ऍस्ट्रोसेज प्रस्तुत करता है ज्योतिषी 'पंडित हनुमान मिश्रा' का इंटरव्यू। आइये जानते हैं कैसे ज्योतिष विद्या में इनको दिलचस्पी बढ़ी तथा किस तरह इनका यह ज्ञान लोगों की सहायता का माध्यम बना।
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1. ज्योतिष में दिलचस्पी कैसे पैदा हुई? पेशे के तौर पर इस क्षेत्र में आना कैसे हुआ?
मैं शुरू से ही तर्क वितर्क करके और हर एक चीज़ को कसौटी में कसकर अपनाने का आदी रहा हूँ, लेकिन गाँव में पाए जाने वाले ज्योतिषी, ज्योतिष के संदर्भ में इस प्रकार के तर्क वितर्क सुनने को भी तैयार नहीं होते। वो ज्योतिषी तो मेरे तर्क को कुतर्क और मुझे कुतर्की कहकर चुप करा देते थे। अत: एक कुलीन ब्राह्मण और इन सारी बातों को मानने वाले परिवार में जन्म लेने के बावजूद भी आरम्भ में इस महान विद्या के प्रति हमारा दृष्टिकोण बहुत अधिक सकारात्मक नहीं था। लेकिन जिन्दगी में एक ऐसी घटना घटी जब मेरा इस जीवन से मोह भंग हो गया। इससे पहले कि मैं कोई गलत कदम उठाता मेरी मुलाकात ज्योतिष की सामान्य जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति से हुई और उनके कुछ उपायों से मुझे चमत्कारिक लाभ मिला। मुझे लगा कि यदि ज्योतिष का एक सामान्य जानकार इतना लाभकारी हो सकता है तो इसका विशेषज्ञ तो बहुतों का भला कर सकता है। फिर क्या था मैं भी चल पड़ा ज्योतिष की राह पर और अब तो इस राह पर चलते-चलते इतनी दूर चला आया हूं कि लौटना पीडादायक लगता है। यही वजह है कि आज मैंने ज्योतिष को अपनी आजीविका के रूप में अपना रखा है।
2. आप कौन-सी ज्योतिषीय पद्धति का उपयोग करते हैं और क्यों?
व्यक्तिगत रूप से मैं शुरू से ही वैदिक ज्योतिष का पक्षधर रहा हूं और इसी विधा का प्रयोग भी करता हूं। क्योंकि वास्तव में मूल ज्योतिष तो वैदिक ज्योतिष ही है अन्य विधाओं की उत्पत्ति इसी विधा यानी कि वैदिक ज्योतिष से ही हुई है। हाँ कुछ विद्वानों ने वैदिक ज्योतिष की दिशा में विशेष शोध किए और एक नई विधा का अनुसंधान कर डाला। उदाहरण के लिए कृष्णमूर्ति जी ने वैदिक ज्योतिष के नक्षत्र खंड पर विशेष कार्य और शोध करते हुए सटीक फलादेश की दिशा में एक अद्वितीय कार्य किया, यही कारण है कि उनके द्वारा खोजी गई विधा आज कृष्णमूर्ति पद्धति के नाम से जानी जाती है। मैं भी कई मौकों पर कृष्णमूर्ति पद्धति का प्रयोग करता हूं। सरल उपायों के मामले में लाल किताब की उपयोगिता से भी इंकार नहीं किया जा सकता। सारांश यह है कि मैं वैदिक ज्योतिष, कृष्णमूर्ति पद्धति, अंक ज्योतिष आदि के माध्यम से फलादेश करने का प्रयास करता हूँ, वहीं उपाय के लिए वैदिक उपायों के साथ-साथ लाल किताब के उपायों को भी अपनाता हूँ इन सबके बावजूद मैं वैदिक ज्योतिष को प्रमुखता देता हूँ।
3. आपके जीवन में ज्योतिष से जुड़ी कोई घटना या आपकी कोई ऐसी भविष्यवाणी जिसका ख़ासा असर रहा हो और जिसे आप यहाँ हमारे पाठकों से साझा करना चाहें?
यह घटना सम्भवत: 2008 के आस पास की है उस समय “इंडिया न्यूज” मैग्जीन में मैं ज्योतिष का नियमित स्तंभकार था। मैं अपने कुछ मित्रों के साथ नासिक जा रहा था, उद्देश्य तीर्थाटन और पर्यटन था। हमारी ट्रेन हजरत निजामुद्दीन से चलने ही वाली थी कि सामने वाली सीट पर जो सज्जन बैठने आए उनके हाथ में “इंडिया न्यूज” मैग्जीन का ताजा अंक था। मैं खिड़की के पास बैठा बाहर का नजारा देखने में संलग्न था। बैठने के बाद उन्होंने सबसे पहले पत्रिका के आखिरी पेज पर लिखा साप्ताहिक राशिफल पढ़ना शुरू किया ही था कि उनके बगल में हरियाणा निवासी एक सज्जन आकर बैठ गए। कुछ देर तक उन्होंने राशिफल वाले पेज और पढ़ने वाले के चेहरे को बारी-बारी से देखा फिर बोल पड़े कि ये सब बेकार और बकवास की चीजें हैं। ये ज्योतिषी लोग ठग और लुटेरे होते हैं वगैरह वगैरह। जो सज्जन राशिफल पढ़ रहे थे वो भी उनकी हाँ में हाँ मिलाने लगे। उनकी बहस को सुन मैं भी उनकी ओर मुड़ गया लेकिन शायद वो मुझे पहचान नहीं पाये कि, राशिफल लिखने वाला पंडित मैं ही हूँ। क्योंकि उस समय मैं टी-सर्ट और पैंट में था जबकि मैग्जीन में जो फोटो छपा था उसमें मैं कुर्ता-गमछा और चंदन धारी था। वैसे भी उन्हें ये उम्मीद तो बिल्कुल नहीं रही होगी कि इस मैग्जीन वाला पंडित यहां कैसे होगा इसलिए वो सज्जन ज्योतिषी बिरादरी को धोए पड़े थे और हम चुपचाप सुन रहे थे।
आखिरकार मेरे दोस्त से बर्दाश्त नहीं हुआ, वह भी “ज़ी न्यूज” का आइ.डी. कार्ड गले में डाले उनसे भिड़ गया। बोला सारे पंडित ऐसे नहीं होते विश्वास न हो तो ये हमारे मित्र भी ज्योतिष करते हैं इनसे कुछ पूछ कर देख लो। तब उन लोगों ने मुझे गौर से देखा और बोले, कहीं ये मैग्जीन वाले पंडित जी आप ही तो नहीं हो। मैंने हाँ में सिर हिलाया और उनसे निवेदन किया कि वो अपना सही जन्म विवरण हमें बताएं। उनका तो सही जन्म विवरण था नहीं, सो अपने पुत्र के बारे में उन्होंने जानना चाहा। हमने भी लैपटाप पर कुण्डली बनाई। इष्ट का स्मरण किया और लग गए परीक्षा देने में। ईश्वर की कृपा से जो-जो बताया वो सही हुआ और वो सज्जन बड़े प्रभावित हुए। उन्होंने वादा किया कि अब से बिना आज़माये किसी ज्योतिषी को गाली नहीं दूँगा। साथ ही वहां बैठे मैग्जीन लेके आने वाले सज्जन जो कि हमारे साथ शिरडी तक गए, वो मेरी आव भगत करते हुए गए। उन्होंने भी माना कि ज्योतिषी गलत हो सकते हैं, ज्योतिष नहीं।
4. उभरते हुए ज्योतिषियों या फिर जिन लोगों की इस विषय में रुचि है उनके लिए आपकी क्या सलाह है?
इस पवित्र विद्या को सीखने की कुछ पात्रताओं का उल्लेख मिलता है जैसे कि ज्योततिषी को गणित का जानकार होना चाहिए। ज्योतिषी की भाषा समृद्ध होनी चाहिए। उसे सम्प्रेषण का ज्ञान होना चाहिए। ज्योतिषी को न्यायविद, बुद्धिमान, देश, दिशा, व काल का ज्ञाता होना चाहिए। साथ ही ज्योतिषी को जीतेन्द्रिय, सभी पहलुओं में विचार करने में समर्थ होना चाहिए। कुछ और विशेष गुण जैसे- अंत:करण की शुद्धता, आंतरिक शान्ति और स्थिरता, निर्भयता, शकुन का ज्ञान, व्यसन मुक्त, ग्रह शांति के लिए मंत्रों का ज्ञान, अधम क्रियाओं को निष्फल करने का ज्ञान, आध्यात्मिक व्यक्तित्व और उचित चेतावनी देने में सामर्थ्यता आदि गुणों का होना एक सच्चा ज्योतिषी बनाता है। यानी सच्चा ज्योतिषी बनने के लिए उपरोक्त गुणों का होना जरूरी होता है। यदि ये पात्रताएं आपमें है तो निश्चय ही आप इस विद्या का दुरुपयोग नहीं करेंगे। परोपकार और समाजहित करते हुए इस विद्या के माध्यम से समाज में व्याप्त अंधेरे को मिटाएं। तभी ज्योतिष और ज्योतिषी दोनों का नाम सार्थक होगा।
5. आपके मुताबिक़ ऐसी कौन-सी ज्योतिषीय पुस्तकें हैं जिन्हें पढ़ना ही चाहिए?
फलदीपिका, मानसागरी और बृहदपराशर होरा शास्त्र जैसी पुस्तकें ज्योतिष सीखने में आपकी सहायक हो सकती हैं लेकिन यदि किसी एक पुस्तक का ही नाम लेने को कहा जाय तो मैं यही कहूंगा कि “फलदीपिका” का एक बार अध्ययन जरूर करना चाहिए।
6. ऍस्ट्रोसेज.कॉम के पाठकों से आप क्या कहना चाहेंगे?
दुनिया भर में जितनी भी ज्योतिषीय वेबसाइट्स हैं उनमे कहने को तो बहुत कुछ मुफ्त है लेकिन उन मुफ्त सामग्रियों में सार्थक सामग्री बहुत कम है। वहीं ऍस्ट्रोसेज.कॉम में बहुत कुछ नहीं बल्कि लगभग वो सबकुछ मुफ्त में है जो ज्योतिष को जानने और मानने वालों के लिए लाभकारी है। इनमें न केवल गणना के लिए ज्योतिषीय साफ्टवेअर मुफ्त है, बल्कि पढने के लिए इतना कुछ है कि एक सामान्य आदमी अच्छा ज्योतिषी बन सकता है।
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1. ज्योतिष में दिलचस्पी कैसे पैदा हुई? पेशे के तौर पर इस क्षेत्र में आना कैसे हुआ?
मैं शुरू से ही तर्क वितर्क करके और हर एक चीज़ को कसौटी में कसकर अपनाने का आदी रहा हूँ, लेकिन गाँव में पाए जाने वाले ज्योतिषी, ज्योतिष के संदर्भ में इस प्रकार के तर्क वितर्क सुनने को भी तैयार नहीं होते। वो ज्योतिषी तो मेरे तर्क को कुतर्क और मुझे कुतर्की कहकर चुप करा देते थे। अत: एक कुलीन ब्राह्मण और इन सारी बातों को मानने वाले परिवार में जन्म लेने के बावजूद भी आरम्भ में इस महान विद्या के प्रति हमारा दृष्टिकोण बहुत अधिक सकारात्मक नहीं था। लेकिन जिन्दगी में एक ऐसी घटना घटी जब मेरा इस जीवन से मोह भंग हो गया। इससे पहले कि मैं कोई गलत कदम उठाता मेरी मुलाकात ज्योतिष की सामान्य जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति से हुई और उनके कुछ उपायों से मुझे चमत्कारिक लाभ मिला। मुझे लगा कि यदि ज्योतिष का एक सामान्य जानकार इतना लाभकारी हो सकता है तो इसका विशेषज्ञ तो बहुतों का भला कर सकता है। फिर क्या था मैं भी चल पड़ा ज्योतिष की राह पर और अब तो इस राह पर चलते-चलते इतनी दूर चला आया हूं कि लौटना पीडादायक लगता है। यही वजह है कि आज मैंने ज्योतिष को अपनी आजीविका के रूप में अपना रखा है।
2. आप कौन-सी ज्योतिषीय पद्धति का उपयोग करते हैं और क्यों?
व्यक्तिगत रूप से मैं शुरू से ही वैदिक ज्योतिष का पक्षधर रहा हूं और इसी विधा का प्रयोग भी करता हूं। क्योंकि वास्तव में मूल ज्योतिष तो वैदिक ज्योतिष ही है अन्य विधाओं की उत्पत्ति इसी विधा यानी कि वैदिक ज्योतिष से ही हुई है। हाँ कुछ विद्वानों ने वैदिक ज्योतिष की दिशा में विशेष शोध किए और एक नई विधा का अनुसंधान कर डाला। उदाहरण के लिए कृष्णमूर्ति जी ने वैदिक ज्योतिष के नक्षत्र खंड पर विशेष कार्य और शोध करते हुए सटीक फलादेश की दिशा में एक अद्वितीय कार्य किया, यही कारण है कि उनके द्वारा खोजी गई विधा आज कृष्णमूर्ति पद्धति के नाम से जानी जाती है। मैं भी कई मौकों पर कृष्णमूर्ति पद्धति का प्रयोग करता हूं। सरल उपायों के मामले में लाल किताब की उपयोगिता से भी इंकार नहीं किया जा सकता। सारांश यह है कि मैं वैदिक ज्योतिष, कृष्णमूर्ति पद्धति, अंक ज्योतिष आदि के माध्यम से फलादेश करने का प्रयास करता हूँ, वहीं उपाय के लिए वैदिक उपायों के साथ-साथ लाल किताब के उपायों को भी अपनाता हूँ इन सबके बावजूद मैं वैदिक ज्योतिष को प्रमुखता देता हूँ।
3. आपके जीवन में ज्योतिष से जुड़ी कोई घटना या आपकी कोई ऐसी भविष्यवाणी जिसका ख़ासा असर रहा हो और जिसे आप यहाँ हमारे पाठकों से साझा करना चाहें?
यह घटना सम्भवत: 2008 के आस पास की है उस समय “इंडिया न्यूज” मैग्जीन में मैं ज्योतिष का नियमित स्तंभकार था। मैं अपने कुछ मित्रों के साथ नासिक जा रहा था, उद्देश्य तीर्थाटन और पर्यटन था। हमारी ट्रेन हजरत निजामुद्दीन से चलने ही वाली थी कि सामने वाली सीट पर जो सज्जन बैठने आए उनके हाथ में “इंडिया न्यूज” मैग्जीन का ताजा अंक था। मैं खिड़की के पास बैठा बाहर का नजारा देखने में संलग्न था। बैठने के बाद उन्होंने सबसे पहले पत्रिका के आखिरी पेज पर लिखा साप्ताहिक राशिफल पढ़ना शुरू किया ही था कि उनके बगल में हरियाणा निवासी एक सज्जन आकर बैठ गए। कुछ देर तक उन्होंने राशिफल वाले पेज और पढ़ने वाले के चेहरे को बारी-बारी से देखा फिर बोल पड़े कि ये सब बेकार और बकवास की चीजें हैं। ये ज्योतिषी लोग ठग और लुटेरे होते हैं वगैरह वगैरह। जो सज्जन राशिफल पढ़ रहे थे वो भी उनकी हाँ में हाँ मिलाने लगे। उनकी बहस को सुन मैं भी उनकी ओर मुड़ गया लेकिन शायद वो मुझे पहचान नहीं पाये कि, राशिफल लिखने वाला पंडित मैं ही हूँ। क्योंकि उस समय मैं टी-सर्ट और पैंट में था जबकि मैग्जीन में जो फोटो छपा था उसमें मैं कुर्ता-गमछा और चंदन धारी था। वैसे भी उन्हें ये उम्मीद तो बिल्कुल नहीं रही होगी कि इस मैग्जीन वाला पंडित यहां कैसे होगा इसलिए वो सज्जन ज्योतिषी बिरादरी को धोए पड़े थे और हम चुपचाप सुन रहे थे।
आखिरकार मेरे दोस्त से बर्दाश्त नहीं हुआ, वह भी “ज़ी न्यूज” का आइ.डी. कार्ड गले में डाले उनसे भिड़ गया। बोला सारे पंडित ऐसे नहीं होते विश्वास न हो तो ये हमारे मित्र भी ज्योतिष करते हैं इनसे कुछ पूछ कर देख लो। तब उन लोगों ने मुझे गौर से देखा और बोले, कहीं ये मैग्जीन वाले पंडित जी आप ही तो नहीं हो। मैंने हाँ में सिर हिलाया और उनसे निवेदन किया कि वो अपना सही जन्म विवरण हमें बताएं। उनका तो सही जन्म विवरण था नहीं, सो अपने पुत्र के बारे में उन्होंने जानना चाहा। हमने भी लैपटाप पर कुण्डली बनाई। इष्ट का स्मरण किया और लग गए परीक्षा देने में। ईश्वर की कृपा से जो-जो बताया वो सही हुआ और वो सज्जन बड़े प्रभावित हुए। उन्होंने वादा किया कि अब से बिना आज़माये किसी ज्योतिषी को गाली नहीं दूँगा। साथ ही वहां बैठे मैग्जीन लेके आने वाले सज्जन जो कि हमारे साथ शिरडी तक गए, वो मेरी आव भगत करते हुए गए। उन्होंने भी माना कि ज्योतिषी गलत हो सकते हैं, ज्योतिष नहीं।
4. उभरते हुए ज्योतिषियों या फिर जिन लोगों की इस विषय में रुचि है उनके लिए आपकी क्या सलाह है?
इस पवित्र विद्या को सीखने की कुछ पात्रताओं का उल्लेख मिलता है जैसे कि ज्योततिषी को गणित का जानकार होना चाहिए। ज्योतिषी की भाषा समृद्ध होनी चाहिए। उसे सम्प्रेषण का ज्ञान होना चाहिए। ज्योतिषी को न्यायविद, बुद्धिमान, देश, दिशा, व काल का ज्ञाता होना चाहिए। साथ ही ज्योतिषी को जीतेन्द्रिय, सभी पहलुओं में विचार करने में समर्थ होना चाहिए। कुछ और विशेष गुण जैसे- अंत:करण की शुद्धता, आंतरिक शान्ति और स्थिरता, निर्भयता, शकुन का ज्ञान, व्यसन मुक्त, ग्रह शांति के लिए मंत्रों का ज्ञान, अधम क्रियाओं को निष्फल करने का ज्ञान, आध्यात्मिक व्यक्तित्व और उचित चेतावनी देने में सामर्थ्यता आदि गुणों का होना एक सच्चा ज्योतिषी बनाता है। यानी सच्चा ज्योतिषी बनने के लिए उपरोक्त गुणों का होना जरूरी होता है। यदि ये पात्रताएं आपमें है तो निश्चय ही आप इस विद्या का दुरुपयोग नहीं करेंगे। परोपकार और समाजहित करते हुए इस विद्या के माध्यम से समाज में व्याप्त अंधेरे को मिटाएं। तभी ज्योतिष और ज्योतिषी दोनों का नाम सार्थक होगा।
5. आपके मुताबिक़ ऐसी कौन-सी ज्योतिषीय पुस्तकें हैं जिन्हें पढ़ना ही चाहिए?
फलदीपिका, मानसागरी और बृहदपराशर होरा शास्त्र जैसी पुस्तकें ज्योतिष सीखने में आपकी सहायक हो सकती हैं लेकिन यदि किसी एक पुस्तक का ही नाम लेने को कहा जाय तो मैं यही कहूंगा कि “फलदीपिका” का एक बार अध्ययन जरूर करना चाहिए।
6. ऍस्ट्रोसेज.कॉम के पाठकों से आप क्या कहना चाहेंगे?
दुनिया भर में जितनी भी ज्योतिषीय वेबसाइट्स हैं उनमे कहने को तो बहुत कुछ मुफ्त है लेकिन उन मुफ्त सामग्रियों में सार्थक सामग्री बहुत कम है। वहीं ऍस्ट्रोसेज.कॉम में बहुत कुछ नहीं बल्कि लगभग वो सबकुछ मुफ्त में है जो ज्योतिष को जानने और मानने वालों के लिए लाभकारी है। इनमें न केवल गणना के लिए ज्योतिषीय साफ्टवेअर मुफ्त है, बल्कि पढने के लिए इतना कुछ है कि एक सामान्य आदमी अच्छा ज्योतिषी बन सकता है।
Thanks for your positive opinion regarding astrology.
ReplyDeletePandit ji,saadar pranam....thanks for guiding us .i m vry interested in vedic astrolog, and fond of ur astrosage magzine and mobile apps.....
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