वरलक्ष्मी व्रत २०१४ - लाइए पारवारिक सुखों में वृद्धि

क्या आप भी परिवार में शांति और संतान-सुख चाहते हैं? क्या आपको सुख-सुविधाओं से भरी ज़िंदगी चाहिए जो कभी ख़त्म ना हो? इस वरलक्ष्मी व्रत पर एक नज़र डालें और देखें कैसे देवी लक्ष्मी का पूजन आपके जीवन को आनंद से भर देता है। 

वरलक्ष्मी व्रत का बड़े ही उत्साह के साथ जश्न।


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वरलक्ष्मी व्रत विशेष रूप से श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। देवी वरलक्ष्मी, लक्ष्मी के दूसरे अवतार के नाम से भी जानी जाती हैं जिन्हें हम “धन की देवी” कहते हैं। नारीत्व का त्यौहार होने के नाते, यह व्रत सुहागन औरतों द्वारा बहुत ही जोश और उत्साह से मनाया जाता है। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार वरलक्ष्मी व्रत को वरों का त्यौहार कहा गया है। 

वरलक्ष्मी व्रत विशेष रूप से तमिलनाडु और कर्नाटक राज्य में मनाया जाता है। वरलक्ष्मी व्रत शादीशुदा महिलाओं द्वारा अपने पति की मंगल कामना और लम्बी आयु के लिए मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार यह व्रत शादीशुदा जोड़ों को संतान प्राप्ति का सुख भी देता है। वरलक्ष्मी व्रत रखना अष्टलक्ष्मी को पूजने के बराबर है जिन्हें नीचे दिए गये आठ बलों की देवी कहा गया है:
  • धन 
  • प्रसिद्धि 
  • शिक्षा 
  • बल 
  • आनंद
  • पृथ्वी
  • प्रेम 
  • शांति 

वरलक्ष्मी व्रत : पूजा की सामग्री 


महिलायें इस दिन प्रातः जल्दी उठकर स्नान करती हैं और अपने आप को नए कपड़ों और ज़ेवरों से सजाती हैं। घरों को सजाने के लिए रंगीन और सुन्दर रंगोली बनाई जाती हैं। 

देवी लक्ष्मी की मूर्ति को नए कपड़ों, ज़ेवर और कुमकुम से सजाया जाता है। वरलक्ष्मी व्रत को करने के लिए कुछ ज़रुरी सामग्री नीचे दी गयी हैं:
  • हल्दी 
  • कुमकुम 
  • चंदन 
  • फूल 
  • फ़ल 
  • एक लाल कपड़ा 
  • पान के पत्ते 
  • नारियल 
  • चावल 
  • चना 

वरलक्ष्मी व्रत : पूजा की विधि 


वरलक्ष्मी व्रत की पूजा गणेश जी के ध्यान से आरंभ होती है। उसके बाद नीचे दी गई विधि का उपयोग करें। 

  • देवी लक्ष्मी की मूर्ति को पूजा के स्थान पर पूर्व दिशा में रखें
  • पूजा के स्थान पर थोड़े चावल फैलाएँ 
  • एक कलश लें और उसके चारों तरफ चन्दन लगाएँ 
  • कलश में आधे से ज़्यादा चावल भर लें 
  • कलश के अंदर पान के पत्ते, खजूर और सिक्का (चाँदी या तांबा) डालें 
  • एक नारियल पर चंदन, हल्दी और कुमकुम लगा कर उसे कलश पर रखें 
  • नारियल के आसपास आम के पत्ते लगाएँ 
  • एक थाली में नया लाल कपड़ा रखें और उस थाली को चावल पर रखें 
  • देवी लक्ष्मी के समक्ष दीया जलाएँ 
पूजा का समापन महिलाओं को प्रसाद बाँटकर होता है। महिलाएँ देवी लक्ष्मी की प्रशंसा में भक्ति के गीत गाती हैं।

आज का पर्व

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आज बृहस्पति का उदय कर्क राशि में हो रहा है। अपनी राशि पर इसका प्रभाव जानने के लिए क्लिक करें - बृहस्पति उदय कर्क राशि में

आज प्रदोष व्रत है। भगवन शिव का आशीर्वाद पाने के लिए यह अच्छा दिन हैं।
                                                
  आपका दिन मंगलमय हो !

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