जून राशिफल २०१४ - क्या लाया है ये गर्मी का मौसम?

जून राशिफल २०१४ को लेकर हम आपके सामने एक बार फिर हाज़िर हैं। जानिए अपना भविष्य पं. हनुमान मिश्रा के साथ और सभी परेशानियों से मुक्त हो जाईए। यह राशिफल न केवल भविष्य बताएगा, बल्कि परेशानियों का समाधान भी बताएगा।


नोट: यह राशिफल आपकी चन्द्र राशि पर आधारित है।




मेष जून राशिफल २०१४

जून महीने की शुरुआत में आप अपने आपको अधिक संतुष्ट नहीं रख पाएंगें। बहुत सम्भव है कि किसी आर्थिक मामले को लेकर आप कुछ परेशानी अनुभव करें अथवा अपने पारिवारिक जीवन को लेकर कुछ असंतुष्ट रहें। अत: कोई भी आर्थिक या पारिवारिक निर्णय लेने से पहले एक गहन चिंतन और मंथन जरूरी होगा। हालांकि महीने के दूसरे पक्ष में आपकी समस्याएं दूर होने लगेंगी। इस अवधि में किसी यात्रा के माध्यम से आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आर्थिक व मामलों में भी अनुकूलता आएगी साथ ही स्वास्थ्य भी अनुकूल रहेगा।

उपाय: पवित्र स्थान में बादाम दान करें।

वृषभ जून राशिफल २०१४

महीने का पहला भाग आपके लिए मिलेजुले फल देने वाला रहेगा। सूर्य आपके पहले भाव में है अत: इस समय आप आत्मविश्वास से ओत प्रोत रहेंगे। इस अवधि में आपको मान सम्मान की प्राप्ति होगी साथ ही आप कम दूरी की यात्राएं भी कर सकते हैं। यदि आपने सुनियोजित ढ़ग से यात्राएं की तो बहुत सम्भव है कि थोड़ी सी मेहनत के बाद ये यात्राएं सफलता जरूर देंगी। लेकिन इस समय अपना तथा अपने परिवार के स्वास्थ्य का खयाल रखना जरूरी होगा। महीने के दूसरे भाग में भी स्वास्थ्य संबंधित कुछ समस्याएं रह सकती हैं। इस अवधि में घरेलू और आर्थिक मामलों को सावधानी से निबटाने की जरूरत रहेगी।

उपाय: अपने पैतृक घर की मरम्मत करवाएं!!

मिथुन जून राशिफल २०१४


महीने की शुरुआत में सूर्य बारहवें भाव में रहेगा अत: किसी सरकारी काम में अडंगा डालना या किसी ऊंची पहुंच वाले व्यक्ति से उलझना ठीक नहीं होगा। सबसे विनम्रता और समझदारी के साथ के साथ व्यवहार करें। साथ ही लगभग सभी कामों सावधानी बरतने की सलाह मैं आप को देना चाहूंगा। व्यर्थ के खर्चों से बचें। वहीं महीने के दूसरे भाग में आपकी समस्याएं काफ़ी हद तक कम होंगी। आपके मान सम्मान में वृद्धि होगी। किसी लाभदायक यात्रा पर जाना हो सकता है। लेकिन इस समय स्वास्थ्य का खयाल रखना जरूरी रहेगा।

उपाय: नियमित रूप से मंदिर जाएं।

कर्क जून राशिफल २०१४


महीने का पहला भाग आपके लिए बहुत अनुकूल रहेगा। क्योंकि इस अवधि में सूर्य देव आपके लाभ भाव में रहेंगे। अत: लाभ की सम्भावनाएं मजबूत होंगी। आमदनी में इजाफ़ा होगा। यात्राओं के माध्यम से भी लाभ होगा। इस समय आपके लगभग सभी महत्त्वपूर्ण कामों के पूर्ण होने की भी सम्भावनाएं हैं। आपके अपने आपकी मदद के लिए तैयार रहेंगे। प्रेम प्रसंगों के लिए भी समय अनुकूल रहेगा। लेकिन महीने का दूसरा भाग खर्चों से भरा रह सकता है। इस समय आपको अपने स्वास्थ्य का भी खयाल रखना जरूरी होगा। साथ ही व्यर्थ की यात्राओं से भी बचना होगा।

उपाय: मांस मदिरा से परहेज करें।

सिंह जून राशिफल २०१४


आपके राशि स्वामी अर्थात सूर्य देव की भरपूर कृपा इस महीने आप पर बरसने वाली है। अत: लगभग पूरा महीना ही आपके लिए अनुकूलता लिए हुए रहेगा। महीने के प्रथम भाग में आप अपने कार्य व्यापार में बहुत अच्छा करते नजर आ रहे हैं। वरिष्ठ लोग हों या फिर उच्चाधिकारी सब आपका फ़ेवर करते नजर आएंगे। इस समय आप कुछ लाभदायक या व्यापारिक यात्राएं भी सम्भव हैं। आर्थिक मामलों के लिए भी समय बहुत अनुकूल रहेगा। वहीं महीने के दूसरे भाग में लाभ की स्थितियां सुदृढ़ बनी रहेंगी। कुछ फायदा दिलाने वाले प्रस्ताव मिलने की भी सम्भावना हैं। दाम्पत्य जीवन के लिए भी समय काफ़ी अनुकूल रहेगा। यात्राओं से भी आनंद और धन प्राप्त होगा।

उपाय: नीले रंग के कपड़े किसी गरीब को दें।

कन्या जून राशिफल २०१४


इस महीने की शुरुआत आपके लिए मिली जुली रहेगी। द्वादशेश सूर्य आपके नवम भाव में रहेगा अत: यह समय यात्राओं का समय हो सकता है। विदेश जाने के लिए या धार्मिक यात्राओं के लिए यह समय अनुकूल रहेगा। हालांकि इस समय माता पिता के स्वास्थ्य का खयाल रखना जरूरी होगा। आर्थिक मामलों के लिए भी यह समय अनुकूल रहेगा। महीने का दूसरा भाग। आपके कार्य व्यापार के लिए बहुत अच्छा रहेगा। यात्राएं सफल होंगी। आर्थिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलेगा। यह समय मान सम्मान में बड़ा इजाफ़ा करवाने वाला सिद्ध हो सकता है।

उपाय: चावल का दान करें।

तुला जून राशिफल २०१४


इस महीने आपको लगभग हर मामलों में सावधानी से काम लेना होगा। इस समय सूर्य अष्टम भाव में है जो अनुकूल परिणाम दे सकने में असमर्थ है अत: इस अवधि में कुछ समस्याएं अचानक से आ सकती हैं। इस अवधि में वाहन चलाने सावधानी रखनी होगी। स्वास्थ्य का खयाल रखें। अनैतिक कामों से खुद को दूर रखें। सन्देहास्पद सौदों से बचें। बहुत विचार-विमर्श करके ही कोई निर्णय लें। लेकिन महीने के दूसरे पक्ष में आपकी समस्याएं काफ़ी कम होंगी। कामों में सफलताएं मिलेंगी। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और आप किसी धार्मिक यात्रा पर जा सकते हैं।

उपाय: सहकर्मियों को बिस्किट खिलाएं।

वृश्चिक जून राशिफल २०१४


इस महीने आपको अच्छे परिणाम पाने के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ेगा। साथ ही सभी मामलों में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। यदि इस समय आप कोई व्यपारिक निर्णय करने जा रहे हैं तो जल्दबाजी से काम बिल्कुल न लें। इस अवधि में निजी जीवन या कुछ घरेलू परेशानियों के कारण भी आप व्यथित रह सकते हैं। महीने का दूसरा भाग भी अनुकूलता लिए हुए नहीं है। अत: इस समय भी संयम से काम लेने की आवश्यकता इस समय भी रहेगी। इस अवधि में आप मानसिक रूप से तनावग्रस्त रह सकते हैं। अत: उचित आचरण करते हुए अपना खयाल रखें।

उपाय: किसी भी काम को शुरू करने से पहले मीठा खाएं और उसके बाद पानी जरूर पियें।

धनु जून राशिफल २०१४


इस महीने की शुरुआत आपके लिए काफी अनुकूलता लिए हुए है। इस अवधि में आप हर काम को बड़ी निष्ठा और लगन के साथ निबटाना चाहेंगे। यदि पहले से आप किसी मामले को लेकर परेशान थे तो घबराइए नहीं, समस्याएं धीरे-धीरे ही सही लेकिन कम हो रही हैं। विरोधियों को परास्त करने में आप सफ़ल रहेंगे। कामों में सफलता मिलेगी। नौकरी करने के हालातों में सुधार भी होगा। पदोन्नति की सम्भावनाएं बन रही हैं। मान प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। लेकिन महीने के दूसरे भाग में आपको सावधानी से काम लेने की जरूरत रहेगी। कार्य-व्यापार के साथ-साथ अपने पारिवारिक जीवन और स्वास्थ्य का खयाल रखें।

उपाय: घर में गंगाजल का छिड़काव करें।

मकर जून राशिफल २०१४


आपके लिए लगभग यह पूरा महीना ही शुभकर रहेगा। इस अवधि में आप जीवन का बड़े उत्साह और उल्लास से स्वागत करेंगे। आप अचानक किसी यात्रा पर भी जा सकते हैं। लेकिन प्रेम संबंधों के लिये यह समय अनुकूल नहीं है। संतान या शिक्षा को लेकर यदि कोई प्रयास कर रहे हैं तो उसमें तेजी लाएं। यकीन माने काम बनने की प्रबल सम्भावनाएं हैं। महीने का दूसरा भाग तो पहले भाग की तुलना में और अच्छा है। आपकी सारी समस्याएं दूर होंगी। आप सफलता पायेंगे। आपके मान सम्मान में इजाफ़ा होगा। नौकरी के हालातों में सुधार होगा अथवा पदोन्नति की सम्भावनाएं बनेंगी।

उपाय: घर के दक्षिण पूर्वी भाग में लाल रंग का छोटा बल्ब लागाएं।

कुम्भ जून राशिफल २०१४


इस महीने आपको अधिक अनुकूल परिणाम नहीं मिल पाएंगे। महीने के पहले पक्ष में घरेलू जीवन पर ध्यान देने की विशेष आवश्यकता रहेगी। इस अवधि में आपको अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है जिससे आप स्वयंको थका हुआ अनुभव करेंगे और कार्य क्षमता भी कम हो सकती है। किसी गलत कार्य को करने के लिए भी आप उद्यत होंगे। इस समय आपको वाहनादि चलाने में सावधानी की आवश्यकता है। महीने के दूसरे भाग में स्थितियां कुछ बेहतर होंगी। अड़चनों के बाद ही सही लेकिन काम बनेंगे फ़िर भी सावधानी की आवश्यकता तो बनी ही रहेगी।

उपाय: माता पिता की सेवा करें।

मीन जून राशिफल २०१४


जून महीने की शुरुआत आपके लिए अनुकूलता लिए हुए है। इस अवधि में आप मेहनत करने से नहीं घबराएंगे। फलस्वरूप आपके काम बनेंगे। इस अवधि में आप कुछ छोटी यात्राएं कर सकते हैं। ये यात्राएं आपके कार्यक्षेत्र में सहायक बनेंगी। स्वास्थ्य भी अनुकूल रहेगा। साथ ही धन लाभ के अवसर भी मिलेंगे। जबकि महीने का दूसरा भाग आपसे मेहनत करवाने वाला रहेगा लेकिन आप मेहनत से बचना चाहेंगे। आप घर पे समय बिताने या आराम करने के मूड में रहेंगे लेकिन ऐसा हो नहीं पाएगा। अथवा इस अवधि में कुछ घरेलू चिंताएं सामने आ सकती हैं। कोशिश करें कि इस समय आप किसी गलत कार्य में संलग्न न हों और वाहन आदि सावधानी से चलाएं।

उपाय: मां को प्रसन्न रखते हुए उसका आशीर्वाद लें।

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बृहस्‍पति ग्रह का कर्क राशि में गोचर (जून 19, 2014) - क्या होंगे आप पर इसके प्रभाव

बृहस्‍पति जून 19 2014, को कर्क राशि में प्रवेश कर रहा है। क्या आप जानते हैं यह गोचर आपके जीवन में क्या क्या बदलाव लाएगा? आइए इनके बारे में ज़्यादा जानते हैं ‘पं. हनुमान मिश्रा जी’ से।

Kark Raashi mein Brihaspati ka pravesh aur raashiyon par uska prabhaav.

ज्‍योतिषीय ग्रंथों के अनुसार बृहस्पति नवग्रहों में सबसे शुभ है। यही कारण है कि गोचर में अधिकांश समय बृहस्पति की स्थिति लोगों के लिए शुभ भी बनी रहती है। सामान्यत: बृहस्पति ग्रह लोगों के लिए कष्टकारी नहीं होता। ऊपर से जब बृहस्पति अपनी उच्चावस्था यानी कि कर्क राशि में हो तो लोगों को और भी शुभफल देता है। 19 जून 2014 को देवगुरु बृहस्पति कर्क राशि में प्रवेश करने वाला है। यह 14 जुलाई 2015 तक इसी राशि में रहेगा। इसका विभिन्न राशियों पर क्या असर पड़ेगा, आइए जानते हैं।

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बृहस्‍पति के इस गोचर का विभिन्न राशियों पर क्या असर होगा आइए जानते हैं-

मेष- आप सुख सुविधाओं का लाभ प्राप्त करेंगे। घर परिवार में सुख शांति रहेगी। यदि आप जमीन जायदाद, घर या वाहन खरीदने की सोच रहें है तो आपकी सोच साकार होगी। आप बड़े अधिकारियों और शक्ति सम्पन्न व्यक्तियों के सम्पर्क में आएंगे। आपके मान सम्मान में इजाफ़ा होगा। यदि आप नौकरी या व्यापार में कुछ बदलाव लाने की सोच रहे हैं तो उसके लिए भी समय शुभ है। पदोन्नति की सम्भावनाएं प्रबल हैं। धर्म-कर्म से भी जुड़ाव रहेगा।

वॄषभ- आत्मविश्वास बढ़ेगा। लोग आपके कार्यों की प्रसंशा करेंगे। आपका मान बढ़ेगा। आपका सामाजिक दायरा भी बढ़ेगा। छोटी यात्राएं सफलदायक सिद्ध होंगी। घर परिवार को लेकर आप कोई महत्वपूर्ण कार्य करना चाहेंगे। वैवाहिक जीवन सुखद रहेगा। सहयोगियों और भागीदारों से सहयोग मिलेगा। बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलता रहेगा। लेकिन स्वास्थ्य को लेकर कुछ हद तक सावधान रहना होगा।

मिथुन- बृहस्पति का यह गोचर धन संचय के लिए बहुत अनुकूल रहेगा। आप घर परिवार के हित में खर्चे भी करेंगे। पारिवार में कोई शुभ कृत्य सम्भव हैं। परिवार के सदस्यों की संख्या में बढोत्तरी भी हो सकती है। कला और साहित्य में आपकी रुचि बढ़ेगी। आपकी लोकप्रियता में भी इजाफ़ा होगा। विरोधियों और प्रतिस्पर्धियों को परास्त कर आप अपने क्षेत्र में बेहतर करेंगे।

कर्क- आपका दिमाग पूरी तरह चैतन्य और सकारात्मक सोच वाला रहेगा। अपनी योग्यता के कारण आप विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में समर्थ रहेंगे। मन प्रसन्न रहेगा। घर परिवार में सुख शांति बनी रहेगी। परिवार में कोई शुभ संस्कार हो सकता है। आपकी आमदनी में इजाफ़ा होगा। उच्चाधिकारियों से सम्बंध सुधरेंगे। आपके स्वभाव में दार्शनिकता का भाव जागेगा।

सिंह- बारहवें भाव में बृहस्पति के गोचर को अधिक अनुकूल नहीं कहा गया है अत: आपके मन में कुछ असुरक्षा की भावना रह सकती है। कुछ फ़ालतू के कामों में आप उलझना चाहेंगें तो बेहतर यही रहेगा कि सही दिशा का चयन सावधानी पूर्वक करें। विरोधियों के षडयंत्र को पहचाने और समस्याओं का डट कर सामना करें। जहां तक सम्भव हो बेकार की यात्राओं से बचें।

कन्या- बृहस्पति का गोचर आपके लिए अनुकूल रहेगा। उत्साह से भरकर आप कोई नया प्रयास कर सकते हैं जो आपके करिअर को नई दिशा दे सकता है। मित्र और भाई बन्धु भी खुशहाल रहेंगे। यदि आप किसी कम्पटीशन में भाग ले रहे हैं तो यकीन माने सफलता आपके पाले में आती प्रतीत हो रही है। इस अवधि में आपके भीतर दार्शनिकता के भाव जाग सकते हैं। आप कोई साधना आदि करने का विचार कर सकते हैं।

तुला- बृहस्पति का गोचर आपके दशम भाव में है इसलिए बृहस्पति आपके लिए अधिक से अधिक अच्छे फल देना चाहेगा। आप आपने व्यापार व्यवसाय में बहुत अच्छा करेंगे। यदि आप काम धंधें को विस्तार देने की सोच रहे हैं तो उसके लिए समय काफ़ी अनुकूल है। नौकरी में तरक्की होगी। व्यापार और नौकरी के सिलसिले में भ्रमण करने के खूब मौके मिलेंगे। पारिवारिक जीवन भी सुखद रहेगा।

वृश्चिक- आपके भीतर प्रचुर उत्साह और विश्वास जागेगा, जिसके कारण आप सफलता और सम्मान प्राप्त करेंगे। घर परिवार का माहौल शांत और सुखद रहेगा। परिवार में नये सदस्य की बढोत्तरी। लम्बी यात्राओं के माध्यम से भी फ़ायदा होता नजर आ रहा है। आप किसी धार्मिक या सामाजिक क्षेत्र के मुखिया के सम्पर्क में आ सकते हैं। आपका मन योग क्रिया की ओर लग सकता है।

धनु- बृहस्पति का गोचर वश अष्टम भाव में होना अनुकूल नहीं माना गया है अत: मन कुछ हद तक अशांत रह सकता है। अत: कुछ हद तक अस्वस्थता का अनुभव हो सकता है। लेकिन आपका मन कुछ गूढ़ विद्याओं के प्रति आकृष्ट हो सकता है। कहीं से अचानक धन की प्राप्ति हो सकती लेकिन इस समय पूंजी निवेश करना ठीक नहीं होगा। इस समय आत्मनिर्भर रहना ही उचित होगा।

मकर- बृहस्पति का सप्तम भाव में गोचर अनुकूल परिणाम देने वाला माना गया है अत: आपकी आकांक्षाओं की पूर्ति होगी। घर परिवार का माहौल सुखमय होगा। नौकरी और व्यवसाय में भी प्रगति होगी। व्यवधानों का समापन होगा। विद्वानों की संगति मिलेगी। वैवाहिक मामलों में सफलता मिलेगी। मान-सम्मान में वृद्धि और प्रसिद्धि के योग प्रबल होंगे।

कुंभ- छठे भाव में बृहस्पति का गोचर आपको अधिक मेहनत के बाद ही अनुकूल परिणाम मिल पाएंगे। नौकरी पेशा को अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है। विवादों से दूर रहें और विरोधियों की रणनीति को बारीकी से समझें। हालांकि मुकदमाबाजी और न्यायालयों के मामलों के लिये यह समय अच्छा है फ़िर भी आत्मनिर्भरता जरूरी होगी।

मीन- बृहस्पति आपको लाभ पहुंचाने का वादा कर रहा है। अत: घर परिवार में शुभ कृत्य का आयोजन हो सकता है। आपका सही निर्णय आपको सफलता दिलाता रहेगा। व्यापार-व्यवसाय में लाभ होगा। नौकरी में सुखद परिवर्तन सम्भव है। मित्र व हितैषी पूरा सहयोग देंगे। सामाजिक दायरा बढे़गा। धार्मिकक्रिया कलापों से जुड़ाव होगा।

पं हनुमान मिश्रा
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जानिए क्या कहती है नरेन्द्र मोदी की असली कुण्डली!

देखें नरेन्द्र मोदी की असली कुंडली और जन्म से लेकर अब तक सभी ग्रहों की चाल, जिससे हम जानेगें मोदी की परेशानियों का कारण व उत्थान का राज़… संभवतः पहली बार…

Narendra Modi ki asli kundali batati hai unki uplabhdiyon ka raaz.

मोदी की कुंडली के अनुसार अधिकां ज्योतिषियों की भविष्यवाणी धरी-की-धरी रह गयी, उसमे से एक मैं भी था। मेरे अनुसार भी जो कुंडली मेरे पास थी और जो प्रचलित है उसके अनुसार राजयोग नहीं बन रहा था, और यदि होता भी तो किसी के समर्थन से ही बन पाता। परन्तु जब परिणाम आये तो मेरी नींद उड़ गयी, नींद इसलिए नहीं उड़ी की मोदी क्यों जीते, बल्कि इसलिए उड़ी की प्रेडिक्शन गलत कैसे हुआ। दिल्ली विधान सभा चुनाव में अरविन्द केजरीवाल के शपथ से पूर्व भविष्यवाणी हो या दिल्ली भाजपा की सीटें, सभी प्रेडिक्शन १०० प्रतिशत सच हुए तो यह इतना गलत क्यों हुआ। कहाँ गलती हुई, फिर सोचा की मोदी की कुंडली और उनका जन्म समय स्वयं मोदी ने तो बताई नहीं, हो सकता है तारीख और वर्ष उनका स्कूल का हो जो पहले अक्सर एक या दो साल आगे या पीछे कर दिया जाता था। इस आधार पर मैंने मोदी की कुंडली तलाशनी शुरू की और सफलता भी मिली, देखें मोदी की असली कुंडली और जन्म से लेकर अब तक का सभी ग्रहों की चाल जिससे हम जानेगें मोदी की परेशानियों का कारण व उत्थान का राज …… संभवतः पहली बार …

मोदी की प्रचलित जन्म की तारीख है, सितम्बर 17, 1950, जन्म समय ११ बजे, मेहसाणा-गुजरात, जिसके अनुसार उनका जन्म लग्न वृश्चिक है और जन्म कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को विष्कुम्भ योग में हुआ है। विष्कुम्भ में जन्मा हुआ जातक कभी इतना उत्थान नहीं कर सकता इसके अलावा जो पहले की कुंडली में संदेह जनक पक्ष है वे हैं -

१. वृश्चिक लग्न में मंगल तो है परन्तु शुन्य अंश का है साथ में नीच का चन्द्रमा है, जिसके चलते रूचक और विष्णु लक्ष्मी योग तो बनते हैं परन्तु बहुत ही कमजोर , कम से कम इतने शक्तिशाली तो नहीं जितने मोदी हैं।

२. वृश्चिक लग्न में दसम भाव का मालिक सूर्य है जो स्वयं एकादश भाव में केतु के साथ ग्रहण योग में बैठा है और दसम भाव में शत्रु के स्थान पर शनि विराजमान है जो कभी भी इतना तगड़ा राजयोग नहीं दे सकता बल्कि हमेशा अवरोध उत्पन्न करेगा। जबकि मोदी का पिछला जीवन देखा जाये तो मोदी निरंतर आगे बढे हैं और कभी भी उनके लिए कोई बड़ी समस्या नहीं खड़ा कर पाया। साथ ही यह भी इतना प्रबल राजयोग नहीं बना सकता जितना मोदी का है।

३. गुरु भी केंद्र में है परन्तु शत्रु स्थान पर है और वक्री भी है, अतः यहाँ गुरु से भी किसी प्रकार का राजयोग नहीं बन पा रहा है।

४. बुध एकादश भाव में कन्या राशि में है परन्तु वक्री है, अतः बुधादित्य योग उतना प्रभावकारी नहीं हो सकता।

५. पंचम में राहु विद्या में बाधक है और उस पर सूर्य - बुध - केतु की दृष्टि से व्यक्ति बहुत नकारात्मक बुद्धि वाला या विध्वंसक विचार का हो जायेगा, अतः यहाँ यह योग भी समझ से परे है।

६. सन १९८५ से लेकर २००५ तक मोदी की शुक्र की महादशा रही है और जब अक्टूबर २००१ में मोदी मुख्यमंत्री बने तो शुक्र में शनि का अंतर था, वृश्चिक लग्न में शुक्र मारकेश है और बुध एवं शनि सहायक, तो उस समय मुख्यमंत्री कैसे बन सकते हैं मोदी?

७. और सबसे बड़ी बात वर्तमान महादशा जो इस समय उनके भाग्येश चन्द्रमा की चल रही है, परन्तु राहु का अंतर है जो भाग्य में ग्रहण योग बना रहा है और शायद इसीलिए सभी विद्वानो ने मोदी की जीत में संदेह व्यक्त किया था जो मैंने भी किया लेकिन खोज किसी ने नहीं की।

इन सभी कारणों को देखते हुए मैंने मोदी से सम्बंधित संभावित समय पर खोज शुरू की और जो मैंने प्राप्त किया उसके अनुसार मोदी के जन्म की तारीख सितम्बर १७, १९४९ है और समय १०.५० मिनट है, अर्थात सबकुछ सही है परन्तु वर्ष एक वर्ष पूर्व है, इस समय के अनुसार जो लग्न है वह तुला है और उसका चार्ट है।

Narendra Modi ki asli kundali batati hai unki uplabhdiyon ka raaz.
आइये अब देखिये इस चार्ट के अनुसार विश्लेषण :

१. लग्न तुला है और तुला में ही शुक्र बैठा है - यह अपने आपमें जबरदस्त रोजयोग कारक है और व्यक्ति को कीचड में पैदा होने के बावजूद राजसिंहासन तक पहुँचाने की क्षमता रखता है और शायद यह बात जो भी ज्योतिष जानते हैं उन्हें बताने की आवश्यकता नहीं कि लग्न में तुला के शुक्र का क्या मतलब होता है।

२. दशम भाव में नीच का मंगल - जिसके कारण पिता के सुख में कमी परन्तु उच्च दृष्टि माँ के स्थान पर अतः माँ की आयु लम्बी और भरपूर आशीर्वाद, साथ ही शत्रुओं को परास्त करने की अद्भुत क्षमता।

३. पराक्रम भाव अर्थात तृतीय भाव में अपनी ही राशि पर बैठा वक्री गुरु - यह भाई - बहनों के सुख को कमजोर करता है परन्तु अदभुत पराक्रम देता है, मोदी के बारे में ये दोनों ही बाते सर्वविदित हैं।

४. राज्येश चन्द्रमा का भाग्य स्थान अर्थात नवम भाव में बैठना - यह एक अद्भुत राजयोग है। साथ ही गुरु और चन्द्रमा का दृष्टि योग जबरदस्त पराक्रम, राज क्षमता, सृजनात्मक विचार इन सबसे व्यक्ति को ओतप्रोत बनता है, और ये सभी गन मोदी में विद्यमान हैं।

५. एकादश भाव में शनि - यहाँ बैठकर शनि लग्न, पंचम, और अष्टम भाव को सीधे देख रहे हैं, अतः देर से विद्या की प्राप्ति, लग्न पर उच्च दृष्टि के कारण निरोगी एवं आध्यात्मिक विचारधारा, दुखी लोगो के प्रति सेवा का भाव ये सभी गुण प्रदान कर रहा है, साथ ही जीवन में अत्यधिक यात्रा और यात्रा के और सेवा के द्वारा लाभ को दर्शाता है, और इन सभी बातों को मोदी के सन्दर्भ में बताने की आवश्यकता नहीं।

६. छठवें भाव में राहु - कम से कम किसी ज्योतिष के विद्वान को इसका अर्थ बताने की आवश्यकता नहीं, शत्रुओं पर जबरदस्त प्रभाव, जिसने भी शत्रुता की वो गया और यही मैंने पहले भी लिखा था की संजय जोशी, केशुभाई पटेल, और शंकर सिंह बाघेला आज नेपथ्य में चले गए हैं और पूरी तरह से मोदी पर आश्रित हैं। वर्तमान में आडवाणी और सुषमा स्वराज को झुकना पड़ा और नितीश, मायावती, मुलायम, अरविन्द केजरीवाल, मणिशंकर अय्यर, सलमान खुर्शीद जैसे न जाने कितने अधिक मोदी का विरोध करने की वजह से राजनैतिक मौत मारे गए।

७. द्वादश भाव में केतु, सूर्य, और बुध - जो स्वयं कन्या यानी कि बुध की अपनी राशि में हैं एक साथ युति कर रहे हैं। ऐसा किसी भी व्यक्ति को जबरदस्त योजनाकार, भ्रमणशील, प्रखर वक्ता, धर्म रक्षक, तथा परोपकारी बनाता है। साथ ही यह योग पुनः किसी भी शत्रु के लिए अत्यंत घातक है। सूर्य शुन्य अंश का और पिता का कारक और ग्रहण योग में होने के कारण पिता के सुख में कमी और पैतृक सम्पत्ति तथा पैतृक स्थान के सुख में भारी कमी को दर्शाता है।

अब करते हैं दशाओं की बात :

मोदी का जन्म इस वर्ष के अनुसार गुरु की महादशा में हुआ, तुला लग्न में गुरु तीसरे और छठे भाव का स्वामी है , मोदी को जन्म से कितना दुःख झेलना पड़ा यह किसी को बताने की आवश्यकता नहीं है।

1965 से - 1984 तक: यह शनि की दशा का समय था, शनि तुला लग्न में योगकारक तो हैं परन्तु राजयोगकारक नहीं। साथ ही सुख भाव(चतुर्थ ) से छठे भाव में बैठे हैं, अतः अत्यंत दुःख, खूब भ्रमण, आध्यात्मिक और नैतिक ज्ञान के साथ जीवन जीने को बाध्य किये, इस दौरान जैसा शनि का गुण है मोदी साधु संतों की सेवा में रहे और लगभग सन्यासी का जीवन यापन किये।

1984 से जुलाई 2001 तक: यह समय जहाँ से मोदी के राजनैतिक जीवन और अच्छे दिन की शुरुवात होती है, बुध इनकी कुंडली में भाग्येश है और अपनी उच्च राशि कन्या में द्वादश में बैठकर राजयोग भी बना रहा है और यही से मोदी के राजयोग की शरुवात हो जाती है।

30 जुलाई 2001 से 30 जुलाई - 2008 तक: केतु की महादशा का प्रारम्भ और मोदी राजयोग शुरू, केतु की महादशा शुरू होने के तुरंत बाद अक्टूबर में मोदी को मुख्यमंत्री की कुर्सी, २००२ में चुनाव और पुनः विजय जब केतु में शुक्र का अंतर आया।

30 जुलाई 2008 से शुक्र की महादशा प्रारम्भ: पुनः मुख्यमंत्री और मजबूती के साथ, दिसंबर २०१२ से शुक्र में राज्येश चन्द्रमा की अंतर दशा जो अभी जुलाई रहेगी , बताने की आवश्यकता नहीं की २०१३ से लेकर अभी तक मोदी कहा पहुंच चुके हैं, क्योंकि मेरे हिसाब से अभी लग्नेश शुक्र और राज्येश चन्द्रमा का समय चल रहा है।

विशेष :

१. वर्तमान में भी तुला पर ही शनि हैं जो उच्च के हैं और जबरदस्त राजयोग बना हैं, मीन में उच्च के शुक्र भी है।

२. मेरे दिए हुए जन्म तारीख अर्थात सितम्बर 17,1949, सुबह 10.50 के अनुसार मोदी का जन्म दिन शनिवार, वरियन योग, कृष्ण पक्ष दशमी तिथि, पुनर्वसु नक्षत्र है, दशमी तिथि जाया तिथि होती है और इन सारे योग में पैदा हुआ व्यक्ति राजा नहीं बनेगा तो कौन बनेगा?

३. सबसे ध्यान देने योग्य बात ये है कि मोदी ने गुजरात और वाराणसी दो जगह से अपना नामांकन दसमी तिथि को ही किया था। १७ और २६ दोनों का हे योग ८ है जो शनि का अंक है, मोदी १७ को शनिवार के दिन ही पैदा हुए हैं।

यह मेरा प्रयास था तथ्यों का, पाठकों और ज्योतिषविदों से अनुरोध है कि अपना विचार रखें और हो सके तो उसे व्यक्त करें।

पं दीपक दूबे
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शुक्र ग्रह का वृषभ राशि में गोचर (जून 18, 2014) - जानिए अपने ऊपर होने वाले प्रभाव

शुक्र जून 18 2014, को वृषभ वृषभ राशि में प्रवेश कर रहा है। क्या आप जानते हैं यह गोचर आपके जीवन में क्या क्या बदलाव लाएगा? आइए इनके बारे में ज़्यादा जानते हैं ‘पं. हनुमान मिश्रा जी’ से।

Vrishabh Raashi mein Shukra ka pravesh aur raashiyon par uska prabhaav.

18 जून 2014 को सायं 05:58 को शुक्र मेष राशि से वृषभ राशि में जा रहा है। शुक्र ग्रह का यह गोचरीय परिवर्तन न केवल महिलाओं के लिए बल्कि सम्पूर्ण देश के लिए राहत देने वाला रहेगा। इससे कला, मनोरंजन आदि क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए अनुकूलता आएगी। इस दौरान रिलीज होने वाली फिल्में भी अच्छी चलेंगी। सोने-चांदी के भाव में तेजी आएगी। महिलाओं की जरूरत के सामान मंहगे होंगे। जिनके दाम्पत्य जीवन में पिछले कुछ महीनों कुछ परेशानियां चल रही हैं वह दूर होंगी। फ़िल्म उद्योग और कास्मेटिक्स उत्पादकों को भी फायदा होने वाला है।

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शुक्र के इस गोचर का विभिन्न राशियों पर क्या असर होगा आइए जानते हैं-

मेष: इस राशि वालों को व्यापार व्यवसाय में अच्छे लाभ मिलेंगे लेकिन साथ ही खुद पर होने वाला खर्च भी बढ़ेगा। यदि आप सौंदर्य प्रसाधनों और दिखावा पसंद चीजों पर होने वाले खर्चों पर नियंत्रण पा सकें तो यह आपके लिए अच्छा रहेगा।

वॄषभ: यात्राओं के योग बनेंगे। अचानक पैसा मिल सकता है। पैतृक व्यवसाय में लाभ मिलेगा। व्यवसाय के संबंध में बाहरी क्षेत्रों से भी लाभ मिलेगा। नौकरी के लिए यह एक अच्छा समय साबित हो सकता है।

मिथुन- शुक्र के इस गोचर के कारण खर्च की अधिकता रह सकती है। इस समय व्यापार में जोखिम भरे निर्णय न लें, अन्यथा नुकसान हो सकता है। ज्यादा मेहनत करेंगे और फल कम मिलेगा। हालांकि दूर की यात्राओं के लिए यह समय अच्छा रहेगा।

कर्क- इस राशि वालों को जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। यात्राओं से सोचे हुए कार्यों में लाभ मिलेगा। प्रॉपर्टी संबंधित कार्य हों या वाहन खरीदना हो, इन सब मामलों में लाभ मिलेगा। साझेदारी से भी धन लाभ हो सकता है।

सिंह- दशमेश शुक्र आपके दशम भाव में रहेगा अत: आपके रुके हुए कामों के पूरे होने के योग मजबूत होंगे। आपके ऋण संबंधित कार्य पूरे होंगे। इस राशि के चिकित्सकों और वकिलों के लिए शुक्र अच्छा फल देने वाला रहेगा।

कन्या- इस राशि वालों के लिए शुक्र का राशि बदलना शुभ फल देने वाला रहेगा। प्रेम विवाह करने के इच्छुक इस राशि के लोगों के लिए समय अनुकूल रहेगा। इस राशि वाले विद्यार्थियों के लिए भी शुक्र अच्छा फल देने वाला रहेगा।

तुला- इस राशि वालों के लिए समय कम अनुकूल है। धन से संबंधित चिंता बनी रहेगी। किसी को पैसा उधार देने से बचें। भूमि, प्रॉपर्टी के कार्यों में निवेश करने से बचें। योजनाएं गुप्त रखें नहीं तो सोचे हुए कार्यों के पूरे परिणाम नहीं मिलेंगे।

वृश्चिक- आपको मेहनत के अनुरूप फल मिलेंगे। मित्रों से सहयोग और प्रसन्नता मिलेगी साथ ही मित्रों की सहायता से आपके कार्य पूरे होंगे। निजी जीवन के लिए समय शुभ फलदायी रहेगा। सोचे हुए नए कार्य होंगे और उनका पूरा परिणाम भी मिलेगा।

धनु- शेयर मार्केट से जुड़े लोगों को बडी समझदारी से काम लेना होगा। इस समय आवश्यकता से अधिक जोश दिखाने से बचें साथ ही वाणी पर नियन्त्रण रखना लाभकारी होगा। घरेलू जीवन पर भी ध्यान देने की आवश्यता बनी रहेगी।

मकर- पंचम भाव में शुक्र का गोचर आपके लिए अच्छे फल देने वाला रहेगा। प्रेम प्रसंग के चलते मन प्रसन्न रहेगा। आर्थिक मामलों में भी समृद्धि आने के योग हैं। यदि नौकरी परिवर्तन करने जा रहे हैं तो नए कार्यक्षेत्र के बारे में भली-भांति जान लेना जरूरी होगा।

कुंभ- आपके लिए समय अनुकूल है लेकिन कुछ खर्चे हो सकते हैं, हांलाकि ये खर्चे सार्थक रहेंगे। जमीन जायदाद या वाहन की प्राप्ति के योग बन रहे हैं, फ़िर भी सावधानी पूर्वक निवेश जरूरी है। यदि समय घरेलू जीवन का आनंद लेने और मनोरंजन करने के लिए शुभ है।

मीन- पराक्रम और आत्मविश्वास में वृद्धि होगी। व्यवसाय के लिए समय बहुत अच्छा रहेगा। किए गए निवेश का पूरा परिणाम आपको मिलेगा। फ़िर भी जल्दबाजी से काम न लेकर संयम से काम लेना ठीक रहेगा और हर काम में सावधानी रखना जरूरी होगा।

पं हनुमान मिश्रा
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साप्ताहिक राशिफल (मई 26 से जून 1, 2014) - यह हफ्ता आपके लिए क्या कहता है?

मेष: यह सप्ताह आपके लिए सामान्यत: अच्छा कहा जाएगा। सप्ताह के शुरुआती दिनों में चन्द्रमा के लग्न पर होने के कारण, आपके स्वभाव में कुछ चंचलता रह सकती है। आप सुख सुविधाओं का लाभ ले पाएंगे। लेकिन यदि आप किसी दूर की यात्रा में जा रहे हैं तो स्वास्थ्य का ख़याल रखना ज़रूरी होगा। हालांकि इस अवधि में आप अपने कामों पर ध्यान देने से नहीं चूकेंगे, फलस्वरूप आपको कामों में सफ़लता मिलेगी। सप्ताह के मध्य में आर्थिक मामलों में सावधानी से काम लेना होगा। अन्य मामलों में अनुकूलता बनी रहेगी। सप्ताहांत में आप मनोरंजन को वरीयता देंगे और अधिक से अधिक समय घर पर बिताना चाहेंगे

सभी राशियों के लिए मई २६ से जून १ तक का साप्ताहिक राशिफल


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वृषभ
: सामान्य तौर पर यह सप्ताह आपके लिए अच्छा रहेगा लेकिन सप्ताह के शुरुआती दिनों में ख़र्चे कुछ अधिक हो सकते हैं। लम्बी दूरी की यात्राओं को करने से पहले सुनिश्चित कर लें कि यह यात्रा कितनी फायदेमंद है। परन्तु यदि आप किसी नौकरी के सिलसिले में विदेश जा रहे हैं तो यह यात्रा शुभ रहेगी। सप्ताह के मध्य में आपको कुछ अच्छे समाचार सुनने को मिलेंगे। लेकिन किसी मामले में आप ज़रूरत से ज्यादा भावुक हो सकते हैं। इस समय आर्थिक मामलों में बड़ी ही सूझ-बूझ के साथ निर्णय करना होगा। वहीं सप्ताहांत में आप आत्मविश्वास से भरे रहेंगे।

मिथुन: सप्ताह के शुरुआत में चन्द्रमा एकादश भाव में स्थित है, अत: लाभ की सम्भावनाएँ मज़बूत रहेंगी। प्रेम संबंधों के लिए समय बढ़िया रहेगा। शिक्षा संबंधी मामलों के लिए भी सप्ताह के शुरुआती दिन शुभ रहेंगे। सप्ताह के मध्य में बेवजह के ख़र्चों पर नियंत्रण पाने की आपको कोशिश करनी होगी। यह समय दूर की यात्राओं के लिए बढ़िया रहेगा लेकिन इस अवधि में कहीं आप व्यर्थ की यात्रा न करें। सप्ताहांत में परिस्थितियाँ आपके पक्ष में होगीं फ़िर भी संयम से काम लेने की आवश्यकता रहेगी। आप आर्थिक मामलों को लेकर बेहतर योजना बना सकते हैं।

कर्क: सप्ताह की शुरुआत आपके लिए अनुकूलता लिए हुए है। आपको अधिकांश कार्यों में सफ़लता मिलेगी। यह समय आपको अच्छा मान सम्मान दिलाने का संकेत कर रहा है। लोग आपके कामों की प्रसंशा करेंगे लेकिन ध्यान इस बात का रखना है कि इस समय कोई ऐसा काम न करें जो आपके मान सम्मान के लिए हानिकारक हो, अत: अच्छे कर्म करते रहें। चन्द्रमा के लाभ भाव में जाते ही आपको लाभ के अच्छे अवसर मिलेंगे, लेकिन अमावस्या के कारण चंद्रमा कमज़ोर रहेगा, अत: कुछ नकारात्मक परिणाम भी मिल सकते हैं। सप्ताह के मध्य में हर मामलें में थोड़ी सी सावधानी ज़रूरी होगी। हालांकि सप्ताहांत आते आते परिस्थितियाँ नियंत्रण में होंगी।

सिंह: सप्ताह की शुरूआत आपके लिए शुभ है। यदि इस समय आप किसी धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेते हैं तो यह काम आपके सुयश को और भी बढ़ाने में मददगार होगा। जैसे ही चन्द्रमा आपके कर्म स्थान पर जाएगा आपको अपने रुके हुए कामों को पूरा करने में मदद करेगा। हो सकता है जिस काम को आप फ़टाफट करने की सोच रहे हों उसमें कुछ देरी हो जाय, लेकिन आपको इससे घबराने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि आपको अपने कर्मों का फल ज़रूर मिलेगा। आपको सामाजिक सम्मान मिलेगा। रुपए पैसों के लिहाज से भी समय शुभ है। सप्ताह के मध्य भाग में आपके काम सफ़ल होंगे। लेकिन सप्ताहांत में आपको थोड़ी सी सावधानी बरतने की आवश्यकता है क्योंकि कुछ अनावश्यक ख़र्चे सामने आ सकते हैं।

कन्या: सप्ताह की शुरुआत अपेक्षाकृत कम ठीक रह सकती है। मन में निराशा के भाव जाग सकते हैं अथवा स्वास्थ्य कुछ कमज़ोर रह सकता है। इस अवधि में आपको यात्रा में भी सावधानी रखनी होगी। वाहन सावधानी से चलाएँ। सप्ताह के मध्य में समस्याएँ काफ़ी हद तक कम हो जाएंगी। यात्राओं में भी सुखद अनुभूति होगी। सप्ताहांत में मेहनत करने पर काम बनेंगे। लाभ के अवसर मज़बूत होंगे। मन प्रसन्न रहेगा।

तुला: यह सप्ताह आपको मिले जुले फल देने वाला रहेगा। शुरुआती दिनों में निजी जीवन में बहुत ही सावधानी से काम लेना होगा। अपने थोड़े से प्रयास से, आप इन दिनों को अपने निजी संबंधों के लिए बहुत अनुकूल बना पाएंगे। लेकिन प्रयास न करने की स्थिति में जीवन साथी या प्रेम पात्र के साथ कुछ मन मुटाव भी हो सकता है। सप्ताह के मध्य में स्वास्थ्य कम अनुकूल रह सकता है, अत: संयमित दिनचर्या अपनाएँ। सुपाच्य भोजन ही करें। हालांकि सप्ताहांत में चीजें बेहतर होने लगेंगी, समस्याएँ दूर हो जाएंगी और आप अपने काम में मन लगाकर लग जाएंगे।

वृश्चिक: इस सप्ताह की शुरुआत में चन्द्रमा आपके छठे भाव में स्थित है लेकिन शनि से दृष्ट है, अत: कभी तो आप उत्साहित होंगे लेकिन शीध्र ही मन में निराशा के भाव भी उत्पन्न हो सकते हैं। अपना उत्साह बनाए रखें, उसी स्थिति में काम बनेंगे। बेहतर होगा विरोधियों के साथ संयम से निबटें। सप्ताह मध्य में घरेलू मामलों में सावधानी से काम लें। वाहन सावधानी से चलाएं। सप्ताहांत में किसी धार्मिक कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं अथवा किसी धार्मिक यात्रा पर जा सकते हैं।

धनु: सप्ताह का अधिकांश भाग आपके लिए अनुकूल रहेगा। वैसे सप्ताह की शुरुआत सम्भत: प्रेम प्रसंग में अनुकूलता लाने वाली रहेगी। फिर भी कोई मतभेद ना हो इस बात का ख़याल रखना होगा। प्यार में थोड़ी बहुत नोक झोक होती रहती है पर इसे लड़ाई का रूप देने से बचें। हालांकि सप्ताह मध्य में आपकी मेहनत का फल मिल जाएगा। आप अपने विरोधियों से मुकाबला करने में सफ़ल रहेंगे। लेकिन निराशा से बचना होगा। सप्ताहांत में जीवनसाथी या साझेदार से उलझना ठीक नहीं रहेगा और परिस्थितियों से बुद्धिमत्ता पूर्ण तरीके से निबटना ही सही रहेगा।

मकर:  सप्ताह के शुरुआती दिनों में आप थोड़े से मूडी रह सकते हैं। किसी बात को लेकर मन में गुस्सा रहेगा। हालांकि, ऐसे में भी आप अपने किसी अज़ीज़ पर जी भरकर प्यार लुटाने के मूड में रहेंगे। सप्ताह मध्य में संतान और शिक्षा से जुड़े मामलों को लेकर कुछ चिंताएँ रह सकती हैं। इस समय आपको खान पान पर भी संयम रखना होगा, अन्यथा अपच या गैस की शिकायत रह सकती है। हालांकि सप्ताहांत में आप फिर से अपने पुराने रूप में वापस आ जाएंगे और जीवन में खुशहाली का अनुभव करेंगे।

कुम्भ:  इस सप्ताह के आरम्भिक दिन आपके लिए अनुकूल हैं। चंद्रमा तीसरे भाव में हैं जो आपके भीतर एक बेहतर उत्साह भरेगा। फलस्वरूप आप अपने कामों को बेहतर ढ़ंग से अंजाम दे पाएंगे। बहुत सम्भव है कि इस समय आप अपने स्वास्थ को बेहतर बनाने को लेकर चिंतन करेंगे। सप्ताह के मध्य भाग में आप घर गृहस्ती को लेकर चिंतित रह सकते हैं। यह समय कुछ तनाव देने वाला भी रह सकता है, अत: संयम की आवश्यकता रहेगी। हालांकि सप्ताहांत में आपकी चिंताएँ सकारात्मक रूप लेंगी और प्रेम संबंध, संतान या शिक्षा के संदर्भ में कुछ बेहतर ख़बर सुनने को मिलेगी। आपकी मेहनत का फल आपको मिल जाएगा।

मीन: यह सप्ताह आपके लिए मिला जुला रहेगा, लेकिन वाणी पर संयम बहुत ज़रूरी है। आपकी भाषा कुछ आक्रामक हो सकती हैं, अत: जिनसे आपके कुछ ज़रूरी काम हों कम से कम उनसे बड़े ही शालीनता से बात करनी होगी। यद्यपि इस समय आमदनी निरंतर बनी हुई है लेकिन ख़र्चों पर नियंत्रण रखना तो ज़रूरी ही रहेगा। सप्ताह का मध्य भाग आपके लिए अनुकूल रहेगा, इस समय आपमें एक बेहतर उत्साह देखा जा सकता है। आप अपने कामों को बेहतर ढ़ंग से अंजाम दे पाएंगे। सप्ताहांत में आपके मन में कुछ चिंताएँ रह सकती हैं लेकिन कुछ लाभदायक यात्राएँ हो सकती हैं।

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सूर्य का मिथुन राशि में गोचर (जून 15, 2014) - क्या होंगे आप पर इसके प्रभाव

सूर्य जून 15 2014, को मिथुन राशि में प्रवेश कर रहा है। सूर्य का यह गोचर आपके जीवन पर कोई न कोई प्रभाव डालने वाला होगा। कैसे होंगे यह प्रभाव? इनके बारे में ज़्यादा जानते हैं पं हनुमान मिश्रा जी से।

Mithun Raashi mein Surya ka pravesh aur raashiyon par uska prabhaav.

15 जून 2014 की सुबह 11:02 पर सूर्य मिथुन राशि में जा रहे हैं और 16 जुलाई 2014 तक मिथुन राशि में ही रहेंगे। सूर्य के इस गोचर के प्रभाव से भारत के उत्तर और पूर्व के राज्यों में राजनैतिक उथल पुथल देखने को मिल सकती है, विशेष कर उत्तर प्रदेश और बिहार अधिक प्रभावी रह सकते हैं। वहीं दक्षिणी राज्यों में बच्चों को कष्ट और कुछ विवादास्पद स्थितियां देखने को मिल सकती हैं। पश्चिमी राज्यों में शांति रहने की उम्मीद है। इसका विभिन्न राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा आइए जानते हैं -
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सूर्य के इस गोचर का विभिन्न राशियों पर क्या असर होगा आइए जानते हैं-

मेष: सूर्य आपके तीसरे भाव में रहेगा, अत: आपके घरेलू जीवन में सुख शांति रहने की उम्मीद है। बड़े दिनों से आप जिन कामों को पूरा नहीं कर पा रहे थे शायद आपकी लगन और मेहनत की वजह से वो काम अब पूरे हो जाएँ। धन लाभ के समाचार प्राप्त करेंगे। पारिवारिक मित्रों और रिश्तेदारों से सामाजिक संबंध और अच्छे होंगे। इस काल में स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। घूमने के मौके मिलेंगे। छोटी यात्राएं भाग्यशाली सिद्ध होंगी और सुखद रहेंगी।

वृषभ: सूर्य आपके दूसरे भाव में रहेगा, अत: आर्थिक मामलों के लिए समय अनुकूल नहीं है। इसलिए धन संबंधी मामलों में काफी सचेत रहने की आवश्यकता है। पारिवारिक जीवन भी प्रभावित रह सकता है। आंखों और मुंह की कोई बीमारी आपको कष्ट दे सकती है। इस समय वाणी पर विशेष संयम रखने की आवश्यकता बनी रहेगी।

मिथुन: सूर्य आपके प्रथम भाव में रहेगा, अत: आपमें क्रोध की अधिकता रह सकती है। बुखार या तापमान से सम्बंधित कोई कष्ट आपको मिल सकता है लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र या सरकार के द्वारा आपको लाभ मिल सकता है। छोटी यात्राएं हो सकती हैं। यदि आपने मेहनत की है तो सफ़लता जरूर मिलेगी। सामाजिक संस्थानों को आप खुलकर दान देंगे। फलस्वरूप आपके मान सम्मान में इजाफ़ा होगा।

कर्क: सूर्य आपके द्वादस भाव में है, अत: खर्चे बढ़े रहेंगे। आप क्षणिक उन्माद में कोई काम न करें। क्योंकि गलत निर्णय के कारण आपका नुकसान भी हो सकता है। व्यापार में समझदारी से काम न लेने की स्थिति में नुकसान हो सकता है। अत: संयम और समझदारी से काम लेते रहें। मित्रों और रिश्तेदारों से संबंध मधुर रखें, अन्यथा आपस में तनाव पैदा हो सकता है। सट्टेबाजी जैसे कामों से भी बचें अन्यथा आर्थिक हानि उठानी पड़ सकती है। यथा संभव दूर की यात्राओं से बचें।

सिंह: सूर्य आपके लाभ भाव में है, अत: आपकी इच्छाएं व महत्वाकांक्षायें पूरी होंगी। बड़े लोगों और उच्चाधिकारियों से आपके संबंध मजबूत होंगे। आप मित्रों और रिश्तेदारों से सहायता पायेंगे। आमदनी में अच्छी खासी वृद्धि होगी। लम्बी यात्राएं सुखद व सफलदायक सिद्ध होगी। इस समय के सौदे सफलदायक सिद्ध होंगे। अनुबन्धों और समझौतों से आपको प्रचुर लाभ मिलेगा। प्रेम एवम् प्रणय संबंधों के लिये भी यह एक श्रेष्ठ समय है लेकिन क्रोध से बचना जरूरी होगा।

कन्या: सूर्य का गोचर आपके दसम भाव में है, अत: सब लिहाज से यह समय काफी संतोषप्रद सिद्ध होगा। यह गोचर न केवल आपके मान सम्मान में बढो़त्तरी करवा सकता है अपितु आर्थिक समस्याओं से छुटकारा भी दिला सकता है। इस अवधि में आप व्यापार या नौकरी में सफलता प्राप्त करेंगे और अपने वरिष्ठ अधिकारियों के कृपाभाजन रहेंगे। व्यापार के कारण सफलदायक यात्राएं करेंगे। इस अवधि में आप बहुत क्रियाशील एवम् व्यस्त भी रहेंगे। यह समय आपकी कर्मठता का समय सिद्ध होगा।

तुला: सूर्य आपके नवम भाव में है अत: इस अवधि में मिले जुले फल मिलेंगे। धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थलों का भ्रमण करेंगे। उच्च पद प्रतिष्ठा प्राप्त लोगों से भेंट होगी और उनकी कृपा रहेगी। साख अच्छी रहने से काम भी खूब मिलेगा। रूपये पैसे के लिहाज से भी यह समय अच्छा है। लेकिन लम्बी यात्राएं सफलदायक नहीं रहेंगी। माता पिता का स्वाथ्य कमजोर रह सकता है। अत: विशेषकर पिताजी के स्वास्थ्य का खयाल जरूरी होगा।

वृश्चिक: सूर्य आपके अष्टम भाव में है, यह गोचर की अच्छी स्थिति नहीं मानी गई है, अत: अचानक समस्यायें खड़ी हो सकतीं हैं। इस समय वाहन आदि चलाते समय विशेष सावधानी जरूरी होगी। स्वास्थ्य का ख्याल रखें। संबंधियों से व्यवहार अच्छा रखें। अनैतिक कार्यों तथा सन्देहास्पद सौदों से बचें। महत्वपूर्ण कागजों पर दस्तखत करने से पहले कागज अच्छी तरह पढें।

धनु: सूर्य आपके सप्तम भाव में है, यहां पर सूर्य के गोचर को अच्छा नहीं माना गया है। यह आपके दैनिक रोजगार और दाम्पत्य जीवन का भाव है। अत: घरेलू मामले विशेषकर जीवन साथी के साथ विवाद करने से बचें। इस समय कड़ी मेहनत का अच्छा फल नहीं मिलेगा। व्यवसायिक या व्यापार के साथी नुकसान करेंगे अथवा आपके लिये समस्यायें पैदा कर देंगे। आप मानसिक रूप से तनावग्रस्त या बीमार भी हो सकते हैं। अत: स्वास्थ्य का खयाल रखें।

मकर: सूर्य का गोचर आपके छठे भाव में है अत: इस अवधि में आप जो भी करेंगे उसमें सफल रहेंगें। विवादों में विजय मिलेगी। काम सफल होगा और नौकरी करने के हालातों में सुधार भी होगा। प्रतिष्ठा एवम् पद वृद्धि की संभावना है। आपको मान्यता मिलेगी और पदोन्नति भी। सम्मान एवम् साख भी प्राप्त करेंगे। समस्याओं का समाधान होता रहेगा। यद्यपि सभी हिसाब से यह एक सफलतादायक समय रहेगा फिर भी अदालती मामलों के लिए तो विशेषकर अच्छा रहेगा।

कुम्भ: सूर्य का गोचर आपके पंचम भाव में है, यहां पर सूर्य के गोचर को बहुत अच्छा नहीं माना गया है अत: इस अवधि में आप जीवन का बड़े उत्साह और उल्लास से स्वागत तो करेंगे लेकिन प्रणय प्रेम संबंधों के लिये यह समय श्रेयस्कर नहीं है। लेकिन यदि आप अपने प्रेम संबंध को विवाह का स्वरूप देना चाह रहे हैं तो समय आपके लिए मददगार हो सकता है। अचानक यात्रा की संभावना भी हो सकती है। बहुत अधिक सोच विचार हानिकर हो सकता है इसलिये इससे बचें।

मीन: सूर्य का गोचर इस समय आपके चौथे भाव में है, अत: माता पिता का स्वास्थ्य आपको चिन्ता ग्रस्त रख सकता है। अत: इस समय विशेषकर माता जी के स्वास्थ्य का खयाल जरूरी होगा। इस अवधि में आपको मेहनत करनी पड़ेगी, जो आप कर नहीं पायेंगे। लगातार किया गया कड़ा परिश्रम आपको जल्दी थका सकता है। इस समय आपको चाहिए कि वाहन बहुत तेजी से न चलाएं।

पं हनुमान मिश्रा
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2 मिनट ज्योतिष कोर्स - राजयोग भंग (भाग १४ )

आएँ, सीखें ज्योतिष सिर्फ़ २ मिनट में ज्योतिषी पुनीत पाण्डे के साथ। अब आप आसानी से ज्योतिष के बारे में बहुत कुछ सीख सकते हैं, हमारी 2 मिनट ज्योतिष कोर्स की शृंखला द्वारा । आज हम जिस विषय की चर्चा करेंगे वो है ‘राजयोग भंग ’

आप इस पाठ की वीडियो नीचे देख सकते हैं-

ज्योतिष सीखें, ज्योतिष सीखें २ मिनट में

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नमस्‍कार। एस्‍ट्रोसेज के दो मिनट के ज्‍योतिष कोर्स में आपका स्‍वागत है। अक्‍सर लोग यह कहते हैं कि इतने सारे राजयोग कुण्‍डली में होने के बाद भी मनुष्‍य इतना परेशान क्‍यों है? महापुरुष और गज केसरी योग होने के बावजूद, मनुष्‍य को खाने के लाले क्‍यों पड रहें हैं? बहुत सारे ज्‍योतिषी राजयोग भंग के नियमों के बारे में नहीं जानते और फिर कहते हैं कि राजयोग कुछ नहीं होते। आज मैं उन महत्‍वपूर्ण नियमों के बारे में आपको बताता हूँ जिससे पता चलता है कि कब राजयोग का फल नहीं मिलेगा। राजयोग भंग के ये नियम मैनें वर्षों के अनुभव से जाने हैं। ये बहुत बहुत महत्‍वपूर्ण हैं इसलिए इन्‍हें ध्‍यान से सुनें।

राजयोग के फल न मिलने का मुख्‍य कारण होता है, राजयोग बनाने वाले ग्रह का कमजोर होना। ग्रह कि ताकत जानने के लिए मैंनें 15 नियम पहले बताये थे। उसके अलावा पांच अन्‍य कारणों से राजयोग भंग होता है उन्हें आज बताता हूँ।

पहला, राशि स्‍वामी ग्रह यानि डिपोजिटर
: अगर राजयोग बनाने वाला ग्रह जिस राशि में बैठा है उसका राशि स्‍वामी बहुत कमजोर है। इसके बारे में मैनें पिछले एपीसोड राजयोग रहस्‍य में विस्‍तार से बताया है।

दूसरा, दृष्टि
: यानि कि अगर राजयोग बनाने वाला ग्रह पाप ग्रह खासकर मंगल या शनि की दृष्टि से देखा जा रहा है।

तीसरा, संधि
: यानि कि राजयोग बनाने वाला ग्रह दो राशियों कि संधि पर है। संधि यानि वह जगह जहां एक राशि खत्‍म होती है और दूसरी शुरु। अगर राशि और नक्षत्र दोनों की संधि हो यानि कि ग्रह 120 डिग्री, 240 डिग्री, या 360 डिग्री के पास हो तो उसे गण्‍डान्‍त भी कहते हैं। ऐसी स्थिति में ग्रह बहुत ही कमजोर हो जाता है और राजयोग का फल नहीं दे सकता।

चौथा, नवमांश बल
: खासकर नवमांश में ग्रह का नीच होना।

पांचवा, कुण्‍डली कि शक्ति: इसके बारे में "सफलता और समृद्धि के योग" वाले एपीसोड में बता चुका हूँ। संक्षेप में अगर लग्‍न और चंद्र बहुत कमजोर होंगे तो किसी राजयोग का कोई फल नहीं मिल सकता।

आशा है इस एपीसोड से आप ज्‍योतिष के कई रहस्‍यों को जान गए होंगे। नमस्‍कार।

पुनीत पाण्डे

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नया एस्ट्रोलॉजी क्विज - जीतिए ईनाम और बनिए ज्योतिष के शहंशाह

नया एस्ट्रोसेज एस्ट्रोलॉजी क्विज एक बार फिर आ गया है आपके लिए, एस्ट्रोसेज एस्ट्रोलॉजी क्विज 15 के रूप मेंI अपनी ज्योतिषीय क्षमताओं को परखें और हाँ, एस्ट्रोलॉजी क्विज १४ का जवाब देखना भी ना भूलें




एस्ट्रोसेज ज्योतिष प्रश्नोत्तरी अपने अगले चरण की ओर अग्रसर हो चुकी है। आज एस्ट्रोसेज ज्योतिषप्रश्नोत्तरी संख्या 15 आपके समक्ष है। 

एस्ट्रोसेज ज्योतिष प्रश्नोत्तरी संख्या 15 का प्रश्न यह है:-

21 नवम्बर 2013 को जातिका ने पहली बार जॉब ज्वाइन की, यह जॉब किस क्षेत्र से सम्बंधित हो सकती है? कारण सहित बताएं!!

उत्तर विकल्प:

  • A) बैंक
  • B) शिक्षण संस्थान
  • C) कॉल सेंटर
  • D) अस्पताल

जन्म विवरण:

  • लिंग: स्त्री
  • जन्म तिथि: 10 नवंबर 1990
  • जन्म समय: 13:50
  • जन्म स्थान: डभौरा, मध्य प्रदेश, भारत
  • देशांतर: 81:19 पूर्व
  • अक्षांश: 25:09 उत्तर

जातिका के जन्म विवरण से सम्बंधित सम्पूर्ण जानकारी आप यहां से प्राप्त कर सकते हैं - AstroSage Astrology Quiz 15 Question

कृपया भाग लेने से पहले, 'हमारे नियम और शर्तों ' को अच्छी तरह से (प्रश्न के अंत में उल्लेख किया है) पढ़ लें। कारण सहित दिए गए सही उत्तर वाले व्यक्ति को विजेता के रूप में विचार किया जाएगा और उन में से किसी एक को एस्ट्रोसेज के द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा।

सभी विजेताओं के नाम AstroSage Hall Of Fame में पंजीकृत हैं !

आइए अब हमारी पिछली प्रश्नोत्तरी के बारे में बात कर ली जाय। 

एस्ट्रोसेज ज्योतिष प्रश्नोत्तरी 14 का प्रश्न था: 2007 के आस पास से जातक एक बीमारी से ग्रस्त है, वह कौन सी बीमारी हो सकती है? ज्योतिषीय कारण सहित बताएं!!

उत्तर विकल्प:

(A) पीठ दर्द
(B) लीवर की खराबी
(C) गुप्त रोग
(D) रक्त चाप

सही उत्तर: (C) गुप्त रोग (यौन समस्या)

विजेताओं के नाम और कारण सहित उत्तर जानने के लिए यहां क्लिक करें- AstroSage Astrology Quiz 14 Result.

हम हर महीने के विजेताओं के नाम को अपने AstroSage Online Astrologer Directory में प्रमुखता देते हैं। जिससे यदि आपको इंटरनेट की दुनिया न केवल वरीयता मिलती है बल्कि लोग आपको आसानी से खोज पाते हैं।
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मंगल कन्या राशि में - जानिए अपने ऊपर होने वाले प्रभाव

मई २०, २०१४ को मंगल ग्रह कन्या राशि में मार्गी हो रहे है। मंगल का मार्गी होना सबके जीवन पर कुछ न कुछ प्रभाव डालने वाला होगा। यह प्रभाव किस प्रकार के होंगे, आइये जानते है पंडित श्री दीपक दूबे जी से

मंगल का मार्गी होना अलग अलग परिणाम देने वाला होगाI

२० मई, २०१४ को प्रातः ६.३७ मिनट पर (दिल्ली के समयानुसार) मंगलकन्या राशि में मार्गी हो रहे हैं। अपनी राशियों मेष, वृश्चिक और अपनी उच्च राशि मकर के अलावा मंगल की उपस्थिति या दृष्टि नुकसान दायक ही होती है। मित्र राशियों जैसे बृहस्पति और सूर्य की राशि पर भी उतना बुरा प्रभाव नहीं पड़ता, बल्कि यदि इनके स्वामियों के साथ दृष्टि हो तो प्रभाव अच्छा ही पड़ेगा। चन्द्रमा के साथ भी मंगल के प्रभाव में शुभता आ जाती है, परन्तु शनि, राहु, और केतु के साथ या एक साथ दृष्टि काफी नुकसानदायक और मारक हो जाती है। विशेषकर यदि किसी राशि पर एक साथ सूर्य, केतु, और मंगल का प्रभाव पड़ जाये तो। जातक का लग्न यदि मंगल की शत्रु राशि हो और यह दृष्टि या योग अष्टम पर पड़ जाये या लग्न पर पड़ जाये, केतु या मंगल की दशा भी हो तो यह अत्यंत खतरनाक स्थिति हो सकती है।

परन्तु मंगल केवल खतरनाक हो ऐसा भी नहीं है, मंगल का स्वभाव थोड़ी उग्रता भरा है अतः यह जातक के पराक्रम और आत्म बल में भी अप्रत्याशित वृद्धि करता है। वृद्धि सकारात्मक होगी या नकारात्मक यह मंगल के साथ अन्य ग्रहों की दृष्टि और युति पर निर्भर करता है। जैसे मंगल के साथ यदि बृहस्पति, चन्द्रमा, या सूर्य हो तो यह वृद्धि अत्यंत सकारात्मक होगी, विशेषकर बृहस्पति और चन्द्रमा के साथ, परन्तु यदि यह युति राहु के साथ हो जाये तो यह आत्मबल और पराक्रम अत्यंत ही नकारात्मक दिशा में कार्य करने वाला हो जायेगा।

आइये देखते है मंगल के कन्या राशि में मार्गी होने का विभिन्न लग्न के जातकों पर क्या होगा प्रभाव -

मेष: मंगल का मार्गी होना मेष लग्न वालों के लिए अच्छा नहीं होगा। जातक के कार्यों में रुकावट, स्वास्थय की समस्या, घटना दुर्घटना का योग, कर्ज की स्थिति तथा आगे बढ़ने के लिए अत्यधिक संघर्ष करना पड़ेगा। परन्तु मेष लग्न में मंगल अष्टमेष भी है जो छठे भाव में जाने के कारण विमल नामक राजयोग भी बनाता है। मंगल का मार्गी होना सभी परेशानियों के बावजूद भौतिक सुखो में वृद्धि करेगा।

वृषभ: वृषभ लग्न में कन्या का मंगल पंचम भाव में होगा जो जातक के बुद्धि बल को अत्यंत तीव्र करेगा, परीक्षा प्रतियोगिता में लाभ करायेगा, बुद्धि के बल पर धन अर्जित होगा। यदि व्यवसाय में हैं तो नए कार्य के अवसर मिल सकते है, शत्रु परास्त होंगे, रोग से निजात मिलेगा, परन्तु किसी स्त्री से हानि या भय हो सकता है।

मिथुन: मंगल का मार्गी होना मिथुन लग्न के जातकों के लिए अत्यधिक लाभ की स्थिति पैदा करेगा। शत्रुओं के लिए यह मंगल अत्यंत घातक साबित होगा विशेषकर यदि मंगल की ही दशा भी हो। परिवार और सगे संबंधियों के लिए जातक अत्यंत सहयोगी साबित होगा, व्यापर में लाभ तथा नए कार्य की सम्भावना बनेगी। माता के लिए थोड़ा कष्टकारक हो सकता है।

कर्क: कर्क लग्न के जातक जो सामान्यतया सौम्य होते है थोड़े दुःसाहसी हो सकते हैं। इस समय भाई बहनो से मनमुटाव हो सकता है अतः वाणी पर नियंत्रण आवश्यक है। संतान पर धन खर्च हो सकता है, नौकरी या व्यापर में सफलता तो मिलेगी परन्तु परिश्रम अधिक करना पड़ सकता है। किसी स्त्री के कारण भाग्य प्रबल हो सकता है, पिता और राज्य पक्ष का भरपूर सहयोग मिलेगा।

सिंह: भाग्य में जबरदस्त वृद्धि होगी, पूरे समय भाग्य का भरपूर साथ रहेगा। शत्रु परास्त होंगे, परन्तु संतान पक्ष से थोड़ी चिंता हो सकती है। यदि पढाई के क्षेत्र में हैं तो सफलता मिलने में समस्या आ सकती है। ज़मीन - जायदाद सम्बन्धी मामलो में सफलता मिलेगी, यदि मंगल की दशा या अंतर दशा हो तो और जन्म समय में मंगल अच्छे स्थान में हो तो सिंह लग्न के जातको के लिए यह समय काफी बेहतर साबित होगा।

कन्या: कन्या लग्न के जातकों के लिए यह परिवर्तन बहुत अच्छा नहीं है, नकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होगी। विपरीत लिंगियों के प्रति आकर्षण अत्यधिक बढ़ेगा, कामुकता चरम पर हो सकती है। स्वभाव में उग्रता, जिद्द और झगडे - झंझट की सम्भावना बढ़ेगी, माता पिता के सुख में कमी या किसी के बीमार पड़ने की सम्भावना होगी। मंगल की यह स्थिति केवल ज़मीन - जायदाद के मामलो में अच्छी साबित होगी। अपनी उग्रता और कामुकता पर नियंत्रण रखें, विशेषकर यदि राहु की दशा अंतर-प्रत्यंतर हो तो प्रतिष्ठा को हानी हो सकती है।

तुला: तुला लग्न के जातकों के लिए भी मंगल का यह परिवर्तन अच्छा साबित नहीं होगा, धन और कार्य क्षेत्र में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। यदि विवाहित हैं तो पत्नी / पति से विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है, प्रेम सम्बन्ध में हैं तो टूटने की सम्भावना बढ़ेगी, अतः अपनी उग्रता, वाणी, और जिद्द पर नियंत्रण रखें। इस समय यदि समझौता वादी रहंगे तो अच्छा रहेगा। किसी भी गलत कार्य से बचें अन्यथा अत्यधिक हानि उठानी पड़ सकती है।

वृश्चिक: वृश्चिक लग्न वालों के लिए यह काफी सुखद स्थिति हो सकती है, धन - पद - प्रतिष्ठा में वृद्धि, शत्रुओं को जबरदस्त हानि, कर्ज यदि है तो मुक्ति की पूरी सम्भावना, आय में वृद्धि। पराक्रम और पुरषार्थ चरम पर होगा, काम में मन लगेगा, इस दौरान आय के स्रोत भी एक से अधिक हो सकते हैं। वृश्चिक लग्न के लिए संतान पक्ष से थोड़ी परेशानी हो सकती है विशेषकर संतान यदि पुत्र है तो उसके कारन मानसिक चिंता बढ़ सकती है।

धनु: राजनैतिक और सामाजिक क्षेत्रों में कार्य के लिए यह बहुत अच्छी स्थिति है, पद और प्रतिष्ठा में प्रचुर वृद्धि का योग बनेगा। संतान पक्ष से भी शुभ समाचार, जमीं जायदाद के मामलो में सफलता, राज पक्ष से मान - सम्मान, भौतिक सुखों में वृद्धि, परिश्रम का लाभ, तो कुल मिलाकर धनु लग्न के जातको के लिए कन्या में मार्गी हुआ मंगल सुखद है।

मकर: मकर लग्न के जातकों के लिए भाग्य स्थान में मार्गी हुआ मंगल जहाँ राज पक्ष, सामाजिक पक्ष से सम्मान और फायदा दिलाने वाला होगा, वहीं भाई - बहनो तथा माता-पिता से अनबन, मित्रों से भी विवाद की स्थिति उत्पन्न करेगा। शत्रुओं के लिए यह स्थिति अच्छी नहीं है, चालाकी और चतुराई में खूब वृद्धि होगी, अर्थात जातक बुद्धि बल पर कार्य में सफलता प्राप्त करेगा। जमीन - जायदाद का रुका हुआ कार्य अवश्य बनेगा या नयी संपत्ति का भी योग बन सकता है।

कुम्भ: बहुत संभलने की आवश्यकता होगी १३ जुलाई तक, हर जगह नुकसान की सम्भावना बनेगी। आपके व्यवहार के कारण आपको अत्यधिक हानि उठानी पड़ सकती है, भाई - बहन, मित्र, सहकर्मी अर्थात हर जगह मनमुटाव या झगड़ा होने की सम्भावना बहुत ज़्यादा होगी। कार्य व्यापर में हानि उठानी पड़ सकती है अतः सावधानी अपेक्षित है, कोर्ट - कचहरी के मामलो से जितना बचा सके उतना अच्छा।

मीन: अच्छी और सुखद स्थिति बनाएगा मार्गी मंगल, राजनीती, समाज, कार्य, व्यापार, धन इत्यादि के मामलों में आशातीत सफलता मिलेगी, ससुराल पक्ष से भी लाभ मिल सकता है या कोई जबरदस्त सहयोग मिल सकता है, पिता और राज्य से भी सहयोग मिलेगा। विपरीत सेक्स के प्रति अत्यधिक रुझान बढ़ेगा, विपरीत लिंग से नए सम्बन्ध बन सकते हैं, यदि राहु का प्रभाव वर्तमान में हो तो कामुकता पर नियंत्रण रखना बेहतर होगा अन्यथा प्रतिष्ठा को हानि हो सकती है।

विशेष: ऊपर लिखी भविष्वाणी सामान्य आधार पर की गयी है, आपकी अपनी कुंडली पर मंगल का प्रभाव कितना अधिक या कम होगा, यह दशा, अंतर - दशा और जन्म लग्न में बैठे मंगल की स्थिति और युति पर भी निर्भर करेगा। जन्म के समय भी मंगल ख़राब है और वर्तमान समय में भी यदि ख़राब बताया जा रहा है साथ ही दशा भी ठीक न हो तो अत्यधिक सावधानी बरतें। कुम्भ लग्न के जातक हानि से बचने के लिए महामृत्युंजय, रुद्रगायत्री, रुद्राभिषेक या वनदुर्गा के अनुष्ठान या जप का सहारा लें।

ॐ नमः शिवाय

ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे
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साप्ताहिक राशिफल (19 मई से 25 मई 2014)

Saptahik Rashifal of Vrishabhaमेष: सप्ताह की शुरुआत आपके लिए अनुकूलता लिए हुए है। आपको अधिकांश कार्यों में सफलता मिलेगी। लोग आपके कामों की प्रशंसा करेंगे। वरिष्ठों का सहयोग मिलेगा। सप्ताह के मध्य में हर मामले में थोड़ी सी सावधानी ज़रूरी होगी। हालांकि सप्ताहांत आते आते परिस्थितियाँ नियंत्रण में होंगी।

वृषभ: सप्ताह की शुरूआत आपके लिए शुभ है। इस समय आप धर्म या समाज के लिए समय निकालेंगे। रुपए पैसों के लिहाज़ से भी समय शुभ है। सप्ताह के मध्य भाग में लोग आपका फ़ेवर करेंगे और आपके काम सफ़ल होंगे। लेकिन सप्ताहांत में कुछ अनावश्यक ख़र्चे सामने आ सकते हैं। अत: सावधानी रखें।

मिथुन: सप्ताह की शुरुआत आपके लिए अधिक अनुकूल नहीं रहेगी। इस समय आपके कम्प्यूटर या लैपटाप में कुछ ख़राबी आ सकती है। उचित खान पान करें अन्यथा स्वास्थ्य ख़राब हो सकता है। सप्ताह का मध्य भाग आपके लिए काफ़ी अनुकूल रहेगा। आप किसी दूर की यात्रा पर जा सकते हैं। कामों में सफलता मिलेगी। सप्ताहांत में लाभ के अवसर मज़बूत होंगे।

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कर्क: यह सप्ताह आपको मिले जुले फल देने वाला रहेगा। इस समय आपकी लव लाइफ़ या फिर मैरिड लाइफ़ में कुछ परेशानियाँ रह सकती हैं। यदि अपने प्रेम पात्र के साथ कहीं घूमने फिरने का मौका मिले तो ज़रूर जाएँ। सप्ताह का मध्य भाग आपेक्षाकृत बेहतर रहेगा। मामलों में सुधार होगा जबकि सप्ताहांत बहुत अच्छे परिणाम देने वाला रहेगा।

सिंह: इस सप्ताह की शुरुआत में आप उत्साह से भरे रहेंगे। सुख सुविधाओं की वृद्धि होगी। आपकी योजनाएँ सफल होंगी। जीवन साथी या मित्रों के साथ आनंददायी समय बिताने के अवसर मिलेंगे। सप्ताह मध्य में घरेलू मामलों में सावधानी से काम लें। सप्ताहांत में मूड सही करने के लिए फ़िल्म देखना या फ़िर कोई किताब पढ़ना ठीक रहेगा।

कन्या: सप्ताह का अधिकांश भाग आपके लिए अनुकूल रहेगा लेकिन सप्ताह की शुरुआत में आप अपनी या संतान की शिक्षा को लेकर चिंतित रह सकते हैं। हालांकि सप्ताह मध्य में आपकी मेहनत रंग लाएगी। आप जीवन साथी या प्रेम पात्र के साथ आनंददायी समय बिताएंगे। लेकिन सप्ताहांत में कुछ विवादास्पद घटनाक्रम सामने आ सकते हैं।

तुला: सप्ताह का प्रथम भाग आपके लिए अधिक अनुकूल नहीं रहेगा। इस समय आप कुछ घरेलू सामान ख़रीदने को लेकर परेशान रह सकते हैं। आप दूसरों की मदद करने की सोच सकते हैं। सप्ताह का मध्य भाग आपके लिए काफ़ी अच्छा रहेगा। कामों में सफलता मिलेगी। वहीं सप्ताहांत भी अच्छा रहेगा। पार्टनर के साथ आनंददायी समय बीतेगा।

वृश्चिक: इस सप्ताह के आरम्भिक दिन आपके लिए अनुकूल हैं। इस समय आप अपने स्वास्थ को बेहतर बनाने को लेकर चिंतन करेंगे। वहीं सप्ताह के मध्य भाग में आप घर गृहस्थी को लेकर चिंतित रह सकते हैं। लेकिन सप्ताहांत आपके लिए बेहतर परिणाम लेकर आ रहा है। अपने मित्र या प्रेम पात्र के साथ बेहतर समय बिताने का मौका मिल सकता है।

धनु: यह सप्ताह आपके लिए मिला जुला रहेगा, लेकिन इस समय आपको एक बात का खास ख़याल रखना होगा कि आप जो भी बोलें बहुत सोच समझ कर बोलें। यद्यपि आमदनी निरंतर बनी हुई है लेकिन ख़र्चों पर नियंत्रण कर सकें तो आपके लिए अच्छा रहेगा। इस समय आप कोई ख़रीददारी कर सकते हैं। बहुत सम्भव है कि यह ख़रीददारी आप ऑनलाइन करें। सप्ताह का मध्य भाग आपके लिए अनुकूल रहेगा, लेकिन मन में कुछ चिंताएँ रह सकती हैं। सप्ताहांत में लाभदायक यात्राएँ हो सकती हैं।

मकर: यह सप्ताह आपके लिए सामान्य तौर पर अच्छा रहेगा। कामों में सफलता मिलेगी। आप सुख सुविधाओं का लाभ ले पाएंगे। इस समय अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रख कर ही आपका खान पान करना उचित होगा। सप्ताह के मध्य भाग में सब प्रकार से अनुकूल परिणाम मिलेंगे। सप्ताह के अंतिम दिनों में आप कहीं मनोरंजन करने जा सकते हैं।

कुम्भ: सामान्य तौर पर यह सप्ताह आपके लिए अच्छा रहेगा लेकिन सप्ताह के शुरुआती दिनों में आप जज़्बाती होकर कोई ख़र्चा न करें अन्यथा मानसिक खिन्नता रह सकती है। लेकिन सप्ताह के मध्य में आपको कुछ शुभ समाचार सुनने को मिलेंगे। वहीं सप्ताहांत में आप आत्मविश्वास से भरे रहेंगे और आप एक मनोरंजक फ़िल्म या नाटक देखने जा सकते हैं।

मीन: सप्ताह के शुरुआत में लाभ की सम्भावनाएँ मज़बूत रहेंगी। आपकी मेहनत का फल मिलेगा। आप अपने किसी अज़ीज़ को कोई उपहार देना चाहेंगे। लेकिन सप्ताह के मध्य में बेवजह के ख़र्चों और यात्राओं से बचें। सप्ताहांत में परिस्थितियाँ आपके पक्ष में होगीं फिर भी संयम से काम लेने की आवश्यकता रहेगी।

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वैदिक ज्योतिष ही अन्य विधाओं का आधार है: पंडित हनुमान मिश्रा

ऍस्ट्रोसेज प्रस्तुत करता है ज्योतिषी 'पंडित हनुमान मिश्रा' का इंटरव्यू। आइये जानते हैं कैसे ज्योतिष विद्या में इनको दिलचस्पी बढ़ी तथा किस तरह इनका यह ज्ञान लोगों की सहायता का माध्यम बना।

Pandit Hanumman Mishra se janiye apne jyotish ke sawalo ke jawab.

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1. ज्योतिष में दिलचस्पी कैसे पैदा हुई? पेशे के तौर पर इस क्षेत्र में आना कैसे हुआ?

मैं शुरू से ही तर्क वितर्क करके और हर एक चीज़ को कसौटी में कसकर अपनाने का आदी रहा हूँ, लेकिन गाँव में पाए जाने वाले ज्योतिषी, ज्योतिष के संदर्भ में इस प्रकार के तर्क वितर्क सुनने को भी तैयार नहीं होते। वो ज्योतिषी तो मेरे तर्क को कुतर्क और मुझे कुतर्की कहकर चुप करा देते थे। अत: एक कुलीन ब्राह्मण और इन सारी बातों को मानने वाले परिवार में जन्म लेने के बावजूद भी आरम्भ में इस महान विद्या के प्रति हमारा दृष्टिकोण बहुत अधिक सकारात्मक नहीं था। लेकिन जिन्दगी में एक ऐसी घटना घटी जब मेरा इस जीवन से मोह भंग हो गया। इससे पहले कि मैं कोई गलत कदम उठाता मेरी मुलाकात ज्योतिष की सामान्य जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति से हुई और उनके कुछ उपायों से मुझे चमत्कारिक लाभ मिला। मुझे लगा कि यदि ज्योतिष का एक सामान्य जानकार इतना लाभकारी हो सकता है तो इसका विशेषज्ञ तो बहुतों का भला कर सकता है। फिर क्या था मैं भी चल पड़ा ज्योतिष की राह पर और अब तो इस राह पर चलते-चलते इतनी दूर चला आया हूं कि लौटना पीडादायक लगता है। यही वजह है कि आज मैंने ज्योतिष को अपनी आजीविका के रूप में अपना रखा है।

2. आप कौन-सी ज्योतिषीय पद्धति का उपयोग करते हैं और क्यों?

व्यक्तिगत रूप से मैं शुरू से ही वैदिक ज्योतिष का पक्षधर रहा हूं और इसी विधा का प्रयोग भी करता हूं। क्योंकि वास्तव में मूल ज्योतिष तो वैदिक ज्योतिष ही है अन्य विधाओं की उत्पत्ति इसी विधा यानी कि वैदिक ज्योतिष से ही हुई है। हाँ कुछ विद्वानों ने वैदिक ज्योतिष की दिशा में विशेष शोध किए और एक नई विधा का अनुसंधान कर डाला। उदाहरण के लिए कृष्णमूर्ति जी ने वैदिक ज्योतिष के नक्षत्र खंड पर विशेष कार्य और शोध करते हुए सटीक फलादेश की दिशा में एक अद्वितीय कार्य किया, यही कारण है कि उनके द्वारा खोजी गई विधा आज कृष्णमूर्ति पद्धति के नाम से जानी जाती है। मैं भी कई मौकों पर कृष्णमूर्ति पद्धति का प्रयोग करता हूं। सरल उपायों के मामले में लाल किताब की उपयोगिता से भी इंकार नहीं किया जा सकता। सारांश यह है कि मैं वैदिक ज्योतिष, कृष्णमूर्ति पद्धति, अंक ज्योतिष आदि के माध्यम से फलादेश करने का प्रयास करता हूँ, वहीं उपाय के लिए वैदिक उपायों के साथ-साथ लाल किताब के उपायों को भी अपनाता हूँ इन सबके बावजूद मैं वैदिक ज्योतिष को प्रमुखता देता हूँ।

3. आपके जीवन में ज्योतिष से जुड़ी कोई घटना या आपकी कोई ऐसी भविष्यवाणी जिसका ख़ासा असर रहा हो और जिसे आप यहाँ हमारे पाठकों से साझा करना चाहें?


यह घटना सम्भवत: 2008 के आस पास की है उस समय “इंडिया न्यूज” मैग्जीन में मैं ज्योतिष का नियमित स्तंभकार था। मैं अपने कुछ मित्रों के साथ नासिक जा रहा था, उद्देश्य तीर्थाटन और पर्यटन था। हमारी ट्रेन हजरत निजामुद्दीन से चलने ही वाली थी कि सामने वाली सीट पर जो सज्जन बैठने आए उनके हाथ में “इंडिया न्यूज” मैग्जीन का ताजा अंक था। मैं खिड़की के पास बैठा बाहर का नजारा देखने में संलग्न था। बैठने के बाद उन्होंने सबसे पहले पत्रिका के आखिरी पेज पर लिखा साप्ताहिक राशिफल पढ़ना शुरू किया ही था कि उनके बगल में हरियाणा निवासी एक सज्जन आकर बैठ गए। कुछ देर तक उन्होंने राशिफल वाले पेज और पढ़ने वाले के चेहरे को बारी-बारी से देखा फिर बोल पड़े कि ये सब बेकार और बकवास की चीजें हैं। ये ज्योतिषी लोग ठग और लुटेरे होते हैं वगैरह वगैरह। जो सज्जन राशिफल पढ़ रहे थे वो भी उनकी हाँ में हाँ मिलाने लगे। उनकी बहस को सुन मैं भी उनकी ओर मुड़ गया लेकिन शायद वो मुझे पहचान नहीं पाये कि, राशिफल लिखने वाला पंडित मैं ही हूँ। क्योंकि उस समय मैं टी-सर्ट और पैंट में था जबकि मैग्जीन में जो फोटो छपा था उसमें मैं कुर्ता-गमछा और चंदन धारी था। वैसे भी उन्हें ये उम्मीद तो बिल्कुल नहीं रही होगी कि इस मैग्जीन वाला पंडित यहां कैसे होगा इसलिए वो सज्जन ज्योतिषी बिरादरी को धोए पड़े थे और हम चुपचाप सुन रहे थे।

आखिरकार मेरे दोस्त से बर्दाश्त नहीं हुआ, वह भी “ज़ी न्यूज” का आइ.डी. कार्ड गले में डाले उनसे भिड़ गया। बोला सारे पंडित ऐसे नहीं होते विश्वास न हो तो ये हमारे मित्र भी ज्योतिष करते हैं इनसे कुछ पूछ कर देख लो। तब उन लोगों ने मुझे गौर से देखा और बोले, कहीं ये मैग्जीन वाले पंडित जी आप ही तो नहीं हो। मैंने हाँ में सिर हिलाया और उनसे निवेदन किया कि वो अपना सही जन्म विवरण हमें बताएं। उनका तो सही जन्म विवरण था नहीं, सो अपने पुत्र के बारे में उन्होंने जानना चाहा। हमने भी लैपटाप पर कुण्डली बनाई। इष्ट का स्मरण किया और लग गए परीक्षा देने में। ईश्वर की कृपा से जो-जो बताया वो सही हुआ और वो सज्जन बड़े प्रभावित हुए। उन्होंने वादा किया कि अब से बिना आज़माये किसी ज्योतिषी को गाली नहीं दूँगा। साथ ही वहां बैठे मैग्जीन लेके आने वाले सज्जन जो कि हमारे साथ शिरडी तक गए, वो मेरी आव भगत करते हुए गए। उन्होंने भी माना कि ज्योतिषी गलत हो सकते हैं, ज्योतिष नहीं।

4. उभरते हुए ज्योतिषियों या फिर जिन लोगों की इस विषय में रुचि है उनके लिए आपकी क्या सलाह है?

इस पवित्र विद्या को सीखने की कुछ पात्रताओं का उल्लेख मिलता है जैसे कि ज्योततिषी को गणित का जानकार होना चाहिए। ज्योतिषी की भाषा समृद्ध होनी चाहिए। उसे सम्प्रेषण का ज्ञान होना चाहिए। ज्योतिषी को न्यायविद, बुद्धिमान, देश, दिशा, व काल का ज्ञाता होना चाहिए। साथ ही ज्योतिषी को जीतेन्द्रिय, सभी पहलुओं में विचार करने में समर्थ होना चाहिए। कुछ और विशेष गुण जैसे- अंत:करण की शुद्धता, आंतरिक शान्ति और स्थिरता, निर्भयता, शकुन का ज्ञान, व्यसन मुक्त, ग्रह शांति के लिए मंत्रों का ज्ञान, अधम क्रियाओं को निष्फल करने का ज्ञान, आध्यात्मिक व्यक्तित्व और उचित चेतावनी देने में सामर्थ्यता आदि गुणों का होना एक सच्चा ज्योतिषी बनाता है। यानी सच्चा ज्योतिषी बनने के लिए उपरोक्त गुणों का होना जरूरी होता है। यदि ये पात्रताएं आपमें है तो निश्चय ही आप इस विद्या का दुरुपयोग नहीं करेंगे। परोपकार और समाजहित करते हुए इस विद्या के माध्यम से समाज में व्याप्त अंधेरे को मिटाएं। तभी ज्योतिष और ज्योतिषी दोनों का नाम सार्थक होगा।

5. आपके मुताबिक़ ऐसी कौन-सी ज्योतिषीय पुस्तकें हैं जिन्हें पढ़ना ही चाहिए?

फलदीपिका, मानसागरी और बृहदपराशर होरा शास्त्र जैसी पुस्तकें ज्योतिष सीखने में आपकी सहायक हो सकती हैं लेकिन यदि किसी एक पुस्तक का ही नाम लेने को कहा जाय तो मैं यही कहूंगा कि “फलदीपिका” का एक बार अध्ययन जरूर करना चाहिए।

6. ऍस्ट्रोसेज.कॉम के पाठकों से आप क्या कहना चाहेंगे?

दुनिया भर में जितनी भी ज्योतिषीय वेबसाइट्स हैं उनमे कहने को तो बहुत कुछ मुफ्त है लेकिन उन मुफ्त सामग्रियों में सार्थक सामग्री बहुत कम है। वहीं ऍस्ट्रोसेज.कॉम में बहुत कुछ नहीं बल्कि लगभग वो सबकुछ मुफ्त में है जो ज्योतिष को जानने और मानने वालों के लिए लाभकारी है। इनमें न केवल गणना के लिए ज्योतिषीय साफ्टवेअर मुफ्त है, बल्कि पढने के लिए इतना कुछ है कि एक सामान्य आदमी अच्छा ज्योतिषी बन सकता है।
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एस्ट्रोसेज कुण्डली ३.० - ज्योतिष की नं. १ एण्ड्रॉइड ऍप हुई और भी बेहतर

एस्ट्रोसेज कुण्डली की एण्ड्रॉइड ऍप नए अवतार में आपके लिए हाज़िर है – “एस्ट्रोसेज कुण्डली ३.०”। यह नई एप्लीकेशन कई नई ख़ूबियों को ख़ुद में समेटे हुए है। साथ ही इसका नया इंटरफ़ेस आपको तेज़ी-से कुण्डलियाँ बनाने और फलादेश में ख़ासा मददगार है। आइए, देखते हैं कि क्या-क्या ख़ास है “एस्ट्रोसेज कुण्डली ३.०” में…

एस्ट्रोसेज कुण्डली की एण्ड्रॉइड ऍप नए अवतार में आपके लिए हाज़िर है, एस्ट्रोसेज कुण्डली ३.०।



एस्ट्रोसेज, ज्योतिष के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम, एक बार फिर आपके सामने हाज़िर है एण्ड्रॉइड मार्केट में एक धमाके के साथ। इस बार एस्ट्रोसेज आपके लिए लाया है एस्ट्रोसेज कुण्डली का नया संस्करण – “एस्ट्रोसेज कुण्डली ३.०”, जो पहले से ज़्यादा तेज़, ज़्यादा सुविधा-युक्त, उपयोग में बेहतरीन और ढेरों नयी फ़ीचर्स से लैस है।

इसका शानदार अनुभव आपको कई नई फ़ीचर्स से परिचय कराएगा और ज्योतिष की शक्ति को आपकी हथेली में – आपके मोबाइल या टेबलेट में - समेट देगा। इस ऍप के पिछले संस्करण की अपार सफलता के बाद हम इस बार “एस्ट्रोसेज कुण्डली” में बहुत-सी ऐसी ख़ूबियों को पिरो रहे हैं, जिसका सभी को बेसब्री से इन्तज़ार था।

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“एस्ट्रोसेज कुण्डली ३.०” की नई सुविधाएँ

  • नया यूज़र इंटरफ़ेस – नए और बेहतर स्वरूप के साथ अब एस्ट्रोसेज कुण्डली को उपयोग करना और भी आसान हो गया है। आप एक मेन्यू से दूसरे मेन्यू में तेज़ी-से आ-जा सकते हैं। साथ ही सभी उपलब्ध सुविधाएँ एक बार में देखी जा सकती हैं।
  • कुण्डली छापें और पीडीएफ़ डाउनलोड करें – निश्चित तौर पर यह सुविधा आपको बेहद पसन्द आएगी। अगर आप अपने रिकॉर्ड के लिए कुण्डलियाँ छापना चाहते हैं या फिर किसी के साथ कुण्डलियों का पीडीएफ़ साझा करना चाहते हैं, तो आप यह काम अब चुटकियों में कर सकते हैं।
  • चलित कुण्डली – चलित चक्र और चलित कुण्डली की मांग काफ़ी समय से थी। राशि कुण्डली की ही तरह चलित कुण्डली भी काफ़ी लोकप्रिय है और अधिकांश ज्योतिषी इसे उपयोग में लाते हैं। हमें ख़ुशी है कि “एस्ट्रोसेज कुण्डली ३.०” में इस कमी की भरपाई की गई है तथा चलित कुण्डली और चलित सारणी को इसमें सम्मिलित किया गया है।
  • नई नक्षत्र-आधारित पद्धतियाँ
  • नवीन केपी कारक ख़ाका – इस ख़ाके में “केपी सिस्टम लर्निंग विकी” की तर्ज़ पर ग्रहों को चार अलग-अलग स्तरों में प्रदर्शित किया जाता है।
  • ४ स्टेप – “४ स्टेप” कारकों का उपयोग कई ज्योतिषियों द्वारा किया जाता है। यह सुविधा उनके लिए काफ़ी उपयोगी सिद्ध होगी।
  • कस्पल इंटरलिंक्स (सब) – यह सुविधा “सब” को आधार मानकर भाव-सन्धियों को कस्पल इंटरलिंक्स के माध्यम से दर्शाती है।
  • कस्पल इंटरलिंक्स (सब सब) - यह सुविधा “सब-सब” को आधार मानकर भाव-सन्धियों को कस्पल इंटरलिंक्स के माध्यम से दर्शाती है।
  • बहुत-से सुधार और सुविधाओं में इज़ाफ़ा – हमने पिछले संस्करण में रह गईं कई छोटी-छोटी ख़ामियों को सुधारा है, जिनके बारे में उपयोक्ताओं ने हमें बताया था। साथ ही हमने इस ऍप को उपयोग में आसान बनाने के लिए बहुत-से दूसरे सुधार भी किए हैं।



इस संस्करण के कुछ स्क्रीन-शॉट्स आप यहाँ देख सकते हैं -










आज ही एस्ट्रोसेज कुण्डली ३.० डाउनलोड करें और सटीक-से-सटीक भविष्यवाणियों की दिशा में आगे बढ़ें। हमने अपनी तरफ़ से भरपूर कोशिश की है कि हम आपको ज्योतिष की एक ऐसी एप्लीकेशन दें, जो अपने आप में बेहतरीन हो और सूक्षतम फलादेश में भी उपयोगी सिद्ध हो। इस नए संस्करण में आप पाएंगे कि आपके सभी पिछले सुझावों को ध्यान में रखकर काम किया गया है और कुछ बेहद दिलचस्प सुविधाओं को जोड़ा गया है। ज्योतिष के नए प्रतिमान स्थापित करने में एस्ट्रोसेज कुण्डली ३.० निश्चित ही मददगार साबित होगी। अगर इससे जुड़े आपके कोई भी सुझाव हैं, तो हमें बेहिचक बताएँ। आइए, मिलकर एक सुन्दर भविष्य का निर्माण करें।



आप एस्ट्रोसेज कुण्डली के अगले संस्करण में कौन-कौन सी नई सुविधाएँ चाहते हैं? कृपया टिप्पणी कीजिए और हम जल्द-से-जल्द आपके सुझावों को अमल में लाने की कोशिश करेंगे।




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साप्ताहिक राशिफल (12 मई से 18 मई 2014)

Saptahik Rashifal of Vrishabha; etc.मेष:इस सप्ताह की शुरुआत में चन्द्रमा आपके छठे भाव में स्थित है अत: आप उत्साह से भरे रहेंगे लेकिन मंगल से युति के कारण आपको क्रोध आपेक्षाकृत जल्दी आएगा। बेहतर होगा विरोधियों से संयम से निबटें वहीं अपनों पर अकारण गुस्सा करने से बचें। सप्ताह मध्य में घरेलू मामलों में सावधानी से काम लें। क्योंकि चन्द्रमा सप्तम भाव में होगा वहाँ पर शनि और राहु पहले से ही विराजमान हैं, अत: निजी जीवन में कड़वाहट आने के योग बन सकते हैं; अत: संयम से काम लें। सप्ताह मध्य में ही चन्द्रमा अष्टम में भी रहेगा अत: वाहन आदि सावधानी से चलाना ठीक रहेगा। सप्ताहांत में सम्भव हो तो किसी धार्मिक कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं अथवा किसी धार्मिक यात्रा पर जा सकते हैं।

वृष:सप्ताह का अधिकांश भाग आपके लिए अनुकूल रहेगा। वैसे सप्ताह की शुरुआत सम्भत: प्रेम प्रसंग में अनुकूलता लाने वाली रहेगी। फिर भी बातों बातों में बतंगड न बने इस बात का ख़याल रखना होगा। प्यार में थोड़ी बहुत नोक झोक होती रहती है इसे लड़ाई का रूप देने से बचें। आप अपनी या संतान की शिक्षा को लेकर चिंतित रह सकते हैं। हालांकि सप्ताह मध्य में आपकी मेहनत का फल मिल जाएगा। आप अपने विरोधियों से मुकाबला करने में सफ़ल रहेंगे। लेकिन निराशा से बचना होगा। साथ ही जीवनसाथी या साझेदार से उलझना ठीक नहीं रहेगा। सप्ताहांत में कुछ अपमानजनक या विवादास्पद घटनाक्रम सामने आ सकते हैं। अत: उनसे बौद्धिमत्ता पूर्ण तरीके से निबटना ही सही रहेगा।

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मिथुन: सप्ताह के शुरुआती दिनों में आप थोड़े से मूडी रह सकते हैं। किसी बात को लेकर मन में गुस्सा रहेगा। हालांकि ऐसे में भी आप अपने किसी अज़ीज़ पर जी भरकर प्यार लुटाने के मूड में रहेंगे। हालांकि अगले ही दिन चंद्रमा आपके पंचम भाव में जा रहा है और शनि-राहु से युति कर रहा है। जो आपको कुछ आर्थिक चिंताएँ दे सकता है। बहुत सम्भव है कि ये आर्थिक चिंताएँ संतान और शिक्षा से जुड़ी हों। इस समय आपको खान पान पर भी संयम रखना होगा अन्यथा अपच या गैस की शिकायत रह सकती है। हालांकि जैसे ही चंद्रमा का गोचर छठे भाव में होगा आप फिर से अपने पुरान फ़ार्म में वापस आ जाएंगे। सप्ताहांत खुशहाली भरा रह सकता है। बहुत सम्भव है कि ये खुशियाँ निजी सम्बंधों को लेकर हों।

कर्क: इस सप्ताह के आरम्भिक दिन आपके लिए अनुकूल हैं। चंद्रमा तीसरे भाव में हैं जो आपके भीतर एक बेहतर उत्साह भरेगा। फलस्वरूप आप अपने आपने कामों को बेहतर ढ़ंग से अंजाम दे पाएंगे। बहुत सम्भव है कि इस समय आप अपने स्वास्थ को बेहतर बनाने को लेकर चिंतन करेंगे। सप्ताह के मध्य भाग में आप घर गृहस्थी को लेकर चिंतित रह सकते हैं। यह समय कुछ तनाव देने वाला भी रह सकता है अत: संयम की आवश्यकता रहेगी। हालांकि जैसे ही चंद्रमा पंचम में जाएगा आपकी चिंताएँ सकारात्मक रूप लेंगी और प्रेम संबंध, संतान या शिक्षा के संदर्भ में कुछ बेहतर ख़बर सुनने को मिलेगी। वहीं सप्ताहांत भी आपके लिए अनुकूलता लिए हुए है। आपकी मेहनत का फल आपको मिल जाएगा।

सिंह:यह सप्ताह आपके लिए मिला जुला रहेगा, लेकिन वाणी पर संयम बहुत ज़रूरी है। क्योंकि वाणी स्थान पर मंगल पहले से ही विराजमान है और द्वादशेश चंद्रमा की युति होते ही आपकी भाषा कुछ आक्रामक हो सकती हैं अत: जिनसे आपके कुछ ज़रूरी काम हों कम से कम उनसे बड़े ही शालीनता से बात करनी होगी। यद्यपि इस समय आमदनी निरंतर बनी हुई है लेकिन ख़र्चों पर नियंत्रण रखना तो ज़रूरी ही रहेगा। सप्ताह का मध्य भाग आपके लिए अनुकूल रहेगा, इस समय आपमें एक बेहतर उत्साह को देखा जा सकता है। इस समय आप अपने आपने कामों को बेहतर ढ़ंग से अंजाम दे पाएंगे। लेकिन मन में कुछ चिंताएँ रह सकती हैं। हालांकि कुछ लाभदायक यात्राएँ हो सकती हैं। सप्ताहांत मनोरंजन आदि के लिए काफ़ी अनुकूल रहेगा।

कन्या: यह सप्ताह आपके लिए सामान्य तौर पर अच्छा रहेगा। सप्ताह के शुरुआती दिनों में चन्द्रमा के लग्न पर होने के कारण स्वभाव में थोड़ी सी चंचलता देखी जा सकेगी। हालांकि इस अवधि में आप अपने कामों पर ध्याने देने से नहीं चूकेंगे फलस्वरूप आपको कामों में सफ़लता मिलेगी। आप सुख सुविधाओं का लाभ ले पाएंगे। लेकिन यदि आप किसी दूर की यात्रा में जा रहे हैं तो स्वास्थ्य का ख़याल रखना ज़रूरी होगा। सप्ताह मे मध्य भाग में यदि आप किसी बड़े आर्थिक करार को करने जा रहे हैं तो उसमें सावधानी से काम लें। बाकी अन्य मामलों में अनुकूल परिणाम मिलेंगे। सप्ताह कें अंतिम दिनों में आप मनोरंजन को वरीयता देंगे और अधिक से अधिक समय घर पर बितान चाहेंगे।

तुला:सामान्य तौर पर यह सप्ताह आपके लिए अच्छा रहेगा लेकिन सप्ताह के शुरुआती दिनों में आप कोई बड़ा ख़र्च न करें। यदि कोई लम्बी दूरी की यात्रा करने के मूड में हैं तो चेक कर लीजिए कि यह यात्रा वास्तव में आपके लिए फायदेमंद है या नहीं। अलबत्ता यदि आप किसी नौकरी के सिलसिले में विदेश गमन करने जा रहे हैं तो यह यात्रा उचित रहेगी। सप्ताह के मध्य में आपको कुछ शुभ समाचार सुनने को मिलेंगे। लेकिन किसी मामले में आप ज़रूरत से ज़्यादा इमोशनल हो सकते हैं। इस समय आर्थिक मामलों में बड़ी ही सूझ-बूझ के साथ निर्णय करना होगा। वहीं सप्ताहांत में आप आत्मविश्वास से भरे रहेंगे और आप एक मनोरंजक फ़िल्म या नाटक देखने जा सकते हैं।

वृश्चिक: सप्ताह के शुरुआत में चन्द्रमा एकादश भाव में स्थित है अत: लाभ की सम्भावनाएँ मज़बूत रहेंगी। यह समय विशेषकर प्रेम संबंधों के लिए बहुत बढ़िया रह सकता है। शिक्षा संबंधी मामलों में के लिए भी सप्ताह के शुरुआती दिन अच्छे रहेंगे लेकिन सप्ताह के मध्य में बेवजह के ख़र्चों पर आपको नियंत्रण पाने की बेहतर कोशिश करनी होगी। यह समय दूर की यात्राओं विशेष कर विदेश यात्रा के लिए बढ़िया रहेगा लेकिन सावधानी इस बात की रखनी होगी कि इस अवधि में कहीं आप व्यर्थ की यात्रा न करें। सप्ताहांत में परिस्थितियाँ आपके पक्ष में होगीं फ़िर भी संयम से काम लेने की आवश्यकता रहेगी। हालांकि मन प्रसन्न रहेगा और आप आर्थिक मामलों को लेकर बेहतर योजनाएँ बनाएंगे।

धनु: सप्ताह की शुरुआत आपके लिए अनुकूलता लिए हुए है। आपको अधिकांश कार्यों में आपको सफ़लता मिलेगी। लोग आपके कामों की प्रशंसा करेंगे। यह समय आपको अच्छा मान सम्मान दिलाने का संकेत कर रहा है लेकिन ध्यान इस बात का रखना कि इस समय कोई ऐसा काम न करें जो आपको अपमानित करवा दे। क्योंकि दशम में चन्द्रमा सम्मान दिलाने का संकेत कर रहा है लेकिन अष्टमेश होने के कारण चन्द्रमा नकारात्मक प्रभाव न दे अत: अच्छे कर्म करते रहें। चन्द्रमा के लाभ भाव में जाते ही आपको लाभ के अच्छे अवसर मिलेंगे लेकिन शनि और राहु की युति के कारण कुछ नकारात्मक परिणाम भी मिल सकते हैं। सप्ताह के मध्य में हर मामले में थोड़ी सी सावधानी ज़रूरी होगी। हालांकि सप्ताहांत आते आते परिस्थितियाँ नियंत्रण में होंगी।

मकर:सप्ताह की शुरूआत आपके लिए शुभ है। यदि इस समय आप किसी धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेते हैं तो यह काम आपके सुयश को और भी बढ़ाने में मददगार होगा। अगले दिन से चन्द्रमा आपके कर्म स्थान पर जा रहा है जो आपको अपने रुके हुए कामों को पूरा करने में मदद करेगा। हो सकता है जिस काम को आप फ़टाफ़ट करने की सोच रहे हों उसमें कुछ देरी हो जाय लेकिन आपको इससे घबराना नहीं है क्योंकि आपके कर्मों का फल आपको ज़रूर मिलेगा। आपको सामाजिक सम्मान मिलेगा। रुपए पैसों के लिहाज से भी समय शुभ है। सप्ताह के मध्य भाग में आपके काम सफ़ल होंगे। लेकिन सप्ताहांत में आपको थोड़ी सी सावधानी बरतने की आवश्यकता है क्योंकि कुछ अनावश्यक ख़र्चे सामने आ सकते हैं।

कुम्भ:सप्ताह की शुरुआत वाला दिन आपके लिए कुछ कमज़ोर रह सकता है क्योंकि इस दिन चन्द्रमा आपके आठवें भाव में है। अत: मन में निराशा के भाव जाग सकते हैं अथवा स्वास्थ्य कुछ कमज़ोर रह सकता है। इस दिन आपको यात्रा में भी सावधानी रखनी होगी विशेषकर यदि आप यदि स्वयं वाहन चला रहे हों तो सावधानी से चलाएं। लेकिन अगले दिन ही चन्द्रमा के नवम भाव में चले जाने से आपकी समस्याएँ काफ़ी हद तक कम हो जाएंगी। यात्राओं में भी सुखद अनुभूति होगी। चन्द्रमा के दशम भाव में जाने पर यानी लगभग सप्ताह मध्य में मेहनत करने पर काम बनेंगे। वहीं सप्ताहांत में चन्द्रमा आपके लाभ भाव में रहेगा अत: लाभ के अवसर मज़बूत होंगे। मन प्रसन्न रहेगा।

मीन:यह सप्ताह आपको मिले जुले फल देने वाला रहेगा। शुरुआती दिन तो काफ़ी बेहतर रहने वाला है। मन प्रसन्न रहेगा। यदि आपने कोशिश की तो निजी सम्बंधों के लिए आप दिन को बेहद अनुकूल बना पाएंगे। लेकिन कोशिश न करने की स्थिति में जीवन साथी या प्रेम पात्र के साथ कुछ मन मुटाव भी हो सकता है। अगले ही दिन से चन्द्रमा आपके अष्टम भाव में जाने वाला है अत: घरेलू जीवन में कुछ व्यवधान रह सकते हैं। यह समय स्वास्थ्य के लिए कम अनुकूल रह सकता है अत: संयमित दिनचर्या अपनाएँ। सुपाच्य भोजन ही करें। हालांकि चन्द्रमा के नवम भाव में जाते ही चीजें बेहतर होने लगेंगी और सप्ताहांत आते आते समस्याएँ दूर हो जाएंगी और आप अपने काम में मन लगाकर लग जाएंगे।

पं. हनुमान मिश्रा
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मदर्स डे २०१४ - मां तुझे प्रणाम!!

मई ११,२०१४ , को मदर्स डे मनाया जा रहा है। यह वह दिन है जब आप अपनी माता को विशेष महसूस करा सकते हैं। मदर्स डे २०१४, को बताइये अपनी माता को कैसे हैं वो ख़ास आपके लिए। आइये जाने पं हनुमान मिश्रा जी से ज्योतिष में माता को क्या महत्व दिया गया है।

Mother’s Day is the day to thanks our mothers for all their love and support.


"अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥"

लंका पर विजय प्राप्ति के पश्चात मर्यादा पुरुषोत्तम राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण से कहा कि “हे लक्ष्मण यह सोने की लंका मुझे किसी तरह से अच्छी नहीं लग रही है क्योंकि माँ और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़ कर होती हैं। और यही कारण है कि ज्योतिष में माँ और जन्मभूमि दोनों का ही विचार कुण्डली के चतुर्थ भाव से किया जाता है। आइए, मर्यादा पुरुषोत्तम राम के इन शब्दों को “मातृ दिवस” के अवसर पर ज्योतिष के माध्यम से समझने का प्रयास किया जाय। यानी यह समझने का प्रयास किया जाय कि “मां को स्वर्ग से बड़ा” मानने में ज्योतिष कितना समर्थन करता है।

कुण्डली में नौवां भाव धर्म का होता है और बारहवां भाव मोक्ष या स्वर्ग का होता है। शायद यही कारण है कि धर्म भाव से चौथा भाव होने के कारण हम बारहवें भाव को धर्म के स्थाई घर अर्थात मोक्ष या स्वर्ग के भाव के रूप में जानते हैं।

सामान्यत: चौथे भाव से हम निवास स्थान, मां, मातृभूमि आदि का विचार करते हैं। वहीं कुण्डली के पंचम भाव से प्रेम, अपनापन और वात्सल्य (संतान) आदि का विचार किया जाता है। जब कुण्डली का बारहवां भाव स्वर्ग है तो स्वर्ग का प्रेम हम किस भाव से देखें? स्वाभाविक है स्वर्ग (बारहवें) भाव से पांचवां भाव तो कुण्डली का चतुर्थ भाव ही होगा। अत: स्वर्ग का प्रेम अगर कहीं बसता है तो वह है चतुर्थ भाव। यानी मां का भाव। यही कारण है कि विद्वानों ने कहा है कि मां के आंचल तले स्वर्ग होता है। यही कारण है कि भगवान राम नें मां और मातृभूमि दोनों को स्वर्ग से बड़ा कहा है। क्योंकि अगर प्रेम न हो तो स्वर्ग भी नरक हो जाएगा।

ज्योतिष भी इस बात का समर्थन करता है कि मां स्वर्ग से भी बड़ी होती है। सम्पूर्ण पृथ्वी पर बस यही एक पावन रिश्ता है जो निष्कपट होता है। इस एक रिश्ते में कोई प्रदूषण नहीं होता। कुण्डली के चतुर्थ भाव से शांति विशेषकर मानसिक शांति का विचार किया जाता है। यह मां का ही भाव होता है और मां तो वह शीतल और सुगंधित बयार का कोमल अहसास है जिसके सानिध्य में जाते ही सारी अशांति दूर भाग जाती है।

कुण्डली का बारहवां भाव मोक्ष का भाव होने के साथ साथ व्यय का भाव होता है, विदेश का भाव होता है, घर छोड़ने का भाव होता है यानि वह भाव दु:ख देने वाला भी हो सकता है लेकिन चौथा भाव शांति प्रदान करने वाला कहा गया है क्योंकि वह मां का भाव होता है और मां, कितना मीठा, कितना अपना, कितना गहरा और कितना खूबसूरत और पवित्र रिश्ता होता है। इस एक रिश्ते में निहित है छलछलाता ममता का सागर। इस रिश्‍ते की गुदगुदाती गोद में ऐसी अव्यक्त अनुभूति छुपी है जैसे हरी, ठंडी व कोमल दूब की बगिया में सोए हों। भला ऐसे रिश्ते के सानिध्य में होने पर दुनिया का कोई दु:ख ठहर सकेगा? शायद नहीं, इसीलिए “मां” को स्वर्ग से बढ़कर कहा गया है।

आपको पता है, मां त्याग की बहुत बड़ी मूर्ति मानी गई है क्योंकि नारी को मातृत्त्व को पाने के लिए बहुत बड़े त्याग करने पड़ते हैं। मां, शब्द को सुनने के लिए नारी अपने समस्त अस्तित्व को दांव पर लगाने को तैयार हो जाती है।

नारी अपने कोरे कुंवारे रूप में जितनी सलोनी होती है उतनी ही सुहानी वह विवाहिता होकर लगती है लेकिन उसका नारीत्व संपूर्णता पाता है मां बन कर। मातृत्त्व की प्राप्ति उसे यूं ही नहीं हो जाती बल्कि जीवन के सबसे अनमोल भाग “यौवन” को न्यौछाबर करने की शर्त पर ईश्वर नारी को मातृत्त्व प्रदान करता है और इस प्रकार नारी को सम्पूर्णता प्राप्त होती है। हालांकि संपूर्णता के इस पवित्र भाव को जीते हुए वह एक दिव्य अलौकिक प्रकाश से भर उठती है। उसका चेहरा अपार कष्ट के बावजूद हर्ष से चमकता है जब एक नर्म गुदगुदाता जीव उसके कलेजे से आ लगता है। उसका अपना 'प्राकृतिक सृजन' जब उसे देखकर चहकता है तो उसकी आंखों में खुशियों के हजारों दीप झिलमिलाने लगते हैं।

पल-पल उसके दिल के सागर में ममता की मार्मिक लहरें हिलोंरें लेती हैं। अपने हर 'ज्वार' के साथ उसका रोम-रोम अपनी संतान पर न्योछावर होने को बेकल हो उठता है।

लाज और लावण्य से दीपदिपाते-पुलकित इस भाव को किसी भाषा, किसी शब्द और किसी व्याख्या की आवश्यकता नहीं होती। 'मां' शब्द की पवित्रता का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि हिन्दू धर्म में देवियों को मां कहकर पुकारते है। बेटी या बहन के संबोधनों से नहीं। मदर मैरी और बीबी फातिमा का ईसाई और मुस्लिम धर्म में विशिष्ट स्थान है। अत: इस बात में कोई संसय नहीं कि मां स्वर्ग के सामान नहीं अपितु स्वर्ग से बड़ी है तभी तो उसके चरणों स्वर्ग है। इसीलिए हर बच्चा कहता है मेरी मां सबसे अच्छी है। जबकि इसकी- उसकी नहीं “मां” हर किसी की अच्छी ही होती है, क्योंकि वह मां होती है।

माँ के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए एक दिवस नहीं एक सदी भी कम है। लेकिन फिर भी यदि हम एक दिन विशेष को “मातृ-दिवस” के रूप में मनाते हैं तो इस दिन विशेष पर हर मां को उसके अनूठे अनमोल मातृ-बोध की बधाई।

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