होलिका दहन परिक्रमा से दूर करें शनि दोष !

होलिका दहन पर शुभ मुहूर्त के अनुसार आज रात इन महाउपायों से करें सभी दोष दूर! 

होलिका दहन यानी होली त्यौहार का पहला व विशेष दिन, फाल्गुन मास की पूर्णिमा को देशभर में मनाया जाता है। इसी के अगले दिन रंग खेला यानी रंगों से खेलने की परंपरा निभाई जाती है जिसे अलग-अलग राज्यों में धुलेंडी, धुलंडी और धूलि आदि नामों से भी जाना जाता है। इस त्यौहार को बुराई पर अच्छाई की विजय के उपलक्ष्य में महत्व दिया जाता है। इसी लिए होलिका दहन की पूजा शुभ मुहूर्त में करना अनिवार्य होता है। माना जाता है कि ऐसा करने से जीवन में आने वाली हर समस्या और बुराइयों का नाश होता है व घर परिवार में सुख-समृद्धि आती है। चलिए अब होलिका दहन के महत्व और पूजा विधि पर चर्चा करने से पहले एक नज़र होलिका दहन 2019 के शुभ मुहूर्त पर भी डाल लेते हैं…



होलिका दहन मुहूर्त 2019
होलिका दहन मुहूर्त:
20:58:38 से 24:23:45 तक
अवधि:
3 घंटे 25 मिनट
भद्रा पुँछा:
17:34:15 से 18:35:34 तक
भद्रा मुखा:
18:35:34 से 20:17:45 तक

विशेष: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

होलाष्टक


होलिका उत्सव की शुरुआत होली के आठ दिन पहले यानी “होलाष्टक” से होती है और होलाष्टक के आखिरी दिन ही होलिका दहन किया जाता है। ज्योतिषी होलाष्टक के दौरान सभी शुभ कार्य जैसे गृह प्रवेश, विवाह, मुंडन और अन्य मांगलिक कार्य का शुभारंभ न करने की सलाह देते है। और ये अशुभ अवधि होलिका दहन के बाद ही समाप्त होती है। 

फाल्गुन पूर्णिमा


होलाष्टक की समाप्ति के साथ ही फाल्गुन पूर्णिमा मनाई जाती है, जो फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को पड़ती है। हिन्दू धर्म में होली की तरह ही फाल्गुन पूर्णिमा का धार्मिक, और सामाजिक के साथ साथ सांस्कृतिक महत्व भी है। इसी महत्व को देखते हुए लोग इस ख़ास दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक उपवास करते है। क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन पूर्णिमा व्रत करने से मनुष्य के दुखों का नाश तो होता ही है साथ ही उन पर भगवान विष्णु भी अपनी विशेष कृपा दिखाते हैं। इसी लिए इस शुभ तिथि पर होली का त्यौहार और इससे एक दिन पूर्व रात्रि को होलिका दहन मनाया जाता है।

होलिका दहन का महत्व


हिंदू धर्म की मानें तो हर त्यौहार का अपना धार्मिक और पौराणिक महत्व होता है। क्योंकि हर एक त्यौहार हमें एक अच्छा संदेश, सीख और शिक्षा प्रदान करता है। इसी क्रम में होलिका दहन पर्व भी हमें एक अच्छी सीख देता है।
  1. होलिका दहन के द्वारा हम समाज के अंदर फैली बुराइयों को जलाते हुए उससे सीख लेते हैं। माना जाता है कि इस दिन हर एक व्यक्ति को संकल्प लेते हुए अपनी असुरी प्रवृत्ति का होलिका की अग्नि में दहन कर देना चाहिए।
  2. मान्यता अनुसार जो भी कोई व्यक्ति पूरे विधि विधान से होलिका दहन की पूजा कर उसकी परिक्रमा करता है उसे स्वस्थ जीवन और सुख-समृद्ध की प्राप्ति होती है। 
  3. वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करते हुए इस उत्सव के माध्यम से हम अग्नि देवता के प्रति अपना कृतज्ञता व्यक्त करते हैं। 

होलिका दहन के अगले दिन धुलेंडी यानि होली आती है। तो तैयार हो जाइये रंग-बिरंगी होली के लिए - होली 2019

इस होलिका दहन शनि दोष से मिलेगी मुक्ति 


  • वैदिक शास्त्रों अनुसार होलिका की रात्रि के समय पूजा करने से जिस भी जातक की कुंडली में व्याप्त दोष होते हैं उन्हें कम किया जा सकता है। 
  • इसके साथ ही होलिका की पूजा कर व्यक्ति शनि दोष और पितृ दोष को भी दूर कर सकता है। 
  • होलिका दहन पर गन्ना भूनने और अग्नि की परिक्रमा करने से दोष दूर होते हैं।
  • होलिका की परिक्रमा से जातक की ग्रह बाधा भी दूर होती है। 

होलिका दहन पर करें ये महाउपाय


  • होलिका दहन के समय परिवार के लोगों द्वारा एक साथ होलिका की परिक्रमा करना शुभ होता है। परिक्रमा लेते वक़्त होलिका में चना, मटर, गेहूं, अलसी अवश्य डालें। इसे धन लाभ का अचूक उपाय माना गया है।
  • मान्यता अनुसार होली वाली रात पीपल के पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाकर, पीपल के पेड़ की सात परिक्रमा लगाएँ। ऐसा करने से जीवन में आ रही सभी बाधाओं को दूर किया जा सकता हैं।
  • होलिका दहन के अगले दिन सबसे पहले मंदिर जाकर देवी-देवताओं को गुलाल चढ़ाना चाहिए, उसके बाद ही होली खेलनी चाहिए। 
  • होलिका के जलने के दौरान उसमें कपूर डालने से हमारे आसपास मौजूद हानिकारक कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।
  • होलिका दहन के समय सरसों के कुछ दानें होलिका को अर्पित कर माँ लक्ष्मी को याद करें। ऐसा करने से देवी लक्ष्मी घर पर कृपा करती हैं। 
ज्योतिषियों के अनुसार होलिका दहन से जुड़े इन महा उपायों को करने से व्यक्ति के दुःख, दर्द व रोग आदि का नाश होता है और उसके जीवन में ऐश्वर्य का आरम्भ होता है।


होलिका दहन के आवश्यक नियम और पूजा विधि


हिंदू शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद शुरू होने वाला समय) में पूर्णिमा तिथि के प्रबल होने पर ही किया जाना चाहिए। घर में सुख-शांति और समृद्धि के लिए दहन से पहले होलिका पूजा का विशेष महत्व होता है। आईये अब जानते हैं कि कैसे करें होलिका पूजन की शुरुआत और इस दौरान किन बातों का रखें ध्यान...
  • होलिका पूजन करते समय अपना मुँह पूर्व या उत्तर की ओर करके बैठे।
  • पूजन की थाली में पूजा समाग्री जैसे: रोली, पुष्प, माला, नारियल, कच्चा सूत, साबूत हल्दी, मूंग, गुलाल और पांच तरह के अनाज, गेहूं की बालियां व एक लोटा जल होना चाहिए।
  • होलिका के चारों ओर सहपरिवार सात परिक्रमा करके कच्चा सूत लपेटना शुभ होता है। 
  • इसके पश्चात विधिवत तरीके से पूजन के बाद होलिका को जल का अर्घ्य दें और सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में होलिका का दहन करें।
  • होलिका दहन की राख बेहद पवित्र मानी जाती है। इसलिए होलिका दहन के अगले दिन सुबह के समय इस राख को शरीर पर मलने से समस्त रोग और दुखों का नाश किया जा सकता है।

हम आशा करते हैं कि होलिका दहन व फाल्गुन पूर्णिमा व्रत पर हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज की ओर से आप सभी को होलिका दहन की ढेर सारी शुभकामनाएं !

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