राजनाथ की कहानी, ग्रहों की जुबानी। राहु और बुध की माया, राजनाथ जी को अध्यक्ष बनाया।

पंडित हनुमान मिश्रा

वृश्चिक लग्न और वृश्चिक राशि में जन्में राजनाथ सिंह का जन्मकालीन नक्षत्र ज्येष्ठा है। यद्यपि यह एक मूल संज्ञक नक्षत्र है लेकिन इस नक्षत्र का स्वामी बुध है जो एक अच्छा वक्ता और शिक्षक बनाता है यही कारण है कि राजनाथ सिंह अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने से पहले कॉलेज के प्रोफेसर रह चुके हैं। जी हां राजनाथ सिंह ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी विषय में प्रोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की उसके बाद 1971 में केबी डिग्री कॉलेज में वह प्रोफेसर नियुक्त किए गए। प्रोफेसर नियुक्त किए जाते समय इन पर शुक्र में राहु की दशा का प्रभाव था। शुक्र इनकी कुण्डली में सप्तमेश और द्वादशेश होकर तीसरे भाव में बुध और बृहस्पति के साथ स्थित है। सप्तम भाव दैनिक रोजगार का है अत: अन्य ग्रहों के प्रभाव के कारण सप्तमेश की दशा में दैनिक रोजगार की प्राप्ति होना स्वाभाविक है। ऊपर से सप्तमेश शुक्र पर दशमेश सूर्य का प्रभाव है ऐसे में रोजगार की प्राप्ति तो होनी ही थी। क्योंकि शुक्र की दशा तो बीस साल की होती है, ऐसे में सवाल उठता है कि इसी समय इनको रोजगार क्यों मिला और शिक्षण कार्य ही क्यों मिला। इसका जवाब है कि उस समय शुक्र में राहु की दशा है। राहु पंचम भाव में बृहस्पति की राशि और बुध के नक्षत्र में स्थित है। पंचम भाव से भी शिक्षा और शिक्षण कार्य का विचार किया जाता है। बुध और बृहस्पति शिक्षा और शिक्षण कार्य के कारक माने जाते हैं अत: इस दशा में शिक्षा जगत और शिक्षण कार्य से जुडना स्वाभाविक था। बुध इनकी कुण्डली का लाभेश है, बिना लाभ भाव से सम्बंध बने व्यक्ति को पहली कमाई का मौका नहीं मिलता। अत: शुक्र की महादशा में राहु की अंतरदशा ने इन्हें रोजगार और वो भी शिक्षण कार्य दिलाया।

बीजेपी के मातृ संगठन के रूप में मशहूर आरएसएस से राजनाथ की करीबी जगजाहिर है। आरएसएस के साथ उनके बेहतर रिश्ते का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि आडवाणी के जिन्ना प्रकरण के बाद संघ ने राजनाथ सिंह को ही पार्टी के अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी सौंपी थी। राजनाथ सिंह 1964 में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड गए थे। उस समय इन पर शुक्र की महादशा में शुक्र की अंतरदशा का ही प्रभाव था। शुक्र एक सौम्य ग्रह है। वह धर्म स्थान को देख रहा है और बुध-गुरु जैसे सौम्य ग्रहों के साथ बैठा है। हां ये बात और है कि वह सूर्य के साथ है अत: राजसी गुण या अनुशासन वाले संगठन के साथ जुडना स्वाभाविक है। यहां एक बात और साबित हो जाती है कि जिस आरएसएस पर आतंकी होने या राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के आरोप लगते हैं वे निराधार हैं क्योंकि अगर ऐसा होता तो राजनाथ सिंह किसी सौम्य ग्रह नहीं बल्कि पापग्रह की महादशा में आरएसएस से जुडते।

इमरजेंसी के दौरान कई महीनों तक जेल में बंद रहने वाले राजनाथ सिंह को 1975 में जन संघ ने मिर्जापुर जिले का अध्यक्ष बनाया। इस समय दशाएं थीं शुक्र में शनि की। शनि इनके दशम भाव में है जो पद प्रतिष्ठा, पब्लिक सपोर्ट और समाज सेवा का संकेत है। यही कारण है कि इसी दशा में इन्हें 1977 में इन्हें विधानसभा के सदस्य के रूप में चुना गया।

यूपी में शिक्षा मंत्री के तौर पर किए गए कामों को लेकर आज भी राजनाथ सिंह का फैसला काबिल-ए-तारीफ है। 1991 में उन्होंने बतौर शिक्षा मंत्री एंटी-कॉपिंग एक्ट लागू करवाया था। साथ ही वैदिक गणित को तब सिलेबस में भी शामिल करवाया था। उस समय इन पर चंद्रमा में बृहस्पति की दशा का प्रभाव था। बहस्पति वास्तविक ज्ञान और शिक्षा का कारक ग्रह है। अत: इस दशा में इन्होंने प्रसंशनीय कार्य किया।

अपने सभी भाषण हिंदी में देने वाले राजनाथ सिंह 20 अक्टूबर 2000 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। उस समय दशाएं थीं मंगल में शनि की। मंगल इनका लग्नेश है और लाभ भाव में बैठा है। जबकि शनि दशम भाव में है जहां से हम कर्म और राज सत्ता आदि का विचार करते हैं। अत: दशा में इन्हें प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन शनि और मंगल की आपसी युति या दशा में युति बहुत अच्छी नहीं कही गई है। ऊपर से शनि और मंगल एक दूसरे से द्विद्वादश हैं। यही कारण रहा कि इनका मुख्यमंत्री के रूप में कार्यकाल महज 2 साल से भी कम समय के लिए रहा।

दिसम्बर 2005 में जब इन्हें पहली बार भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया उस समय इन पर राहू की महादशा और राहू की अंतरदशा का प्रभाव था। अक्टूबर 2007 से इन पर राहू की महादशा में बृहस्पति की अंतरदशा का प्रभाव शुरू हुआ। जैसा कि ज्योतिष के जानकार जानते हैं कि राहू और बृहस्पति की युति या दशा युति बहुत अच्छे परिणाम नहीं दे पाती। यही कारण है कि इस दशा में इनकी ऊर्जा और उत्साह में कमी देखने को मिली और इनकी अध्यक्षता में भाजपा सत्ता में वापसी नहीं कर पाई। इसी बीच इनको अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष छोडना पडा। फरवरी 2010 से इन पर राहू की महादशा में शनि की अंतरदशा का प्रभाव शुरू हुआ। दोनो ही पाप ग्रह है और एक दूसरे से षडाष्टक बैठे हैं। अत: इस दशा में ये कुछ अच्छा करना चाह कर भी अच्छा नहीं कर पाए। साल २०१३ के पहले ही दिन से इन पर राहू की महादशा में बुध की अंतरदशा का प्रभाव शुरू हुआ है। जो इनके लिए सकारात्मक परिणामों का पिटारा भर कर लाया है। अत: इस दशा ने आते ही इनकों एक अच्छी सौगात दी और खोया हुआ पद पुन: दिला दिया।

अपने कामों को बखूबी और अंजाम तक पहुंचाने वाले राजनाथ से बीजेपी उम्मीद यह उम्मीद कर रही है कि वह 2014 में पार्टी के चुनाव चिन्ह कमल को होर्डिंग बोर्ड से निकालकर आम जनता के दिलों में भी खिला पाएं। बुध की अंतरदशा इस काम में उनकी मदद जरूर करेगी और उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी जरूर मजबूत होगी। यह दशा इन्हें प्रधानमंत्री पद की दावेदारी में भी ला सकती है।

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कितनी स्पेशल रहेगी नीरज पाण्डे की फ़िल्म "स्पेशल 26"?

पंडित हनुमान मिश्रा
‘अ वेडनसडे’ बनाने वाले नीरज पाण्डे की असल जिंदगी पर आधारित फिल्म स्पेशल छब्बीस 8 फ़रवरी को रिलीज होने को तैयार है। वैसे तो नीरज पाण्डे अपनी विशेष शैली के लिए ही जाने जाते हैं। वे अक्सर खबरों पर नजर गडाए रहते हैं, जैसे ही कोई स्पेशल और सनसनीखेज खबर पर उनकी नजर पडती है वो स्पेशल तरीके से काम खोजबीन करते हुए उसकी तह तक जा पहुंचते हैं। इसी तरह की एक स्पेशल खोज और स्पेशल सोच का नतीजा है उनकी आने वाली फ़िल्म स्पेशल 26. यह फ़िल्म अपने नाम में छिपे "स्पेशल" शब्द को चारितार्थ कर पाएगी या नहीं यानी कि "स्पेशल छब्बीस" दर्शकों के लिए एक स्पेशल फ़िल्म साबित हो पाएगी या नहीं, इस फ़िल्म का भविष्य क्या रहेगा, इन सवालों का जवाब पाने के लिए हमने प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य और अंकशास्त्री पं. हनुमान मिश्रा से बात की, पं. मिश्रा विशेष तौर पर इसी बात के लिए जाने जाते हैं कि वह किसी फ़िल्म के रिलीज होने से पहले ही उसके भविष्य की टोह ले लेते हैं। आइए उन्हीं के शब्दों में इस फ़िल्म की सफ़लता की सीमा को जान लेते हैं।

Special 26 नाम बुध ग्रह से प्रभावित नाम है। आइए इस बात को थोडा विस्तार से समझा जाय। केवल Special शब्द का नामांक होता है 6 जिसे इस प्रकार समझा जा सकता है- S-3+P-8+E-5+C-3+I-1+A-1+L-3=24, और 24 का मूलांक 2+4=6 होता है। 26 यानी कि 2+6=8, इसप्रकार Special 26 का नामांक हुआ S-3+P-8+E-5+C-3+I-1+A-1+L-3+2+6=32 और 32 का मूलांक 3+2=5 हुआ। 5 अंक का स्वामी ग्रह बुध होता है। बुध विनोदी स्वभाव का ग्रह माना गया है। जो इस बात का इशारा कर रहा है कि इस फ़िल्म में हंसी-मजाक पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए। बुध को एक नकलची ग्रह माना गया है और कला के मामले में बुध ग्रह की बहुत ही महत्तपूर्ण भूमिका होती है। किसी भी किरदार को निभाने के लिए कलाकार को उस किरदार की हू-ब-हू कापी करनी पडती है। इस फ़िल्म का नामांक इस बात का इशारा कर रहा है कि इस फ़िल्म के डायरेक्टर कलाकारों के अंदर छिपी कला का बहुत ही बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया है।

फ़िल्म 8 फ़रवरी को रिलीज हो रही है, अंक 8 अंक 5 को अपना मित्र मानता है जो फ़िल्म के लिए एक सकारात्मक संकेत है जबकि अंक 5 अंक 8 से सम भाव रखता है अत: 8 तारीख फ़िल्म के लिए 80 प्रतिशत अनुकूलता लिए हुए है। यदि 8 फ़रवरी 2013 के मूलांक को ध्यान दिया जाय तो मूलांक 7 आता है। 7 और 5 दोनों एक दूसरे को सम मानते हैं अत: यहां भी फ़िल्म के लिए एक सकारात्मक संकेत मिल रहा है।

आइए अब ये जान लेते हैं कि फ़िल्म में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कलाकारों के लिए फ़िल्म के नामांक और फ़िल्म की रिलीजिंग डेट कैसी रहेगी।
फ़िल्म के हीरो अक्षय कुमार (Akshay Kumar) का मूलांक 9 और नामांक 1 है। फ़िल्म का नामांक 5 इनके मूलांक 9 के लिए सम भाव रखता है जबकि नामांक 1 के लिए मित्र भाव रखता है। रिलीजिंग डेट 8 तो इनके लिए अधिक अनुकूल नहीं लेकिन रिलीजिंग डेट का मूलांक 7 इनके मूलांक के लिए अनुकूल है। कुल मिलाकर इस फ़िल्म को अक्षय से अथवा अक्षय को इस फ़िल्म से 85 प्रतिशत का लाभ मिलता दिख रहा है।

फ़िल्म की नायिका काजल अग्रवाल (Kajal Aggarwal ) का मूलांक 1 और नामांक भी 1 है। फ़िल्म का नामांक 5 इनके मूलांक और नामांक 1 के लिए मित्र भाव रखता है। रिलीजिंग इनके लिए अधिक अनुकूल नहीं है अत: इस फ़िल्म से काजल को या काजल के द्वारा फ़िल्म को 50 से 60 फीसदी ही लाभ मिल पाएगा।

मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) जी का मूलांक 5 और नामांक 6 है। फ़िल्म का नामांक 5 इनके मूलांक के लिए उत्तम और नामांक के लिए मित्र भाव रखता है। वहीं रिलीजिंग डेट 8 भी इनके लिए मित्र भाव रखती है साथ ही रिलीजिंग डेट का मूलांक 7 भी इनके लिए अनुकूल है। कुल मिलाकर इस फ़िल्म को मनोज बाजपेयी या इस फ़िल्म से मनोज बाजपेयी से 90 प्रतिशत का लाभ मिलता दिख रहा है।

जिमी शेरगिल (Jimmy Shergill) का मूलांक 3 और नामांक 9 है। फ़िल्म का नामांक 5 इनके मूलांक 3 के लिए सम भाव रखता है साथ ही नामांक 9 के लिए भी सम भाव रखता है। रिलीजिंग डेट 8 तो इनके लिए कम अनुकूल नहीं लेकिन रिलीजिंग डेट का मूलांक 7 इनके नामांक के लिए मित्र मूलांक के लिए सम है। कुल मिलाकर इस फ़िल्म को जिमी शेरगिल से 75 प्रतिशत का लाभ मिलता दिख रहा है।

अनुपम खेर (Anupam Kher) जी का मूलांक 7 और नामांक भी 3 है। फ़िल्म का नामांक 5 इनके मूलांक 3 के लिए सम भाव रखता है साथ ही नामांक 9 के लिए भी सम भाव रखता है। रिलीजिंग डेट 8 तो इनके मूलांक के लिए तो अधिक अनुकूल नहीं है लेकिन इनके नामांक के लिए सम है। जबकि रिलीजिंग डेट का मूलांक 7 भी इनके मूलांक के लिए शुभ और नामांक लिए सम है। कुल मिलाकर इस फ़िल्म को अनुपम खेर या इस फ़िल्म से अनुपम खेर से 80 प्रतिशत का लाभ मिलता दिख रहा है।

कुल मिलाकर देखा जाय तो यह फ़िल्म एक अच्छा व्यवसाय करती हुई नजर आ रही है साथ ही दर्शकों का मनोरंजन करने में भी यह फ़िल्म सफल रहेगी। रिलीज होने से पहले मैं इस फ़िल्म को पांच में से तीन अंक आराम से दे सकता हूं।
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क्या 2013 में थमेगा बालीवुड से विदाई का सिलसिला?

पंडित हनुमान मिश्रा
यूं तो जीवन मरण की प्रक्रिया प्रकृति का नियम है लेकिन कुछ ऐसे वर्ष विशेष भी होते हैं जिसमें किसी एक विशेष क्षेत्र से जुडे व्यक्तियों पर अधिक प्रभाव पडता है। उसी तरह के वर्षों में एक वर्ष रहा वर्ष 2012। इस साल बॉलीवुड की कई महान हस्तियां हमारे बीच नहीं रहीं। बॉलीवुड के कई चमकीले सितारे इस चमकती दुनिया को छोड़ गए। सूक्ष्मता से देखा जाय तो केवल 2012 ही नहीं 2011 भी हमसे कई सिनेमा जगत से जुडे लोगों को हमसे छीन कर ले गया है। इन घटनाओं के पीछे मुख्यत: चार ग्रहों का प्रभाव रहा। वे ग्रह हैं राहू, केतु, शनि और बॄहस्पति। आइए एक-एक करके जानते हैं कि इन चार ग्रहों ने किस प्रकार सितारों को छीनने में अपनी भूमिका निभाई है:-

बॉलीवुड की नाम राशि वृषभ है। जिसका स्वामी शुक्र ग्रह है। जैसा की हम जानते हैं कि शुक्र ग्रह की दो राशियां हैं, वृषभ और तुला। इनका स्थाई घर दूसरा और सातवां है। शुक्र को बॉलीवुड के मामले में अहं भूमिका निभाने वाला ग्रह माना गया है। दूसरे शब्दों में कहें तो मनोरंजन और विशेष कर सिनेमा जगत के लिए शुक्र कारक ग्रह माना गया है। जब भी शुक्र या शुक्र की राशियां पीडित होती हैं। सिनेमा जगत को क्षति पहुंचती है। आइए जानते हैं कि वर्ष 2011-2012 किस तरह से शुक्र या शुक्र की राशियों के लिए अनुकूल नहीं था। जून 2011 के शुरुआती दिनों में केतु वृषभ राशि में आया और राहु वृश्चिक राशि में आया। अत: शुक्र से जुडी चीजें उसमें भी विशेषकर बॉलीवुड की पीडा के दिन जून 2011 से ही शुरू हो गए थे। आइए 2011-2012 में दुनिया को अलविदा कहने वाले कुछ सितारों के गोचर को देखा जाय। सम्भवत: इनकी मृत्यु के समय राहु-केतु, शनि और बॄहस्पति के गोचर का सम्बंध कुंण्डली के अष्टम, द्वादश, लग्न या फिर तीसरे भाव से होना चाहिए। यहां आपको बताते चलें की अष्टम भाव आयु या मृत्यु का भाव माना गया है, द्वादश शरीर के व्यय का है। लग्न स्वयं शरीर है जबकि तृतीय भाव अष्टम से अष्टम होने के कारण आयु या मृत्यु के लिए ही विचारणीय माना गया है।

आइए सबसे पहले 2011 की बात कर ली जाय। गजल के बादशाह कहे जानेवाले जगजीत सिंह 2011 में ही हमें छोडकर गए थे। वो दिन 10 अक्टूबर 2011 का था। जगजीत सिंह का जन्म 8 फ़रवरी 1941 को हुआ था। उनकी जन्म राशि मिथुन है। उनके अवसान के समय गोचर का केतू उनके बारहवें भाव में था। इनकी कुण्डली का बाधक और शुक्र का शत्रु ग्रह बृहस्पति भी बारहवें भाव में था। बारहवां भाव शरीर का व्यय स्थान माना गया है।

भूपेन्द्र हजारिका 8 सितम्बर 1926 को जन्में भूपेन हजारिका की जन्म कालीन राशि कन्या है। 05 नवम्बर 2011 को वह दुनिया को अलविदा कह गए। उस समय उन पर शनि की साढे साती का प्रभाव था। उनके अवसान के समय गोचर का केतू उनके नवमें व राहु तीसरे भाव में था। तृतीय भाव अष्टम से अष्टम होने के कारण आयु या मृत्यु के लिए ही विचारणीय माना गया है। बृहस्पति अष्टम भाव में था।

26 सितम्बर 1923 को जन्में देव आनंद साहब 3 दिसंबर 2011 को दुनिया को अलविदा कह गए। उनके जन्म के समय चन्द्रमा मीन राशि में था। उनकी मृत्यु के समय शनि अष्टम में था यानी कि उन पर ढैय्या का प्रभाव था। राहु नवम में जबकि केतु तीसरे भाव में था।

फ़िल्म प्रोड्यूसर व अभिनेता अनिल कपूर के पिता सुरेन्द्र कपूर जिन्होंने पुकार, जुदाई, हमारा दिल आपके पास है, नो इंट्री और लोफर जैसी फ़िल्में प्रोड्यूस की थी, उनका निधन 24 सितम्बर 2011 को हो गया। उनका जन्म 23 दिसम्बर 1925 को हुआ था। उनकी जन्म राशि मीन थी। उनकी मृत्यु के समय शनि अष्टम में राहु नवम में जबकि केतु तीसरे भाव में था।

मराठी फ़िल्मों की संगीत की दुनिया का एक बहुत सम्मानित नाम श्रीनिवास खले जी 2 सितम्बर 2011 को दुनिया छोड गए। उनका जन्म 30 अप्रैल 1926 को हुआ था। जन्म कालीन राशि वृश्चिक थी। मृत्यु के समय राहू उनके लग्न पर, केतु सप्तम में और शनि एकादश भाव में होकर लग्न और अष्टम भाव को देख रहा था।

इनके अलावा 2011 में नवीन निश्चल जी हमें छोड गए। उन्होंने सावन भादों, द बर्निंग ट्रेन, जहर, गुड्डू, आक्रोश, लहू के दो रंग, जंग, रहना है तेरे दिल में, खोसला का घोसला और ब्रेक के बाद जैसी फ़िल्मों में महत्त्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। प्रसिद्ध सारंगी वादक और शास्त्रीय संगीय गायक उस्ताद सुल्तान खान 2011 में ही हमें छोडकर गए थे। भारतीय फ़िल्म निर्माता जिन्होंने हालीवुड में अपनी काबिलियत दिखाई, वो भी 4 सितम्बर 2011 को नहीं रहे। मशहूर लेखक श्री लाल शुक्ला, मशहूर फ़ोटोग्राफर गौतम राजाध्यक्ष, डायरेक्टर समीर चन्द, हिन्दी मराठी फ़िल्म अभिनेत्री रशिका जोशी, साउथ इंडियन अभिनेत्री सुजाता, हिन्दी फ़िल्म लेखक सचिन भौमिक, अभिनेता रविन्द्र कपूर (गोगा कपूर) हास्य अभिनेता विवेक शौक, तेलगू फ़िल्म निर्देशक ई.वी.वी सत्यनारायन आदि ऐसे कई नाम हैं जो हमें 2011 में छोड गए। इस प्रकार ये बात सामने आ रही है कि इनकी मृत्यु के समय राहु-केतु, शनि और बॄहस्पति के गोचर का सम्बंध कुंण्डली के अष्टम, द्वादश, लग्न या फिर तीसरे भाव से रहा। जैसा कि पहले ही बताया गया कि अष्टम भाव आयु या मृत्यु का भाव माना गया है, द्वादश शरीर के व्यय का है। लग्न स्वयं शरीर है जबकि तृतीय भाव अष्टम से अष्टम होने के कारण आयु या मृत्यु के लिए ही विचारणीय माना गया है।

आइए अब 2012 में दुनिया को अलविदा कहने वाले सितारों की बात कर ली जाय:-

सबसे पहली चर्चा हास्य कलाकार जसपाल भट्टी की 3 मार्च 1955 को जन्में जसपाल भट्टी की जन्म कालीन राशि मिथुन है। उनके अवसान के समय यानी कि 25 अक्टूबर 2012 को गोचर का केतू उनके बारहवें भाव में था। इनकी कुण्डली का बाधक और शुक्र का शत्रु ग्रह बृहस्पति भी बारहवें भाव में था। बारहवां भाव शरीर का व्यय स्थान माना गया है।

अब बात की जाय यश चोपडा की। इनका जन्म 27 सितंबर 1932 को वृश्चिक लग्न में हुआ। उनकी मृत्यु के समय यानी कि 21 अक्टूबर 2012 को राहू लग्न में केतु सप्तम में व शनि द्वादश भाव में था।

29 दिसम्बर 1942 को जन्में राजेश खन्ना का जन्म मिथुन लग्न में माना जाता है। मृत्यु के समय केतु द्वादश भाव में और शनि से दृष्ट राहु छठे भाव में स्थित था।

पंडित रविशंकर का जन्म 7 अप्रैल 1920 को वृश्चिक लग्न में हुआ। 11 दिसम्बर 2012 को उनकी मृत्यु के समय को राहू लग्न में केतु सप्तम में व शनि द्वादश भाव में था।

इसके वर्षा भोसले, ए. के. हंगल, दारा सिंह, मेंहदी हसन, तरुनी सचदेव, अचला सचदेव, मोना कपूर, ज्वाय मुखर्जी, ओ.पी. दत्ता, राज कंवर, अशोक मेहता, गविन पाकर्ड, निखत काजमी आदि बालीवुड से जुडे ऐसे कई नाम हैं जो इस साल दुनिया को अलविदा कह गए। और उपरोक्त उदाहरणो से हमने देखा की कहींन कहीं राहु केतु और शनि का प्रभाव इनकी मृत्यु के पीछे रहा।

इस चर्चा का प्रमुख उद्देश्य यही है कि क्या वर्ष 2013 में यह सिलसिला थमेगा? यह जानने के लिए आइए उन्हीं ग्रहों की स्थितियों को जाना जाय जिनके कारण पिछले २ साल ठीक नहीं थे। राहू-केतु एक राशि में अठारह महीने रहते हैं। 23 दिसम्बर 2012 तक राहु वृश्चिक राशि और केतु वृषभ राशि में स्थित था। वृषभ राशि शुक्र की राशि है और शुक्र को बालीवुड का कारक ग्रह माना गया है। जब शुक्र या शुक्र की राशियां पीडित होती हैं तो सिनेमा जगत का अहित होता है। वृषभ और तुला शुक्र राशियां हैं। अठारह महीने राहू-केतु से पीडित रही वृषभ राशि का परिणाम आप के सामने है। अब यानी की 23 दिसम्बर 2012 से अगले अठारह महीने तक राहु सप्तम रहेगा और केतु मेष राशि में रहेगा। यानी कि अभी भी शुक्र की तुला पीडित रहेगी। अत: यह सिलसिला पूरी तरह नही थम सकेगा। यह साल भी मनोरंजन जगत के लिए अधिक अनुकूल नहीं रह पाएगा। विशेषकर मनोरंजन जगत की स्त्रियों के लिए यह वर्ष प्रतिकूलता लिए रहेगा। इसके अलावा समाज सेवा से जुडे लोगों के लिए भी वर्ष 2013 कष्टकारी रह सकता है।
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अंक ज्योतिष और विवाह

पंडित हनुमान मिश्रा
अंक ज्योतिष भी भविष्य जानने की और भविष्य को और बेहतर करने की एक अच्छी विधा है। इस विधा के द्वारा भी ज्योतिष की अन्य विधाओं की तरह भविष्य और सभी प्रकार के ज्योंतिषीय प्रश्नों का उत्तर पाया जा सकता है। आज हम यहां बात करने जा रहे हैं। अंकज्योतिष की विवाह संस्कार में प्रयुक्त होने वाली भूमिका की। विवाह जैसे महत्वपूर्ण विषय में अंक ज्योतिष और उसके उपाय काफी मददगार साबित होते हैं। लेकिन सामान्यत: विवाह के प्रकरण में अंकज्योतिषी वर वधू के मूलांक की आपसी मित्रता को देखने के बाद विवाह को उचित या अनुचित होने का प्रमाण पत्र दे देते हैं। यहां पर मैं यह नहीं कह रहा कि ऐसा सभी अंकशास्त्री करते हैं लेकिन ऐसा करने वालों का प्रतिशत अधिक है। वास्तव में विवाह जैसे मामले में अंक ज्योतिष के तीनों पैमानों का प्रयोग करना उत्तम परिणाम देने वाला रहता है। वो तीन पैमाने मूलांक (Root Number), भाग्यांक (Destiny Number) और नामांक (Name Number) हैं। विवाह के संदर्भ में भी इन्हीं तीन प्रकार के अंकों के बीच सम्बन्ध को देखा जाता है। यदि इन तीनों का मिलान सकारात्मक रहे तो वैवाहिक जीवन के सुखद रहने की सम्भावना प्रबल होती है।

यद्यपि मेरा यह आलेख सबके लिए उपयोगी है लेकिन फिर भी यह उन लोगों के अधिक उपयोगी सिद्ध होगा जिन्हें अपने जन्म का सही समय नहीं पता हो। क्योकि वैदिक ज्योतिष में बिना सही समय के सटीक मिलान में व्यवधान आता है। इसके अलावा ये विधा उन लोंगों के लिए आशा की किरण साबित हो सकती है जिनका मिलाप वैदिक ज्योतिष के अनुसार उचित नहीं आ रहा है। यहां एक बात स्पष्ट कर दूं कि मैं वैदिक ज्योतिष को अंक ज्योतिष की तुलना में कमजोर नहीं कह रहा हूं। यहां मैं केवल इतना कह रहा हूं कि यदि वैदिक ज्योतिष के अनुसार मिलान ठीक न हो लेकिन अंकज्योतिष की तीनों कसौटियों के अनुसार विवाह उचित हो तो सुखद दाम्पत्य की कल्पना की जा सकती है। इसके अलावा यह आलेख उन लोगों के लाभप्रद सिद्ध हो सकता है जिन्हें उनकी जन्मतिथि उत्यादि की जानकारी बिल्कुल न हो। ऐसे में यदि कोई अपने नामाक्षर के नक्षत्र के अनुसार गुण मिलान करने के अलावा, अंकज्योतिष के अनुसार नामांक मिलान करा कर विवाह करता है तो भी सुखद दाम्पत्य की कल्पना की जा सकती है।

अपने नाम के अनुसार अंकज्योंतिष अंको पर आधारित एक ज्योतिषीय विधा है। अंकज्योंतिष के अनुसार सृष्टि के सभी गोचर और अगोचर तत्वों का अपना एक निश्चत अंक होता है। जिन अंकों के बीच मित्रता होती है उनसे सम्बंधित तत्त्व वालों के बीच अच्छा तालमेल होता है इसके विपरीत जिन अंकों में मित्रता नहीं होती है उनसे सम्बंधित तत्त्व वालों के बीच तालमेल नहीं हो पाता। अंकज्योंतिष मुख्यत: मूलांक, भाग्यांक और नामांक इन तीन विशेष अंकों को आधार मानकर फल कथन किया जाता है। यदि विवाह के मामले पर बात की जाय तो वर और वधू के अंकों के आपसी मेल के आधार पर उनका विवाह कराया जा सकता है। कभी-कभी कुछ ऐसे प्रेम करने वाले भी मिल जाते हैं जो अपने प्रेम पात्र को पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। ऐसे में यदि उनका सम्यक गुण मिलान, मूलांक या भाग्यांक अंक मिलान नहीं हो पाता तो वे इन सबको नजर अंदाज करने को तैयार हो जाते हैं। लेकिन ऐसे विवाह का हश्र ठीक नहीं होता है। ऐसे में अंकज्योतिष कुछ मददगार सिद्ध हो सकती है। ऐसे में अन्य ज्योतिषीय उपायों के साथ दोनों के नाम की स्पेलिंग में कुछ ऐसा बदलाव किया जाता है जिससे दोनों के नामांक एक दूसरे की मित्रता वाले हो जाएं।

अंक शास्त्र से वर वधू का गुण मिलान 


सबसे पहले वर और वधू के मूलांकों का मिलान किया जाता है। जिससे उनके रहन-सहन एवं विचारधारा में सामंजस्य बना रहे। इसके बाद उनके भाग्यांकों का मिलान किया जाता है जिससे उनके मिलन से एक दूसरे की होने वाली भाग्योन्नति का पता चलता है। इसके बाद उनके नामांकों का मिलान किया जाता है जिससे उनके जीवन के सभी क्षेत्रों पर पडने वाले प्रभाव का पता चलता है।

मूलांक क्या है?


मूलांक जन्म की तारीख के योग को कहा जाता है जैसे यदि किसी का जन्म किसी भी महीने और साल की 1 तारीख को हुआ है तो मूलांक 1 होगा ऐसे ही 2 तारीख को हुआ तो मूलांक 2 हुआ, जन्म 9 तारीख को हुआ तो मूलांक 9 हुआ। इसके आगे की जितनी भी तारीखें हैं उनका योग कर लेना चाहिए जैसे यदि जन्म 24 तारीख को हुआ तो मूलांक 2+4=6 होगा।

भाग्यांक क्या है?


भाग्यांक जन्म की तारीख, महीने और साल के महायोग को कहा जाता है जैसे यदि किसी का जन्म 19 सितम्बर 1992 को हुआ है तो उसका भाग्यांक 1+9+9+1+9+9+2=4 होगा।

नामांक क्या है?


नामांक ज्ञात करने के लिए वर वधू दोनों के नामों को अंग्रेजी में अलग अलग लिखना चाहिए। प्रत्येक अक्षर का एक अंक होता है अत: नाम लिखने के बाद सभी अक्षरों के अंकों को जोड़ा जाता है जिससे नामांक ज्ञात होता है। जैसे यदि किसी का नाम विशाल है तो अंग्रेजी में उसका नाम लिखा जाएगा VISHAL, यहां कीरो मेथड से V का अंक 6,I का अंक 1, S का अंक 3, H का अंक 5, A का अंक 1 और L का अंक 3 होगा। अब VISHAL के सभी अक्षरांको को जोडा जाएगा। जिसका नामांक 6+1+3+5+1+3=19 हुआ अब 1 और 9 को जोडा जाएगा यानी 1+9=10 हुआ। यह योग भी दो अंकों में है अत: इन्हें फिर से आपसे में जोडना चाहिए जो कि 1+0=1 होगा। अत: विशाल का नामांक 1 हुआ।

यहां पर ध्यान रखने योग्य बात यह है कि अगर मूलांक, भाग्यांक या नामांक 9 से अधिक हो तो योग से प्राप्त संख्या को दो भागों में बांटकर पुन: योग किया जाता है। ऐसा तब तक किया जाता है जब तक कि वह एक अंक का न हो जाय।

उपरोक्त उदाहरण के माध्यम से यदि यह पूछा जाय कि विशाल नामक व्यक्ति, जिसका जन्म 19 सितम्बर 1992 को हुआ उसका मूलांक, भाग्यांक और नामांक क्या है? इसका उत्तर यह है कि उसका मूलांक1, भाग्यांक 4, और नामांक 1 है।

मूलांक, भाग्यांक और नामांक मिलान फल:

सारणी:-

अंक अतिमित्र मित्र सम शत्रु
1 ------ 2,3,6,7,9 1,8 4,5
2 2,6,9 1,4,7 3,8 5
3 6,9 1,5 2,4,7 3,8
4 4,6 2,7,8,9 3,5 1
5 ------ 3 4,6,7,8,9 1,2,5
6 2,3,4,6,9 1 5,7,8 ------
7 7,9 1,2,4,6 3,5,8 ------
8 ------ 4,6 1,2,5,7,8,9 3
9 2,3,6,7,9 1,4 5,8 ------

यहां पर संक्षिप्त में यह समझ लेना है कि जिसका जो अंक अर्थात मूलांक, भाग्यांक या नामांक है यदि उसके जीवन साथी या प्रेम पात्र का अंक उसके अतिमित्र के कालम वाला है तो उनका दाम्पत्य जीवन बहुत अच्छा रहेगा। यदि मित्र अंक वाला होगा तो दाम्पत्य जीवन अच्छा रहेगा। यदि सम अंक वाला होगा तो दाम्पत्य जीवन सामान्य रहेगा अर्थात कुछ विसंगतियां रह सकती हैं लेकिन निर्वाह होता रहेगा। जबकि अंको में आपसी शत्रुता होने पर दाम्पत्य जीवन कष्टकारी रह सकता है।

आइए इस बात को इस उदाहारण के माध्यम से समझ लेते हैं। आइए जानते हैं कि 1 अंक वाले वर के लिए विभिन्न अंक वाली कन्याएं कैसी रहेंगी। अंकशास्त्र के नियम के अनुसार अगर वर का अंक 1 है और वधू का अंक भी एक है तो दोनों में समान भावना एवं प्रतिस्पर्धा रहेगी जिससे पारिवारिक जीवन में कलह की स्थिति होगी। कन्या का अंक 2 होने पर सामान्यतय: दाम्पत्य जीवन सुखद रहता है। वर का अंक 1 हो और कन्या का तीन तो दाम्पत्य जीवन सुखद रहता है। दोनों के बीच प्रेम और परस्पर सहयोगात्मक सम्बन्ध रहता है। कन्या का 4 होने पर पति पत्नी के बीच अकारण विवाद होता रहता है और जिससे गृहस्थी में अशांति रहती है. 5 अंक वाली कन्या के साथ मौखिक वाद-विवाद होने की सम्भावना रहती है। 6 अंक वाली कन्या 1 अंक के वर के साथ सुखमय वैवाहिक जीवन का आनन्द लेती है 7 अंक वाली कन्या के साथ 1 अंक के वर का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। वहीं 1 अंक के वर का विवाह 8 अंक वाली कन्या से होने पर वैवाहिक जीवन में सुख की कमी रहती है। जबकि 9 अंक वाली कन्या 1 अंक के वर के साथ सुखमय वैवाहिक जीवन का आनन्द लेती है। इसी तरह हम अन्य अंकों को भी समझ सकते हैं।

उपरोक्त उदाहरण में हमने जहां पर अंक लिखा है उसमें तीनों कसौटियों को शामिल करना है। तीनों कसौटियां यानि कि मूलांक, भाग्यांक और नामांक। उपरोक्त सारणी तीनों ही स्थितियों विचारणीय होगी। यदि वर और कन्या के मूलांक, भाग्यांक और नामांक तीनों में मित्रता हो तो दाम्पत्य जीवन बहुत सुखी होता है, यदि दो में मित्रता हो तो सामान्यत: ठीक रहता है और यदि केवल एक की मित्रता हो तो विवादों के बाद किसी तरह निर्वाह हो सकता है लेकिन यदि तीनों कसौटियां विपरीत परिणाम दर्शा रहीं हों तो विवाह से बचना चाहिए। जैसा कि मैंने पहले ही बताया कि इनमें से एक कसौटी यानी कि नामांक को सुधारा जा सकता है। अत: जिनका दाम्पत्य जीवन दुखी हो इस विधा से उसमें बेहतरी लाई जा सकती है।
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ल्यूकोडर्मा - ज्योतिषीय विश्लेषण

किशोर घिल्दियाल
हमारी त्वचा की दो परते होती हैं बाहरी परत व भीतरी परत |भीतरी परत के नीचे के भाग मे मेलानोफोर  नामक कोशिका मे एक तत्व “मेलानिन” होता हैं जिसका मुख्य कार्य हमारी त्वचा को प्राकतिक वर्ण अथवा रंग प्रदान करना होता हैं | जब यह तत्व किसी भी प्रकार से विकृत हो जाता हैं तब “स्वित्र” यानि “ल्यूकोडर्मा” नामक रोग हो जाता हैं जिसे आम बोलचाल की भाषा मे “सफ़ेद दाग” अथवा “फुलेरी” भी कहाँ जाता हैं|

मेलानिन नाम के तत्व त्वचा के भीतर नीचे की सतह मे उत्पन्न होकर ऊपर की ओर आकर त्वचा को प्राकतिक रंग प्रदान करते हैं | त्वचा के जिन भागो मे इस तत्वकी कमी या अभाव किसी भी वजह से होता  हैं तो वह भाग बाहरी त्वचा मे सफ़ेद दाग के रूप मे दिखाई देने लगता हैं | आयुर्वेद मे इस रोग को अनुचित खान पान के कारण होने वाले रोगो की श्रेणी मे रखा गया हैं जिसके अनुसार कफ की अधिकता के कारण त्वचा की छोटी छोटी शिराओ मे अवरोध होने से मेलानिन तत्व उत्पन्न नहीं हो पाता हैं और यह रोग जन्म ले लता हैं |

ज्योतिषीय दृस्टी से देखने पर हमें इस रोग को देखने हेतु निम्न भाव व ग्रहो का अध्ययन करना चाहिए |

भाव-लग्न,षष्ठ व अष्टम भाव

ग्रह-सूर्य,बुध,मंगल,शुक्र व लग्नेश

लग्न भाव हमारे शरीर को दर्शाता हैं हमारे शरीर मे होने वाले किसी भी प्रकार के विकार व बदलाव को हम लग्न पर पड़ने वाले प्रभाव से ही देखते हैं | इसी लग्न से हम सामान्य भौतिक स्वास्थ्य को देखते हैं |

षष्ठ भाव मुख्यत;किसी भी प्रकार के रोगो हेतु इस भाव को अवश्य देखा जाता हैं इसी भाव से बीमारी की अवधि का भी पता चलता हैं, बीमारी छोटी होगी या बड़ी यह भी इसी भाव द्वारा जाना जाता हैं |

अष्टम भाव यह बीमारी के दीर्घकालीन प्रभाव को बताता हैं इसी भाव से बड़ी बीमारी का भी पता चलता हैं |

सूर्य ग्रह- सूर्य को लग्न का व आरोग्य का कारक माना जाता हैं इसी सूर्य से हम व्यक्ति विशेष का तेज व  आत्मविश्वास भी देखते हैं इस बीमारी के होने से व्यक्ति आत्महीनता महसूस करने के कारण आत्मविश्वास खोने लगता हैं | सूर्य का किसी भी रूप मे पाप प्रभाव मे होना या अशुभ होना इस बीमारी का एक कारण हो सकता हैं |

बुध ग्रह- यह ग्रह हमारी बाहरी अथवा ऊपरी त्वचा का कारक माना जाता हैं इसी ऊपरी त्वचा पर इस बीमारी के लक्षण अथवा सफ़ेद धब्बा आने पर बीमारी का पता चलता हैं | किसी भी प्रकार के बाहरी प्रभाव का पता भी इसी त्वचा कारक से चलता हैं इसलिए इस बीमारी मे इसका अशुभ होना अवश्यंभावी हैं |

लग्नेश - शरीर का प्रतिनिधित्व करता हैं इस ग्रह का किसी भी रूप से पीड़ित होना कोई भी बीमारी होने के लिए आवशयक हैं जब तक लग्नेश पीड़ित नहीं होगा शरीर मे बीमारी नहीं हो सकती |

मंगल – शरीर मे उन तत्वो का निर्माण करने मे सहायक होता हैं जो त्वचा को रंग प्रदान करते हैं | यही मंगल त्वचा मे किसी भी प्रकार के दाग-धब्बो का कारक भी होता हैं | खुजली खारिश किसी भी प्रकार के फोड़े फुंसी व संक्रमण को इसी मंगल गृह से देखा जाता हैं अत; इसका भी किसी ना किसी पाप या अशुभ प्रभाव मे होना ज़रूरी हैं |

शुक्र ग्रह- यह ग्रह त्वचा की सुंदरता,चमक व निखार का कारक हैं जिस जातक का शुक्र जितना अच्छा होता हैं उसकी त्वचा मे उतनी ही चमक होती हैं इस बीमारी के कारण त्वचा की चमक नहीं रहती जिससे यह ज्ञात होता हैं की शुक्र ग्रह को भी अशुभ या पाप प्रभावित होना चाहिए |

आइए अब इस बीमारी (ल्यूकोडर्मा) को कुछ जन्म पत्रिकाओ मे देखने का प्रयास करते हैं |

1)14-6-1983 11:40 अमरावती,सिंह लग्न की इस कुंडली मे लग्न पर मंगल व लग्नेश सूर्य,त्वचाकारक बुध तथा मंगल पर गुरु वक्री(अष्टमेश)का प्रभाव हैं |शुक्र द्वादशेश चन्द्र संग द्वादश भाव मे शनि द्वारा द्र्स्ट हैं | इस प्रकार सभी अवयव प्रभावित होने से यह जातिका ल्यूकोडर्मा से पीड़ित हैं और इसका इलाज़ करा रही हैं |

2)19-4-1975 19:30 दिल्ली, तुला लग्न की इस कुंडली मे लग्न पर राहू(नक्षत्र) का प्रभाव हैं लग्नेश शुक्र स्वयं अष्टम भाव मे राहू केतू अक्ष व मंगल(शत्रु राशि) द्वारा द्र्स्ट हैं वही त्वचाकारक बुध अस्तावस्था मे केतू के  नक्षत्र मे हैं | सूर्य भी ऊंच का होकर केतू के नक्षत्र मे ही हैं इस प्रकार सभी अवयव प्रभावित होने से जातिका इस रोग से पीड़ित हैं |

3) 2-12-1987 2:30 (हरियाणा) कन्या लग्न की इस कुंडली मे लग्न पर राहू केतू प्रभाव हैं लग्नेश बुध अस्तावस्था मे सूर्य संग शनि से पीड़ित हैं मंगल अस्टमेश(राहू के स्वाति नक्षत्र मे हैं) तथा शुक्र (केतू के मूल नक्षत्र मे) होने से पाप प्रभाव मे हैं | इस प्रकार इस पत्रिका मे भी सभी अवयव प्रभावित होने से यह जातिका भी इस रोग से पीड़ित हैं |

4) 6-9-1936 13:40 गाज़ियाबाद वृश्चिक लग्न की यह कुंडली एक प्रसिद्ध वकील की हैं | पत्रिका मे लग्न पर शनि की दृस्टी हैं लग्नेश मंगल नीच राशि के हैं सूर्य पर शनि का प्रभाव हैं शुक्र नीच राशि मे हैं तथा त्वचाकारक बुध चन्द्र के नक्षत्र मे हैं जो स्वयं षष्ठ भाव मे शनि द्वारा द्र्स्ट हैं | इस प्रकार सभी अवयव के प्रभावित होने से जातक 1985 से इस रोग से पीड़ित रहे हैं |

5) 4-6-1968 19:57 दिल्ली धनु लग्न की इस कुंडली मे लग्न व लग्नेश दोनों केतू के नक्षत्र मे हैं सूर्य,शुक्र व मंगल षष्ठ भाव मे शनि द्वारा द्र्स्ट हैं व त्वचाकारक बुध राहू के नक्षत्र मे हैं | इस जातिका के समस्त चेहरे व शरीर मे यह बीमारी हैं |

6) 28-3-1954 6:04 (तमिलनाडू) मीन लग्न की इस कुंडली मे लग्न व लग्नेश दोनों पर मंगल का प्रभाव हैं (लग्नेश गुरु मंगल के नक्षत्र मे हैं)मंगल स्वयं राहू केतू व शनि के प्रभाव मे हैं सूर्य शुक्र पर भी इसी पापी मंगल का प्रभाव हैं वही त्वचा कारक बुध द्वादश भाव मे राहू के नक्षत्र मे स्थित हैं सभी अवयव प्रभावित होने से जातक को यह ल्यूकोडर्मा रोग हुआ |

7) 2-9-1943 4:20 दिल्ली कर्क लग्न की इस कुंडली मे लग्न राहू केतू प्रभाव मे तथा लग्नेश द्वादशेश बुध संग पीड़ित हैं बुध स्वयं चन्द्र नक्षत्र मे हैं सूर्य शुक्र पर शनि व मंगल की दृस्टी हैं मंगल पर शनि की दृस्टी हैं शनि अस्टमेश भी हैं | इन सभी कारणो से जातक काफी समय से ल्यूकोडर्मा से पीड़ित हैं |

8) 21-1-1993 9:01 गाज़ियाबाद कुम्भ लग्न की इस कुंडली मे लग्न राहू के नक्षत्र मे तथा लग्नेश शनि सूर्य संग द्वादश भाव मे मंगल के नक्षत्र मे हैं शुक्र मृतावस्था मे हैं बुध अस्त व मृतावस्था मे,तथा मंगल स्वयं नीचभिलाषी होकर वक्री अवस्था मे हैं यह जातक सात साल की उम्र से इस बीमारी से पीड़ित हैं |

9) 15-2-1977 00:00 सैंट लुइस (अमरीका) तुला लग्न की इस पत्रिका मे लग्न राहू केतू अक्ष मे लग्नेश शुक्र षष्ठ भाव मे हैं | मंगल और बुध पर शनि का प्रभाव हैं,सूर्य शनि राशि मे हैं | सभी अवयवो के प्रभावित होने से जातिका कई साल से इस रोग से पीड़ित हैं तथा इलाज़ करवा रही हैं |

10) 15-10-1987 2:30 वांकानेर (गुजरात) सिंह लग्न के इस जातक की कुंडली मे लग्न केतू नक्षत्र मे शनि द्वारा द्र्स्ट तथा लग्नेश सूर्य राहू केतू अक्ष मे मंगल संग दूसरे भाव मे हैं | शुक्र व बुध स्वाति नामक राहू नक्षत्र मे हैं तथा अष्टमेश गुरु वक्री द्वारा द्र्स्ट हैं | इन्ही सब कारणो से जातक काफी समय से ल्यूकोडर्मा से पीड़ित हैं |

11) 2-5-1988 23:25 राजामुन्द्री, धनु लग्न के इस जातक की कुंडली मे लग्न मे शनि वक्र अवस्था मे हैं लग्नेश गुरु अस्त हैं, सूर्य पर मंगल द्वादशेश का प्रभाव हैं, त्वचाकारक बुध षष्ठ भाव मे अस्त अवस्था मे हैं तथा शुक्र पर शनि की पूर्ण दृस्टी हैं |इन सभी कारणो से जातक के शरीर के अधिकतर हिस्से मे सफ़ेद दाग अर्थात ल्यूकोडर्मा हैं |

12) 23-11-1983 14:20 कानपुर,मीन लग्न की इस कुंडली मे लग्न पर शुक्र (नीच व अस्ट्मेश) तथा मंगल का प्रभाव हैं वही लग्नेश गुरु सूर्य तथा बुध संग राहू-केतू अक्ष मे पीड़ितवस्था मे हैं | मंगल नीच के शुक्र संग हैं |

इन सभी अवयवो के अलावा हमने कही-कही चन्द्र ग्रह को भी प्रभावित पाया संभवत; जिन जातको के चेहरे पर इस बीमारी के दाग थे उनका चन्द्र ग्रह प्रभावित रहा हो (चन्द्र ग्रह हमारे चेहरे को दर्शाता हैं) एक अन्य तथ्य भी जो हमने प्राप्त किया की शुक्र व बुध की दोनों राशियो मे से कोई ना कोई राशि अवश्य ही पाप प्रभाव मे थी |
हमने इन कुंडलियो के अतिरिक्त और भी लगभग ३00 कुंडलियों पर यह सभी अवयव प्रभावित पाये तथा यह पुष्टि की इन्ही कारणो से यह बीमारी होती हैं
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मंगल दोष -कुछ नई विवेचना

ज्योतिषी उषा सक्सेना
ज्योतिष के अनुसार १,२,४,७,८,१२ भाव में मंगल की उपस्थिति मंगल दोष कही जाती है ,  जो कि विवाह हेतु कुंडली मिलान में एक महत्वपूर्ण विषय माना जाता है ।

मंगल ग्रह को क्रोध , अग्नि , झगड़ा, विवाद  , शौर्य , घमंड आदि का  कारक ग्रह माना जाता है ( पत्रिका मिलान में सदा मंगल के नकारात्मक गुण ही ध्यान में रखे जाते हैं अतः यहाँ नकारात्मक गुणौ का  ही उल्लेख किया है ) !

सर्वविदित है कि उपरोक्त अवगुण पारिवारिक  और वैवाहिक जीवन में अवरोध उत्पन्न करने बाले है , मंगल की उपस्थिति को बिना सम्पूर्ण पत्रिका की विवेचना किये अभाग्य -वैधव्य आदि से जोड़ देना कदापि उचित नहीं है ( और यदि  ऐसी नियति हो तो क्या हम भाग्य को बदलने में सक्षम हैं ?)

ज्योतिष में देश काल के अनुसार अध्ययन - फलादेश प्रथम पाठ है , आज बदली हुई परिस्तिथियाँ व् समय के अनुसार हम मंगल की १,२,४,७,८,१२ भाव में उपस्थिति की कुछ इस प्रकार विवेचना कर सकते हैं ।

प्रथम भाव में मंगल की उपस्थिति  जातक को अहंकारी , क्रोधी स्वभाव दे सकती है !

द्वितीय भाव  परिवार भाव है ,  मंगल प्रदत्त अवगुण परिवार के सुख में बाधा दे सकते हैं !

चतुर्थ भाव , घर है व् जातक की अंतरात्मा का सूचक है , यहाँ मंगल की उपस्थिति यदि मंगल के अवगुण प्रदान करे तो घर में अशांति होगी !

सप्तम भाव  विवाह का सूचक जाया भाव है ,  सप्तम भाव में मंगल की उपस्थिति जातक की लग्न व्  सप्तम भाव दोनों को प्रभावित करती है , जातक में जीवन साथी पर   प्रभुत्व रखने - शासन करने की
प्रवृति  हो सकती है !

अष्टम व् द्वादश भाव में मंगल की उपस्थिति जातक के लिए क्रोध व् चरित्र हीनता का कारण बन सकती है !

सर्वविदित है कि उपरोक्त अवगुण पारिवारिक  और वैवाहिक जीवन में अवरोध उत्पन्न करने बाले है , तो आज के समय में क्यों  न, डराने , भ्रम फैलाने के स्थान पर ज्योतिषी सकारात्मक सलाह दे कर जातक को सावधान करे , स्वभाव आदि में सुधार की सलाह दे !  जिससे कि जातक  नकारात्मक जीवन शैली से निकल कर सकारात्मक व् व्यावहारिक विचारपूर्ण हो व् जीवन को सरल  -सुखद बनाये ।
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लाल किताब - बिखरे मोती

जगमोहन  महाजन 
"अच्छा भला काम चल रहा था पता नहीं किसकी नज़र लग गयी "

यह शिकायत शर्मा जी अपनी पत्नी से कर रहे थे !

शर्मा जी की पत्नी का जवाब .....

"आप तो कहा करते थे ,अगर कुछ रकम मिल जाये तो काम बहुत ही बढ़िया चल निकलेगा !

अब तो आपने बेटी ने जो पैसा अपनी पगार का ,, अपनी शादी के लिए जोड़ा था ,उसको अपने काम में लगा दिया है ,कुछ दिन ठीक रहा ,आप खुश भी थे ,आज फिर से आप तंगी का रोना रो रहे हैं !"

यह तो हुई एक घर में हो रही बातचीत का ब्यौरा !

अब दूसरी तरफ चलते हैं  !

चोपड़ा जी की बेटी का तलाक हो गया ..तलाक के बदले मिली रकम करीब पचहतर लाख (75 lac ) !

चोपड़ा जी ने वो रकम अपने कारोबार में लगा दी यह सोच कर कि जब भी ज़रूरत होगी (दुबारा शादी के समय ) बेटी पर लगा देंगे या उसको दे देंगे !

उस रकम से निवेश किया और विदेश से आया माल काफी मुनाफे पर बिक गया (चोपड़ा जी का इम्पोर्ट एक्सपोर्ट का व्योपार है ) !

लेकिन दूसरी बार आया माल सरकार (कस्टम वालो ) ने रोक लिया और काफी दिनों / महीनो बाद ..काफी बड़ा जुर्माना लगाने के बाद छोड़ा ! इतनी देर में उस माल का बाज़ार मूल्य भी कम हो गया और जुर्माना आदि की रकम जोड़ कर उस माल को बेचने पर भी करीब करीब पचास लाख का घाटा हो गया !

तीसरी बार भी कुछ कुछ ऐसा ही हो गया और काफी घाटा हो गया ! बाज़ार में अब चोपड़ा जी की साख भी कम होने लग गयी !

शर्मा जी व चोपड़ा जी जब ज्योतिषियों से मिले तो सब ने बताया कि आपकी कुंडली तो बहुत ही बढ़िया है ..गज केसरी योग है और वो भी नवम भाव में !

गज केसरी योग ...गुरु +चन्द्र की युती का होना एक जन्म कुंडली में बहुत ही महत्त्व रखता है , और इसका फल बहुत ही अच्छा गिना गया है !

लेकिन लाल किताब के अनुसार :-


जिनका भी गुरु + चन्द्र (गज केसरी ) खाना नम्बर नौ / नवें भाव में हो उनके लिए हिदायत है :-

जब कभी लड़की की कीमत या उसका पैसा (धन दौलत ) लेकर खावे ..चन्द्र और गुरु दोनों का फल मंदा बल्कि ज़हरीला ही होगा !

अब ऊपर लिखित दोनों में एक बात समान है कि दोनों व्यक्ति अपनी बेटी के धन दौलत से अपना व्योपार को बड़ा कर घर का गुज़ारा बढ़िया तरीके से करना चाहते थे ! मंशा (भाव / नीयत ) उनकी सही थी ,लेकिन जिन  से पैसा / रकम ली थी ,वो उनकी बेटी थी ..और वही उनको ज़हरीला असर दे गया और उन्नति के बजाये पतन में ले गया !  जो अपनी जन्म कुंडली के ग्रहों के बारे जानते हैं ...अगर उनकी भी कुंडली में यही युति (गुरु+चंदर ) नौवे भाव में है तो उनको हमेशा एक ही ख्याल रखना है कि बेटी के पैसे से दुरी रखे , बेटी की पगार उसके अलग खाते में ही रहने दें और बेटी को भी कहें कि  अगर हो सके तो अपने पैसे घर के खर्चे में कम से कम लगाये जिस से इस युति का भरपूर लाभ / अच्छा फल उनको मिल सके ! ऐसे हलात जैसे ऊपर बयान किये हैं।।उनका एक ही हल है की तुरंत बेटी का पैसा वापस कर दें जिस से व्योपार फिर से गति पकड़ सके ! जो व्यक्ति ज्योतिष के जानकार हैं ...अगर उनके पास इस तरह की युति वाला जातक आता है तो उसको समय रहते सावधान कर दें।।जिस से इस युति का बुरा प्रभाव उनको न मिल पाए !
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2013 में एक नए अवतार में दिखेंगे सचिन


सचिन तेण्‍डुलकर क्रिकेट के उस कृष्‍ण का नाम है जिसके विराट रूप के दर्शन मात्र से श‍त्रुपक्ष थर थर कांपने लगता है। सचिन उस कृष्‍ण का नाम है जिसके सुदर्शन बैट को देखते ही विपक्ष में हाहाकार मच जाता है। सचिन जब स्‍कवायर कट करते हैं तो लगता है कि उन्‍होने आसमां को दो हिस्‍सों में चीर दिया है। जब वे स्‍ट्रेट ड्राइव लगाते हैं तो ऐसा लगता है मानो उनके बैट से टकराकर गेंद नहीं बल्कि कभी न चूकने वाला ब्रह्मास्‍त्र निकला हो। शत्रुपक्ष की अनेकानेक अक्षौहिणी सेनाओं के सामने यह कृष्‍ण अकेला ही काफी है। आज जब क्रिकेट का यह कृष्‍ण रिटायरमेंट लेकर वापस द्वारका चला गया है तो देखते हैं कि उनकी कुण्‍डली भविष्‍य के क्‍या संकेत देती है।

क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज़ों में शुमार सचिन तेंदुलकर का जन्म 21 अप्रैल, 1973 को मुम्बई में हुआ था। बचपन से ही तेंदुलकर की लगन और क्रिकेट के प्रति समर्पण नज़र आने लगा था। वे घण्टों नेट्स पर पसीना बहाते और अपने खेल को बेहतर बनाने में लगे रहते थे। गुरु रमाकांत आचरेकर ने भी एक कुशल कुम्हार की तरह सचिन की प्रतिभा को गढने और तराशने में अपना पूरा योगदान दिया। जब सचिन महज़ 14 साल के थे, उस वक़्त अपने समय के महान बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर ने उन्हें ख़ुद अपने लाइट पैड्स भेंट किए थे। गावस्कर के इस प्रोत्साहन ने सचिन में नया जोश भर दिया और 20 साल बाद सचिन ने तेंदुलकर ने ही गावस्कर के 34 टेस्ट शतकों का रिकॉर्ड तोडा।

1988 में जब वे 16 साल से भी कम उम्र के थे, उन्होंने बॉम्बे की तरफ़ से खेलते हुए गुजरात के ख़िलाफ़ शतक लगाकर सबको अपनी प्रतिभा से रूबरू करा दिया था। यह प्रथम श्रेणी का उनका पहला मुक़ाबला था, जो उनके लिए मील का पत्थर साबित हुआ। तेंदुलकर ने अपना पहला टेस्ट मुक़ाबला 1989 में कराची में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ खेला। ऐसा नहीं है कि तेंदुलकर जैसे क़द्दावर खिलाडी का करिअर हमेशा सकारात्मक ही रहा हो। उन्हें अपने करिअर में क़ई उतार-चढावों से होकर गुज़रना पडा। तेंदुलकर के करिअर में सबसे मुश्किल दौर वह था, जब टेनिस एल्बो की समस्या ने उनके खेल जीवन का लगभग अंत ही कर दिया था। लेकिन तेंदुलकर ने हार मानना नहीं सीखा था, 2005 में उन्होंने ज़बरदस्त वापसी की और अपने आलोचकों को क़रारा जवाब दिया। तेंदुलकर को उनके जीवन में पद्म विभूषण, पद्म श्री, राजीव गांधी खेल रत्न और अर्जुन पुरुस्कार आदि अनेक पुरस्कारों से नवाज़ा गया। अक्सर उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग भी उठती रहती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि तेंदुलकर ने यह मुक़ाम अपनी मेहनत और लगन के बलबूते हासिल किया है। लेकिन उनके जीवन में ग्रहों के खेल की भी अहम जगह रही है। आइए, ज्योतिष के नज़रिए से इस दिलचस्प खिलाडी के करिअर, जीवन और भविष्य को परखें।

इस क्रिकेट के महानतम सितारे की कुण्‍डली में अनेक विलक्षण योग हैं। तृतीय भाव पराक्रम का होता है। तृतीयेश मंगल उच्‍च का होने के कारण उनके क्रिकेट में साहस और आक्रमण का अद्भुत मेल दिखता है। जब 16 वर्ष की उम्र में उन्‍होने क्रिकेट में पदार्पण किया तो उस वक्‍त के सबसे शातिर गुगली गेंदबाज अब्‍दुल कादिर की पिटाई को दुनिया कभी भुला नहीं पाएगी। यह आक्रामक अंदाज और जोश उन्‍हे मंगल की ही देन है। कुण्‍डली में दूसरा आक्रामक ग्रह सूर्य भी मंगल की अग्नि तत्‍व मेष राशि में उच्‍च का होना इस योग को और भी विलक्षण बनाता है। इतना ही नहीं गुरु का नीचभंग राजयोग और इसकी लग्‍न पर दृष्टि स‍िचन को सबसे धनी खिलाडियों में से एक बनाती है।

खैर अब जब सचिन रिटायरमेंट की घोषणा कर चुके हैं तो देखते हैं कि आने वाला समय उनके लिए कैसा है और वे आने वाले वर्ष में क्‍या करने वाले हैं। इस वर्ष वे मुख्‍य तौर पर सूर्य की महादशा में गुरु की अन्‍तर्दशा में रहेंगे। गुरु चौथे और सातवें घर का स्‍वामी है जोकि क्रमश: सुख और जीवनसाथी के ग्रह हैं। तो सबसे पहले तो वे अपना अधिकतम समय अपने घर और परिवार को देना चाहेंगे। उन्‍होने इतने लम्‍बे समय तक क्रिकेट को अपनी प्राथमिकता बना के रखा और इस रिटायरमेंट के तुरंत बाद वाले समय को वे अपने परिवार के समय बिताना पसंद करेंगे।

गुरु ग्रह का नाम ही गुरु है जोकि उनका एक शक्तिशाली ग्रह भी है। गुरु के कारण से भारतीय टीम और भारतीय खिलाडियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। वे भारतीय टीम से अनाधिकारिक तौर पर ही सही, पर जुडे रहेंगे और अपनी तरफ से हर संभव मदद करते रहेंगे। हांलाकि इस वर्ष उनका भारतीय टीम से आधिकारिक तौर पर जुडना संभव नहीं दिखता है। अभी नहीं पर एक समय ऐसा भी आएगा जब वे आधिकारिक तौर पर टीम से जुडेंगे और भारतीय टीम की मदद करेंगे।

सप्‍तम भाव व्‍यापार का भी भाव होता है और इसलिए वे अपने व्‍यापार को भी और समय दे पाऐंगे। वे अपने व्‍यापार को आगें बढाएंगे और खेल से ही जुडा कुछ काम प्रारम्‍भ कर सकते हैं। किसी तरह की कोचिंग एकेडमी बहुत हद तक संभव है।
इस वर्ष वे राजनीति से भी जुडे रहेंगे और अपनी तरह से खेल को आगे ले जाने के लिए कुछ महत्‍वपूर्ण प्रयास करेंगे। हालांकि इस प्रयास का परिणाम आने में अभी समय लगेगा।

कुल मिलाकर यह वर्ष उनके लिए आराम और जीवन में आनन्‍द लेने का वर्ष है। वे अपने जीवन का आनन्‍द उठाएंगे और देश और खेल के लिए अपना योगदान देते रहेंगे। मैं सचिन का आने वाले समय के लिए शुभकामनाऐं देता हूं और उम्‍मीद भी करता हूं कि वे अपनी तरह से किसी न किसी तरीके से देश की सेवा करते रहेंगे।

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2013 में राजनीतिक फतह के लिए तैयार इमरान खान


पाकिस्‍तान की राजनीतिक पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ़ को स्‍थापित करने वाले इमरान ख़ान पाकिस्‍तान ही नहीं बल्कि दुनिया भर में एक जाना-माना नाम हैं। उन्होंने पाकिस्‍तान को क्रिकेट विश्व-कप जितवाकर एक नई ऊँचाई पर पहुँचाया। 1992 में पाकिस्‍तान टीम ने जब विश्‍वकप जीता तब कोई भी पाकिस्‍तान को उस दौड में नहीं मानता था। यह इमरान ख़ान का नेतृत्‍व ही है जिसने पाकिस्‍तान की सामान्‍य-सी टीम को बड़ी-बड़ी टीमों को परास्‍त करने का हौसला दिया और विश्‍व कप में जीत दिलाई।

पाकिस्‍तान क्रिकेट को ऊँचाइयों पर पहुँचाकर 1996 में इमरान ख़ान ने तहरीक-ए-इ्ंसाफ़ नाम की पार्टी का गठन किया। उनकी स्‍वयं की प्रसिद्धी के बावजूद शुरुवात में उन्‍हें कुछ ख़ास सफलता नहीं मिली। अब 2013 में पाकिस्‍तान में फिर चुनाव हैं और यह देखना होगा कि अब उनकी पार्टी को कितनी सफलता मिलती है। उससे पहले आइये एक नज़र डालते हैं इमरान ख़ान की कुण्‍डली पर -

कुण्‍डली पर नज़र डालने पर कई योग परिलक्षित होते हैं। साहस का कारक मंगल लग्‍नेश और ऊर्जा का कारक सूर्य लग्‍न में है जो इमरान खान को साहसी और ऊर्जावान व्‍यक्तित्‍व देते हैं। लग्‍नेश मंगल का उच्‍च होना और उपाच्‍य भाव में स्थित होना कुण्‍डली को बहुत ही शक्ति प्रदान करता है। मंगल और तृतीय भाव का खेल में सफलता के लिए विशेष महत्‍व है। उच्‍च के मंगल का राहु के साथ तृतीय भाव में होना एक महान खिलाड़ी की कुण्‍डली दिखाता है। साथ ही तृतीयेश या चतुर्थेश शनि का उच्‍च एवं वर्गोत्‍तम होना शक्तिशाली राजयोग का निर्माण करता है। बारहवें भाव में शनि शत्रुओं पर विजय दिलाता है। मंगल ने जहाँ उन्‍हें खिलाड़ी बनाया, वहीं शनि ने उन्‍हें एक विजेता बनाया। मंगल ने जहाँ उन्‍हें ख़ुद को हमेशा प्रेरित रखने की सीख दी, वहीं शनि ने टीम को प्रेरित करना सिखाया।

सूर्य ग्रह मण्‍डल का राजा है और उसकी लग्‍न पर स्थिति ने ही उन्‍हें कप्‍तान बनाया। लग्‍नेश मंगल होने के कारण उन्होंने टीम को ऐसी लीडरशिप दी जो शायद ही पाकिस्‍तानी क्रिकेट के इतिहास में कोई दे पाया हो। इसमें कोई शक नहीं की इमरान पाकिस्‍तान क्रिकेट के सबसे सफल कप्‍तान हैं। मंगल सूर्य की इतनी शक्तिशाली स्थिति की वजह से ही वे पाकिस्‍तान की बिखरी हुई टीम को न सिर्फ एकजुट कर सके, परन्‍तु उन्‍हें विश्‍वविजेता बना सके।

सूर्य सरकार का भी कारक है। सूर्य का लग्‍न में होना उन्‍हें सरकार के करीब भी लाता है। कभी कभी यह स्थिति उन्‍हें थोड़ा घमण्‍ड भी देती है जो कि राजनीतिक सफलता के लिए अच्‍छा नहीं है। अन्‍यथा यह स्थिति बहुत ही उत्‍तम है। उनका चंद्र भी नवमेश होकर चतुर्थ में स्थित होकर पाराशरीय राजयोग का निर्माण कर रहा है। सूर्य और लग्‍न की उत्‍तम स्थिति उनके राजनीतिक जीवन की ओर संकेत देते हैं।

जैसा कि किसी भी कुण्‍डली में होता है, हर कुण्‍डली में कुछ न कुछ परेशानियां होती ही हैं। हर इंसान को ग्रहों के अच्‍छे और बुरे दोनों प्रभावों को जीना ही पड़ता है। उदाहरण के तौर पर विवाह का कारक शुक्र कुण्‍डली में विवाह के भाव का स्वामी भी है। ऐसा शुक्र न सिर्फ नीच नवांश का है बल्कि पाप ग्रहों के मध्‍य है यानि कि पापकर्तरी दोष से ग्रस्‍त है। साथ ही शुक्र पर शनि की दृष्टि भी है। इसलिए इसमें कोई आश्‍चर्य नहीं की इमरान खान को अपने वैवाहिक जीवन में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ा। शुक्र विदेश के बारहवें घर का स्‍वामी भी है और बारहवें घर में बैठे शनि से देखा जा रहा है। इसलिए इमरान का विवाह विजातीय और दूसरे देश की महिला से हुआ। शुक्र के कमज़ोर  होने की वजह से दुर्भाग्यवश यह विवाह ज़्यादा सफल न हो सका।

ख़ैर, 2013 का समय पाकिस्‍तान की राजनीति और इमरान ख़ान दोनों के लिए ही बहुत महत्‍वपूर्ण है। अपनी वर्तमान सरकार में पाकिस्‍तान ने अपने सबसे बुरे समय को देखा है और पाकिस्‍तान के लोग इमरान ख़ान से बहुत उम्‍मीद रखते हैं। ज़रा देखेते हैं कि राजनीति के दृष्टिकोण से इमरान का समय कैसा चल रहा है। 1997 में इमरान की पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। उस समय चर दशा के हिसाब से मेष राशि की दशा चल रही थी। मेष राशि छठवें भाव में पड़ी है और वहाँ गुरु स्थि‍त है। गुरु शनि ओर मंगल दो पाप ग्रहों से दृष्‍ट होने की वजह से बहुत कमज़ोर है। कोई आश्चर्य नहीं की उनकी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली। उस समय तुला की अन्‍तर्दशा भी चल रही थी जो कि बारहवें भाव में स्थित है।

2002 में दूसरे चुनाव में उन्‍हें काफी उम्‍मीदें थीं। लेकिन उस समय मीन राशि की दशा चल रही थी। मीन राशि में ग्रह नहीं होने के कारण कमजोर है और साथ ही मीन राशि का स्‍वामी भी बहुत कमजोर है। 2002 में उनकी पार्टी नें सिर्फ एक सीट जीती वह भी उनकी स्‍वयं की।

अब 2013 के चुनाव के वक्‍त उनकी कुंभ की दशा चल रही होगी। कुंभ राशि चतुर्थ भाव में स्थित है और चंद्र भी उस राशि में है। कुंभ का स्‍वामी शनि न सिर्फ उच्‍च है बल्कि वर्गोत्‍तम भी है। इतनी शक्तिशाली कुण्‍डली इमरान ख़ान और तहरीक-ए-इंसाफ़ की जीत की ओर इशारा करती है। शनि की वजह से उन्‍हें जनता का व्‍यापक समर्थन मिलेगा। जो भीड़ और जनसमर्थन इमरान को मिलेगा वह पाकिस्‍तान के लिए अप्रत्‍या‍शित होगा। ग्रह इमरान को प्रधानमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदान बताते हुए प्रतीत होते हैं।

2013 का समय इमरान के लिए सबसे उत्‍तम समय में से एक है। हालांकि 2013 का अन्‍त आते आते इमरान की परेशानियां भी बढ़ती जाएंगी। परन्‍तु अभी 2013 के शुरुवात का समय है इसलिए 2013 के बाद की चर्चा अभी नहीं करेंगे।

इस लेख को में यह कहते हुए खत्‍म करना चाहूंगा कि इमराम में भविष्‍य का पाकिस्‍तान का प्रधानमंत्री नजर आता है। इमरान पाकिस्‍तानी जनता की 2013 में पहली पसंद होंगे और यह पाकिस्‍तान के लिए नया इतिहास गढेगा। इमरान खान और उनकी पार्टी तहरीक ए इंसाफ़ को शुभकामनाएँ देना चाहूंगा ओर उम्‍मीद करूंगा की वे पाकिस्‍तान को तरक्‍की के पथ पर लेकर जाऐंगे और भारत पाकिस्‍तान के रिश्‍ते मज़बूत करने का भी प्रयास करेंगे।

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कैसा रहेगा साइरस मिस्त्री के लिए वर्ष 2013

पंडित हनुमान मिश्रा
साइरस मिस्त्री टाटा के नए बॉस साइरस पलोनजी मिस्त्री का जन्म 4 जुलाई 1968 को हुआ था। इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंदन से सिविल इंजिनियरिंग में बीई की डिग्री हासिल की। उनके पास लंदन बिजनेस स्कूल से मास्टर्स की डिग्री भी है। टाटा से पहले वह कई दूसरी कंपनियों में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं। इनके जन्म के समय चित्रा नक्षत्र था और चन्द्रमा कन्या राशि में स्थित था। यदि चन्द्र कुण्डली के अनुसार इनकी कुण्डली के योग को देखा जाय तो उनमें से कई योग उच्च स्तरीय राजयोग हैं। सबसे पहले तो इनके राशीश को देखा जाय तो वह अपने से दशम भाव में भद्र योग बनाकर बैठा हुआ है। यह योग पंचमहापुरुष राजयोगों में से एक योग है। इस योग के जो फल ज्योतिष शास्त्रों में बताए गए हैं वो इस प्रकार हैं कि ऐसा व्यक्ति अपनी बुद्धि, वाक्पटुता और व्यापार कुशलता के दम पर अपनी गणन विशिष्ट लोगों में करवाने में सफल रहता है।

चंद्र कुण्डली से इनकी कुंडली में सफल अमल कीर्ति योग है जो इस बात का द्योतक है कि ऐसा जातक राज्यपूज्य, भोगेन्द्र, दानी, बन्धुजन प्रिय, परोपकारी और गुणवान होता है। इनकी कुण्डली में शंख योग है जिसका फल बताते हुए ज्योतिष शास्त्र कहते हैं कि ऐसा व्यक्ति मानवतावादी, सत्कर्म में रुचि रखने वाला, धार्मिक, विद्वान तथा राजा के समान होता है। इनकी कुण्डली में कर्मसिद्धि योग भी है जो इस बात का संकेतक है कि ऐसे व्यक्ति को अपने कामों सफलता मिलती है। इनकी कुण्डली में उपस्थित अमर योग इनको अतुल्य धन का स्वामी बनाने का संकेतक है। केन्द्र त्रिकोण राज योग भी राजसी वैभव से युक्त होने का इशारा कर रहा है। धर्मकर्माधिपति योग जो कि प्रथम श्रेणी के राजयोगों में गिना जाता है, इस बात का संकेत कर रहा है कि इन्हें सफलता, सम्मान और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती रहेगी। अनफा योग इन्हें यशस्वी, विश्वविख्यात और सामर्थ्यवान बना रहा है। जबकि हर्ष योग इन्हें बाधाओं को पार करने वाला और प्रधान व्यक्तियों का प्यारा बना रहा है। इन योगों के अलावा इनकी कुण्डली में और भी कई राजयोग उपस्थित हैं जो इनके व्यक्तित्त्व को बहुत बडा बनाने में सहायक हो रहे हैं।

आइए अब इनकी कुण्डली की दशाओं और गोचर पर एक नजर डाल ली जाय। वर्तमान में इन पर शनि की महादशा का प्रभाव है। हालांकि इनकी कुण्डली शनि ग्रह नीच राशि में स्थित है। सामान्यतय: यदि एक अच्छी स्थिति नहीं मानी गई है लेकिन चन्द्र कुण्डली से शनि अष्टम भाव में स्थित है। इस प्रकार अष्टम में नीच ग्रह का स्थित हो जाना विपरीत परिस्थियों में शुभ परिणाम देने का संकेतक है। अत: कुछ कठिनाइयों के बाद सफलता मिलना स्वाभाविक होगा। वर्तमान में शनि की साढे साती के प्रभाव के कारण भी दायित्त्वों के निर्वहन में कुछ कठिनाई का अनुभव हो सकता है। आइए अब अन्य मुख्य ग्रहों के गोचर फल पर एक नजर डाली जाय।

बृहस्पति का गोचर मई 2013 तक इनके नवम भाव में रहेगा जो इनके लिए एक सर्वश्रेष्ठ समय होने का इशारा कर रहा है। इन्हें प्रचुर मात्रा में सफलता और सम्मान मिलेगा। अपने अपने क्षेत्र के कई दिग्गजों का सहयोग और मार्गदर्शन इन्हें मिलता रहेगा। कई सफल व्यवसायिक यात्राएं करने का मौका इन्हें मिलेगा। वहीं मई के बाद का बृहस्पति का गोचर इनके दशम भाव यानी कि कर्म स्थान में होगा जिससे साइरस मिस्त्री अपने व्यवसाय में बहुत अच्छा कर पाएंगे। व्यापार का विस्तार होगा और पद बढे़गा। इस अवधि में वरिष्ठ लोगों व शक्तिवान व्यक्तियों से स्नेह व सम्मान प्राप्त होगा। लेकिन कुछ व्यवसायिक प्रतिद्वंदियों से सावधान रहने की भी जरूरत इन्हें पडेगी।

दूसरे भाव में शनि का गोचर कुछ आर्थिक मामलों को लेकर दिमागी तनाव दे सकता है। यद्यपि बृहस्पति का गोचर इनके कार्यक्षेत्र के लिए अनुकूल है लेकिन शनि के गोचर को ध्यान में रखते हुए इन्हें नए उद्यमों से इस अवधि में सम्बंद्ध होने से बचना होगा साथ ही महत्वपूर्ण दस्तावेजों का एक से अधिक बार निरीक्षण करना भी जरूरी होगा यानि कि जोखिम उठाने की प्रवृति पर अंकुश लगाना होग। राहु का गोचर भी दूसरे भाव में ही है वह भी नए निवेश में अत्यधिक सावधानी परतने का संकेत कर रहा है। केतू अष्टम में गोचर करते हुए इशारा कर रहा है कुछ मामलों में अप्रत्यासित सफलता का भी संकेत कर रहा है। साथ ही अचानक हुई व्यवसायिक यात्राओं में सफलता और सम्मान भी मिलने के योग हैं।

अत: कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि इस वर्ष साइरस मिस्त्री अपने दायित्व का निर्वहन करने में सफल रहेंगे। कुछ छोटी-मोटी परेशानियों को छोड दिया जाय तो लगभग पूरा वर्ष ही अनुकूलता लिए हुए है। केवल निवेश, नए उपक्रमों और जरूरी कागजातों के मामले में सावधानी जरूरी होगी और सम्भवत: इतने अनुभवी साइरस मिस्त्री इन बातों को समझेंगे और कामयाबी का परचम लहराएंगे।

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आर्थिक फलादेश: जनवरी 2013

पंडित हनुमान मिश्रा

मेष: आर्थिक फलादेश


जनवरी का महीना आपके आर्थिक मामलों के लिए मिला जुला रहेगा। शुरुआती दिनों में पैसों को लेकर चिंता या परेशानी सम्भव है। लेकिन माह के दूसरे भाग में यदि आप किसी आर्थिक मुद्दे को लेकर कोई यात्रा सफल रहेगी। हालांकि किसी धार्मिक कार्य में कुछ खर्चे होने की भी उम्मीद है। किसी उच्च पद पर आसीन व्यक्ति के द्वारा आपको आर्थिक मदद मिल सकती है। लेकिन माता पिता के स्वास्थ्य को लेकर कुछ खर्चे भी हो सकते हैं। यदि आप आर्थिक लाभ का कोई नया मार्ग खोज रहे हैं तो आप साख अच्छी रहने के कारण आपको काम मिलेगा और आप उससे कमाई भी कर पाएंगे।

वृषभ: आर्थिक फलादेश


जनवरी का महीना आर्थिक मामलों के लिए ठीक नहीं है। यदि आपने किसी को पैसे उधार दे रखे हैं तो उनके मिलने में फिलहाल अडचने आ सकती हैं। यदि किसी सम्बंधी से कोई आर्थिक लेन-देन का मामला उलझा है तो फ़िलहाल शांति से काम लें अन्यथा विवाद की स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं। किसी संक्षिप्त मार्ग से पैसे बनाने का विचार उचित नहीं है। यह आपको किसी परेशानी में डाल सकता है। किसी की बीमारी की वजह से भी आपका धन खर्च हो सकता है। सन्देहास्पद सौदों से बचें। किसी बुरी आदत के चलते भी आर्थिक हानि होने के योग हैं।

मिथुन: आर्थिक फलादेश


जनवरी का महीना आर्थिक मामलों के लिए मिलाजुला रहेगा। माह मे पहले भाग में आप कई प्रकार के आर्थिक लाभों का आनंद लेंगे। आपको अपनी मेहनत के अनुसार धन लाभ होता रहेगा। यदि आप कर्जदार हैं तो आप अपने कर्जे को चुकता कर पाएंगे। लेकिन माह का दूसरा भाग आर्थिक मामलों के लिए बहुत अनुकूल नहीं रहेगा। कुछ बेवजह की यात्राएं आपके खर्चें में इजाफ़ा कर सकती हैं। पैसों के लिए की गई यात्राओं के सफल होने में कठिनाई दिख रही है। किसी बीमारी की वजह से भी खर्चे हो सकते हैं। इस समय बेवजह के खर्चों पर अंकुश लगाना जरूरी होगा।

कर्क: आर्थिक फलादेश


जनवरी का महीना आपके आर्थिक पक्ष को मजबूती देने वाला सिद्ध होगा। यदि आप कर्जदार हैं और उसे चुकाना चाहते हैं तो उसके लिए यह एक अच्छा समय है। कार्य व्यवसाय के माध्यम से भी लाभ का प्रतिशत बढेगा। यदि आपको ऐसा लगता है कि कोई आपको आर्थिक नुकसान पहुंचाना चाह रहा है तो इस महीना आपका यह भय दूर हो जाएगा। आपको अपनी मेहनत के अनुसार धन लाभ जरूर होगा। यदि आप बैंक से कोई लोन लेना चाह रहे हैं तो इस माह उस काम में प्रगति या सफलता की उम्मीद बन रही है। यदि किसी भी आर्थिक मुद्दे को लेकर आपके मन में कोई बेचैनी रही है तो उसके दूर होने का समय आ चुका है।

सिंह: आर्थिक फलादेश


जनवरी महीने के शुरुआत में आपकी मेहनत का क्रम जारी रहेगा लेकिन आप हार नहीं मानेंगे। यदि आपके पैसे कहीं फसें हुए हैं तो उन्हें लेकर आप चिंतित या व्याकुल न हों। जल्द ही आपकी मेहनत का फल मिलने वाला है। महीने के दूसरे भाग में आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। यदि आपने कहीं से पैसे उधार ले रखे हैं तो इस समय आप उसे चुकता कर पाएंगे। नौकरी और काम धंधे में हुआ सुधार आपको आर्थिक समृद्धि देगा। आपकी तरक्की होना भी आपके आर्थिक सुधार का एक कारण हो सकता है। आपको नुकसान पहुचांने वाले शांत रहेंगे।

कन्या: आर्थिक फलादेश


जनवरी का महीना आर्थिक मामलों के लिए अधिक ठीक नहीं है। माह के शुरुआती दिनों कुछ घरेलू मामलों में आपको न चाहते हुए भी धन खर्च करना पडेगा। पारिवारिक विवादों को बाहर न निकलने दें अन्यथा उनकों दूर करने के लिए आपको खर्चे करने पड सकते हैं। माह के दूसरे भाग में आपके भीतर उत्साह जागेगा और आप अपने आर्थिक पक्ष को मजबूत करना चाहेंगे लेकिन आपको अपने प्रयास में पूरी सफलता नहीं मिल पाएगी। फ़िर भी चीजें पहले से बेहतर होंगी। आप अपने चाहने वालों, प्रेमी, प्रेमिका या मित्रों के लिए भी कुछ खर्चे कर सकते हैं। अचानक हुए यात्रा भी खर्चें का एक कारण हो सकती है।

तुला: आर्थिक फलादेश


जनवरी महीने के पहले पखवाडे में आपको तरह-तरह के लाभ मिलेंगे। आर्थिक मामलों को लेकर की गई यात्राएं सफल रहेंगी। आपका आत्मविश्वास और आपकी मेहनत लाभ के कुछ नए रास्ते खोलेगी। लेकिन कुछ मनोरंजक यात्राओं में धन खर्च भी हो सकता है। यदि आपने कहीं निवेश कर रखा है तो वहां से आपको शुभ समाचार मिल सकता है। माह के दूसरे भाग कुछ घरेलू मामले ऐसे आ सकते हैं जिन पर न चाहते हुए आपको धन खर्च करना पडे। इस समय कुछ खर्चे दवाओं पर भी हो सकते हैं।

वृश्चिक: आर्थिक फलादेश


जनवरी महीने का पहला भाग आर्थिक मामलों के लिए ठीक नहीं है। अत: किसी निवेश के पूर्व भलीभांति चिंतन आवश्यक है। किसी उधारी को लेकर आप तनावग्रस्त रह सकते हैं। इस महीने सूर्य का गोचर आपको आर्थिक हानि के साथ-साथ सम्पत्ति को लेकर परेशानी का भी संकेत कर रहा है। अत: धन संबंधी मामलों में काफी सचेत रहने की आवश्यकता है। घर-परिवार को लेकर कुछ खर्चे करने पड सकते हैं। लेकिन महीने के दूसरे भाग में सारी चीजें धीरे-धीरे करके आपके पक्ष में आने लगेंगी। आर्थिक लाभ के साथ-साथ सम्पत्ति लाभ के योग बनते हुए प्रतीत हो रहे हैं।

धनु: आर्थिक फलादेश


जनवरी का महीना आपके आर्थिक मामलों के लिए मिलाजुला रहेगा। इस महीने आपका आर्थिक मामलों के प्रति धनात्मक दृष्टिकोण रहेगा और आप में जरूरत से अधिक आत्मविश्वास रहेगा। जो आपको ऐच्छिक आर्थिक लाभ कराने में सहायक होगा। यदि आप धन प्राप्ति के लिए कोई यात्रा कर रहे हैं तो उसमें आपको मेहनत करने के लिए तैयार रहना चाहिए। क्योंकि मेहनत के बाद ही धनार्जन कर पाएंगे। यदि किसी सरकारी मामले से आपको लाभ मिलने की उम्मीद दिख रही थी तो उस उम्मीद के साकार होने के दिन आ गए हैं। इस महीने सामाजिक संस्थानों को आप खुलकर दान देंगे। दवाइयों पर भी कुछ खर्चे हो सकते हैं।

मकर: आर्थिक फलादेश


जनवरी का महीना आपके आर्थिक मामलों के लिए मिला जुला रहेगा। माह के पहले भाग में आमदनी में अच्छी खासी वृद्धि होगी। कई फायदेमंद सौदों से आप जुडेंगे। आवश्यकता पडने पर स्वजनों से भी सहयोग मिलेगा। लेकिन माह के दूसरे भाग में धीरे-धीरे आर्थिक चिंताएं आप पर हावी हो जाएंगी। चाहने के बावजूद भी आप खर्चों पर नियंत्रण पाने में विफल रहेंगे। यथा सम्भव निवेश से बचें यदि बहुत जरूरी हो तो किसी भी निवेश से पहले भली-भांति विचार विमर्श जरूर करें। आर्थिक लेन देन के मामलों में रिश्तेदारों व मित्रों से विवाद न करें। सट्टेबाजी से बचें अन्यथा आर्थिक हानि उठानी पड़ सकती है।

कुम्भ: आर्थिक फलादेश


जनवरी का महीना आर्थिक संतुष्टि के लिए उत्तम रहेगा। माह के प्रथम भाग में आपने जितना परिश्रम किया है, उसका लाभ आपको जरूर मिलेगा। वरिष्ठ व्यक्तियों का आर्थिक सहयोग भी आपको मिलेगा। वही माह के दूसरे भाग में यदि आपने किसी को पैसे उधार दे रखे हैं तो आपको उसकी प्राप्ति हो जाएगी। आपकी इच्छाएं व महत्वाकांक्षायें पूरी होंगी। यदि आपको किसी भी प्रकार के आर्थिक सहयोग की आवश्यकता होगी तो आपके मित्र और रिश्तेदार इस मामले में आपकी सहायता कर सकते हैं। संतान अथवा प्रेम पात्र पर कुछ खर्चे सम्भव हैं। इस समय के सौदे फायदेमंद सिद्ध होंगे। अनुबन्धों और समझौतों से आपको प्रचुर लाभ मिलेगा।

मीन: आर्थिक फलादेश


आर्थिक मामलों के लिए जनवरी का महीना अच्छा रहेगा। माह के प्रथम भाग में आप अपनी योग्यता के आधार पर अच्छी कमाई कर पाएंगे। आर्थिक यात्राएं सफल रहेंगी। वहीं माह के दूसरे भाग में बहुत क्रियाशील एवम् व्यस्त रहते हुए आपने उद्यमों को सफल बनाएंगे। फलस्वरूप आप अच्छी कमाई कर पाएंगे। कोई उच्चपद पर आसीन व्यक्ति आपके लिए लाभकारी सिद्ध होगा। आपकी कर्मठता आपके लाभ के प्रतिशत को बढाने में सहायक सिद्ध होगी। इस समय में आप अपनी सारी आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पा जायेंगे। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि आर्थिक मामलों के लिए यह माह आपके लिए यादगार सिद्ध होगा।

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