2019 त्रिकाल संहिता - जानिए आपके लिए कैसा रहने वाला हैं नया साल ?

सही विश्लेषण, सटीक भविष्यफल! वर्ष 2019 को सफल और समृद्ध बनाने के लिए एस्ट्रोसेज लेकर आया है 2019 त्रिकाल संहिता-कुंडली आधारित भविष्यवाणी।


नया साल नई उम्मीदें, नये सपने लेकर आता है। हर किसी के मन में यह चाह होती है कि आने वाला साल मेरे लिए कैसा होगा? क्या इस साल नौकरी में मेरी तरक्की होगी, क्या इस साल मेरी शादी होगी, क्या बिजनेस में सफलता मिलेगी, क्या इस साल मुझे विदेश जाने का मौका मिलेगा? ऐसे कई सवाल जो आपके मन में बार-बार आ रहे हैं, उन सभी सवालों के जवाब के लिए एस्ट्रोसेज ने तैयार की है ‘2019 त्रिकाल संहिता’ कुंडली आधारित भविष्यवाणी। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है इसमें दिया गया कुंडली आधारित भविष्यफल, जो विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित आम राशिफल से बिल्कुल अलग है। कुंडली आधारित भविष्यफल से मतलब है आपकी जन्म तिथि, समय और स्थान के आधार पर तैयार किया गया भविष्यफल, इसलिए 2019 त्रिकाल संहिता में दी गई भविष्यवाणी पूर्णतः व्यक्तिगत होने के साथ-साथ सटीक भी है।

2019 त्रिकाल संहिता में आप पाएंगे वर्ष 2019 में नौकरी, शिक्षा, करियर, व्यवसाय, स्वास्थ्य, विवाह, प्रेम और पारिवारिक जीवन आदि से जुड़ी सटीक भविष्यवाणियाँ, साथ ही इनसे जुड़ी समस्याएँ और उनके समाधान। इसके अलावा इस साल कुंडली में बनने वाले राज योग से जुड़ी जानकारी और उनका आपके जीवन पर पड़ने वाला प्रभाव।

2019 त्रिकाल संहिता की विशेषताएँ

2019 त्रिकाल संहिता- कुंडली आधारित भविष्यफल है, जिसे विद्वान ज्योतिषियों के मत से तैयार किया गया है। एस्ट्रोसेज के सीईओ और प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पुनीत पाण्डे ने इसे तैयार करने से पहले 100 से अधिक ज्योतिष विद्वानों से परामर्श और मार्गदर्शन लिया है। 2019 त्रिकाल संहिता में वैदिक ज्योतिष की प्राचीन पद्धतियों की मदद से भविष्यफल की गणना की गई है, जो कि ज्यादा विश्वसनीय और सटीक हैं।

  • कुंडली आधारित भविष्यफल- जन्म कुंडली के महत्व को ध्यान में रखते हुए 2019 त्रिकाल संहिता तैयार की गई है। जहां जन्म कुंडली में पूरे जीवन का फलादेश होता है, वहीं कुंडली आधारित वार्षिक भविष्यफल में एक वर्ष विशेष से जुड़ी भविष्यवाणियां होती हैं। 2019 त्रिकाल संहिता एक कुंडली आधारित फलादेश है, अतः इसमें कुंडली के आधार पर वर्ष 2019 से जुड़े भविष्यकथन दिये गये हैं। यह वार्षिक भविष्यफल ताजिक वर्षफल पद्धति, गोचर और दशा आदि के अध्ययन से प्राप्त किया गया है। 
  • करियर, धन, व्यापार, शिक्षा, विवाह, स्वास्थ्य- अच्छी नौकरी, व्यवसाय, पैसा और सेहत हर कोई चाहता है, लेकिन हर किसी को नसीब हो यह मुमकिन नहीं है। क्योंकि समय और परिस्थितियां हर वक्त एक जैसी नहीं होती है। इनमें उतार-चढ़ाव होता रहता है। अगर आपके मन में यह सवाल है कि क्या साल 2019 में मेरी नौकरी लगेगी, इंक्रीमेंट होगा? क्या मुझे अपार धन लाभ होगा, मेरी सेहत अच्छी रहेगी? क्या इस साल विवाह के योग बनेंगे? इन सभी सवालों का जवाब 2019 त्रिकाल संहिता में आपको मिलेगा।
  • राज योग और भाग्योदय- जीवन में कर्म और भाग्य के बल पर अक्सर आदमी बुलंदियों पर पहुंचता है। मेहनत और संघर्ष के साथ कर्म हर व्यक्ति करता है लेकिन भाग्य का साथ कब मिलेगा? यह जानना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन भाग्योदय होने की संभावना कब बनेगी, इसका पता ज्योतिष शास्त्र की मदद से मिल सकता है। दरअसल हर कुंडली में ग्रह और नक्षत्र विशेष परिस्थितियों में राज योग और विशेष योग का निर्माण करते हैं और इनके प्रभाव से मनुष्य का भाग्य चमकता है व उससे अपार सफलता मिलती है। 2019 त्रिकाल संहिता में आपको कुंडली में बनने वाले विभिन्न राज योगों की जानकारी मिलेगी।
  • 2019 में सफलता के महाउपाय- जीवन में सफलता और असफलता दोनों हमें मिलती है। हमारी हमेशा यह कोशिश रहती है कि जीवन में परेशानियों का अंत हो और कामयाबी मिले। वैदिक ज्योतिष में मनुष्य की हर समस्या और सफलता के लिए समाधान व उपाय बताये गये हैं। 2019 त्रिकाल संहिता में नौकरी, शिक्षा, व्यवसाय, करियर, विवाह, प्रेम व पारिवारिक जीवन आदि के लिए प्रभावी उपाय दिये गये हैं। 
  • 2019 के लिए चमत्कारिक टोटके- कभी-कभी कुछ चीजें मनुष्य का भाग्य बदल सकती है। आपने अक्सर सुना होगा कि इस दिन इस रंग के कपड़े पहनें, इस दिशा में जाएं तो आपको सफलता मिलेगी। सुनने में यह थोड़ा अजीब लग सकता है लेकिन वैदिक ज्योतिष में इन बातों का जिक्र है। इसी कड़ी में 2019 त्रिकाल संहिता में आप पाएंगे इस साल आपके लिए कौन सी दिशा, दिन, अंक, रत्न और धातु आदि लाभकारी या भाग्यशाली साबित होंगे। इनकी मदद से आप विभिन्न कार्यों में सफलता सुनिश्चित करने के लिए रणनीति बना सकते हैं।

2019 में क्या करें और क्या न करें

यदि हमें यह पता चल जाए एक छोटी सी समस्या या भूल आगे चलकर हमारे लिए बड़ी मुसीबत का कारण बन सकती है। तो स्वभाविक है कि हम ऐसी गलती नहीं करेंगे और सावधान रहेंगे। इन बातों को ध्यान में रखकर 2019 त्रिकाल संहिता में भविष्यफल के साथ-साथ कुछ ऐसे उपाय और सुझाव दिये गये हैं। जो आपको भविष्य में किसी बड़ी मुसीबत से बचा सकते हैं। साथ ही इन उपाय और सुझावों की मदद से आप साल 2019 को सफल और समृद्ध बना सकते हैं। ये सभी उपाय और सुझाव वैदिक ज्योतिष की प्राचीन पद्धतियों पर आधारित हैं, जो कि असरदार व प्रभावी होते हैं। इसमें विवाह, शिक्षा, नौकरी और व्यवसाय आदि से संबंधित समस्याओं के प्रभावी उपाय दिये गये हैं।

वर्ष शक्ति: आपके भविष्यफल का मूल्यांकन

विस्तार से आपके जीवन के विभिन्न पहलुओं के विश्लेषण के बाद ज्योतिषीय नज़रिये से साल 2019 आपके लिए कैसा रहेगा? इस बात का उत्तर 2019 त्रिकाल संहिता में वर्ष शक्ति के रूप में मिलेगा। वर्ष शक्ति में साल 2019 के संपूर्ण ज्योतिष फलादेश का विश्लेषण होगा। जो आपको यह बताएगा कि यह साल आपके लिए कितना सफल और समृद्ध सिद्ध होगा। इसकी मदद से आप आने वाले समय की रणनीतियां बनाने में सक्षम होंगे।

2019 त्रिकाल संहिता 100 से अधिक विद्वान ज्योतिषियों के मतों से तैयार एक विस्तृत कुंडली आधारित वार्षिक भविष्यफल है। जिसमें आपके जीवन के हर पहलू पर बड़ी ही बारीकी से चर्चा की गई है। साल के 12 महीनों में करियर, नौकरी, व्यवसाय, शिक्षा, विवाह, परिवार और स्वास्थ्य में होने वाले उतार-चढ़ाव का विश्लेषण किया गया है, अतः 2019 त्रिकाल संहिता निश्चित रूप से आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगी।

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एस्ट्रोसेज का पहला रीटेल आउटलेट शुरू

अब ऑफ लाइन खरीदारी का भी उठाएँ लाभ! नोएडा में दुनिया की #1 ज्योतिष वेबसाइट एस्ट्रोसेज डॉटकॉम के रीटेल स्टोर “गैलेक्सी एस्ट्रोसेज” का शुभारंभ। ऑनलाइन माध्यम के साथ-साथ अब एस्ट्रोसेज की ज्योतिषीय सेवाएँ और उत्पाद रीटेल सेक्टर में भी उपलब्ध होंगे।


दुनिया की # 1 ज्योतिष वेबसाइट एस्ट्रोसेज ने रीटेल सेक्टर में अपना पहला कदम रखा है। अपने नए रीटेल आउटलेट “गैलेक्सी एस्ट्रोसेज” के साथ कंपनी अब खुदरा बाज़ार में उतर चुकी है। इसके साथ ही ऑनलाइन माध्यम के साथ-साथ एस्ट्रोसेज की ज्योतिषीय सेवाएँ और उत्पाद अब रीटेल सेक्टर में भी उपलब्ध होंगे। लोगों की ज्योतिषीय और धार्मिक ज़रूरतों को ध्यान में रखकर तैयार किए गए इस नए आउटलेट का उद्घाटन 27 अक्टूबर 2018 को केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने नोएडा में किया है।

“गैलेक्सी एस्ट्रोसेज” में क्या पाएंगे आप ?


गैलेक्सी एस्ट्रोसेज आउटलेट में ज्योतिषीय परामर्श, पूजा-पाठ आदि से लेकर रत्न-रुद्राक्ष, यंत्र, माला, फ़ेंगशुई और वास्तु आदि सभी से जुड़ी सुविधाएँ और उत्पाद मुहैया कराए जाएंगे। यहाँ ज्योतिष, धर्म और अध्यात्म से संबंधित सामग्री व परामर्श सभी-कुछ प्राप्त किया जा सकेगा। इसके अलावा वे सभी सेवाएं जो अब तक आप ऑनलाइन माध्यम से प्राप्त करते आए हैं, वे सभी सेवाएं और उत्पाद अब आपको गैलेक्सी एस्ट्रोसेज पर मिल सकेगी।

“गैलेक्सी एस्ट्रोसेज” देश के रीटेल सेक्टर पर नज़र

रीटेल सेक्टर में उतरने के इस क़दम के पीछे की सोच को समझाते हुए एस्ट्रोसेज के संस्थापक पुनीत पाण्डे ने बताया, “हम देश भर में 2019 के अन्त तक इस तरह के 50 आउटलेट खोलने जा रहे हैं। यह 30 बिलियन डॉलर का बाज़ार है और अभी भी पूरी तरह असंगठित है। चूँकि इस बाज़ार में हमारी उपस्थिति सबसे बड़ी है, इसलिए हमारे लिए लाज़मी है कि हम इसी दिशा में आगे बढ़ें और मौक़े का भरपूर फ़ायदा उठाएँ।”

केंद्रीय संस्कृति मंत्री डॉ. महेश शर्मा ने एस्ट्रोसेज गैलेक्सी आउटलेट का उद्घाटन किया और एस्ट्रोसेज की पूरी टीम शुभकामनाएं दी। 

एस्ट्रोसेज के रीटेल प्रमुख डीडी तिवारी इस बारे में और रोशनी डालते हुए बताते हैं, “हम पहले से ही ज्योतिष की सबसे बड़ी वेबसाइट हैं। साथ ही हमने हाल में मोबाइल पर 15 मिलियन ऑर्गेनिक डाउनलोड्स का पड़ाव पार किया है। लेकिन भारत बहुत बड़ा देश है और यहाँ ऐसे बहुत-से लोग हैं जिन्हें सिर्फ़ ऑनलाइन रहकर नहीं छुआ जा सकता है। एस्ट्रोसेज की यह रीटेल चेन उन लोगों की पहुँच में होगी जो अपनी मेहनत की कमाई ख़र्च करने से पहले चीज़ को अपनी आँखों से देखना चाहते हैं। भारत में इस समय जो स्टार्टअप ईकोसिस्टम है, उसके मद्देनज़र ’एस्ट्रोसेज गैलेक्सी’ निश्चित ही विकास का इंजन साबित होगा।”

“गैलेक्सी एस्ट्रोसेज” के माध्यम से हम देश-विदेश के सभी पाठकों को बेहतर उत्पाद और ज्योतिषीय सेवाएँ प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। 

हम आशा करते हैं कि एस्ट्रोसेज का यह प्रयास सभी पाठकों के लिए लाभकारी होगा। आपसे मिलने वाले स्नेह और विश्वास के लिए धन्यवाद!
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साप्ताहिक राशिफल- 29 अक्टूबर से 4 नवंबर 2018

पढ़ें इस सप्ताह की प्रमुख भविष्यवाणियाँ! किन 2 भाग्यशाली राशि वालों की मनेगी ख़ास दिवाली जानिए इस सप्ताह के राशिफल में !
अक्टूबर अंत और नवंबर के शुभारंभ के साथ ही इस सप्ताह का प्रारंभ हो चुका है। यह सप्ताह कर्क और कुंभ राशि वाले जातकों के लिए बेहद खास रहने वाला है। इस अवधि में इन राशि के जातकों को कार्य क्षेत्र में सफलता और आर्थिक तरक्की मिलने का योग बन रहा है। इसके साथ ही जातकों को इस सप्ताह संतान सुख, स्थानांतरण लाभ और पारिवारिक सुख मिलने की भी संभावना है। अन्य राशि के जातकों की बात करें तो उनकें जीवन में इस सप्ताह कई प्रकार के उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे।

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ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से यह सप्ताह महत्वपूर्ण रहने वाला है क्योंकि इस सप्ताह में धनतेरस त्योहार पड़ रहा है। जिसके चलते भी ये सप्ताह कई मायनों में बेहद ख़ास रहने वाला है। ऐसे में एस्ट्रोसेज पर पेश है 29 अक्टूबर से 4 नवंबर तक का साप्ताहिक राशिफल। जिसके माध्यम से आप जान सकते हैं कि आपके लिए कैसे रहेंगे आने वाले 7 दिन और इन दिनों में क्या कुछ होगा खास? क्या नौकरी और बिजनेस में बनेगें परिवर्तन और लाभ के योग, शिक्षा और करियर की दिशा में क्या होगा विशेष? साथ ही पढ़ें पारिवारिक, वैवाहिक और प्रेम जीवन से जुड़ी भविष्यवाणियाँ। इसके अलावा जानें इस सप्ताह की 2 भाग्यशाली राशियां।

यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। जानें चंद्र राशि कैल्कुलेटर से अपनी चंद्र राशि

मेष


राशिफल के अनुसार इस सप्ताह मेष राशि वाले जातकों को कुछ खुशखबरी मिल सकती है। कार्य क्षेत्र में आप अच्छा प्रदर्शन कर पाने में सफल रहेंगे और आप के वरिष्ठ अधिकारियों का आपको पूरा समर्थन मिलेगा...आगे पढ़ें

वृषभ


वृषभ राशि के जातकों को इस सप्ताह अपने अच्छे और सूझबूझ भरे निर्णयों के कारण काफी लाभ होने की संभावना है...आगे पढ़ें

मिथुन


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार मिथुन राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह मिश्रित परिणाम देने वाला रहेगा...आगे पढ़ें


कर्क


कर्क राशि के जातकों को इस सप्ताह कुछ मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त कुछ अनचाही यात्राएं यह सप्ताह आपको करनी पड़ सकती है...आगे पढ़ें

सिंह


इस सप्ताह सिंह राशि के जातक अत्यधिक व्यस्त और ऊर्जावान रहेंगे। आपके अंदर साहस और पराक्रम की वृद्धि होगी और आप किसी भी प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार दिखेंगे...आगे पढ़ें

कन्या


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार कन्या राशि के लोग इस सप्ताह किसी धार्मिक तीर्थ यात्रा अथवा छोटी यात्रा पर जा सकते हैं...आगे पढ़ें

तुला


तुला राशि के लोगों को इस सप्ताह अपने अहम का त्याग करना सबसे आवश्यक होगा। क्योंकि यदि वह ऐसा कर पाने में सफल नहीं हुए तो उन्हें कई मौकों पर निराश होना पड़ेगा...आगे पढ़ें

वृश्चिक


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार वृश्चिक राशि वाले जातकों के लिए यह सप्ताह काफी अच्छा रह सकता है और उन्हें अनेक कार्य में सफलता मिलने से प्रसन्नता मिलेगी...आगे पढ़ें

धनु


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार धनु राशि के जातक यदि सावधानी पूर्वक अपनी दिनचर्या का पालन करेंगे तो स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी बचेंगे और अपने कार्य क्षेत्र में बढ़िया प्रदर्शन कर पाएंगे...आगे पढ़ें


मकर


साप्ताहिक राशिफल के अनुसार मकर राशि वाले लोगों को अपनी ऊर्जा को नियंत्रण में रखना होगा अन्यथा इसके कई दुष्परिणाम आपके सामने आ सकते हैं...आगे पढ़ें

कुंभ


कुंभ राशि के लोगों के लिए साप्ताहिक राशिफल के अनुसार इस सप्ताह स्वास्थ्य पर ध्यान देना सबसे आवश्यक होगा...आगे पढ़ें

मीन


मीन राशि के लोगों के लिए साप्ताहिक राशिफल सामान्य प्रभाव लेकर आया है। इस दौरान आपके कार्यक्षेत्र और पारिवारिक जीवन दोनों में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रह सकती है...आगे पढ़ें

रत्न, यंत्र समेत समस्त ज्योतिषीय समाधान के लिए विजिट करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
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कल सुहागनें मनाएंगी करवा चौथ, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त

कल सुहागनें रखेंगी साल का सबसे मुख्य व्रत ‘करवा चौथ’ जानें इस व्रत की सही विधि, पूजा समय और शुभ मुहूर्त।
करवा चौथ 2018
दिनांक  
27 अक्टूबर, 2018 (शनिवार)
करवा चौथ पूजा मुहूर्त
17:40:34 से 18:47:42 तक
पूजा की अवधि
1 घंटे 7 मिनट
करवा चौथ चंद्रोदय समय
19:55:00
चतुर्थी तिथि आरंभ
18:37 (27 अक्टूबर)
चतुर्थी तिथि समाप्त
16:54 (28 अक्टूबर)
सूचना: उपरोक्त मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में करवा चौथ का मुहूर्त

करवा चौथ का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को देशभर में मनाया जाता है। इस दिन सुहागने अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती है। इसके अलावा कई अविवाहित स्त्रियाँ भी अच्छे वर की कामना के लिए करवा चौथ के इस व्रत को रखती हैं। इस त्योहार को पुराने काल से पूरे उत्तर भारत में ज़ोर-शोर से मनाया जाता रहा है। 


करवा चौथ व्रत का मुहूर्त 


करवा चौथ (Karwa Chauth) दिनांक 27 अक्टूबर 2018, शनिवार को देशभर में मनाया जाएगा। इस त्योहार में महिलाएं पूरा दिन निराजल व्रत रखकर रात्रि में चन्द्रमा के दर्शन के बाद उसे अर्ध्य देकर पूरे विधि-विधान के साथ अपना व्रत खोलती हैं। वर्ष 2018 में करवा चौथ के दिन संकष्टी गणेश चतुर्थी भी है। इस कारण इस साल यह पर्व और शुभ हो गया है।


व्रत खोलने का शुभ समय


चंद्रोदय यानी चांद के दिखने का समय कल यानी व्रत वाले दिन, रात्रि 7 बजकर 55 मिनट पर होगा। चांद को अर्घ्य देकर ही महिलाओं के व्रत खोलने से ये व्रत सफल होता है। 


करवा चौथ व्रत की पूजा विधि

  • भोर में सूर्योदय से पहले स्नान आदि करके पूजा घर की सफ़ाई करें। फिर सास द्वारा दिया हुआ भोजन करें जिसे हम सरगी भी कहते हैं। 
  • करवा चौथ के दिन महिलाएं एवं विवाहित स्त्रियाँ सोलह श्रृंगार करती हैं। 
  • इन सोलह श्रृंगारों में माथे पर लंबा सिंदूर होना शुभ माना गया हैं, क्योंकि यह लंबा सिंदूर ही पति की लंबी उम्र का प्रतीक होता है। 
  • मंगलसूत्र, बिंदिया, मांग टीका, नथनी, काजल, कर्णफूल, मेहंदी, कंगन, लाल रंग की चुनरी, बिछिया, पायल, कमरबंद, अंगूठी, बाजूबंद और गजरा ये सभी 16 श्रृंगार में आते हैं।
  • सोलह श्रृंगार कर महिलाएं सज संवर कर चंद्रमा दर्शन के शुभ मुहूर्त में चलनी से पति को देखती हैं।
  • इसके बाद चंद्रमा को अर्ध्य देकर महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं, चंद्रमा को मन और सुंदरता का प्रतीक माना गया है। 
  • हर महिला चंद्रमा के सामने इस दिन सुंदर दिखना चाहती हैं क्योंकि कहा जाता हैं कि ऐसा करने से पति का पत्नी के प्रति आकर्षण बढ़ता है।
  • चंद्रमा निकलने से पहले एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। इसमें 10 से 13 करवे (करवा चौथ के लिए ख़ास मिट्टी के कलश) रखें।
  • पूजन-सामग्री में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि थाली में रखें। दीपक में घी का इस्तेमाल शुभ माना गया है। 
  • चन्द्रमा निकलने के मुहूर्त से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू कर लेनी चाहिए। परिवार की सभी महिलाओं का साथ पूजा करना शुभ माना गया है। 
  • पूजा के दौरान करवा चौथ कथा ध्यानपूर्वक सुनें या सुनाएँ।
  • चन्द्र-दर्शन के बाद हर बहू अपनी सास को थाली में सजाकर मिठाई, फल, मेवे, रूपये आदि देकर उनका आशीर्वाद ले, ऐसा करने से पति को लम्बी आयु मिलती है। 

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त: 

शाम 05 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 47 मिनट तक

एस्ट्रोसेज.कॉम की ओर से आपको करवा चौथ की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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बुध का वृश्चिक राशि में गोचर कल, जानें प्रभाव

इन राशि वाले लोगों को रहना होगा सावधान! पढ़ें बुध के वृश्चिक राशि में गोचर का राशिफल और जानें आपके जीवन पर होने वाला असर।


बुध ग्रह 26 अक्टूबर को राशि परिवर्तन करने जा रहा है। बुध ग्रह जिसे युवराज ग्रह भी कहते हैं उसे बुद्धि, वाणी, गणित और सांख्यिकी का कारक माना जाता है। इसलिए इसके गोचर का प्रभाव हर राशि जातक पर देखने को मिलेगा। ज्योतिषीय शास्त्रों के अनुसार बुध ग्रह की ये विशेषता है कि यह शुभ ग्रहों के साथ रहने पर शुभ और अशुभ ग्रहों के संपर्क में आने पर अशुभ प्रभाव डालता है। जब बुध सूर्य से युति करता हैं तब बुधादित्य योग का निर्माण होता है, जिसके प्रभाव से जातक के जीवन में तरक्की और सफलता मिलने की संभावना भी बढ़ जाती है। ये भी देखा गया हैं कि बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी होता है। जहाँ सूर्य, शुक्र और राहु बुध के मित्र ग्रह है। तो वहीं चंद्रमा की बुध से शत्रुता होती है। इसके साथ ही भगवान गणेश बुध ग्रह के देवता माने जाते हैं।

गोचर का समय 


हिन्दू पंचांग के अनुसार बुध ग्रह 26 अक्टूबर 2018, शुक्रवार की रात्रि को 8:55 बजे वृश्चिक राशि में गोचर करेगा जो 1 जनवरी 2019, मंगलवार सुबह 10:00 बजे तक इसी राशि में स्थित रहेगा। आइये जानते हैं बुध ग्रह के इस गोचर से हर राशि पर इसका कैसा प्रभाव पड़ेगा:-


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। जानें चंद्र राशि कैल्कुलेटर से अपनी चंद्र राशि

मेष

बुध ग्रह के गोचर से इस राशि के जातकों की आर्थिक स्थिति पहले से मज़बूत होगी। यदि लोन लेने की योजना बना रहे हैं तो इस दौरान आपको सफलता मिल सकती है…आगे पढ़ें

वृषभ

बुध ग्रह के गोचर काल के दौरान इन लोगों के निजी जीवन में प्रेम व आपसी सद्भाव बना रहेगा। प्यार भरी बातों से प्रेम संबंधों में और भी ज़्यादा मज़बूती आएगी…आगे पढ़ें

मिथुन

बुध के गोचर की अवधि में जातकों का स्वास्थ्य कमज़ोर पड़ सकता है, इसलिए सेहत के मामले में अनदेखी न करें। बहस और विवाद में आपका ध्यान केंद्रित हो सकता है…आगे पढ़ें

कर्क

बुध के गोचर के चलते कर्क राशि वाले कोई बड़ा संकल्प ले सकते हैं। संवाद शैली पहले से बेहतर होगी और आप बुद्धिमानी व समझदारी से काम लेंगे…आगे पढ़ें

सिंह

बुध के गोचर से आपके जीवन में खुशहाली व समृद्धि आएगी। घरेलू गतिविधियों में वक्त बिताकर परिवार वालों को खुश करेंगे…आगे पढ़ें

कन्या

इस गोचर के दौरान आप अपने जुनून व संकल्प को लेकर ज़्यादा गंभीर हो जाएंगे। संवाद शैली बेहतर होगी किंतु क्रोध पर काबू रखें…आगे पढ़ें
तुला

इस गोचर से आपकी वाणी में मिठास आएगी और अपनी बातों से दूसरों को आकर्षित कर सकेंगे…आगे पढ़ें

वृश्चिक

बुध आपकी राशि में गोचर करेगा और लग्न भाव यानि प्रथम भाव में स्थित रहेगा। इस दौरान आपका ध्यान आय के स्रोत को बढ़ाने पर रहेगा जिससे कई आर्थिक लाभ भी होंगे…आगे पढ़ें

धनु

गोचर की इस अवधि में आपके ख़र्चे बहुत बढ़ जाएंगे। बिजनेस या फिर व्यावसायिक मामलों के लिए आप विदेश की ओर रुख कर सकते हैं…आगे पढ़ें

मकर

बुध के गोचर से आपके द्वारा किए गए प्रयास सफल होंगे। अपने लक्ष्यों को पूरा करने की लालसा बढ़ेगी और आप उस राह पर सकारात्मक भाव से आगे बढ़ेंगे…आगे पढ़ें

कुंभ

बुध के गोचर करने से इस राशि जातकों के करियर में उतार-चढ़ाव आते रहेंगे हालांकि आप अपनी बुद्धि व समझदारी के बल पर कार्यों में सफलता हासिल कर लेंगे…आगे पढ़ें

मीन

बुध के गोचर करने से आप अपने साथी के जरिए समाज में इज्जत हासिल करेंगे और आर्थिक लाभ का फायदा भी उठाएंगे…आगे पढ़ें

एस्ट्रोसेज की ओर से आप सभी को शुभकामनाएँ!

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शरद पूर्णिमा कल, जानें महत्व

जानें इस दिन व्रत रखने से होने वाले लाभ। पढ़ें शरद पूर्णिमा का पौराणिक महत्व और व्रत की पूजा विधि। 


शरद पूर्णिमा का पुराने समय से हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण स्थान रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ये माना गया है कि धन की देवी मां लक्ष्मी का जन्म इसी दिन हुआ था। इसके अलावा भगवान कृष्ण ने भी वृन्दावन में गोपियों संग निधिवन में इसी दिन रास रचाया था। शायद इसलिए ही इस पूर्णिमा को कोजागर पूर्णिमा, रास पूर्णिमा, और कौमुदी व्रत के नाम से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा यानि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी का पूजन किया जाना शुभ माना जाता है, जिसके लिए कोजागरा व्रत करने का विशेष महत्व है। कहते हैं इस ख़ास दिन चंद्रमा की किरणों में अमृत भर जाता है और ये किरणें हर प्राणी के लिए अमृत के समान लाभदायक होती हैं।


शरद पूर्णिमा मुहूर्त 2018
अक्टूबर 23, 2018 को 22:38:01 से पूर्णिमा आरम्भ
अक्टूबर 24, 2018 को 22:16:44 पर पूर्णिमा समाप्त

सूचना: उपरोक्त मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में शरद पूर्णिमा का मुहूर्त

शरद पूर्णिमा 2018 शुभ मुहूर्त 


  • वर्ष 2018 में शरद पूर्णिमा 24 अक्‍टूबर को घटित हो रही है और यह 23 अक्टूबर रात से ही शुरू हो जाएगी। 
  • इस दिन चावलों की खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे कुछ घंटे तक रखने और देर रात 12 बजे के बाद खाने की पुरानी परंपरा चली आ रही है। 
  • ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस वर्ष शरद पूर्णिमा के लिए पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 23 अक्टूबर को रात 10:38 पर होगी जो 24 अक्टूबर रात 10:14 बजे समाप्त हो जायेगी। 

शरद पूर्णिमा व्रत कथा 


हिन्दू धर्म के अनुसार पुराने समय में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को खुश करने के लिए एक साहूकार की दोनों बेटियां हर पूर्णिमा को व्रत किया करती थीं। दोनों बहनों में से जहाँ बड़ी बहन पूर्णिमा का व्रत पूरे विधि-विधान से करती थी। वहीं छोटी बहन व्रत तो करती थी लेकिन वो अक्सर नियमों को आडंबर मानकर उनकी अनदेखी कर बैठती थी। विवाह योग्य होने पर साहूकार ने अपनी दोनों बेटियों का विवाह कर दिया। विवाह के कुछ समय बाद दोनों के घर संतानों ने जन्म लिया. बड़ी बेटी के घर स्वस्थ संतान का जन्म हुआ तो वहीं छोटी बेटी के घर संतान जन्म तो लेती परन्तु पैदा होते ही दम तोड़ देती थी।

ऐसा दो-तीन बार हुआ तब जाकर उसने एक ब्राह्मण को सलाह के लिए बुलाया और अपनी व्यथा कहते हुए उससे धार्मिक उपाय पूछा। छोटी बेटी की पूरी बात सुनकर ब्राह्मण ने उससे कहा कि तुम पूर्णिमा का अधूरा व्रत करती हो, इस कारण तुम्हारा व्रत कभी सफल नहीं हुआ और तुम्हें अधूरे व्रत का दोष भी लगता है। ब्राह्मण की बात सुनकर छोटी बेटी ने उस वर्ष पूर्णिमा व्रत पूरे विधि-विधान से करने का निर्णय लिया, लेकिन पूर्णिमा आने से पहले ही उसने एक बेटे को जन्म दिया और उस बालक ने भी जन्म लेते ही दम तोड़ दिया। बालक की मृत्यु होने पर छोटी बेटी ने बेटे के शव को एक पीढ़े पर रख कर उसपर कपड़ा ढक दिया ताकि किसी को पता न चले।


फिर उसने अपनी बड़ी बहन को अपने घर आमंत्रित किया और बैठने के लिए उसे वही पीढ़ा दे दिया। जैसे ही बड़ी बहन उस पीढ़े पर बैठने लगी, उसकी साड़ी का किनारा बच्चे को छू गया और वह जीवित होकर तुरंत रोने लगा। ये सब देख बड़ी बहन डर गई और छोटी बहन पर क्रोधित होकर बोलने लगी कि, क्या तुम मुझ पर बच्चे की हत्या का दोष और कलंक लगाना चाहती हो! मेरे बैठने से यह बच्चा मर जाता तो? 

ख़ुशी से रोते हुए छोटी बहन ने उत्तर दिया, दीदी यह बच्चा पहले से मरा हुआ था। तुम्हारे तप और स्पर्श के कारण ही यह जीवित हो गया है। तुम जो व्रत पूर्णिमा के दिन करती हो, उसके कारण तुम दिव्य तेज से परिपूर्ण और पवित्र हो चुकी हो। अब मैं भी तुम्हारी ही तरह पूरी विधि के साथ व्रत और पूजन करूंगी। इसके बाद बड़ी बहन की तरह ही छोटी बहन ने भी पूर्णिमा व्रत विधि पूर्वक किया और इस व्रत के महत्व और फल का पूरे नगर में प्रचार किया।



शरद पूर्णिमा व्रत का महत्व 


  • हिन्दू धर्म के अनुसार शरद पूर्णिमा का मुहूर्त अनुसार विधि-विधान पूर्वक व्रत रखने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है जिससे व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं। 
  • चूंकि इसे कौमुदी व्रत भी कहा जाता है इसलिए ये माना गया हैं कि इस दिन जो विवाहित स्त्रियां व्रत रखती है उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। 
  • साथ ही अगर कोई माँ इस व्रत को विधि अनुसार अपने बच्चे के लिए करें तो उसकी संतान की आयु लंबी होती है। 
  • जो कोई भी कुंवारी कन्या इस त को रखती हैं तो उसे भी सुयोग्य और उत्तम वर की प्राप्ति होती है। 
  • माना गया हैं कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा किसी भी दिन के मुकाबले सबसे ज्यादा चमकीला होता है। इस दिन आसमान से अमृत बरसता है। 
  • शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों का तेज बहुत होता है जिससे आपकी आध्यात्मिक और शारीरिक शक्तियों का विकास होता है। 
  • शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों में असाध्य रोगों को दूर करने की क्षमता भी होती है। 

शरद पूर्णिमा व्रत विधि


  • शरद पूर्णिमा के दिन सुबह इष्ट देव का पूजन करना शुभ होता है। 
  • इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का पूजन करके घर में घी के दीपक जलाकर पूजन करना चाहिए। 
  • इस दिन ब्राह्मणों को खीर का भोजन कराकर उन्हें दान दक्षिणा प्रदान करनी चाहिए।
  • माँ लक्ष्मी को खुश करने के लिए इस व्रत को विशेष रुप से किया जाता है। इस दिन सच्चे भाव से भजन-कीर्तन करके आप धन-संपत्ति में वृद्धि देख सकते है। 
  • पूर्णिमा का व्रत करके रात को चन्द्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही भोजन करना चाहिए।
  • इस दिन मंदिर में खीर आदि दान करके व्रत को सफल बना सकते है। 
  • कई लोग शरद पूर्णिमा के दिन गंगा व अन्य पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाते हैं। इस दौरान स्नान-ध्यान के बाद गंगा घाटों पर ही दान-पुण्य करना शुभ होता है। 

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं !


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साप्ताहिक राशिफल- 22 से 28 अक्टूबर 2018

यह सप्ताह मेष, वृषभ, मिथुन, तुला, धनु और कुंभ राशि के जातकों के लिए शुभ संकेत दे रहा है। इस अवधि में करियर, नौकरी, व्यवसाय, शिक्षा, प्रेम और पारिवारिक जीवन आदि क्षेत्रों में इन राशि के जातक आनंद का अनुभव करेंगे और उन्हें शुभ समाचारों की प्राप्ति होगी।


इस सप्ताह 26 अक्टूबर को बुध ग्रह वृश्चिक राशि में गोचर करेगा। इस दौरान बुध वृश्चिक राशि में आकर गुरु के साथ एकराशि संबंध बनाएगा। इस गोचर का प्रभाव सभी राशियों पर देखने को मिलेगा। वहीं इसके प्रभाव से घी, तेल, सोना-चांदी के भाव में घटा-बढ़ी के बाद तेजी बनेगी। यह सप्ताह महिला जातकों के लिए खास रहने वाला है। क्योंकि 27 अक्टूबर को महिलाएँ सुखद और सफल दाम्पत्य जीवन के लिए करवा चौथ का व्रत रखेंगी।


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। जानें चंद्र राशि कैल्कुलेटर से अपनी चंद्र राशि

मेष


मेष राशि के जातकों को इस सप्ताह किसी सुदूर यात्रा पर जाना पड़ सकता है। कार्यक्षेत्र में आपका दबदबा कायम रहेगा और साथ ही साथ अच्छी आमदनी प्राप्त होगी...आगे पढ़ें

वृषभ


वृषभ राशि के जातकों को इस सप्ताह किसी प्रकार की खुशी मिल सकती है और उनकी कोई मनचाही इच्छा पूरी हो सकती है...आगे पढ़ें

मिथुन


मिथुन राशि के जातकों का यह सप्ताह आनंद में व्यतीत होगा और आप अपने दोस्तों और परिजनों के साथ अच्छा समय बिताएंगे...आगे पढ़ें

कर्क


कर्क राशि के लोगों को थोड़ा धैर्य का परिचय देना होगा। क्योंकि इस सप्ताह वह कुछ मानसिक रूप से परेशान रह सकते हैं...आगे पढ़ें

सिंह


सिंह राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह मिश्रित परिणाम देते हुए नज़र आ रहा है। आपके पारिवारिक जीवन में शांति आएगी...आगे पढ़ें

कन्या


कन्या राशि के लोगों को इस सप्ताह अच्छे अवसर प्राप्त होंगे और इस दौरान आप स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद लेंगे...आगे पढ़ें


तुला


तुला राशि के लोगों के लिए यह सप्ताह काफी अच्छा रहने की संभावना है। इस दौरान आप काफी खुश रहेंगे और वह खुशी आपको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करेगी...आगे पढ़ें

वृश्चिक


वृश्चिक राशि के लोग इस सप्ताह अपनी सुख सुविधाओं और मनोरंजन के साधनों पर अधिक खर्च कर सकते हैं...आगे पढ़ें

धनु


धनु राशि के जातक इस सप्ताह धर्म-कर्म के मामलों में अधिक व्यस्त रह सकते हैं। आपकी आमदनी में जबरदस्त वृद्धि होगी...आगे पढ़ें

मकर


मकर राशि के जातकों को इस सप्ताह ना केवल अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा बल्कि अपने स्वभाव और व्यवहार पर भी नियंत्रण रखने की आवश्यकता होगी...आगे पढ़ें

कुंभ


कुंभ राशि के जातकों को अनेक प्रकार के लाभ मिल सकते हैं तथा यात्राओं के माध्यम से भी उन्हें खुशी के साथ-साथ धन लाभ हो सकता है...आगे पढ़ें

मीन


मीन राशि के जातकों को इस सप्ताह अपने कार्यस्थल पर अधिक मेहनत करनी होगी। इस बात का ध्यान रखें कि आप के वरिष्ठ अधिकारी काफी सख्त रवैया अपनाएंगे...आगे पढ़ें

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विजयादशमी आज, जानें विजय मुहूर्त

इस मुहूर्त में पूजन से मिलेगी विजय और सफलता! पढ़ें आज 19 अक्टूबर को मनाये जा रहे विजयादशमी पर्व का महत्व और उससे जुड़ी पौराणिक कथाएँ।


आज देशभर में विजयादशमी का त्यौहार मनाया जा रहा है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। शारदीय नवरात्रि के समापन के बाद शुक्ल पक्ष की दशमी पर दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था, इसलिए इस पर्व को विजयादशमी कहा गया है। दशहरे के अवसर पर शस्त्र पूजा का भी विधान है। इसी वजह से इस दिन अस्त्र-शस्त्र यानि हथियारों की पूजा की जाती है। दशहरा साल के शुभ दिनों में से एक है, ऐसा कहा जाता है कि इस दिन यदि शुभ मुहूर्त में कोई कार्य किया जाये तो इसका विशेष पुण्य फल प्राप्त होता है। विजयादशमी से पूर्व ही नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र का समापन दुर्गा विसर्जन के साथ होता है। दुर्गा विसर्जन का मुहूर्त प्रात:काल या अपराह्न काल में विजयादशमी तिथि लगने पर शुरू होता है। इसलिए प्रात:काल या अपराह्न काल में जब विजयादशमी तिथि व्याप्त हो, तब मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाना चाहिए। देखें: दुर्गा विसर्जन मुहूर्त


विजयादशमी मुहूर्त 2018
विजय मुहूर्त14:00:02 बजे से 14:45:38 बजे तक
अपराह्न पूजा का समय13:14:26 बजे से 15:31:14 बजे तक

सूचना: तालिका में दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में विजयादशमी पूजा का मुहूर्त व पूजा विधि

दशहरा पर विजय मुहूर्त


विजयादशमी का दिन साल के सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। यह साढ़े तीन मुहूर्त में से एक है। साल का सबसे शुभ मुहूर्त - चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्विन शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया, एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (आधा मुहूर्त) है। यह अवधि किसी भी काम की शुरूआत करने के लिए उत्तम है। हालाँकि कुछ निश्चित मुहूर्त किसी विशेष पूजा के लिए भी हो सकते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि जब सूर्यास्त होता है और आसमान में कुछ तारे दिखने लगते हैं तो यह अवधि विजय मुहूर्त कहलाती है। इस समय में पूजा या कार्य करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। भगवान श्रीराम ने दुष्ट रावण को हराने के लिए युद्ध इसी मुहुर्त में प्रारंभ किया था। इसी समय शमी नामक पेड़ ने अर्जुन के गाण्डीव नामक धनुष का रूप लिया था। 

दशहरा पूजा एवं महोत्सव


दशहरे पर अपराजिता पूजन करने का विधान है, जिसे अपराह्न काल में किया जाता है। इस पूजा की विधि इस प्रकार है-

1. घर से पूर्वोत्तर की दिशा में कोई पवित्र और शुभ स्थान को चिन्हित करें। यह स्थान किसी मंदिर, गार्डन आदि के आस-पास भी हो सकता है। अच्छा होगा यदि घर के सभी सदस्य पूजा में शामिल हों, हालाँकि यह पूजा व्यक्तिगत भी हो सकती है।

2. उस स्थान को स्वच्छ करें और चंदन के लेप के साथ अष्टदल चक्र (आठ कमल की पंखुडियाँ) बनाएँ। 

3. अब यह संकल्प लें कि देवी अपराजिता की यह पूजा आप अपने या फिर परिवार के ख़ुशहाल जीवन के लिए कर रहे हैं।

4. उसके बाद अष्टदल चक्र के मध्य में अपराजिताय नमः मंत्र के साथ माँ देवी अपराजिता का आह्वान करें।

5. अब माँ जया को दायीं ओर क्रियाशक्त्यै नमः मंत्र के साथ आह्वान करें।

पूजा विधि विस्तार से पढ़ने के लिए क्लिक करें


दशहरे से जुड़ी पौराणिक कथाएँ


धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माँ दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस के साथ नौ दिनों तक युद्ध किया था और दसवें दिन अर्थात आज ही के दिन माँ ने उस राक्षस का संहार कर समस्त सृष्टि की रक्षा की थी। इसके अलावा त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने लंकापति पापी रावण का वध किया था इसलिए इस पर्व का नाम दशहरा पड़ा और तभी से दस सिरों वाले रावण के पुतले को हर साल दशहरा के दिन प्रतीक के रूप में जलाया जाता है ताकि हम अपने अंदर के क्रोध, लालच, भ्रम, नशा, ईर्ष्या, स्वार्थ एवं अहंकार आदि को नष्ट कर सकें।

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को विजयादशमी पर्व की शुभकामनाएँ! 

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नवरात्रि नवमी पूजन आज, जानें पारण मुहूर्त

पढ़ें माँ सिद्धिदात्री की महिमा और महत्व! आज 18 अक्टूबर को मनाया जा रहा है नवरात्रि नवमी पूजन, जानें पारण का मुहूर्त और अगले दिन होने वाले दुर्गा विसर्जन का समय।


आज शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि और यह नवरात्र के समापन का दिन है। नवमी के अवसर पर आज देशभर के दुर्गा पंडालों और घरों में माँ दुर्गा की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। नवरात्रि की नवमी पर देवी दुर्गा के माँ सिद्धिदात्री रूप की जाती है। आज नवमी पर कई जगहों पर भंडारे और कन्या पूजन का आयोजन होता है। आइये जानते हैं नवरात्रि की नवमी तिथि का महत्व, पारण का मुहूर्त और 19 अक्टूबर को दुर्गा विसर्जन का समय।


शारदीय नवरात्रि पारण मुहूर्त
18 अक्टूबर 2018, गुरुवार15:30:41 के बाद से
दुर्गा विसर्जन मुहूर्त
19 अक्टूबर 2018, शुक्रवार06:24:02 से 08:40:50 तक
अवधि 2 घंटे 16 मिनट

सूचना: उपरोक्त समय नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में पारण मुहूर्त और दुर्गा विसर्जन का समय 

माँ सिद्धिदात्री


माँ सिद्धिदात्री का शाब्दिक अर्थ है सिद्धि को देने वाली। यह माँ दुर्गा का नौवाँ और अंतिम रूप है। देवी का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है। यदि कोई साधक पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से माँ के इस रूप की आराधना करता है तो उसकी सारी साधनाएं सिद्ध होती हैं और यदि किसी भक्त पर इनकी कृपा हो जाए तो वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। नवमी तिथि को दुर्गा महानवमी पूजा होती है। इस दिन विशेष हवन किया जाता है और हवन में सभी देवी-देवताओं के लिए आहुति दी जाती है।



नवरात्रि पारण 


शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि पारण दशमी तिथि को किया जाता है। पारण मुहुर्त में नौ दिनों तक चलने वाले व्रत को विधि-विधान से खोला जाता है। पारण के बाद ब्राह्मणों को फल, उपहार, वस्त्र, दान-दक्षिणा आदि दी जाती है, साथ ही 9 कन्याओं को भी ये वस्तुएं कन्या पूजन के बाद देनी चाहिए।

सिंदूर उत्सव


दुर्गा पूजा के समय सिंदूर उत्सव पश्चिम बंगाल में मनाई जाने वाली एक अनोखी परंपरा है। सिंदूर उत्सव को सिंदूर खेला भी कहते हैं। विजयादशमी के दिन दुर्गा विसर्जन से पहले सिंदूर खेला की रस्म निभाई जाती है। इस अवसर पर विवाहित महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और शुभकामनाएं देती हैं। 

दुर्गा विसर्जन


दुर्गा पूजा उत्सव का समापन दुर्गा विर्सजन के साथ होता है। दुर्गा विसर्जन का मुहूर्त प्रात:काल या अपराह्न काल में विजयादशमी तिथि लगने पर शुरू होता है इसलिए प्रात: काल या अपराह्न काल में जब विजयादशमी तिथि व्याप्त हो, तब मॉं दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाना चाहिए।

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को दुर्गा नवमी की शुभकामनाएँ!

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नवरात्रि अष्टमी पूजन आज, जानें महत्व

इस मुहूर्त में करें माता महागौरी की पूजा! पढ़ें नवरात्रि पर अष्टमी पूजन का महत्व और इस दिन किये जाने वाले धार्मिक कर्म।


नवरात्रि में अष्टमी पूजन का बड़ा महत्व है। इस दिन देवी दुर्गा के महागौरी स्वरुप की पूजा की जाती है। हिन्दू धर्म से संबंधित विभिन्न समुदायों में नवरात्रि के अष्टमी पूजन का विशेष विधान है। हर परिवार में नवरात्रि पर अष्टमी पूजन अपनी कुल परंपराओं के अनुसार होता है। नवरात्रि के अष्टमी पूजन पर कई धार्मिक अनुष्ठान और अपनी कुल परंपराओं के अनुसार मुंडन, अन्नप्राशन संस्कार और गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य भी किये जाते हैं। शारदीय नवरात्रि 2018 में अष्टमी पूजन आज यानि 17 अक्टूबर को किया जा रहा है।



नवरात्रि अष्टमी पूजा मुहूर्त
16 अक्टूबर 201810:18:29 से अष्टमी तिथि आरम्भ
17 अक्टूबर 201812:51:47 पर अष्टमी समाप्त

सूचना: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में अष्टमी पूजा का मुहूर्त

विशेष : नवमी तिथि 17 अक्टूबर को 12:51:47 के बाद प्रारम्भ होगी और 18 अक्टूबर को दोपहर बाद 15:30:41 तक उपस्थित रहेगी। इस कारण नवमी की पूजा 18 अक्टूबर 2018 को करनी चाहिए। 

माता महागौरी की आराधना


महागौरी देवी माँ दुर्गा का आठवाँ रूप हैं। यह माँ दुर्गा का बेहद शांत एवं निर्मल स्वरूप है। वृषभ इनका वाहन है। सच्चे मन से यदि माँ की उपासना की जाए तो यह भक्तों के हर कष्ट को दूर करती हैं। मान्यता है कि माँ पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए महागौरी का जन्म लिया था। इसके लिए उन्होंने कड़ी तपस्या की थी। इस कड़े तप के कारण माँ पार्वती का रंग काला हो गया था। उसके बाद शिव जी उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए और गंगा के पवित्र जल से स्नान कराया जिसके बाद देवी का रंग गोरा हो गया। तब से उन्हें महागौरी कहा जाने लगा।

विस्तार से पढ़ें: माता महागौरी की महिमा


अष्टमी पर कन्या पूजन का महत्व


नवरात्रि की अष्टमी को कन्या पूजा का बड़ा महत्व है। इस दिन विशेष रूप से कन्याओं की पूजा की जाती है। 2 से लेकर 10 वर्ष तक की आयु वाली कन्याओं को बुलाकर उनका पूजन और उन्हें भोजन व दक्षिणा देना चाहिए। मान्यता है कि कन्या के रूप में मॉं दुर्गा के नौ रूपों के पूजन से मॉं प्रसन्न होती हैं और पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।

कुमारी- वे बालिकाएँ जिनकी आयु दो वर्ष की होती हैं। उनका पूजन करने से दुःख और दरिद्रता का नाश होता है।

त्रिमूर्ति- वे बालिकाएँ जिनकी उम्र 3 वर्ष होती है। इनकी पूजा करने से पुत्र और पौत्र की प्राप्ति होती है।

कल्याणी- वे बेटियां जिनकी आयु 4 वर्ष तक होती है, उनका पूजन करने से विद्या और सुख-समृद्धि मिलती है।

रोहिणी- वे बालिकाएँ जिनकी उम्र 5 तक होती है। इनकी पूजा से रोगों का नाश होता है।

कालिका- वे कन्याएं जिनकी आयु 6 वर्ष होती है, उनकी पूजा से शत्रुओं का नाश होता है। 

चण्डिका- वे बालिकाएँ जिनकी आयु 7 वर्ष होती है। इनके पूजन से धन और वैभव की प्राप्ति होती है।

शाम्भवी- वे कन्याएँ जिनकी आयु 8 वर्ष होती है, उनके पूजन से हर क्षेत्र में विजय और सफलता मिलती है।

दुर्गा- 9 वर्ष की उम्र की कन्याओं का पूजन दुर्गा के रूप में किया जाता है। इनकी पूजा के प्रभाव से परलौकिक सुखों की प्राप्ति होती है।

सुभद्रा- 10 वर्ष की आयु वाली कन्याओं को सुभद्रा के रूप में पूजा जाता है। इनके पूजन से हर मनोकामना पूर्ण होती है।

हम आशा करते हैं कि नवरात्रि अष्टमी पूजन पर आधारित यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को नवरात्रि की शुभकामनाएँ!

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साप्ताहिक राशिफल- 15 से 21 अक्टूबर 2018

इन 5 राशि वालों के लिए शानदार रहेगा यह सप्ताह! पढ़ें साप्ताहिक राशिफल और जानें नौकरी, व्यापार, शिक्षा, प्रेम व पारिवारिक जीवन के लिए कैसा रहेगा यह सप्ताह? 


नवरात्रि और दशहरे के बीच का यह सप्ताह इन 5 राशि कर्क, सिंह, कन्या, तुला और वृश्चिक के जातकों के लिए बेहद सुखद रहने वाला है। इस अवधि में इन राशि के लोगों को शुभ समाचार की प्राप्ति होगी। 

धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी यह सप्ताह महत्वपूर्ण रहने वाला है। क्योंकि इस सप्ताह 18 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि का समापन होगा और 19 अक्टूबर को दशहरा मनाया जाएगा। इसके अलावा 17 अक्टूबर को सूर्य राशि परिवर्तन कर तुला राशि में गोचर करेंगे। आज नवरात्रि का छठा दिन है और माँ कात्यायनी की आराधना का दिन है। पढ़ें माँ कात्यायनी की महिमा और पूजा का महत्व। 


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। जानें चंद्र राशि कैल्कुलेटर से अपनी चंद्र राशि

मेष


विजय सप्ताह मेष राशि वालों के लिए खट्टा और मीठा दोनों प्रकार के अनुभव लेकर आएगा। जहां एक और आपके पारिवारिक जीवन में तनाव बढ़ेगा...आगे पढ़ें

वृषभ


वृषभ राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह कुछ चुनौतीपूर्ण रहने वाला है। इस दौरान आप मानसिक रूप से व्याकुल देखेंगे...आगे पढ़ें

मिथुन


मिथुन राशि के लोगों को इस सप्ताह मानसिक तनाव से गुजरना पड़ सकता है। कार्य क्षेत्र में जहां एक और आपको संघर्ष और उपरांत अच्छी सफलता प्राप्त होगी...आगे पढ़ें

कर्क


कर्क राशि के जातकों के लिए इस सप्ताह कुछ खुशखबरी भी है और कुछ बातें कौन है विशेष रुप से ध्यान रखना होगा...आगे पढ़ें

सिंह


इस सप्ताह सिंह राशि के जातकों को संचार कौशल संबंधित मामलों में बेहतर सफलता प्राप्त होगी। कुछ मामलों में आपको शुभ समाचार प्राप्त हो सकते हैं...आगे पढ़ें

कन्या


इस सप्ताह कन्या राशि के जातकों के परिवार में खुशियां आएंगी और परिवार में कोई मांगलिक कार्यक्रम संपन्न होने से घर में उत्सव का माहौल रहेगा...आगे पढ़ें


तुला


इस सप्ताह तुला राशि के जातक काफी प्रसन्न और संतुष्ट दिखाई देंगे और उनकी खुशी उनको हर काम में आगे बढ़ाएगी...आगे पढ़ें

वृश्चिक


वृश्चिक राशि वाले जातक इस सप्ताह मौज मस्ती के लिए कहीं दूर यात्रा पर जा सकते हैं या फिर विदेश यात्रा का प्लान भी कर सकते हैं...आगे पढ़ें

धनु


इस सप्ताह धनु राशि के जातक मानसिक रूप से कुछ कमजोर है सकते हैं और इन्हें किसी की सलाह अथवा किसी के साथ की आवश्यकता पड़ेगी...आगे पढ़ें

मकर


मकर राशि वाले जातकों को इस सप्ताह अपने व्यवहार और अपने स्वास्थ्य दोनों पर समान रूप से ध्यान देना होगा...आगे पढ़ें

कुंभ


कुंभ राशि के जातकों के लिए यह सप्ताह मिश्रित परिणाम देने वाला प्रतीत होता है। इस दौरान आपके अपने पिता से संबंध बेहतर होंगे...आगे पढ़ें

मीन


मीन राशि के जातक इस सप्ताह धर्म-कर्म और पुण्य कार्य में अधिक समय व्यतीत करेंगे और उनके मान-सम्मान में वृद्धि होगी...आगे पढ़ें

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जानें: नवरात्रि के अवसर पर आज ‘माँ कुष्माण्डा’ की पूजा की महिमा
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