इस बुद्ध पूर्णिमा बना सबसे बड़ा राजयोग! पढ़ें वैशाख पूर्णिमा पर व्रत करने का महत्व, पूजा विधि और सही मुहूर्त !
बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध को समर्पित सबसे बड़ा पर्व है। दुनियाभर में बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह एक बेहद पवित्र दिन होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख माह की पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा पड़ती है, इसीलिए इसे वैशाख पूर्णिमा, बुद्ध जयंती, वेसाक और हनमतसूरी आदि नामों से भी जाना जाता है। मान्यता अनुसार यह दिन भगवान विष्णु के तेइसवे अवतार महात्मा बुद्ध यानी सिद्धार्थ गौतम जिन्हे हम गौतम बुद्ध के नाम से भी जानते हैं, उनके जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। एक अन्य मान्यता के अनुसार बुद्ध भगवान् विष्णु के नवें अवतार थे। उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में यह दिन बेहद धूमधाम से मनाया जाता है। इसी विशेष पूर्णिमा के दिन लुंबिनी में भगवान बुद्ध ने धरती पर जन्म लिया था तथा इसी विशेष दिन उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और 80 वर्ष की आयु में इसी ही दिन उन्होंने कुशीनगर में अपना मानव शरीर त्याग दिया था। यानि भगवान बुद्ध का जन्म, उन्हें ज्ञान की प्राप्ति और महापरिनिर्वाण ये तीनों एक ही दिन अर्थात वैशाख पूर्णिमा के दिन पड़े थे। जो आज तक किसी भी अन्य महापुरुष के साथ नहीं हुआ, इसी लिए इस दिन व्रत करने का भी विधान है।
बुद्ध पूर्णिमा पर पूजा का मुहूर्त
मई 18, 2019 को 04:12:32 से पूर्णिमा आरम्भ
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मई 19, 2019 को 02:42:59 पर पूर्णिमा समाप्त
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नोटः उपरोक्त समय केवल नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर के अनुसार जानिए इस दिन का मुहूर्त एवं पूजा विधि
वैशाख पूर्णिमा पर व्रत करने का महत्व
वैशाख पूर्णिमा के दिन पर धर्मराज की पूजा की जाती है। इस साल यह 18 मई को मनाई जाएगी। इस बार की ये तिथि अपने आप में कई मायनों में बेहद फलदायी साबित होने वाली है क्योंकि इस बार बुद्ध पूर्णिमा के दिन एक विशेष समसप्तक योग बन रहा है। क्योंकि इस ख़ास दिन देव गुरु बृहस्पति व सूर्य देव आमने-सामने रहेंगे। जिसके चलते इस बार इस योग में सभी जातको को कार्यों में स्थायित्व के साथ प्रगति मिलेगी। कहा जाता है कि इस ख़ास दिन व्रत करने से अकाल मृत्यु का भय भी समाप्त हो जाता है। एक मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के बचपन के साथी निर्धन सुदामा जब द्वारिका भगवान कृष्ण के पास मिलने पहुंचे थे, तो भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें सत्य विनायक पूर्णिमा व्रत करने की सलाह दी थी। जिसके बाद इसी व्रत के प्रभाव से सुदामा की सारी दरिद्रता दूर हुई। इसलिए जो भी व्यक्ति इस दिन व्रत करता है तो उसे धर्मराज का तो आशीर्वाद मिलता ही है साथ ही उसका जीवन भी भगवान गौतम बुद्ध की तरह ही सकारत्मकता से परिपूर्ण हो जाता है।
वैशाख पूर्णिमा व्रत की सही विधि
वैशाख पूर्णिमा पर व्रत और ज़रूरी पुण्य कर्म करने से मनुष्य को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। हालांकि इस पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि भी काफी हद तक अन्य पूर्णिमा व्रत के सामान ही है लेकिन इस दिन किये जाने वाले कुछ धार्मिक कर्मकांड इस प्रकार हैं:-
- वैशाख पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुएँ या बावड़ी में स्नान करना शुभ होता है।
- स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें। इस दौरान मन में व्रत का संकल्प लेकर भगवान विष्णु का भी ध्यान करें।
- इसके बाद सच्चे मन से भगवान विष्णु और उनके अवतार गौतम बुद्ध की भी पूजा करें।
- ज्योतिष अनुसार इस दिन धर्मराज के निमित्त जल से भरा कलश और पकवान देने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
- इसके बाद 5 या 7 ग़रीबों और ब्राह्मणों को शक्कर के साथ तिल देने से पापों का क्षय होता है।
- इस दिन घर में तिल के तेल के दीपक जलाएँ और तिलों का तर्पण विशेष रूप से करें।
- इस दिन व्रत के दौरान एक समय ही भोजन करें।
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बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
जैसा सभी जानते है कि भगवान गौतम बुद्ध अपने अहिंसा, मानवतावादी और विज्ञानवादी विचारों से विश्व के सबसे महान पुरुष कहलाए, जिन्होंने धरती पर बौद्ध धर्म स्थापित कर उसका प्रचार-प्रसार भी किया। इसके चलते ही आज पूरे विश्व में करीब 180 करोड़ से भी ज्यादा लोग बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं। केवल भारत में ही नहीं बल्कि चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका और इंडोनेशिया जैसे कई बड़े देशों में बुद्ध पूर्णिमा बड़े उत्सव के साथ मनाई जाती है। बौद्ध धर्म के साथ-साथ हिन्दू धर्म में भी बुद्ध पूर्णिमा का बड़ा महत्व है। क्योंकि हिन्दू धार्मिक में भगवान बुद्ध को भगवान विष्णु का ही एक अवतार कहा गया है।
गौतम बुद्ध की पूर्ण मोक्ष प्राप्ति की परिभाषा
भगवान गौतम बुद्ध द्वारा बौद्ध धर्म की स्थापना की गयी और उन्होंने 4 प्रमुख संदेश दिए हैं, जिन्हे इस बुद्ध पूर्णिमा हर जन मानस को पालन करना चाहिए।
- इस दुनिया में हर स्थिति में केवल दुःख है। जन्म में, बुढ़ापे में, बीमारी में, मृत्यु में, सब में दुःख है।
- और इस दुःख के मुख्य कारण मनुष्य की इच्छा और तृष्णा ही है।
- मानव की इसी इच्छा और तृष्णा का अंत होने पर ही जीवन के समस्त दुःख समाप्त हो जाएंगे।
- कोई भी मनुष्य इन सभी इच्छाओं का अंत बौद्ध धर्म में दिये गये जीवन के 8 मार्गों से कर सकता है।
भगवान बुद्ध के द्वारा सुझाए गए जीवन के वो आठ मार्ग हैं - सम्यक दृष्टि, सम्यक संकल्प, सम्यक वाक, सम्यक कर्म, सही जीविका, सम्यक प्रयास, सत्य स्मृति और सम्यक समाधि।
विभिन्न राज्यों में बुद्ध पूर्णिमा
यूँ तो बुद्ध पूर्णिमा उत्सव को दुनियाभर में बुद्ध जयंती के रूप में मनाया जाता है। लेकिन अगर भारत की बात करें तो यहाँ ये पर्व मुख्य रूप से अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर और बिहार में ख़ास तौर से मनाया जाता है। बिहार के बोध गया में स्थित महाबोधि मंदिर को बुद्ध पूर्णिमा के दिन विशेष रूप से सजाया जाता है। यह मंदिर प्राचीन काल में से ही बौद्ध भिक्षुओं की शिक्षा का एक मुख्य केन्द्र रहा है। इस दिन बौद्ध धर्म के सभी अनुयायी भगवान बुद्ध के चरणों में उनका ध्यान करते हुए अपना दिन व्यतीत करते हैं। इसके अतिरिक्त इस दिन भव्य तौर पर दान पुण्य भी किया जाता है।
बुद्ध पूर्णिमा का ज्योतिषीय और धार्मिक महत्त्व
हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष दोनों में ही पूर्णिमा की तिथि का विशेष महत्व है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखें तो इस ख़ास दिन वैशाख पूर्णिमा पर चंद्रमा पूर्ण होता है, और जो लोग इस व्रत को करते हैं उन्हें चंद्र देव की कृपा प्राप्त होती है। वहीं शास्त्रों में पूरे वैशाख माह में गंगा स्नान का अपना एक विशेष महत्व होता है। ऐसे में मान्यता है कि वैशाख पूर्णिमा पर स्नान, दान और तप करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और व्यक्ति अकाल मृत्य के भय से भी मुक्त हो जाता है।
एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएँ!
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