कृष्ण जन्माष्टमी २०१४ - आ गए हैं बाल गोपाल अपनी नटखट दिव्यता के साथ !

हमारे नटखट गोपाल इस वर्ष अगस्त १७, २०१४ को आ रहें हैं। चलिए इस जन्माष्टमी पर स्वागत करते हैं हमारे नन्दलाल का मधुर बांसुरी के साथ। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के त्यौहार के बारे में अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें और जानें इस दिन का महत्त्व।

कृष्ण जन्माष्टमी अगस्त १७, २०१४, को मनाई जाएगी।


श्री कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है क्योंकि इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने जन्म लिया था। भगवान विष्णु के आठवें अवतार को श्री कृष्ण माना जाता है जिन्हें कान्हा और गोविन्द के नाम से भी जाना जाता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी को कई नामों से जाना जाता है जैसे कृष्णाष्टमी, गोकुलाष्टमी, श्री कृष्ण जयंती, अष्टमी रोहिणी और श्री जयंती आदि।

आइये अब आपको श्री कृष्णा की जन्म कथा से अवगत कराते हैं। 

कृष्ण जन्माष्टमी: पूजा मुहूर्त 


  • मध्य रात्रि (निशित काल) पूजा मुहूर्त: ००:०४ से००:४७ बजे 
  • आगामी दिन पारण समय (व्रत तोड़ने समय): ०६:०६ मिनट के बाद 

कृष्ण जन्माष्टमी: कृष्ण जन्म की कथा 


आइये आपको लेकर चलते है उस युग में जब कंस मथुरा का राजा हुआ करता था। कंस ने आकाशवाणी में सुना की उसकी मृत्यु देवकी और वसुदेव की आठवीं संतान द्वारा होगी। भयभीत कंस ने अपनी बहन देवकी और उसके पति वसुदेव को कारागार में डाल दिया और उनकी ७ संतानों की हत्या कर दी। लेकिन कंस उनकी आठवीं संतान को मार ना सका क्योंकि वासुदेव उन्हें जन्म के तुरंत बाद ही नन्द के घर गोकुल छोड़ आए। 

कृष्ण ने बड़े होकर कंस का वध किया और मानव जाति को अत्याचार से मुक्त कर दिया। 

कृष्ण जन्माष्टमी: जन्माष्टमी का अनुष्ठान 


कृष्ण जन्माष्टमी का आयोजन मथुरा और वृंदावन में बहुत ही उत्साह और बड़े पैमाने पर किया जाता है। इसमें बहुत सी गतिविधियाँ शामिल होती हैं जैसे की रासलीला, दही हांडी आदि। रासलीला में श्री कृष्ण के युवा दिनों के चुलबुलेपन को नाटकीय तौर पर दिखाया जाता है। दही हांडी के खेल में बहुत ही ऊंचाई पर एक मटकी बाँधी जाती है जो मक्खन से भरी होती है और हिस्सा लेने वाले लोगों को यह मटकी तोड़नी होती है। जन्माष्टमी का यह पर्व बहुत ही धूमधाम और सच्ची भक्ति से मनाया जाता है। 

जन्माष्टमी का अनुष्ठान: जन्माष्टमी व्रत


जन्माष्टमी में लोग अलग-अलग तरीकों से व्रत रखते हैं। श्री कृष्ण के उत्साही भक्त निर्जला व्रत रखते हैं जबकि कुछ लोग फलाहारी व्रत भी रखते हैं। आइये व्रत की विधियों को विस्तार में जानें:


  • जन्माष्टमी के दिन पूरे दिन का व्रत रखा जाता है जो अर्धरात्रि को खोला जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है की भगवान कृष्ण का जन्म आधी रात में हुआ था। 
  • भगवान कृष्ण की बचपन की मूर्तियों को झूले या पालने में रखें। 
  • उन्हें नए कपड़े और गहनों से सजाएं।
  • अब उनकी पूजा करें और झूला झुलायें। 
  • आखिर में अपना व्रत खोलें और भोजन ग्रहण करें। 

माना जाता है कि जो भी इस व्रत को श्रद्धापूर्वक रखता है, वह सारे सुखों को भोग कर स्वर्ग में जाता है।

जन्माष्टमी: संतान प्राप्ति उपाय का विशेष दिन


वैवाहिक जीवन में प्रवेश करने के बाद सामान्यतया सभी दम्पति संतान की कामना करते हैं। कभी -कभी कई कारणों से यह सुख उन्हें नहीं मिल पाता है। ऐसे सभी दम्पतियों के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का अवसर बहुत प्रभावकारी साबित हो सकता है। इस दिन में मुहूर्त की विशेष शुभता होने के कारण यह उपाय अत्यंत प्रभावशाली हो जाता है अपने जीवन में संतान की खुशियां लाने का यह सरल और सहज उपाय है। संतान प्राप्ति उपाय की विधि इस प्रकार है- 

  • यह उपाय पति - पत्नी दोनों के द्वारा पूरे विश्वास और श्रद्धा के साथ किया जाता है। 
  • इस दिन दोनों प्रात: स्नानादि क्रियाओं से मुक्त होने के बाद इस उपाय का अपने इष्ट देव के सामने संकल्प लें। 
  • इष्टदेव की पूजा करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की लडडू गोपाल की प्रतिमा या तस्वीर सामने लगा कर तुलसी माला से संतान गोपाल मंत्र का एक माला जप करें। मंत्र नीचे दिया जा रहा है। - देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते।
    देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गत:।।

  • मंत्र जप से पहले भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा या चित्र को धूप, दीप, चन्दन, अक्षत, तुलसी दिखाकर, मक्खन का भोग लगाएं।
  • घी के दीप और कपूर से कृष्ण आरती करें। इस अवसर पर चित्र या प्रतिमा में लडडू गोपाल अर्थात बालगोपाल स्वरूप में ही श्रीकृष्ण होने चाहिए। संतान प्राप्ति उपाय के लिए भगवान श्रीकृष्ण का यही रुप श्रेष्ठ माना जाता है। 
  • भगवान की उपरोक्त विधि-विधान से पूजा करने के बाद संतान गोपाल मंत्र का एक माला जप करें। मंत्र का जप करने के बाद पति-पत्नी दोनों हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए, एक स्वस्थ संतान की कामना भगवान श्रीकृष्ण से करें। विश्वास भाव से किया गया यह उपाय चमत्कारी फल देता है। और निसंतान सम्पतियों की संतान प्राप्ति की कामना शीघ्र पूरी होती है। 

आज का पर्व


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