छठ पूजा आज, मुहूर्त एवं पूजा विधि

सूर्य देव को समर्पित छठ पूजा पर्व पूर्वांचल का मुख्य त्यौहार है। मुख्य रूप से ये पर्व यूपी, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है। हालाँकि पिछले कुछ वर्षों से इस पर्व की लोकप्रियता में इज़ाफ़ा हुआ है। यही वजह है कि इस पर्व को अब भारत के विभिन्न हिस्सों में भी मनाया जाने लगा है। इस त्यौहार को सूर्य षष्टी के नाम से भी जाना जाता है।


धार्मिक दृष्टि से यह पर्व महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर सूर्य देव के अलावा छठी मईया को पूजा जाता है, जो संतान को दीर्घायु प्रदान करती हैं। दूसरी ओर, इस पर्व में सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। शास्त्रों में सूर्य देव को समस्त सृष्टि की आत्मा बताया गया है। सूर्य के बिना पृथ्वी में जीवन असंभव है। इसलिए इस पर्व में सूर्य देव की उपासना की जाती है। 


छठ पूजा मुहूर्त


तारीख़दिनपूजामुहूर्त
2 नवंबर 2019
शनिवार
संध्या अर्घ्य
सायं 17:35:36 बजे
3 नवंबर 2019
रविवार
ऊषा अर्घ्य
प्रातः 06:34:14 बजे

नोट: ऊपर दिया गया समय नई दिल्ली (भारत) के लिए मान्य है। अपने शहर के अनुसार जानें छठ पूजा का मुहूर्त: छठ पूजा मुहूर्त

कौन हैं छठी मईया?


षष्ठी माता को स्थानीय बोली में छठी मईया कहा जाता है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार, षष्ठी माता को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री बताया गया है। इनका नाम कात्यायनी है और माँ कात्यायनी की पूजा शरद और चैत्र नवरात्र के समय षष्ठी तिथि को होती है। मान्यता के अनुसार छठी मईया संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं। इसलिए इस पूजा में महिलाएँ अपने पुत्र की दीर्घायु की कामना के लिए माता षष्ठी की आराधना करती हैं। 

कब होती है छठ पूजा?


हिन्दुओं का यह पर्व दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। हालाँकि यह पर्व चार दिनों तक चलता है। पर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से ही हो जाती है, जो कि इसी माह और पक्ष की सप्तमी तिथि को समाप्त होता है। 


छठ पूजा में होने वाली परंपराएँ


सनातन धर्म में होने वाली सभी तीज-त्यौहारों की एक अपनी विशेषता होती है। यह विशेषता इनके रीति-रिवाज और परंपरा से निर्मित होती है। छठ पूजा की भी कुछ विशेष परंपराएँ हैं जो अन्य तीज-पर्वों से इसे अलग बनाती हैं। इस पर्व की मुख्य चार विशेषताएँ हैं। नहाय-खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य।

  • नहाय ख़ाय इस पर्व का पहला दिन है। यहाँ नहाय खाय से आशय इस पूजा के दौरान अपने शरीर और मन को शुद्ध बनाए रखना है। इस दिन अपने घर-आँगन को साफ़ स्वच्छ करने का विधान है। साथ ही नहा धोकर के अपने शरीर को और सात्विक भोजन करके अपने मन को स्वच्छ बनाए रखना है।
  • इस पर्व की दूसरी ख़ास परंपरा है - खरना। यह पर्व का दूसरा दिन होता है। खरना का मतलब व्रत से है। इस दिन उपवास किया जाता है। उपवास के समय व्रती जल की एक बूँद ग्रहण भी नहीं करता है। हालाँकि शाम को व्रत खोलने के बाद गुड़ की खीर, घी चुपड़ी हुई रोटी और फलाहार करने का विधान है।
  • छठ पूजा के तीसरे दिन (कार्तिक शुक्ल षष्ठी) सूर्यास्त के समय सूर्य देव को जल का अर्घ्य दिया जाता है। इसे ही संध्या अर्घ्य कहते हैं। इससे पहले शाम को बाँस की टोकरी में फलों, चावल के लड्डू एवं अन्य चीज़ों से अर्घ्य का सूप सजाया जाता है, जिसके बाद व्रति अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य देता है। अर्घ्य में जल तथा दूध चढ़ाया जाता है। जबकि सूप से छठी मईया की पूजा की जाती है।
  • छठ पर्व के अंतिम दिन ऊषा अर्घ्य की परंपरा होती है। इसमें सुबह के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले नदी के घाट पर पहुंचकर उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। इसके बाद छठ माता से संतान की रक्षा और पूरे परिवार की सुख शांति का वर मांगा जाता है। 

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छठ पूजा विधि


  • बांस की 3 बड़ी टोकरी, बांस या पीतल के बने 3 सूप, थाली, दूध और ग्लास
  • चावल, लाल सिंदूर, दीपक, नारियल, हल्दी, गन्ना, सुथनी, सब्जी और शकरकंदी
  • नाशपती, बड़ा नींबू, शहद, पान, साबुत सुपारी, कैराव, कपूर, चंदन और मिठाई
  • प्रसाद के रूप में ठेकुआ, मालपुआ, खीर-पुड़ी, सूजी का हलवा, चावल के बने लड्डू लें।

अर्घ्य देने की विधि- बांस की टोकरी में उपरोक्त सामग्री रखें। सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएँ। फिर नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।

एस्ट्रोसेज की ओर से छठ पूजा पर्व 2019 की आपको हार्दिक शुभकामनाएँ!

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