कजरी तीज व्रत - मुहूर्त और विधि

भगवान शंकर और देवी पार्वती के मधुर मिलन का प्रतीक यह कजरी तीज आज देश भर में हर्षोल्लास के साथ मनाई जाएगी। इस बार कजरी तीज और गणेश चतुर्थी का आयोजन एक ही दिन होगा ।

Pati ki lambi umar ke liye kren kajari teej.

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इस साल की कजरी तीज क्यों है ख़ास?


अखंड सौभाग्य की कामना के लिए की जाने वाली कजरी तीज इस साल उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में पड़ रही है और साथ में यह तीज चतुर्थीयुक्त भी है। शास्त्रों में चतुर्थी युक्त तथा उत्तरा-भाद्रपद और पूर्वा-भाद्रपद की तृतीया को बहुत ही ख़ास माना गया है। ऐसी मान्यता है कि इन दोनों स्थितियों में तीज का व्रत करने पर सभी मनोकामनाएँ पूरी होती है।

पति के दीर्घायु और मनचाहे वर के लिए इस प्रकार करें कजरी तीज


  1. पूरे दिन निर्जला व्रत रखें।
  2. प्रसाद के रूप में चावल, सत्तू, घी, मेवा और फल लें और सुहाग का सामान लें (संभव हो तो 16 शृंगार का सामान ले सकती हैं)।
  3. भगवान शंकर और पार्वती की पूजा फल, फूल, नैवेद्य, धूप और दीप के साथ करें।
  4. सुयोग्य पति के लिए निम्नलिखित मंत्र का जप करें।
    हे गौरी शंकर अर्धांगिनी यथा त्वं शंकर प्रिया।
    तथा मम कुरू कल्याणी कान्त कान्ता सुदुर्लभम्।।
  5. व्रत के अगले दिन सुहाग का समान किसी ग़रीब स्त्री को दान करें।
  6. सास, ननद और बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लें।
  7. दान के बाद सबसे पहले प्रसाद ग्रहण करें, उसके बाद ही पारण करें।

तीज का मुहूर्त



दिनांक
समय
तृतीया तिथि आरम्भ 31 अगस्त 2015,
शाम 4 बजकर 50 मिनट से
तृतीय तिथि समाप्त
1 सितंबर 2015
दोपहर 1  बजकर 23 मिनट तक

क्या है कजरी तीज?


कजरी तीज को ‘बूढ़ी’ तीज और ‘सातूड़ी’ तीज दोनों नामों से जाना जाता है। आसमान मे घूमती काली घटाओं के कारण ही इसे ‘कजरी’ तीज कहते हैं। इस दिन महिलाएँ जौ, गेहूँ और चने के सत्तू में घी, मेवा डालकर पकवान बनाती हैं। इसलिए इसे ‘सातूड़ी’ तीज कहा जाता है। कजरी तीज को बिहार, राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से मनाया जाता है। इस अवसर पर महिलाएँ विरह, प्रेम और मिलन की गीत गाती हैं।

कजरी तीज का महत्व


देवी पार्वती ने 107 जन्मों तक शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। तब 108वें जन्म में देवी की तपस्या से ख़ुश होकर भगवान शंकर ने पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया। उसके बाद से ही ‘कजरी तीज’ मनाने की परम्परा शुरू हुई। तीज महिलाओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए महिलाएँ इस व्रत को करती हैं। इस दिन भगवान शिव और पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। शास्त्र के अनुसार इस व्रत को कंवारी कन्या और सुहागिन महिलाएँ दोनों बराबर रूप से कर सकती हैं। कंवारी कन्याएँ मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए तथा सुहागिन महिलाएँ अपने सुहाग की रक्षा और पति की दीर्घायु के लिए इस व्रत को करती हैं।

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आज के दिन विशेष


इस वर्ष कजरी तीज, संकष्टी गणेश चतुर्थी और बहुला चतुर्थी व्रत एक ही दिन मनाया जाएगा। बहुला व्रत को संतान की लंबी उम्र और भाई के दीर्घायु की कामना के लिए किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश, गाय-बछड़ा तथा शेर की मिट्टी की मूर्ती बनाकर पूजा की जाती है। इस व्रत में जौ के सत्तू का भोग लगाते हैं।

कजरी तीज, गणेश चतुर्थी और बहुला चतुर्थी की आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ।

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