शरद नवरात्रि 2015 - पूजा मुहूर्त और विधि

2015 की शारदीय नवरात्रि आज यानि 13 अक्टूबर से शुरू हो रही है। इस अवसर पर जानिए 8 ऐसे उपाय जिससे बदल सकती है आपकी किस्मत। हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में 5 नवरात्रि होती हैं। जिनमें शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व बताया गया है। आइए इस पवित्र समय के महत्त्व को समझते हैं...


नवरात्रि में रात का विशेष महत्व है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि रात में वातावरण शांत रहता है, जो कि जप, उपासना, ध्यान और सिद्धि की दृष्टि से बेहद ही ज़रूरी है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में किए गए उपाय जल्द ही सफल होते हैं। इसलिए नवरात्रि के नौ दिनों में अलग-अलग के टोटके और उपाय किए जाते हैं। आइए अब जानते हैं कि क्या हैं वे उपाय जिनसे इस नवरात्रि बदल सकती है आपकी ज़िन्दगी?


इस नवरात्रि करें यह उपाय पूरी होंगी सभी मनोकामनाएँ


1. धन लाभ के लिए - नवरात्रि के लगातार नौ दिनों तक प्रातःकाल भगवान शिव को चावल और बिल्वपत्र चढ़ाएँ।

2. सुयोग्य पति के लिए - निम्नलिखित मंत्र का लाल चंदन की माला से नियमित रूप से 108 बार जप करें: 

हे गौरी शंकर अर्धांगनी, यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम्।।

3. इंटरव्यू में सफलता के लिए - स्फटिक के माला को नीचे लिखे मंत्र से अभिमंत्रित करें और इंटरव्यू में इस माला को पहन कर जाएँ: 

ऊँ ह्लीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा।

4. शत्रुओं के नाश के लिए - नवरात्रि के नौ दिन नृसिंह भगवान के मंदिर जाएँ और विधिवत पूजा करें।

5. निरोगी काया के लिए - रोज शिवलिंग पर जल चढ़ाएँ।

6. घर में सुख शांति के लिए - नवरात्रि के नौ दिन नियमित रूप से शंख बजाएँ और गायत्री मंत्र का जप करें। इससे घर का क्लेश मिटता है।

7. मनचाही नौकरी के लिए - नियमित रूप से भैरव जी के मंदिर जाएँ और नैवेद्य चढ़ाएँ।

8. धन प्राप्ति के लिए - लक्ष्मी नारायण मंदिर में जाएँ और खीर चढाएँ। नवरात्रि के शुक्रवार को कन्या को उनकी पसंद का भोजन कराएँ।

घटस्थापना विधि


पूजन सामग्री: मिट्टी का कलश, मिट्टी का पात्र (जौ ऊगाने के लिए), सप्तधान्य( सात प्रकार का अनाज), सप्तमृत्तिका, जौ, पान-सुपारी, रोली, सिन्दूर, गंगाजल( ना होने पर शुद्ध जल लें), धूप, दीप, नैवेद्य, फल, अक्षत, दूध, दही, घी, शहद, फूल, अगरबत्ती, इत्यादि।

प्रातःकाल स्नान करके पूजन सामग्री के साथ पूजनस्थल पर पूर्व दिशा की ओर आसन लगाकर बैठें। उसके बाद नीचे दी गई विधि अनुसार पूजा प्रारंभ करें:

1. नीचे लिखे मंत्र का उच्चारण कर पूजन सामग्री और अपने शरीर पर जल छिड़कें।

ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा |
य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचि:||

2. हाथ में अक्षत, फूल, और जल लेकर पूजा का संकल्प करें।

3. माँ शैलपुत्री की मूर्ती के सामने मिट्टी के ऊपर कलश रखकर हाथ में अक्षत, फूल, और गंगाजल लेकर वरूण देव का आवाहन करें।

4. पूजन सामग्री के साथ विधिवत पूजा करें।

5. उसके बाद आरती करें; तत्पश्चात् प्रसाद वितरण करें।

एस्ट्रोसेज की तरफ़ से आप सभी को शारदीय नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ।

Related Articles:

No comments:

Post a Comment