शरद नवरात्रि नवमी, करें मॉं सिद्धिदात्री का ध्यान


जानें शक्ति स्वरूप माँ सिद्धिदात्री की महिमा! शरद नवरात्रि की नवमी पर करें माँ के नौवें रूप में सिद्धिदात्री की आराधना। जानें पारण मुहुर्त एवं दुर्गा विसर्जन का महत्व।

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माँ सिद्धिदात्री


माँ सिद्धिदात्री का शाब्दिक अर्थ है सिद्धि को देने वाली। यह माँ दुर्गा का नौवाँ और अंतिम रूप है। देवी का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है। यदि कोई साधक पूरे विधि-विधान और सच्चे मन से माँ के इस रूप की आराधना करता है तो उसकी सारी साधनाएं सिद्ध होती हैं और यदि किसी भक्त पर इनकी कृपा हो जाए तो वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है। नवमी तिथि को दुर्गा महानवमी पूजा होती है। इस दिन विशेष हवन किया जाता है और हवन में सभी देवी-देवताओं के लिए आहुति दी जाती है।


दुर्गा विसर्जन


दुर्गा पूजा उत्सव का समापन दुर्गा विर्सजन के साथ होता है। दुर्गा विसर्जन का मुहूर्त प्रात:काल या अपराह्न काल में विजयादशमी तिथि लगने पर शुरू होता है इसलिए प्रात: काल या अपराह्न काल में जब विजयादशमी तिथि व्याप्त हो, तब मॉं दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाना चाहिए।


सिंदूर उत्सव


दुर्गा पूजा के समय सिंदूर उत्सव पश्चिम बंगाल में मनाई जाने वाली एक अनोखी परंपरा है। सिंदूर उत्सव को सिंदूर खेला भी कहते हैं। विजयादशमी के दिन दुर्गा विसर्जन से पहले सिंदूर खेला की रस्म निभाई जाती है। इस अवसर पर विवाहित महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और शुभकामनाएं देती हैं। 

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नवरात्रि पारण मुहुर्त



दिनांक
समय
30 सितंबर 2017
प्रातः 06:13:15 के बाद से


नोटः ऊपर दिया गया समय नई दिल्ली (भारत) के लिए है। अपने शहर के अनुसार जानें: नवरात्रि पारण मुहुर्त

नवरात्रि पारण 


शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि पारण दशमी तिथि को किया जाता है। पारण मुहुर्त में नौ दिनों तक चलने वाले व्रत को विधि-विधान से खोला जाता है। पारण के बाद ब्राह्मणों को फल, उपहार, वस्त्र, दान-दक्षिणा आदि दी जाती है, साथ ही 9 कन्याओं को भी ये वस्तुएं कन्या पूजन के बाद देनी चाहिए।

एस्ट्रोसेज की ओर से आपको शरद नवरात्रि 2017 की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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