अष्टमी व राम नवमी पूजन मुहूर्त

अष्टमी व नवमी तिथि ने बनाया महा संयोग। जानें इस नवरात्रि कन्या पूजन कर कैसे करें माँ दुर्गा को प्रसन्न, साथ ही पढ़ें रामनवमी पर होने वाले धार्मिक कर्म और पूजा विधि!


इस वर्ष चैत्र नवरात्रि में शनिवार और रविवार यानि 13-14 अप्रैल 2019 को अष्टमी और नवमी पूजन की तिथि पड़ रही है, जिसका मतलब इस बार अष्टमी और नवमी दोनों ही शुभ दिनों के पूजन में थोड़ा संशय देखा जाएगा। दरअसल, इस वर्ष सप्तमी के साथ अष्टमी तिथि का मिलाप होने से अष्टमी और नवमी पर होने वाले सभी धार्मिक कर्म 13 और 14 अप्रैल 2019 को ही संपन्न किये जाएंगे।

नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी का महत्व 


हिन्दू शास्त्रों अनुसार नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी तिथि क्रमशः माता महागौरी और मॉं सिद्धिदात्री के पूजन के लिए शुभ मानी जाती हैं। इसी लिए जो भी भक्त माता महागौरी जो बेहद दयालु होती हैं उनका पूजन सही तरीके से मुहूर्त अनुसार करता है, तो माँ उस भक्त की हर मनोकामना को पूर्ण करती हैं। इसके साथ ही मॉं सिद्धिदात्री भी अपने सच्चे भक्तों को आध्यात्मिक सिद्धि प्रदान करती हैं और बुराइयों का नाश करके उन्हें आशीर्वाद के रूप में सदगुण प्रदान करती हैं। 

पढ़ें- माता महागौरी और मॉं सिद्धिदात्री की महिमा व मंत्र


अष्टमी और नवमी पूजन 


नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी के पूजन का विशेष महत्व होता है। इन दिनों होने वाली मुख्य पूजा के साथ ही नवरात्रि का समापन होता है। ऐसे में अष्टमी और नवमी के पूजन का विधान अपनी-अपनी कुल परंपरा के अनुसार ही किया जाना अनिवार्य होता है, इसलिए हर परिवार में इन दोनों दिनों की पूजा अलग-अलग प्रकार से होती है। अतः इस दिन हमें अपनी कुल परंपरा को मानते व उसे आगे बढ़ाते हुए ही देवी गौरी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। 

अष्टमी और नवमी कन्या पूजन विधि


अक्सर नवरात्रि पर अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर लोगों में भ्रम देखा जाता है, जिसके चलते लोग पूजन को शुभ मुहूर्त पर नहीं संपन्न कर पाते हैं। इस वर्ष आपके इसी भ्रम पर पूर्ण विराम लगाते हुए हम अपने इस लेख में आपको अष्टमी और नवमी से जुड़ी हर जानकारी देंगे। हिन्दू पंचांग के अनुसार इस बार नवरात्रि अष्टमी, नवमी और दशमी तिथि में कुछ संशय की स्थिति बनती प्रतीत हो रही है, परंतु ज्योतिष विशेषज्ञों की मानें तो सप्तमी तिथि गुरूवार, 11 अप्रैल को सुबह 14:42:58 मिनट से शुक्रवार, 12 अप्रैल 13:24:50 तक होने के कारण उसके बाद अष्टमी तिथि लग गई है, जो कि शुक्रवार 12 अप्रैल को सुबह 13:24:51 मिनट से शुरू होगी और शनिवार, 13 अप्रैल की सुबह 11:42:36 मिनट तक रहेगी। उसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी। 

अष्टमी और नवमी मुहूर्त 


चूंकि सूर्योदय के समय अष्टमी तिथि है अतः महाष्टमी का व्रत शनिवार 13 अप्रैल को ही रखना उचित रहेगा। वहीं नवमी तिथि की बात करें तो नवमी तिथि भी शनिवार सुबह 11:42:37 से लग जाएगी, जो कि रविवार, 14 अप्रैल 09:36:46 बजे तक रहेगी। उसके बाद दशमी तिथि लग जाएगी, जो कि दूसरे दिन तक रहेगी। ऐसे में जिन भक्तों ने नवरात्रि में 9 दिनों का उपवास किया है, वे रविवार सुबह 09:36:46 बजे के बाद पारणा कर सकते हैं।

नवरात्रि पारणा महत्व 


नवरात्रि पारणा, नौ दिनों के उपवास के संपूर्ण होने के बाद किया जाने वाला महत्वपूर्ण कर्म कांड है। यह नवमी अथवा दशमी तिथि को संपन्न किया जाता है। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि नवरात्रि पारणा के पश्चात् ही व्रती को व्रत का फल प्राप्त होता है। मीमांसा के अनुसार पारणा दशमी को करना चाहिए, क्योंकि कई शास्त्रों में ऐसा वर्णन है कि नवमी को उपवास रखा जाता है, इसलिए इस दिन पारणा करना उचित नहीं है।

नवरात्रि पारणा का शुभ मुहूर्त

दिनांक
पारणा का शुभ समय
14 अप्रैल, 2019
09:36:46 के बाद से

नोट: चैत्र नवरात्रि पारणा का समय नई दिल्ली, भारत के लिए है जो कि 24 घंटे के प्रारूप में दिया गया है।

पारणा की क्रिया-विधि


यदि पंचांग में नवमी तिथि दो दिन पड़ रही हो, तब उस स्थिति में पहले दिन उपवास रखा जाता है और दूसरे दिन पारणा विधि संपन्न की जाती है। 
इस दिन कन्या पूजन का विधान है।
पूजा व विसर्जन के बाद ब्राह्मणों को फल, उपहार, वस्त्र, दान-दक्षिणा आदि (स्वेच्छानुसार) देना चाहिए।
इस दिन देवी दुर्गा की षोडषोपचार पूजा करके दशमी को विसर्जन किया जाना चाहिए। 


नवरात्रि पारणा के विषय में विस्तार से जानने के लिए क्लिक करें : नवरात्रि पारणा

नवरात्रि पर कन्या पूजन का महत्व


नवरात्रि पर कन्या पूजा का विशेष महत्व होता है। इसी लिए अष्टमी व नवमी पर विशेष रूप से कन्याओं की पूजा करने का विधान है। सनातन धर्म में इस ख़ास दिन 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की आयु वाली छोटी कन्याओं को अपने घर बुलाकर उनका पूजन कर उन्हें भोजन व दक्षिणा दी जाती है। मान्यता है कि ये छोटी कन्याएँ मॉं दुर्गा का रूप होती हैं जिनका अष्टमी व नवमी पर लोग पूजन कर देवी गौरी को प्रसन्न करते हैं और पुण्य फलों की प्राप्ति हेतु उनसे आशीर्वाद पाते हैं। 

कैसे करें कन्‍या पूजन?


  • कन्‍या पूजन के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्‍नान करें और साफ़ कपड़े पहनकर भगवान श्री गणेश और देवी गौरी की पूजा करें। 
  • पूजन के लिए 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की आयु वाली छोटी कन्याओं को देवी गौरी और एक बालक को बटुक भैरव के रूप में अपने घर आमंत्रित करें। मान्यता है कि बटुक भैरव को शक्ति पीठ में माता की सेवा हेतु वरदान प्राप्त है। इसी लिए भक्त शक्‍ति पीठ में माँ के दर्शन के बाद भैरव के दर्शन करना अनिवार्य होता है।
  • कन्‍या पूजन से पूर्व घर को साफ कर स्वच्छ करें और कन्‍या रूपी माताओं को स्‍वच्‍छ परिवेश में ही आमंत्रित करे। चूँकि कन्‍याओं को माता रानी का रूप माना जाता है। ऐसे में उनके घर आने पर माता रानी के जयकारे लगाना शुभ होता है। 
  • कन्‍याओं के घर आने पर उन्हें बैठने के लिए आसन दें।
  • फिर एक-एक कर सभी कन्‍याओं के पैर धोएं। 
  • अब उन्‍हें रोली, कुमकुम और अक्षत का टीका लगाकर उनके हाथ में मौली बाधें। 
  • अब सभी कन्‍याओं और बालक की आरती करें। 
  • आरती के बाद सभी कन्‍याओं को यथाशक्ति भोग लगाएं। गौरतलब है कि कन्‍या पूजन के दिन पूरी, चना और हलवा प्रसाद में बनाया जाता है। 
  • भोजन के बाद कन्‍याओं को भेंट और उपहार दें।
  • इसके बाद कन्‍याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और उन्‍हें विदा करें।

रामनवमी


13 अप्रैल, शनिवार को भगवान राम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में देशभर में रामनवमी का पर्व भी मनाया जाएगा। हिन्दू कैंलेडर के अनुसार प्रत्येक साल चैत्र मास की नवमी तिथि को राम नवमी के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू धर्म में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को भगवान विष्णु के 7वें अवतार के रूप में पूजा जाता था। इसी लिए रामनवमी के विशेष दिन भक्तगण रामायण का पाठ करते हैं।


एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को सुखद और सफल जीवन की शुभकामनाएँ!

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