रक्षाबंधन हिंदू धर्म का एक बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है क्योंकि यह भाई बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक होता है। यही वजह है कि इस दिन का सभी भाई बहनों को बेसब्री से इंतजार होता है। आधुनिक समय में रक्षाबंधन का और भी अधिक महत्व बढ़ जाता है क्योंकि केवल हिंदू धर्म ही नहीं बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी इसे मानने लगे हैं। देवी देवताओं के समय से चला आ रहा यह पर्व आज भाई बहन के हर रिश्ते की सार्थकता को और भी अधिक बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। आज इस ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे कि वर्ष 2019 में रक्षाबंधन कब है, इसकी पूजा विधि क्या है, किस मुहूर्त में यह पर्व मनाना चाहिए और रक्षाबंधन का क्या महत्व है।
रक्षाबंधन कब है
रक्षाबंधन का त्यौहार हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहनों द्वारा भाई की कलाई पर राखी बांधी जाती है और उनकी दीर्घायु की कामना की जाती है। बदले में भाई भी अपनी बहन की रक्षा का वचन देता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि वर्ष 2019 में रक्षाबंधन कब है, तो हम आपको बताना चाहेंगे कि इस वर्ष यह त्यौहार बृहस्पतिवार के दिन 15 अगस्त 2019 को मनाया जाएगा। इस दिन रात्रि 9:27 से पंचक प्रारंभ हो जाएंगे। रक्षाबंधन पर्व का मुहूर्त निम्नलिखित होगा:
नोट: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर में रक्षाबंधन का मुहूर्त
रक्षाबंधन का महत्व
रक्षाबंधन भाई बहनों का पवित्र प्रेम प्रदर्शित करने वाला त्यौहार है। भगवान श्री राम के पिता महाराज दशरथ ने इस दिन श्रवण कुमार के पूजन की नींव रखी थी, इसी वजह से इस दिन श्रवण कुमार का पूजन भी किया जाता है। इस पर्व के महत्व को और अधिक जानने के लिए कुछ कथाएं प्रचलित हैं, जिनमें से माता महालक्ष्मी द्वारा दैत्य सम्राट महाराज बलि को राखी बांधने से भी इस पर्व का प्रचलन माना जाता है। इसके साथ ही इस दिन देव गुरु बृहस्पति तथा अन्य विद्वत ब्राह्मणों द्वारा रक्षा सूत्र का निर्माण करना और देवराज इंद्र की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधना और उसके बाद देवताओं की दैत्यों पर विजय से भी इस पर्व की महत्ता बढ़ जाती है।
पांडवों की महारानी द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण के हाथ पर चोट लगने से बहते हुए रक्त को रोकने के लिए अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उसका कपडा कृष्ण जी के हाथ पर बांध दिया था और इस पर भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें रक्षा का वचन दिया था, जिसे उन्होंने बाद में दुःशासन द्वारा द्रौपदी के चीरहरण के समय निभाया भी। यही वजह है जो रक्षाबंधन का महत्व काफी हद तक बढ़ जाता है।
ये सभी कथाएँ रक्षाबंधन के महत्व को काफी बढ़ा देती हैं और इस त्यौहार की पवित्रता पर प्रकाश डालती है। यह केवल धार्मिक त्योहार ही नहीं बल्कि मानसिक त्योहार भी है क्योंकि इस दिन भाई का अपनी बहन से मानसिक प्रेम भी बढ़ता है। वास्तव में भाई बहन का रिश्ता एक ऐसा पवित्र रिश्ता है, जो प्रेम को पूर्ण रुप से प्रदर्शित करता है। इसलिए हमें बढ़-चढ़कर इस त्यौहार को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए।
रक्षाबंधन पर भद्रा काल
रक्षाबंधन पर राखी बांधते समय भद्रा का विशेष रूप से विचार किया जाता है, लेकिन इस बार रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया नहीं रहेगा और यही वजह है कि इस बार का रक्षाबंधन पर्व भद्रा से मुक्त होने के कारण पूरे दिन बहनों द्वारा अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधी जा सकती है।
रक्षाबंधन की पूजा विधि
- रक्षाबंधन के दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर नए अथवा स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- अपनी धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रातः काल पूजा-अर्चना करें।
- कुछ स्थानों पर इस दिन श्रवण कुमार के चित्र बनाकर उनकी पूजा भी की जाती है।
- उसके उपरांत कुछ मान्यताओं के अनुसार इस दिन घर के अंदर की कुछ दीवारों और द्वार के दोनों ओर सीताराम लिख कर चित्र बनाए जाते हैं और उन पर पकवान अर्पित किए जाते हैं।
- इसके बाद एक थाली में रोली अथवा चंदन और चावल (अक्षत) ले लें। इसके अतिरिक्त भाई की कलाई पर बाँधने के लिए राखी और खिलने के लिए मिठाई भी अवश्य रखें।
- इसके बाद भाई को तिलक करें, चावल लगाएँ और फिर अपने भाई की दाहिनी कलाई पर राखी बांधें।
- जिस समय आप अपने भाई की कलाई पर राखी बांधें, उस समय इस मंत्र का जाप करें:
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।
तेन त्वां अभिबन्धामि रक्षे मा चल मा चल।
- राखी बांधने के बाद अपने भाई की आरती उतारें और उन्हें अपने हाथ से मिठाई खिलाएँ।
- तदोपरांत भाई बहन को कोई तोहफा अथवा धन दे सकता है और अपनी बहन के चरण स्पर्श करें।
- मूल रूप से बहन द्वारा राखी बांधते समय भाई के जीवन में दीर्घायु की कामना की जाती है और भाई द्वारा बहन की रक्षा का वचन दिया जाता है।
- इस प्रकार भाई बहन का पर्व रक्षाबंधन हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
रक्षाबंधन के साथ अन्य त्योहार जमाएंगे रंग
इस बार का रक्षाबंधन एक विशेष दिन 15 अगस्त को को मनाया जाएगा क्योंकि यह हमारे देश की आजादी की सालगिरह अर्थात स्वतंत्रता दिवस के रूप में भी मनाया जाएगा। इसके साथ इसी दिन वेद माता गायत्री जयंती, भगवान विष्णु के अवतार को समर्पित हयग्रीव जयंती, श्रावण पूर्णिमा व्रत, यजुर्वेद उपाकर्म तथा संस्कृत दिवस भी मनाया जाएगा। इस प्रकार इस बार का रक्षाबंधन का त्यौहार कई मायनों में विशेष रहेगा। देश के स्वतंत्रता दिवस पर बहनों द्वारा देश रक्षा में लगे विभिन्न सैनिकों को भी राखी ना भेजी जाएंगी जो उनके प्रति देश पर मर मिटने के जज्बे को सलाम करते हुए अपना प्रेम प्रदर्शित करता है।
श्रावण पूर्णिमा व्रत
हिंदू पंचांग और हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को काफी महत्व दिया जाता है क्योंकि इस दिन चंद्रमा पूरी कलाओं में होता है और पूर्णिमा का व्रत रखना एकादशी और प्रदोष व्रत के समान ही एक उत्तम फलदायी व्रत माना गया है। सावन के महीने में आने वाली पूर्णिमा को ही श्रावण पूर्णिमा या श्रावणी पूर्णिमा कहा जाता है। कजरी पूर्णिमा के रूप में उत्तर भारत और मध्य भारत के लोग भी इस दिन को काफी महत्व देते हैं। वर्ष 2019 में श्रावण पूर्णिमा व्रत बृहस्पतिवार के दिन 15 अगस्त 2019 को रखा जाएगा और इस व्रत का मुहूर्त निम्नलिखित है:
विभिन्न धार्मिक ग्रंथों तथा रीति-रिवाजों के अनुसार श्रावण पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना जप, तप और दान करने का विशेष रूप से महत्व है। कुछ राज्यों में इसे नराली या नारियल पूर्णिमा भी कहते हैं। कुछ लोग विशेष रूप से इसी दिन जनेऊ पूजन अर्थात यज्ञोपवीत पूजन और उपनयन संस्कार का कार्य भी करते हैं। यदि आपकी कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अनुकूल ना हो तो आपको यह व्रत रखना चाहिए क्योंकि पूर्णिमा का व्रत रखना चंद्र दोष से मुक्ति दिलाने के लिए सर्वश्रेष्ठ उपाय है। एक पुत्र वाले दंपत्ति को पूर्णिमा का व्रत रखना उत्तम माना गया है।
हम आशा करते हैं कि रक्षाबंधन और श्रावण पूर्णिमा व्रत पर हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा। हमारी ओर से आपके भावी जीवन हेतु हार्दिक शुभकामनाएं।
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