अन्धविश्वास के विरुद्ध एस्ट्रोसेज की मुहीम

अन्धविश्वास हमारी आँखों के आगे एक ऐसा अनदेखा पर्दा बना देता है जो हमे कुछ भी ठीक से सोचने या समझने नहीं देता। यह समय है अपने सारे भ्रमों को दूर करने का जिससे हम सब कुछ साफ़-साफ़ देख पाएँ। आइये और एस्ट्रोसेज के साथ हिस्सा बनिए उसकी अन्धविश्वास के विरुद्ध मुहीम का। 



हाल के दिनों में साईं विवाद पूरी तरह मीडिया में छाया रहा। कुछ लोग इसके पक्ष में, तो कुछ विपक्ष में बोलते नज़र आए। यहाँ हम इस बात पर विचार नहीं कर रहे हैं कि साईं बाबा भगवान के अवतार थे या नहीं। हमारे विचार का विषय यह है कि क्या पक्ष-विपक्ष में बोलने वाले ख़ुद धर्म का आचरण करते हुए दिखाई दिए। अनेक स्वघोषित धर्माचार्यों के आचरण में दूर-दूर तक धर्म नहीं दिखलाई दिया। इस पूरे प्रकरण में सबसे अधिक संदेहास्पद भूमिका रही इन्हीं धर्माचार्यों की, जो इस विवाद को शान्तिपूर्ण तरीक़े से सुलझाने में मदद करने की बजाय टीवी पर चीखते-चिल्लाते दिखाई दिए - पूरे समय आग में घी का काम करने की कोशिश करते रहे। ठीक इसी तरह कुछ दिनों पहले जब आसाराम बापू से जुड़ा मुद्दा सामने आया था, तो ख़राब भाषा का उपयोग करते बहुतेरे टीवी-धर्माचार्य नज़र आए थे। गीता में भगवान कृष्ण ने स्थितप्रज्ञ और सन्त के जो लक्षण कहें हैं, बहुतेरे टीवी पर आने वाले तथाकथित धर्माचार्य उसपर खरे नहीं उतरे।


कहा जाता है - ‘’महाजनो येन गतः स पन्थाः’’। इसलिए ऐसे स्वनामधन्य धर्मगुरू टीआरपी की ख़ातिर न केवल अपनी छवि धूमिल कर रहे हैं, बल्कि अन्य लोगों के समक्ष एक ग़लत आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही इनके कृत्य धर्म की मूल-आत्मा को भी गंभीर रूप से चोटिल कर रहे हैं। महज़ टीवी पर दिखना और अनर्गल बोलते रहना ही मानो बहुत-से लोगों का काम हो चुका है। ऐसे में आवश्यकता है धर्म के सही स्वरूप को दर्शाने की, अध्यात्म के केन्द्र को प्रकाशित करने की तथा इन धर्माचार्यों के वेष में जो व्यवसायी हैं - उनके उपहासात्मक कृत्यों के पीछे छुपे असली रूप को लोगों के सामने लाने की।

एस्ट्रोसेज का यह मत है कि धर्म में शुचिता और निर्मलता का स्थान सर्वोपरि है। सनातन धर्म विराट उदारता का प्रतिनिधित्व करता है। हालाँकि, तर्क-वितर्क का अपना यथोचित स्थान है और वे महत्वपूर्ण भी हैं। भारत में प्राचीन काल से ही शास्त्रार्थ की परिपाटी चली आई है। किन्तु तर्क-वितर्क को भी उदारता की नींव पर खड़ा करना हमारी परम्परा रही है। स्तरहीन छींटाकशी, युक्तिहीन कुतर्क और धर्म के नाम पर व्यर्थ गाल बजाना सनातन संस्कृति मानने वालों के लिए अनुपयुक्त ही नहीं, वरन त्याज्य भी हैं।

आज चित्र-विचित्र पोशाक पहनकर वृथा बहसबाज़ी करते कई ज्योतिषी, वास्तुशास्त्री, आयुर्वेदाचार्य व धर्माचार्य वग़ैरह टीवी पर लोगों को अधूरे ज्ञान से बरगलाते हुए दिखलाई देते हैं। इन्हें न तो इन प्राच्य विद्याओं की कोई गहन जानकारी होती है और न ही सीखने की कोई इच्छा। केवल अजीबो-ग़रीब रूप-रंग में जन-सामान्य को डराकर पैसे कमाना ही इनका एकमेव उद्देश्य होता है। इस पाखण्ड के बल पर वे न सिर्फ़ इन विद्याओं को उपहास का विषय बनाते हैं, बल्कि लोगों में हमारी थाती के प्रति अश्रद्धा भी उत्पन्न करते हैं।

कई सरल-हृदय लोग ऐसे तथाकथित धर्माचार्यों का वाग्जाल में फँस जाते हैं और उन्हें ही धर्म का आदर्श समझने लगते हैं। इसलिए यह बहुत आवश्यक है कि इस तरह के लोगों की कलुषित मानसिकता को लोगों के सामने लाया जाए, ताकि भोले-भाले लोग इनके झाँसे में आने से बचें और सही धर्म का अनुशीलन कर सकें। इसे ध्यान में रखते हुए एस्ट्रोसेज ने यह वीडियो बनाया है, जो कपटी बाबाओं की पोल खोलता है हँसते-हँसाते अन्दाज़ में -



आज का पर्व!


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अश्विन माह का कृष्ण पक्ष आज से आरम्भ हो रहा है। 

आज अशून्यशयन व्रत है। यह व्रत भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी को समर्पित है। आज के दिन व्रत रखने और पूजा करने से सांसारिक सुखों में वृद्धि होती है। 

आपका दिन मंगलमय हो!

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1 comment:

  1. bahut hi achha prayas hai aaj andhvishwas ke karan hindu dharm khatre me hai

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