हरियाली अमावस्या का मुहूर्त तथा श्राद्ध कर्म

अमावस्या एक ऐसा समय है जब हम अपने पितरों को नमन करते हैं और भगवान शिव के पवित्र पावन मास सावन के महीने में आने वाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या कहा जाता है। क्योंकि यह समय प्रकृति में हरे भरे वातावरण का होता है इसलिए इसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है। अन्य सभी अमावस्या की भांति हरियाली अमावस्या के दिन भी पितरों की शांति के निमित्त श्राद्ध और पिंडदान तथा अन्न दान किया जाता है। इस दिन दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। उत्तर भारत में यह सावन के महीने के दौरान पड़ता है लेकिन दक्षिण भारत में सावन के महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है इसलिए भी इसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है।


हरियाली अमवस्या / श्रावण अमावस्या मुहूर्त

1 अगस्त, 2019 (बृहस्पतिवार)  (पूर्णिमांत के अनुसार)

31 जुलाई , 2019 को प्रातः 11:58:49 से अमावस्या आरम्भ

1 अगस्त, 2019 को प्रातः 08:43:00 पर अमावस्या समाप्त

नोटः उपरोक्त समय केवल नई दिल्ली के लिए है। 

हरियाली अमावस्या मुहूर्त


इस वर्ष 2019 में सावन मास की अमावस्या जिसे हम हरियाली अमावस्या अमावस्या के नाम से जानते हैं, 1 अगस्त 2019 को पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 31 जुलाई को दोपहर 11:58 से प्रारंभ होगी और अगले दिन अर्थात 1 अगस्त को प्रातः 8:43 बजे तक विद्यमान रहेगी।इस दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में उपस्थित होंगे और गुरुवार का दिन होगा तथा सिद्धि योग होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। सूर्योदय के बाद 1 अगस्त को अमावस्या उपस्थित होने के कारण 1 अगस्त को ही हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी। सावन अमावस्या का महत्व काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रकृति के प्रति संदेश देती है कि सभी ओर हरियाली रखनी चाहिए। इसके साथ-साथ इस दिन स्नान दान आदि के साथ भगवान शिव के दर्शन करना भी अनुकूल माना जाता है। विशेष रूप से इस दिन अपने पूर्वजों की शांति के लिए श्राद्ध कर्म अथवा पिंड दान करना बहुत अधिक लाभदायक माना जाता है। दक्षिण भारत में आज के दिन से सावन मास की शुरुआत होती है। 

हरियाली अमावस्या और धार्मिक कार्य 


सावन के पवित्र महीने में जब बरसात का आगमन होता है संपूर्ण सृष्टि का प्रत्येक कण कण हरा-भरा होकर पूरी तरह से खिल उठता है। ऐसे में प्रकृति का श्रंगार देखते ही बनता है और इस दौरान सभी पशु पक्षियों और पेड़-पौधों को नया जीवन प्राप्त होता है। क्योंकि यह श्रावण अमावस्या होती है जो सावन के पवित्र महीने में आती है और चारों ओर हरियाली लेकर आती है इसी कारण से हरियाली अमावस्या कहा जाता है। केवल सामान्य जन ही नहीं बल्कि धार्मिक के साथ अप्राकृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्व माना जाता है। इस दिन कुछ विशेष धार्मिक कार्य करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष रूप से कुछ धार्मिक कार्य किए जाते हैं, जो निम्नलिखित हैं:

  • अमावस्या एक ऐसी तिथि है, जब सभी अपने पूर्वजों के लिए उत्तम श्राद्ध कर्म करते हैं। 
  • इस दिन प्रात: काल आपको सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए और 11:00 बजे से पूर्व दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके अपने पितरों के निमित्त तर्पण करना चाहिए। 
  • इसके अतिरिक्त आप दक्षिण दिशा की ओर मुख करके “ॐ पितृ देवाय नमः” मंत्र का जाप कर सकते हैं। 
  • आज का दिन किसी पवित्र नदी अथवा कुंड या जलाशय में स्नान करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। 
  • स्नान के बाद आपको पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करना चाहिए। 
  • इस दिन आप चाहे तो उपवास करें और योग्य ब्राह्मण अथवा गरीब को अपनी सामर्थ्य अनुसार पितरों की तृप्ति के लिए दान दक्षिणा दें। 
  • चूंकि यह हरियाली अमावस्या है इस दिन विभिन्न प्रकार के पौधे-वृक्ष लगाना बेहद शुभ माना जाता है। 
  • इस दिन आप पीपल, केला, बरगद, तुलसी, नींबू,आदि के वृक्षों का रोपण कर सकते हैं। यह सभी वृक्ष अत्यंत पवित्र माने जाते हैं क्योंकि इनमें देवताओं का वास होता है। 
  • इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना और उसकी परिक्रमा करना भी अत्यंत शुभ होता है। 
  • इस दिन तुलसी के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा भी की जाती है। 
  • यदि आपकी कुंडली में सर्प दोष है अथवा शनि ग्रह जनित कोई पीड़ा आपको सता रही है तो आपको हरियाली अमावस्या के दिन भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग पर पुष्प अर्पण और जल तथा दूध चढ़ाना चाहिए। 
  • वृक्षारोपण के लिए मुख्य रूप से अश्वनी, मूल, रोहिणी, हस्त, श्रवण, चित्रा, मृगशिरा, विशाखा, पुष्य और तीनों उत्तरा नक्षत्र अत्यंत श्रेष्ठ माने जाते हैं। 

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  • वर्ष 2019 में हरियाली अमावस्या के दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग वृक्षारोपण के लिए अत्यंत शुभ प्रभाव देने वाला रहेगा। 
  • यदि आप आरोग्य प्राप्ति के लिए वृक्ष लगाना चाहते हैं तो नीम का पेड़ बेहतर विकल्प रहेगा और सुखों की इच्छा है तो तुलसी का पौधा रोपित करें। 
  • जो लोग संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं उन्हें केले का वृक्ष और धन संपदा की इच्छा रखने वालों के लिए आंवले का पौधा लगाना फ़ायदेमंद साबित होता है। 
  • इस दिन आप को हनुमान जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए हनुमान चालीसा का पाठ करें। उनकी मूर्ति के समक्ष चमेली के तेल का दीपक जलाएं और उन्हें चोला और सिंदूर अर्पित करें। 
  • इसके अतिरिक्त इस दिन किसी नदी बहते हुए पानी में जाकर मछलियों को आटे की गोलियां खिलाना भी अच्छा रहता है। 
  • जहां चीटियां अधिक मात्रा में स्थित हो वहां उन्हें सूखा आटा या चीनी डालें। 
  • इसके अतिरिक्त आप स्नान दान करके पुण्य अर्जित कर सकते हैं। 
  • यदि आप उपरोक्त धार्मिक कार्य हरियाली अमावस्या के दिन करते हैं तो आपको शुभ पुण्य फलों की प्राप्ति होती है। 

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हरियाली अमावस्या का महत्व 

हर अमावस्या हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इस दिन कई अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य जैसे कि दान-पुण्य आदि किए जा सकते हैं। हरियाली अमावस को चितलगी अमावस्या भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है ‘चित’ अर्थात मन और ‘लगी’ आग लगने वाली अर्थात मन को भाने वाली अमावस्या। यह अमावस्या सावन के महीने में आती है उस वक़्त सभी लोग भगवान शिव की भक्ति में लीन होता है और प्रकृति अद्भुत रूप में हमारे सामने होती है, ऐसे में मन हर्षित हो जाता है। यही वजह है कि हरियाली अमावस्या धार्मिक महत्व के साथ-साथ प्राकृतिक महत्व रखती है और यह ख़ासी लोकप्रिय मानी जाती है। यह वह समय है जब आप वृक्षों द्वारा प्रदान किए गए विभिन्न रूपों के लिए उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं और अपने पितरों के लिए श्राद्ध और पिंडदान करते हैं तथा दान पुण्य संबंधी अन्य कार्य भी संपन्न करते हैं। 

सरल शब्दों में कहा जाए तो हरियाली अमावस्या हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर प्रदान करती है। शिव पार्वती प्रकृति और मनुष्य के संतुलन पर अधिक जोर देते हैं और यही वजह है कि हरियाली अमावस्या विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है। 

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हरियाली अमावस्या के बारे में अन्य जानकारी

हरियाली अमावस्या मुख्य रूप से हरियाली तीज से 3 दिन पूर्व मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से विभिन्न मंदिरों में झांकियां और दर्शन की व्यवस्था की जाती है। खासतौर पर मथुरा और वृंदावन में द्वारकाधीश और बांके बिहारी जी के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगता है। इस दौरान शिव मंदिरों की भी विशेष तौर पर सजावट की जाती है। 

हम आशा करते हैं कि आपको हरियाली अमावस्या पर लिखा हुआ हमारा ये लेख पसंद आया होगा। आप अपने सभी सुझाव हमे नीचे कमेंट करके भी दे सकते हैं। हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।

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वक्री बुध का मिथुन में गोचर, पढ़ें राशिफल

वक्री बुध का राहु के साथ हुआ मेल! जानें राशि के अनुसार होने वाले इस गोचर के लाभ और हानि! 30 जुलाई 2019 को वक्री बुध मिथुन राशि में गोचर कर चुका है। पढ़ें इस गोचर का संपूर्ण राशिफल!

ज्योतिष में बुध ग्रह को बुद्धि, तर्क शक्ति, गणित, अनुसंधान, सांख्यिकी और यात्रा का कारक माना जाता है। सामान्यतः ज्यादातर ग्रहों का वक्री होना वैदिक ज्योतिष में यूँ तो शुभ नहीं माना जाता है लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जाता कि वक्री ग्रह हमेशा अशुभ परिणाम नहीं देते हैं। क्योंकि कभी-कभी ग्रहों का वक्री होना भी जातकों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।

वक्री बुध का राहु के साथ हुआ मेल

अगर बुध ग्रह की बात करें तो वो उत्तर दिशा पर अपना अधिपत्य रखता है और अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती इसके मुख्य नक्षत्र माने जाते हैं। इसके साथ ही सूर्य, शुक्र और राहु इनके मित्र ग्रह हैं तो वहीं चंद्रमा इनके शत्रु होते है। इसके अलावा इनका वक्री और मार्गी होना काफी महत्वपूर्ण परिवर्तन लेकर आता है क्योंकि इसका सीधा प्रभाव हमारी तर्क शक्ति, व्यापार और संवाद शैली पर पड़ता है। कुंडली में बुध की स्थिति अच्छी न हो तो जातक के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होने की संभावना रहती है। बुध ग्रह की मजबूती के लिए ज्योतिषी जातकों को पन्ना अथवा चार मुखी रुद्राक्ष पहनने की सलाह देते है। 

वकी बुध का प्रभाव


समस्त ग्रहों में बुध ग्रह की चाल सबसे तेज होती है। इसलिए ये सबसे बड़ा कारण है कि यह अन्य ग्रहों की तुलना में अधिक बार वक्री चाल चलता है। जैसा हमने ऊपर बताया कि बुध ग्रह वाणी, बुद्धि और संचार आदि का कारक है, इसलिए अपनी वक्री चाल के समय इसके प्रभाव से जातक की वाणी, संचार कौशलता एवं बुद्धिमत्ता सबसे अधिक प्रभावित होते हैं। अपनी वक्री चाल में बुध मजबूत स्थिति में होता है। अतः इसके परिणाम भी सामान्य रूप से अच्छे होते हैं। ये भी देखा गया है कि वक्री के दौरान बुध व्यक्ति के करियर जीवन और व्यक्तित्व पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। 

ज्योतिष के अनुसार वक्री गति के दौरान यदि बुध देव किसी अग्नि तत्व की राशि में विराजमान हो जाएं तो यह उस जातक की बौद्धिक शक्ति को बढ़ाने में मदद करते हैं। जिसके प्रभाव से जातक के अंदर रचनात्मक विचार पैदा होते हैं। जबकि इनके पृथ्वी तत्व की राशि में होने पर जातक को धन की समस्या परेशान करती है। वहीं वायु तत्व की राशि में इसकी उपस्थिति संवाद कौशल को मजबूत बनाने के काम आती है और पानी तत्व की राशि में होने पर यह जातक में भावुकता का स्वभाव उत्पन्न कर देता है। 

पाप ग्रह की युति देगी अशुभ फल 


वैदिक ज्योतिष में माना जाता है कि बुध के वक्री होने के दौरान जातक की छठी इंद्रीय जाग सकती है। क्योंकि बुध की प्रकृति तटस्थ है। लेकिन इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए कि यह बुरे ग्रहों के साथ मिलकर हमेशा जातक को बुरा ही प्रभाव देता है जबकि शुभ ग्रहों के साथ संगति करने पर यह शुभ हो जाता है। बुध वक्री के समय जातक को विशेष तौर पर नौकरी में बदलाव, स्थान परिवर्तन एवं यात्रा आदि करने से परहेज करना चाहिए। 

वक्री बुध के गोचरकाल का समय


पिछले माह 21 जून 2019 को बुध देव ने कर्क राशि में प्रवेश किया था जहां 8 जुलाई को यह वक्री गति प्रारंभ कर चुका है। इसी वक्री अवस्था में चलते हुए अब बुध देव 30 जुलाई मंगलवार दोपहर 12:25 बजे मिथुन राशि में प्रवेश कर चुके हैं जो यहाँ 1 अगस्त को मार्गी होने के बाद पुनः 3 अगस्त शनिवार सुबह 5:44 बजे कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे। बुद्धि और व्यापार के कारक ग्रह बुध का कुंडली में वक्री होना कई तरह की शक्तियां प्रदान कर सकता है। 

वक्री बुध करेंगे अपनी राशि में गोचर 


बुध ग्रह को सनातन धर्म में देवता के रुप में पूजा जाता है। बौद्धिक कार्यों में सफलता पाने के लिए और कारोबार की स्थिति को सुधारने के लिए भी बुध ग्रह की ही पूजा-अर्चना करने का विधान है। हिंदु शास्त्रों के अनुसार बुध हमारी प्रज्ञा के देवता माने गए हैं, इसीलिए यदि बुध कुंडली में शुभ ग्रहों के साथ विराजमान हैं तो जातक को जीवन में समृद्धि मिलती है। वहीं आपकी कुंडली में बुध अगर अनुकूल अवस्था में न हों तो आपको बुध से जुड़े उपाय करने चाहिए। ऐसा करने से जीवन में आ रही कई परेशानियां दूर हो जाती हैं। ऐसे में इस बार बुध देव वक्री होते हुए मिथुन राशि में गोचर कर रहे हैं, जो उनकी ही राशि है। ऐसे में ये स्थिति उन्हें बेहद शक्तिशाली बनाएगी। इस स्थिति के कारण बुध हर राशि को अच्छी अवस्था में बेहद अच्छे और बुरी अवस्था में बेहद बुरे परिणाम देंगे।


राहु के साथ बनेगी वक्री बुध की युति 


चूँकि वक्री बुध अपनी स्वराशि मिथुन में गोचर करेंगे जिससे वहां पहले से मौजूद राहु के साथ उनकी युति होगी। इस युति के कारण ही प्रभावशाली वक्री बुध राहु के प्रभावों को अत्यधिक बढ़ा देगा। जिससे इस वक्री गोचर का महत्व भी बेहद विशेष हो जाएगा। 

छात्रों पर वक्री बुध के गोचर का असर 


अगर छात्रों की बात करें तो उनके लिए बुध की स्थिति का अच्छा होना अति आवश्यक होता है, क्योंकि बुध को बुद्धिदाता ग्रह माना जाता है। खासकर वो छात्र जो गणित से संबंधित विषयों का अध्ययन कर रहे हैं, उन्हें बुध की स्थिति को मजबूत करने के लिए हरे वस्त्र पहनने चाहिए और बुध यंत्र स्थापित कर बुध बीज मंत्र का जाप करना चाहिए।

मंत्र- “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः!” 


वक्री बुध के गोचर का देश पर कैसा होगा असर?


वक्री बुध की राहु के साथ युति और मिथुन राशि में गोचर होना देशभर के नेताओं और राजनीति के नज़रिये से अहम माना जा रहा है। इस दौरान संभावना है कि नेताओं में बड़-बोलापन आए, जिससे वो जनता से बड़े-बड़े लुभावने वादे कर सकते हैं। हालांकि ये वायदे पूरे नहीं हो पाएंगे, जिससे उनकी छवि पर साफ़तौर पर बुरा असर पड़ेगा। 

संचार माध्यमों में आएगा बड़ा बदलाव 


संचार माध्यमों में भी इस वक्री गोचर से बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। सम्भावना है कि दूरसंचार नियामक ट्राई कोई नया फैसला ले सकती है। जिससे देश में नया बदलाव आएगा। साथ ही ये भी आशंका है कि कम्युनिकेशन माध्यमों में बड़ी-बड़ी तकनीकों का इस्तेमाल बड़े स्तर पर किया जा सकता है, जिससे दुनिया भर में देश का नाम होगा। 

चलिए अब जानते हैं वक्री बुध के मिथुन राशि में गोचर कर जाने पर विभिन्न राशियों पर पड़ने वाला प्रभाव-


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। चंद्र राशि कैल्कुलेटर से जानें अपनी चंद्र राशि

मेष


आपकी राशि के लिए बुध तीसरे और छठे भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान वक्री अवस्था में बुध आपके तृतीय भाव में गोचर करेगा। तीसरा भाव हमारे संचार का भाव है, इसके साथ-साथ इसके द्वारा हमारे….आगे पढ़ें

वृषभ


जीवनसाथी के स्वास्थ्य में उतार चढ़ाव की स्थिति बनेगी। अपनी शिक्षा के माध्यम से भी आप धन अर्जित कर पाएंगे। संतान की ओर से संतुष्टि का भाव रहेगा और आर्थिक रुप से संतान का सहयोग भी आपको प्राप्त होगा। इस दौरान आप अपनेथा….आगे पढ़ें

मिथुन


वक्री बुध के इस भाव में गोचर करने से आपके व्यक्तित्व में बुध की छाप देखने को मिलेगी। यानी कि आप थोड़े बातूनी हो जाएंगे और अपनी बातों को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करेंगे। किसी एक बात को बार-बार कहना आपकी आदत बन जाएगी….आगे पढ़ें

कर्क


सुदूर यात्रा अथवा विदेश जाने का मौका मिल सकता है लेकिन आसानी से नहीं उसके लिए कुछ कष्ट भी झेलने पड़ेंगा। इस दौरान आपके निवास स्थान में परिवर्तन हो सकता है, हालांकि काम के सिलसिले में की गई यात्राएं आपके लिए अनुकूल साबित होगी और….आगे पढ़ें

सिंह


लंबे समय से अटके हुए काम जिसके लिए आपने काफी जोर लगाया था पूरे हो जाएंगे और इससे आपका मन प्रसन्न होगा और आप ख़ुशियाँ मनाएंगे। आपके सामाजिक जीवन में वृद्धि होगी और नए….आगे पढ़ें

कन्या


इस गोचर के दौरान आपको सीखने को मिलेगा। कार्यस्थल पर आप बहुत अच्छा प्रदर्शन करेंगे लेकिन काम के साथ-साथ आराम करना भी आवश्यक रहेगा। आपके फैसलों से आपकी….आगे पढ़ें

तुला


गोचर की अवधि में आपके मान सम्मान में वृद्धि होगी और आपका सामाजिक दायरा भी बढ़ेगा। समाज में नाम और विद्वान लोगों में आपकी तारीफ होगी। प्रसिद्धि मिलने की भी संभावना रहेगी….आगे पढ़ें

वृश्चिक


बुध के वक्री अवस्था में गोचर करने के कारण आपका मन गुप्त और छुपी हुई चीजों के प्रति खोजबीन करने की कोशिश करेगा। इस सब में कुछ धन का खर्च भी सम्मिलित होगा। आपको अपनी प्रशंसा सुनना बहुत पसंद है लेकिन इस दौरान स्तिथि इसके विपरीत होने की उम्मीद है….आगे पढ़ें

धनु


संचार के माध्यमों में सुधार आएगा, वहीं जीवन साथी के साथ किसी बात को लेकर गहन बातचीत हो सकती है। करियर के परिप्रेक्ष्य में आपके लिए यह गोचर अनुकूल साबित होगा। आपको सामाजिक रूप से….आगे पढ़ें

मकर


कार्यस्थल पर अपने हक के लिए आपको बहस भी करनी पड़े तो करनी चाहिए। हालांकि आपके प्रदर्शन में सफलता मिलेगी। आप जो मेहनत करेंगे उसका फल आपको प्राप्त अवश्य होगा। दूसरी ओर आपके ख़र्चों में वृद्धि होने की पूरी पूरी संभावना है। इस दौरान जीवनसाथी….आगे पढ़ें

कुंभ


अपने दोस्तों के साथ आप शतरंज, पजल और वीडियो गेम जैसे दिमागी खेल खेल सकते हैं। जो लोग पार्ट टाइम नौकरी करने के इच्छुक हैं, उन्हें इस दौरान सफलता मिल सकती है। इस दौरान आप….आगे पढ़ें

मीन 


आप अपने पारिवारिक जीवन में अधिक व्यस्त रहेंगे और आवश्यकतानुसार उसको पर्याप्त समय देंगे। घरेलू कार्य में व्यस्तता आपको परिवार के लोगों का प्रिय बनाएगी और आप इस दौरान कोई नया घर अथवा वाहन खरीदने का विचार भी बना सकते हैं। आपके गृहस्थ जीवन में भी….आगे पढ़ें

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सावन शिवरात्रि आज, जानें मुहूर्त का समय और महत्व

सावन शिवरात्रि में महादेव को लगाएँ इसका भोग, खुल जाएगी सोई किस्मत। पढ़ें सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त व इसका धार्मिक महत्व।


हिन्दू कैलेंडर के अनुसार शिवरात्रि मासिक त्यौहार है, जो हर माह पूर्णिमा से ठीक एक दिन पहले त्रयोदशी के दिन पड़ता है। लेकिन समस्त शिवरात्रियों में से दो शिवरात्रियों का हिन्दू धर्म में सबसे अधिक महत्व माना गया है। जिनमें पहला फाल्गुन त्रयोदशी है जो विशेष रूप से महा शिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है और दूसरी सावन शिवरात्रि जिसका महत्व हिन्दू धर्म में सबसे अधिक है। यह त्यौहार मुख्य रूप से भगवान शिव और माँ पार्वती को समर्पित होता है, इस दिन भक्तजन भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा को व्यक्त करते हुए शिवलिंग का गंगा जल से अभिषेक करते हैं। 

शिव तेरस (मासिक शिवरात्रि)


हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह के तेरहवें दिन आती है (जिसे संस्कृत भाषा में त्रयोदशी कहा जाता है)। वहीं हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रति माह में दो पक्ष (कृष्ण और शुक्ल) होते हैं। अतः त्रयोदशी एक माह में लगभग दो बार पड़ती है। इसमें कृष्ण पक्ष के तेरहवें दिन आने वाली त्रयोदशी भगवान शिव को सबसे प्रिय होती है। ऐसे में भगवान महादेव के प्रिय होने के नाते इस तिथि को पौराणिक काल से ही भगवान शिव के साथ जोड़कर देखा जाता है, जिसके चलते इसे शिवतेरस या मासिक शिवरात्रि कहा जाता है।



सावन शिवरात्रि का महत्व 


हर वर्ष श्रावण मास (जुलाई-अगस्त) के महीने में आने वाली सावन शिवरात्रि को काँवर यात्रा का समापन दिवस भी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से शिव भक्त हरिद्वार, गौमुख व गंगोत्री, सुल्तानगंज की गंगा नदी, काशी विश्वनाथ, बैद्यनाथ, नीलकंठ और देवघर सहित अन्य पवित्र स्थानों से गंगा जल अपनी काँवर में भरकर अपने-अपने स्थानीय शिव मंदिरों में शिवलिंग का उस गंगा जल से अभिषेक करते हैं। 


धार्मिक मान्यता के अनुसार, सावन भगवान शिव का सबसे प्रिय मास है और सावन माह में पड़ने वाली शिवरात्रि सकारात्मक उर्जा का स्रोत होती है, इसलिए इस दिन भगवान शिव का गंगा जल से अभिषेक करने या शिवलिंग पर जल चढ़ाने से भक्तों को पापों से मुक्ति और भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


सावन शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त


पंचांग अनुसार सावन 2019 में सावन शिवरात्रि 30 जुलाई, मंगलवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह दोपहर 12 बजकर 06 मिनट से अगली सुबह यानी 31 जुलाई, बुधवार की दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक होगा। हालांकि यह पूरा ही दिन बेहद पवित्र माना जाता है, इसलिए भक्त इस दिन मुहूर्त के अलावा भी पूजा कर सकते हैं। शास्त्रों अनुसार सावन की शिवरात्रि मनुष्‍य के सभी पापों और दोषों को धोने में सक्षम होती है। इसलिए सावन की शिवरात्रि का महत्व व्यापक है। इस दिन जो भी व्यक्ति श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा करता है और व्रत रखता है तो उसके समस्त पापों का नाश स्वयं महादेव कर देते है। इसके अलावा जो लोग अविवाहित होते हैं इस व्रत को करने से उन्हें भी मनचाहा जीवनसाथी मिल जाता है। वहीं, दांपत्य जीवन में प्रेम की प्रगाढ़ता बढ़ती है।


सावन शिवरात्रि 2019 की पूजा विधि


भगवान शिव को भोले के नाम से भी जाना जाता है। जो कोई भक्त भोलेनाथ को सच्चे मन से याद करता है महादेव उनकी फरियाद को ज़रुर सुनते हैं। शिव की पूजा करने की विधि भी बेहद आसान होती है, जिसकी मदद से कोई भी व्यक्ति सामान्य पूजा और सच्चे मन से भगवान शिव की अाराधना कर उन्हें प्रसन्न कर सकता है। आइये जानते हैं सावन शिवरात्रि की सही पूजा विधि:-

  • सावन शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठकर स्‍नान कर मन और शरीर को पवित्र कर लें। 
  • फिर घर पर या मंदिर में शिव जी की पूजा करें और शिव जी के साथ माता पार्वती और नंदी गाय को भी पंचामृत जल अर्पित करें। 
  • इसके पश्चात भगवान शिव रूपी शिवलिंग पर बेल पात्र, शहद, दूध, अभिषेक के लिए पवित्र जल (जिसमें जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, इत्र, चंदन, केसर, भांग सभी मिले हो) आदि एक एक करके शिव मंत्र- “ॐ नमः शिवाय” के जाप के साथ चढ़ाते जाएँ।
  • इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें और फिर शिव आरती करें।
  • इस समय ध्यान रहें कि भगवान की पूजा सच्चे दिल से ही करें। 


व्रत खोलते समय भगवान शिव को लगाए भोग


माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ को अपने भक्तों द्वारा जो भी चढ़ाया जाता है उसे वो बेहद प्रसन्नता से ग्रहण करते हैं। हालाँकि सावन शिवरात्रि पर व्रती को रात के समय अपना व्रत खोलने से पहले भगवान शिव को भोग में कुछ चीजें विशेष रूप से चढ़ानी चाहिए। चलिए जानते हैं उनके बारे में-

  • कहा जाता है कि गेहूँ से बनी चीजें अर्पित करने से भोलेनाथ अपने भक्त से जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। 
  • माना जाता है कि एश्वर्य पाने के लिए भक्त शिव जी को मूंग का भोग लगा सकते हैं। 
  • कहते हैं कि अविवाहित लोग मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए व जल्द शादी के बंधन में बंधने के लिए शिव जी को चने की दाल का भोग लगा सकते हैं। 
  • शिव जी को तिल या तिल का तेल चढ़ाने की भी मान्यता है। माना जाता है कि शिव को तिल चढ़ाने से भक्त के इस जन्म के साथ-साथ पूर्व जन्म के भी नष्ट हो जाते हैं। 

हम आशा करते हैं कि सावन सोमवार से संबंधित हमारा यह ब्लॉग आपको पसंद आया होगा और आप अपनी अभिलाषाओं की पूर्ति के लिए सावन सोमवार व्रत रखकर भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।
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साप्ताहिक राशिफल (29 जुलाई से 4 अगस्त 2019)

जानें इस सप्ताह की भाग्यशाली राशियां! साथ ही पढ़ें साप्ताहिक राशिफल और जानें नौकरी, व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रेम और पारिवारिक जीवन के लिए कैसा रहेगा 29 जुलाई से 4 अगस्त का यह सप्ताह।

एस्ट्रोसेज हर बार की तरह एक बार फिर से आपके समक्ष उपस्थित है इस सप्ताह का राशिफल लेकर। जिसमें आपको 29 जुलाई से लेकर 4 अगस्त के बीच की सभी छोटी-बड़ी घटनाओं को बताया जाएगा और आपकी राशि के अनुसार सभी ग्रह-सितारों की स्थितियों को ध्यान में रखते हुए इस हफ्ते क्या कुछ विशेष आपके साथ होने वाला है इस बारे में भी संपूर्ण जानकारी आपको दी जाएगी। हमें उम्मीद है कि हमारा ये सटीक राशिफल आपके साप्ताहिक कार्यक्रमों को सुनियोजित ढंग से सफल बनाने में काफी हद तक कारगर सिद्ध होगा। इस राशिफल की मदद से आपको इस सप्ताह से संबंधित सभी खास जानकारियाँ प्राप्त हो पाएंगी। दुनिया की सबसे बड़ी ज्योतिष वेबसाइट एस्ट्रोसेज द्वारा प्रस्तुत यह सटीक राशिफल ज्योतिष विशेषज्ञों की मदद से तैयार किया जाता है। हमारे इस सप्ताहिक राशिफल की मदद से आप अपने प्रेम जीवन, स्वास्थ्य, पारिवारिक जीवन, दांपत्य जीवन, करियर, आर्थिक स्थिति, आदि से जुड़ी हर जानकारी पा सकते हैं। 


इस सप्ताह का हिन्दू पंचांग एवं ज्योतिषीय तथ्य


हिन्दू पंचांग के अनुसार, सप्ताह की शुरुआत कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि से होगी और सप्ताह का अंत शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के साथ होगा। वहीं इस सप्ताह में चंद्र देव वृषभ राशि से होते हुए सिंह राशि तक अपनी गोचरीय अवस्था जारी रखेंगे। इसके साथ ही वक्री बुध भी इस सप्ताह पहले मिथुन में और अंत में वापस मार्गी होते हुए कर्क राशि में प्रवेश कर जाएगा। इसके अलावा इस सप्ताह सावन सोमवार के साथ-साथ 29 जुलाई को प्रदोष व्रत (कृष्ण) और 30 जुलाई, मंगलवार को सावन शिवरात्रि व्रत भी रखा जाएगा। इसके बाद गुरुवार, 1 अगस्त को श्रावण अमावस्या और 3 अगस्त, शनिवार को हरियाली तीज का पर्व बड़े हर्षोल्लास के साथ देशभर में मनाया जाएगा।

इस सप्ताह किन ग्रहों की बदलेगी चाल?


वैदिक ज्योतिष अनुसार यदि इस सप्ताह की ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति को समझें तो उससे ज्ञात होता है कि इस पूरे ही सप्ताह बुध देव अपना स्थान परिवर्तन करते दिखाई देंगे। क्योंकि बीते माह बुध ग्रह ने 21 जून को कर्क राशि में प्रवेश किया था जहां उसने जुलाई की शुरुआत में अपनी वक्री गति प्रारंभ की। इसी वक्री अवस्था में चलते हुए बुध देव इस सप्ताह 30 जुलाई मंगलवार को मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे और इसके बाद सप्ताह के मध्य में 1 अगस्त को दोबारा मार्गी होने के बाद अंत में 3 अगस्त शनिवार को पुनः कर्क राशि में अपना गोचर कर लेंगे। इसके चलते ये सप्ताह विशेष रूप से मिथुन और कर्क राशि वाले जातकों के लिए बेहद ख़ास रहने वाला है। 

प्रदोष व्रत 2019 की तिथि व व्रत विधि: यहाँ क्लिक कर पढ़ें

शेयर बाज़ार में इस सप्ताह की स्थिति


इस सप्ताह की शुरुआत में शेयर बाज़ार कुछ मंदी के साथ खुलेगा। जिसके बाद सप्ताह मध्य में बाज़ार में कुछ हद तक उतार-चढ़ाव की स्थिति देखने को मिलेगी। इसके बाद काफी हद तक बाज़ार में स्थिरता दिखाई देने के संकेत नज़र आ रहे हैं। इसलिए निवेशक सप्ताह की शुरुआत में निवेश न करते हुए यदि अंत में करें तो ही लाभ की संभावना बन सकती है। इस सप्ताह विशेष रूप से इस्पात, ज़मीन-जायदाद, सेवा क्षेत्र, रसायन, सीमेंट व फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्रों की स्थिति ठीक बनी रहने की उम्मीद है। हालांकि इसके बावजूद चीनी, मनोरंजन, वाहन, बैंकिंग, निवेश व अन्य तकनीकी क्षेत्रों में मिलेजुले परिणाम नज़र आएंगे। जबकि सरकारी ऊर्जा, एफ. एम. सी. जी. क्षेत्रों पर इस पूरे ही सप्ताह अच्छा-ख़ासा दबाव देखने को मिल सकता है। वहीं अगर खुदरा बाज़ार की बात करें तो इस सप्ताह जहाँ सोने-चांदी के भावों में तेजी तो वहीं गुड़, खांड़ और घी में उतार-चढ़ाव की स्थिति रहने की उम्मीद है। इसके साथ ही अनाज व दलहन में भी तेजी आने के आसार नज़र आ रहे हैं। 


जन्मदिन विशेष 


इस सप्ताह चर्चित हस्तिओं में बॉलीवुड और भारतीय राजनीति के जाने-माने चेहरे संजय दत्त और भजन गायक अनूप जलोटा 29 जुलाई को और फिल्म जगत के मशहूर दिग्गज सोनू सूदसोनू निगम 30 जुलाई को अपना जन्मदिन मनाएंगे। इसके साथ ही 31 जुलाई को 60 और 70 के दशक की महान अभिनेत्री मुमताज की जन्मथिति भी मनाई जाएगी। जबकि 1 अगस्त को तापसी पन्नू, 2 अगस्त को निर्माता सिद्धार्थ रॉय कपूर, 3 अगस्त को अभिनेता सुनील ग्रोवर और मनीष पॉल व 4 अगस्त को अभिनेता अरबाज खान और बॉलीवुड के एक प्रसिद्ध संगीतकार, गीतकार, पटकथा लेखक व निर्देशक विशाल भारद्वाज का जन्मदिन है। जानें इन हस्तियों के लिए कैसा रहेगा आने वाला समय और क्या कहती है उनकी कुंडली। हमारी ओर से इन सब को जन्मदिन की शुभकामनाएँ। चलिए अब जानते हैं इस सप्ताह का राशिफल:-


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। चंद्र राशि कैल्कुलेटर से जानें अपनी चंद्र राशि

मेष


इस सप्ताह चंद्रमा आपकी राशि से तृतीय, चतुर्थ, पंचम और षष्ठम भाव में गोचर करेंगे। इसके परिणाम स्वरूप छोटे भाई-बहनों के साथ मनमुटाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इस स्थिति से निपटने के लिए ज़रूरी होगा उनकी बातों को समझना और उन्हें समझाना...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- इस सप्ताह आपके लिए प्रेम जीवन थोड़ा पेचीदा रह सकता है। क्योंकि इस सप्ताह प्रेम में पड़े जातकों को असमंजस भरी परिस्थितियों से गुजरना पड़ सकता है। ऐसे में आपको अपने प्रेम जीवन में किसी तरह के डर का अहसास हो सकता है...आगे पढ़ें

वृषभ


इस सप्ताह चन्द्रमा आपके द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ और पंचम भाव में गोचर करेगा। इसके अलावा वक्री बुध आपकी राशि से द्वितीय भाव में गोचर करेंगे और इसके बाद वो फिर से मार्गी होते हुए आपकी राशि के तृतीय भाव में विराजमान हो जाएंगे...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम संबंधित मामलों के लिए ये सप्ताह अच्छा रहने की उम्मीद है। ग्रहों का योग आपको प्यार के मामले में इस सप्ताह खुश नसीब बनाएगा। आप अपने प्रियतम के साथ जीवन के कुछ खुशनुमा पलों को बिता पाने में कामयाब होंगे...आगे पढ़ें

मिथुन


इस वक़्त आपको कोई भी महत्वपूर्ण निर्णय लेने से पहले सही से सलाह मशवरा करने की ज़रूरत होगी, क्योंकि आपको निर्णय का खामियाज़ा भुगतना पड़ सकता है। ऐसे में हो सके तो फिलहाल किसी भी निर्णय को अभी टाल ही दें इसी में आपकी भलाई है...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम संबंधित मामलों के लिए ये सप्ताह अच्छा रहेगा। देव गुरु बृहस्पति आपके प्यार में अपनापन और आपसी समझ बढ़ाने में मदद करेंगे और शुक्र तथा बुध की स्थिति से...आगे पढ़ें

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कर्क


सप्ताह की शुरुआत में चंद्र का गोचर द्वादश भाव में होने से आपकी मानसिक चिंताएं बढ़ेंगी, इसके पीछे सबसे बड़ा कारण आपका खराब स्वास्थ्य होगा। इस सप्ताह आपको सर्दी, जुकाम और बुखार जैसी समस्या हो सकती हैं। इस दौरान आपका किसी...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम संबंधित मामलों के लिए सप्ताह अधिक अनुकूल नहीं है। क्योंकि अपनी चिंताओं के कारण आप प्रियतम को समय दे पाने में असमर्थ होंगे। इस कारण आप दोनों में...आगे पढ़ें

सिंह


व्यापारियों को व्यापार में प्रत्यक्ष लाभ होगा जिससे आर्थिक मुनाफा हो सकता है। वहीँ नौकरी करने वाले जातकों को भी कार्यक्षेत्र पर अपने सीनियर्स से अच्छे संबंधों के चलते सफलता मिलेगी। जितना मुमकिन हो अपने सहकर्मियों से भी रिश्तों में...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम सम्बन्धी मामलों के लिए ये सप्ताह प्रेमियों के लिए सामान्य ही रहेगा। आप दोनों के इस खूबसूरत रिश्ते में अपनापन बढ़ेगा। लेकिन मुमकिन है कि आपके रिश्ते में किसी तीसरे का हस्तक्षेप हो,, इसलिए आपको ऐसी स्थिति उत्पन्न होने से रोकनी होगी...आगे पढ़ें

कन्या


शुरुआत में चंद्र का गोचर दशम भाव में होने से कार्यस्थल पर तरक्की मिलने का अवसर प्राप्त होगा लेकिन इस समय आपको मेहनत करते रहने की ज़रूरत होगी। इसके लिए आपको किसी भी तरह की कामचोरी न करने की सलाह दी जाती है...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम संबंधित मामलों के लिए यह सप्ताह ज़बरदस्त रहेगा और आपको अपने प्रियतम संग रोमांस करने के कई अवसर मिलेंगे। आप उनके साथ किसी घूमने फिरने का प्लान बना सकते हैं। अगर मुमकिन न हो तो आप मूवी देखने का ही प्लान बनायेंगे...आगे पढ़ें


तुला


इस दौरान आप किसी सुदूर यात्रा पर भी जाने का प्लान कर सकते हैं। अगर ये यात्रा किसी तीर्थस्थान पर होगी तो आपके लिए सबसे अच्छा होगा। इस दौरान आपको गंगा स्नान करने तथा पुण्य कमाने का अवसर भी मिलेगा...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम संबंधित मामलों के लिए ये सप्ताह पहले जैसा ही व्यतीत होगा। इस समय आपको और आपके प्रियतम को भाग्य का पूरा साथ मिलेगा लेकिन इस दौरान आपसी अहम का टकराव आप दोनों के रिश्ते को बीच-बीच में परेशान करता रहेगा...आगे पढ़ें

वृश्चिक


इस सप्ताह चन्द्रमा शुरुआत में आपके अष्टम भाव में होंगे और फिर नवम, दशम और एकादश भाव में गोचर कर जाएंगे। इसके अलावा वक्री बुध आपकी राशि से अष्टम भाव में गोचर करेंगे जिसके बाद वो फिर से मार्गी होते हुए आपकी राशि के नवम भाव में विराजमान हो जाएंगे...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम संबंधित मामलों के लिए ये पूरा ही सप्ताह अनुकूल नहीं दिखाया दे रहा है। क्योंकि राहु-केतु की दृष्टि आपके प्रेम-जीवन में समय-समय पर कुछ कलेश उत्पन्न करती रहेगी जिससे आपको परेशानी होगी...आगे पढ़ें

धनु


चंद्र का गोचर शुरुआत में आपकी कुंडली के सप्तम भाव में होने से व्यापारियों को अपने व्यापार में ज़बरदस्त फायदा होगा जिससे उनके व्यापार की भी वृद्धि होगी और भविष्य के लिए नए धन लाभ के स्रोत के रास्ते बनेंगे...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम संबंधित मामलों के लिए सप्ताह सामान्तया अनुकूल रहेगा, कुछ नए विचार मन में आएँगे और आप भविष्य की योजनाएं सजाएंगे, अपने प्रियतम को परिवार वालों से मिलवा सकते हैं...आगे पढ़ें

मकर


सप्ताह की शुरुआत में चंद्र का गोचर षष्ठम भाव में होने से आपके खर्चे हद से ज्यादा बढ़ जाएंगे जिससे आर्थिक परेशानी हो सकती है। इसी लिए अपने खर्चों पर आपको समय रहते लगाम लगाने की ज़रूरत होगी अन्यथा नुक्सान भुगतना होगा...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम संबंधित मामलों की बात करें तो उसके लिए ये सप्ताह अच्छा रहेगा, हालांकि आपकी अपने काम में अधिक व्यस्तता के चलते आप प्रियतम को समय कम दे पाएंगे जिससे वो आपसे नाराज़ भी हो सकते हैं। लेकिन इस नाराज़गी को...आगे पढ़ें

कुंभ


यदि आपका पूराना कर्जा चलता आ रहा है तो इस वक़्त आप उसे चुकाने में कामयाब होंगे क्योंकि आपको आर्थिक लाभ मिलेगा। इस समय आपको व्यर्थ की भागदौड़ से खुद को बचाना होगा अन्यथा ...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम संबंधित मामलों के लिए ये सप्ताह सामान्यतया अच्छा ही रहने की उम्मीद है। क्योंकि सूर्य की स्थिति आपके प्रियतम को आपके प्रति विश्वास पात्र बनाएगी जिससे वह आपके प्रति आकर्षित रहेंगे। ऐसे में आप दोनों का रिश्ता और भी...आगे पढ़ें

मीन


इस सप्ताह चन्द्रमा आपके चतुर्थ, पंचम, षष्ठम और सप्तम भाव में संचरण करेगा। इसके साथ ही इस सप्ताह वक्री बुध आपके चतुर्थ भाव में गोचर और फिर पंचम भाव में प्रवेश कर जाएंगे। चंद्र का गोचर चतुर्थ भाव में होने से आपको किसी कारणवश घर से दूर जाना पड़ सकता है...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम संबंधित मामलों के लिए यह सप्ताह बेहद शानदार रहने वाला है। क्योंकि बुध और सूर्य की स्थिति आपके प्रेम जीवन को पूरी तरह से आपके पक्ष में मोड़ देगी। और आपके जीवन में बीच-बीच में रोमांस के अवसर भी आएंगे...आगे पढ़ें

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शुक्र का कर्क राशि में गोचर, आपके जीवन पर पड़ेगा इसका सीधा प्रभाव

कर्क राशि में शुक्र ने की सूर्य, बुध और मंगल संग युति, बना अद्भुद योग। पढ़ें शुक्र का कर्क राशि में गोचर करने से आपकी राशि पर क्या पड़ेगा इसका ज्योतिषीय प्रभाव।


ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों में से गुरु ग्रह के बाद शुक्र ग्रह को भी शुभ ग्रह का दर्जा प्राप्त होता है। जो सभी ग्रहों में से सबसे ज़्यादा चमकदार भी होता है और इसी कारण इसे पृथ्वी से बेहद आसानी से देखा जा सकता है। इसे संध्या और भोर का तारा भी कहा जाता है। ज्योतिषी के साथ-साथ वैज्ञानिक दावों में भी ये माना गया है कि शुक्र से निकलने वाली किरणों और इसके स्थान परिवर्तन का प्रत्येक जातक के शरीर और जीवन पर निश्चय रूप से प्रभाव पड़ता है। 

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शुक्र ग्रह का कुंडली पर प्रभाव


वैदिक ज्योतिष की माने तो शुक्र ग्रह का विशेष महत्व होता है। जिसे स्त्री, विवाह, प्रमाद, वैभव, विलास, राग-रंग, कला, कल्चर, साहित्य, संतान आदि का कारक माना जाता है। कुंडली में शुक्र ग्रह की अशुभ स्थिति के कारण व्यक्ति के जीवन में स्त्री, वाहन और धन सुख का आभाव रहता है। कई लोग शुक्र ग्रह को स्त्री ग्रह भी कहते हैं। परन्तु ज्योतिष विशेषज्ञ इस बात को गलत बताते हुए ये मानते हैं कि शुक्र ग्रह पुरुष के लिए स्त्री और स्त्री के लिए पुरुष समान होता है। स्वभाव से ये किसी राजा की तरह दिखाई देता इसलिए शुक्र को जातक की कुंडली में वैभव का कारक माना जाता है। शुभ रंगों में गुलाबी और चमकदार सफ़ेद इनके प्रिय होते हैं। इसके अलावा ये भी देखा गया है कि यदि किसी भी व्यक्ति की जन्म कुंडली में शुक्र अच्छी स्थिति में हो, यानी बली या प्रभावी हो तो, उस जातक को जीवन में वाहन सुख, वैवाहिक एवं तमाम भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। जबकि इसके विपरीत जातक की कुंडली में शुक्र के निर्बल या कमज़ोर होने पर जातक को जीवन में इन सभी सुखों के अभाव में रहना पड़ता है। 

यहाँ क्लिक कर जानें: 17 जुलाई को हुए सूर्य के कर्क राशि में गोचर का प्रभाव

कुंडली में शुक्र के निर्बल या कमज़ोर होने के अहम कारण:- 


  • घर या कार्य क्षेत्र की दक्षिण-पूर्व दिशा का खराब होना अर्थात दूषित या अशुद्ध होना शुक्र ग्रह को कमज़ोर बनाता है जिससे जातक को इसके नकारात्मक फलों की प्राप्ति होती है। 
  • जातक को दाँत संबंधी समस्या होना या मुँह से दुर्गंध आने यह भी यह भी शुक्र ग्रह की कमज़ोरी को दर्शाता है। 
  • पराई स्त्री या नाबालिक स्त्री से संबंध बनाने से भी शुक्र कमज़ोर होता है, जिससे जातक को अशुभ फलों की प्राप्ति होने लगती है। 
  • ये भी देखा गया है कि जिस भी कुंडली में शुक्र राहु के साथ युति बनाता है तो इससे जातक को स्त्री तथा धन सुख से काफी समय तक वंचित रहना पड़ता है। 
  • जिस भी जातक का शनि नीच का हो या शनि के बुरे प्रभाव से जातक पीड़ित हो तो उसे शनि के साथ-साथ शुक्र के भी खराब फलों की प्राप्ति होती है। 
  • जिस भी पत्नी या पति में कलह या विवाद होता है, इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण शुक्र का निर्बल होना देखा जाता है। 
  • शारीरिक रूप से व्यक्ति का अशुद्ध रहना भी शुक्र को निर्बल बनता है। इसके साथ ही जो भी व्यक्ति मैले, गंदे-फटे कपड़े पहनता है उससे भी शुक्र कमज़ोर होता है।
  • घर का दूषित या अशुद्ध होना भी शुक्र के बलहीन होने का बड़ा कारण होता है। 
  • विशेष तौर से घर के शयन कक्ष और भोजन स्थल के दूषित होने से शुक्र बुरे प्रभाव देना शुरू कर देता है।
  • काले या गहरे रंगों के अत्यधिक इस्तेमाल करने पर भी शुक्र के शुभ फलों में कमी आती है। 
  • गृह क्लेश या बच्चों की पिटाई करने पर भी माना गया है कि शुक्र देव गुस्सा हो जाते हैं जिससे उनके खराब फल मिलने लगते हैं और साथ ही जातक के धन-दौलत में कमी हो जाती है।

यहाँ पढ़ें शुक्र ग्रह को अपनी राशि में प्रबल बनाने और उसकी शांति हेतु कारगर उपाय

कुंडली में शुक्र के निर्बल होने पर जातक को होती हैं ये बीमारियाँ:


ये देखा गया है कि जिस भी कुंडली में शुक्र की स्थिति अच्छी नहीं होती है, उस जातक को कई तरह की छोटी-बड़ी बीमारियाँ होने का खतरा भी बना रहता है। जैसे:- 

  • घर की दक्षिण-पूर्व दिशा को वास्तु अनुसार ठीक करना चाहिए अन्यथा गाल, ठुड्डी और नसों से संबंधित विकार होने का खतरा बना रहता है।
  • शुक्र की खराब स्थिति के कारण जातक को वीर्य संबंधी गुप्त रोग हो सकता है। 
  • शुक्र के अशुभ फलों से जातक को कई प्रकार के यौन रोग होने की आशंका रहती है। इसके अलावा मुमकिन है कि समय से पहले ही व्यक्ति में कामेच्छा समाप्त हो जाए। 
  • लगातार अँगूठे में दर्द रहना या बिना रोग के ही अंगूठा का बेकार हो जाना, यह कुंडली में विशेष रूप से शुक्र की कमज़ोर स्थिति को दर्शाता है। 
  • त्वचा संबंधी रोग उत्पन्न होने का कारण भी शुक्र देव को ही माना गया है। 
  • अंतड़ियों से संबंधी रोग शुक्र की अशुभता के कारण होते हैं।
  • शुक्र के नकारात्मक प्रभावों का सबसे बड़ा उदाहरण जातक के पैरों या पाँव की समस्या आदि का होना होता है। 

सभी प्रकार के भौतिक एवं सांसारिक सुखों की प्राप्ति के लिए हर कुंडली में शुक्र का सकारात्मक प्रभाव होना अनिवार्य होता है। इसके अलावा शुक्र की राशि में अलग-अलग भावों में स्थिति भी जातक के ऊपर विशेष प्रभाव डालती है। समस्त ग्रहों में से बुध और शनि ग्रह शुक्र के मित्र ग्रह होते हैं, जबकि सूर्य व चंद्रमा उनके शत्रु ग्रह कहलाते हैं। इसके साथ ही शुक्र देव एक राशि में लगभग 23 दिन का समय बिताते हैं और उसके बाद वो दूसरी राशि में गोचर करते हैं। अब यही प्रेम, सौंदर्य, कला और भौतिक सुखों का कारक शुक्र ग्रह एक बार फिर अपना स्थान परिवर्तन करते हुए 23 जुलाई 2019, मंगलवार दोपहर 12:35 बजे मिथुन राशि से निकलकर चंद्र देव की राशि कर्क में प्रवेश करेगा और इस राशि में वो अगले महीने 16 अगस्त 2019, शुक्रवार रात्रि 20:23 बजे तक स्थित रहेगा। 

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इस लेख के माध्यम से हम ये जानेंगे कि आपकी राशि पर शुक्र के इस गोचर का क्या प्रभाव होगा। लेकिन उससे पहले आइये जानते हैं शुक्र का ये गोचर देश भर में क्या बड़े बदलाव लेकर आया है। 

बेहद ख़ासा होगा शुक्र का ये गोचर 


चूँकि 23 जुलाई को शुक्र का कर्क में गोचर हो रहा है जहाँ वो सूर्य, बुध और मंगल के साथ मिलकर चतुर्ग्रही योग बनाएगा। साथ ही गुरु की विशेष दृष्टि भी उस पर ही होगी जिस समय वक्री बुध भी पुनर्वसु नक्षत्र में होंगे। इस कारण भी शुक्र का ये गोचर विशेष स्वयं में विशेष महत्व रखता है। 

देश पर इस गोचर का प्रभाव


चूँकि शुक्र कर्क राशि में गोचर कर रहा है जहाँ सूर्य, बुध और मंगल के साथ उसकी युति होगी और शनि के साथ मिलकर शुक्र षडाष्टक योग बनाएगा, जिस कारण इस पूरे ही गोचर काल के दौरान प्राकृतिक आपदाओं के द्वारा देश को जान-माल की हानि हो सकती है। साथ ही गोचर के प्रभाव से जहाँ देश के उत्तर-पूर्वी राज्य अत्यधिक वर्षा से परेशान रहेंगे। वहीं दूसरे राज्यों कम वर्षा के चलते किसानों को सूखे की समस्या से भी गुजरना पड़ सकता है।

इस गोचर से देश को काफी हद तक आर्थिक फायदा मिलने की संभावना है। लेकिन इसके अलावा देश के सामने कई आंतरिक समस्याएँ भी उत्पन्न होंगी जिसके चलते सत्ताधारी सरकार एक प्रकार का दबाव बना रह सकता है। हालांकि ग्रह-नक्षत्रों की चाल बता रही है कि गुरु बृहस्पति की दृष्टि इस गोचर के दौरान बनी रहने पर जनता संतुष्ट ही रहेगी। इसके अलावा देश को अपने पड़ोसी मुल्कों से भी अच्छा ख़ासा फायदा मिल सकता है, जिससे दोनों-देशों के संबंधों में भी सुधार आएगा। 

धार्मिक रुझान बढ़ेगा 


इस गोचर के दौरान सभी विपरीत ग्रहों की युति बनने से देशभर में लोगों का रुझान धर्म और आध्यात्मिक कार्यों में ज्यादा लगेगा और लोग बढ़-चढ़ कर धार्मिक कार्यों में योगदान लेते दिखाई देंगे। 

खुदरा बाज़ार पर इस गोचर का असर:


शुक्र के इस गोचर से शेयर बाज़ार विशेषकर ख़ुदरा बाज़ार में हलचल देखने को मिलेगी। इस दौरान जहाँ सोने-चाँदी और गुड़ व खांड आदि के भाव में मंदी देखी जायेगी। जबकि अनाज, दलहन, तिलहन और घी जैसे उत्पादों में तेजी आने की संभावना दिखाई दे रही है। 

संतान जन्म में आ रही परेशानियों को दूर करने के लिए पढ़ें: संतान प्राप्ति के उपाय

आइये अब पढ़ते हैं सभी 12 राशियों पर कैसा रहने वाला है शुक्र के इस गोचर का प्रभाव:- 


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। चंद्र राशि कैल्कुलेटर से जानें अपनी चंद्र राशि

मेष


शुक्र का गोचर आपकी राशि से चतुर्थ भाव में होगा। ज्योतिष शास्त्र में इस भाव को सुख भाव भी कहा जाता है। इस गोचर से आपको पारिवारिक जीवन में अच्छे बदलाव देखने को मिलेंगे...आगे पढ़ें

वृषभ


शुक्र देव का गोचर आपकी राशि से तृतीय भाव में हो रहा है, इस भाव में शुक्र के गोचर के चलते आपको छोटी-छोटी यात्राएं करनी पड़ सकती हैं। यात्रा के दौरान कुछ रचनात्मक लोगों से आपकी मुलाक़ात हो सकती है...आगे पढ़ें

मिथुन


शुक्र देव आपके द्वितीय भाव में संचरण करेंगे। काल पुरुष की कुंडली में यह स्थान वृषभ राशि का होता है। इस भाव से हम आपकी वाणी और धन पर विचार करते हैं। ऐसी में शुक्र के गोचर से आपकी वाणी में मिठास आएगी...आगे पढ़ें

पढ़े: वर्ष 2019 में विवाह, गृह प्रवेश और मुंडन के शुभ मुहूर्त

कर्क


शुक्र का गोचर आपकी ही राशि यानि आपके लग्न भाव में होगा। इस भाव से हम आपके स्वभाव और आपके शरीर के बारे में विचार करते हैं। इस समय शुक्र देव की कृपा आप पर बनी रहेगी...आगे पढ़ें

सिंह


भौतिक सुख-सुविधाओं के दाता शुक्र ग्रह आपकी राशि से द्वादश भाव में गोचर कर रहे हैं। ज्योतिष में द्वादश भाव को व्यय भाव भी कहा जाता है। इस भाव में शुक्र के गोचर से आपके ख़र्चों में इज़ाफा हो सकता है...आगे पढ़ें

कन्या


शुक्र का गोचर आपकी राशि से एकादश भाव में होगा। इस भाव को आय भाव भी कहा जाता है, अत: शुक्र के इस भाव में गोचर से आपकी आमदनी में इज़ाफा हो सकता है। आपकी कोई महिला मित्र इस दौरान...आगे पढ़ें

पढ़ें राशि रत्न से जुड़ी हर अहम बात ज्योतिषीय तथ्य

तुला


शुक्र देव आपकी राशि से दशम भाव में गोचर करेंगे। इस भाव को कर्म भाव भी कहा जाता है। शुक्र के इस गोचर के दौरान आपको सतर्कता के साथ हर काम करना होगा। कार्यक्षेत्र में किसी के साथ अनबन की स्थिति बन सकती है...आगे पढ़ें

वृश्चिक


शुक्र देव आपकी राशि से नवम भाव में संचरण करेंगे। शुक्र के इस गोचर काल में आपको अपने जीवन में मिलेजुले परिणाम मिलेंगे। वैवाहिक जीवन अच्छा रहेगा जीवनसाथी से आप नज़दीकियाँ महसूस करेंगे...आगे पढ़ें 

धनु


आपके अष्टम भाव में शुक्र देव का गोचर हो रहा है। इस गोचरीय अवस्था के दौरान आपको शारीरिक परेशानियां हो सकती हैं इसलिए अपना ख्याल रखें। वासनापूर्ण क्रियाओं में आपका ज्यादा मन लगेगा जिसकी वजह से...आगे पढ़ें

मकर


शुक्र देव का गोचर आपकी राशि से सप्तम भाव में होगा। यह भाव विवाह भाव भी कहलाता है और इस भाव से जातक के जीवन में होने वाली साझेदारियों के बारे में पता चलता है। यह गोचर आपके विवाह जीवन में नए प्राण भरेगा और...आगे पढ़ें

कुंभ


शुक्र का गोचर आपकी राशि से षष्ठम भाव में होगा जिसके चलते आपको जीवन के हर क्षेत्र में अधिक मेहनत करके ही मनमाफिक सफलता मिलेगी। अपनी मेहनत और लगन पर भरोसा रखें और आगे बढ़ते रहें...आगे पढ़ें

मीन


शुक्र देव का गोचर आपकी राशि से पंचम भाव में होगा। इस भाव को संतान भाव भी कहा जाता है। इस अवधि में आपके अंदर की कला लोगों के सामने आ सकती है। नयी चीजें सीखने में इस दौरान आपका मन लगेगा...आगे पढ़ें

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मंगला गौरी व्रत कल: सावन में शिव जी के साथ पाएँ माँ गौरी का वरदान

मंगला गौरी व्रत सावन के महीने में प्रथम मंगलवार से प्रारंभ होकर माह के सभी मंगलवारों को किया जाने वाला व्रत है। यह एक ऐसा व्रत है जो पवित्र श्रावण मास में भगवान शिव की अर्धांगिनी माता पार्वती की कृपा पाने का सबसे सुलभ मौका प्रदान करता है और ऐसा ही एक मौका कल मिलेगा जब सावन का पहला मंगला गौरी व्रत पूरे विधि-विधान के रखा जाएगा। 


सावन का महीना हर मामले में बहुत ही पवित्र महीना है क्योंकि जहां एक ओर पूरे महीने भक्तजन भगवान शंकर की आराधना में लगे रहते हैं और प्रत्येक सोमवार को शंकर भगवान का व्रत रखते हैं, वहीं दूसरी ओर सावन के प्रत्येक मंगलवार को माता पार्वती की प्रसन्नता और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए सुहागिन स्त्रियां और अविवाहित कन्याएं मंगला गौरी व्रत रखती हैं।

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देश के विभिन्न राज्यों में मंगला गौरी व्रत


माँ पार्वती जो भगवान शंकर की सहधर्मिणी हैं उनकी कृपा पाने के लिए विभिन्न स्थानों पर मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा। केवल किसी विशेष राज्य में ही नहीं बल्कि पूरे देश में यह पूरे रीति-रिवाज के अनुसार मनाया जाता है। उत्तर भारत के राज्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, पंजाब, बिहार, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश तथा झारखंड आदि राज्यों में मंगला गौरी व्रत के नाम से जाना जाता है। दूसरी ओर तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और समस्त दक्षिण भारत में श्री मंगला गौरी व्रथम के नाम से जाना जाता है। 

जानें सावन के पवित्र महीने का महत्व: यहां क्लिक करें

सावन के दौरान मंगला गौरी व्रत का महत्व


अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए हमारे देश में अनेक व्रत रखे जाते हैं जिनमें से मंगला गौरी व्रत का अत्यधिक महत्व माना गया है। सावन के दौरान जहां सोमवार के दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा होती है, तो मंगलवार के दिन माता पार्वती को समर्पित मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है, जो माता पार्वती की ही पूजा करने के लिए होता है। सावन के महीने में माता पार्वती ने अपनी कठोर तपस्या द्वारा और व्रत रखकर भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त किया था इसलिए सभी सौभाग्यवती स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु के लिए और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए माता गौरी का व्रत रखती हैं। 

ऐसी मान्यता है कि जो स्त्री मंगला गौरी व्रत रखती हैं, उसके पति की आयु लंबी होती है और उनके दांपत्य जीवन में सभी खुशियां मौजूद होती हैं। यदि कुंडली में मंगल दोष भी हो तो उसके संबंध के लिए भी मंगला गौरी व्रत रखना सर्वोत्तम माना जाता है। इसके अतिरिक्त जो कन्याएं अविवाहित हैं, वे भी यह व्रत रख सकती हैं। इससे उन्हें अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि श्रावण मास में आने वाले मंगला गौरी व्रत को सभी सौभाग्यवती स्त्रियां पूरे विधि-विधान के अनुसार रखती हैं और नियमों का पालन करती हैं। 

जानें सावन के सोमवार व्रत का महत्व। पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मंगला गौरी व्रत 2019 


मंगला गौरी व्रत श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को मनाया जाता है। चूंकि यह व्रत मंगलवार को किया जाता है, इस हेतु 'मंगला' और गौरी नाम देवी पार्वती का ही एक नाम है, इसलिए, इस व्रत का नाम मंगला गौरी व्रत है। 2019 में मंगला गौरी व्रत की तिथियाँ:

प्रथम मंगला गौरी व्रत 
मंगलवार 
द्वितीय मंगला गौरी व्रत 
मंगलवार 
तृतीय मंगला गौरी व्रत 
मंगलवार 
चतुर्थ मंगला गौरी व्रत 
मंगलवार 

सावन सोमवार व्रत 2019 कब है, जानने के लिए यहां क्लिक करें

मंगला गौरी व्रत क्यों किया जाता है


ऐसी मान्यता है कि मंगला गौरी व्रत करने से सौभाग्यवती स्त्रियों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है तथा अविवाहित कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। सावन के महीने में ही माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उन्हें दर्शन दिए और उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। यही कारण है कि सभी स्त्रियां मंगला गौरी व्रत पूरे मन और विधि विधान से करती हैं, ताकि उन्हें भी एक अच्छा वर प्राप्त हो।

मंगला गौरी व्रत सामग्री


मंगला गौरी व्रत की पूजा के दौरान विवाहित महिलाओं (सुहागन) के साथ-साथ 16 चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। अनुष्ठान के दौरान आवश्यक समाग्री से शुरुआत करते हैं। सावन के प्रत्येक मंगलवार को, आपको देवी गौरा की पूजा के लिए विशिष्ट प्रक्रियाओं का पालन करना होगा, और आपको निम्नलिखित वस्तुओं या समाग्री की आवश्यकता होगी:

  • एक चौकी या वेदी
  • सफेद और लाल कपड़ा
  • कलश
  • गेहूँ के आटे से बना एक चौमुखा दीया (दीपक) 
  • 16 कपास से बनी चार बत्तियां 
  • देवी पार्वती की मूर्ति बनाने के लिए मिट्टी का पात्र
  • अभिषेक के लिए: पानी, दूध, पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी, चीनी का मिश्रण)
  • देवी गौरी के लिए कपड़े, भगवान गणेश के लिए जनेऊ
  • पवित्र लाल धागा (कलावा / मौली), रोली या सिंदूर, चावल, रंग, गुलाल, हल्दी, मेंहदी, काजल
  • 16 प्रकार के फूल, माला, पत्ते और फल
  • गेहूं, लौंग, इलायची से बने 16 लड्डू
  • सात प्रकार का अनाज
  • 16 पंचमेवा (5 प्रकार के सूखे मेवे)
  • 16 सुपारी, सुपारी, लौंग
  • सुहाग पिटारी (सिंदूर, काजल, मेंहदी, हल्दी, कंघी, तेल, दर्पण, 16 चूड़ियाँ, पैर की अंगुली के छल्ले, पायल, नेल पॉलिश, लिपस्टिक, हेयरपिन, आदि)
  • नैवेघ / प्रसाद

मंगला गौरी व्रत विधि


  • ब्रह्म मुहूर्त में सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद साफ, नए कपड़े पहनें।
  • पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और वेदी स्थापित करें। 
  • वेदी के आधे भाग पर सफेद कपड़ा बिछा दें और उसके ऊपर चावल के नौ छोटे ढेर लगा दें। 
  • दूसरे आधे भाग पर लाल कपड़ा बिछाएं और उसके ऊपर 16 छोटे गेहूं के दाने बिछाएं।
  • अब चौकी पर अलग से कुछ चावल रखें, और एक सुपारी पर, पत्तल पर एक स्वास्तिक का चित्र बनाकर, उस पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। 
  • उसी तरह, कुछ गेहूं भी रखें और उनके ऊपर कलश रखें।
  • बर्तन में पांच सुपारी रखें और उसके ऊपर एक नारियल रखें। 
  • अंत में, वेदी पर गेहूं के आटे का दीया (दीपक) रखें और 16 लटों वाली चारों बत्तियां जलाएं।
  • भगवान गणेश की पूजा करके शुरू करें, जो किसी भी शुभ काम की शुरुआत करने से पहले हमेशा व्रत रखना चाहिए। 
  • जनेऊ (कपड़े का प्रतीक) और रोली-चावल और सिंदूर चढ़ाएं। 
  • इसी प्रकार कलश और दीए की वंदना करें। 
  • इसके बाद, नवग्रह (नौ ग्रह) के रूप में चावल के नौ ढेर और देवी के सोलह अवतारों के रूप में गेहूं के 16 ढेर की पूजा करें। 
  • एक ट्रे में, साफ और पवित्र मिट्टी लें, और इसके साथ देवी गौरी की एक मूर्ति बनाएं। 
  • अब निम्न मंत्र का जाप करें, शुद्ध मन से भक्ति से भरकर व्रत का संकल्प करें: 
  • मम पुत्रापौत्रासौभाग्यवृद्धये श्रीमंगलागौरी प्रीत्यर्थं पंचवर्षपर्यन्तं मंगलागौरी व्रतमहं करिष्ये।
  • मूर्ति को पूरी श्रद्धा के साथ वेदी पर रखें और उसका अभिषेक पंचामृत, दूध और शुद्ध जल से करें और फिर देवी को कपड़े पहनाएं।
  • देवी गौरा का षोडशोपचार पूजन रोली-चावल से करें और उन्हें निम्न मंत्र का जाप करते हुए सुहागन (विवाहित महिला) के 16 सौंदर्य प्रसाधन अर्पित करें: कुंकुमागुरुलिप्तांगा सर्वाभरणभूषिताम्। 
  • नीलकण्ठप्रियां गौरीं वन्देहं मंगलाह्वयाम्।।
  • इसके बाद, उसे 16 फूल, माला, फल, पत्ते, गेहूं से बने लड्डू, सुपारी, सुपारी, लौंग, इलायची और पंचमेवा (5 प्रकार के सूखे मेवे) चढ़ाएं।
  • अब पूर्ण मंगला गौरी व्रत कथा (कहानी) पढ़ें और उसके बाद आरती करें। 
  • प्रत्येक बुधवार को व्रत का समापन करने के बाद, गौरी विसर्जन शुद्ध मन से करें।
  • यह कार्य किसी झील, तालाब या नदी में पूरी श्रद्धा के साथ करें।
  • अपने संकल्प / व्रत के अनुसार उद्यापन के साथ व्रत पूरा करें। 
  • ऊपर बताए विधि विधान के अनुसार मंगला गौरी पूजा पूरी करने के बाद अपने संकल्प समय के अंतिम मंगलवार को अपने पूरे परिवार के साथ हवन करें। 
  • बाद में, एक कुशल पुजारी के मार्गदर्शन में, उचित रस्मों का पालन करते हुए 16 विवाहित महिलाओं को भोजन कराएं।

मंगला गौरी व्रत कथा


मंगला गौरी व्रत करने वाली स्त्रियों को मंगला गौरी व्रत कथा पढ़नी चाहिए और सुननी चाहिए। यह कथा इस प्रकार है: धरमपाल नाम का एक व्यापारी था। वह बहुत धनी था और उसने एक सुंदर महिला से शादी की थी। उनके पास सभी सुख-सुविधाएं थीं। हालाँकि, उनके जीवन में केवल एक चीज की कमी थी, वो ये कि उनके कोई संतान नहीं। इसलिए उन्होंने प्रभु से प्रार्थना की और एक पुत्र का वरदान प्राप्त किया। उन्हें जल्द ही पता चला कि बच्चा बहुत कम अवधि तक जीवित रहेगा और उसके 16 वें वर्ष में पहुँचते ही उसकी मृत्यु हो सकती है। 

भगवान की कृपा से, उनके बेटे की शादी उसके सोलहवें जन्मदिन से पहले एक लड़की से हुई, जो हमेशा मंगला गौरी व्रत रखती थी। इस व्रत को रखते हुए माँ ने वरदान मांगा कि उनकी बेटी कभी विधवा न बने। इसी के परिणाम स्वरूप, शादी के बाद, 16 साल की उम्र में मरने के बजाय, धरमपाल के बेटे ने 100 साल तक एक खुशहाल और सुखी जीवन व्यतीत किया। इस प्रकार, हिंदू धर्मग्रंथ बताते हैं कि किसी को भी मंगला गौरी का व्रत श्रद्धापूर्वक करना चाहिए। ऐसा करने से वैवाहिक सुख, पुत्रों और पौत्रों का वरदान, पति / पुत्र की दीर्घायु और भक्तों के जीवन में सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।

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शीघ्र विवाह के लिए मंगला गौरी व्रत की पूजा और नियम


किसी भी व्रत को करने के कुछ मुख्य नियम होते हैं, जिन्हें जान लेना अत्यंत आवश्यक होता है, तभी उस व्रत का पूरा फल आपको प्राप्त होता है। जिन कन्याओं को विवाह होने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है या उनकी कुंडली में मांगलिक दोष है उन्हें मंगला गौरी व्रत के भी कुछ नियम हैं जिन्हें आप सरलता से समझ समझकर माता की पूजा कर सकती है:

  • सावन के मंगलवार को प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर शुद्ध हो जाएं। 
  • प्रातकाल अथवा संध्याकाल में माता गौरी की पूजा करें। 
  • उनके समक्ष देसी घी का एक बड़ा सा चौमुखी दीपक प्रज्वलित करें। 
  • माता पार्वती को 16 प्रकार के पुष्प अर्पित करें। 
  • ध्यान रखें उसमें लाल रंग के पुष्प अवश्य होने चाहिए क्योंकि लाल रंग माता को अत्यंत प्रिय है और यह अखंड सौभाग्य का प्रतीक है। 
  • इसके बाद माता को चुनरी और चूड़ियां पहनाएँ। 
  • ॐ ह्रीं गौर्यै नमः, इस मंत्र का जाप माता की प्रतिमा के समक्ष कम से कम 108 बार करें। 
  • इसके बाद आप अपनी मनोवांछित कामना माता के समक्ष रख सकते हैं अर्थात शीघ्र विवाह की कामना कर सकती हैं। 

दांपत्य जीवन में सुख और संबंधों में प्रेम की वृद्धि के लिए मंगला गौरी व्रत 


  • आपको संध्या के समय में माता गौरी की पूजा अर्चना करनी चाहिए। 
  • माता की प्रतिमा के समक्ष देसी घी के तीन दीपक जलाएं। 
  • क्योंकि आप एक विवाहित स्त्री हैं, इसलिए आपको माता के चरणों में सिंदूर अर्पित करना चाहिए। 
  • माता को लाल चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें। 
  • तदोपरांत 16 इलायची चढ़ाएं और इत्र भी समर्पित करें। 
  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चै मंत्र का कम से कम 11 माला जप करें। 
  • इसके बाद माता से अपने दांपत्य जीवन में आने वाली समस्याओं को बताकर उनसे इन समस्याओं को दूर करने की प्रार्थना करें। 
  • उसके बाद प्रसाद स्वरूप उन सभी इलायचियों को अपने पास प्रसाद के रूप में रख लें और धीरे धीरे खाएं। 

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वैवाहिक संबंधों को टूटने से बचाने के लिए मंगला गौरी व्रत


कई बार हमारे जीवन में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है जब हमारा दांपत्य जीवन अत्यंत ही कठिन दौर से गुजर रहा होता है। स्थिति यहां तक आ जाती है कि तलाक की नौबत आने लगती है और हमारा रिश्ता चाहकर भी दोबारा नहीं जुड़ रहा होता है। ऐसे में माता गौरी की कृपा प्राप्ति के लिए मंगला गौरी व्रत रखने से आपके वैवाहिक संबंधों में उन्हें नई ऊर्जा का संचार हो सकता है। इसके लिए आपको निम्नलिखित नियमों का पालन करते हुए मंगला गौरी व्रत करना चाहिए: 

  • आपको माता पार्वती और भगवान शंकर की संयुक्त रूप से पूजा अर्चना करनी चाहिए। क्योंकि यह दोनों ही साक्षात एक सफल और सुखद दांपत्य जीवन के प्रतीक हैं। 
  • इसके लिए माता गौरी की पूजा करने का उपयुक्त समय अर्धरात्रि में अर्थात मध्यरात्रि में है। 
  • सर्वप्रथम माता गौरी और भगवान शंकर के चरणों में निवेदन करें कि आप जिस संकल्प से यह पूजा कर रही हैं उसमें आपको सफलता प्राप्त हो।
  • उसके बाद शिव शक्ति युगल को तिलक करें और वस्त्र समर्पित करें। 
  • तदुपरांत माता गौरी को अखंड सौभाग्य प्राप्ति की कामना करते हुए सुहाग की सामग्री भेंट करें जिसमें लाल रंग की बिंदी, चूड़ियां, सिंदूर, मेहंदी, काजल, आलता, शीशा और आभूषण हों। 
  • ॐ गौरीशंकराय नमः" मंत्र का कम से कम 11 माला जाप करें। 
  • माला रुद्राक्ष की हो तो उत्तम उत्तम होगी। 
  • जब आप का जाप समाप्त हो जाए तुम माता गौरी और भगवान शंकर से अपने वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याओं के बारे में अवगत कराते हुए उनकी कृपा प्रदान करने के लिए निवेदन करें। 
  • इस प्रकार विभिन्न प्रकार की समस्याओं के निवारण के लिए मंगला गौरी व्रत अत्यंत महत्वपूर्ण है और शीघ्र अतिशीघ्र मनोवांछित फल देने वाला माना जाता है। 

हमें उम्मीद है कि मंगला गौरी व्रत पर यह ब्लॉग आपके लिए मददगार साबित होगा! माता गौरी का आशीर्वाद आपको इस पूरे सावन में अच्छी वर्षा के रूप में प्राप्त हो!

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साप्ताहिक राशिफल (22 से 28 जुलाई 2019)

सावन के पहले सोमवार में पढ़ें इस सप्ताह का फलादेश। पढ़ें 22 से 28 जुलाई का इस सप्ताह का राशिफल और जानिये नौकरी, व्यवसाय, शिक्षा, प्रेम, वैवाहिक और पारिवारिक जीवन के लिए कैसे रहेगा ये हफ्ता। 

एस्ट्रोसेज का सबसे सटीक राशिफल आपके लिए हाज़िर है। जहाँ हम आपको बताएँगे जुलाई के चौथे हफ्ते से जुड़ी हर छोटी-बड़ी भविष्यवाणियाँ वो भी आपकी राशि के अनुसार। इस साप्ताहिक राशिफल की मदद से आप जानेंगे कि इस हफ्ते क्या कुछ ख़ास है आपके लिए। इस राशिफल की मदद से आप घर बैठे पा सकेंगे अपने प्रेम जीवन, वैवाहिक जीवन, करियर, परिवार, स्वास्थ्य, आर्थिक तथा दांपत्य जीवन आदि से जुड़ा फलादेश। इसके साथ-साथ ही आपको आपकी राशि के अनुसार कुछ विशेष उपाय भी बताए जाएंगे जिन्हे अपना कर आप जीवन की कई बाधाओं से निजात पा सकेंगे। 

इस सप्ताह भगवान शिव का मिलेगा आशीर्वाद 


चूँकि इस सप्ताह की शुरुआत के साथ ही सावन के पहले सोमवार व्रत भी हैं, इसलिए इस सप्ताह का महत्व और भी अधिक हो जाता है। इसके साथ ही यह सप्ताह शिव भक्तों के साथ-साथ कई विशेष राशि वाले जातकों के लिए भी महत्वपूर्ण रहने वाला है। ग्रहों-नक्षत्रों की दशा और दिशा को देखें तो उनसे ये पता चलता है कि इस सप्ताह विशेष कुम्भ, मीन, मेष और वृषभ राशि वाले जातकों को अपने जीवन में कई अच्छे बदलाव देखने को मिलेंगे। इसलिए वे इस हफ्ते का भरपूर फायदा उठा सकते हैं। वहीं इसके अलावा शेष अन्य राशियों को थोड़ा सतर्क रहने की आवश्यकता होगी, क्योंकि संभावना है कि उन्हें कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। 


इस सप्ताह का हिन्दू पंचांग एवं ज्योतिषीय तथ्य


हिन्दू पंचांग के अनुसार, सप्ताह की शुरुआत कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि से होगी और सप्ताह का अंत कृष्ण पक्ष की एकदशी तिथि के साथ होगा। वहीं इस सप्ताह में चंद्र देव मीन राशि से होते हुए वृषभ राशि तक अपनी गोचरीय अवस्था जारी रखेंगे। इसके अलावा इस सप्ताह 22 जुलाई, सोमवार को वर्ष 2019 का पहला सोमवार व्रत रखा जाएगा और 28 जुलाई, रविवार को कामिका एकादशी का आयोजन होगा। इन दिनों विशेष तौर से व्रत और दान-पुण्य करने महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार कामिका एकादशी को पवित्रा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, जिस दिन भक्त भगवान विष्णु के उपेन्द्र स्वरुप की पूजा करते है। माना जाता है कि इस एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति को अपने पूर्वजन्म के दोषों से मुक्ति मिलती है। इसलिए पवित्रा एकादशी के फल लोक और परलोक दोनों में उत्तम कहे गये हैं।

कामिका एकादशी 2019 का महत्व और मुहूर्त- यहाँ क्लिक कर पढ़ें!

सावन के पहले सोमवार पर बने महायोग 


17 जुलाई को भगवान शिव के प्रिय सावन मास 2019 की शुरुआत हुई और 22 जुलाई को देशभर में शिव भक्तों के द्वारा सावन का पहला सोमवार व्रत रखा जाएगा। सावन और सोमवार दोनों ही शिव को बेहद प्रिय हैं। माना गया है कि पूरे वर्ष शिव की पूजा करने का जो पुण्य है वह सावन में आने वाले सोमवार के दिन भगवान शिव का जलाभिषेक करने मात्र से ही प्राप्त हो जाता है। अगर इस वर्ष के पहले सोमवार की बात करें तो इस दिन कई सुंदर योग बनते हुए दिखाई दे रहे हैं। जो सावन के पहले सोमवार के महत्व को कई गुणा बढ़ा रहे हैं। इस बार अदभुद संयोग ये बन रहा है कि सावन मास में नक्षत्रों में उत्तम श्रवण नक्षत्र में सावन के पहले सोमवार की शुरुआत हो रही है। इसके अलावा सोमवार के दिन सर्वार्थ सिद्ध योग नामक एक अन्य शुभ योग बना है, जो अपने नाम के अनुसार ही सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करने वाला योग है। सरल शब्दों में कहें तो इस दिन आप जिस भी कामना से कोई कार्य करते है उसमें सफलता ज़रूर मिलती है। इसके अलावा इस सोमवार को प्रीति योग भी है जो शिव के प्रति आपका प्रीत यानि श्रद्धा भाव बढ़ाकर शिव कृपा दिलाने में सबसे ज्यादा सहायक होगा।


इस सप्ताह किन ग्रहों की बदलेगी चाल?


ग्रह और नक्षत्र को देखें तो उनसे ज्ञात होता है कि विशेष तौर से विवाहित स्त्रियों को और लड़कियों के लिए इस सप्ताह के बेहद महत्वपूर्ण रहने की उम्मीद है। क्योंकि इस दौरान उनके लिए भगवान शिव का आशीर्वाद अमृत के समान है। इसलिए उन्हें भगवान महादेव की असीम कृपा पाने के लिए सोमवार का व्रत करना चाहिए। इस सप्ताह की शुरुआत में जहाँ चंद्र देव कुम्भ राशि में स्थित होंगे वहीं अंत में वे मीन, मेष, और वृषभ राशि में गोचर करेंगे जिससे चंद्र अपना प्रभाव सबसे ज्यादा इन्ही राशि के जातकों पर दिखाएँगे। इस दौरान अलग -अलग नक्षत्रों में भी चंद्र का प्रभाव देखने को मिलेगा। साथ ही इसके अलावा 23 जुलाई को मिथुन राशि में मौजूद शुक्र ग्रह गोचर करते हुए कर्क राशि में जाएगा। यहाँ शुक्र ग्रह बुध, सूर्य और मंगल के साथ युति करेगा। 

प्रदोष व्रत 2019 की तिथि व व्रत विधि: यहाँ क्लिक कर पढ़ें

इस सप्ताह कैसी रहेगी शेयर बाज़ार की चाल


इस माह के चौथे सप्ताह के शेयर बाज़ार को देखें तो, सोमवार, 22 जुलाई को शेयर बाज़ार की स्थिति काफी अच्छी रह सकती है। इसके बाद 23 जुलाई, मंगलवार को भी स्थिति ठीक ही रहेगी, लेकिन 24 जुलाई को बाज़ार में कुछ मंदी के संकेत नज़र आ रहे हैं। जिसका असर अगले दिन 25 जुलाई को मंदी के साथ साफ़ तौर से दिखाई देगा। इसके बाद सप्ताह के अंत तक बाज़ार में मंदी छायी रह सकती है। इस हफ्ते विशेष तौर से सरकारी क्षेत्रों, ऊर्जा, एफ. एम. सी. जी., चीनी, मनोरंजन, वाहन, बैंकिंग, निवेश और कुछ तकनीकी क्षेत्रों में अच्छा ख़ासा दवाब देखने को मिलेगा। इसके अलावा रियल एस्टेट, रसायन, सीमेंट, फार्मास्यूटिकल्स व सेवा क्षेत्रों की स्थिति अच्छी रहने वाली है, इसलिए निवेशकों को इनमें निवेश करने की सलाह दी जाती है। 


जन्मदिन विशेष 


इस सप्ताह चर्चित हस्तिओं में 22 जुलाई को भारतीय राजनीति के जाने माने चेहरे अजित पवार, 23 जुलाई को प्रसिद्ध गायक हिमेश रेशमिया, 24 जुलाई को दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार, 26 जुलाई को मुग्धा गोडसे, 28 जुलाई को रजनीकांत के दामाद और बॉलीवुड व साउथ के मशहूर अभिनेता धनुष का जन्मदिन है। जानें इन हस्तियों के लिए कैसा रहेगा आने वाला समय और क्या कहती है उनकी कुंडली। हमारी ओर से इन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएँ। चलिए अब जानते हैं इस सप्ताह का राशिफल:-


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। चंद्र राशि कैल्कुलेटर से जानें अपनी चंद्र राशि

मेष


सबसे पहले बात करें कार्यक्षेत्र की तो, इस गोचर के दौरान कार्यस्थल पर आपकी मेहनत को सराहा जाएगा। जो भी प्रोजेक्ट आप हाथ में लेंगे उसमें आपको सफलता मिलने की पूरी संभावना है...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम जीवन के लिए ये सप्ताह मध्यम फलदायी साबित होगा। प्रेमी जातकों को उनके पार्टनर का साथ तो मिलेगा लेकिन कुछ बातों को लेकर दोनों के बीच मतभेद की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है...आगे पढ़ें

वृषभ


आपके लिए करियर के लिहाज से ये समय बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। जहाँ एक तरफ आप अपने काम की वजह से कार्यस्थल पर अपनी पैठ जमा पाएंगे, वहीं दूसरी तरफ आपकी...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- शुक्र ग्रह के प्रभाव से आपका प्रेम जीवन इस सप्ताह अच्छा व्यतीत हो सकता है। अपने पार्टनर के साथ कुछ पल सुकून के...आगे पढ़ें

मिथुन


क्र के प्रभाव से आपके जीवन में धन का आगमन होता रहेगा। पारिवारिक स्तर पर आपके लिए ये हफ्ता अच्छा बीत सकता है। लेकिन अपने पिता की सेहत का ख़ास ख्याल रखें क्योंकि...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- जहाँ तक प्रेम जीवन की बात है तो, इस राशि के जातकों को इस हफ्ते अपने पार्टनर के प्रेम का विशेष एहसास हो सकता है...आगे पढ़ें

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कर्क


चन्द्रमा का गोचर इस हफ्ते आपकी राशि से आठवें, नौवें, दसवें और ग्यारहवें भाव में होगा। वहीं शुक्र आपके प्रथम भाव यानि कि लग्न भाव में विराजमान होंगें...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- शुक्र देव के प्रभाव से आपका प्रेम जीवन काफी अच्छा व्यतीत होने वाला है। अपने पार्टनर के साथ आप कुछ खुशनुमा पल बिता सकते हैं...आगे पढ़ें

सिंह


सबसे पहले बात करें कार्यक्षेत्र की तो इस हफ्ते आपको अपनी मेहनत का भरपूर फल मिलेगा। आप जिस दिशा में सफलता के लिए प्रयास कर रहे हैं उसमें आपको सफलता मिल सकती है...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम जीवन के लिए ये सप्ताह माध्यम फलदायी सिद्ध हो सकता है। आपके पार्टनर की कोई बात आपके लिए मानसिक तनाव का कारण बन सकती है, लेकिन...आगे पढ़ें

कन्या


इस सप्ताह चन्द्रमा का गोचर आपकी राशि से छठे, सातवें, आठवें और नौवें भाव में होगा। इसके साथ ही शुक्र आपकी राशि से ग्यारहवें भाव में स्थित होंगें। आपकी कुंडली में मौजूद चंद्रमा और शुक्र की स्थिति आपके जीवन के...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम जीवन के लिहाज से ये सप्ताह आपके लिए अनुकूल फल देने वाला सिद्ध हो सकता है। आप अपने पार्टनर के साथ छुट्टियों पर जा सकते हैं। इस दौरान...आगे पढ़ें


तुला


चूंकि पंचम भाव का संबंध शिक्षा से जुड़ा हुआ है इसलिए छात्रों को इस सप्ताह अच्छे फल प्राप्त होंगे। परीक्षा में उनकी मेहनत रंग लाएगी...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- यह सप्ताह प्रेम संबंधों के लिए सामान्य रहेगा। प्रियतम आपसे किसी बात से रूठ सकता है। उन्हें मनाने के लिए आप प्रियतम के साथ...आगे पढ़ें

वृश्चिक


कार्य क्षेत्र में सहकर्मियों का सपोर्ट आपको आगे ले जाएगा। वहीं पंचम भाव में चंद्रमा के गोचर से आपको घर में छोटे भाई बहनों का साथ मिलेगा। आर्थिक लाभ के भी होने की संभावनाएँ है...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- इस सप्ताह आपको अपने प्रेम जीवन में ताज़गी का अहसास होगा। आपके प्यार का रिश्ता गहरा होगा। प्रियतम आपके जज़्बातों को न केवल समझेगा...आगे पढ़ें

धनु


अच्छा होगा कि आप इसके लिए तैयार रहें। सप्ताहांत में आपके विरोधी आपके लिए किसी प्रकार का कुचक्र रच सकते हैं। लिहाज़ा उनसे आपको सावधान रहना होगा...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- सप्ताह प्रेम संबंधों के लिए अनुकूल रहने वाला है। प्रियतम के साथ कोई प्यारा-सा लम्हा गुजारने का समय मिलेगा। प्रियतम आपके प्यार की परीक्षा ले सकता है...आगे पढ़ें

मकर


इस सप्ताह की शुरुआत में चन्द्रमा का गोचर आपके द्वितीय, तृतीय, चतुर्थ और पंचम भाव में होगा। इसके साथ ही इस सप्ताह शुक्र का गोचर आपके सप्तम भाव में होगा। सप्ताह की शुरुआत में जब चंद्र देव...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम संबंधित मामलों के लिए ये सप्ताह सामान्य रहने की उम्मीद है। इस दौरान आपको इस बात का विशेष ख्याल रखना होगा कि आप अपने प्रियतम पर...आगे पढ़ें

कुंभ


इस सप्ताह की शुरुआत में चंद्रमा आपकी ही राशि में विराजमान होंगे अर्थात आपके प्रथम भाव में होंगे और जो बाद में द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ भाव में गोचर करेंगे। इसके साथ ही इस सप्ताह शुक्र का गोचर आपके षष्टम भाव में होगा...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- अगर प्रेम संबंधित मामलों की बात करें तो ये सप्ताह प्रेम में पड़े जातकों के लिए अधिक अनुकूल नहीं रहेगा। आपके और प्रियतम के बीच वाद विवाद या बहस बाजी...आगे पढ़ें

मीन


आप खुद पर अतिरिक्त धन भी खर्च करेंगे। पारिवारिक जीवन को देखें तो उसमें शांति रहेगी और वहीं कार्य क्षेत्र में उतार चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी। इस समय आप खुद को किसी भी प्रकार की कंट्रोवर्सी से दूर रखें...आगे पढ़ें

प्रेम जीवन :- प्रेम संबंधित मामलों के लिए ये सप्ताह ठीक-ठाक ही रहने वाला है। जो जातक अपने काम की अधिकता के चलते अपने रिश्ते को समय नहीं दे पा रहे हैं...आगे पढ़ें

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