पितृ-पक्ष में करें यह सरल उपाय पूरी होंगी सभी मनोकामनाएँ

आज से पितृ पक्ष, यानि श्राद्ध करने के दिन, शुरू हो रहे हैं। ‘पितृपक्ष में पिण्डदान और श्राद्ध कर्म करने से हमारे पितरों को मुक्ति मिलती है’, यह बात लगभग सभी लोग जानते हैं। लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि अपने पितरों का श्राद्ध करने से आपका भी भाग्योदय हो सकता है? आइए जानते हैं कैसे...

Kya hai Pitru Paksha? kyon lagta hai pitra dosh?

श्रद्धा के साथ हम जो भी अर्पण करते है वह ‘श्राद्ध’ होता है। पिण्डदान से न केवल हमारे पूर्वजों को मुक्ति और शांति मिलती है, बल्कि हमें सुख, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या (पितृ-अमावस्या) तक श्राद्ध-कर्म किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष के 16 दिनों तक पितर धरती पर निवास करते हैं।

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क्या है पितृदोष?


‘पितृदोष’ को सबसे बड़ा दोष माना गया है। कुण्डली का नौंवा घर धर्म का होता है। यह घर पिता का भी माना गया है। यदि इस घर में राहु, केतु, और मंगल अपने नीच राशि में बैठें हैं, तो यह इस बात का संकेत है कि आपको पितृदोष है। पितृदोष के कारण जातक को मानसिक पीड़ा, अशांति, धन की हानि, गृह-क्लेश जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पिण्डदान नहीं करने वााले लोगों के संतान की कुण्डली में भी पितृदोष का योग बनता है और अगले जन्म में वह भी पितृदोष से पीड़ित होता है।

नोट: वैसे तो शास्त्रविधि से किया गया श्राद्ध सर्वोपरी है, परंतु जो लोग शास्त्र विधि से श्राद्ध करने में सक्षम नहीं है; वे लोग पितृपक्ष में श्राद्ध-कर्म कर सकते हैं। जिन लोगों को अपने पूर्वजों की तिथि याद नहीं है वे लोग पितृपक्ष की अमावस्या को श्राद्ध-कर्म कर सकते हैं। ऐसा शास्त्रों में वर्णित है।

जैसा की हमलोग जानते हैं कि श्राद्ध-कर्म और पिण्डदान करने से पितरों को मुक्ति मिलती है। लेकिन गरूड़ पुराण की मानें तो यदि आप विधिवत तरीक़े और नक्षत्रों के अनुसार श्राद्ध-कर्म करते हैं, तो आपकी भी सभी मनोकामनाएँ पूरी हो सकती हैं। आइए अब एक नज़र डालते हैं गरुड़ पुराण के इन वाक्यांशों पर:
  1. ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए आर्द्रा नक्षत्र में करें पिण्डदान।
  2. पुत्र पाप्ति के लिए रोहिणी नक्षत्र में श्राद्धकर्म करें।
  3. मृगशिरा नक्षत्र में पिण्दान करने से गुणों का विकास होता है।
  4. सुंदरता प्राप्त करने के लिए पुनर्वसु नक्षत्र में श्राद्धकर्म करें।
  5. वैभव की चाह रखने वाले पुष्य नक्षत्र में श्राद्ध कर सकते हैं।
  6. अधिक आयु की कामना रखने वाले व्यक्ति अश्लेषा नक्षत्र में पिण्डदान करें।
  7. अच्छी सेहत के लिए मघा नक्षत्र में।
  8. अच्छे सौभाग्य के लिए पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में श्राद्ध करें।
  9. विद्या की इच्छा रखने वालों को हस्त नक्षत्र में पिण्डदान करना चाहिए।
  10. प्रसिद्ध संतान के लिए चित्रा नक्षत्र में।
  11. स्वाति नक्षत्र में व्यापार में लाभ के लिए।
  12. विशाखा नक्षत्र में वंश वृद्धि के लिए।
  13. अनुराधा नक्षत्र में उच्च पद प्रतिष्ठा के लिए श्राद्ध करें।
  14. उच्च अधिकार भरा दायित्व प्राप्त करने के लिए ज्येष्ठा नक्षत्र में।
  15. निरोगी काया के लिए मूल नक्षत्र में पिण्डदान करना चाहिए।
  16. समस्त इच्छाओं की पूर्ति के लिए करें कृतिका नक्षत्र मेंं श्राद्ध।

श्राद्ध विधि

  1. अपने कुल, गोत्र, नाम, राशि और पितर का नाम तथा संबंध का उल्लेख कर हाथ में जल लेकर संकल्प करें।
  2. हमेेेशा पूर्वाभिमुख होकर ही करें श्राद्ध।
  3. कुश, चावल, जौ, तुलसी के पत्ते और सफेद पुष्प को श्राद्ध में शामिल करें।
  4. तिल मिश्रित जल की तीन अंजुलियाँ देनी चाहिए।
  5. पिण्डदान के बाद ब्राह्मण को दान अवश्य दें, ब्राह्मण ना मिलने पर दामाद, नाती अथवा भांजे को दान देने का प्रावधान है।
  6. श्राद्ध के बाद गाय, कुत्ता, और कौवा को खाना ज़रूर खिलाएँ।
श्राद्ध विधि के बारे में और विस्तार से जानने के लिए यहाँ क्लिक करें - श्राद्ध विधि

उपर्युक्त जानकारियों से हमें आशा ही नहीं, बल्कि पूर्ण विश्वास है कि यह जानकारी आपको पितृदोष से मुक्ति और आपकी सभी मनोकामनाओं को पूरा करने में सहायक सिद्ध होगी।

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