भारत के 66 वर्ष: ज्‍योतिषीय विश्‍लेषण

पंडित हनुमान मिश्रा

15 अगस्त 2012 बारह को स्वतंत्र भारत की यात्रा के 65 साल पूरे हो जाएंगे। यदि इस वर्ष की कुण्डली बनाई जाय तो विक्रम सम्वत 2069 के शुद्ध भाद्रपद महीने की द्वादशी तिथि दिन मंगलवार तदानुसार 14 अगस्त सन 2012 को दिन में 3 बजकर 55 मिनट पर भारतवर्ष का यह वर्ष पूर्ण हो रहा है। अर्थात धनु लग्न के उदय के समय स्वतंत्र भारत अपने छाछठवें वर्ष में प्रवेश करेगा। इस साल का वर्षेश शनि होगा। जो इस बात का संकेत कर रहा है कि इस वर्ष जमीन-जायदाद के मामलों में तेजी आएगी। पिछडी जातियों के उत्थान के लिए कोई अच्छा कानून बन सकता है। लोहा, कोयला, लकडी पत्थर और अनाज महगे हो सकते हैं। मुंथा के लाभ भाव में स्थित होने के कारण भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। फलस्वरूप लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार होगा। किसी अच्छे देश से व्यापारिक और व्यवहारिक सुधरेंगे। अन्य देशों से सहयोग मिलने की उम्मीद है। सिनेमा, मनोरंजन या चिकित्सा उद्योग के सहयोग के लिए सरकार प्रयत्नशील होगी। लोगों को नौकरी के अवसर मिलेंगे। राजनीतिज्ञों के स्तर में सुधार होगा।


लग्नेश बृहस्पति शत्रु भाव में होने के कारण पडोसी राष्ट्रों से खतरा गहरा सकता है, जो आंतरिक और बाह्य खतरा पैदा कर सकते हैं। द्वितीयेश शनि उच्च का होकर लाभ भाव में है अत: यह आर्थिक स्थिति के सुदृढ होने का एक संकेत है। तृतीयेश का मंगल ले साथ होना इस बात का संकेत है कि पडोसी राष्ट्र कोई बडा उपद्रव मचा सकते हैं। यह कोई बडी आतंकवादी घटना का होना भी हो सकता है। लेकिन यातायात और दूर संचार के मामलों के लिए यह युति अच्छे परिणाम देगी और इस क्षेत्र में प्रगति होगी। चतुर्थेश छ्ठे भाव में है इसलिए कहीं अतिवृष्टि तो कहीं अनावृष्टि होगी। आंधी-तूफान, बाढ, वायु वेग का प्रकोप, भूकम्प के साथ-साथ भारत के पूर्वी भू-भाग में मलेरिया, चेचक, निमोनिया, हैजा सामूहिक रूप से हो सकता है। पश्चिम के क्षेत्रों में सूखा होने से बुखार का अधिक प्रसार होगा। आगजनी, अनाज मंहगा, जनता को कष्ट, जनता में व्याकुलता, चोर डाकुओं का भय होने के साथ ही अन्न की उपज कम हो सकती है। पंचमेश के लाभ भाव में होने के कारण शिक्षा के क्षेत्र में सुधार होगा, विशेषकर तकनीकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। बाल विकास कार्यक्रमों में विकास होगा लेकिन बाल मृत्युदर बढ सकती है।

छठे भाव में चतुर्थेश बृहस्पति केतू के साथ है अत: संतो, सदाचारियो और बुद्धिजीवियों को कष्ट हो सकता है। सप्तमेश के अष्टम भाव में स्थित होने के कारण महिलाओं पर अत्याचार बढ सकते हैं। तलाकों की संख्या में बढोत्तरी हो सकती है। अष्टमेश का सप्तम में होना भी स्त्रियों के लिए शुभ नहीं है। सप्तमेश अष्टम में सूर्य के साथ है और अष्टमेश सप्तम में शुक्र के साथ है। अत: शासन से जुडे लोग और मनोरंजन जगत से जुडे लोग स्त्रियों के शोषण में आगे रह सकते हैं। नवमेश सूर्य अष्टम में कर्क राशि में स्थित है अत: उत्तर भारत के राज्यों में कानून व्यवस्था बिगड सकती है। देश में सम्प्रदायिक दंगे भी या द्वेष के पनपने की सम्भावना है। धर्म को राजनीति से जोडकर साम्प्रदायिक भावनाओं को हवा दी जा सकती है। लेकिन भारत की न्यायपालिका कुछ ऐतिहासिक फैसले ले सकती है जो दूरगामी होंगे। दशमेश अष्टम में है अत: देश ले प्रधान शासक अथवा उत्तर तथा पश्चिम भारत के प्रधान शासकों को विरोधों का सामना करना पड सकता है लेकिन राजस्थान के शासक की स्थिति मजबूत हो सकती है। लाभेश के सप्तम में जाने से स्त्रियों को लाभ देने वाले आयाम बढेंगे। जलीय राशि में राहू द्वादश भाव में है को जलीय प्रदेशो और विशेषकर समुद्री किनारों में किसी विवाद का संकेत कर रहा है

यद्यपि कई ग्रह भारत की स्त्रियों को लाभान्वित करने के संकेत दे रहे है फिर भी मुंथेश के सप्तम में स्थित होने के कारण स्त्रियों को कष्ट और स्त्रियों के शोषण की घटनाओं में बृद्धि के संकेत मिल रहे हैं। ऐसे में सरकार को उनके हित और रक्षा के प्रति चिंतन करना चाहिए साथ ही स्त्रियों को सजग रहने की सलाह दी जाती है।

स्वतंत्र भारत की कुण्डली


भारत की स्वतंत्रता के 66वें वर्ष की कुण्डली



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