सोमवती अमावस्या २०१४ - पाइए पितृ दोष से मुक्ति

क्या आप पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं ? तो आइए जानें सोमवती अमावस्या व्रत के बारे में जिससे आप पितृ दोष से मुक्त होंगे और सुख-समृद्ध जीवन आपके कदम चूमेगा। सोमवती अमावस्या व्रत के बारे में और अधिक जानें इस लेख द्वारा। 



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सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। यह वर्ष में लगभग एक बार ही आती है। कहा जाता है कि इस दिन विवाहित स्त्रियाँ अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और पीपल के वृक्ष की पूजा करती हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी विशेष महत्व है। महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से समृद्धि, सुख और अच्छा स्वास्थ्य मिलता है। 

सोमवती अमावस्या का दिन पितृ पूजा के लिए भी बहुत शुभ माना गया है। माना जाता है कि पवित्र नदी में स्नान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। 

सोमवती अमावस्या २०१४ - प्रचलित कथा 


एक गाँव में एक साहूकार अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। उसके सात बेटे और एक बेटी थी। उसने अपने सब बेटों की शादी कर दी थी लेकिन वो अपनी बेटी का विवाह नहीं कर पा रहा था। एक साधू प्रतिदिन उनके घर आते और उसकी बहुओं को आशीर्वाद देते थे पर उसकी बेटी को नहीं। लड़की की माँ ने साधू से इसका कारण पूछा तो उन्होंने जवाब नही दिया और चले गए। 


तब लड़की की माँ ने किसी पंडित से इसका उपाय पूछा तो उन्होंने बताया कि सिंघल के द्वीप पर एक धोबिन रहती है। अगर वह धोबिन उस लड़की की मांग में सिंदूर लगा दे तो लड़की की किस्मत बदल जाएगी। पंडित ने उन्हें सोमवती अमावस्या का व्रत रखने को भी कहा। 

लड़की अपने छोटे भाई के साथ उस द्वीप पर गयी और उस धोबिन के साथ रहने लगी और कुछ दिनों बाद धोबिन ने लड़की की सेवा से खुश होकर उसकी मांग में सिंदूर भर दिया। और घर आकर उसने सोमवती अमावस्या का व्रत रखा जिसके फलस्वरूप लड़की का विवाह हो गया। 

सोमवती अमावस्या २०१४ - पूजा विधि 


इस दिन स्त्रियाँ प्रातः जल्दी उठकर स्नान करती हैं और पीपल के वृक्ष के पास जाती हैं। पीपल के वृक्ष पर दूध, जल, पुष्प, अक्षत और चंदन चढ़ाया जाता है और वृक्ष के चारों ओर १०८ बार धागा बाँध कर परिक्रमा की जाती है। 
इस प्रकार सोमवती अमावस्या का व्रत रखने से आपकी सारी इच्छाएँ पूरी हो सकती हैं।

विशेष


पितृ दोष का कारण अपने पूर्वजों का श्राद्ध ठीक से ना होना होता है। उनकी अतृप्त आत्मा अपनी पीढ़ी से अपने लिए पितृ कार्य करने की उम्मीद रखती है जिससे उनकी मुक्ति हो सके। जो लोग जाने या अनजाने में अपने पितरों का श्राद्ध और क्रिया अच्छे से नहीं कर पाते उनकी आगे आने वाली पीढ़ी में पितृ दोष अवश्य उत्पन्न हो जाता है। 

अमावस्या का दिन पितृ श्राद्ध के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। इस दिन आप अपने ज्ञात-अज्ञात पूर्वजों के लिए सामान्य, नारायण बलि या त्रिपिण्ड श्राद्ध कर सकते हैं।”


आज का पर्व




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आज स्नान दान श्राद्ध अमावस्या है। पितृ पूजा करने के लिए यह दिन बहुत शुभ माना गया है। 

आज कुश्तोपत्नी अमावस्या है। इस दिन ब्राह्मण और पुरोहित पूरे वर्ष कर्मकाण्ड के लिए कुशा नामक घास उखाड़ते हैं।

आज पिथौरी अमावस्या है। इस दिन विवाहित स्त्रियाँ अपने बच्चों के लिए देवी दुर्गा की हैं और व्रत रखती हैं।

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1 comment:

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