आज, 29 अगस्त 2014, के दिन गणेश चतुर्थी का पावन पर्व मनाया जाएगा। क्या आप अपने आसपास फैली नकारात्मकता से दूर होना चाहते हैं? अपनी ज़िंदगी में ऊँचाइयाँ पाना चाहते हैं? इसके लिए और कुछ नहीं, बस भगवान को इस गणेश चतुर्थी खुश करने के लिए एक पवित्र मन चाहिए। भगवान गणेश से आशीर्वाद लीजिए और एक सकारात्मकता भरा जीवन पाइए।
गणेश चतुर्थी का पावन त्यौहार भगवान गणेश के स्वागत के लिए मनाया जाता है। गणपति बप्पा हर साल अपने भक्तों पर कृपा करने तथा उनका मंगल करने के लिए धरती पर आते हैं। भगवान गणेश को बुद्धि और समृद्धि का देवता माना गया है। किसी शुभ कार्य की शुरुआत हो या किसी यात्रा का आरंभ हो, भगवान गणेश को ज़रुर याद किया जाता है क्योंकि इन्हें ‘विघ्नहर्ता’ भी कहा गया है।
गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह में मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। यह त्यौहार लगातार १० दिनों तक चलता है और अनंत चतुर्दशी के दिन संपूर्ण होता है। गणेश चतुर्थी विशेष रूप से महाराष्ट्र में मनाई जाती है। इन दिनों महाराष्ट्र का माहौल देखते ही बनता है।
करें केतु की शांति
“केतु की शांति के लिए भगवान गणेश की आराधना का विशेष महत्त्व है। यदि आपकी केतु की महादशा या अंतर दशा चल रही है, या केतु के प्रभाव के कारण नौकरी, व्यापार या स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या आ रही है तो इस दिन आप भगवान गणेश के “ॐ गं गणपतये नमः’’ मंत्र का 21000 जप अनुष्ठान, संकल्पित होकर करें। गणेश भगवान को दूब(घास) जिसे दूर्वा भी कहा जाता है, अर्पित करें और प्रसाद में मोतीचूर के लड्डू अवश्य चढ़ाएँ। मन्त्र जप पूरा होने पर उसके दशांश (जप संख्या का दसवां भाग) से हवन करें, तथा यथा सामर्थ्य ब्राह्मणों को भोजन तथा दान दें। केतु सम्बंधित समस्या से अवश्य छुटकारा मिलेगा।”गणेश चतुर्थी 2014: भगवान गणेश जन्म कथा
भगवान गणेश माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश पार्वती माँ द्वारा उनके चंदन के लेप से उनकी सुरक्षा करने के लिए उत्पन्न हुए थे। एक बार माता पार्वती को स्नान करने जाना था, कोई भीतर प्रवेश ना करे इसलिए माता पार्वती ने भगवान गणेश को द्वार पर निगरानी रखने के लिए कहा। उसी समय वहाँ भगवान शिव आ जाते हैं। भगवान गणेश शिवजी को पहचान नहीं पाते और उन्हें अंदर जाने से रोकते हैं। जिसके कारण भगवान शिव को बहुत क्रोध आता है और वह गणेश का सिर धड़ से अलग कर देते हैं। परंतु माता पार्वती द्वारा सच्चाई जानने के बाद उन्हें बहुत पछतावा होता है और वह गणेशजी को एक हाथी का मुख प्रदान करते है जिससे वो जीवित हो जाते हैं। कहा जाता है कि इस घटना के बाद भगवान गणेश को परम पूज्य का स्थान दिया गया।
गणेश चतुर्थी 2014: गणेश चतुर्थी पूजा
गणेश चतुर्थी की इस भव्य पूजा को “गणेश उत्सव” भी कहते हैं जिसकी शुरुआत भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना से होती है। बड़े बड़े पंडाल लगाए जाते हैं जिसमें गणेशजी की मूर्ति को स्थापित करा जाता है और सजाया जाता है। पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ भक्त गणपति बप्पा की पूजा आराधना करते हैं। गणेश चतुर्थी के उपलक्ष्य में गणेशजी को भोग लगाने के लिए तरह-तरह के मिष्ठान तैयार किये जाते हैं। लोग दूर-दूर से भगवान गणेश के दर्शन करने आते हैं और नाचते गाते हैं। लोग घरों में सच्चे मन से गणेश मंत्र का जाप कर पूजा करते हैं और उन्हें मोदक, नारियल और अन्य मिष्ठान चढ़ाते हैं।
इन दस दिनों की सच्ची भक्ति के बाद वक्त आता है भगवान गणेश विदा को करने का, जिसे हम अनंत चतुर्दशी कहते हैं। और इस दिन गणेशजी का समुद्र में विसर्जित कर दिया जाता है।
श्री गणेश मंत्र
वक्रतुंड महाकाय कोटिसूर्यसमप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
अर्थात: हे! वक्र सूंड और भारी शरीर वाले भगवान गणेश, जिनका वैभव लाखों सूर्यों के समान हैं, मुझे आशीर्वाद दें कि मेरे किसी भी काम में अड़चन ना आए।
गणेश चतुर्थी का त्यौहार आपके जीवन की परेशानियों को दूर कर खुशियों से भर सकता है। इस मौके को हाथ से न जाने दें और अपने जीवन को अधिक-से-अधिक सुखमय बनायें।
आज का पर्व
आज बुध कन्या राशि में में गोचर कर रहा है। अपनी राशि पर इसका प्रभाव जानने के लिए यहाँ क्लिक करें - बुध कन्या राशि में
इतना ही नहीं, आज राष्ट्रीय खेल दिवस भी है। इसलिए आज के दिन खेल-कूद का भरपूर मज़ा उठाएँ।
आपका दिन मंगलमय हो!
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