शरद नवरात्रि अष्टमी, जानें कन्या पूजन का महत्व

अष्टमी पर अवश्य करें ये काम! पढ़ें नवरात्रि में अष्टमी पर होने वाले कन्या भोज और कुमारी पूजा का महत्व। साथ ही जानें माता महागौरी के रूप की महिमा।

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नवरात्रि अष्टमी: महागौरी की वंदना का दिन


नवरात्रि में अष्टमी तिथि पर मॉं भगवती के आठवें स्वरूप में महागौरी की आराधना का विधान है। महागौरी के नाम के अर्थ में महा मतलब महान/बड़ा और गौरी मतलब गोरी। देवी का रंग गोरा होने के कारण ही उन्हें महागौरी कहा गया। इनकी पूजा, आराधना करने से सोम चक्र जाग्रत होता है। जिससे जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है। मनुष्य के समस्त दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं। देवी के इस आठवें स्वरूप महागौरी को ऐश्वर्य देने वाली और अन्नपूर्णा भी कहा गया है। इनकी कृपा से जीवन में आर्थिक समृद्धता आती है। 

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माता महागौरी का स्वरूप 


माता महागौरी के मस्तक पर चंद्र का मुकुट है तथा मणिकान्त यानि मणि के समान कांति वाली चार भुजाएं हैं। इनमें दो हाथों में क्रमश: त्रिशूल व डमरू और तीसरा हाथ वर मुद्रा में और चौथा हाथ अभय मुद्रा में है। इनके कानों में रत्न जड़ित कुंडल झिलमिल करते हैं। इनका वाहन बैल है तथा इनको भोग में हलवा प्रिय है। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि देवी पार्वती ने शिव को वर के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था जिससे उनका शरीर काला हो गया था। उसके बाद तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने दर्शन दिया और गंगा जल से देवी को नहलाया। तब से देवी का रंग गोरा हो गया और उनका नाम महागौरी पड़ा। 

अष्टमी पर कन्या पूजन और उसका फल


नवरात्रि में अष्टमी और नवमी दोनों दिन कन्या पूजन किया जाता है, लेकिन शास्त्रों में अष्टमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। कन्या पूजन इस प्रकार करें- 

  • सबसे पहले इस बात का ध्यान रखें कि सभी 9 कन्याओं की आयु 2 से 10 वर्ष के बीच हो। 
  • सभी कन्याओं का पूजन उनकी आयु के अनुसार नीचे दिए गए मंत्र से करें:
    1. 2 वर्ष की कन्या- कौमाटर्यै नमः 
    2. 3वर्ष की कन्या- त्रिमूर्तये नमः 
    3. 4वर्ष की कन्या- कल्याण्यै नमः 
    4. 5 वर्ष की कन्या- रोहिण्य नमः 
    5. 6 वर्ष की कन्या- कालिकायै नमः 
    6. 7 वर्ष की कन्या- चण्डिकार्य नमः 
    7. 8 वर्ष की कन्या- शम्भव्यै नमः 
    8. 9 वर्ष की कन्या- दुर्गायै नमः 
    9. 10 वर्ष की कन्या- सुभद्रायै नमः

  • कन्या को वस्त्र दें और उनके पैर धोएँ। 
  • उसके बाद चंदन कुमकुम का टीका लगाकर उपरोक्त मंत्र से नमस्कार करें। 
  • फिर श्रद्धानुसार भोजन कराकर और दान देकर विदा करें। भोजन में मीठा अवश्य शामिल करें।

(नोट: नौ कन्या नहीं मिलने की स्थिति में दो कन्याओं का भी पूजन करने का विधान है)

ज्योतिषीय संदर्भ


वैदिक ज्योतिष के अनुसार माता महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती है इसलिए इनकी पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम हो जाते हैं।

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दुर्गा महा अष्टमी पूजा 


पश्चिम बंगाल, असम और ओडिशा में दुर्गा पूजा उत्सव के दूसरे दिन महाष्टमी मनाई जाती है। इसे महा दुर्गाष्टमी भी कहते हैं। इस दिन मिट्टी के नौ कलश रखकर देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान कर पूजन किया जाता है। महाष्टमी पर कुमारी पूजा भी होती है। इस अवसर पर छोटी बालिकाओं का श्रृंगार कर उनकी आराधना की जाती है। 


एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को महा अष्टमी पर्व की शुभकामनाएं! हम आशा करते हैं कि देवी दुर्गा का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहे।

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