श्री कृष्ण जन्माष्टमी आज, जानें पूजा मुहूर्त

बन रहा है 'द्वापर युग' वाला अद्भूत योग! पढ़ें 2 सितंबर रविवार को मनाई जाने वाली श्री कृष्ण जन्माष्टमी की व्रत विधि और धार्मिक महत्व!


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नटखट नंद गोपाल, यशोदा के नंद लाल और भक्तों के भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्सव इस वर्ष भी धूमधाम से मनाया जाएगा। वैसे तो श्री कृष्ण जन्माष्टमी हर साल मनाई जाती है लेकिन इस बार जन्माष्टमी पर अद्भूत योग बन रहा है। ये ठीक वैसा ही योग है जो द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय बना था। इस योग को श्री कृष्ण जयंती के नाम से जाना जाता है।

(सूचना: स्मार्त संप्रदाय के लोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी 2 सितंबर को मनाएंगे जबकि वैष्णव पंथ के अनुयायी जन्माष्टमी का पर्व 3 सितंबर को मनाएंगे। वैष्णव और स्मार्त सम्प्रदाय मत को मानने वाले लोग इस त्यौहार को अलग-अलग नियमों से मनाते हैं।)

हिन्दू धर्म ग्रन्थ निर्णय सिंधु के अनुसार, 


जब भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में अर्ध रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र हो और सूर्य सिंह राशि में तथा चंद्रमा वृष राशि में हो, तब श्री कृष्ण जयंती योग बनता है। द्वापर युग में घटित यह काल चक्र 2 सितंबर 2018, रविवार को भी घटित होगा। 2 सितंबर को रात्रि 8 बजकर 49 मिनट के बाद अष्टमी तिथि लग रही है और इस तिथि में रोहिणी नक्षत्र व्याप्त होगा। 

जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त 2018
निशीथ पूजा मुहूर्त23:58:25 से 24:43:35 तक
अवधि 0 घंटे 45 मिनट
जन्माष्टमी पारणा मुहूर्त19:21:52 के बाद 3 सितंबर को

नोटः ऊपर दिया गया मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर में जन्माष्टमी का शुभ मुहुर्त

सुखी जीवन के लिए जन्माष्टमी पर करें ये काम


  • प्रेम में सफलता और बढ़ोत्तरी के लिए गाय के दूध से भगवान कृष्ण को भोग लगाएं और पंचामृत से उनका अभिषेक करें।
  • भौतिक सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए भगवान श्री कृष्ण को माखन मिश्री का भोग लगाएं और कच्ची लस्सी से अभिषेक करें। 
  • शारीरिक व्याधि और रोगों से मुक्ति पाने के लिए दूध में तुलसी डालकर भगवान को भोग लगाएं और कच्चे दूध से अभिषेक करें।
  • कार्यों में आ रही परेशानियों और सफलता प्राप्ति के लिए भगवान श्री कृष्ण को लड्डुओं का भोग अर्पित करें और गन्ने के रस से अभिषेक करें। 

विस्तार से जानें: जन्माष्टमी पूजा विधि


निःसंतान दंपतियों के लिए श्री कृष्ण जयंती का महत्व


इस वर्ष श्री कृष्ण जयंती योग बनना निःसंतान दंपतियों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है। ऐसे तमाम लोग जिन्हें अभी तक संतान की प्राप्ति नहीं हुई है। वे इस जन्माष्टमी पर पूरे विधि विधान से भगवान श्री कृष्ण का पूजन करें और व्रत रखें। साथ ही संतान गोपाल मंत्र का जाप करें और हो सके तो संतान गोपाल यंत्र की स्थापना भी करें।

“ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्णं त्वामहं शरणं गत:।।”

श्री कृष्ण जन्माष्टमी का महत्व


शास्त्रों के अनुसार जन्माष्टमी के व्रत एवं पूजन का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के आठवें अवतार थे। कहा जाता है कि इनके दर्शन मात्र से मनुष्य के समस्त दुःख दूर हो जाते हैं। शास्त्रों में जन्माष्टमी के व्रत को व्रतराज कहा गया है। जो भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ इस व्रत का पालन करते हैं उन्हें महापुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा संतान प्राप्ति, वंश वृद्धि और पितृ दोष से मुक्ति के लिए जन्माष्टमी का व्रत एक वरदान है। 

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ !

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