मुहूर्त: कुछ ज़रूरी बातें


मुहुर्त दिन का वह समय है जिसे हम शुभ समय के रूप मे जानते हैंI हालांकि यह सत्य नहीं हैI मूल रूप से, दो घटी के समय को मुहूर्त कहते हैं, जो की 48 घंटे के समान हैI मुहूर्त के बारे मे अधिक जानकारी के लिए यह आलेख पढ़ेI 

शुभ मुहूर्तवैदिक ज्योतिष के अनुसार दो घटी यानी कि 48 मिनट के समय को मुहूर्त कहते हैं लेकिन मुहूर्त का वास्तविक अभिप्राय वह समय है जब किसी काम को शुरू करने से पहले विभिन्न ग्रहों की स्थिति परिस्थिति को देखा जाता है जिससे वे ग्रह उस कार्य विशेष के लिए शुभफलदायक हों। मुहूर्त में यह देखा जाता है कि क्या कोई समय विशेष किसी कार्य विशेष के लिए उपयुक्त है अथवा नही।

किसी मुहूर्त को निर्धारण करने के लिए कई प्रकार के अध्ययन जरूरी होते हैं फ़िर भी इस काम में सूर्य और चंद्रमा को अधिक महत्त्व दिया जाता है। इसके लिए अयन, मास, नक्षत्र, तिथि, वार, योग, करण, लग्न आदि सभी बाते सूर्य और चंद्रमा की गति पर आधारित है लेकिन दूसरे ग्रह भी अपनी स्थिति के अनुसार मुहूर्त पर प्रभावी होते हैं। इसीलिए मुहूर्त का चयन इस प्रकार से किया जाता है जिससे वह कार्य विशेष और व्यक्ति के लिए शुभ फलदायी रहे।

वैदिक ज्योतिष के सिद्धांत के अनुसार जिस प्रकार एक विशेष समय में जन्म लेने पर किसी व्यक्ति के जीवन की महत्त्वपूर्ण बाते और भविष्य में होने वाले घटनाक्रम पहले से निश्चित हो जाते हैं और जिसे बदलना या संशोधन करना उस व्यक्ति के वश में नही रह जाता। ठीक इसी प्रकार जब किसी काम की शुरुआत की जाती है तो काम शुरू होने वाले समय के अनुसार इस काम का भविष्य भी तय हो जाता है। यानी मुहूर्त के अनुसार सम्बंधित कार्य की शुभता को सुनिश्चित किया जा सकता है।

यदि मुहूर्त के निर्धारीकरण में सम्बंधित व्यक्ति की कुण्डली को भी ध्यान में रखा जाय तो अधिक लाभदायक फल मिलते हैं। वास्तव में मुहूर्त की उपयोगिता प्रकृति द्वारा प्रदान अनुभूतियों की प्राप्ति के लिए शुभ समय का चयन करने के लिए है। अत: यदि किसी भी कार्य को करने से पूर्व, वैदिक सिद्धांतो पर आधारित समय विशेष (मुहूर्त) का सहयोग लिया जाय तो आपके प्रयास निश्चय ही रंग लाएंगें।

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