होलाष्टक 2015 - एक वहम या सच में अशुभ

होलाष्टक आज से यानि फ़रवरी 26, 2015 से शुरू हो रहा है। क्या आपको लगता है कि आप होलाष्टक के बारे में सब कुछ जानते हैं, जैसे होलाष्टक को क्यों अशुभ माना जाता है, या इसमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं? तो दोबारा सोचिये और होलाष्टक के बारे में सब कुछ जानने के लिए यह लेख पढ़िए। 

Holashtak ashubh dinon ka ek samooh hai.

होली के त्यौहार के पहले आठ दिनों को होलाष्टक कहा जाता है। कोई भी शुभ काम प्रारम्भ करने के लिए इस समय को अशुभ माना जाता है, विशेषकर उत्तर भारत में। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार होलाष्टक का प्रारम्भ फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है, और यह फाल्गुन मास की पूर्णिमा तक चलता है। 

साल 2015 में होलाष्टक की अवधि इस प्रकार है: फ़रवरी 26 से मार्च 5


FREE matrimony & marriage website

होलाष्टक: क्यों है अशुभ 

  1. दो प्रमुख कारणों की वजह से होलाष्टक को अशुभ माना जाता है। आइये इनके बारे में जानते हैं: भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु के एक महान भक्त थे, लेकिन उनके पिता हिरण्यकश्यप स्वयं अपने आप को ही भगवान मानते थे। हिरण्यकश्यप चाहता था कि प्रहलाद विष्णु को छोड़कर उसकी पूजा करे, इसलिए उसने प्रहलाद को आठ दिनों तक बहुत परेशान किया। जब हिरण्यकश्यप अपनी कोशिशों में सफ़ल नहीं हो पाया तो उसने प्रहलाद को होलिका दहन के दिन आग में जला देने का निर्णय लिया जिसमें भी उसकी हार हुई। इसलिए होलिका दहन से पहले के इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है। 
  2. दूसरा और बहुत महत्वपूर्ण कारण जो होलाष्टक को अशुभ बनाता है वह यह है कि इस समय के दौरान अलग अलग दिनों में ग्रह बहुत जल्दबाज़ी में फेर-बदल करते हैं। देखें नीचे दी गयी सूची में:
  • चन्द्रमा (होलाष्टक के पहले दिन)
  • सूर्य (होलाष्टक के दूसरे दिन)
  • शनि (होलाष्टक के तीसरे दिन)
  • शुक्र (होलाष्टक के चौथे दिन)
  • गुरु (होलाष्टक के पाँचवे दिन)
  • बुध (होलाष्टक के छटे दिन)
  • मंगल (होलाष्टक के सांतवें दिन)
  • राहु (होलाष्टक के आठवें या फाल्गुन पूर्णिमा के दिन)

होलाष्टक: शुभ कार्य जिन्हें टाल देना चाहिए 


देखें वो शुभ कार्य जो होलाष्टक के समय के दौरान नहीं करने चाहिए:
  • गृह प्रवेश 
  • हिन्दू मान्यताओं के अनुसार 16 मुख्य संस्कार 
  • एक नए कार्य या व्यवसाय का आरम्भ करना 

होलाष्टक 2015: महत्त्व 

  1. होलाष्टक के साथ ही होलिका दहन की तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। होलिका दहन के लिए जगह का चयन कर लिया जाता है और उसे गंगा के पवित्र जल से साफ़ किया जाता है। 
  2. लोग होलिका दहन सुखी लकड़ी तथा पत्तों को जमा करना शुरू कर देते हैं। 
  3. ज़रूरतमंदों तथा गरीबों को दान देने के लिए होलाष्टक के बहुत महत्त्व है। होलाष्टक के दौरान ऐसा करना बहुत शुभ माना जाता है। 
  4. तांत्रिकों के लिए होलाष्टक का विशेष महत्त्व है। यह समय उन्हें मंत्र सिद्धि और साधना करने के विशेष फल प्रदान करता है। 
हमें आशा है कि अब होलाष्टक को आप और बेहतर तरीके से समझ सकेंगे। एस्ट्रोसेज आपके एक सुरक्षित होलाष्टक 2015 की कामना करता है। 


आज का पर्व! 


आज की स्टॉक-मार्किट प्रिडिक्शन्स जानने के लिए क्लिक करें: सेंसेक्स-निफ़्टी प्रिडिक्शन्स

आपका दिन शुभ हो!

Related Articles:

No comments:

Post a Comment