हरतालिका तीज आज, जानें पूजा मुहूर्त

पढ़ें भगवान शिव-पार्वती के इस व्रत का महत्व! जानें हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि और नियम, साथ ही पढ़ें कुंवारी कन्या और विवाहित स्त्रियों के लिए क्या है हरतालिका तीज व्रत का महत्व?


करवा चौथ, हरियाली तीज और कजरी तीज की तरह ही हरतालिका तीज भी सुहागिनों का व्रत होता है। भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित यह व्रत महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु और परिवार की खुशहाली के लिए रखती हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत पार्वती जी ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए रखा था। इसलिए इस व्रत को कुंवारी कन्याएँ भी रख सकती हैं। भारत में कई स्थानों पर हरतालिका तीज को बड़ी तीज भी कहते हैं। यह व्रत विशेष रूप से मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। 

हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त
प्रात:काल मुहूर्त06:04:17 से 08:33:31 तक
अवधि2 घंटे 29 मिनट

सूचना: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त

हरतालिका तीज व्रत के नियम


हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है। क्योंकि भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व होता है। इस दिन रेत के भगवान शंकर और माता पार्वती बनाए जाते हैं और उनका पूजन किया जाता है। चूंकि यह निर्जल और निराहार व्रत है इसलिए इसमें प्रसाद के रूप में फल ही चढ़ाये जाते हैं। 

हरतालिका तीज व्रत में रात्रि जागरण कर भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा की जाती है और अगले दिन सुबह पूजन सामग्री का विसर्जन करने के बाद यह व्रत संपन्न होता है।



हरतालिका तीज व्रत कथा और महत्व


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पार्वती जी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तप किया था। अपनी बेटी की यह स्थिति देखकर उनके पिता पर्वत राज हिमालय बेहद दुःखी हुए। इस बीच नारद मुनि भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के लिए विवाह का प्रस्ताव लेकर पहुंचे, लेकिन इस बारे में जब पार्वती जी को पता चला तो वे बेहद दुःखी हुईं। उनकी एक सहेली के पूछने पर उन्होंने बताया कि वे भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तप कर रही है। इसके बाद पार्वती जी की सहेलियां उन्हें वन लेकर चली गईं। सखियों द्वारा उनके हरण से ही इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ा। जहां हरत यानि हरण और आलिका मतलब सहेली। इसके बाद पार्वती जी ने कठोर तप किया। भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की आराधना में मग्न होकर रात्रि जागरण किया। माता पार्वती के कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती जी की इच्छानुसार उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

मान्यता है कि माता पार्वती और भगवान शिव हरतालिका तीज व्रत रखने और विधि विधान से पूजा करने वाली सभी स्त्रियों को सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देते हैं। इस वजह से कुंवारी कन्या और विवाहित महिलाओं के लिए हरतालिका तीज व्रत का विशेष महत्व है। 

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को हरतालिका तीज व्रत की शुभकामनाएं !

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