2013 में एक नए अवतार में दिखेंगे सचिन


सचिन तेण्‍डुलकर क्रिकेट के उस कृष्‍ण का नाम है जिसके विराट रूप के दर्शन मात्र से श‍त्रुपक्ष थर थर कांपने लगता है। सचिन उस कृष्‍ण का नाम है जिसके सुदर्शन बैट को देखते ही विपक्ष में हाहाकार मच जाता है। सचिन जब स्‍कवायर कट करते हैं तो लगता है कि उन्‍होने आसमां को दो हिस्‍सों में चीर दिया है। जब वे स्‍ट्रेट ड्राइव लगाते हैं तो ऐसा लगता है मानो उनके बैट से टकराकर गेंद नहीं बल्कि कभी न चूकने वाला ब्रह्मास्‍त्र निकला हो। शत्रुपक्ष की अनेकानेक अक्षौहिणी सेनाओं के सामने यह कृष्‍ण अकेला ही काफी है। आज जब क्रिकेट का यह कृष्‍ण रिटायरमेंट लेकर वापस द्वारका चला गया है तो देखते हैं कि उनकी कुण्‍डली भविष्‍य के क्‍या संकेत देती है।

क्रिकेट के महानतम बल्लेबाज़ों में शुमार सचिन तेंदुलकर का जन्म 21 अप्रैल, 1973 को मुम्बई में हुआ था। बचपन से ही तेंदुलकर की लगन और क्रिकेट के प्रति समर्पण नज़र आने लगा था। वे घण्टों नेट्स पर पसीना बहाते और अपने खेल को बेहतर बनाने में लगे रहते थे। गुरु रमाकांत आचरेकर ने भी एक कुशल कुम्हार की तरह सचिन की प्रतिभा को गढने और तराशने में अपना पूरा योगदान दिया। जब सचिन महज़ 14 साल के थे, उस वक़्त अपने समय के महान बल्लेबाज़ सुनील गावस्कर ने उन्हें ख़ुद अपने लाइट पैड्स भेंट किए थे। गावस्कर के इस प्रोत्साहन ने सचिन में नया जोश भर दिया और 20 साल बाद सचिन ने तेंदुलकर ने ही गावस्कर के 34 टेस्ट शतकों का रिकॉर्ड तोडा।

1988 में जब वे 16 साल से भी कम उम्र के थे, उन्होंने बॉम्बे की तरफ़ से खेलते हुए गुजरात के ख़िलाफ़ शतक लगाकर सबको अपनी प्रतिभा से रूबरू करा दिया था। यह प्रथम श्रेणी का उनका पहला मुक़ाबला था, जो उनके लिए मील का पत्थर साबित हुआ। तेंदुलकर ने अपना पहला टेस्ट मुक़ाबला 1989 में कराची में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ खेला। ऐसा नहीं है कि तेंदुलकर जैसे क़द्दावर खिलाडी का करिअर हमेशा सकारात्मक ही रहा हो। उन्हें अपने करिअर में क़ई उतार-चढावों से होकर गुज़रना पडा। तेंदुलकर के करिअर में सबसे मुश्किल दौर वह था, जब टेनिस एल्बो की समस्या ने उनके खेल जीवन का लगभग अंत ही कर दिया था। लेकिन तेंदुलकर ने हार मानना नहीं सीखा था, 2005 में उन्होंने ज़बरदस्त वापसी की और अपने आलोचकों को क़रारा जवाब दिया। तेंदुलकर को उनके जीवन में पद्म विभूषण, पद्म श्री, राजीव गांधी खेल रत्न और अर्जुन पुरुस्कार आदि अनेक पुरस्कारों से नवाज़ा गया। अक्सर उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग भी उठती रहती है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि तेंदुलकर ने यह मुक़ाम अपनी मेहनत और लगन के बलबूते हासिल किया है। लेकिन उनके जीवन में ग्रहों के खेल की भी अहम जगह रही है। आइए, ज्योतिष के नज़रिए से इस दिलचस्प खिलाडी के करिअर, जीवन और भविष्य को परखें।

इस क्रिकेट के महानतम सितारे की कुण्‍डली में अनेक विलक्षण योग हैं। तृतीय भाव पराक्रम का होता है। तृतीयेश मंगल उच्‍च का होने के कारण उनके क्रिकेट में साहस और आक्रमण का अद्भुत मेल दिखता है। जब 16 वर्ष की उम्र में उन्‍होने क्रिकेट में पदार्पण किया तो उस वक्‍त के सबसे शातिर गुगली गेंदबाज अब्‍दुल कादिर की पिटाई को दुनिया कभी भुला नहीं पाएगी। यह आक्रामक अंदाज और जोश उन्‍हे मंगल की ही देन है। कुण्‍डली में दूसरा आक्रामक ग्रह सूर्य भी मंगल की अग्नि तत्‍व मेष राशि में उच्‍च का होना इस योग को और भी विलक्षण बनाता है। इतना ही नहीं गुरु का नीचभंग राजयोग और इसकी लग्‍न पर दृष्टि स‍िचन को सबसे धनी खिलाडियों में से एक बनाती है।

खैर अब जब सचिन रिटायरमेंट की घोषणा कर चुके हैं तो देखते हैं कि आने वाला समय उनके लिए कैसा है और वे आने वाले वर्ष में क्‍या करने वाले हैं। इस वर्ष वे मुख्‍य तौर पर सूर्य की महादशा में गुरु की अन्‍तर्दशा में रहेंगे। गुरु चौथे और सातवें घर का स्‍वामी है जोकि क्रमश: सुख और जीवनसाथी के ग्रह हैं। तो सबसे पहले तो वे अपना अधिकतम समय अपने घर और परिवार को देना चाहेंगे। उन्‍होने इतने लम्‍बे समय तक क्रिकेट को अपनी प्राथमिकता बना के रखा और इस रिटायरमेंट के तुरंत बाद वाले समय को वे अपने परिवार के समय बिताना पसंद करेंगे।

गुरु ग्रह का नाम ही गुरु है जोकि उनका एक शक्तिशाली ग्रह भी है। गुरु के कारण से भारतीय टीम और भारतीय खिलाडियों का मार्गदर्शन करते रहेंगे। वे भारतीय टीम से अनाधिकारिक तौर पर ही सही, पर जुडे रहेंगे और अपनी तरफ से हर संभव मदद करते रहेंगे। हांलाकि इस वर्ष उनका भारतीय टीम से आधिकारिक तौर पर जुडना संभव नहीं दिखता है। अभी नहीं पर एक समय ऐसा भी आएगा जब वे आधिकारिक तौर पर टीम से जुडेंगे और भारतीय टीम की मदद करेंगे।

सप्‍तम भाव व्‍यापार का भी भाव होता है और इसलिए वे अपने व्‍यापार को भी और समय दे पाऐंगे। वे अपने व्‍यापार को आगें बढाएंगे और खेल से ही जुडा कुछ काम प्रारम्‍भ कर सकते हैं। किसी तरह की कोचिंग एकेडमी बहुत हद तक संभव है।
इस वर्ष वे राजनीति से भी जुडे रहेंगे और अपनी तरह से खेल को आगे ले जाने के लिए कुछ महत्‍वपूर्ण प्रयास करेंगे। हालांकि इस प्रयास का परिणाम आने में अभी समय लगेगा।

कुल मिलाकर यह वर्ष उनके लिए आराम और जीवन में आनन्‍द लेने का वर्ष है। वे अपने जीवन का आनन्‍द उठाएंगे और देश और खेल के लिए अपना योगदान देते रहेंगे। मैं सचिन का आने वाले समय के लिए शुभकामनाऐं देता हूं और उम्‍मीद भी करता हूं कि वे अपनी तरह से किसी न किसी तरीके से देश की सेवा करते रहेंगे।

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