बुद्ध पूर्णिमा कल, जानें महत्व

पढ़ें खुशहाल जीवन के 5 अनमोल वचन! कल यानि 30 अप्रैल 2018 को बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाएगी। इस लेख में पढ़ें बुद्ध जयंती का महत्व और भगवान बुद्ध के उपदेश।


भगवान बुद्ध का जन्मोत्सव बुद्ध पूर्णिमा के तौर पर मनाया जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन ही भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान की प्राप्ति और परिनिर्वाण हुआ था। इसी वजह से बौद्ध धर्म के अनुयायी बुद्ध पूर्णिमा को उत्सव की तरह मनाते हैं। इसे वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध जयंती, वेसाक और हनमतसूरी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं हिन्दू धर्म में गौतम बुद्ध को भगवान विष्णु का नौवां अवतार कहा गया है इसलिए हिन्दुओं के लिए भी यह एक पवित्र पर्व है।

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भगवान बुद्ध का जीवन एवं उपदेश


अहिंसा और मानवतावादी विचारों के लिए भगवान बुद्ध विश्व में सबसे महान पुरुष कहलाये है। उन्होंने बौद्ध धम्म दर्शन का प्रचार-प्रसार किया। बचपन से ही महात्मा बुद्ध के दिल में दुःखियों के लिए प्रेम और करुणा थी। संसार के दुःखों से विचलित होकर वे पत्नी, पुत्र और समस्त सांसारिक सुखों को त्याग कर जंगल की ओर निकल पड़े। इस दौरान उन्होंने कठोर तप किया। 29 वर्ष की आयु में बौद्ध गया में उन्हें बौद्धि वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई।

भगवान गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की और अपने उपदेशों में मानव कल्याण का मार्ग बताया। उन्होंने 5 बातें प्रमुख रूप से कही-

  • किसी भी प्राणी के साथ हिंसा न करें
  • चोरी न करें
  • काम वासना और दुराचार से दूर रहें
  • कभी असत्य न बोलें
  • नशीले पदार्थों का सेवन न करें

बुद्ध पूर्णिमा समारोह और धार्मिक कर्म


भारत, चीन, श्रीलंका, मलेशिया और वियतनाम समेत विश्व के कई देशों में बुद्ध पूर्णिमा मनाई जाती है। इस अवसर पर बौद्ध धर्म के अनुयायी कई धार्मिक कार्य करते हैं।
  • इस दिन बौद्ध घरों में दीपक जलाये जाते हैं और फूलों से घरों को सजाया जाता है।
  • दुनियाभर से बौद्ध धर्म के अनुयायी बोधगया आते हैं।
  • बौद्ध धर्म के धार्मिक ग्रन्थों का पाठ किया जाता है।
  • बोधगया में बोधि वृक्ष की पूजा की जाती है। जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
  • गरीबों को भोजन व वस्त्रों का दान किया जाता है।

ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से बुद्ध पूर्णिमा का महत्व


हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में पूर्णिमा की तिथि का विशेष महत्व है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से वैशाख पूर्णिमा पर सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष में होते हैं और चंद्रमा भी अपनी उच्च राशि तुला में स्थित होता है। शास्त्रों में पूरे वैशाख माह में गंगा स्नान का महत्व बताया गया है। मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा पर स्नान, दान और तप करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। 

एस्ट्रोसेज की ओर सभी पाठकों को बुद्ध पूर्णिमा हार्दिक शुभकामनाएँ!

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