हरियाली तीज 2019: पूजा विधि और महत्व

हरियाली तीज आज, जानें सावन में तीज के गीत गाकर कैसे मनाते हैं तीज का त्योहार?


हरियाली तीज सावन के महीने में आने वाला ऐसा पर्व है, जिसका इंतजार सभी स्त्रियों को होता है। हरियाली तीज सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इसलिए इसे तीज के नाम से भी जाना जाता है। चारों ओर हरियाली का वातावरण होने के कारण से हरियाली तीज कहा जाता है। यह तीज विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाई जाती है और उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड आदि में प्रमुख रूप से यह त्यौहार मनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में से कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है। सावन और भाद्रपद के महीने में कुल मिलाकर 3 तीज आती हैं, जिनमें पहली हरियाली तीज जिसे छोटी तीज कहते हैं, उसके बाद कजरी तीज और फिर हरतालिका तीज मनाई जाती है। हरियाली तीज मुख्य रूप से नागपंचमी से 2 दिन पूर्व मनाई जाती है। हरियाली तीज को श्रावण मास में आने के कारण श्रावणी तीज भी कहा जाता है। इससे लगभग 15 दिन बाद कजली तीज पड़ती है जिसे बड़ी तीज कहा जाता है। तीज का त्यौहार महिलाओं द्वारा बड़े चाव से मनाया जाता है और इस दिन तीज के गीत गाए जाने की परंपरा है।


हरियाली तीज का मुहूर्त

अगस्त 3, 2019 को 01:37:23 से तृतीया आरम्भ

अगस्त 3, 2019 को 22:06:45 पर तृतीया समाप्त

नोट: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर में हरियाली तीज मुहूर्त

हरियाली तीज का मुहूर्त


इस वर्ष 2019 में हरियाली तीज जिसे हम श्रावणी तीज के नाम से भी जानते हैं, 3 अगस्त 2019 को पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्यय तिथि 3 अगस्त 2019 को 01:37:23 बजे से प्रारंभ होगी और 22:06:45 बजे तक विद्यमान रहेगी। इस दिन सूर्य पुष्य नक्षत्र में उपस्थित होंगे और शनिवार का दिन होगा तथा रवि योग होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। हरियाली तीज उत्तर भारत के बड़े त्योहारों में से एक है जिस पर सभी महिलाएं बढ़-चढ़कर हिस्सा लेती हैं और तीज के गीत गाना, मेहंदी लगाना तथा झूला झूलना इस दिन के प्रमुख रीति रिवाज माने जाते हैं। 

हरियाली तीज का महत्व 


हरियाली तीज मुख्य रूप से भगवान शिव पार्वती माता के मिलन को समर्पित है। विशेष रूप से इस तीज के दिन महिलाओं द्वारा माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है और उनसे अपने दांपत्य जीवन में खुशी की कामना की जाती है। ऐसी परंपरा है कि विवाहित महिलाएं इस दौरान अपने पीहर जाती हैं और हरे रंग के वस्त्र जैसे साड़ी या सूट आदि पहनती हैं, हरी चूड़ियां इस दौरान मुख्य रूप से पहनी जाती है। इस दौरान झूला डालने की भी परंपरा है जिसमें सभी महिलाएं चाहे वह विवाहित या अविवाहित, पूर्ण श्रृंगार करके झूला झूलती हैं और एक दूसरे को झुलाती हैं। झूला झूलने के दौरान तीज का त्योहार बड़े प्यार से मनाती हैं और विशेष तौर पर इस दौरान तीज के गीत गाती है। 

इस दौरान महिलाओं के ससुराल पक्ष द्वारा सिंधारा देने की परंपरा भी है, जो उनके द्वारा अपनी बहू को उसके मायके में जाकर दिया जाता है। सिंधारे के रूप में मेहंदी, हरी चूड़ियां, हरी साड़ी, घर में बने पकवान जैसे गुजिया, मठरी, घेवर, फैनी आदि देने की परंपरा है। सिंधारा देने के कारण ही इस तीज को सिंधारा तीज भी कहते हैं। 

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हरियाली तीज की पूजा विधि 


कोई भी कार्य यदि पूरे नियम के साथ संपादित किया जाए तो उसमें सफलता प्राप्त होने की अधिक प्रबलता होती है। इसलिए यदि हरियाली तीज की पूजा विशेष तरीके से की जाए तो आपको इसके और भी अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। इसकी विधि अत्यंत ही सरल है जिसे आपने में लिखित रूप से समझ सकते हैं:

  • इस दिन जो महिलाएं व्रत रखना चाहती हैं उन्हें ब्रह्म मुहूर्त में प्रात: काल उठना चाहिए। 
  • इसके बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर शुद्ध हो जाना चाहिए। 
  • इसके पश्चात मिट्टी के द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती तथा गणेश जी की मूर्ति का निर्माण करें। यदि आप ऐसा कर पाने में सक्षम ना हो तो आप शिव परिवार की कोई मूर्ति अथवा चित्र भी सामने रख सकते हैं। 
  • एक चौकी पर स्वच्छ वस्त्र बिछा लें और पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। 
  • उस चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति अथवा चित्र को स्थापित करें और यह संकल्प लें कि आप अपने दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि की कामना से हरियाली तीज का व्रत रखने का संकल्प लेती हैं। 
  • इसके बाद सर्वप्रथम भगवान गणेश की पंचोपचार पूजा करें। 
  • उसके बाद भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करें। 
  • श्रृंगार और सुहाग की समस्त सामग्री माता पार्वती को अर्पित करें तथा भगवान शिव को वस्त्र अर्पित करें। 
  • इसके बाद आपको तीज के व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। आप चाहे तो एक समूह बनाकर अन्य महिलाओं के साथ बैठकर भी इस व्रत कथा का पढ़ अथवा श्रवण कर सकती हैं। 
  • इसके बाद भगवान गणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूरे मन से आरती करें। 
  • उन्हें नैवेद्य अर्पित करें और भोग लगाएं। उसके बाद सभी को प्रसाद बांट कर खुद ग्रहण करें और संध्या काल में एक समय भोजन करते हुए व्रत खोलें। 

हरियाली तीज और मेहंदी


हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार हरियाली तीज और मेहंदी का गहरा संबंध है। जो भी सुहागिन स्त्री इस दिन मेहंदी लगाती है उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन महिलाओं को पूर्ण श्रृंगार करना चाहिए और मेहंदी भी श्रृंगार का एक भाग है, उसके बिना श्रृंगार अधूरा माना जाता है। हाथों में मेहंदी लगाना पति के प्रति अगाध प्रेम और खुशहाली का प्रतिनिधित्व करता है। मेहंदी हरे रंग की होती है और रचने के बाद हाथों की रौनक को बढ़ा देती है ठीक उसी प्रकार जैसे सावन के महीने में प्रकृति का सौंदर्य बढ़ जाता है। मेहंदी का हरा रंग हरियाली का प्रतीक है जो जीवन में समृद्धि और नयापन लेकर आता है। मेहंदी रचने के बाद जो रंग देती है वह स्त्री के प्रति पति के प्रेम को प्रदर्शित करता है। यही वजह है कि इस दिन मेहंदी लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। 

हम आशा करते हैं कि आपको हरियाली तीज पर लिखा हुआ हमारा ये लेख पसंद आया होगा। आप अपने सभी सुझाव हमे नीचे कमेंट करके भी दे सकते हैं। हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।

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