपको डटकर मुकाबला करना होगा...आगे पढ़ें


कर्क


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार कर्क राशि के जातक इस सप्ताह किसी विवाद में फँस सकते हैं इसलिए ऐसी किसी संभावना को देखते हुए विवाद को बढ़ने से पहले ही रोकने का प्रयास करें...आगे पढ़ें

सिंह


सिंह राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह काफी हद तक सुकून भरा रह सकता है। आपके पारिवारिक जीवन में सुख शांति बनी रहेगी और आप काफी वक्त अपने परिजनों के साथ बिताएंगे, जिससे आप का मन काफी प्रसन्नचित्त रहेगा...आगे पढ़ें

कन्या


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार कन्या राशि के जातकों का पारिवारिक जीवन तनाव की स्थितियों में व्यस्त रहेगा क्योंकि शनि की उपस्थिति पारिवारिक जीवन में क्लेश का कारण बन सकती है...आगे पढ़ें


तुला


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार तुला राशि के जातकों के लिए सप्ताह मिश्रित परिणाम देने वाला सिद्ध होगा। इस दौरान आप काफी व्यस्त रहेंगे और इसलिए आपके पेशेवर और पारिवारिक जीवन के बीच सामंजस्य बनाए रखना आपके लिए एक चुनौती होगी...आगे पढ़ें

वृश्चिक


वृश्चिक राशि के जातकों के लिए अच्छी बात यह है कि अपने ज्ञान और बुद्धि के बल पर जैसे वह अपने काम में सफलता प्राप्त करते रहे हैं वह सिलसिला आगे भी जारी रहेगा...आगे पढ़ें

धनु


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार इस सप्ताह आपके कुटुंब में किसी प्रकार की कहासुनी हो सकती है। इसके अतिरिक्त आपको मानसिक रूप से व्याकुलता का सामना करना पड़ सकता है...आगे पढ़ें


मकर


मकर राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह कुछ ध्यान देने की ओर इशारा कर रहा है। आपको अपने स्वास्थ्य का ध्यान तो रखना ही होगा...आगे पढ़ें

कुंभ


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार कुंभ राशि के जातकों के लिए सप्ताह चुनौतीपूर्ण रहने वाला है क्योंकि शनि की उपस्थिति जहां एक ओर आमदनी में वृद्धि करेगी वहीं मानसिक तनाव भी बढ़ाएगी...आगे पढ़ें

मीन


इस सप्ताह मीन राशि के जातक किसी तीर्थ यात्रा पर जा सकते हैं साथ ही उनके गुरु से मिलने का समय निकट है अर्थात जिन्हें भी वह मान सम्मान देते हैं उनसे मुलाकात का अवसर मिलेगा...आगे पढ़ें

रत्न, यंत्र समेत समस्त ज्योतिषीय समाधान के लिए विजिट करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
Read More »

भाई दूज पर चित्रगुप्त की ये पूजा-विधि करेगी आपके भाई को अमर

जानें भाई दूज के लिए तिलक का शुभ मुहूर्त जिसके अनुसार पूजा करने से भाई को मिलेगी सफलता और समृद्धि
दीपावली महापर्व का अंतिम पर्व ‘भाई दूज’ है, इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार यह पर्व कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता है कि सूर्य पुत्र यम ने इस दिन अपनी बहन यमुना के घर जाकर भोजन किया और उन्हें उपहार उपहार दिये। यमुना ने अपने भाई यम को तिलक किया, तब ही से यह त्यौहार यम द्वितीया व भाई दूज के नाम से मनाया जाने लगा। वहीं इस दिन चित्रगुप्त जी पूजा भी की जाती है।
भाई दूज पूजा मुहूर्त 2018
भाई दूज तिलक का समय
13:10:02 से 15:20:30 बजे तक
अवधि
2 घंटे 10 मिनट
सूचना: उपरोक्त मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में भाई दूज का मुहूर्त


भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में भाई दूज पर्व को भाई को भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से मनाया जाता है। इस अवसर पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती है। वहीं भाई शगुन के रूप में बहन को उपहार भेंट करता है।

भाई दूज से संबंधित परंपरा और पूजा विधि


  • इस दिन भाई के तिलक के लिए थाली सजाएं। इसमें पुष्प, कुमकुम और चावल आदि रखें।
  • एक निश्चित स्थान पर चावल के मिश्रण से चौक बनाएं और उस पर भाई को बिठाएं।
  • इसके बाद शुभ मुहूर्त में भाई का तिलक करें और उन्हें मिठाई खिलाएं।


चित्रगुप्त पूजा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने देवताओं के यज्ञोपवीत के अवसर पर चित्रगुप्त जी को वरदान दिया था कि जो व्यक्ति कार्तिक शुक्ल द्वितीया को चित्रगुप्त जी व उनकी कलम-दवात की पूजा करेगा, उस व्यक्ति को वैकुण्ठ की प्राप्ति होगी। तभी से कार्तिक शुक्ल द्वितीया के दिन चित्रगुप्त जी व उनकी कलम और दवात की पूजा की जाती है। 

भाई दूज पर्व की पौराणिक कथा और महत्व

  • यम और यामि की कथा: यम और यमी सूर्य देव के पुत्र और पुत्री थे। धार्मिक मान्यता के अनुसार भाई दूज के दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे। इस अवसर पर यमुना ने भाई यमराज को भोजन कराया और उनका तिलक किया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने यमी को वचन दिया कि, जो भी बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी उसे मेरा भय नहीं होगा। इसी दिन से भाई दूज पर्व की शुरुआत हुई, जिसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन यमुना नदी में स्नान का बड़ा महत्व है। जो भाई-बहन भाई दूज पर यमुना नदी में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है। 
  • कृष्ण और सुभद्रा: एक अन्य मत के अनुसार भाई दूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण राक्षस नरकासुर का वध करके द्वारिका लौटे थे। इस खुशी में उनकी बहन सुभद्रा ने अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था और भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी।

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को भाई दूज पर्व की शुभकामनाएँ!
Read More »

गोवर्धन पूजा को करें मुहूर्त अनुसार, घर में होगी खुशियों की बरसात

जानें गोवर्धन पर्व 2018 की पूजा का शुभ समय और साथ ही पढ़ें गोवर्धन पूजा के नियम व विधि। इसके अलावा इस दिन की जाने वाली गोवर्धन परिक्रमा का धार्मिक महत्व।
दीपावली महापर्व का चौथा पर्व गोवर्धन पूजा है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाने वाला यह पर्व कृषि कार्य और पशुपालन को समर्पित है। यही वजह है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व को लेकर अधिक उत्साह और उल्लास देखने को मिलता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की परंपरा की शुरुआत करके कृषि और पशुपालन को महत्व देने का संदेश दिया था। इस दिन गाय, बैल समेत अन्य कृषि योग्य पशुओं की पूजा की जाती है। गोवर्धन पर्व यह संदेश भी देता है कि गाय का हमारी संस्कृति में विशेष महत्त्व है। गोवर्धन पूजा का पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश में विशेषकर मथुरा, वृंदावन, गोकुल आदि जगहों पर इस पर्व को बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। 

गोवर्धन पूजा, 8 नवंबर 2018

गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त
06:37:54 से 08:48:38 तक
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त
15:20:50 से 17:31:34 तक
सूचना: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर गोवर्धन पूजा का मुहूर्त


गोवर्धन पूजा

वेदों में इस दिन वरुण, इंद्र, अग्नि आदि देवताओं की पूजा का भी विधान है। हमारा जीवन प्रकृति द्वारा प्रदान संसाधनों जैसे - फसल, वर्षा और पशुधन आदि पर निर्भर है और इसके लिए हमें प्रकृति और ईश्वर का सम्मान व धन्यवाद करना चाहिए। गोवर्धन पूजा के जरिए हम समस्त प्राकृतिक संसाधनों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं।
  • इस दिन गोबर से घर के आंगन में गोवर्धन की आकृति बनाई जाती है। बृज क्षेत्र (मथुरा, वृंदावन, बरसाना आदि) में गोवर्धन के साथ-साथ गाय-बछड़े, गोप-गोपियाँ और ग्वाले आदि के प्रतीक भी बनाये जाते हैं। 
  • गोबर से बनी गोवर्धन की आकृति को गुलाल, रंग, मोर पंख, पुष्प और पत्तियों आदि से सजाया जाता है। 
  • सूर्यास्त के बाद रोली, पुष्प, धूप-दीप आदि से गोवर्धन की पूजा करनी चाहिए और उन्हें दूध, दही व पकवान का भोग लगाना चाहिए।
  • पूजन व नैवेद्य अर्पित करने के बाद गोवर्धन की परिक्रमा करनी चाहिए। 


गोवर्धन परिक्रमा

इस पर्व के अवसर पर गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का विशेष महत्व बताया गया है। यही वजह है कि हर वर्ष इस दिन देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु गोवर्धन परिक्रमा के लिए तीर्थ स्थल गोवर्धन पहुंचते हैं, जो कि उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित है। गोवर्धन परिक्रमा 21 किलोमीटर की होती है और हर व्यक्ति अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार इस परिक्रमा को करते हैं। कोई पैदल या कोई वाहन से भी गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करता है। परिक्रमा संपन्न होने के बाद गोवर्धन पर्वत पर बने गिरिराज मंदिर में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करते हैं।

अन्नकूट उत्सव

गोवर्धन पूजा के दिन पूर्वाह्न यानि दोपहर 12 बजे से पहले अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। अन्नकूट का अर्थ है ‘अन्न का ढेर’। अन्नकूट के माध्यम से खरीफ की फसल से उत्पन्न अन्न आदि से बने पकवान का भगवान श्री कृष्ण को भोग लगाया जाता है और इसके बाद ही खरीफ की फसलों को उपयोग में लाया जाता है। 

गोवर्धन पूजा की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार एक समय देवराज इंद्र को अपनी शक्तियों पर अभिमान हो गया था और उनके इस अहंकार के नाश के लिए भगवान श्री कृष्ण ने एक लीला रची थी। विष्णु पुराण में वर्णित कथा के अनुसार गोकुल वासी अच्छी वर्षा और फसल के लिए हर्षोल्लास के साथ इंद्र देव की पूजा करते थे। लेकिन एक समय बाल कृष्ण ने लोगों से कहा कि, अच्छी वर्षा और गायों के चारे के लिए गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए। कृष्ण की इस बात से सहमत होकर गोकुल वासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा शुरू कर दी। इस बात से देवराज इंद्र क्रोधित हो गए और इस अपमान का बदला लेने के लिए उन्होंने मूसलाधार वर्षा शुरू कर दी। बारिश से गोकुल वासियों की रक्षा करने के लिए भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठा लिया। इंद्र को जब पता चला कि भगवान श्री कृष्ण स्वयं गोकुल वासियों की रक्षा कर रहे हैं, तो उन्होंने भगवान कृष्ण से क्षमा याचना कर उनकी वंदना की। इस पौराणिक कथा के बाद से ही गोवर्धन पूजा की शुरुआत हुई।


एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएँ!
Read More »

दिवाली पर इस बार 7 साल बाद बन रहा है महा लक्ष्मी योग

जानिए दिवाली का शुभ मुहूर्त और पढ़ें इस साल दीपावली पर माँ लक्ष्मी किन लोगों पर करेंगी धन की वर्षा 
दिवाली हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। जो कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस साल दीपावली का त्योहार 7 नवंबर 2018 को देशभर में मनाया जाएगा। मान्यता है कि इसी दिन भगवान राम, माँ सीता और लक्ष्मण सहित चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे। तब अयोध्यावासियों ने उनके आने की ख़ुशी में अपने-अपने घरों में घी के दिए जलाए थे जिससे अमावस्या की काली रात भी जगमगा-कर रोशन हो गई थी। इसलिए भी दिवाली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है। 

दिवाली का त्योहार आध्यात्मिक रूप से अंधेरे पर प्रकाश की जीत को दर्शाता है। इस त्योहार की तैयारी और अनुष्ठान आम तौर पर पांच दिन की अवधि में मनाए जाते हैं, लेकिन दिवाली का मुख्य त्योहार रात के अंधेरे तथा प्रतिपदा के नये चंद्रमा की रात के साथ ही मनाया जाता है। दिवाली के दिन माता लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा की जाती है। दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज आदि त्यौहार दिवाली के साथ-साथ ही मनाए जाते हैं।  
शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त:
शाम 17:59 से 19:55 तक।
प्रदोष काल:
शाम 17:32 बजे से 20:09 बजे तक।
वृषभ काल:
17:59 बजे से 19:55 बजे तक।
सूचना: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर का दिवाली मुहूर्त 


कब मनाई जाती है दिवाली?

  • कार्तिक मास में अमावस्या के दिन प्रदोष काल होने पर दीपावली (महालक्ष्मी पूजन) मनाने का विधान है। इसमें सबसे ज़्यादा प्रचलित और मान्य अवधि उस वक़्त की हैं जब दो दिन तक अमावस्या तिथि प्रदोष काल का स्पर्श न करे, जिसके बाद ही दूसरे दिन दिवाली मनाने का विधान मान्य होता है। 
  • वहीं, कई लोग ये भी मानते है कि अगर दो दिन तक अमावस्या तिथि, प्रदोष काल में नहीं आती है, तो ऐसी स्थिति में ही पहले दिन दिवाली मनाई जानी चाहिए।
  • इसके अलावा ज्योतिषी मत के अनुसार यदि अमावस्या तिथि का विलोपन हो जाए, यानी कि अगर अमावस्या तिथि ही न पड़े और चतुर्दशी के बाद सीधे प्रतिपदा आरम्भ हो जाए, तो ऐसे में पहले दिन चतुर्दशी तिथि को ही दिवाली मनाने का विधान होता है। 

दिवाली पूजा विधि 

  • दिवाली पूजन में सबसे पहले श्री गणेश जी का ध्यान करना अनिवार्य होता है। ध्यान के बाद भगवान गणेश की प्रतिमा को स्नान कराएं और नए वस्त्र और फूल अर्पित करें।
  • गणेश पूजन के बाद देवी लक्ष्मी का पूजन शुरू करना चाहिए। 
  • मां लक्ष्मी की प्रतिमा को पूजा स्थान पर रखकर हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके घर आएं।
  • प्रार्थना के बाद लक्ष्मी जी को स्नान कराएं। स्नान पहले जल फिर पंचामृत और फिर वापिस जल से कराना शुभ होता है। 
  • स्नान के बाद माँ लक्ष्मी को वस्त्र, आभूषण और माला अर्पित करें। 
  • माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा को इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाएं। 
  • अब धूप व दीप जलाएं और माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करें
  • दिवाली के दिन शुभ मुहूर्त में पूजा के दौरान माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश को 11 या 21 चावल अर्पित कर आरती करें। आरती के बाद परिक्रमा कर उन्हें भोग लगाएं।
  • भोग लगाने के बाद प्रशाद को परिजनों में बाटें और शुभ दीपावली की शुभकामनाएँ दें। 

दिवाली के दिन क्या करें?

  • दीपावली यानि कार्तिक अमावस्या के दिन प्रात:काल शरीर पर तेल की मालिश के बाद स्नान करना शुभ होता है। कहा गया है कि ऐसा करने से साल भर धन की हानि नहीं होती है।
  • मान्यता है कि दिवाली के दिन वृद्धजन और बच्चों को छोड़कर् अन्य व्यक्तियों को भोजन नहीं करके उपवास करना चाहिए और शाम को महालक्ष्मी पूजन के बाद ही ये उपवास खोलना चाहिए। ।
  • दीपावली पर पूर्वजों का पूजन कर उन्हें भोग अर्पित करें। 
  • प्रदोष काल के समय हाथ में दीपक जलाकर पितरों को मार्ग दिखाएं। आप अन्य माध्यम से भी रोशनी कर पितरों को मार्ग दिखा सकते है। मान्यता है कि ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • मान्यता ये भी है कि दिवाली से पहले मध्य रात्रि को स्त्री-पुरुषों को गीत, भजन और घर में उत्सव मनाना चाहिए। ऐसा करने से घर में व्याप्त दरिद्रता दूर होती है।


दिवाली का आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों रूप से अपना विशेष महत्व है। हिंदू शास्त्रों में दिवाली को आध्यात्मिक अंधकार पर आंतरिक प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का उत्सव भी कहा गया है।

एस्ट्रोसेज की टीम आशा करती है कि दिवाली का त्यौहार आपके लिए मंगलमय हो। माता लक्ष्मी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे और इस दीपावली आपके जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली आए।
Read More »

नरक चतुर्दशी पर मंगल के गोचर से आपकी राशि पर पड़ने वाला हैं ये बड़ा प्रभाव

नरक चतुर्दशी के दिन मंगल कर रहा है स्थान परिवर्तन। जानें नरक चतुर्दशी पर मंगल के इस गोचर का आपकी राशि पर क्या पड़ने वाला है प्रभाव !

नरक चतुर्दशी जिसे हम छोटी दिवाली भी कहते हैं ये कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी यानि अमावस्या से पूर्व आने वाले दिन के रूप में देशभर में मनाई जाती है। इस दिन का हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार अपना विशेष महत्व है, जिसे यम चतुदर्शी व रूप चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। इस वर्ष, 2018 में यह चतुदर्शी 6 नवंबर को मनायी जाएगी।

नरक चतुर्दशी का मुहूर्त

अभ्यंग स्नान समय : 
04.59.00 से 06.36.23
अवधि:
1 घंटे 37 मिनट
सूचना: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर का नरक चतुर्दशी मुहूर्त

नरक चतुर्दशी के दिन लोग संध्या के समय दीये जलाते है। इस दिन यमराज की पूजा कर अकाल मृत्यु से मुक्ति और बेहतर स्वास्थ्य की कामना करने की भी परम्परा है। इसके अलावा ये भी माना गया है कि नरक चतुर्दशी के दिन सूर्य उदय से पहले शरीर पर तिल्ल का तेल मलकर और अपामार्ग की पत्तिायां पानी में डालकर स्नान करने से नरक के भय से मुक्ति मिलती है और मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। लेकिन इस वर्ष नरक चतुर्दशी के दिन मंगल गोचर हो रहा है इसलिए भी इस साल ये दिन बेहद ख़ास रहने वाला है। 

मंगल का कुंभ राशि में गोचर 


मंगल ग्रह को ज्योतिषी दृष्टि से पराक्रम, साहस, ताकत, शारीरिक ऊर्जा और अहंकार का कारक माना जाता रहा है। इस ग्रह को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामित्व प्राप्त है। जहाँ ये मकर राशि में उच्च का होता है तो वहीं कर्क राशि में ये नीच भाव में होता है। मंगल ग्रह मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र के स्वामी होते है। ये माना गया हैं कि कुंडली में मंगल के बलवान होने से व्यक्ति में न केवल साहस आता हैं बल्कि उसमें पराक्रम और ऊर्जा की वृद्धि भी होती है। अगर मंगल निर्बल हो तो ये भी देखा गया है कि व्यक्ति को रक्त और अस्थि संबंधित रोगों का सामना करना पड़ता है। 

गोचर का समय


मंगल के गोचर की अवधि आमतौर पर डेढ़ माह यानी 45 दिन की होती है, क्योंकि मंगल हर राशि में 45 दिन तक स्थित रहने के बाद ही अपना राशि परिवर्तन करता है। इस वर्ष मंगल ग्रह 6 नवंबर 2018, मंगलवार को सुबह 8 बजकर 49 मिनट पर कुंभ राशि में गोचर करेगा जो कि 23 दिसंबर 2018, रविवार दोपहर 1 बजकर 20 तक इसी राशि में स्थित रहेगा। मंगल के इस राशि परिवर्तन के दौरान सभी राशियों पर मंगल ग्रह अपना प्रभाव डालेगा। तो ऐसे में आइये जानते हैं कि आखिर मंगल के कुंभ राशि में संचरण का गोचर फल आपकी राशि पर क्या असर डालने वाला है।

Click here to read in English


नोटः यह राशिफल आपकी चंद्र राशि पर आधारित है। चंद्र राशि कैल्कुलेटर से जानें अपनी चंद्र राशि।

मेष


मंगल ग्रह आपकी राशि से 11वें भाव में गोचर कर रहा है, जो महत्वाकांक्षा, सफलता और लंबी यात्रा को दर्शा रहा है.....आगे पढ़ें

वृषभ


क्रोधी स्वभाव का मंगल ग्रह आपकी राशि से 10वें भाव में संचरण कर रहा है। यह भाव आपके करियर, व्यवसाय, प्रसिद्धि और पहचान का कारक होता है.....आगे पढ़ें

मिथुन


मंगल आपकी राशि से 9वें भाव में गोचर कर रहा है। यह घर आपके भाग्य, शिक्षा, गुरू और धर्म से जुड़ा है.....आगे पढ़ें

कर्क


हठधर्मी स्वभाव का मंगल ग्रह आपकी राशि से 8वें भाव में गोचर कर रहा है। यह भाव आपकी आयु, जीवन, बड़े बदलाव और क्रांतिकारी परिवर्तन को दर्शाता है.....आगे पढ़ें

सिंह


मंगल ग्रह आपकी राशि से 7वें भाव में संचरण कर रहा है। यह भाव जीवन साथी, व्यवसाय, साझेदारी और विदेशी संबंधों से संबंधित है.....आगे पढ़ें

कन्या


मंगल ग्रह आपकी राशि से छठवें भाव में गोचर कर रहा है। यह घर स्वास्थ, व्यवसाय और कठिन परिश्रम से संबंधित है.....आगे पढ़ें

तुला


मंगल आपकी राशि से पांचवें भाव में प्रवेश कर रहा है। यह घर बुद्धि, विद्या और प्रेम संबंध आदि को दर्शाता है.....आगे पढ़ें

वृश्चिक


मंगल आपकी राशि से चौथे भाव में गोचर कर रहा है। यह घर आपके सुख, परिवार, माता, वाहन और प्रॉपर्टी का कारक है.....आगे पढ़ें

धनु


मंगल आपकी राशि से तीसरे भाव में गोचर कर रहा है। यह घर छोटे भाई-बहन, पराक्रम और धैर्य से संबंधित है.....आगे पढ़ें

मकर


मंगल आपकी राशि से दूसरे भाव में संचरण कर रहा है। यह घर भाषा, संचार, परिवार और आर्थिक पक्ष को दर्शाता है.....आगे पढ़ें

कुंभ


मंगल आपकी राशि में ही गोचर कर रहा है और प्रथम भाव में स्थित है। यह समय आपके लिए थोड़ा मुश्किल होगा.....आगे पढ़ें

मीन


मंगल आपकी राशि से 12वें भाव में गोचर कर रहा है। यह भाव आपके सुख, अनिंद्रा, विदेश मामले और यात्रा से संबंधित है.....आगे पढ़ें
एस्ट्रोसेज की ओर से आप सभी को शुभकामनाएँ!
Read More »

जानें अपना 5 से 11 नवंबर 2018 का साप्ताहिक राशिफल

जानें माँ लक्ष्मी और कुबेर देवता का आपकी राशि पर कैसा रहने वाला हैं इस सप्ताह प्रभाव, किन उपायों से कर सकते हैं उन्हें खुश। पढ़ें त्योहारों के इस साप्ताहिक राशिफल को !
धनतेरस की शुरुआत के साथ ही नवंबर का दूसरा सप्ताह प्रारंभ हो चुका है। यह सप्ताह वृषभ, कर्क, सिंह, कन्या, वृश्चिक, कुंभ और मीन राशि वाले जातकों के लिए बेहद खास रहने वाला है। इस अवधि में इन राशि के जातकों को हर क्षेत्र में सफलता और तरक्की के साथ ही इस दिवाली मिलेगा माँ लक्ष्मी का भरपूर साथ। वहीं अन्य राशि के जातक भी इस सप्ताह कुछ अचूक उपायों से माँ लक्ष्मी और कुबेर देवता को प्रसन्न कर उठा सकेंगे इस सप्ताह लाभ।

ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से भी नवंबर का यह सप्ताह बेहद महत्वपूर्ण रहने वाला है। क्योंकि इस सप्ताह धनतेरस, दिवाली, भाईदूज के साथ ही मंगल ग्रह का कुंभ में प्रवेश/ मंगल गोचर होने जा रहा है। इसके अतिरिक्त आज सप्ताह की शुरुआत ही धनतेरस के शुभ अवसर के साथ हो रही हैं, इसलिए आज के साप्ताहिक राशिफल से आप जान सकते हैं कि आखिर इस सप्ताह कुबेर देवता किन राशियों को दे रहे हैं शुभ संकेत और किन राशियों को चौकन्ना रहने की हैं ज़रूरत। 



यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। जानें चंद्र राशि कैल्कुलेटर से अपनी चंद्र राशि

मेष


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार मेष राशि के जातक इस सप्ताह व्यावसायिक और पारिवारिक जीवन के बीच तालमेल बिठाने में काफी व्यस्त रहेंगे जिसके लिए उन्हें काफी परिश्रम भी करना होगा...आगे पढ़ें

वृषभ


वृषभ राशि के जातकों को इस सप्ताह अपने मन की मुराद पूरी होने से प्रसन्नता रहेगी। साप्ताहिक राशिफल के अनुसार इस सप्ताह आप किसी कलात्मक अभिरुचि में अधिक ध्यान देंगे...आगे पढ़ें

मिथुन


मिथुन राशि के जातकों के जीवन में इस सप्ताह हलचल रह सकती है विशेष कर उनके पारिवारिक और व्यावसायिक क्षेत्र को लेकर...आगे पढ़ें


कर्क


राशिफल के अनुसार इस सप्ताह कर्क राशि के जातक किसी यात्रा पर जा सकते हैं। परिवार में ख़ुशियाँ आएँगी और त्योहारी सीजन में उत्सव का माहौल रहेगा जिससे घर में प्रसन्नता का वातावरण रहेगा...आगे पढ़ें

सिंह


साप्ताहिक फल कथन के अनुसार सिंह राशि के जातक इस सप्ताह परिवार और मित्रों तथा संबंधियों के साथ नए-नए पकवानों का आनंद लेंगे और परिवार में अच्छा समय बिताएंगे...आगे पढ़ें

कन्या


इस सप्ताह कन्या राशि के जातकों को कोई बड़ी सफलता हाथ लग सकती है। कोई ऐसी दिल की इच्छा जिसे आप काफी समय से करना चाहते थे उसके सफल हो जाने से इस सप्ताह आपको लाभ होगा...आगे पढ़ें

तुला


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार तुला राशि के जातक इस सप्ताह अपने व्यवहार में अनेक प्रकार के बदलाव महसूस करेंगे...आगे पढ़ें

वृश्चिक


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार वृश्चिक राशि वाले जातकों को अपने विद्या और ज्ञान के कारण अनेक प्रकार के लाभ की प्राप्ति हो सकती है...आगे पढ़ें

धनु


इस सप्ताह धनु राशि के जातक सुख सुविधाओं और धार्मिक क्रिया-कलापों का खूब आनंद लेंगे और इन पर खुलकर खर्च करेंगे...आगे पढ़ें


मकर


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार इस सप्ताह मकर राशि के जातक एक से अधिक स्रोतों से आमदनी प्राप्त करने में सफल रहेंगे...आगे पढ़ें

कुंभ


कुंभ राशि के व्यापारियों के लिए यह सप्ताह काफी अच्छा रहने वाला है और इस दौरान उन्हें विदेशी संपर्कों से भी काफी अच्छा लाभ मिल सकता है...आगे पढ़ें

मीन


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार मीन राशि के जातकों को इस सप्ताह धार्मिक यात्रा, तीर्थाटन, उच्च शिक्षा हेतु विदेश यात्रा आदि में सफलता मिल सकती है...आगे पढ़ें

रत्न, यंत्र समेत समस्त ज्योतिषीय समाधान के लिए विजिट करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
Read More »