हस्तरेखा से जानें कैसी रहेगी आपकी सेहत

हस्तरेखा में छुपा है आपकी सेहत का राज़! जानें हथेली की रेखाओं से कैसा रहेगा आपका स्वास्थ्य।


हस्त रेखा शास्त्र भारतीय संस्कृति की देन है। जिसका जन्म सामुद्रिक शास्त्र से हुआ है। सामुद्रिक शास्त्र के अंतर्गत मानव शरीर का अध्ययन किया जाता है और उसी के एक भाग के रूप में हस्तरेखा शास्त्र से हाथों, उन पर बनने वाले विशेष चिन्हों, रेखाओं तथा उंगलियों का अध्ययन करके व्यक्ति के भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्य काल के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है।


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हस्त रेखा के अंतर्गत हाथ के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न ग्रहों का वास माना जाता है और उन पर उपस्थित विभिन्न चिन्हों के माध्यम से अच्छे और बुरे समय का अध्ययन किया जाता है। एक हथेली में मुख्य रूप से जीवन रेखा, हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा, भाग्य रेखा, विवाह रेखा आदि पाई जाती हैं। इसी के साथ-साथ स्वास्थ्य रेखा भी देखी जाती है। यह रेखा सभी लोगों के हाथों में नहीं पाई जाती, लेकिन किसी विशेष रेखा का ना होना किसी प्रकार की विसंगति नहीं है अर्थात यदि हाथ में यह रेखा नहीं है तो भी कोई चिंता की बात नहीं है।


स्वास्थ्य रेखा


स्वास्थ्य रेखा के माध्यम से किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है और उसको होने वाले रोगों को ज्ञात किया जा सकता है। लेकिन जिन हाथों में यह रेखा नहीं पाई जाती उन हाथों में भी अन्य रेखाओं तथा ग्रहों से संबंधित प्रतीक चिन्हों को देखकर रोगों के संबंध में जाना जा सकता है।

हथेली के आधार अर्थात चंद्र पर्वत से कनिष्ठिका उंगली अर्थात बुध पर्वत तक पहुंचने वाली रेखा को स्वास्थ्य रेखा कहते हैं, इसे बुध रेखा भी कहा जाता है। इस रेखा के माध्यम से विशेष रुप से व्यक्ति के स्वास्थ्य, उसकी शक्ति, अमाशय तथा यकृत आदि के बारे में जाना जाता है। इस रेखा का उद्गम हथेली के आधार पर किसी भी स्थान से हो सकता है और उसी के आधार पर स्वास्थ्य के बारे में जाना जाता है। यदि यह रेखा जीवन रेखा अथवा भाग्य रेखा से दूर हो तो ज्यादा शुभता प्रदान करती है।


स्वास्थ्य रेखा देखकर जानें अपनी सेहत 


एक गहरी और स्पष्ट स्वास्थ्य रेखा आपके अच्छे पाचन तंत्र को बताती है। ऐसे व्यक्ति अंदर से बहुत मजबूत होते हैं और उनके रोगों से लड़ने की क्षमता अच्छी होती है। ऐसे व्यक्तियों की स्मृति तेज होती है और वे मानसिक रुप से काफी मजबूत होते हैं।

यदि स्वास्थ्य रेखा आड़ी-तिरछी रेखाओं द्वारा कट रही हो तो आयु के अनुसार स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां उत्पन्न करती हैं। यदि यह रेखा जंजीर नुमा है तो जीवन भर पेट से संबंधित बीमारियों का कारण बनती है। विशेष रूप से यदि बुध रेखा पर द्वीप हों तो अधिक गंभीर स्वास्थ्य समस्या हो सकती है। ऐसे में आंतों की बीमारी होना संभव है।

यदि बुध रेखा लहरदार है तो ऐसे व्यक्तियों को यकृत अथवा पित्त संबंधित रोग होने की संभावना अधिक होती है। साथ ही मलेरिया अथवा ज्वर या पीलिया जैसे रोग व्यक्ति को परेशान कर सकते हैं। यदि इस रेखा पर पीलापन अधिक दिखाई दे तो पीलिया अथवा गुप्त रोग की संभावना हो सकती है।

यदि किसी व्यक्ति की स्वास्थ्य रेखा सुस्पष्ट हो लेकिन जीवन रेखा पतली हो या कहीं से कटी-फटी हो तो ऐसी स्थिति स्वास्थ्य में सुधार को इंगित करती है। इसी प्रकार यदि मस्तिष्क रेखा कमजोर हो और स्वास्थ्य रेखा अच्छी हो तो स्वास्थ्य रेखा मस्तिष्क संबंधित बीमारियों में भी शुभ फल प्रदान करती है। इसके विपरीत होने पर स्वास्थ्य अधिक खराब रहने की संभावना होती है। विशेष रूप से मस्तिष्क तथा पेट संबंधी समस्याएं होने की संभावना बढ़ जाती है।

इसी प्रकार ह्रदय रेखा यदि शुभ स्पष्ट है लेकिन स्वास्थ्य रेखा टूटी-फूटी है तो ह्रदय और जिगर संबंधित समस्याएँ व्यक्ति को परेशान कर सकती हैं। इसके विपरीत होने पर ऐसी समस्याओं में सुधार प्राप्त होता है।


हस्तरेखा शास्त्र में विभिन्न ग्रहों का संबंध हथेली में दिखाया गया है। उनके माध्यम से भी जीवन में होने वाले रोगों के बारे में जाना जा सकता है। आइये जानते हैं किन-किन कारणों से कौन-कौन से रोग हो सकते हैं:
  • यदि स्वास्थ्य रेखा पर क्रॉस का चिन्ह हो तो व्यक्ति को मंदाग्नि की पीड़ा रहती है।
  • यदि बुध रेखा पर त्रिभुज का चिन्ह हो तो यह उत्तम स्वास्थ्य का प्रतीक होता है।
  • यदि मंगल ग्रह के पर्वत पर अधिक रेखाएं हैं तो पेट संबंधित अथवा रक्त संबंधित रोग होने की आशंका रहती है।
  • यदि मंगल पर्वत से निकली हुई रेखाएं जीवन रेखा को काटती हुई शनि पर्वत तक जाए तो व्यक्ति को चोट अथवा एक्सीडेंट का भय रहता है।
  • यदि मंगल पर्वत से निकली रेखा मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा को पार करके शनि पर्वत तक जाए तो गंभीर रोग उत्पन्न होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • यदि उर्ध्व मंगल पर्वत पर तिल का चिन्ह हो तो नेत्रों में पीड़ा होने की संभावना बढ़ जाती है। 
  • मस्तिष्क रेखा चंद्र पर जाए और अन्य रेखाओं की तुलना में अधिक पतली हो तो उच्च रक्तचाप अथवा पेट संबंधित समस्या होने की संभावना रहती है।
  • यदि शनि पर्वत पर कटी-फटी रेखाएं उपस्थित हों तो दांतों से संबंधित रोग जैसे पायरिया अथवा गैस वृद्धि की समस्या हो सकती है।
  • शनि पर्वत पर जंजीर नुमा रेखाएं हों और मंगल पर्वत पर भी अधिक रेखाएं हो तो व्यक्ति को गठिया जैसी समस्या घेर सकती है।
  • मंगल पर्वत पर क्रॉस होना बवासीर का कारण बन सकता है। यदि शनि पर्वत पर भी क्रॉस का चिह्न हो तो यह समस्या और बड़ी हो सकती है।
  • यदि जीवन रेखा और मस्तिष्क रेखा आपस में मिलती हो और गुरु पर्वत अविकसित हो तो गले से संबंधित रोग हो सकते हैं।
  • यदि हथेली की स्वास्थ्य रेखा पर नक्षत्र का चिन्ह बना है तो ऐसा जातक संतान प्राप्ति में बाधा उठाता है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा और स्वास्थ्य रेखा पूर्ण रुप से स्पष्ट हो तो व्यक्ति तीव्र स्मरण शक्ति का स्वामी होता है।
  • यदि स्वास्थ्य रेखा से कई शाखाएं ऊपर की ओर निकल कर जाएं तो ऐसे व्यक्ति उत्तम स्वास्थ्य का आनंद लेता है।


  • इसके विपरीत यदि शाखाएं नीचे की ओर जाए तो स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां लगी रहती हैं।
  • यदि किसी महिला की जीवन रेखा टूटी-फूटी हो तो उसको मासिक धर्म तथा गर्भाशय संबंधित रोग होने की संभावना अधिक होती है।
  • शनि पर्वत पर क्रॉस का चिन्ह किसी लड़ाई में दुर्घटना, मानसिक रोग तथा बांझपन जैसी समस्याएं दे सकता है। यदि जाल बना हुआ हो तो व्यक्ति में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ाती है तथा यदि वृत्त बना हुआ है तो किसी ज़हर से कष्ट अथवा सांप के काटने की संभावना बढ़ जाती है।
  • सूर्य पर्वत पर जाल का निशान मानसिक विकास तथा मानहानि देता है।
  • बुध पर्वत पर तारे का चिन्ह अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक होता है। वहीं दूसरी ओर क्रॉस का चिन्ह त्वचा रोग, जाल तथा तिल का होना भी त्वचा रोग दे सकता है। बुध पर्वत पर द्वीप होना बुरे स्वास्थ्य का द्योतक है लेकिन यदि वृत्त बना है तो यह दीर्घायु देने में सक्षम होता है।
  • चंद्र पर्वत पर क्रॉस का चिन्ह अज्ञात भय, जल से भय, मूत्र संबंधित रोग के संकेत देता है।
  • चंद्र पर्वत पर जाल मिर्गी रोग, आत्महत्या की प्रवृत्ति, भय और निराशावादी सोच देता है।
  • चंद्र पर्वत पर वृत्त का चिन्ह कफ़ से संबंधित बीमारियां तथा द्वीप का चिन्ह मनोरोग, नींद में चलना, डिप्रेशन आदि परेशानियों को जन्म देता है।
  • मंगल पर्वत पर क्रॉस का चिन्ह शारीरिक चोट, जाल का चिन्ह मानसिक अशांति, आत्महत्या की प्रवृत्ति तथा तिल का चिन्ह रक्तचाप संबंधित अनियमितता, अंग-भंग, झगड़े में चोट लगना जैसी परेशानियों की ओर इशारा करता है।
  • शुक्र पर्वत पर क्रॉस का चिन्ह गुप्त रोग, जाल का चिन्ह स्वास्थ्य हानि, तिल का चिन्ह सुजाक, गुप्त रोग, जल से भय, वृत्त का चिन्ह दुर्घटना में अंग-भंग, शुक्र संबंधी रोग तथा दीर्घ कालिक रोगों को जन्म देता है।
  • राहु पर क्रॉस का चिन्ह दीर्घ कालिक बीमारी, जाल का चिन्ह उन्माद, मस्तिष्क रोग, मतिभ्रम, तिल का चिह्न रक्त-विकार जैसी समस्याएं देता है।
  • केतु पर क्रॉस का चिन्ह बचपन में बीमारियां, जाल का चिन्ह अनेक प्रकार की बीमारियां, तिल का चिन्ह चेचक जैसे रोग तथा द्वीप का चिन्ह शारीरिक कमजोरी तथा बीमारियों का द्योतक है।
  • अत्यधिक विकसित गुरु पर्वत से मोटापे की समस्या उत्पन्न हो सकती है। अपच और मधुमेह जैसी बीमारियां भी गुरु पर्वत की अशुभता के कारण होती हैं। इसके अतिरिक्त गुरु पर्वत के द्वारा शरीर पर आने वाली सूजन का भी आंकलन किया जाता है।
  • यदि आपके हाथों के नाखून साफ सुथरे और स्पष्ट हैं तो यह अच्छे स्वास्थ्य की ओर इंगित करते हैं।
  • यदि शनि पर्वत अविकसित हो और गुरु पर्वत भी उन्नत ना हो तो व्यक्ति को गठिया तथा जोड़ों के दर्द की समस्या या फिर गैस से संबंधित समस्या उत्पन्न हो सकती है।


इस प्रकार हस्तरेखा शास्त्र के माध्यम से हम विभिन्न प्रकार के रोगों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और उन कारणों को जानकर संबंधित उपाय करके उन रोगों से बचाव कर सकते हैं। आशा करते हैं कि हस्तरेखा विज्ञान से जुड़ा यह आलेख आपके लिए कारगर साबित होगा।

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