साप्ताहिक प्रेम सम्बन्ध राशिफल (01.09.2014 - 07.09.2014) - कैसे आएगी जीवन में प्यार की बहार?

कैसे और कब दस्तक देगा प्यार आपके जीवन में? क्या आने वाले समय में आप प्यार भरे सुहावने पल व्यतीत कर पाएँगे? ‘पं हनुमान मिश्रा’ के द्वारा दिया गया साप्ताहिक प्रेम राशिफल पढ़िये और आने वाले सप्ताह में अपने प्रेम जीवन के बारे में जानिये।

साप्ताहिक प्रेम राशिफल के द्वारा अपने प्रेम जीवन के बारे में सम्पूर्ण रूप से जानें।

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मेष:
सप्ताह की शुरुआत प्रेम संबंध के लिए अधिक अनुकूल नहीं है। अत: इस समय बड़ी सावधानी से रिश्तों को निभाना होगा। इस समय आपका पार्टनर किसी बात को लेकर ज़िद कर सकता है। अथवा ऐसा हो सकता है कि उसकी तबियत कुछ ढीली रह सकती है। इस समय आपस में संदेह करने से बचें। सप्ताह के मध्य में कुछ बेहतरी का अनुभव होगा। फिर भी ध्यान इस बात का रखना है कि यदि कोई व्यक्ति ग़लतफ़हमी पैदा करने की कोशिश करता है तो उससे सावधान रहें। सप्ताहांत में काम की अधिकता रह सकती है शायद इसलिए आप उन्हें अधिक समय नहीं दे पाएंगे। लेकिन यदि आपका प्रेम प्रसंग किसी सहकर्मी से है तो प्रेम में कोई व्यवधान नहीं आएगा।

भाग्यस्टार: 2/5

वृषभ:
सप्ताह की शुरुआत प्रेम प्रसंग के लिए सामान्यत: अनुकूल रहने वाली है, लेकिन चन्द्रमा की नीच राशि में स्थिति के कारण जीवनसाथी के साथ कुछ विवाद सम्भव है। यदि विवाहित नहीं हैं और किसी सहकर्मी से आत्मिक लगाव है तो चिंता की कोई बात नहीं है काम के साथ-साथ आप इश्क भी फरमा सकेंगे। यदि किसी को प्रपोज़ करने जा रहे हैं और कोई सीनिअर इसमें मदद करने की बात कर रहा है तो सावधानी से काम लें, विवाद की स्थिति भी आ सकती है। सप्ताह के मध्य में प्यार मुहब्बत को लेकर किसी भी प्रकार का रिस्क लेना ठीक नहीं होगा। सप्ताहांत में बेहतर परिणाम मिलने की उम्मीद है। लेकिन उस समय भी जज़्बात में बहकर कोई निर्णय न लें।

भाग्यस्टार: 2.5/5

मिथुन:
सप्ताह की शुरुआत में अगर आप किसी से अपने दिल की बात कहने की सोच रहे हैं तो इस समय अपने ईगो को एक किनारे में रख देना ही उचित होगा। हालांकि द्वितीयेश चंद्रमा पर सप्तमेश गुरु की दृष्टि रहेगी, अत: आप उनसे कुछ कहें या न कहें लेकिन उनके प्रति आपका लगाव गहरा और गहरा होता जाएगा। प्रेम प्रसंग के चलते कोई विवाद न करें। सप्ताह का मध्य भाग प्रेम में और भी प्रगाढ़ता लाएगा। आपका साथी आपकी भावनाओं का खयाल रखेगा। सप्ताहांत में आपको अपने साथी के प्रति पूरी तरह से ईमानदार रहना है। एक दूसरे पर शंका करने से भी बचना होगा। प्रेम में किसी भी प्रकार का रिस्क लेना ठीक नहीं रहेगा।

भाग्यस्टार 3.5/5

कर्क:
सामान्य तौर पर यह सप्ताह दिली मामलों के लिए अनुकूल रहेगा। सप्ताह की शुरुआत में सप्तमेश चंद्रमा कुण्डली के पंचम भाव में है। यह एक अच्छी बात है लेकिन पंचमेंश मंगल का चतुर्थ में शनि के साथ होना अनुकूल नहीं है, अत: एक ओर जहाँ प्रेम की बरसात होगी वहीं इस बारिश से दिल को अधिक सुकून नहीं मिल पाएगा। सप्ताह के मध्य में किसी कम्पटीटर के सामने आने के योग हैं। या फिर किसी बात को लेकर कुछ अनबन हो सकती है। हालांकि सितारे आपके फ़ेवर में हैं अत: चिंता की कोई बात नहीं। सप्ताहांत में राशि स्वामी चंद्रमा सप्तम में हैं जबकि पंचमेश मंगल सप्तमेश के साथ हैं, अत: इस समय प्रेम में और भी प्रगाढ़ता आएगी।

भाग्यस्टार: 3.5/5

सिंह:
सप्ताह की शुरुआत में नीच का चंद्रमा आपके चौथे भाव में है, अत: आप प्रेम को लेकर कभी उत्साहित तो कभी निराश हो सकते हैं। हालांकि किसी चिंता के चलते आप प्रेम संबंधों के प्रति पूरी तरह से समर्पित नहीं रह पाएंगे। कुछ घरेलू परेशानियाँ आपका मूड खराब कर सकती हैं। लेकिन घरेलू गुस्से को आप अपने लव पार्टनर पर न निकालें। सप्ताह के मध्य में आप अपने लव पार्टनर को खुश रखने का प्रयास करेंगे। वहीं सप्ताहांत में किसी बात पर तकरार तो होगी लेकिन तकरार के बाद समझौता हो जाएगा।

भाग्यस्टार: 3.5/5

कन्या:
सामान्य तौर पर यह सप्ताह आपके लिए अनुकूल रहने वाला है। यह समय मनोरंजन करने या घूमने का है। यदि आपका लव पार्टनर कई दिनों से आपको मूवी ले चलने के लिए कह रहा है तो यह समय अनुकूल है, जाइए देख आइए लेकिन एक्शन मूवी का टिकट बुक करने से पहले अपने पार्टनर से पूछ लें कि उसे यह फिल्म देखनी है या नहीं। सप्ताह के मध्य में आप कुछ परेशान रह सकते हैं। इस टेंसन को दूर करने में आपका लव पार्टनर मददगार हो सकता है। सप्ताह के अंत में उमड़ रहे प्यार में अधिक गर्मजोशी न डालें।

भाग्यस्टार: 3/5

तुला:
सप्ताह की शुरुआत में प्रेम की शुरुआत मीठी-मीठी बातों से करें तो बेहतर रहेगा। इस समय किसी पारिवारिक या आर्थिक मुद्दे को लेकर बहस में न उलझें। काम को लेकर जो परेशानियाँ हैं उन्हें सुलझाने की चर्चा तभी करें जब यह समझ में आ जाए कि आपका पार्टनर उन्हें सुनने के मूड में है या नहीं। सप्ताह के मध्य में आप साथ में कहीं घूमने जा सकते हैं। सिनेमा देखना भी बेहतर रहेगा। कोई इमोशनल फिल्म देखना और भी बेहतर रहेगा। वहीं सप्ताहांत में प्यार मुहब्बत के लिए समय कम मिलेगा। कोशिश करें कि इस समय प्रेम के बीच अहंकार को न लाएँ।

भाग्यस्टार: 3/5

वृश्चिक:
सप्ताह की शुरुआत में आप बड़े रोमांटिक मूड में रह सकते हैं। लेकिन इस समय आपकी प्रवृत्ति व्याख्यान देने की रह सकती है जो शायद आपके लव पार्टनर को पसंद न आए, अत: प्रवचन देने से पहले पार्टनर के मूड को भांपना बिल्कुल न भूलें। सप्ताह के मध्य में अगर आप अपने साथी से दूर हैं तो फोन, चैटिंग या व्हाट्स एप के माध्यम से ही सही लेकिन उनसे जुड़े रहें। सप्ताहांत घूमने जाएँ लेकिन वाहन सावधानी से चलाएँ। यदि आप जिसे चाहते हैं वह पड़ोस में रहता/रहती है तो किसी तरह के विवाद की स्थिति निर्मित होने से बचें।

भाग्यस्टार: 3/5

धनु:
शायद इस हफ़्ते आप अपने प्रेम जीवन को लेकर अधिक संतुष्ट न रह पाएँ। हालांकि पंचमेश मंगल, पंचम भाव को देख रहा है लेकिन उसके साथ शनि भी है अत: प्रेम को लेकर मन में असंतोष रहना स्वाभाविक है। सप्ताह की शुरुआत में यदि आप अपने लव पार्टनर से दूर हैं तो वीडियों कालिंग या विडियों चैट के जरिए एक दूसरे के सम्पर्क में रहें अन्यथा अपनी गतिविधियों की फोटोज़ शेअर करते रहें। हालांकि सप्ताह के मध्य में आप खुद ब खुद भावुक बने रहेंगे और अपना अधिक से अधिक समय अपने लव पार्टनर से कनेक्ट रहने में बिताएंगे। सप्ताहांत में आप एक दूसरे से बहस न करें।

भाग्यस्टार: 2.5/5

मकर:
इस सप्ताह पंचमेश शुक्र अष्टम में है और पंचम में मंगल की दृष्टि है, अत: प्रेम को लेकर मन में असंतोष होना स्वाभाविक है। हालांकि सप्ताह की शुरुआत में आपके प्रेम में नवीन ऊर्जा का संचार होगा। इस समय आप अपने लव पार्टनर से पूरी गर्मजोशी के साथ मिला करेंगे। सप्ताह मध्य में आप दूर रह रहे पार्टनर से मिलने जा सकते हैं या फिर वो आपसे मिलने आ सकते हैं। सप्ताहांत आपको इमोशनल बना सकता है, अत: भावनाओं में बहकर कुछ गलत करने से बचें। हालांकि इस समय आप एक-दूसरे के साथ खूब समय बिताएंगे।

भाग्यस्टार: 3/5

कुम्भ:
पंचमेश बुध, राहु के साथ अष्टम में है अत: प्यार में पारदर्शिता और धैर्य की बहुत ज़रूरत रहेगी। सप्ताह की शुरुआत में कार्य व्यस्तता के कारण आप अपने लव पार्टनर को अधिक समय नहीं दे पाएंगे। लेकिन जितना भी समय मिले उसे पूरी तरह से इन्ज्वाय करने की कोशिश करें। सप्ताह के मध्य में आप अपने लव पार्टनर को पर्याप्त समय से पाएंगे। लेकिन प्रेम के बीच में शंकाओं को घर न बनाने दें। सप्ताहांत उनके लिए अच्छा है जो विवाहित हैं, उन्हें जीवनसाथी के साथ दूर की यात्रा करने का मौका मिलेगा।

भाग्यस्टार: 2.5/5

मीन:
सप्ताह की शुरुआत में जहाँ तक हो सके लव पार्टनर के साथ बेहतर रिश्ते बनाए रखने की कोशिश करें। पहले से खराब चल रहे रिश्तों को सुधारने की कोशिश करें। यदि आस पास कहीं धार्मिक स्थान हो तो वहाँ जाकर पवित्र और शुद्ध मन से एक दूसरे की खुशहाली के लिए दुआ मांगें। इस समय एक दूसरे की माँ का पूर्ण सम्मान करें। सप्ताह के मध्य में काम अधिक रह सकता है, फलस्वरूप आप अपने रिश्ते को पर्याप्त समय नहीं दे पाएंगे। सप्ताहांत में पुराने मनमुटाव दूर होंगे। इस समय साथ मिलकर कुछ ख़रीददारी कर सकते हैं लेकिन इलेक्ट्रानिक सामान खरीदने से बचें।

भाग्यस्टार: 3/5

पं हनुमान मिश्रा
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सितम्बर राशिफल 2014 - जानिए सभी परेशानियों को ख़तम करने का राज़!

एस्ट्रोसेज आप सबके सामने प्रस्तुत कर रहा है सितम्बर 2014 राशिफल। ‘पं हनुमान मिश्रा’ की बताई गई भविष्यवाणी से आप अपने आने वाले समय के बारे में जान पाएंगे। आइये पढ़ें एस्ट्रोसेज की ज्योतिष गणनाएँ। यह फलादेश आपकी चंद्र राशि पर आधारित हैं। 




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वर्ष भर का राशिफल पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें: वार्षिक राशिफ़ल 2014 

सितम्बर 2014 के राशिफ़ल के माध्यम से आप जान पाएंगे कि सितम्बर 2014 का महीना आपके लिए कैसा रहेगा। इसे जानकर आप अनुकूल समय का लाभ उठा पाएंगे और जो समय आपके लिए प्रतिकूल है उस समय सावधानी से काम लेकर परेशानियों से बच पाएंगे। तो आइए बात करते हैं इस माह के राशिफल की-

मेष राशि का सितम्बर राशिफल 2014

आपके लिए लगभग यह पूरा महीना ही शुभकर रहेगा। इस अवधि में आप जीवन का बड़े उत्साह और उल्लास से स्वागत करेंगे। इस समय आपका मनोमस्तिष्क पूर्णत: चैतन्य रहेगा। संतान या प्रेम संबंध को लेकर चली आ रही समस्या दूर होगी। लेकिन सप्तम में शनि और मंगल की युति को देखते हुए निजी जीवन में संयमित व्यवहार करना होगा। महीने का दूसरा भाग आपकी सारी समस्याओं का समाधान करने वाला रहेगा। समस्याओं से निजात मिलेगी। मान सम्मान बढ़ेगा। काम धंधे या नौकरी के हालातों में सुधार या पदोन्नति की संभावनाएँ बन रही हैं। 

उपचार: उपाय के रूप में विष्णु भगवान के मंदिर में पीले वस्त्र का दान करना शुभ रहेगा।

वृषभ राशि का सितम्बर राशिफल 2014

इस महीने आपको अधिक अनुकूल परिणाम पाने के लिए मेहनत कुछ ज़्यादा करनी पड़ सकती है। महीने के पहले पक्ष में ऐसा हो सकता है कि आप स्वयं को थका हुआ महसूस करें। इस समय कोई घरेलू सामान खरीदना या बेचना पड़ सकता है। महीने के दूसरे भाग में स्थितियाँ कुछ बेहतर होंगी, फ़िर भी सावधानी की आवश्यकता बनी रहेगी। संतान या फ़िर प्रेम पात्र के लिए कोई महंगा उपहार खरीदने की चिंता रह सकती है।

उपचार: परेशानी होने की स्थिति में हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएँ।

मिथुन राशि का सितम्बर राशिफल 2014

महीने के पहले भाग में आपको अनुकूल परिणाम मिलेंगे। यदि आप बड़े दिनों से कोई अच्छा फ़ोन खरीदने की सोच रहे थे तो उसके लिए यह एक अच्छा समय रहेगा। इस समय आप कोई कम दूरी की यात्रा भी कर सकते हैं जो आपके लिए लाभकारी भी रहेगी। भाई बन्धुओं से भी सम्बंध बेहतर होंगे। मित्र आपके लिए मददगार साबित होंगे। आर्थिक मामलों के लिए भी समय अनुकूल रहेगा। जबकि महीने का दूसरा भाग आपसे अधिक मेहनत करवा सकता है। इस समय हर मसले में सही-गलत का फ़ैसला बहुत सोच समझ कर करें। जिनसे आपका आत्मिक लगाव हो उन व्यक्तियों से विवाद न करें। 

उपचार: कष्ट या परेशानी होने की स्थिति में दुर्गा माँ की पूजा आराधना करें।

कर्क राशि का सितम्बर राशिफल 2014

महीने की शुरुआत अपेक्षाकृत कम अनुकूल रहेगी। इस समय आर्थिक मामलों में विशेष सावधानी रखनी होगी। कुछ पारिवारिक परेशानियाँ भी रह सकती हैं। लेकिन महीने का दूसरा पक्ष आपकी समस्याओं को दूर करने वाला रहेगा। किसी यात्रा के माध्यम से आप लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आर्थिक मामलों में भी अनुकूलता आएगी। स्वास्थ्य भी अनुकूल रहेगा। हालांकि घरेलू शांति के लिए आपको निरंतर प्रयास करना होगा। 

उपचार: परेशानी की स्थिति में हनुमान जी के मंदिर में लाल रंग का सेब चढ़ाएँ।

सिंह राशि का सितम्बर राशिफल 2014

महीने का पहला भाग आपके लिए मिलेजुले फल देने वाला रहेगा। इस समय आपका राशि स्वामी सूर्य आपकी राशि में ही रहेगा, अत: आप आत्मविश्वास से ओत प्रोत रहेंगे। आपको सरकार या किसी संगठन के द्वारा सम्मानित किया जा सकता है। लेकिन इस समय अपने स्वास्थ्य का खास ख़्याल रखना होगा। इस समय क्रोध करने से भी बचना होगा। महीने के दूसरे भाग में भी घरेलू और आर्थिक मामलों में सावधानी से काम करने की ज़रूरत रहेगी। स्वास्थ्य संबंधित कुछ समस्याएँ इस समय भी रह सकती हैं। 

उपचार: भगवान शिव के मंदिर में दूध चढ़ाएँ।

कन्या राशि का सितम्बर राशिफल 2014

सप्ताह की शुरुआत में लगभग सभी कामों में सावधानी बरतने की सलाह मैं आप को देना चाहूँगा। इस समय कोई भी काम उन्मादी होकर न करें। यथा संभव यात्राओं और ट्रैफ़िक से बचें। कार्य-व्यापार में संयमित व्यवहार करें। व्यर्थ के खर्चों से बचें। इस समय वाणी पर विशेष संयम रखने की ज़रूरत रहेगी। वहीं महीने के दूसरे भाग में आपकी समस्याएँ कम होंगी। आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी। किसी लाभदायक यात्रा पर जाना हो सकता है। लेकिन इस समय भी अपना तथा घर परिवार के स्वास्थ्य का ख़याल रखना ज़रूरी होगा। संयमित बोलना और व्यर्थ के खर्चों से बचना होगा। 

उपचार: हनुमान जी को चोला चढ़ाएँ।

तुला राशि का सितम्बर राशिफल 2014

हालांकि महीने का पहला भाग आपको कई तरह से लाभ दिला सकता है क्योंकि आपका लाभेश लाभ स्थान पर है। लेकिन लग्न पर शनि और मंगल की युति के कारण आपको अपने स्वास्थ्य का ख़याल रखना बहुत ज़रूरी होगा। हालांकि इस समय आप कुछ ऐसे अनुबंध कर सकते हैं जो आपके लिए बहुत फ़ायदेमंद साबित होंगे। आमदनी में इजाफ़ा होगा। यात्राओं के माध्यम से भी लाभ होगा। लेकिन महीने का दूसरा भाग खर्चों से भरा रह सकता है। इस समय भी आपको अपने स्वास्थ्य का ख़याल रखना ज़रूरी होगा। 

उपचार: शनिवार के दिन हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएँ।

वृश्चिक राशि का सितम्बर राशिफल 2014

ये पूरा महीना ही आपके लिए अनुकूल रहेगा। महीने के प्रथम भाग में आप अपने कार्य व्यापार में बहुत अच्छा करेंगे। आपको वरिष्ठ जनों का सहयोग मिलेगा। आपके बॉस आपसे खुश रहेंगे। आर्थिक मामलों में सुधार और कुछ व्यापारिक यात्राओं के योग बन रहे हैं। वहीं महीने के दूसरे भाग में लाभ की स्थितियाँ सुदृढ़ बनी रहेंगी। जीवन साथी या प्रेम पात्र के साथ आनंददायी समय बीतेगा। लेकिन आपकी नींद में कुछ व्यवधान रह सकता है। यात्रा के दौरान सावधानी रखना भी ज़रूरी होगा। 

उपचार: शनि मंदिर में काले उड़द का दान करें।

धनु राशि का सितम्बर राशिफल 2014

इस महीने की शुरुआत आपके लिए मिली जुली रहेगी। कुछ दूर की यात्राएँ हो सकती हैं, यदि आपने दिल से प्रयास किया तो ये यात्राएँ सफल भी रहेंगी। इस समय बड़े पदों पर बैठे लोगों से मिलकर फ़ायदा होगा। शिक्षा और संतान को लेकर चली आ रही चिंताएँ दूर होंगी। लेकिन इस समय माता पिता के स्वास्थ्य का ख़याल रखना ज़रूरी होगा। वहीं महीने का दूसरा भाग कार्य-व्यापार के लिए बहुत अच्छा रहेगा। आर्थिक समस्याओं से भी छुटकारा मिलेगा। 

उपचार: पिता या पिता तुल्य व्यक्ति की सेवा करें व उनका आशीर्वाद लें।

मकर राशि का सितम्बर राशिफल 2014

वैसे तो काम धंधे के लिए पूरा महीना ही अनुकूल है, लेकिन अष्टम में स्थित सूर्य के कारण महीने के प्रथम पक्ष वाले दिनों में सावधानी ज़रूरी होगी। यदि कुछ नया करने जा रहे हैं तो बहुत विचार-विमर्श करके ही कोई निर्णय लें। लेकिन महीने के दूसरे पक्ष में आपकी समस्याएँ काफ़ी कम होंगी। कामों में सफलता मिलेंगी। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। इस पूरे महीने वरिष्ठों से सामंजस्य बना कर चलें। 

उपचार: सूर्य भगवान को जल देना शुभ रहेगा, लेकिन उस जल में लाल रंग के फूल मिले होना ज़रूरी है।

कुम्भ राशि का सितम्बर राशिफल 2014

इस पूरे महीने आपको सावधानी बरतने की आवश्यकता है। बहुत सूझ-बूझ के साथ ही कोई व्यापारिक निर्णय लें। जीवन साथी को लेकर या फ़िर कुछ घरेलू परेशानियों के कारण भी आप व्यथित रह सकते हैं। माता-पिता को लेकर भी चिंता रह सकती है। यह समय मानसिक रूप से तनावग्रस्त करने वाला है। अत: उचित आचरण करते हुए अपना ख़्याल रखें। खान पान पर भी संयम रखें। यानी कि इस महीने सभी कामों में संयम से काम लेने की आवश्यकता है। 

उपचार: परेशानी की स्थिति में सिंदूर मिले जल से सूर्य को अर्घ दें।

मीन राशि का सितम्बर राशिफल 2014

वैसे तो महीने की शुरुआत आपके लिए अनुकूलता लिए हुए है, क्योंकि सूर्य का गोचर छठे भाव में हो रहा है। लेकिन शनि और मंगल की युति अष्टम भाव में हो रही है, अत: प्रत्येक कार्य को बड़ी सावधानी और चतुराई के साथ करना होगा। हालांकि सूर्य की अनुकूलता के कारण पुरानी समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। विरोधियों को परास्त करने में आप सफ़ल रहेंगे। कामों में सफलता मिलेगी। जबकि महीने के दूसरे भाग में पहले की तुलना में अधिक संयम से काम लेना होगा। कार्य-व्यापार के साथ-साथ अपने घर परिवार और स्वास्थ्य का भी ख़याल रखें। 

उपचार: बजरंग बाण का पाठ करना शुभ रहेगा।

आशा है, इस राशिफल के माध्यम से आप अपने अच्छे और बुरे समय को जानकर उस समय उचित व्यवहार कर अपने सितम्बर माह को शुभ बनाएंगे। नमस्कार!!

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बुध का तुला राशि में गोचर (21 सितम्बर 2014) - तैयार हो जाइये नयी ऊँचाइयों को छूने के लिए!

बुध ग्रह सितम्बर 21, 2014 को तुला राशि में गोचर कर रहा है। इस गोचर से सभी लोगों के जीवन पर कुछ न कुछ असर ज़रूर पड़ेगा। जानें कि क्या यह गोचर आपको कामयाबी की नयी ऊँचाइयों तक ले जाएगा या फिर और नीचे ले आएगा? लेख पढ़ें और जानें अपना भविष्य। 

बुध का तुला राशि में गोचर और उसके प्रभाव।


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जीवन की भाग-दौड़ दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। भाग-दौड़ के साथ ही बढ़ता जा रहा है, जीवन में तनाव और संघर्ष। यही तनाव कई बार हमारे स्वास्थ्य में कमी का बहुत बड़ा कारण बन जाता है। आने वाला समय बेहतर जीवन स्तर तो अपने साथ लेकर आ सकता है। परन्तु बेहतर जीवन शैली का विकास हमें स्वयं ही करना पड़ेगा। एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। सोचिये अगर माह के आरम्भ में आपको यह मालूम हो जाए कि इस माह के किस दिन मीटिंग करना उत्तम परिणाम देगा। और किस दिन पारिवारिक रिश्तों को अहमियत देना लाभकारी रहेगा। अगर माह में महत्वपूर्ण दिनों की शुभता-अशुभता को ध्यान में रखते हुए, माह से पहले ही माह में किये जाने वाले कार्यों का नियोजन कर लिया जाए तो। हम समझते हैं कि इससे काफी हद तक तनाव और संघर्ष को कम करने में सहायता मिल सकती है।

इस कार्य में ज्योतिष का योगदान महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर सकता है। जैसे, सितम्बर 21, 2014 को बुध अपना घर (स्वराशि कन्या) छोड़कर अपने मित्र शुक्र की तुला राशि में जा रहे हैं। एक मित्र का दूसरे मित्र के यहाँ जाना आपको किस प्रकार के फल दे सकता है। अगर आपको यह पहले ही बता दिया जाए तो निश्चित रूप से जीवन की गतिविधियों को सहज करने में मदद मिल सकती है। आइये आपको बुध ग्रह के शुक्र राशि तुला में जाने के फलों से अवगत कराते है.-

मेष: मेष राशि वालों को बुध ऐसी स्थिति में डाल सकता है, जिससे आपका प्रेम सम्बन्ध सबके सामने आ जाये। कोशिश करें कि अपने निजी जीवन को अपने काम की चिंताओं से दूर रखें। अपने काम करने की जगह पर आप किसी विवाद के शिकार हो सकते हैं, तो बेहतर होगा कि सतर्क रहें। मानसिक तनाव आपके गुस्से का कारण बन सकता है। घर पर कोई शुभ कार्यक्रम होना भी संभव है। 

वृषभ: बुध का तुला राशि में गोचर आपको मिले जुले परिणाम देगा। कोई भी बड़ा निर्णय लेने से पहले अच्छा होगा यदि आप परिस्थिति को अच्छे से जाँच लें। त्वचा की कोई समस्या आपको परेशान कर सकती है, तो इस समय अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। अपना कार्य आप पूरे जोश और उत्साह के साथ करेंगे, और आपके विरोधी भी आपके सामने टिक नहीं पाएंगे। इस समय अच्छा होगा कि आप सकारात्मक सोच को अपनाएँ। 

मिथुन: मिथुन राशि के लोग स्वाभाव से ही लेखन, नृत्य और अभिनय जैसे विषयों में रूचि रखते हैं। इस गोचर के दौरान आपको अपनी इन प्रतिभाओं को दिखाने का मौका भी मिलेगा। यदि आपके व्यावसायिक जीवन की बात की जाये तो किसी नयी जगह पर तबादला संभव है। अपने भावशील तथा स्नेहमय स्वभाव के कारण आप खुशहाल वैवाहिक जीवन व्यतीत करेंगे। 

कर्क: बुध का तुला राशि में गोचर आपके स्वाभाव में एक विशिष्टता लाएगा, लेकिन किसी का ग़लत स्वभाव या प्रयोजन आपको कुंठित कर सकता है। बुध के इस गोचर के दौरान आप शराब या सिगरेट पीने जैसी ग़लत आदतों में फंस सकते हैं, अच्छा होगा कि इन चीज़ों से दुरी बनाय रखें। 

सिंह: बुध का तुला राशि में गोचर आपका झुकाव आध्यात्म की ओर बढ़ाएगा। साहित्य और कला सम्बंधित विषयों में भी आपकी रूचि बढ़ेगी। इस समय आपके रिश्ते और मज़बूत होंगे। आपको अपने दोस्तों और भाई-बहनों का भी साथ तथा स्नेह मिलेगा। 

कन्या: कन्या राशि वालों के लिए बुध का तुला राशि में गोचर मनोरंजन तथा आमोद-प्रमोद की वृद्धि लिए हुए है। इस समय आप कुछ भी करेंगे तो बहुत सोच-विचार करने के बाद। इस समय आप किसी भी चीज़ पर अपनी प्रतिक्रिया देने से पीछे नहीं हटेंगे तथा इस गोचर के दौरान आपकी टिप्पणी देने की आदत में इजाफ़ा होगा। आपके मन के अंदर किसी के प्रति ईर्ष्या की भावना भी उत्त्पन्न हो सकती है। 

तुला: बुध के तुला राशि में गोचर से आपके घर का माहौल खुशनुमा बना रहेगा, सामंजस्य और एक सुखद वातावरण आपके घर में होगा। अगर आपकी व्यावसायिक जीवन की बात की जाये तो इस समय आप अपने सहकर्मियों के ख़िलाफ़ रणनीति बना सकते हैं। सतर्क रहें, अन्यथा किसी गंभीर आरोप के शिकार भी हो सकते हैं। इस समय शायरी के प्रति आपका रुझान बढ़ेगा। 

वृश्चिक: बुध का तुला राशि में गोचर वृश्चिक राशि वालों के लिए अच्छे परिणाम नहीं ला रहा है। अच्छा होगा कि इस दौरान आप अपना ज़्यादा से ज़्यादा समय धार्मिक कार्यों में बिताएँ। अपने खर्चों पर भी नियंत्रण रखना होगा अन्यथा बेवजह के खर्चे भी हो सकते हैं। कुछ भी बोलने से पहले अच्छी तरह सोच लें, ऐसा ना हो कि आपके शब्द किसी को ठेस पहुँचा दें। 

धनु: अपने से वरिष्ठ लोगों के साथ मतभेद संभव है। अपने निजी जीवन में आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हो सकता है कि इस समय आपके दोस्त और शुभचिंतक आपकी मदद ना कर पाएँ, इसलिए कोशिश करें कि आपको किसी पर निर्भर ना होना पड़े। सिरदर्द या सर्दी जैसी तकलीफ़ आपको परेशान कर सकती है, लेकिन किसी बड़ी समस्या के संकेत नहीं हैं। स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए आप योग और ध्यान की भी मदद ले सकते हैं। 

मकर: आपकी स्वार्थ के भावना तथा चतुराई बढ़ी चढ़ी रहेगी। बुध के इस गोचर के अनुसार, क़ामयाबी पाने के लिए आप कुछ भी करने को तैयार हो जाएंगे। गाड़ी संभलकर चलाएँ अन्यथा दुर्घटना संभव है। अपने खर्चों पर भी नियंत्रण रखना आवश्यक होगा, ज़्यादा से ज़्यादा धन संचय करने की कोशिश करें। 

कुम्भ: बुध की कृपा के परिणाम स्वरुप, आप अपने जीवन साथी के साथ सुखमय समय व्यतीत करेंगे। लेकिन अपने माता-पिता की सेहत का भी ध्यान रखें। बुध का यह गोचर आर्थिक रूप से भी आपके लिए सुखद रहेगा। आप धन-संपत्ति अर्जित कर पाएंगे। विद्यार्थियों के लिए किसी प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए ये शुभ समय है। 

मीन: बुध के इस गोचर के साथ आपके अप्रिय दिन जल्द ही ख़तम होंगे। अच्छा होगा कि इस समय आप अपनी अत्यधिक सोचने वाली आदत को नियंत्रित करें। बच्चों से कोई ख़ुशी की ख़बर सुनने को मिलेगी। वरिष्ठ लोगों का सहयोग मिलेगा। इस समय आपके घर पर शांति तथा सामंजस्य का माहौल बना रहेगा। 

रेखा कल्पदेव
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ऋषि पंचमी 2014 - ऋषियों के सम्मान से मिलेगी पापों से मुक्ति!

आज, अगस्त 30, 2014, के दिन ऋषि पंचमी है। क्या आप चाहते हैं कि आप अपने पूर्वजन्म के पापों से मुक्त हो सकें ताकि आपके आने वाले जीवन में कोई कष्ट ना आए? तो आइए जानते हैं कैसे ऋषि पंचमी के शुभ अवसर पर हम अपने पापों से छुटकारा पा सकते हैं। और अधिक जानने के लिए ऋषि पंचमी पर आधारित यह लेख पढ़ें।

ऋषियों का सम्मान करें और पापों से मुक्ति पाएँ।



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ऋषि पंचमी भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। हिंदुत्व को मानने वाले लोगों के लिए ऋषि पंचमी का दिन बहुत शुभ होता है। ऋषि पंचमी के दिन ऋषियों को सम्मानित किया जाता है। सप्तऋषि ने मानव जीवन को बेहतर बनाने के लिए बहुत प्रयास किए, जिसके फलस्वरूप ऋषि पंचमी का दिन अस्तित्व में आया। सप्तऋषि सात ज्ञानी ऋषियों का समूह था जिन्होंने लोगों को अच्छाई और धर्म की राह दिखाई। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अपना ज्ञान लोगों में बाँटा ताकि लोग धर्म का रास्ता अपनाएँ और प्रबुद्ध हो जाएँ। 

कहा जाता है कि ऋषि पंचमी के दिन व्रत रखने से मनुष्य के पूर्वजन्म के पाप मिट जाते हैं। 

सप्तऋषि के सात ऋषियों के नाम इस प्रकार हैं - 

  • कश्यप 
  • अत्रि 
  • भारद्वाज
  • विश्वामित्र 
  • गौतम 
  • वशिष्ठ 
  • जमदग्नि

ऋषि पंचमी 2014 - ऋषि पंचमी कथा 


उत्तंक नामक एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था। उनके साथ उनकी बेटी भी रहती थी जो विधवा थी। एक रात बहुत सारी चींटियों ने उनकी बेटी के शरीर को ढक लिया, यह देखकर उसके माता बहुत चिंतित हो गए। उन्होंने तुरंत ही एक ऋषि को बुलाया। वह ऋषि बहुत ही ज्ञानी थे और उन्होंने देखते ही इसका कारण बता दिया। ऋषि ने बताया कि यह उनकी बेटी के पिछले जन्म में किए हुए पाप के कारण हुआ है। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी ने पिछले जन्म में रजोधर्म के दिनों में रसोईघर में प्रवेश किया था। उन ऋषि ने ब्राह्मण की बेटी को सलाह दी कि वह ऋषि पंचमी के दिन पूरे दिल से अनुष्ठान करे। जिसके फलस्वरूप उसे पाप से मुक्ति मिलेगी और उसका शरीर शुद्ध हो जाएगा। 

ऋषि के कहे अनुसार ब्राह्मण की बेटी ने ऋषि पंचमी के दिन सच्चे दिल से पूजा की और सारे संस्कार किए जिसके कारण वह अपने पिछले जन्म के पाप से मुक्त हो गई। 

ऋषि पंचमी 2014 - ऋषि पंचमी पूजा 


ऋषि पंचमी से सम्बंधित सभी संस्कार बहुत ही श्रद्धापूर्वक किए जाते हैं। आइये इन पर एक नज़र डालें: 

  • सुबह जल्दी उठकर जड़ी बूटियों से नहाएँ क्योंकि माना जाता है कि जड़ी बूटियों से शरीर स्वच्छ हो जाता है
  • अपने अंतर्मन को शुद्ध करने के लिए दही, तुलसी के पत्ते, दूध और घी का मिश्रण पियें
  • सप्तऋषि की पूजा करें और उन्हें भोजन व फूल चढ़ाएँ
  • पूरे दिन का व्रत रखें

ऋषि पंचमी 2014 के द्वारा पाइए मुक्ति अपने पूर्वजन्म के पापों से और बढ़िए एक सुखी जीवन की ओर।

आज का पर्व

आज रक्षा पंचमी है। माना जाता है कि रक्षा बंधन पर राखी ना बांध पाने वाले इस दिन राखी बाँध सकते हैं।

आज जैन संवस्तरी है। इस दिन जैन लोग भूल चूक माफ़ करने के लिए व्रत रखते हैं।

आज इंटरनेशनल डे ऑफ़ डिसअप्पियर्ड है। यह दिन उन लोगों के लिए मनाया जाता है जो बुरी स्थिति में हैं।

 आपका दिन आपका दिन मंगलमय हो!

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गणेश चतुर्थी २०१४ - जानिए सकारात्मकता का रहस्य

आज, 29 अगस्त 2014, के दिन गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाएगा। क्या आप अपने आसपास फैली नकारात्मकता से दूर होना चाहते हैं? अपनी ज़िंदगी में ऊँचाइयाँ पाना चाहते हैं? इसके लिए और कुछ नहीं, बस भगवान को इस गणेश चतुर्थी खुश करने के लिए एक पवित्र मन चाहिए। भगवान गणेश से आशीर्वाद लीजिए और एक सकारात्मकता भरा जीवन पाइए।


गणेश चतुर्थी का पावन त्यौहार भगवान गणेश के स्वागत के लिए मनाया जाता है। गणपति बप्पा हर साल अपने भक्तों पर कृपा करने तथा उनका मंगल करने के लिए धरती पर आते हैं। भगवान गणेश को बुद्धि और समृद्धि का देवता माना गया है। किसी शुभ कार्य की शुरुआत हो या किसी यात्रा का आरंभ हो, भगवान गणेश को ज़रुर याद किया जाता है क्योंकि इन्हें ‘विघ्नहर्ता’ भी कहा गया है। 

गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह में मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। यह त्यौहार लगातार १० दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी के दिन संपूर्ण होता है। गणेश चतुर्थी विशेष रूप से महाराष्ट्र में मनाई जाती है। इन दिनों महाराष्ट्र का माहौल देखते ही बनता है।

करें केतु की शांति

“केतु की शांति के लिए भगवान गणेश की आराधना का विशेष महत्त्व है। यदि आपकी केतु की महादशा या अंतर दशा चल रही है, या केतु के प्रभाव के कारण नौकरी, व्यापार या स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या आ रही है तो इस दिन आप भगवान गणेश के “ॐ गं गणपतये नमः’’ मंत्र का 21000 जप अनुष्ठान, संकल्पित होकर करें। गणेश भगवान को दूब(घास) जिसे दूर्वा भी कहा जाता है, अर्पित करें और प्रसाद में मोतीचूर के लड्डू अवश्य चढ़ाएँ। मन्त्र जप पूरा होने पर उसके दशांश (जप संख्या का दसवां भाग) से हवन करें, तथा यथा सामर्थ्य ब्राह्मणों को भोजन तथा दान दें। केतु सम्बंधित समस्या से अवश्य छुटकारा मिलेगा।”

गणेश चतुर्थी 2014: भगवान गणेश जन्म कथा 


भगवान गणेश माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश पार्वती माँ द्वारा उनके चंदन के लेप से उनकी सुरक्षा करने के लिए उत्पन्न हुए थे। एक बार माता पार्वती को स्नान करने जाना था, कोई भीतर प्रवेश ना करे इसलिए माता पार्वती ने भगवान गणेश को द्वार पर निगरानी रखने के लिए कहा। उसी समय वहाँ भगवान शिव आ जाते हैं। भगवान गणेश शिवजी को पहचान नहीं पाते और उन्हें अंदर जाने से रोकते हैं। जिसके कारण भगवान शिव को बहुत क्रोध आता है और वह गणेश का सिर धड़ से अलग कर देते हैं। परंतु माता पार्वती द्वारा सच्चाई जानने के बाद उन्हें बहुत पछतावा होता है और वह गणेशजी को एक हाथी का मुख प्रदान करते है जिससे वो जीवित हो जाते हैं। कहा जाता है कि इस घटना के बाद भगवान गणेश को परम पूज्य का स्थान दिया गया। 

गणेश चतुर्थी 2014: गणेश चतुर्थी पूजा 


गणेश चतुर्थी की इस भव्य पूजा को “गणेश उत्सव” भी कहते हैं जिसकी शुरुआत भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना से होती है। बड़े बड़े पंडाल लगाए जाते हैं जिसमें गणेशजी की मूर्ति को स्थापित करा जाता है और सजाया जाता है। पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भक्त गणपति बप्पा की पूजा आराधना करते हैं। गणेश चतुर्थी के उपलक्ष्य में गणेशजी को भोग लगाने के लिए तरह-तरह के मिष्ठान तैयार किये जाते हैं। लोग दूर-दूर से भगवान गणेश के दर्शन करने आते हैं और नाचते गाते हैं। लोग घरों में सच्चे मन से गणेश मंत्र का जाप कर पूजा करते हैं और उन्हें मोदक, नारियल और अन्य मिष्ठान चढ़ाते हैं। 

इन दस दिनों की सच्ची भक्ति के बाद वक्त आता है भगवान गणेश विदा को करने का, जिसे हम अनंत चतुर्दशी कहते हैं। और इस दिन गणेशजी का समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है। 

श्री गणेश मंत्र 

वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥

अर्थात: हे! वक्र सूंड और भारी शरीर वाले भगवान गणेश, जिनका वैभव लाखों सूर्यों के समान हैं, मुझे आशीर्वाद दें कि मेरे किसी भी काम में अड़चन ना आए। 

गणेश चतुर्थी का त्यौहार आपके जीवन की परेशानियों को दूर कर खुशियों से भर सकता है। इस मौके को हाथ से न जाने दें और अपने जीवन को अधिक-से-अधिक सुखमय बनायें।

आज का पर्व



आज बुध कन्या राशि में में गोचर कर रहा है। अपनी राशि पर इसका प्रभाव जानने के लिए यहाँ क्लिक करें - बुध कन्या राशि में

इतना ही नहीं, आज राष्ट्रीय खेल दिवस भी है। इसलिए आज के दिन खेल-कूद का भरपूर मज़ा उठाएँ। 

आपका दिन मंगलमय हो! 
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बुध ग्रह का कन्या राशि में गोचर (अगस्त २९, २०१४) - आपके लिए क्या ख़ास लाया है बुद्ध का गोचर?

आइये जानते हैं कि कैसा रहेगा बुध का गोचर सभी राशियों के लिए। कल यानि अगस्त २९, २०१४, के दिन बुद्धि को प्रभावित करने वाला ग्रह बुध, कन्या राशि में गोचर करेगा। जानिए बुध ग्रह के गोचर से हमारे जीवन में आने वाले परिवर्तन ज्योतिषी ‘रेखा कल्पदेव’ द्वारा।

 बुध ग्रह २९ अगस्त २०१४ को कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं।


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कन्या राशि में बुध २९ अगस्त २०१४, १५:३९ मध्यान्ह काल, उतरा फाल्गुनी नक्षत्र काल में प्रवेश कर रहे है, तथा बुध २० सित्तम्बर तक इसी राशि में विराजमान रहेंगे।

कोई भी ग्रह जब राशि बदलता है तो उस ग्रह से प्राप्त होने वाले फलों में भी बदलाव आता है। ऐसे में अन्य ग्रहों से प्राप्त हो रहे परिणाम भी स्वत: बदल जाते है। ग्रहफलों के इस परिवर्तन का कारण ग्रहों का आपस में स्थिति, युति और दृष्टि सम्बन्ध बनाना है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुध बुद्धि, वाणी, ज्योतिष, गणित, व्यापार, लेखन, बहीखातों का रख-रखाव करने वाले, शिक्षक, पुस्तक-विक्रेता, संचार के साधन आदि का कारक ग्रह है। बुध का यह बदलाव निश्चित रूप से उपरोक्त सभी क्षेत्रों से जुड़े व्यक्तियों के ज़हन में अपना असर छोड़ जाएगा। संभावित है कि कुछ लाभान्वित हों और उन्हें बुध ग्रह को शुक्रिया करना भी याद न रहे और कुछ के लिए यह परिवर्तन बहुत अच्छा न रहे। कन्या राशि में बुध किस प्रकार के फल देने वाले हैं, यह जानने का इंतज़ार अब समाप्त होता है। 

हम यहाँ बताने जा रहे हैं कि बुध का यह बदलाव फलदायी है या नहीं - आइये जानिये।

विशेष: यह राशिफल आपकी जन्मराशि (चन्द्र स्थित राशि) के अनुसार लिखा। अपनी जन्मराशि जानने के लिए यहाँ क्लिक करें- राशि कैलकुलेटर

बुध के बदलाव का आपके जीवन पर क्या प्रभाव रहने वाला है? आइये आप सभी को इससे अवगत कराते हैं - बुध ग्रह का कन्या राशि में गोचर (अगस्त २९, २०१४)

आने वाला पर्व !

कल गणेश चतुर्थी है। आइये भगवान गणेश का स्वागत करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। गणेश चतुर्थी के उपलक्ष्य पर हमारा आने वाला लेख पढ़ना ना भूलें। 

गणपति बाप्पा मौर्या!
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हरतालिका तीज २०१४ - अपनी ज़िंदगी में खुशियों का विस्तार करें!

आइये जानते हैं हरतालिका तीज और इसके व्रत के बारे में जिसके रखने से विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी आयु और अच्छी सेहत की कामना कर सकती हैं। अविवाहित कन्याएँ भी इस व्रत को रख कर भगवान शिव के समान पति पाने की कामना करती हैं। 

हरतालिका तीज को माता पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है।


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हरतालिका तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में तृतीया तिथि को मनाई जाती है। हरतालिका तीज विशेष रूप से एक उत्तर भारतीय त्यौहार है जो उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के लोगों द्वारा मनाया जाता है। 

हरतालिका तीज का त्यौहार स्त्रियों द्वारा मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियाँ देवी पार्वती की पूजा करती हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। आशीर्वाद के रूप में वह अपने पति की लम्बी उम्र और अच्छी सेहत की कामना करती हैं। वहीं अविवाहित कन्याएँ व्रत रख कर भगवान शिव के स्वरुप पति पाने की कामना करती हैं। 

माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। आइए अब इस व्रत से जुड़ी कथा पर नज़र डालते हैं। 

हरतालिका तीज व्रत कथा 


माता पार्वती भगवान शिव से बहुत प्रेम करती थीं और उनको अपने पति के रूप में पाना चाहती थीं। लेकिन भगवान शिव एक तपस्वी होने के कारण उनकी भावनाओं से अनभिज्ञ थे। तब माता पार्वती ने उनको प्रसन्न कर पति रूप में वरण करने के लिए हिमालय पर्वत पर जाकर कई वर्षों तक तप किया। अंततः भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने माता पार्वती के प्रेम और भक्ति को समझा व पत्नी के रूप में स्वीकार किया। उस समय से ही देवी पार्वती को ‘हरतालिका’ और ’तीज माता’ के रूप में पूजा जाता है।

हरतालिका तीज व्रत की पूजा विधि 


हरतालिका तीज व्रत के उपलक्ष्य में स्त्रियाँ एक दूसरे के हाथों में मेहंदी लगाती हैं और सोलह श्रृंगार कर नाचती गाती हैं। घरों में कई तरह के पकवान बनाएँ जाते हैं। आइए अब जानते हैं हरतालिका तीज पूजा विधि:
  • प्रातः जल्दी उठ कर सिर धो कर नहाएँ 
  • नहाने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें
  • पूरे दिन का निर्जला व्रत रखें 
  • शाम को माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें 
  • माता पार्वती को श्रृंगार का समान चढ़ाएँ जैसे कि साड़ी, काजल, कुमकुम, हल्दी और फ़ूल आदि 
  • भगवान शिव को धोती और अंगोछा चढ़ाएँ
  • पूजा के बाद श्रृंगार का समान किसी ब्रह्मिन को और धोती और अंगोछा किसी ब्राह्मण को दे दें 
  • तेरह प्रकार की मिठाइयाँ अपनी सास को दें और उनका आशीर्वाद लें
  • तीज व्रत की कथा सुनें और सूर्यास्त के बाद अपना व्रत खोलें
कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से स्त्रियों की सारी इच्छाएँ पूरी हो जाती हैं।


आज का पर्व


आज की सेंसेक्स निफ़्टी प्रिडिक्शन्स जानने के लिए यहाँ क्लिक करें: सेंसेक्स निफ़्टी प्रिडिक्शन्स

आज गौरी तृतीया है। यह व्रत विवाहित स्त्रियों द्वारा उनके पति की लम्बी आयु के लिए रखा जाता है। 

आज वराह जयंती है। इस दिन भगवान विष्णु ने दुष्टों का संहार करने के लिए वराह के रूप में अवतार लिया था। 

आपका दिन मंगलमय हो!
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सूर्य का कन्या राशि में गोचर (१७ सितम्बर २०१४) - सूर्य से लाभ पाने के लिए तैयार हो जाएँ!

सूर्य, सितम्बर १७, २०१४ को कन्या राशि में प्रवेश कर रहा है। जानें कि सूर्य का यह प्रवेश आपके जीवन पर क्या प्रभाव डालेगा? आइये जाने सूर्य का कन्या राशि में प्रवेश का आप के जीवन पर होने वाले प्रभाव निपुण ज्योतिष ‘दीपक दूबे’ द्वारा।

सूर्य का कन्या राशि में गोचर और उसके प्रभाव।

सूर्य 17 सितम्बर, 2014 को प्रातः लगभग 6 बजे (दिल्ली के समयानुसार) सिंह राशि से निकल कर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। पृथ्वी के वायुमंडल तथा जनजीवन पर सूर्य का सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। वैसे तो सूर्य को आत्मा का कारक और ग्रहों का राजा माना जाता है, परन्तु यह पाप ग्रह की श्रेणी में आता है। यह अपनी स्वराशि अर्थात सिंह और अपनी उच्च राशि अर्थात मेष के अलावा बहुत अच्छा परिणाम नहीं देता है। किसी जातक की कुंडली में तुला राशि में गया हुआ सूर्य तो एक हज़ार राजयोग नष्ट कर देता है। 

सूर्य के अच्छे प्रभाव से व्यक्ति का सामाजिक दायरा और प्रशानिक क्षमता बहुत अच्छी होती है। परन्तु यदि सूर्य का प्रभाव अच्छा नहीं हो तो व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने में बहुत संघर्ष करना पड़ता है। कारण यह है कि सूर्य के कारण मनोबल की कमी और उच्च अधिकारियों या प्रशासन से असहयोग मिलता ही रहता है।


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सूर्य १७ सितम्बर को बुध की कन्या राशि में प्रवेश कर रहा है, बुध और सूर्य का सम्बन्ध सम है। जिस समय सूर्य कन्या में प्रवेश कर रहे हैं उस समय कन्या में ही उच्च का बुध और राहु भी विद्यमान है। तुला में शनि हैं और वृश्चिक का मंगल, शुक्र भी सिंह राशिस्थ है अतः जब तक सूर्य कन्या में रहेंगे, प्राकृतिक आपदाओं की भरमार रहेगी। तूफान, कहीं अति वृष्टि तो कहीं सुखा, बाढ़ तथा भूकम्प जैसी घटनाएँ संभावित हैं। प्रजा भी अशांत रहेगी, प्रशासन कानून व्यवस्था बनाये रखने में असफल होगा। सीमा पर विवाद बढ़ सकता है। सरकार के लिए भी अत्यधिक परेशानियों भरा समय रहेगा।

सूर्य के इस परिवर्तन से सभी राशि के जातकों के जीवन में भी कुछ ना कुछ परिवर्तन आएगा। यह परिवर्तन जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति तथा वर्तमान में ग्रहों की दशा तथा उससे सूर्य के सम्बन्ध पर भी निर्भर करती है। राशियों के ऊपर पड़ने वाले परिणामों की भविष्यवाणी लग्न के आधार पर है अर्थात यह आपकी नाम, चन्द्र या सूर्य राशि पर आधारित नहीं है, और सामान्य है। विशेष परिस्थिति में विशेषज्ञों की सलाह लें। 

आइये जानते हैं क्या होगा इस परिवर्तन का प्रभाव भिन्न - भिन्न राशियों पर: 

विशेष: यहाँ राशि अर्थात लग्न

मेष:
मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य का यह परिवर्तन छठे भाव में हो रहा है, अतः मानसिक उलझने बढ़ेंगी। संतान तथा पिता से मतभेद या किसी कारण से परेशानी हो सकती है। शिक्षा प्रतियोगिता में भी सफलता कठिन परिश्रम से मिलेगी। धन सम्बंधित जोखिम ना उठायें। प्रयास करें कि उच्च अधिकारियों से मतभेद ना हो। 

वृषभ:
आपके लिए सूर्य पंचम भाव में होंगे, बुध, राहु तथा सूर्य की यह युति आपसे गलत निर्णय करा सकती है। परिवार में वाद-विवाद संभव है। बच्चे की सेहत को लेकर परेशानी हो सकती है। यात्रा में सावधानी आवश्यक है। गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता होगी। 

मिथुन:
चौथे भाव में आये हुए सूर्य, राहु के साथ पूरे माह रहेंगे, अतः पारिवारिक सुख में कमी महसूस करेंगे। वाहन से परेशानी हो सकती है। माता के स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें। कार्य-व्यापार में हानि के संकेत हैं, अतः सावधानी बरतें। अनिद्रा तथा बेचैनी बढ़ेगी। तनाव से दूर रहने का प्रयास करें। 

कर्क:
सूर्य आपकी लग्न से तीसरे भाव में होंगे, अतः पराक्रम और उत्साह बढ़ा - चढ़ा रहेगा। जन संपर्क तेज़ी से बढ़ेगा। संचार माध्यमों से कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है। दूसरों को दबाने की प्रवृत्ति हावी रहेगी। आत्म प्रसंशा, अति उत्साह तथा अहंकार से बचें। 

सिंह:
सिंह राशि के जातकों के लिए दूसरे भाव में सूर्य का प्रवेश धन हानि का संकेत दे रहा है। आवेश में लिए गए निर्णय नुकसानदेह साबित होंगे। वाणी तथा क्रोध पर नियंत्रण रखें। यात्रा कष्टकारी होगी। सेवकों तथा मित्रों से सावधान रहें। सिर, आँख तथा दांतों में दर्द या इससे सम्बंधित कोई परेशानी हो सकती है। 

कन्या:
लग्न में एक साथ सूर्य, बुध और राहु का होना आपको मानसिक रूप से विचलित कर सकता है। शारीरिक कष्ट तथा व्यर्थ के भ्रमण की सम्भावना बन रही है। व्यापार में साझेदारों से विवाद हो सकता है। वैसे परेशानियों में गूढ़ निति से काम लेने की क्षमता भी अद्भुत रहेगी, फिर भी कार्य - व्यवहार में सावधानी बरतें। अपने जीवन साथी के साथ सम्बन्ध ठीक रखने का प्रयास करें। 

तुला:
आपके लिए सूर्य का यह गोचर परिवर्तन द्वादश भाव में हो रहा है। आय में कमी महसूस करेंगे। सुदूर यात्रा के योग बन रहे हैं। बुद्धि के बल पर शत्रुओं को परास्त करने में सफल होंगे। बाहरी संबंधों से लाभ का योग बन रहा है। पिता तथा उच्च अधिकारियों से सम्बन्ध बेहतर बनाने का प्रयास करें। वीरान जगहों पर अकेले ना जाएँ। 

वृश्चिक:
पैत्रिक संपत्ति मिलने के आसार बनेगे, परन्तु विवाद भी होगा, अतः सावधानी बरतें। अचानक धन लाभ और हानि दोनों का ही योग बन रहा है अतः आर्थिक निर्णय लेते समय बहुत सावधानी बरतें। गर्भवती महिलाओं को बहुत ध्यान रखने की ज़रुरत होगी। संतान के कारण कुछ परेशानी पैदा हो सकती है। 

धनु:
धनु राशि वालों के लिए सूर्य का यह गोचर परिवर्तन दसम भाव में होगा। गोचर के समय राहु और बुध दोनों ही दसम भाव में विराजमान हैं, सूर्य अपनी राशि से यहाँ दुसरे भाव में होंगे अतः भाग्य वश आय होने की सम्भावना रहेगी। परन्तु पिता और उच्च अधिकारीयों से विवाद भी हो सकता है, अतः सावधानी बरतें। माता और पिता को कष्ट का योग बन रहा है, अतः उनके साथ समय बताएँ। निरर्थक यात्रा का योग बन रहा है। 

मकर:
भाग्य स्थान में अष्टमेश सूर्य के आने से तथा राहु के यहाँ पहले से ही उपस्थित होने से भाग्य बिलकुल साथ नहीं देगी। जुआ-सट्टा से दूर रहें, केवल भाग्य के भरोसे कोई भी कार्य ना करें। भाई - बहनों तथा किसी करीबी मित्र से बिना वजह विवाद उत्पन्न हो सकता है। आर्थिक हानि तथा कार्यस्थल पर परेशानी का योग है, अतः सावधानी बरतें। 

कुम्भ:
अष्टम भाव में राहु तथा सूर्य की यह युति वैवाहिक जीवन के लिए बिलकुल ही अच्छी नहीं है। अपने जीवन साथी के स्वास्थ्य के प्रति बेहद सचेत रहें। आपके लिए भी वाहन से दुर्घटना का योग बन रहा है, अतः वाहन चलते समय तथा यात्रा के दौरान सतर्क रहें। कमर तथा कमर के निचले हिस्से में कष्ट का योग है। आर्थिक मामलों में भी सतर्कता अपेक्षित है। 

मीन:
सप्तम भाव में पूरे एक माह तक राहु और सूर्य की यह युति दांपत्य जीवन के लिए बिलकुल ही अच्छी नहीं है। जीवन साथी से बिना वजह के विवाद उत्पन्न हो सकता है। कार्य-व्यापार में साझेदारों से सतर्क रहें, धोखा मिल सकता है। आर्थिक मामलों में जोखिम उठाने के लिए बिलकुल ही अच्छा समय नहीं है। पेट सम्बन्धी परेशानी भी उत्पन्न हो सकती है, अतः खान-पान में सावधानी बरतें।

विशेष

अपने कन्या राशि में गोचर के दौरान पूरे समय तक सूर्य राहु के साथ रहेंगे। प्रारंभ में कुछ दिनों तक यहाँ बुध रहेंगे तो कुछ दिनों बाद ही शुक्र का प्रवेश हो जायेगा। मन-वाणी तथा अपनी इन्द्रियों पर अत्यधिक नियंत्रण रखने की आवश्यकता होगी। सूर्य ग्रहण योग में होंगे, अतः कहीं मनोबल बहुत अधिक होगा तो किसी के मनोबल में भारी कमी आएगी, दोनों ही स्थिति अच्छी नहीं होगी, अतः संयमित रहने का प्रयास करें।

पं. दीपक दूबे
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मंगल का वृश्चिक राशि में गोचर (५ सितम्बर २०१४) - शुभ या अशुभ?

मंगल, सितम्बर ५, २०१४, को वृश्चिक राशि में प्रवेश कर रहा है। मंगल का यह गोचर आपके जीवन में किस प्रकार के बदलाव लाएगा? आइये जाने मंगल के वृश्चिक राशि में गोचर के आप के जीवन पर होने वाले प्रभाव निपुण ज्योतिषी ‘रेखा कल्पदेव’ द्वारा।

मंगल का वृश्चिक राशि में गोचर और उसके प्रभाव।

एक छात्र के लिए कॉलेज का पहला दिन उत्साह के साथ-साथ ढेर सारी शंकाओं से भरा होता है। हज़ार तरह के सवाल उसके मन-मस्तिष्क में आ-जा रहे होते हैं। ठीक ऐसी ही स्थिति एक किसान की उस वक्त होती होगी, जब वह भूमि के आँचल पर उम्मीदों के बीज बिखेरता होगा। बीज अंकुरित होंगे या नहीं यह उस किसान की चिंता का मुख्य विषय होता होगा। अपना खून पसीना बहाकर किया गया यह कार्य किस हद तक सफल रहेगा, यह भविष्य में समाहित रहता है। कुछ इसी तरह की एक घटना आकाशीय भचक्र में घटित होने वाली है। ५ सितम्बर २०१४, चित्रा नक्षत्र में मंगल अपने शत्रु शुक्र की राशि को छोड़कर स्वराशि वृश्चिक में जा रहे हैं। मंगल की वृश्चिक राशि की यात्रा सभी राशि के व्यक्तियों के लिए सुखद न भी रहे परन्तु यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि यह यात्रा जोश, उत्साह, रोमांच और साहस से भरपूर रहेगी। क्योंकि ये सभी मंगल के स्वाभाविक गुण हैं। मंगल गोचर में चन्द्र से ३,६ व ११वें भाव में शुभ फल देते हैं। शेष भावों में अनुकूलता में कमी रहती है। आइये आपको बताते हैं कि यह यात्रा आपके लिए क्या सौगात लेकर आ रही है। 


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यह राशिफल आपकी जन्मराशि को ध्यान में रखते हुए लिखा गया है।

मेष
जन्म राशि से अष्टम भाव पर मंगल गोचर कर रहा है। इस अवधि में शारीरिक ऊर्जा शक्ति का दुरूपयोग करने से बचें। वाद-विवाद, लड़ाई-झगड़ों के मामलों से स्वयं को अलग रखना हितकारी रहेगा। पारिवारिक शांति को बनाये रखने के लिए, जोश-उत्तेजना में आकर अपना आपा न खोयें। क्रोध की जगह शांति-संयम से काम लें। राहु छठे भाव में आपको चतुराई और नीतियों के द्वारा विरोधी मसलों का हल निकालने की सलाह दे रहे हैं। वैवाहिक जीवन के लिए समय शुभ बना हुआ है। यही स्थिति आजीविका क्षेत्रों के लिए भी बनी हुई है। रोग-ऋण आपकी परेशानियों में वृद्धि कर सकते हैं। कला-कौशल और संगीत की शिक्षा प्राप्त कर रहे छात्रों को अपने ज्ञान को आगे बढ़ाने के अवसर मिलेंगे। इन विषयों की विधिवत शिक्षा अारम्भ करने के लिए भी समय शुभ बना हुआ है।

वृषभ
मंगल सप्तम भाव अर्थात विवाह भाव पर अपने सभी शुभ फल देने में असमर्थ रहता है। मंगल ७ वें भाव से जन्मराशि पर प्रभाव डाल रहा है। इस अवधि विशेष में आपके स्वभाव में क्रोध और उत्तेजना अधिक रहेगी। इससे आपसी सम्बन्ध जल्दी तनाव में आ सकते हैं। वैवाहिक जीवन की कड़वाहट को शयन कक्ष के बाहर ही छोड़ देना श्रेयकर रहेगा। विवादों को कोर्ट-कचहरी के बाहर ही सुलझाना सही होगा। प्रॉपर्टी से जुड़े पारिवारिक विवाद खड़े हो सकते हैं। तथा माता के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही से बचें। व्यावसायिक क्षेत्रों के लिए समय की शुभता बनी हुई है। 

मिथुन:
छठे भाव पर मंगल गोचर में शुभफल प्रदान करता है। रोग-ऋण पर नियंत्रण बनाये रखने में सफलता प्राप्त होगी। साहसी कदम उठाने से शत्रु पक्ष शांत रह सकता है। व्ययों का विस्तार हो रहा है। छुपाई गई बातें प्रेम संबंधों में उजागर हो सकती हैं। रिश्तों में पारदर्शिता बनाये रखें, गुप्त रखी बातें सामने आएंगी। आपकी योग्यता और मेहनत में किसी प्रकार की कमी नहीं है, इसलिए आर्थिक पक्ष बल प्राप्त कर रहा है। ऋण वापसी से धन संचय में कमी हो रही है। नौकरी पेशा व्यक्तियों को काम-काज में भाग्य का सहयोग प्राप्त होगा।

कर्क
मंगल आपकी जन्मराशि से पंचम भाव पर रहेंगे। यहाँ मंगल बहुत अच्छे नहीं रहते हैं। प्रेम संबंधों के लिए यह समय मानसिक आघात और तकलीफ़देह हो सकता है। प्रत्येक स्थिति में क्रोध पर नियंत्रण बनाये रखने से विपरीत समय को टाला जा सकता है। शिक्षा क्षेत्र से जुड़े व्यक्तियों के लिए जोश में होश न खोने की सलाह काम आएगी। स्वास्थ्य में सामान्य उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है। सिर दर्द और आँखों के रोग प्रभावी होंगे। मित्रों से विचारों में समरूपता की कमी दृष्टिगोचर हो रही है। भाग्य के सहयोग से स्थिति को अपने नियंत्रण में करने में सहयोग मिलेगा। नौकरी पेशा व्यक्तियों को नौकरी परिवर्तन में समय की शुभता प्राप्त होगी।

सिंह
सुख भाव पर मंगल की स्थिति सुखों का हरण करेगी। मातृ सुख भी इस समय प्रभावित रहेगा। कुछ समय के लिए जन्मस्थान या निवास स्थान से दूर जाना पड़ सकता है। व्यावसायिक कार्यों में आपका नेतृत्व अपना रंग नहीं दिखा पायेगा। नेतृत्व की कमी सफलता में बाधक बन रही है। गृहस्थ जीवन में शुभता का स्तर मध्यम बना हुआ है। प्रेम-परिणय में अस्थिरता के योग हैं। प्यार की ख़ुशूब ग्रहों के आशीर्वाद से आपके जीवन में बिखर सकती है। बशर्ते की आप सकारात्मक बने रहें। जीवन साथी से कुछ विषयों पर अनबन, पारिवारिक माहौल को तनावग्रस्त कर सकती है।

कन्या:
मंगल गोचर काल में लगन और पराक्रम से किये गए सभी कार्यों में आपको सफलता प्राप्त होगी। समय विशेष में मंगल का विशेष प्रभाव प्राप्त होने से आप जोश और ऊर्जा से ओत-प्रोत नज़र आयेँगे। आपके नेतृत्व गुण में निखार आयेगा। तथा अपनी टीम को निर्धारित लक्ष्यों तक ले जाने में आपको सफलता प्राप्त होगी। वैवाहिक जीवन में कटु या व्यंग्यात्मक भाषा का प्रयोग आपसी रिश्तों की मिठास को कम कर सकता है। समय पर कार्यों को अंजाम तक पहुँचाने में आपका समर्पण और लगन सराहनीय बनी हुई है। लाभ मंद गति से आप तक पहुंचेंगे। परन्तु आप प्राप्तियों से संतुष्ट रहेंगे। 

तुला:
पैतृक सम्पति के विवाद पारिवारिक शांति को भंग करने का कार्य कर सकते हैं। मित्रों के साथ समय व्यतीत करने में आनंद की प्राप्ति होगी। आर्थिक सुख समृद्धि प्रबल रहेगी। यह आपके धन-संचय को भी बढ़ाएगी। इस अवधि में आपकी एकाग्रता आय क्षेत्रों पर केंद्रित रहेगी। पारिवारिक जीवन और दाम्पत्य जीवन में बनी उलझने सुलझने में वक्त ले सकती हैं। इन विषयों को महत्व देते हुए पर्याप्त समय दें। रोग नियंत्रण में रहेंगे। तथा ऋणों से धन आगमन संभावित है। हो सकता है कि प्यार-मोहब्बत के विषयों को चाहकर भी आप समय न दे पायें। 

वृश्चिक:
जन्मराशि पर मंगल के फल आपके पक्ष में जाते नज़र नहीं आ रहे हैं। अत्यधिक जोश और उत्साह से काम लेने के स्थान पर बुद्धिमता और अनुभव के उपयोग से मामलों को संभालें। साहस और जोखिम से भरे क्षेत्रों में किसी भी प्रकार का धन लगाने से बचें। आर्थिक पक्ष मज़बूत बना हुआ है। प्रेम-संबंधों में बाधाएँ रहेंगी। कार्यों का भार अधिक होने से आप व्यक्तिगत रिश्तों को आवश्यक समय नहीं दे पाएंगे। इसके परिणामस्वरूप रिश्तों में कुछ समय के लिए शिथिलता आ सकती है। माता के स्वास्थ्य में कमी हो सकती है। कार्यक्षेत्र में प्रथम कदम रखने वाले व्यक्तियों का नौकरी प्राप्ति का सफ़र पूरा होगा। पहली आय से आत्मविश्वास बुलंद रहेगा।

धनु:
मंगल गोचर में बारहवें भाव में वैवाहिक जीवन के लिए दुखदायी रहता है। इसके प्रभाव से आपके गृहस्थ जीवन और शयन कक्ष में सुख-शांति की कमी हो सकती है। शत्रु पक्ष और प्रतियोगिताओं में सफलता पाने के लिए इस समय में अनुकूलता बनी हुई है। प्रयासों में भी सफलता प्राप्त होगी। परन्तु घर और कार्यक्षेत्र में आपके सम्बन्ध सुखद नहीं रहेंगे। बढ़ते हुए कार्यभार के कारण आराम की कमी से थकावट का अनुभव आपको हो सकता है। मान -सम्मान के लिए भी यह समय बहुत अच्छा नहीं है। आजीविका क्षेत्र में आपको झूठे आरोपों का सामना करना पड़ सकता है। इससे मान-सम्मान की चिंता आपको विशेष रूप से हो सकती है।

मकर:
आर्थिक और पारिवारिक क्षेत्र से जुडी सभी समस्याओं का निवारण इस अवधि में हो जाएगा। इससे आय-लाभ के नये स्त्रोत खुलेंगे। व्यापार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आपको इस समय में कुछ महत्वपूर्ण यात्राएँ भी करनी पड़ सकती हैं। इस समय में बन रही शुभता आपको अपनी योग्यता और अनुभव दोनों दिखाने का पूरा समय देगी। विदेशी संपर्कों से सहयोग प्राप्त हो सकता है। व्यर्थ के व्ययों पर आपके नियंत्रण का शिकंजा कसा रहेगा। प्रेम सम्बन्धों में समापन के योग बन रहे है। मंगल गोचर आपकी भावुकता में कमी कर आपके व्यवहारिक गुणों को सबके सामने लायेगा। धार्मिक विषयों में आस्था और विश्वास कुछ कमजोर बना हुआ है। 

कुम्भ:
कर्मक्षेत्र में बेवजह किसी से उलझने से बचें। आजीविका क्षेत्र में विवादित विषयों पर अपना मौन बनाये रखें। विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण आपके प्रेम संबंधों पर भारी पड़ेगा। किसी गुप्त प्रेम सम्बन्ध की शुरुआत भी इस समय हो सकती है। कार्यभार अधिक और प्राप्तियाँ काम होने से स्थानांतरण और परिवर्तन आपके मन में आ सकता है। माता-पिता के स्वास्थ्य की गिरावट को अनदेखा न करें। उनके स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें। मंगल के अनुकूल न रहने से आप जल्दी क्रोधित होंगे। और गुस्सा भी देर में शांत होगा। क्रोध में कोई बड़ा निर्णय गलत न लें। सुसराल पक्ष से उपहार प्राप्त होने के शुभ योग बन रहे हैं। किसी को धन उधार देना पड़ सकता है।

मीन:
आपके द्वारा कोई धार्मिक अनुष्ठान संम्पन्न हो सकता है। कार्यक्षेत्र में आपको लम्बे समय तक कार्य करना पड़ सकता है। आय क्षेत्रों के बाधित होने के कारण आपकी सकारात्मकता प्रभावित होगी। फिर भी इस समय में आपका अनुभव बहुत काम आयेगा। वरिष्ठजनों का पूर्ण सहयोग आपके साथ बना हुआ है। सरकरी नौकरी के लिए प्रयासरत व्यक्तियों के लिए इस समय में विशेष शुभता बनी हुई है। साझेदारी कार्यों में अन्धविश्वास घातक हो सकता है। परिवार और वैवाहिक रिश्तों के लिए समय मिश्रित बना हुआ है। कायर्क्षेत्र की बाधाओं को दूर करने के लिए आप कोई नया प्रशिक्षण लेने का सोच सकते हैं।

मंगल ग्रह के दोषों को शांत करने के लिए मंगल दोष निवारण उपाय किये जाते हैं। यदि मंगल का गोचर अशुभ भावों में हो रहा हो या फिर कुंडली में मांगलिक दोष बना हुआ हो। दोनों ही स्थितियों में मंगल उपाय लाभ देते हैं। इसके आलावा जिन जातकों को मंगल की महादशा/अन्तर्दशा विपरीत फल दे रही हो, उन जातकों को भी उपाय करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। यहाँ आपको मंगल की कुछ अचूक उपायों की जानकारी दी जा रही है, आशा है कि आप इनके द्वारा मंगल की शुभता पाने में सफल रहेंगे। 

१. मंगलवार के व्रत का पालन करें, जिस मंगलवार को व्रत करें, उस दिन नमक का सेवन बिलकुल न करें। 
२. हनुमान जी के नित्य दर्शन से भी मंगल देव प्रसन्न होते हैं । 
३. हनुमान चालीसा या महामृत्युन्जय मंत्र की रोजाना कम से कम एक माला का जाप करें। 
४. हनुमान जी के मन्दिर में दीपदान करें तथा बजरंग बाण का प्रत्येक मंगलवार को पाठ करें।
५ . मंगलवार को गुड़ व मसूर की दाल का सेवन करें। 

रेखा कल्पदेव 
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आने वाला है महाविनाश का दिन - भाग १

महाविनाश के कई चेहरे देखे हैं इस भूमि ने, पर इससे पहले इतना बड़ा महाविनाश कभी नहीं देखा होगा। यहाँ तक कि डायनासॉर की दुनिया ख़तम होने से पहले भी ऐसा विनाश न हुआ होगा। हाँ, वह पृथ्वी पर महाविनाश ही था। अब एक और भयावह महाविनाश की संभावनाएं बन रही हैं। आइए जानें पं. दीपक दुबे के शब्दों में कि कैसा होगा यह विनाश।


होगा महाविनाश! धरती और आसमान काँप उठेंगे! प्रकृति का सबसे भयानक रूप देखने को मिलेगा! ऐसा योग ज्ञात हजारों वर्षों में कभी नहीं आया! यह ऐसा समय होगा, जैसे सृष्टि का रचयिता इसे स्वतः ख़त्म करना चाहता हो! अब तक के ज्ञात तथ्यों और ग्रहों की स्थिति के आधार पर मैं यह कह सकता हूँ कि, महाभारत, दोनों विश्व युद्ध, अब तक के सबसे भयानक समुद्री तूफान, अब तक के सबसे शक्तिशाली भूकम्प, किसी भी समय ग्रहों की युति और योग इतना भयावह नहीं था।

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भूगर्भ शास्त्री तथा वैज्ञानिकों के अनुसार पृथ्वी अपना ध्रुव बदलती है जो लाखों या करोड़ों वर्षों में एक बार होता है। आज के हिमालय और द्वीप कभी जल के अंदर विलुप्त थे और हिमालय से ऊँचे पर्वत वर्तमान में जल में विलुप्त हैं। वैज्ञानिकों के कथन को आधार मानकर यह कहा जा सकता है कि जब कभी भी ऐसा मंजर आया होगा, पृथ्वी पर कुछ भी नहीं बचा होगा।

अब तक के ज्ञात तथ्यों के आधार पर पृथ्वी पर जो सबसे बड़ी आपदा आई वो डायनासोर के विलुप्त होने के काल की है। डायनासोर जिन्होंने पृथ्वी पर २० करोड़ वर्ष पूर्व से लेकर लगभग ६ करोड़ वर्ष तक अपना वर्चस्व कायम रखा था और वे पृथ्वी के सबसे खूंखार और जघन्य प्राणी थे, उनके विलुप्त होने का कारण पृथ्वी से किसी उल्का पिंड की सीधी टक्कर को माना जाता है।

उस समय पृथ्वी के लगभग 95 प्रतिशत जीव ख़त्म हो गए थे। उस समय पृथ्वी पर उतना पानी नहीं था जितना अब है। आज पृथ्वी लगभग 70 प्रतिशत जल से घिरी हुई है, अतः यदि अब पृथ्वी पर कोई उस तरह की घटना हुई तो ज्वालामुखी और भूकम्प से भी कई गुना अधिक जल से तबाही मचेगी।

यह तो सर्वविदित है कि पूर्णिमा और अमावस्या में ही उच्च ज्वार आते हैं, अर्थात सबसे ऊँची लहरें उठती हैं। एक नहीं सैकड़ों ऐसे उदहारण हैं कि ग्रहण से पूर्व या ग्रहण के बाद अवश्य ही कोई ना कोई घटना घटित होती है। ग्रहण जितना प्रभावी होता है और सूर्य-चन्द्रमा पर राहु-केतु के अलावा जितने अधिक पाप ग्रहों का प्रभाव होता है, परिणाम भी उतना ही भयावह होता है।

इतिहास की कुछ बड़ी घटनाओं और उस समय की ग्रहों की स्थिति का वर्णन मैं यहाँ करना चाहूँगा:

ग्रहों की दृष्टि और घटनाओं की समानता को देखा जाये तो बहुत ही विभत्स और भयानक मंजर महाभारत काल में हुआ था। भयानक रक्त पात हुआ था उस समय भी, धरती काँप उठी थी, इतिहासकारों के अनुसार अक्टूबर माह, 3104 ईसा पूर्व में यह युद्ध हुआ था। उस माह 3 ग्रहण पड़े थे, 6 ग्रह - सूर्य, चन्द्रमा, बुध, गुरु, राहु, शनि - या तो साथ थे, या बहुत करीब थे। सूर्य, राहु से ग्रसित था, उसपर केतु और मंगल एक दूसरे के साथ अंगारक योग बना रहे थे। साथ ही इन दोनों मारक ग्रहों की सीधी दृष्टि, ग्रहण और शनि दृष्टि युत, सूर्य पर थी। परिणाम स्वरूप भीषण युद्ध हुआ, प्राकृतिक आपदाओं का भी ज़िक्र है कहीं-कहीं। यह सब कुछ किसी एक दिन के ग्रहों का परिणाम नहीं था, बल्कि कई वर्षों से ये भूमिकाएँ बन रही थीं।

लगभग ऐसा ही कुछ समय १९४२ से १९४८ का था, जब भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व, द्वितीय विश्व युद्ध के चपेट में था। १९४७ के वर्ष में भी नवम्बर माह में 12 और 28 तारिक को सूर्य और चन्द्र ग्रहण पड़े। उस समय सूर्य, राहु, बुध, मंगल, चन्द्रमा, और शनि जून माह में एक दूसरे के बहुत ही करीब थे, जो कुछ समय पहले और कुछ समय बाद तक भी एक दूसरे के आस पास बने रहे।


यहाँ यह बताना उचित समझूँगा कि इसी वर्ष के अक्टूबर माह में इतिहास की जानकारी के अनुसार अभी तक का सबसे भयानक समुद्री तूफान भी आया था। जिसकी रफ़्तार करीब 250 किमी प्रति घंटे थी। वर्ष १९४५ और १९४७ में पूरी दुनिया में सबसे अधिक और भयानक तूफान आये। ज्ञात तथ्यों के आधार पर १९४२ से लेकर १९४७ के बीच द्वितीय विश्व युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं के कारण पूरी दुनिया में करीब 10 करोड़ से ज्यादा लोग मारे गए थे।

ऐसा ही भयानक मंजर १९७१ में पुनः आया, जब बांग्लादेश का बँटवारा हुआ। एक अनुमान के मुताबिक करीब ३ से ५ लाख लोग मारे गए थे और कई लाख लोग विस्थापित हो गए थे।

बांग्लादेश का युद्ध मार्च १९७१ से प्रारम्भ हुआ था। जिससे ठीक ४ महीने पहले अर्थात नवंबर,१९७० में पूर्वी पाकिस्तान में अब तक के वर्तमान इतिहास का सबसे भयानक "भोला" नामक समुद्री तूफान भी आया था। जिसमें एक अंदाज़ के मुताबिक करीब ५ लाख लोग मारे गए थे। पूरी फसल, पशु-पक्षी, सबकुछ तबाह हो गया था। साथ ही यह भी बता दूँ कि १९७१ में भी भयानक तूफान, सुनामी, और ८.१ तीव्रता तक का भूकंम आया था। अब ग्रहों की स्थिति भी देख लें। 

एक बार पुनः सूर्य-केतु-चन्द्रमा-बुध-शुक्र एक दूसरे के पास, सूर्य-चन्द्रमा-केतु एक साथ ग्रहण योग में, राहु और मंगल एक साथ, सूर्य और चन्द्रमा के ऊपर राहु, मंगल और शनि की पूर्ण दृष्टि।

तारीख
घटना
मारे गए लोगो की संख्या
ग्रहों की स्थिति
26 दिसम्बर 2004
सुमात्रा , इंडोनेशिया में आयी इतिहास की सबसे बड़ी सुनामी , भूकम्प की तीव्रता 9.1  
लगभग २ लाख ३० हज़ारकेतु, सूर्य, मंगल, बुध, गुरु और शुक्र एक दूसरे के बेहद करीब, शनि - चन्द्रमा एक दूसरे पास।

चन्द्रमा राहु के नक्षत्र में, सूर्य केतु के नक्षतर् में, मंगल शनि के नक्षत्र में,राहु केतु के नक्षत्र में और केतु मंगल के नक्षत्र में। अर्थात भयानक तबाही
27 अगस्त 1883इंडोनेशिया , भयानक ज्वालामुखी विस्फोट , सुनामी और भूकम्प40 हजार से ज्यादा
केतु, शनि, मंगल, चन्द्रमा, गुरु एक दूसरे के बेहद करीब। सूर्य, राहु, बुध और शुक्र एक दूसरे के बेहद करीब।
सूर्य, केतु के नक्षत्र में, चन्द्रमा और मंगल राहु के नक्षतर् में, शुक्र भी केतु के नक्षत्र में और शनि चन्द्रमा के नक्षत्र में, साथ ही राहु केतु के नक्षत्र में और केतु राहु के नक्षत्र में।
9 अगस्त 1138सीरिया - भयानक भूकंपकरीब २ लाख ३० हजारमंगल, केतु और चन्द्रमा एक साथ। मंगल और केतु दृष्टि सूर्य और गुरु पर।

सूर्य केतु के नक्षतर् में और चन्द्रमा राहु के नक्षत्र में साथ ही शनि राहु के नक्षतर् में और केतु सूर्य के नक्षत्र में, अर्थात सूर्य केतु में और केतु सूर्य में।
23 जनवरी 1556चीन, इतिहास का सबसे बड़ा भूकंप8 लाख 30 हज़ार


सूर्य, चन्द्रमा, मंगल शनि की राशि में, चदंरमा और मंगल राहु के नक्षत्र में। मंगल राहु में और राहु मंगल के नक्षत्र में।
मंगल और शनि दोनों की ही दृष्टि राहु पर।
केतु, सूर्य, गुरु, बुध और शुक्र एक दूसरे के बेहद करीब।
मंगल, चन्द्रमा और शनि एक दूसरे के करीब और राहु से दृष्टि सम्बन्ध।
22 मई 1927चीन, भयानक भूकम्प२ लाख से ज्यादाकरीब 10 अंशो के भीतर सूर्य, राहु, मंगल, बुध और शुक्र। चन्द्रमा और केतु एक साथ और शनि के बेहद करीब
6 और 9 अगस्त 1945
जापान, हिरोशिमा-नागासाकी परमाणु बम विस्फोट
३ लाख से ज्यादा तत्काल मौत और लाखों आजतक प्रभावित30 अंशो के भीतर सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, राहु, शनि और शुक्र, अर्थात 6 ग्रह एक दूसरे के बिलकुल पास।

उपरोक्त उदाहरणों से हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि जब कभी अधिकतम ग्रह राहु या केतु के समीप हों, सूर्य और चन्द्रमा भी राहु या केतु के प्रभाव में हों, उनसे किसी भी प्रकार का मंगल और शनि का सम्बन्ध स्थापित हो रहा हो तो भयानक विनाश लीला हुई है। इन सभी घटनाओं का जिक्र मैंने तारीख, ग्रहों की स्थिति और होने वाले भयानक परिणामों के साथ इसलिए किया कि पृथ्वी पर होने वाले विनाश और ग्रहों का खेल आपको समझने में मदद मिले।

अब आपको उस तारीख के बारे में बताने जा रहा हूँ, जिस तारीख को ऊपर दिए हुए विनाशकारी तारीखों से भी कई गुना अधिक भयानक दुर्योग है। उस दिन के ग्रहों की स्थिति निचे दी जा रही कुंडली के माध्यम से दिखा रहा हूँ -


ग्रहों की युति देखिये -


  1. उच्च के शनि के साथ नीच का सूर्य, साथ में बुध, गुरु, शुक्र और केतु। अर्थात 6 ग्रह एक साथ (अत्यंत ही दुर्लभ और दुष्कर योग है यह जब 6 ग्रह एक साथ हों )
  2. सूर्य केतु के कारण ग्रहण योग में।
  3. चन्द्रमा, राहु के साथ और ग्रहण योग में।
  4. नीच का मंगल।
  5. नीचस्थ मंगल की चतुर्थ पूर्ण दृष्टि सूर्य, केतु और शनि पर, अर्थात भयानक विनाश।
  6. उचस्थ शनि की दशम पूर्ण दृष्टि मंगल पर।
  7. अर्थात 9 ग्रहों में से 6 ग्रह एक साथ, २ ग्रह एक साथ और नीचस्थ मंगल अकेला।
  8. चन्द्रमा केतु की नक्षत्र में।
  9. बुध, गुरु और शुक्र तीनों ही शुभ ग्रह राहु के नक्षत्र में और तीनों ही अस्त।
  10. शनि मंगल के नक्षत्र में।
  11. राहु, केतु के नक्षत्र में तथा केतु, राहु के नक्षत्र में।
  12. योग व्यतिपात अर्थात अत्यंत ही दुर्योगकारी, तिथि पूर्णिमा।

ऐसा दुर्योग मैंने अब तक इतिहास के किसी भी बुरे से बुरे विध्वंसकारी दिनों में भी नहीं देखा। अब आपको इस महाविनाशकारी तारीख का भी इंतजार होगा। तो चलिए मैं आपको बता दूँ कि ग्रहों का यह महाविनाशकारी योग जिस तारीख को बन रहा है, वह अब से करीब 27 वर्षों बाद आने वाली है।

महाविनाश की वह तारीख है 7 नवंबर 2041

कृष्ण के अवतार के बाद महाविनाश हुआ था, और कृष्ण को ही पूर्णावतार माना गया है। 15 सितम्बर 2014 को महावतार होने की भविष्यवाणी जो मैंने की है, उसका सम्बन्ध ज़रूर इस दिन से होगा।

इस अद्भुत बच्चे के जन्म के बारे में विस्तार से पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें: इस सितम्बर बन रहा है सहस्राब्दी का सबसे अद्भुत योग - भाग २

क्या - क्या हो सकता है इस तारीख को इसकी भी जानकारी मैं आपको अपने लेख “महाविनाश का दिन - भाग 2 “ में देने का प्रयास करूँगा।

पं दीपक दूबे

आज का पर्व



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आज से भाद्रपद का शुक्ल पक्ष प्रारम्भ हो रहा है।

आपका दिन मंगलमय हो!
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सोमवती अमावस्या २०१४ - पाइए पितृ दोष से मुक्ति

क्या आप पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं ? तो आइए जानें सोमवती अमावस्या व्रत के बारे में जिससे आप पितृ दोष से मुक्त होंगे और सुख-समृद्ध जीवन आपके कदम चूमेगा। सोमवती अमावस्या व्रत के बारे में और अधिक जानें इस लेख द्वारा। 



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सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। यह वर्ष में लगभग एक बार ही आती है। कहा जाता है कि इस दिन विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और पीपल के वृक्ष की पूजा करती हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी विशेष महत्व है। महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से समृद्धि, सुख और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। 

सोमवती अमावस्या का दिन पितृ पूजा के लिए भी बहुत शुभ माना गया है। माना जाता है कि पवित्र नदी में स्नान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। 

सोमवती अमावस्या २०१४ - प्रचलित कथा 


एक गाँव में एक साहूकार अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। उसके सात बेटे और एक बेटी थी। उसने अपने सब बेटों की शादी कर दी थी लेकिन वो अपनी बेटी का विवाह नहीं कर पा रहा था। एक साधू प्रतिदिन उनके घर आते और उसकी बहुओं को आशीर्वाद देते थे पर उसकी बेटी को नहीं। लड़की की माँ ने साधू से इसका कारण पूछा तो उन्होंने जवाब नही दिया और चले गए। 


तब लड़की की माँ ने किसी पंडित से इसका उपाय पूछा तो उन्होंने बताया कि सिंघल के द्वीप पर एक धोबिन रहती है। अगर वह धोबिन उस लड़की की मांग में सिंदूर लगा दे तो लड़की की किस्मत बदल जाएगी। पंडित ने उन्हें सोमवती अमावस्या का व्रत रखने को भी कहा। 

लड़की अपने छोटे भाई के साथ उस द्वीप पर गयी और उस धोबिन के साथ रहने लगी और कुछ दिनों बाद धोबिन ने लड़की की सेवा से खुश होकर उसकी मांग में सिंदूर भर दिया। और घर आकर उसने सोमवती अमावस्या का व्रत रखा जिसके फलस्वरूप लड़की का विवाह हो गया। 

सोमवती अमावस्या २०१४ - पूजा विधि 


इस दिन स्त्रियाँ प्रातः जल्दी उठकर स्नान करती हैं और पीपल के वृक्ष के पास जाती हैं। पीपल के वृक्ष पर दूध, जल, पुष्प, अक्षत और चंदन चढ़ाया जाता है और वृक्ष के चारों ओर १०८ बार धागा बाँध कर परिक्रमा की जाती है। 
इस प्रकार सोमवती अमावस्या का व्रत रखने से आपकी सारी इच्छाएँ पूरी हो सकती हैं।

विशेष


पितृ दोष का कारण अपने पूर्वजों का श्राद्ध ठीक से ना होना होता है। उनकी अतृप्त आत्मा अपनी पीढ़ी से अपने लिए पितृ कार्य करने की उम्मीद रखती है जिससे उनकी मुक्ति हो सके। जो लोग जाने या अनजाने में अपने पितरों का श्राद्ध और क्रिया अच्छे से नहीं कर पाते उनकी आगे आने वाली पीढ़ी में पितृ दोष अवश्य उत्पन्न हो जाता है। 

अमावस्या का दिन पितृ श्राद्ध के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन आप अपने ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों के लिए सामान्य, नारायण बलि या त्रिपिण्ड श्राद्ध कर सकते हैं।”


आज का पर्व




आज की सेंसेक्स निफ़्टी प्रिडिक्शन्स जानने के लिए यहाँ क्लिक करें: सेंसेक्स निफ़्टी प्रिडिक्शन्स

आज स्नान दान श्राद्ध अमावस्या है। पितृ पूजा करने के लिए यह दिन बहुत शुभ माना गया है। 

आज कुश्तोपत्नी अमावस्या है। इस दिन ब्राह्मण और पुरोहित पूरे वर्ष कर्मकाण्ड के लिए कुशा नामक घास उखाड़ते हैं।

आज पिथौरी अमावस्या है। इस दिन विवाहित स्त्रियाँ अपने बच्चों के लिए देवी दुर्गा की हैं और व्रत रखती हैं।
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