गुरु पूर्णिमा कल, जानें क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त

चंद्र ग्रहण के सूतक काल से पूर्व करें गुरु पूजन, जानें शुभ मुहूर्त व इस पर्व का धार्मिक महत्व।


आषाढ़ मास की पूर्णिमा को ही गुरु पूर्णिमा पर्व देशभर में मनाया जाएगा। इस दिन विशेष तौर से गुरु व इष्ट देव की आराधना करने का विशेष महत्व होता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार यह पर्व जुलाई या अगस्त महीने में ही आता है। साल 2019 में गुरु पूर्णिमा पर्व 16 जुलाई को देश भर में मनाया जाएगा। इस वर्ष का ये पर्व कई मायनों में ख़ास है क्योंकि इस पर्व के दिन ही देर रात साल 2019 का दूसरा चंद्रग्रहण भी घटित होगा, इसलिए गुरु पूर्णिमा पर होने वाली हर प्रकार की पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों को ग्रहण के सूतक काल से पहले ही करना होगा। 

गुरु पूर्णिमा 2019 मुहूर्त


16 जुलाई 2019 गुरु पूर्णिमा New Delhi, India के लिए
जुलाई 16, 2019 को 
01:50:24 से पूर्णिमा आरम्भ 
जुलाई 17, 2019 को
03:10:05 पर पूर्णिमा समाप्त

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विशेष: 16 जुलाई को चंद्रग्रहण का सूतक दोपहर 3 बजकर 54 मिनट पर लग जाएगा, इसलिए गुरु पूर्णिमा पर होने वाली पूजा इस समय से पहले मुहूर्त अनुसार करना ही सही होगा।

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गुरु पूर्णिमा का महत्व 


सभी धर्मों में गुरु को सबसे बड़ा दर्जा दिया गया है। हिन्दू धर्म में भी गुरु का स्थान सर्वोच्च माना गया है, इसी कारण इस विशेष दिन पर गुरू देव के पूजन का बड़ा महत्व होता है। मान्यताओं अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन ही महाभारत के रचियता ऋषि वेद व्यास जी का जन्म हुआ था, इसलिए भारत के कई राज्यों में इसे व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस दिन व्यास जी की पूजा का विधान है और इस दिन के महत्व को समझते हुए लोग अपने गुरु, इष्ट और आराध्य देव की पूजा इस पर्व पर करते हैं।

हिन्दू पंचांग के अनुसार अपने गुरु व इष्ट देव की पूजा और श्री व्यास जी की पूजा करने के लिए पूर्णिमा तिथि पर सूर्योदय के बाद तीन मुहूर्त तक व्याप्त होना आवश्यक होता है। इसके अलावा यदि पूर्णिमा तिथि तीन मुहूर्त से कम हो तो इस पर्व को पहले दिन ही मनाए जाने का विधान है। 

गुरु पूर्णिमा की पूजन विधि


जिस प्रकार गुरु पूर्णिमा की पूजा के लिए सही मुहूर्त का होना अनिवार्य होता है, उसी प्रकार इसकी पूजा का सर्वश्रेष्ठ लाभ उठाने के लिए इसके पूजन विधि को सही प्रकार से किये जाना भी उतना ही महत्व है। आइये अब जानते हैं कि गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु देव को प्रसन्न करने के लिए कैसे करें पूजन:-

  • गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातः काल सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। 
  • इसके बाद स्नान कर नए अथवा साफ कपड़े पहनकर अपने गुरु के पास जाएं या संभव न हो तो अपने इष्ट देव की तस्वीर को एक स्वच्छ स्थान पर रखें। 
  • इसके बाद अपने गुरु या उनकी तस्वीर को ऊँचे सुसज्जित आसन पर विराजमान कर उन्हें पुष्प माला पहनाएं और फल आदि अर्पित करें। 
  • इसके बाद अपनी श्रद्धानुसार दक्षिणा देकर पूर्ण आस्था के साथ गुरु की पूजा करें तथा उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। 
  • इस दिन अपने गुरु (शिक्षक) के साथ-साथ जीवन का पाठ सिखाने वाले अग्रज लोग जैसे- माता-पिता, भाई-बंधु, कोई विशेष व्यक्ति आदि का भी आशीर्वाद लेकर उनका आदर-सम्मान करना चाहिए।
  • इसके बाद इस दिन ख़ास तौर से आपको अपने गुरु से गुरु मंत्र लेना चाहिए। साथ ही अपने इष्ट देव को भी गुरु के रूप में पूजना चाहिए।

गुरु पूर्णिमा का पौराणिक महत्व 


हमारे पौराणिक वेदों में गुरु को त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश से भी ऊपर बताया गया है क्योंकि माना गया है कि वह गुरु ही है जो अपने शिष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने का रास्ता दिखाता है। अगर प्राचीन काल की बात करें तो गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने वाले सभी छात्र, इसी दिन श्रद्धा व भक्ति के साथ अपने गुरु की सच्चे दिल से पूजा-अर्चना किया करते थे और यही श्रद्धा उनकी गुरु दक्षिणा होती थी। 

इस दिन गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा का भी बहुत महत्व है। इसके अलावा गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान कर दान-दक्षिणा का भी विधान है। इसके अलावा मंदिरों में भी इस दिन पूजा-अर्चना होती है और जगह-जगह पर भंडारे व मेले लगते हैं। विद्यालयों व अन्य शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों द्वारा गुरु को अलग-अलग प्रकार से सम्मानित किया जाता है।

कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि हिन्दू धर्म और भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य की ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। गुरु के प्रति शिष्य के इस आदर भाव को व्यक्त करने के लिए ही गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है।

आप सभी को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं! हम आशा करते हैं कि गुरु के मार्गदर्शन से आपको ज्ञान की प्राप्ति हो और जीवन में सुख-समृद्धि आए।

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