आज अक्षय तृतीया पर जानिए तरक्क़ी के अनसुने रहस्य

ज़रा सोचिए कैसा लगेगा आपको अगर आपका पैसा कभी ख़त्म ना हो? क्या आप जानना चाहते हैं वह जादू जिससे की आप दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्क़ी करें? चलिए अक्षय तृतीय के शुभ अवसर पर जानते हैं कुछ ऐसे तरीके जिनकी सहायता से आप की किस्मत पलट जाएगी। 



अक्षय तृतीया का त्यौहार मुख्य तौर पर वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। ‘अक्षय’ का मतलब होता है जिसका कभी क्षय ना हो यानि जो कभी ख़त्म नहीं किया जा सकता। इस दिन किए गए सभी तप, दान अक्षय फलदायक होते हैं। इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है। इसे ‘अखा तीज’ के नाम से भी संबोधित किया जाता है। 


अंक ज्योतिष के हिसाब से अक्षय तृतीया का महत्व 


हिन्दू कैलेंडर के हिसाब से चन्द्रमा की साढ़े तीन तिथियों को बेहद ही शुभ माना जाता है। जिनमें सबसे पहली तिथि चैत्र की शुक्ल पक्ष की पहली तिथि होती है। उसके बाद अश्विन महीने की दसवीं तिथि, वैशाख महीने की तीसरी तिथि और कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की पहली तिथि। पहली तीनों तिथियों को पूरी तिथियाँ गिना जाता है, लेकिन आखिरी तिथि को आधी तिथि गिना जाता है, जिस कारण इसे साढ़े तीन मुहूर्त के नाम से भी जाना जाता है। 

अक्षय तृतीया के दिन मनोवांछित फल पाने के लिए अपनाइए यह तरीक़े 


  1. अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर दान करने से मृत्यु का डर निकल जाता है। 
  2. सभी प्रकार की बीमारियों से बचने के लिए इस शुभ अवसर पर कपड़ों का दान किया जा सकता है। 
  3. घर में सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए फलों का दान करें। 
  4. दूध, दही, और मक्खन का दान करने से ज्ञान में वृद्धि होती है। 
  5. अक्षय तृतीया के अवसर पर अन्न के दान से अकाल मृत्यु का डर निकल जाता है। 
  6. धन की प्राप्ति के लिए देवताओं और अपने पूर्वजों की आराधना करनी चाहिए। 

आज के दिन नए सामान की खरीदारी और निवेश करने को अच्छा माना जाता है। खरीदने के साथ-साथ किसी भी चीज़ का दान करने को समृद्धि के प्रतीक के रूप में माना जाता है। घरों में हवन-पूजा और पितरों को श्राद्ध देना भी महत्वपूर्ण होता है। शादी करने के लिए भी यह दिन बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस ख़ास दिन पर आप जितना दान-पुण्य करते हैं, उससे कई गुना ज़्यादा आपको उसका प्रतिफल मिलता है। 

अक्षय तृतीय का पौराणिक महत्व 


अक्षय तृतीया के दिन से सतयुग और त्रेतायुग का आरंभ माना जाता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान श्री गणेश ने आज के दिन से ही महाभारत लिखने की शुरुआत की थी। इसी दिन भगवान परशुराम का भी जन्म हुआ था; इसलिए इसे परशुराम जयंती भी कहा जाता है। नर-नारायण ने भी इसी दिन अवतार लिया था। चार धाम में प्रमुख बद्रीनारायण के द्वार भी आज के दिन ही खोले जाते हैं। वृन्दावन के श्री बांके बिहारी जी के मंदिर में केवल आज के दिन ही चरण दर्शन होते हैं, अन्यथा वह पूरे वर्ष वस्त्रों से ढके रहते हैं। 

अक्षय तृतीया की पूजा विधि


अक्षय तृतीया के दिन लक्ष्मी जी और विष्णुजी की पूजा करनी चाहिए। अक्षय तृतीया व्रत और पूजा की विधि इस प्रकार है:

  1. सुबह जल्दी उठकर गंगाजल से स्नान करना चाहिए। 
  2. स्नान करने के बाद भगवान विष्णु व देवी लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित कर अक्षत, धूप, और चन्दन से उनका पूजन करना चाहिए।
  3. पूजन के बाद भगवान की मूर्तियों को पंचामृत से स्नान कराएं; जौ, सत्तू, चना, तुलसी के पत्ते चढ़ाएँ।
  4. भगवान विष्णु जी की आरती करके श्रद्धानुसार ब्राह्मणों को दान देना चाहिए।
  5. आज के दिन बर्तन, खरबूज़ा, दही, दूध, चावल, आदि का दान देने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। 

अक्षय तृतीया पर ऊपर बताए गए कुछ बेहद सरल तरीकों से आप आज के दिन मनोवांछित फल पा सकते हैं, और बेहद खुशहाल भरी ज़िन्दगी का आनंद ले सकते हैं। 

आप सभी को अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएँ!

आज के त्यौहार

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आज विनायक चतुर्थी है। विनायक चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश को समर्पित है। भगवान गणेश की पूजा करने से सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं।

आपका दिन शुभ रहे!

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