पंडित हनुमान मिश्रा
वृषभ लग्न, कर्क राशि और पुष्य नक्षत्र वाले भारत पर साल 2013 की शुरुआत के समय सूर्य में शनि का प्रभाव रहेगा। सूर्य इस कुण्डली में चतुर्थेश होकर तीसरे भाव में ज्येष्ठा नक्षत्र में स्थित है। जो कि बुध का नक्षत्र अत: सू्र्य का सम्बंध जनता, आंतरिक सुख शांति और पराक्रम से होने के साथ ही धन और सिनेमा, शिक्षा आदि से भी है। जबकि शनि भाग्येश और धर्मेश होकर तीसरे भाव में ज्येष्ठा नक्षत्र में ही स्थित है। अत: शनि कर्म और भाग्य के साथ-साथ आर्थिक, शिक्षा व मनोरंजन से सम्बंध रखने वाला ग्रह है। इन दोनो ग्रहों की दशा का प्रभाव जून 2013 तक भारतवर्ष पर रहेगा। इन दोनो ग्रहों अर्थात सूर्य और शनि का आपसी सम्बंध शत्रुवत माना गया है अत: इस दशा में भारत की अर्थव्यवस्था चरमराई रहेगी। शिक्षा के स्तर में गिरावट जारी रहेगी। शिक्षक, शिक्षार्थी, शिक्षा व संस्कार का स्तर सुधरने की बजाय बिगडता जाएगा। बाल मृत्युदर बढ सकती है। आपसी कलह या धार्मिक असंतोष होने की सम्भावनाएं बन रही हैं। धर्म को राजनीति से जोडकर साम्प्रदायिक भावनाओं को हवा दी जा सकती है। लेकिन भारत की न्यायपालिका कुछ ऐतिहासिक फैसले ले सकती है जो दूरगामी होंगे।
बेरोजगारी दूर करने के लिए या सरकार की ओर से प्रयास नहीं किया जाएगा या फिर सरकार अपने प्रयास में सफल नहीं हो पाएगी। जमीन-जायदाद के मामलों में तेजी आएगी। लोहा, कोयला, लकडी पत्थर और अनाज महगे हो सकते हैं। सिनेमा या मनोरंजन जगत के माध्यम से काले धन को सफेद करने का सिलसिला जारी रहेगा। मनोरंजन के नाम पर कुंठाग्रस्त करने वाली सामग्री दर्शकों तक पहुंचाई जाएगी।
जून के बाद सुर्य और बुध की दशा का प्रभाव भारतवर्ष कर शुरू होगा। उस समय पिछडी जातियों के उत्थान के लिए कोई अच्छा कानून बन सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा। लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार होगा। किसी अच्छे देश से व्यापारिक और व्यवहारिक सुधरेंगे। अन्य देशों से सहयोग मिलने की उम्मीद है। सिनेमा, मनोरंजन, मीडिया, सोसल मीडिया या चिकित्सा उद्योग में सरकार या सरकारी कानून का दखल हो सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार होगा, विशेषकर तकनीकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। बाल विकास कार्यक्रमों में विकास होगा। लोगों को नौकरी के अवसर मिलेंगे। राजनीतिज्ञों के स्तर में सुधार होगा। प्रशिक्षित और कुशल लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार सम्मान मिलेगा। धर्म और धार्मिक लोगों की उन्नति होगी।
यदि गोचर की बात की जाय तो केतु द्वादश भाव में है। शनि और राहू छठे भाव में स्थित हैं। जो देश के भीतर, पेट्रोलियम उत्पादों, सोना और तांबा के मूल्यों में बृद्धि का संकेत कर रहे हैं। बृहस्पति लग्न में वक्री है जो कि मई के बाद से दूसरे भाव में रहेगा। अत: पडोसी राज्यों से संधि वार्ता की पहल हो सकती है। शनि की दृष्टि तीसरे भाव पर रहेगी अत: यातायात और दूर संचार के क्षेत्र में प्रगति होगी। लेकिन यातायात दुर्घटनाओं में इस वर्ष जबरदस्त इजाफ़ा देखने को मिलेगा। अत: सरकार को चाहिए कि इन दुर्घटनाओं से बचने के संसाधन पहले से जुटा ले। लेकिन ऐसा होगा नहीं। शनि की तीसरे भाव में दृष्टि पडोसी राष्ट्रों से खतरे की भी संकेतक है। पडोसी राष्ट्र कोई बडा उपद्रव मचा सकते हैं। यह कोई बडी आतंकवादी घटना भी हो सकती है।
छठे भाव में राहु और शनि की युति के कारण कहीं अतिवृष्टि तो कहीं अनावृष्टि होगी। आंधी-तूफान, बाढ, वायु वेग का प्रकोप, भूकम्प के साथ-साथ भारत के पूर्वी भू-भाग में मलेरिया, चेचक, निमोनिया, हैजा सामूहिक रूप से हो सकता है। पश्चिम के क्षेत्रों में सूखा होने से बुखार का अधिक प्रसार होगा। आगजनी, अनाज मंहगा, जनता को कष्ट, जनता में व्याकुलता, चोर डाकुओं का भय होने के साथ ही अन्न की उपज कम हो सकती है।
वृषभ लग्न, कर्क राशि और पुष्य नक्षत्र वाले भारत पर साल 2013 की शुरुआत के समय सूर्य में शनि का प्रभाव रहेगा। सूर्य इस कुण्डली में चतुर्थेश होकर तीसरे भाव में ज्येष्ठा नक्षत्र में स्थित है। जो कि बुध का नक्षत्र अत: सू्र्य का सम्बंध जनता, आंतरिक सुख शांति और पराक्रम से होने के साथ ही धन और सिनेमा, शिक्षा आदि से भी है। जबकि शनि भाग्येश और धर्मेश होकर तीसरे भाव में ज्येष्ठा नक्षत्र में ही स्थित है। अत: शनि कर्म और भाग्य के साथ-साथ आर्थिक, शिक्षा व मनोरंजन से सम्बंध रखने वाला ग्रह है। इन दोनो ग्रहों की दशा का प्रभाव जून 2013 तक भारतवर्ष पर रहेगा। इन दोनो ग्रहों अर्थात सूर्य और शनि का आपसी सम्बंध शत्रुवत माना गया है अत: इस दशा में भारत की अर्थव्यवस्था चरमराई रहेगी। शिक्षा के स्तर में गिरावट जारी रहेगी। शिक्षक, शिक्षार्थी, शिक्षा व संस्कार का स्तर सुधरने की बजाय बिगडता जाएगा। बाल मृत्युदर बढ सकती है। आपसी कलह या धार्मिक असंतोष होने की सम्भावनाएं बन रही हैं। धर्म को राजनीति से जोडकर साम्प्रदायिक भावनाओं को हवा दी जा सकती है। लेकिन भारत की न्यायपालिका कुछ ऐतिहासिक फैसले ले सकती है जो दूरगामी होंगे।
बेरोजगारी दूर करने के लिए या सरकार की ओर से प्रयास नहीं किया जाएगा या फिर सरकार अपने प्रयास में सफल नहीं हो पाएगी। जमीन-जायदाद के मामलों में तेजी आएगी। लोहा, कोयला, लकडी पत्थर और अनाज महगे हो सकते हैं। सिनेमा या मनोरंजन जगत के माध्यम से काले धन को सफेद करने का सिलसिला जारी रहेगा। मनोरंजन के नाम पर कुंठाग्रस्त करने वाली सामग्री दर्शकों तक पहुंचाई जाएगी।
जून के बाद सुर्य और बुध की दशा का प्रभाव भारतवर्ष कर शुरू होगा। उस समय पिछडी जातियों के उत्थान के लिए कोई अच्छा कानून बन सकता है। भारत की अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा। लोगों के जीवन स्तर में भी सुधार होगा। किसी अच्छे देश से व्यापारिक और व्यवहारिक सुधरेंगे। अन्य देशों से सहयोग मिलने की उम्मीद है। सिनेमा, मनोरंजन, मीडिया, सोसल मीडिया या चिकित्सा उद्योग में सरकार या सरकारी कानून का दखल हो सकता है। शिक्षा के क्षेत्र में सुधार होगा, विशेषकर तकनीकी शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। बाल विकास कार्यक्रमों में विकास होगा। लोगों को नौकरी के अवसर मिलेंगे। राजनीतिज्ञों के स्तर में सुधार होगा। प्रशिक्षित और कुशल लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार सम्मान मिलेगा। धर्म और धार्मिक लोगों की उन्नति होगी।
यदि गोचर की बात की जाय तो केतु द्वादश भाव में है। शनि और राहू छठे भाव में स्थित हैं। जो देश के भीतर, पेट्रोलियम उत्पादों, सोना और तांबा के मूल्यों में बृद्धि का संकेत कर रहे हैं। बृहस्पति लग्न में वक्री है जो कि मई के बाद से दूसरे भाव में रहेगा। अत: पडोसी राज्यों से संधि वार्ता की पहल हो सकती है। शनि की दृष्टि तीसरे भाव पर रहेगी अत: यातायात और दूर संचार के क्षेत्र में प्रगति होगी। लेकिन यातायात दुर्घटनाओं में इस वर्ष जबरदस्त इजाफ़ा देखने को मिलेगा। अत: सरकार को चाहिए कि इन दुर्घटनाओं से बचने के संसाधन पहले से जुटा ले। लेकिन ऐसा होगा नहीं। शनि की तीसरे भाव में दृष्टि पडोसी राष्ट्रों से खतरे की भी संकेतक है। पडोसी राष्ट्र कोई बडा उपद्रव मचा सकते हैं। यह कोई बडी आतंकवादी घटना भी हो सकती है।
छठे भाव में राहु और शनि की युति के कारण कहीं अतिवृष्टि तो कहीं अनावृष्टि होगी। आंधी-तूफान, बाढ, वायु वेग का प्रकोप, भूकम्प के साथ-साथ भारत के पूर्वी भू-भाग में मलेरिया, चेचक, निमोनिया, हैजा सामूहिक रूप से हो सकता है। पश्चिम के क्षेत्रों में सूखा होने से बुखार का अधिक प्रसार होगा। आगजनी, अनाज मंहगा, जनता को कष्ट, जनता में व्याकुलता, चोर डाकुओं का भय होने के साथ ही अन्न की उपज कम हो सकती है।