साल 2019 में, सर्वार्थ सिद्धि योग में जन्माष्टमी का त्योहार भाग्योदय लेकर आएगा। जानिये, वैष्णव और स्मार्त संप्रदाय के लोगों को इस दौरान बाल गोपाल को प्रसन्न करने के लिए क्या अनुष्ठान करने चाहिए और भगवान कृष्ण की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त कब है।
हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का बहुत महत्व है। इस त्योहार को गोकुलाष्टमी और कृष्ण जन्माष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल जन्माष्टमी का त्योहार भाद्रपद के महीने में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाएगा। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह अवधि अगस्त-सितंबर के महीने में आती है। कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार पूरे भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है और इस दिन लोग अपने बच्चों को बाल कृष्ण की तरह सजाते संवारते हैं और उनकी पूजा करते हैं।
कौन हैं वैष्णव और और स्मार्त ?
हिंदू धर्म में वैष्णव उन लोगों को कहा जाता है जो किसी गुरु से शिक्षा लेते हैं और शिक्षा लेने के बाद माला, तिलक, कण्ठी पहनने का नियम लेकर चक्र, शंख आदि अंकित करते हैं। वहीं पांच देवों की उपासना करने वाले आस्तिक लोगों को स्मार्त कहा जाता है। हिंदू धर्म के उन सभी लोगों को स्मार्त कहा जाता है जो गृहस्थ हैं।
दोनों ही समुदायों द्वारा 24 अगस्त को मनाया जाएगा जन्माष्टमी का त्योहार
इस साल जन्माष्टमी त्योहार दोनों ही समुदायों द्वारा 24 तारीख को मनाया जाएगा जबकि स्मार्त लोगों द्वारा जन्माष्टमी का व्रत 23 तारीख को रखा जाएगा क्योंकि आधी रात में अष्टमी तिथि होगी, जबकि वैष्णवों द्वारा व्रत अष्टमी तिथि उदय व्यापिनी होने के कारण 24 तारीख को रखा जाएगा।
कृष्ण जन्माष्टमी मुहूर्त
जन्माष्टमी के त्योहार को स्मार्त लोगों द्वारा कृष्ण जन्माष्टमी कहा जाता है जबकि वैष्णव समुदाय के लोग इसे गोकुलाष्टमी के नाम से पुकारते हैं। दोनों ही समुदायों द्वारा इस त्योहार को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। 23 और 24 तारीख अगस्त को जिन लोगों द्वारा व्रत लिया जाना है उनके लिये समय की जानकारी नीचे दी गई है:
स्मार्त समुदाय के लोगों के लिए जन्माष्टमी व्रत की तारीख: 23 अगस्त
वैष्णव समुदाय के लोगों के लिये व्रत जन्माष्टमी व्रत की तारीख: 24 अगस्त
नोट: ऊपर दिया गया मुहूर्त केवल नई दिल्ली के लिए है। अगर आप अपने शहर के लिए जन्माष्टमी का मुहूर्त जानना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें, जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त।
हिंदू धर्म में जन्माष्टमी का महत्व
हिंदू कैलेंडर के भाद्रपद महीने की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि अष्टमी तिथि की आधी रात को भगवान कृष्ण का जन्म देवकी और वसुदेव की आठवीं संताने के रुप में कंश के कारावास में हुआ था। कृष्ण भगवान के जन्म के समय चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में उदित हो रहा था। जन्माष्टमी के दौरान भगवान कृष्ण के भक्त उनके जन्म स्थान मथुरा की धार्मिक यात्रा करते हैं। इसके साथ ही वृंदावन में भी इस दौरान रौनक छायी रहती है। कृष्ण भक्त इस दौरान भजन कीर्तन करके भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को याद करते हैं।
निसंतान दंपत्तियों के लिए जन्माष्टमी
साल 2019 में जन्माष्टमी के दिन यानि अष्टमी तिथि और रोहणी नक्षत्र में सर्वार्थ सिद्धि और अमृत सिद्धि जैसे शुभ योग बन रहे हैं। यह योग उन दंपत्तियों के लिए विशेषकर फलदायी हैं जिनकी कोई संतान नहीं है। इन शुभ योगों के दौरान दंपत्तियों को व्रत रखना चाहिए और विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए इसके साथ ही संतान गोपाल यंत्र की स्थापना अपने घर की उत्तर या पूर्व दिशा में करनी चाहिए। इसके साथ ही नीचे दिये गये मंत्र का उच्चारण भगवान की पूजा के समय करना चाहिए-
ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते।
देहि मे तनयं कृष्णं त्वामहं शरणं गत: क्लीं ऊं।।
जन्माष्टमी पूजा विधि
- इस दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान-ध्यान करने के बाद साफ सुथरे कपड़े पहनें।
- गंगाजल, दूध, दही, घी से बाल गोपाल और भगवान कृष्ण की मूर्तियों को नहलाएं।
- आधी रात के समय भगवान कृष्ण को भोग लगाएं और आरती गाएं।
- भगवान कृष्ण को सफेद चावलों की खीर और सफेद रंग की मिठाईयों का भोग लगाया जाना चाहिए। खीर में चीनी की जगह मिश्री का प्रयोग करें।
- प्रसाद को सबमें बांटें।
- अगर आपने व्रत रखा है तो पारणा नवमी तिथि को करें।
- अगर आप अपने प्रेम जीवन को मजबूती देना चाहते हैं तो भगवान कृष्ण को गाय का दूध अर्पित करें।
- अगर आप अपने जीवन में सुख सुविधाएं चाहते हैं तो भगवान कृष्ण को मक्खन-मिश्री का भोग लगाएं।
जन्माष्टमी पर क्या करें और क्या न करें
- इस दिन आपको किसी के साथ भी रुखा व्यवहार नहीं करना चाहिए। इस दिन जरुरतमंदों की सहायता करें।
- इस दिन पेड़-पौधे न काटें।
- भगवान कृष्ण की पुरानी मूर्ति की पूजा करें इससे घर में शांति बनी रहती है।
- आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए शंख में दूध डालें और उस दूध से बाल गोपाल की मूर्ति का अभिषेक करें। साथ ही मां लक्ष्मी की भी पूजा करें।
- तुलसी के पौधे पर लाल चुनरी रखें और उसके सामने घी का दीया जलाकर ‘ॐ वासुदेवाय नम:’ मंत्र का जाप करें।
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