आज से शुरू हो रहा है सावन का महीना। पढ़ें सावन सोमवार व्रत से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें और पूजा विधि।
सावन सोमवार व्रत
श्रावण मास हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का पांचवां महीना है जो इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार जुलाई या अगस्त माह में पड़ता है। श्रावण मास का आगमन वर्षा ऋतु के समय में होता है और सावन के इस महीने में भगवान शिव के पूजन का बड़ा महत्व है। इसी कारण ये पूरा सावन मास भगवान शिव को समर्पित है।
व्रत व पूजन विधि
श्रावण मास में भगवान शिव के पूजन का बड़ा महत्व है। सावन के महीने में आने वाले प्रत्येक सोमवार को भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, साथ ही सोमवार का व्रत रखा जाता है। आइये जानते हैं शिव पूजन और सावन सोमवार की व्रत विधि।
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें।
- तत्पश्चात भगवान शिव का जल व दूध से अभिषेक करें।
- इसके बाद चंदन का तिलक लगाएं और बेल पत्र, धतूरा, फल, फूल आदि चढ़ाएँ।
- घी या तेल का दीया जलाएं।
- सावन सोमवार व्रत कथा व शिव चालीसा का पाठ करके मंगल आरती गाएं।
- व्रत के दिन सुबह और शाम भगवान शिव की आराधना करें।
- शाम को पूजा समाप्ति के बाद व्रत खोलें और सामान्य भोजन करें।
भगवान शिव को क्यों प्रिय है श्रावण मास?
सावन मास में किए जाने वाले सोमवार के व्रत भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, इस संदर्भ में कई कथाएं हैं। एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए सावन मास में निराहार रहकर कठोर व्रत किया। इस तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनसे विवाह किया।
वहीं दूसरी कथा के अनुसार ऐसा भी माना जाता है कि इसी माह में भगवान शिव पृथ्वी पर अवतरित होकर अपनी ससुराल गए थे और वहां उनका स्वागत जलाभिषेक आदि से किया गया था। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव हर वर्ष सावन मास में अपनी ससुराल आते हैं और पृथ्वी पर रहने वाले वासियों के लिए कृपा प्राप्त करने का यह सबसे उत्तम समय होता है।
सावन सोमवार तिथियां
दिन
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तारीख़
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पहला सावन सोमवार
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जुलाई 10, 2017
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दूसरा सावन सोमवार
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जुलाई 17, 2017
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तीसरा सावन सोमवार
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जुलाई 24, 2017
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चौथा सावन सोमवार
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जुलाई 31, 2017
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पाँचवां सावन सोमवार
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अगस्त 7, 2017
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सावन सोमवार व्रत की मान्यता
सावन के महीने में जो भी भक्त भगवान शिव की श्रद्धाभाव के साथ पूजा-अर्चना करता है, उसे शिव कृपा ज़रूर प्राप्त होती है। ऐसा भी माना जाता है कि विवाहित महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन को सुखमय व अविवाहित महिलाएं अच्छे वर की कामना के लिए इस व्रत को रखती हैं। वहीं सावन में भगवान शिव के पूजन व व्रत से लंबी आयु का वरदान भी प्राप्त होता है।
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