वैदिक ज्योतिष मुझे सबसे सटीक लगी: आचार्य राम हरी शर्मा

ऍस्ट्रोसेज प्रस्तुत करता है ज्योतिषी 'आचार्य राम हरी शर्मा जी' का इंटरव्यू। आइये जानते हैं कैसे ज्योतिष विद्या में इनको दिलचस्पी बढ़ी तथा किस तरह इनका यह ज्ञान लोगों की सहायता का माध्यम बना।

Jyotishi Acharya Ram Hari Sharma ka Interview apko batayega jyotish ka rahasya.

1. ज्योतिष में दिलचस्पी कैसे पैदा हुई? पेशे के तौर पर इस क्षेत्र में आना कैसे हुआ?

मेरे पिताजी ज्योतिष के एक बहुत बड़े विद्वान हैं। जब मैं छोटा था, तब गाँव के लोग मेरे पिताजी से पूछने आते थे और पिताजी कुछ गणना करके उनके प्रश्नों का सटीक उत्तर देते थे। उस समय पिताजी कुछ पारंपरिक विधियों का इस्तेमाल करते थे। यह देख कर मेरी दिलचस्पी हुई। शुरू में मैंने पिताजी से पंचांग देखना सीखा। बाद में मेरी रुचि बढ़ती गई और आज मैं इस मुकाम पर हूँ।

2. आप कौन-सी ज्योतिषीय पद्धति का उपयोग करते हैं और क्यों?

शुरू शुरू मैं पिताजी द्वारा सीखी गई पारंपरिक विधियों का इस्तेमाल करता था। फिर मैं डॉ बी.वी. रमन द्वारा प्रकाशित ‘एस्ट्रोलॉजिकल मैगज़ीन’ का नियमित अध्ययन करने लगा। उसके बाद मैंने विधिवत ज्योतिष रत्न की उपाधि, ज्योतिष निकेतन मेरठ से सन 1994 में की। आज मैं लगभग सभी उपलब्ध विधियों का उपयोग करता हूँ। वैदिक ज्योतिष मुझे सबसे सटीक लगी ।

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3. आपके जीवन में ज्योतिष से जुड़ी कोई घटना या आपकी कोई ऐसी भविष्यवाणी जिसका ख़ासा असर रहा हो और जिसे आप यहाँ हमारे पाठकों से साझा करना चाहें?

यह उस समय की बात है जब मेरे गाँव से एक 12 वर्ष के बच्चे का अपहरण कर लिया गया था। मैं उस समय गाँव में नहीं था। मैं उस समय डिब्रुगढ़, असम में था। उन लोगों ने मेरे पिताजी से उस बच्चे के वापस आने के बारे में पूछा। पिताजी ने उन्हें 64 दिन बाद बच्चे की वापसी के बात कही। जब 64 दिन बीत गए और बच्चे की कोई खबर नहीं मिली तो वे लोग फिर मेरे पिताजी के पास गए। तब पिताजी ने कहा की मेरा बेटा आने वाला है तब आप आकर पूछना। फिर मैंने बच्चे की जन्म कुंडली का गहन अध्ययन किया और सूक्ष्म गणना की क्योंकि उस समय कम्प्युटर और सॉफ्टवेर नहीं थे। मैंने भविष्य वाणी की, कि वह बच्चा एक अंधेरे कमरे में बांध रखा है और दक्षिण दिशा मैं 100 कि.मी. से 150 कि.मी. की दूरी पर है, और 01 जनवरी 1995 के दिन आपके घर पहुँच जायेगा। यह बात उन्होंने पुलिस को बताई। पुलिस ने उसी दिशा तथा उसी दूरी पर के सभी गाँव में एक साथ तलाश की तो धौलपुर के एक गाँव के कमरे से उसे ठीक 01 जनवरी 1995 ( मेरे भविष्य वाणी के ठीक 15 दिन बाद) को बरामद किया गया। गौर तलब हो, यह भविष्यवाणी मैंने 16 दिसंबर 1994 को गाँव में की थी। आज भी कोई इसकी जानकारी चाहे तो मथुरा जिले मैं गोवर्धन ब्लॉक के गाँव बोरपा में जाकर इस घटना की पुष्टि कर सकता है ।

4. उभरते हुए ज्योतिषियों या फिर जिन लोगों की इस विषय में रुचि है उनके लिए आपकी क्या सलाह है?

मैं नए ज्योतिषियों को यह सलाह दूँगा की विभिन्न ज्योतिष के ग्रंथों में दिये हुये ज्ञान को अपने अनुभव के आधार पर कुंडलियों में लागू करके देखें। सबसे पहले अपने जानकार / रिश्तेदारों / मित्रों की कुंडलियों मे लागू करें और भविष्य वाणी करने का अभ्यास करेंI जब तक सही निष्कर्ष पर नहीं पहुँचे तब तक विभिन्न विधियों का इस्तेमाल करते रहें और सही निष्कर्ष पर पहुँचें ।

5. आपके मुताबिक़ ऐसी कौन-सी ज्योतिषीय पुस्तकें हैं जिन्हें पढ़ना ही चाहिए?

मुझे सबसे अच्छी पुस्तक डॉ बी.वी. रमन की ‘माई एक्सपीरियंस इन एस्ट्रोलॉजी’ लगी। मैं सलाह दूँगा, यह पुस्तक प्रत्येक ज्योतिषी को अवश्य पढ़नी चाहिए।

6. ऍस्ट्रोसेज.कॉम के पाठकों से आप क्या कहना चाहेंगे?

मैं ऍस्ट्रोसेज के पाठकों से यही कहना चाहूँगा की इस वेब साइट पर इतना ज्योतिषीय ज्ञान भरा पड़ा है की उसको अगर नियम बद्ध होकर पढ़ा जाय तो कोई अन्य ज्योतिषीय किताब पढ़ने की जरूरत नही होगीI हाँ, बाद में भले ही अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए अन्य पुस्तकों का सहारा ले सकते हैंI

यह थे ज्योतिषी आचार्य राम हरी शर्मा जी के जीवन की कुछ बातें। हमें आशा है इस इंटरव्यू ने आपको ज्योतिष विद्या को और करीब से जानने के लिए प्रेरित किया होगा।

आचार्य राम हरी शर्मा

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