शरद नवरात्र पांचवां दिन कल, करें स्कंदमाता का ध्यान

पढ़ें स्कंदमाता की महिमा और उपासना का महत्व! नवरात्रि के पांचवे दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों में से पांचवे रूप यानि स्कंद माता की पूजा होती है। आईये इस लेख के माध्यम से जानते हैं स्कंद माता की महिमा और पूजा विधि।




नवरात्रि में स्कंदमाता की आराधना


नवरात्रि में पांचवें दिन देवी दुर्गा के पाँचवे रूप यानि स्कंदमाता की पूजा-आराधना की जाती है। स्कंद अर्थात कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। मोक्ष के द्वार खोलने वाली स्कंदमाता परम सुखदायी हैं। माँ अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। मान्यता है कि यदि कोई भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ स्कंदमाता की उपासना करता है तो माँ उनकी हर मनोकामना को पूर्ण करती है। 




स्कंदमाता का स्वरूप


स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं। देवी दो हाथों में कमल, एक हाथ में कार्तिकेय और एक हाथ से अभय मुद्रा धारण की हुईं हैं। कमल पर विराजमान होने के कारण देवी का एक नाम पद्मासना भी है। माता की पूजा से भक्तों को सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। देवी के इस रूप को अग्नि देवी के रूप में भी पूजा जाता है। जैसा कि माँ ममता की प्रतीक हैं इसलिए वे भक्तों से अपार स्नेह करती हैं।

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ज्योतिष महत्व


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं, इसलिए स्कंदमाता की पूजा पूरे विधि विधान से करने पर बुध ग्रह से संबंधित सभी बुरे प्रभाव और दोष समाप्त हो जाते हैं।

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को शरद नवरात्रि की शुभकामनाएं! हम आशा करते हैं कि स्कंदमाता की कृपा से आपके जीवन में खुशहाली आए।

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