अमावस्या एक ऐसा समय है जब हम अपने पितरों को नमन करते हैं और भगवान शिव के पवित्र पावन मास सावन के महीने में आने वाली अमावस्या को श्रावणी अमावस्या कहा जाता है। क्योंकि यह समय प्रकृति में हरे भरे वातावरण का होता है इसलिए इसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है। अन्य सभी अमावस्या की भांति हरियाली अमावस्या के दिन भी पितरों की शांति के निमित्त श्राद्ध और पिंडदान तथा अन्न दान किया जाता है। इस दिन दान पुण्य करने का भी विशेष महत्व है। उत्तर भारत में यह सावन के महीने के दौरान पड़ता है लेकिन दक्षिण भारत में सावन के महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है इसलिए भी इसे हरियाली अमावस्या भी कहा जाता है।
हरियाली अमवस्या / श्रावण अमावस्या मुहूर्त
नोटः उपरोक्त समय केवल नई दिल्ली के लिए है।
हरियाली अमावस्या मुहूर्त
इस वर्ष 2019 में सावन मास की अमावस्या जिसे हम हरियाली अमावस्या अमावस्या के नाम से जानते हैं, 1 अगस्त 2019 को पड़ रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 31 जुलाई को दोपहर 11:58 से प्रारंभ होगी और अगले दिन अर्थात 1 अगस्त को प्रातः 8:43 बजे तक विद्यमान रहेगी।इस दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में उपस्थित होंगे और गुरुवार का दिन होगा तथा सिद्धि योग होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। सूर्योदय के बाद 1 अगस्त को अमावस्या उपस्थित होने के कारण 1 अगस्त को ही हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी। सावन अमावस्या का महत्व काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह प्रकृति के प्रति संदेश देती है कि सभी ओर हरियाली रखनी चाहिए। इसके साथ-साथ इस दिन स्नान दान आदि के साथ भगवान शिव के दर्शन करना भी अनुकूल माना जाता है। विशेष रूप से इस दिन अपने पूर्वजों की शांति के लिए श्राद्ध कर्म अथवा पिंड दान करना बहुत अधिक लाभदायक माना जाता है। दक्षिण भारत में आज के दिन से सावन मास की शुरुआत होती है।
हरियाली अमावस्या और धार्मिक कार्य
सावन के पवित्र महीने में जब बरसात का आगमन होता है संपूर्ण सृष्टि का प्रत्येक कण कण हरा-भरा होकर पूरी तरह से खिल उठता है। ऐसे में प्रकृति का श्रंगार देखते ही बनता है और इस दौरान सभी पशु पक्षियों और पेड़-पौधों को नया जीवन प्राप्त होता है। क्योंकि यह श्रावण अमावस्या होती है जो सावन के पवित्र महीने में आती है और चारों ओर हरियाली लेकर आती है इसी कारण से हरियाली अमावस्या कहा जाता है। केवल सामान्य जन ही नहीं बल्कि धार्मिक के साथ अप्राकृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्व माना जाता है। इस दिन कुछ विशेष धार्मिक कार्य करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेष रूप से कुछ धार्मिक कार्य किए जाते हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- अमावस्या एक ऐसी तिथि है, जब सभी अपने पूर्वजों के लिए उत्तम श्राद्ध कर्म करते हैं।
- इस दिन प्रात: काल आपको सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए और 11:00 बजे से पूर्व दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके अपने पितरों के निमित्त तर्पण करना चाहिए।
- इसके अतिरिक्त आप दक्षिण दिशा की ओर मुख करके “ॐ पितृ देवाय नमः” मंत्र का जाप कर सकते हैं।
- आज का दिन किसी पवित्र नदी अथवा कुंड या जलाशय में स्नान करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।
- स्नान के बाद आपको पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करना चाहिए।
- इस दिन आप चाहे तो उपवास करें और योग्य ब्राह्मण अथवा गरीब को अपनी सामर्थ्य अनुसार पितरों की तृप्ति के लिए दान दक्षिणा दें।
- चूंकि यह हरियाली अमावस्या है इस दिन विभिन्न प्रकार के पौधे-वृक्ष लगाना बेहद शुभ माना जाता है।
- इस दिन आप पीपल, केला, बरगद, तुलसी, नींबू,आदि के वृक्षों का रोपण कर सकते हैं। यह सभी वृक्ष अत्यंत पवित्र माने जाते हैं क्योंकि इनमें देवताओं का वास होता है।
- इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना और उसकी परिक्रमा करना भी अत्यंत शुभ होता है।
- इस दिन तुलसी के वृक्ष की पूजा और परिक्रमा भी की जाती है।
- यदि आपकी कुंडली में सर्प दोष है अथवा शनि ग्रह जनित कोई पीड़ा आपको सता रही है तो आपको हरियाली अमावस्या के दिन भगवान शिव के मंदिर जाकर शिवलिंग पर पुष्प अर्पण और जल तथा दूध चढ़ाना चाहिए।
- वृक्षारोपण के लिए मुख्य रूप से अश्वनी, मूल, रोहिणी, हस्त, श्रवण, चित्रा, मृगशिरा, विशाखा, पुष्य और तीनों उत्तरा नक्षत्र अत्यंत श्रेष्ठ माने जाते हैं।
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- वर्ष 2019 में हरियाली अमावस्या के दिन पुष्य नक्षत्र का संयोग वृक्षारोपण के लिए अत्यंत शुभ प्रभाव देने वाला रहेगा।
- यदि आप आरोग्य प्राप्ति के लिए वृक्ष लगाना चाहते हैं तो नीम का पेड़ बेहतर विकल्प रहेगा और सुखों की इच्छा है तो तुलसी का पौधा रोपित करें।
- जो लोग संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं उन्हें केले का वृक्ष और धन संपदा की इच्छा रखने वालों के लिए आंवले का पौधा लगाना फ़ायदेमंद साबित होता है।
- इस दिन आप को हनुमान जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए हनुमान चालीसा का पाठ करें। उनकी मूर्ति के समक्ष चमेली के तेल का दीपक जलाएं और उन्हें चोला और सिंदूर अर्पित करें।
- इसके अतिरिक्त इस दिन किसी नदी बहते हुए पानी में जाकर मछलियों को आटे की गोलियां खिलाना भी अच्छा रहता है।
- जहां चीटियां अधिक मात्रा में स्थित हो वहां उन्हें सूखा आटा या चीनी डालें।
- इसके अतिरिक्त आप स्नान दान करके पुण्य अर्जित कर सकते हैं।
- यदि आप उपरोक्त धार्मिक कार्य हरियाली अमावस्या के दिन करते हैं तो आपको शुभ पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
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हरियाली अमावस्या का महत्व
हर अमावस्या हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इस दिन कई अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य जैसे कि दान-पुण्य आदि किए जा सकते हैं। हरियाली अमावस को चितलगी अमावस्या भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है ‘चित’ अर्थात मन और ‘लगी’ आग लगने वाली अर्थात मन को भाने वाली अमावस्या। यह अमावस्या सावन के महीने में आती है उस वक़्त सभी लोग भगवान शिव की भक्ति में लीन होता है और प्रकृति अद्भुत रूप में हमारे सामने होती है, ऐसे में मन हर्षित हो जाता है। यही वजह है कि हरियाली अमावस्या धार्मिक महत्व के साथ-साथ प्राकृतिक महत्व रखती है और यह ख़ासी लोकप्रिय मानी जाती है। यह वह समय है जब आप वृक्षों द्वारा प्रदान किए गए विभिन्न रूपों के लिए उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं और अपने पितरों के लिए श्राद्ध और पिंडदान करते हैं तथा दान पुण्य संबंधी अन्य कार्य भी संपन्न करते हैं।
सरल शब्दों में कहा जाए तो हरियाली अमावस्या हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर प्रदान करती है। शिव पार्वती प्रकृति और मनुष्य के संतुलन पर अधिक जोर देते हैं और यही वजह है कि हरियाली अमावस्या विशेष रूप से महत्वपूर्ण होती है।
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हरियाली अमावस्या के बारे में अन्य जानकारी
हरियाली अमावस्या मुख्य रूप से हरियाली तीज से 3 दिन पूर्व मनाई जाती है। इस दिन विशेष रूप से विभिन्न मंदिरों में झांकियां और दर्शन की व्यवस्था की जाती है। खासतौर पर मथुरा और वृंदावन में द्वारकाधीश और बांके बिहारी जी के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगता है। इस दौरान शिव मंदिरों की भी विशेष तौर पर सजावट की जाती है।
हम आशा करते हैं कि आपको हरियाली अमावस्या पर लिखा हुआ हमारा ये लेख पसंद आया होगा। आप अपने सभी सुझाव हमे नीचे कमेंट करके भी दे सकते हैं। हम आपके उज्जवल भविष्य की कामना करते हैं।
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