सावन का पहला सोमवार कल, पढ़ें महत्व और विशेष बातें

कल रखा जाएगा इस वर्ष के सावन माह का पहला सोमवार व्रत। ऐसे करें महादेव की पूजा मिलेगा मनोवांछित फल। साथ ही जानें सावन के सभी सोमवार की तिथि और उससे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें।


हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान शिव की उपासना के लिए सावन मास के अलावा सोमवार, प्रदोष और शिवरात्रि आदि का समय भी शुभ माना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार जिसे श्रावण मास कहा जाता है उसे ही लोग सावन का महीना कहते हैं इस समय भगवान शिव की अराधना और सोमवार व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है। सावन के महीने में शिव भक्तों द्वारा रखे जाने वाले व्रत का शुभ फल उन्हें मिलता है इस दिन व्रत रखने वाले भक्त रात को पूजा के बाद भोजन करते हैं। सावन सोमवार व्रत की विधि भी अन्य सोमवार व्रत की तरह ही होती है। इस बार सावन का पहला सोमवार 22 जुलाई को है।


सावन सोमवार का व्रत देगा मनोवांछित फल


हिंदू पंचांग की मानें तो सावन वर्ष का पांचवा महीना होता है जो इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार जुलाई-अगस्त में ही आता है। सावन का महीना विशेष तौर से भगवान शंकर को समर्पित होता है, इसलिए इस मास का महत्व बढ़ जाता है। इसलिए इसे भगवान शंकर का प्रिय महीना भी कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि जब भगवान विष्णु देवशयनी एकादशी पर अपने शयन करने क्षीरसागर में चले जाते हैं तो इस दौरान संसार के पालन का दायित्व भगवान शिव स्वयं अपने ऊपर ले लेते हैं। इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि यदि कोई भक्त सावन के महीने में भगवान शंकर की पूजा माता पार्वती के साथ करता है तो उसे भगवान शिव की कृपा से सभी प्रकार के मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है और उसे अनेक प्रकार की समस्याओं से भी मुक्ति मिल जाती है। 

वर्ष 2019 में सावन सोमवार की तिथि


पहला सावन सोमवार व्रत
सोमवार
जुलाई 22, 2019
दूसरा सावन सोमवार व्रत
सोमवार
जुलाई 29, 2019
तीसरा सावन सोमवार व्रत
सोमवार
अगस्त 5, 2019
चौथा सावन सोमवार व्रत
सोमवार
अगस्त 12, 2019

सावन सोमवार को व्रत करने के लाभ 


ज्योतिष विशेषज्ञों अनुसार ये देखा गया है कि यदि आपके विवाह में कोई समस्या आ रही है या फिर आपकी आर्थिक स्थिति कमजोर है या आपको अपने स्वास्थ्य से संबंधित कोई तकलीफ़ चली आ रही है तो सावन के सोमवार का व्रत रखने पर भगवान शिव प्रसन्न होते हैं जिससे आपको इन सभी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है। वेदों में भी भगवान शिव और माता पार्वती को पुरुष और प्रकृति के रूप में ही जाना जाता है। ऐसे में मान्यता है कि जब प्रकृति पृथ्वी पर अपनी अनुपम छटा बिखेरती है तो भगवान शिव उनकी काया देख अत्यंत प्रसन्न रहते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाओं को शीघ्र ही प्रसन्न होकर पूरा कर देते हैं। 

सावन सोमवार की कुछ ज़रूरी बातें ध्यान रखें


  • पौराणिक कथाओं के अनुसार शनि देव को भगवान शिव का प्रिय शिष्य माना गया है इसलिए सावन के सोमवार के व्रत रखने से आप भगवान शिव और माता गौरी के साथ-साथ शनि देव को भी अत्यंत प्रसन्न कर सकते हैं। 
  • चूंकि चंद्र देव भगवान शंकर के शीश पर विराजित हैं, और सोमवार को चंद्र देव का दिन भी कहा जाता है इसलिए इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव के साथ-साथ चंद्रमा का भी आपको आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि आपकी कुंडली में कोई भी चंद्र दोष है तो वो भी सावन के सोमवार को व्रत रखने से समाप्त हो जाता है। 
  • जिस भी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहण दोष या सर्प दोष का निर्माण हो रहा होता है तो यदि वो व्यक्ति सावन के सोमवार का व्रत करता है तो भगवान शंकर उससे प्रसन्न होकर उसके सभी दोष समाप्त कर देते हैं। 
  • इसके अतिरिक्त अपनी कुंडली में बन रहे विभिन्न प्रकार के दोषों से मुक्ति पाने हेतु एवं अपने जीवन के सभी पापों के शमन हेतु भी भगवान शंकर की पूजा सावन के महीने में करना अत्यंत लाभदायक साबित होता है। 
  • ये देखा गया है कि सावन सोमवार के दिन यदि नाग पंचमी का त्यौहार आए तो इसका महत्व अत्यंत बढ़ जाता है और इसे एक प्रकार का शुभ संयोग माना जाता है। इस दिन नागों की पूजा करने से भक्तों पर शिवजी की सीधी कृपा होती है।

सावन सोमवार का उद्देश्य


सावन सोमवार पर भगवान शिव प्रकृति का अद्भुत तालमेल देख विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं। अगर भगवान भोलेनाथ के स्वरूप को देखें तो जहाँ वे एक ओर अपने गले में विषधर वासुकि नाग को धारण किए रहते हैं तो वहीं दूसरी तरफ उनके मस्तक पर चंद्र देव विराजमान रहते हैं और साथ ही मां गंगा भगवान शिव की जटाओं से निकल रही होती हैं। उनका वाहन वृषभ होता है जिसे हम नंदी बैल के नाम से भी जानते हैं। वहीं शिव देव की अर्धांगिनी माता पार्वती अपने वाहन शेर पर सवार रहती हैं। भगवान शंकर के पुत्र गणेश और कार्तिकेय के वाहन क्रमशः मूषक और मयूर हैं। यहां अगर आप ध्यान दें तो पता चलता है कि यह सभी जीव एक दूसरे के शत्रु हैं लेकिन भगवान शंकर के निवास कैलाश पर सभी एक साथ बड़े प्रेम पूर्वक तरीके से रहते हैं। इसलिए माना जाता है कि इन्हीं के माध्यम से भगवान शंकर हमें संदेश देते हैं कि हमें प्रकृति के बीच सही संतुलन बनाए रखने की ज़रूरत होती है, और इसी कारण सावन मास में जब प्रकृति अपनी अनुपम छटा चारों ओर बिखेरती है तो उसे प्रकृति का श्रंगार स्वरूप माना जाता है। ठीक इसी प्रकार प्रत्येक मानव को भी प्रकृति संतुलन बनाए रखने की ज़रूरत होती है जिससे हमें किसी प्रकार की कोई परेशानी भविष्य में न हो। ऐसा करने से भगवान शंकर अपना आशीर्वाद खुद ही दे देते हैं। 


सावन सोमवार व्रत व पूजन विधि 


जैसा हमने पहले ही बताया सावन सोमवार के व्रत की विधि भी आम सोमवार के व्रत की तरह ही होती है लेकिन इसका महत्व अधिक होता है। इस व्रत के पूजन की विधि इस प्रकार से है:-

  • प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठें और स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहनकर शुद्ध हो जाएं । 
  • इसके पश्चात भगवान शंकर का अभिषेक दूध, दही, गंगा जल, गन्ने का रस, सरसों का तेल आदि से करें। 
  • महादेव को सफेद चंदन लगाएं और फिर उन्हें धतूरा, भांग, बिल्वपत्र आदि अर्पित करें। 
  • उनके समक्ष शुद्ध घी या तिल के तेल का दीपक प्रज्जवलित करें। 
  • इसके बाद सावन सोमवार व्रत कथा पढ़ें या सुनें व दुसरों को भी सुनाए और शिव चालीसा और आरती करें। 
  • उसके पश्चात उन्हें प्रसाद का भोग लगाएं। 
  • व्रत वाले दिन सुबह और शाम दोनों समय भगवान शंकर की उपासना करनी चाहिए। 
  • संध्याकाल के समय भगवान शिव की पूजा के बाद ही व्रत खोलें और ध्यान रखें कि दिन में केवल एक बार ही भोजन करें। 


सावन सोमवार की पौराणिक कथा 


भगवान शिव के प्रिय सावन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार कहा माता पार्वती ने भगवान शिव से शादी करने के लिए श्रावण मास को ही निराहार अत्यंत कठिन व्रत किया था। जिस दौरान भगवान शिव उनकी इस उपासना से प्रसन्न हुए थे और उन्होंने माता पार्वती को दर्शन देकर उनसे विवाह करने का वरदान दिया था। इसलिए ही लड़कियों और महिलाओं को इस दिन व्रत और शिव जी की पूजा करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे वैवाहिक जीवन की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

इसके अलावा एक अन्य मान्यता के अनुसार इसी मास में भगवान शिव ने अपनी ससुराल पृथ्वी पर जाने का फैसला लिया था। जहाँ उनका स्वागत जलाभिषेक द्वारा किया गया था। इसलिए मान्यता है कि जो भी मनुष्य इस दिन उनका व्रत करते हुए उनकी पूजा करता है तो भगवान शिव की सहज कृपा उसको प्राप्त होती है। माना जाता है कि सावन के महीने में ही भगवान शंकर स्वंय पृथ्वी पर आकर उन्हें आशीर्वाद देते हैं। इस कारण भी सोमवार व्रत रखना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। 

हम आशा करते हैं कि सावन सोमवार से संबंधित हमारा यह आलेख आपको पसंद आया होगा और आप अपनी अभिलाषाओं की पूर्ति के लिए सावन सोमवार व्रत रखकर भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे और सभी समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करेंगे।

Related Articles:

No comments:

Post a Comment