आपकी जन्म लग्न और सावधानियां

आचार्य रमन

ज्योतिष में मुख्यतः सभी मनुष्यों को १२ राशियों में वर्गीकृत करा गया है, इसके बाद कई अन्य वर्गीकरण हैं परन्तु मूल यही है. सभी राशियों के जातकों की कुछ विशेषता होती है जो ग्रहों और भावों के बलानुक्रम अनुसार कम ज्यादा होती रहती है. विशेषता होने के अतिरिक्त सभी में कुछ दोष भी हैं जो की स्वाभाविक है. सिर्फ एक इश्वर ही निर्गुण निर्दोष होता है, अन्य कोई नहीं. आज की प्रदूषित ज़िन्दगी में स्वास्थय पर ध्यान बहुत आवश्यक हो गया. स्वास्थय धनोपार्जन का नया बाज़ार भी बन गया है. कुछ छोटी मोटी सावधानियां रख कर आप अपनी लग्न अथवा राशी अनुसार स्वयं को स्वस्थ भी रख सकते हैं और पांच सितारा अस्पतालों के महंगे इलाज से भी बच सकते हैं.

मेष: आपको अपनी नींद सदा पूरी करनी चहिये. मंगल के क्रोध और ऊर्जा को किसी अनिष्टकारी जगह व्यय करने से अच्छा है सोना. मस्तिष्क का आपको हमेशा ध्यान रखना चहिये और ऐसे पदार्थों का सेवन करते रहना चहिये जिससे मस्तिष्क को ऊर्जा मिलती रहे. रोज़ सुबह ताज़ी हवा मैं सैर करना तथा योग मुद्राओं का प्रयास करना श्रेष्ठ रहेगा.

वृषभ: आपको गले और फेफड़ों को संभाल कर रखने की आवश्यकता है. सामान्य सर्दी ज़ुकाम को भी आप नज़रंदाज़ मत करा कीजिये और उचित उपचार लिया कीजिये. भोजन हमेशा भूख से थोडा कम करना और मिर्च मसालेदार भोजन नहीं करना ही आपके लिए बहुत है. जीवन को नियमबद्ध क्रम से यापन करना आपके लिए प्रमुख है. किसी भी प्रकार की उत्तेजना और जल्दबाजी को त्याग देना ही बेहतर रहेगा.


मिथुन: फेफड़े और तंत्रिका तंत्र आपके कमजोर अंग रहते हैं. नशा, अवैध यौन सम्बन्ध आदि से जितना दूर रहेंगे उतना लम्बा जियेंगे. ताज़ी हवा आपके लिए अमृत सामान है, जहाँ तक हो खुले वातावरण में ही रहने का प्रयास कीजिये. सर्दियों में जितना हो सके उतना स्वयं को गर्म कपड़ों के आवरण में रखिये.

कर्क: आपको सर्वप्रथम स्वयं की मनोस्थिति को दुरुस्त रखने की ज़रुरत है. छोटी मोटी बातों को बढ़ा चढ़ा कर करने की कोई आवश्यकता नहीं है. किसी भी प्रकार की दवाई लेने से पहले सावधानी बरतना बहुत आवश्यक है. अच्छी तरह से पका हुआ भोजन ही करें और गरिष्ठ भोजन त्याग दीजिये. पाचन तंत्र आपका कमज़ोर हिस्सा है इसलिए उसकी ओर सावधानी बरतिए.

सिंह: शराब, मादक पदार्थ, उत्त्तेजना ये तीनों आपके दुश्मन हैं. रक्त विकार की आपको हमेशा सम्भावना रहती है इसलिए भोजन में ऐसे पदार्थों का प्रयोग कीजिये जिस से रक्त की प्रतिरोधक क्षमता मानक स्तर पर बनी रहे. छोटे ज्वर में भी पूरा और सही इलाज आपको करवाना चहिये और मसालेदार खाने से दूर रहना चहिये.

कन्या: आप छोटी छोटी बातों से भी परेशान हो जाते हैं. जीवन में घबराने से कुछ हासिल नहीं होता ये आपको समझ लेना चाहिए. आपको अपना पाचन तंत्र और मन दोनों को ही संतुलित रखना है और ध्यान देना है. नियम से सुबह दौड़ लगाना आपके लिए बहुत लाभदायक रहेगा तथा अर्धचक्रासन और कपालभाती क्रिया आपको बहुत फायदा करेगी.

तुला: गुर्दे ,मूत्राशय, कमर ये तीन आपको परेशान करते रहते हैं. इनका आपको ध्यान रखना चहिये और अधिक कार्य नहीं करना चहिये. आपको हमेशा स्वच्छ और ताज़ा जल ही प्रयोग में लाना चहिये और अपने घर को साफ़ और सुन्दर रखना चहिये. आपको इर्ष्या, डाह आदि भावनाओ पर नियंत्रण रखना चहिये और कम बोलना चहिये.

वृश्चिक: आपको अपने गले और दिल का ध्यान रखना चहिये. किसी भी प्रकार का नशा आपके लिए ज़हर से कम नहीं है यह सदा ध्यान रखिये. आपको नज़र, छुआ छूत आदि बहुत ज़ल्दी पकड़ते हैं अतः उनसे बच कर रहिये. अपने शौचालय को सदा स्वच्छ रखिये और मल विसर्जन अंगों पर ध्यान रखिये. आपको उन्ही से परेशानी होने की सम्भावना सर्वाधिक है.

धनु: रक्त विकार आपकी प्रमुख समस्या है और साथ ही छोटी चोटें. घोड़े और जलने कटने की छोटी घटनाओ से स्वयं को बचा कर रखिये. ५० के बाद फेफड़ों का ध्यान रखना आवश्यक है अन्यथा आप वात रोगों से पीढित हो जायेंगे.

मकर: कोष्ठबद्धता और चरम रोग आपको परेशान करते रहते हैं. अत्यधिक शीत भी आपके लिए नुकसानदायक है और मेलनकोलिया भी आपकी परेशानी है. नियमित रूप से अनुलोम विलोम, प्राणायाम, सूर्य नमस्कार और कपालभाति आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा.

कुम्भ: नेत्रों का विशेष रूप से ध्यान रखिये. आप या तो किसी बीमारी से बहुत ज़ल्दी ठीक हो जाते हैं या फिर किसी जन्मजात बीमारी के साथ ही जन्मते हैं. रक्त विकार भी आपमें उपस्थित रहते हैं. मानसिक तनाव को हर कीमत पर अपने से दूर रखिये. सुबह की सैर और खुले मैदान में व्यायाम आपको बहुत लम्बे समय तक सुद्रढ़ रख सकते हैं.

मीन: आपको अपने स्वास्थय पर सदा ध्यान देने की ज़रुरत है क्योंकि आप इस ओर से लापरवाह रहते हैं. छुआ छूत और नज़र दोष इत्यादि भी आपको जल्दी अपना शिकार बना लेते हैं इसलिए सावधान रहिये. आपको पैरों में ठण्ड लगकर बुखार आने की तासीर है इसलिए जहाँ तक हो सावधानी रखिये. पानी भी आवश्यकता से अधिक मत पीजिये. किसी भी प्रकार का धूम्रपान, शराब, नशा आपके लिए नहीं है. अत्यधिक विचार करने की जगह विचार को कर्म में बदलने पर ध्यान दीजिये.

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