कल मनाया जाएगा बैसाखी का त्यौहार

ज्योतिषीय महत्व जानकर हैरान हो जाएंगे आप! कल यानि 14 अप्रैल 2018 को बैसाखी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। आईये लेख के माध्यम से जानते हैं इस त्यौहार का सांस्कृतिक, धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व।


भारत सांस्कृतिक विविधताओं से परिपूर्ण एक देश है। यहां हर साल कई पर्व और त्यौहार मनाये जाते हैं। इन्ही पर्वों मे से एक है ‘बैसाखी’ का त्यौहार। यह पर्व विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा मनाया जाता है। हालांकि अब इसकी लोकप्रियता ने देशभर में देखने को मिलती है और सिख समुदाय के लोग इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं। पूरे पंजाब में घरों से पकवानों की खुशबू के साथ-साथ रंग बिरंगी पोशाकों में सजे युवक-युवतियाँ भंगड़ा-गिद्दा करते हुए नजर आते हैं। बैसाखी का पर्व किसान रबी की फसल पकने की खुशी के रूप मे मनाते हैं, इसलिए इसे खेती का त्यौहार भी कहा जाता है। वहीं केरल में इस पर्व को “विशु’ के रूप में नये वर्ष की शुरुआत के तौर पर मनाते हैं।

बैसाखी पर होने वाले आयोजन


  • पंजाब और हरियाणा समेत देश-विदेश के कई हिस्सों में बैसाखी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। 
  • इस दिन गेहूं, तिलहन और गन्ने की फसल काटने की शुरुआत होती है। लोग मंदिर और गुरुद्वारे मे जाकर भगवान का धन्यवाद करते हैं।
  • बैसाखी के मौके पर कई जगहों पर धार्मिक कार्यक्रम और मेलों का आयोजन होता है।
  • स्वर्ण मंदिर, जिसे श्री हरमंदिर साहिब के रूप में भी जाना जाता है, सिख समुदाय के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। दुनियाभर से सिख समुदाय के लोग यहां आयोजित भव्य दिव्य समारोह में भाग लेने के लिए स्वर्ण मंदिर की यात्रा करते हैं।
  • बैसाखी पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में युवक-युवतियां भांगड़ा और गिद्दा जैसे लोकनृत्य करते हैं।


बैसाखी का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व


बैसाखी के पर्व का सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व होने के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी है। आईये जानते हैं इस पर्व से जुड़ी धार्मिक मान्यताएँ-

खालसा पंथ की स्थापना- सिख समुदाय के लिए बैसाखी के त्यौहार का बड़ा महत्व है। क्योंकि इस दिन सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी ने आनंदपुर साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की थी। खालसा का अर्थ है शुद्ध, पावन या पवित्र। खालसा पंथ की स्थापना का उद्देश्य लोगों को मुगल शासकों के अत्याचारों से मुक्त कराना था।

बैसाखी का ज्योतिषीय महत्व- हिन्दू ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बैसाखी का त्यौहार मंगलकारी होता है। इस दिन विशाखा नक्षत्र के आकाश में होने से बैशाख महीने की शुरुआत होती है। वहीं सूर्य इस दिन मेष राशि में प्रवेश करता है। ज्योतिष विद्वानों के अनुसार इस ज्योतिषीय घटनाक्रम का मानव जीवन पर प्रभाव देखने को मिलता है। हिन्दू कैलेंडर में इस दिन को सौर नववर्ष भी कहा जाता है। वहीं पौराणिक मान्यता के अनुसार बैसाखी के दिन ही गंगा जी स्वर्ग से पृथ्वी पर आई थीं, इसलिए हिंदू धर्म के लोग इस दिन गंगा स्नान करने को पवित्र मानते हैं व देवी गंगा की स्तुति करते हैं।

“विशु” यानि मलयालम नववर्ष


विशु केरल का प्रसिद्ध उत्सव है। यह पर्व आज मलयालम नववर्ष के शुभारंभ होने पर मनाया जा रहा है। केरल में विशु उत्सव के दिन धान की बुआई का काम शुरू होता है। इस दिन को यहाँ "मलयाली न्यू ईयर विशु" के नाम से पुकारा जाता है। 

विशु पर्व पर कई धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। विशु के पहले उत्तरी केरल के मन्दिरों में 'ब्रैटम' का आयोजन होता है। ब्रैटम एक तरह से पुरुषों के द्वारा अपने इष्टदेव को रिझाने के लिए प्रार्थना है। इस त्योहार पर परिवार के छोटे बच्चों को कुछ नगद धन देने की भी परम्परा है। इसे "विशु कैनीतम" कहा जाता है। मान्यता है कि यह कार्य भविष्य में उनके बच्चों की समृद्धि को सुनिश्चित करता है।


एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को बैसाखी और विशु पर्व की शुभकामनाएँ!

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