नागपंचमी का मुहूर्त एवं पूजा विधि

नागपंचमी सावन के महीने में आने वाला एक विशेष पर्व है। इस दिन सभी नाग देवता की पूजा करते हैं। इस दिन भगवान शिव की विशेष रूप से पूजा की जाती है और जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष या सर्प दोष होता है अथवा राहु ग्रह से संबंधित कोई पीड़ा होती है, उन्हें भी आज के दिन नागों की पूजा करना अत्यंत फलदायक साबित होता है। सावन के महीने में भगवान शिव के गले में विराजित वासुकी जी की भी पूजा की जाती है। इसके साथ ही भगवान विष्णु की सेवा में अर्पित शेषनाग जिन्हें, अनंत के नाम से जाना जाता है, उनकी भी पूजा का बड़ा महत्व है। नागों का जन्म महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू के द्वारा हुआ। जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले से नागों का गहरा संबंध है क्योंकि माना जाता है क्योंकि एक मान्यता के अनुसार इस स्थान पर उनका साम्राज्य था। हिंदू धर्म में नागों को अत्यंत महत्व दिया जाता है और उनसे सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।



नाग पंचमी कब है


नाग पंचमी का त्यौहार हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान शिव को अत्यंत प्रिय सावन के पवित्र महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। पंचमी तिथि का स्वामी सर्प देवता को माना जाता है और यही वजह है कि इस दिन मुख्य रूप से नागों की ही पूजा की जाती है। यदि आप जानना चाहते हैं कि वर्ष 2019 में नाग पंचमी कब है, तो हम आपको बताना चाहेंगे कि इस वर्ष यह त्यौहार सोमवार 5 अगस्त 2019 को मनाया जाएगा। नाग पंचमी का मुहूर्त निम्नलिखित होगा:

नाग पंचमी का मुहूर्त
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त :
प्रातः काल 05:44:20 से 08:25:22 तक
अवधि :
2 घंटे 41 मिनट

नोट: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए है। जानें अपने शहर में नाग पंचमी का मुहूर्त

नाग पंचमी का महत्व 


हिंदू धर्म के अनुसार प्रत्येक पर्व व त्यौहार का कोई ना कोई विशेष महत्व होता है, जो उसे अत्यधिक प्रभावशाली बनाता है। ठीक इसी प्रकार नागपंचमी के त्यौहार का भी काफी महत्व है। प्रथम तो यह कि नागपंचमी का यह त्योहार सावन के महीने में आता है जो भगवान शिव को प्रिय है और भगवान शिव और भगवान विष्णु दोनों ही सर्पों के साथ रहते हैं, पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता ही होते हैं, इसलिए सावन में आने वाले नाग पंचमी के त्यौहार को नागों की कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन नागों की पूजा करने से पूरा परिवार नाग कृपा प्राप्त करता है और उन्हें सर्प के डसने तथा किसी प्रकार के विष का कोई भय नहीं रहता। इसके साथ ही सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है और अक्षय पुण्य मिलता है। इस बार की नाग पंचमी काफी विशेष है क्योंकि इस बार एक अच्छा संयोग पड़ रहा है कि नाग पंचमी सावन के सोमवार के दिन मनाई जाएगी, जिससे इसका महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। 

नागपंचमी पर पाएँ कालसर्प दोष से मुक्ति


नागपंचमी वास्तव में एक ऐसा दिन है, जब कोई भी व्यक्ति अपनी कुंडली में राहु ग्रह की पीड़ा से मुक्ति पाने में सफल हो सकता है अथवा की कुंडली में उपस्थित कालसर्प दोष या फिर सर्प दोष से छुटकारा प्राप्त कर सकता है। आज के दिन विशेष तीर्थ स्थानों जैसे कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग तथा अन्य भगवान शिव के मंदिरों में कालसर्प दोष और सर्प दोष की शांति पूजा की जा सकती है। इसके साथ ही इस दिन भगवान शिव का रुद्राभिषेक करने से अनंत सुख की प्राप्ति होती है और जन्म जन्मांतर में किए गए पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है। केवल इतना ही नहीं रुद्राभिषेक के द्वारा कुंडली में उपस्थित ग्रहों के द्वारा उत्पन्न पीड़ा से भी मुक्ति मिलती है। आज के दिन नागकेसर का पौधा लगाना भी सर्प दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक होता है। आज के दिन राहु की शांति हेतु मंत्रों का जाप करना, दान करना और शिव मंदिर जाकर चांदी के नाग नागिन का जोड़ा अर्पित करना राहु केतु के दोषों और कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाने में अत्यंत सहायक साबित होता है। 

नागपंचमी की पूजा विधि


नागपंचमी के दिन घर की दहलीज पर द्वार के दोनों ओर गोबर तथा कोयले से सर्प के चित्र बनाए जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है। उन्हें दूध से बने पकवान का भोग लगाया जाता है और अपने परिवार की सुख-समृद्धि और संतान की वृद्धि की कामना की जाती है। इसके अतिरिक्त इस दिन भगवान शिव के मंदिर में जाकर उनको दूध अर्पित करना तथा चांदी अथवा तांबे के नाग नागिन का जोड़ा अर्पित करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि इस प्रकार पूजा करना संभव ना हो पाए, तो आपको नीचे दिए गए नवनाग स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए, क्योंकि नाग पंचमी के दिन इसका पाठ सबसे ज्यादा शुभ कार्य माना जाता है:

अनंतं वासुकि शेष पद्मनाभं च कम्बलम्।

शड्खपाल धार्तराष्ट्र तक्षकं कालियं तथा।।

एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।

सायंकाले पठेन्नित्यं प्रातः काले विशेषतः।।

तस्मे विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयीं भवेत्।

यह पाठ नौ नागों अनंत, वासुकी, शेष, पद्मनाभ, कंबल, शंखपाल, धार्तराष्ट्र, तक्षक और कालिया के लिए किया जाता है और उनसे समृद्धि की कामना की जाती है। आप को कम से कम 11 बार इस का पाठ अवश्य करना चाहिए। आज के दिन सपेरों को भी कुछ दान दिया जाता है, जिससे कि वे नागों की देखरेख पर ध्यान दे सकें। 

एक ऐसा मंदिर जो साल में केवल एक बार खुलता है


आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो पूरे वर्ष में केवल एक ही दिन खुलता है। यह मंदिर नाग पंचमी के दिन ही भक्तों को भगवान के दर्शन प्राप्त करने के लिए खोला जाता है। उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के प्रांगण में एक अन्य मंदिर है भगवान नागचंद्रेश्वर का, जिसमें भगवान शंकर और माता पार्वती विराजमान हैं। यह मंदिर पूरे वर्ष में केवल एक बार नागपंचमी के दिन खोला जाता है और भक्त दूर दूर से भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने और उन्हें दूध अर्पित करने के लिए आते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो भी नागचंद्रेश्वर मंदिर में भगवान के दर्शन करता है उसे सभी प्रकार के दोषों से मुक्ति मिल जाती है। यह भी माना जाता है कि वर्ष के अन्य दिनों में इस मंदिर के बंद रहने के दौरान स्वयं वासुकी यहां उपस्थित रहते हैं। 

भगवान विष्णु के अवतार कल्कि जयंती


आज के दिन भगवान विष्णु के दशावतारों में से अंतिम अवतार जो कलयुग के अंत में होगा, उनको समर्पित कल्कि जयंती भी है। भगवान विष्णु को मानने वाले सभी भक्तजन विष्णु मंदिरों में जाकर भगवान के कल्कि स्वरुप और भगवान विष्णु की आराधना करते हैं। कल्कि जयंती 5 अगस्त 2019 सोमवार के दिन नीचे दिए गए मुहूर्त में मनाई जाएगी:

कल्कि जयंती मुहूर्त
कल्कि जयंती पूजा मुहूर्त :
अपरान्ह 16:26:02  to 19:05:02 तक
अवधि :
2 घंटे 39 मिनट

इस दिन आपको भगवान विष्णु के मंदिर जाकर उनकी पंचोपचार पूजा करनी चाहिए और यदि ऐसा संभव ना हो तो भगवान विष्णु की स्तुति करें या विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करें और भगवान के कल्कि अवतार की पूजा करें। 

हम आशा करते हैं कि नागपंचमी और कल्कि जयंती पर हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा और नागपंचमी से संबंधित जानकारी प्रदान करने में सहायक सिद्ध होगा। हमारी ओर से आपके भावी जीवन में समृद्धि हेतु हार्दिक शुभकामनाएं।

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