हरतालिका तीज कल, जानें पूजा मुहूर्त

पढ़ें भगवान शिव-पार्वती के इस व्रत का महत्व! जानें हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि और नियम, साथ ही पढ़ें कुंवारी कन्या और विवाहित स्त्रियों के लिए क्या है हरतालिका तीज व्रत का महत्व।



भारत के संदर्भ में यह कहना ग़लत नहीं होगा कि यह तीज-त्यौहारों का देश है। यहाँ प्रति वर्ष सैकड़ों तीज त्यौहार मनाएँ जाते हैं। इन मौक़ों पर लोगों के मन में उल्लास, प्रसन्नता, एकता, प्रेम और आस्था का भाव देखने को मिलता है। तीज-त्यौहारों की इसी शृंखला में 1 सितंबर 2019 को हरतालिका तीज का त्यौहार मनाया जाएगा। तीज का यह पर्व विशेषकर सुहागिन महिलाओं के द्वारा मनाया जाता है। हालांकि कुंवारी महिलाएँ योग्य वर की कामना के लिए इस दिन व्रत पूजा करती हैं। 

हिन्दू पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज प्रति वर्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीय तिथि को पड़ता है। इस दिन माँ पार्वती और भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है। 

इस महत्व के पीछे हिन्दुओं की धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है, जिसका जिक्र हम इस ब्लॉग में आगे करेंगे। सबसे पहले हमारे लिए यह जानना आवश्यक है कि हरतालिका तीज पूजा का शुभ मुहूर्त किस समय का और उसकी अवधि क्या रहने वाली है।  



हरतालिका तीज पूजा मुहूर्त
प्रात:काल मुहूर्त05:58:51 से 08:31:45 बजे तक
अवधि2 घंटे 32 मिनट
प्रदोष काल मुहूर्त18:42:16 से 20:58:30 बजे तक

नोट: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर में हरतालिका तीज मुहूर्त


हरतालिका तीज व्रत के नियम


  • हरतालिका तीज के दिन रेत के भगवान शंकर और माता पार्वती बनाए जाते हैं और उनका पूजन किया जाता है। 
  • हरतालिका तीज का व्रत निर्जल और निराहार होता है
  • व्रत रखने पर इसे बीच में नहीं छोड़ा जाता है।
  • शिव-पार्वती को प्रसाद के रूप में फल ही चढ़ाये जाते हैं।
  • हरतालिका तीज व्रत में रात्रि जागरण कर भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा की जाती है
  • अगले दिन सुबह पूजन सामग्री का विसर्जन करने के बाद यह व्रत संपन्न होता है।
  • व्रत के अगले दिन जल तथा सात्विक भोजन ग्रहण करने का विधान है।


हरतालिका तीज व्रत कथा और महत्व


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पार्वती जी ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठिन तप किया था। अपनी बेटी की यह स्थिति देखकर उनके पिता पर्वत राज हिमालय बेहद दुःखी हुए। इस बीच नारद मुनि भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के लिए विवाह का प्रस्ताव लेकर पहुंचे, लेकिन इस बारे में जब पार्वती जी को पता चला तो वे बेहद दुःखी हुईं। उनकी एक सहेली के पूछने पर उन्होंने बताया कि वे भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठिन तप कर रही है। इसके बाद पार्वती जी की सहेलियां उन्हें वन लेकर चली गईं। सखियों द्वारा उनके हरण से ही इस व्रत का नाम हरतालिका तीज पड़ा। जहां हरत यानि हरण और आलिका मतलब सहेली। इसके बाद पार्वती जी ने कठोर तप किया। भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की आराधना में मग्न होकर रात्रि जागरण किया। माता पार्वती के कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती जी की इच्छानुसार उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

मान्यता है कि माता पार्वती और भगवान शिव हरतालिका तीज व्रत रखने और विधि विधान से पूजा करने वाली सभी स्त्रियों को सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद देते हैं। इस वजह से कुंवारी कन्या और विवाहित महिलाओं के लिए हरतालिका तीज व्रत का विशेष महत्व है। 

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को हरतालिका तीज व्रत की शुभकामनाएं !

Related Articles:

No comments:

Post a Comment