पौष पूर्णिमा 2019 व्रत विधि और महत्व !

कल है साल 2019 की पहली पौष पूर्णिमा। इस प्रकार स्नान और दान करने से आपको भी मिलेगा लाभ !

पौष महीने का अंतिम दिन हिन्दू कैलेंडर के अनुसार पूर्णिमा का होता है और इस दिन महास्नान करना हर जीव के लिए बेहद शुभ माना गया है। पौष पूर्णिमा के इस पवित्र दिन पर दुनिया भर में लोग पवित्र नदियों में स्नान या डुबकी लगाते है। चूकि शास्त्रों में पौष का महीना सूर्यदेव का माना जाता है और वहीं पूर्णिमा की तिथि चंद्रमा की तिथि होती है। ऐसे में जब सूर्य और चंद्रमा का यही अद्भुत संयोग बनता हैं तो उसे हम ज्योतिष शास्त्रों में पौष पूर्णिमा कहते है। मान्यता हैं कि इस दिन सूर्य और चंद्र की उपासना कर कोई भी व्यक्ति अपनी तमाम मनोकामनाएं पूरी कर सकता है।


पूर्णिमा यानि “पूर्णो मा” जिसमें मास का अर्थ होता है चंद्र। अर्थात जिस दिन चंद्र देव अपने पूर्ण आकार में होते है तो उसी दिन को पूर्णिमा कहा जाता है। अगर कभी आपने गौर किया होगा तो पाया होगा कि हर माह की पूर्णिमा पर कोई न कोई त्योहार अवश्य होता है। लेकिन पौष और माघ माह की पूर्णिमा का हर शास्त्र में हमेशा से ही अपना एक अलग ही अत्यधिक महत्व रहा है। विशेषकर उत्तर भारत के राज्यों में हिन्दू धर्म के लोगों के लिए यह बहुत ही खास दिन होता है। 

2019 में पौष पूर्णिमा


पौष पूर्णिमा व्रत मुहूर्त New Delhi, India के लिए

जनवरी 20, 2019 को 14:20:20 से पूर्णिमा आरम्भ
जनवरी 21, 2019 को 10:47:11 पर पूर्णिमा समाप्त



वर्ष 2019 में रविवार 20 जनवरी को 14:20:20 बजे से पूर्णिमा आरम्भ हो रही हैं। जो अगले दिन सोमवार, 21 जनवरी 2019 को 10:47:11 पर समाप्त होगी। इसलिए आप भी इस पवित्र माह का स्वागत करने वाली इस मोक्षदायिनी पूर्णिमा पर भगवान की अराधना व इस दिन किसी भी पवित्र नदी में स्नान ध्यान, दान आदि से पुण्य कमा सकते है। 

पौष पूर्णिमा का महत्व


पौष माह की पूर्णिमा, पौष पूर्णिमा को मोक्ष दिलाने वाली सबसे शुभ तिथि के रूप में देखा जाता रहा है। क्योंकि इसके बाद ही माघ महीने की शुरुआत होती है। इसके अलावा माघ महीने में किए जाने वाले स्नान की शुरुआत भी पौष पूर्णिमा की शुभ तिथि के साथ ही हो जाती है। इसलिए प्राचीन काल से ही ये मान्यता है कि जो कोई भी इस दिन विधिपूर्वक प्रात:काल स्नान और व्रत करता है वह सीधे-सीधे मोक्ष का अधिकारी हो जाता है। उसे इस धरती पर जन्म-मृत्यु के चक्कर से हमेशा-हमेशा के लिए मुक्ति मिल जाती है। अर्थात उसको मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। चूंकि माघ माह को बेहद शुभ व इसके प्रत्येक दिन को सबसे ज्यादा मंगलकारी माना गया है इसलिए इस दिन जो भी कार्य आरंभ होते है उसका फल हमेशा अच्छा और जल्दी मिलता है। इस ख़ास दिन पर स्नान के पश्चात अपनी इच्छा अनुसार दान करने का भी महत्व देखा गया है। 

साल 2019 में क्या कहते हैं आपके सितारे? जानने के लिए पढ़ें: राशिफल 2019 

स्नान, दान और व्रत का महत्व 


क्योंकि पौष पूर्णिमा से ही माघ स्नान शुरू हो जाता हैं इसलिए माघ महीने में सभी पवित्र नदियों में स्नान का और इस ख़ास दिन व्रत रखने का शास्त्रों में भी विशेष महत्व बताया गया है। माना गया है कि मृत्युलोक में जिन्हें स्वर्गप्राप्ति की इच्छा होती है, वो यदि इस शुभ माघ के पूरे महीने नदियों में स्नान करें अथवा इस दिन मुहूर्त अनुसार व्रत करें तो उनकी ये इच्छा ज़रूर पूरी होती है। 


पौष पूर्णिमा व्रत और सही पूजा विधि


हमने पहले ही आपको बताया कि पौष पूर्णिमा पर स्नान, दान, जप और व्रत करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और उसे मोक्ष मिलता है। इस ख़ास दिन पर व्रत और स्नान के अलावा सूर्य देव की आराधना का भी विशेष महत्व होता है। तो आइये जानते हैं पौष पूर्णिमा की व्रत और पूजा विधि: 
  • पौष पूर्णिमा के दिन प्रातःकाल स्नान करने से पहले व्रत करने का संकल्प लें।
  • अपने आस-पास मौजूद किसी भी पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें। 
  • नदी में स्नान से पूर्व वरुण देव को प्रणाम करना बिलकुल न भूले। 
  • स्नान के पश्चात सूर्य मंत्र का भी उच्चारण करते हुए पवित्रता के साथ सूर्य देव को अर्घ्य दे। 
  • इस दौरान व्यक्ति को स्नान से निवृत्त होकर भगवान मधुसूदन की पूजा करते हुए उन्हें नैवेद्य अर्पित करना बेहद शुभ होता है। 
  • इसके बाद किसी भी गरीब व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन करा कर दान-दक्षिणा दे। 
  • इस दिन दान में तिल, गुड़, गर्म वस्त्र और कंबल देना विशेष रूप से लाभकारी माने गए है। 

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