शुक्र का तुला राशि में गोचर कल

पढ़ें हर राशि से जुड़ी भविष्यवाणियां! शुक्र ग्रह 1 सितंबर 2018 को तुला राशि में गोचर कर रहा है। जानें आपके जीवन पर क्या होगा इसका असर?


ज्योतिष शास्त्र में शुक्र ग्रह को कला, सौंदर्य, प्रेम और भौतिक सुख-सुविधाओं समेत सभी सांसारिक सुखों का कारक कहा जाता है। कुंडली में शुक्र के मजबूत होने से व्यक्ति को वाहन सुख, विदेश यात्रा और वैवाहिक जीवन का आनंद प्राप्त होता है। शुक्र को जीवनसाथी का कारक भी माना जाता है, अतः यह ग्रह हमारे वैवाहिक जीवन को भी प्रभावित करता है। 

शुक्र ग्रह 1 सितंबर 2018, शनिवार को रात्रि 11:46 बजे तुला राशि में प्रवेश करेगा और 1 जनवरी 2019, मंगलवार रात्रि 8:58 बजे तक इसी राशि में स्थित रहेगा। इस अवधि में शुक्र के गोचर का प्रभाव सभी 12 राशियों पर देखने को मिलेगा। आइये जानते हैं शुक्र के गोचर का प्रत्येक राशि पर होने वाला प्रभाव-


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। चंद्र राशि कैल्कुलेटर से जानें अपनी चंद्र राशि

मेष


इस दौरान प्रोफ़ेशनल क्षेत्र में आपका कद ऊँचा होगा, हालाँकि आपको विवाद से बचना होगा। महिलाओं का हमेशा सम्मान करें...आगे पढ़ें

वृषभ


इस दौरान आपकी सेहत कमज़ोर रह सकती है। अपने विरोधियों की चाल से सावधान रहें। वे आप पर हावी होने का प्रयास कर सकते हैं...आगे पढ़ें

मिथुन


इस दौरान आप अपने विरोधियों पर विजय प्राप्त करेंगे। यदि आपने बैंक अथवा किसी व्यक्ति से पैसा उधार लिया है तो उस उधार को आप चुका सकते हैं...आगे पढ़ें

कर्क


इस दौरान आपको विविध क्षेत्रों में सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति होगी। घर में सुख-शांति का वातावरण रहेगा। आर्थिक जीवन में समृद्धि के योग हैं...आगे पढ़ें

सिंह


इस दौरान आपके साहस, कार्य क्षमता एवं संकल्प शक्ति में वृद्धि होने की प्रबल संभावना है। आप अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करेंगे...आगे पढ़ें

कन्या


इस स्थिति में आपको आर्थिक दृष्टि से उच्च लाभ संभव है। विभिन्न स्रोतों से आपको आय की प्राप्ति होगी और परिवार में किसी शुभ कार्य के होने के योग बन रहे हैं...आगे पढ़ें


तुला


इस दौरान आपकी सेहत में सुधार देखने को मिल सकता है। ध्यान रखें, किसी भी चीज़ की अति नुकसानदायी रहती है, इसलिए किसी भी चीज़ की अति न करें...आगे पढ़ें

वृश्चिक


इस दौरान विदेश संबंधों से आपको लाभ मिलने के योग हैं। आप किसी लंबी दूरी की यात्रा पर जा सकते हैं। गोचर की अवधि में आपका ख़र्च बढ़ सकता है...आगे पढ़ें

धनु


इस दौरान आपको आर्थिक क्षेत्र में लाभ मिलने के योग हैं। आपके जीवन में समृद्धि आने की प्रबल संभावना है। इस अवधि में आप भौतिक सुख-सुविधाओं का पूरा आनंद ले सकेंगे...आगे पढ़ें

मकर


इस दौरान आप अच्छा कार्य करेंगे, परंतु आपको इससे संतुष्टि नहीं होगी। आप अपनी वर्तमान जॉब को चेंज कर सकते हैं। बच्चों के साथ किसी बात को लेकर मनमुटाव हो सकता है...आगे पढ़ें

कुंभ


इस दौरान आपको विभिन्न क्षेत्रों में लाभ मिलने की संभावना है। गोचर की अवधि में आप किसी लंबी दूरी की यात्रा पर जा सकते हैं। यह यात्रा आपके लिए लाभकारी रहेगी...आगे पढ़ें

मीन


इस दौरान आपके मन में वासनात्मक विचारों की वृद्धि हो सकती है। इस अवधि मे आप भौतिक सुख-सुविधाओं का आनंद लेंगे। बच्चे भी हँसी-ख़ुशी से अपना समय व्यतीत करेंगे...आगे पढ़ें

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कजरी तीज आज, जानें पूजा विधि

पढ़ें इस दिन गौ माता और चंद्र पूजा का महत्व! आज यानि 29 अगस्त को मनाई जाने वाली कजरी तीज व्रत का धार्मिक महत्व और पूजा विधि।


हिन्दू धर्म में सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और परिवार की खुशहाली के लिए हर साल आने वाले कई व्रत रखती हैं। इनमें करवा चौथ, हरतालिका तीज, हरियाली तीज, वट सावित्री और कजरी तीज प्रमुख व्रत हैं। हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की तृतीया को कजरी तीज का व्रत रखा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर में यह व्रत जुलाई या अगस्त के महीने में आता है। इस वर्ष यह व्रत 29 अगस्त को मनाया जा रहा है। यह व्रत उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार समेत देश के अन्य हिन्दी भाषी राज्यों में प्रमुख रूप से मनाया जाता है। इस व्रत को कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन नीमड़ी माता की पूजा की जाती है। सुहागन महिलाएँ अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं। वहीं अविवाहित लड़कियां भी सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रख सकती हैं।

कजरी तीज व्रत के नियम


  • करवा चौथ की तरह यह व्रत भी निर्जल रहकर किया जाता है। हालांकि वे महिलाएँ जो गर्भवती हैं इस दिन फलाहार कर सकती हैं।
  • चूंकि यह व्रत चांद को देखकर खोला जाता है। यदि रात्रि में चंद्रमा नहीं दिखाई दे तो रात 11.30 बजे आसमान की ओर मुख करके चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोल लें।
  • यदि एक बार व्रत का उद्यापन कर लिया है तो आने वाले वर्षों में संपूर्ण उपवास संभव न तो, फलाहार लेकर व्रत रख सकते हैं।


चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि


  • कजरी तीज पर चंद्र देव को अर्घ्य देने की परंपरा है। रात्रि में आसामन की ओर चंद्रमा को जल के छींटे देकर रोली और अक्षत चढ़ाएँ। इसके बाद उन्हें भोग अर्पित करें।
  • चांदी की अंगूठी व गेहूं के दाने हाथ में लेकर जल का अर्घ्य दें और उसी स्थान पर चार बार घुमकर परिक्रमा करें।

कजरी तीज पर गौ माता के पूजन का महत्व


हिन्दू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। वेद और पुराणों में गाय को संसार का सबसे पवित्र प्राणी माना गया है। गौ माता के शरीर में समस्त देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए गाय को कामधेनु कहा गया है। जिसके पूजन से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। कजरी तीज के दिन विशेष रूप से गाय की पूजा की जाती है। आटे की 7 लोइयां बनाकर उन पर घी और गुड़ रखकर गाय को खिलाने के बाद ही भोजन किया जाता है। 

कजरी तीज से जुड़ी परंपराएँ


  • कजरी तीज के अवसर पर जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी व मेवा मिलाकर तरह-तरह के पकवान बनाये जाते हैं। 
  • इस दिन खेत और उद्यान में झूले डाले जाते हैं और महिलाएँ एकत्रित होकर नाच-गाकर उत्सव मनाती हैं।
  • यूपी और बिहार के इलाकों में इस दिन नाव में सवार होकर कजरी गीत गाने की परंपरा भी निभाई जाती है।

हरियाली तीज, हरतालिका तीज की तरह कजरी तीज भी सुहागन महिलाएँ पूरे उत्साह के साथ मनाती है। यह व्रत भी भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है।

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को कजरी तीज की शुभकामनाएँ!

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साप्ताहिक राशिफल- 27 अगस्त से 2 सितंबर 2018

4 राशि वालों की चमकेगी किस्मत! पढ़ें साप्ताहिक राशिफल और जानें नौकरी, व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रेम और पारिवारिक जीवन के लिए कैसा रहेगा यह सप्ताह?


यह सप्ताह मिथुन, वृश्चिक, धनु, मकर और कुंभ राशि के जातकों के जीवन में आशा की नई किरण लेकर आ सकता है। अगस्त माह के अंत और सितंबर की शुरुआत में ग्रह गोचर और नक्षत्रों के विशेष प्रभाव से इन राशि के जातकों को विशेष लाभ होने की संभावना बन रही है और इसका असर करियर, व्यवसाय, शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवार और वैवाहिक जीवन आदि पर देखने को मिलेगा। 

यह सप्ताह ज्योतिषीय और धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहने वाला है। इस सप्ताह 29 अगस्त को कजरी तीज का पर्व मनाया जाएगा। वहीं 1 सितंबर को शुक्र ग्रह तुला राशि में गोचर करेगा। शुक्र यहां गुरु के साथ एक राशि संबंध बनाएगा। इसके प्रभाव से बाजार में जोरदार तेजी के बाद मंदी के योग बनेंगे। वहीं 2 सितंबर को बुध ग्रह सिंह राशि में आकर सूर्य के साथ मेल करेगा। इस पर मंगल की विशेष दृष्टि होने की वजह से बैंकिंग शेयर्स में तेजी देखने को मिल सकती है। 2 सितंबर को श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। पढ़ें श्री कृष्ण जन्माष्टमी पूजा का मुहूर्त और विधि।


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। जानें अपनी चंद्र राशि: चंद्र राशि कैल्कुलेटर

मेष


इस सप्ताह आपके ख़र्चों और इनकम के बीच उतार-चढ़ाव की स्थिति बनेगी। इनकम तो अच्छी रहेगी लेकिन साथ ही साथ खर्चे भी बढ़ेंगे...आगे पढ़ें


वृषभ


इस सप्ताह आप अपने काम में अधिक व्यस्त रहने वाले हैं इसलिए पारिवारिक जीवन को समय कम दे पाएंगे...आगे पढ़ें 

मिथुन


इस सप्ताह आप किसी लम्बी यात्रा पर जा सकते हैं। इस यात्रा से न केवल आपको आर्थिक लाभ होगा...आगे पढ़ें

कर्क


इस सप्ताह की शुरुआत में आपको तनाव से गुजरना पड़ सकता है। किसी सुदूर यात्रा के योग भी बन रहे हैं...आगे पढ़ें

सिंह


इस सप्ताह आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि अपने अहम के चलते आप अपने रिश्तों अथवा जिम्मेदारियों से मुंह ना फेरें...आगे पढ़ें

कन्या


इस सप्ताह आपको थोड़ा संघर्ष करना पड़ सकता है और मनचाहे परिणाम प्राप्त करने के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी...आगे पढ़ें


तुला


इस सप्ताह आपको अपने पेशेवर तथा पारिवारिक जीवन के बीच सामंजस्य बैठा कर चलना होगा...आगे पढ़ें

वृश्चिक


यह सप्ताह आपके लिए अच्छे परिणाम लेकर आएगा। चाहे आपके कार्यक्षेत्र में आपकी तरक्की हो...आगे पढ़ें


धनु


इस सप्ताह की शुरुआत में आप किसी यात्रा पर जा सकते हैं। पारिवारिक जीवन शांतिपूर्ण रहने की अच्छी संभावना दिखती है...आगे पढ़ें

मकर


इस सप्ताह आप अधिकांश समय अपने मित्रों और परिजनों के साथ बिताएंगे। यदि आपको खुशी चाहिए तो उसके लिए आपको स्वयं प्रयास करने होंगे...आगे पढ़ें

कुंभ


इस सप्ताह लंबे समय से अटके हुए काम बनने से आपको मानसिक प्रसन्नता का अनुभव होगा। आमदनी में वृद्धि होगी...आगे पढ़ें

मीन


इस सप्ताह आप के खर्चों में वृद्धि होने की संभावना दिखाई देती है इसलिए आप धन का निवेश और लेन-देन सोच-समझकर करें...आगे पढ़ें

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रक्षाबंधन का त्यौहार आज

जानें राखी बांधने का शुभ मुहूर्त! पढ़ें रक्षाबंधन के त्यौहार का धार्मिक और सामाजिक महत्व और इससे जुड़ी पौराणिक कथाएँ।



भारत वर्ष धर्म, त्यौहार और तीर्थों की तपोभूमि है। हिन्दू धर्म में हर साल कई व्रत और त्यौहार मनाये जाते हैं। इनमें से रक्षाबंधन भी एक प्रमुख त्यौहार है। यह पर्व भाई और बहन के प्रति असीम स्नेह और लगाव को दर्शाता है। हर भाई-बहन को इस पर्व का बेसब्री से इंतज़ार रहता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र यानि राखी बांधती हैं और उनके खुशहाल जीवन की कामना करती हैं। वहीं भाई भी अपनी बहन के सम्मान और रक्षा के लिए वचनबद्ध होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन का त्यौहार हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। 

रक्षाबंधन मुहूर्त 2018
राखी बांधने का मुहूर्त05:55:48 से 17:27:57 तक
अवधि11 घंटे 32 मिनट
राखी बांधने का अपराह्न मुहूर्त13:40:16 से 16:15:05 तक

विशेष: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में राखी बांधने का मुहूर्त और शास्त्रीय विधान

राखी बांधने का मुहूर्त और पूजा विधि


रक्षाबंधन के अवसर पर बहन अपनी भाई की कलाई पर राखी बांधती है। इस दिन विधिवत तरीके से राखी बांधने का विशेष महत्व है। 
  • राखी की थाली तैयार करें। इसमें रोली, कुमकुम, अक्षत और राखी रखें।
  • भाई को आसन पर बिठाएँ और तिलक लगाकर दाहिने हाथ में राखी बांधें।
  • मिठाई खिलाने के बाद भाई की आरती करें।
  • भाइयों का कर्तव्य है कि वे अपनी बहन का चरण स्पर्श करें और अपने सामर्थ्य अनुसार उन्हें उपहार स्वरुप कोई वस्तु भेंट करें।

रक्षाबंधन का महत्व और पौराणिक कथाएँ


हिन्दू धर्म में रक्षाबंधन का पर्व युगों-युगों से मनाया जा रहा है। महाभारत काल से लेकर मध्यकालीन भारत के इतिहास में राखी के त्यौहार का उल्लेख मिलता है। 

द्रौपदी और श्री कृष्ण की कथा- महाभारत काल में राखी का एक अनूठा प्रसंग सुनने को मिलता है। भगवान कृष्ण ने जब शिशुपाल का वध किया था तब उनकी अगुंली में चोट आ गई थी। उस समय सभी लोग रक्त को रोकने के लिए वस्त्र तलाश रहे थे लेकिन उसी समय द्रौपदी ने अपनी साड़ी का एक भाग फाड़कर उससे भगवान की अंगुली पर पट्टी बांध दी। यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। द्रौपदी के इसी त्याग और स्नेह का कर्ज भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी के चीर हरण के समय उनकी लाज बचाकर निभाया था।

सिकंदर और पुरु की कथा- सम्राट सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के शत्रु पुरुवास यानि राजा पोरस को राखी बांधकर अपना मुंहबोला भाई बनाया था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन मांगा था। इसके बाद पोरस ने युद्ध के समय सिकंदर को जीवन दान दिया। यही नहीं युद्ध में पोरस ने सिकंदर पर प्रहार किये लेकिन राखी की लाज रखने के लिए उसके हाथ रुक गए और वह बंदी बन गया। सिकंदर ने भी पोरस की इस उदारता को देखते हुए उसे उसका राज्य लौटा दिया।

इन कहानियों से रक्षाबंधन के त्यौहार की पवित्रता और महत्व का बोध होता है। हर युग और काल में भाई और बहनों ने एक-दूसरे के लिए त्याग और प्रेम की कई मिसालें कायम की हैं।

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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क्या होती है शनि साढ़े साती?

पढ़ें और समझें इसका ज्योतिषीय महत्व! पढ़ें शनि साढ़े साती और ढैय्या किसे कहते हैं। इसका मानव जीवन पर क्या प्रभाव होता है, साथ ही जानें इससे संबंधित उपाय।


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शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का नाम सुनते ही लोग भयभीत होने लगते हैं। वैदिक ज्योतिष में शनि को क्रूर ग्रह कहने की वजह से शायद लोगों में यह धारणा है कि शनि एक कष्टकारी ग्रह है लेकिन ऐसा नहीं है। समस्त ग्रहों में शनि देव को दण्डनायक का पद प्राप्त है, इसलिए उन्हें कलियुग का न्यायाधीश कहा गया है। वे संसार के प्रत्येक व्यक्ति को उसके द्वारा किये गये शुभ और अशुभ कर्मों का फल देने का कार्य करते हैं। शनि की दृष्टि में पद, स्थिति और प्रतिष्ठा कोई बात मायने नहीं रखती है। वे समान रूप से हर व्यक्ति को दंडित और उसके साथ न्याय करते हैं। 

अपने अपराधों की क्षमा याचना और शुभ कर्मों का संकल्प करने वाले व्यक्ति पर शनि देव प्रसन्न होते हैं। वहीं मनुष्य के पापों का दण्ड देने में शनि अत्यंत क्रूर ग्रह है। क्योंकि शनि जब सजा देते हैं तो धन, मान, प्रतिष्ठा और समस्त सुख-सुविधाओं से वंचित कर देते हैं। 

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शनि की साढ़े साती क्या होती है?


जब कुंडली में जन्म राशि अर्थात चंद्र राशि से बारहवें स्थान पर शनि का गोचर प्रारंभ होता है तो इसी समय से जीवन में साढ़ेसाती का आरंभ होता है। जब शनि का गोचर जन्म राशि अर्थात जन्म-कालीन चंद्रमा पर होता है तो यह साढ़ेसाती का मध्य भाग माना जाता है और जब शनि जन्म राशि से द्वितीय भाव में प्रवेश करता है तब से साढ़ेसाती का अंतिम भाग प्रारंभ माना जाता है। क्योंकि शनि एक राशि में ढाई वर्ष तक स्थित रहता है इसलिए 3 भावों को कुल मिलाकर 7.5 वर्षों के समय अंतराल में पूर्ण करता है इसी कारण शनि के इस विशेष गोचर को साढ़ेसाती कहा जाता है। साढ़ेसाती के अलावा शनि जब जन्म राशि यानि जन्म कुंडली में स्थित चंद्रमा से चतुर्थ भाव, अष्टम भाव में भ्रमण करता है तो उसे छोटी साढ़ेसाती या ढैय्या कहते हैं। इसकी अवधि ढाई साल की होती है। साढ़ेसाती के अलावा शनि जब जन्म राशि यानि जन्म कुंडली में स्थित चंद्रमा से चतुर्थ भाव, अष्टम भाव में भ्रमण करता है तो उसे छोटी साढ़ेसाती या ढैय्या कहते हैं। इसकी अवधि ढाई साल की होती है।



शनि साढ़े साती के सरल उपाय


शनि की साढ़े साती के अशुभ प्रभाव से बचने का सबसे सरल उपाय है शुभ कर्म करना और अपने समस्त बुरे कर्मों का पश्चताप करना। इसके अतिरिक्त धार्मिक और वैदिक उपायों के जरिये भी शनि की साढ़े साती से बचा जा सकता है।

  • शनि देव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को शनिदेव का पूजन करें, साथ ही सरसों के तेल से निर्मित कोई भोज्य पदार्थ, गरीब, मजदूर और कुत्ते को अवश्य दें।
  • शनि देव के पूजन में सरसों का तेल, काला नमक, सुरमा, कपूर से निर्मित काजल, काले तिल, काली उड़द, लोहे की कील, इत्र आदि का उपयोग करें और साथ ही इनका दान करें।
  • शनि देव की कृपा पाने के लिए प्रत्येक शनिवार को शनि चालीसा, हनुमान चालीसा या दशरथकृत शनि स्त्रोत का पाठ करना लाभदायक होता है।
  • एक लोहे के पात्र में सरसों का तेल डालकर उसमें अपना चेहरा देखकर दान करना चाहिए, इसे ही छाया पात्र दान कहा जाता है।
  • मामा एवं बुजुर्ग लोगों का सम्मान करें। कर्मचारिओं अथवा नौकरों को हमेशा ख़ुश रखें।
  • शनि दोष निवारण के लिए शनि बीज मंत्र का जाप करें। मंत्र - “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”
  • शनि ग्रह को प्रसन्न करने के लिए इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं- “ॐ शं शनिश्चरायै नमः”
वैदिक ज्योतिष में शनि को क्रूर ग्रह कहा गया है लेकिन शनि शत्रु नहीं मित्र हैं। वे हर मनुष्य को उसके कर्मों के अनुसार दंडित करते हैं, इसलिए अगर शनि से बचना है तो शुभ और सतकर्म करते रहें।


हम आशा करते हैं कि शनि साढ़े साती पर आधारित यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज की ओर से उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ!

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साप्ताहिक राशिफल- 20 से 26 अगस्त 2018

इस सप्ताह इन 3 राशि वालों की होगी चाँदी! पढ़ें साप्ताहिक राशिफल और जानें नौकरी, व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य व पारिवारिक जीवन आदि के लिए कैसा रहेगा यह सप्ताह।


अगस्त महीने का यह सप्ताह वृषभ, कन्या और मीन राशि के जातकों के लिए विशेष रूप से अच्छा रहने वाला है। ग्रह गोचर और नक्षत्रों के प्रभाव से इन राशि के जातकों के जीवन में लाभ, यात्रा और पारिवारिक सुखों की प्राप्ति होगी। यह सप्ताह धार्मिक महत्व की दृष्टि से भी खास रहने वाला है। क्योंकि इस समय में 22 अगस्त को श्रावण पुत्रदा एकादशी, 25 अगस्त को ओणम और 26 अगस्त को रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाएगा। वहीं 24 और 25 अगस्त को सर्वार्थ सिद्धि योग बनेगा। हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में यह योग अति शुभ माना गया है। इस योग में शुरू किये जाने वाले कार्य हर प्रकार से सिद्ध होते हैं। इस सप्ताह सोना, चाँदी के भाव में उतार-चढ़ाव के बाद तेजी देखने को मिल सकती है।

आइये अब पढ़ते हैं सभी बारह राशियों का साप्ताहिक राशिफल-


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। चंद्र राशि कैल्कुलेटर से जानें अपनी चंद्र राशि

मेष


इस सप्ताह आप किसी लंबी दूरी की यात्रा पर जा सकते हैं। पारिवारिक जीवन में अशांति रह सकती है जिससे आपका मन भी कुछ अप्रसन्न रहेगा...आगे पढ़ें

वृषभ


इस सप्ताह व्यावसायिक साझेदारी से आप को अच्छा लाभ हो सकता है और आप कार्य के सिलसिले में किसी यात्रा पर भी जा सकते हैं...आगे पढ़ें

मिथुन


इस सप्ताह आप मानसिक रुप से कुछ परेशान रह सकते हैं तथा आपका स्वास्थ्य भी कमजोर रह सकता है...आगे पढ़ें


कर्क


इस सप्ताह आपके मन में अनेक विचार आएंगे और इस वजह से आपको निर्णय लेने में परेशानी हो सकती है...आगे पढ़ें

सिंह


इस सप्ताह आप जिस बात को ठान लेंगे उसे पूरा करके ही मानेंगे। आपके अंदर आत्मविश्वास और दृढ़ता बढ़ेगी...आगे पढ़ें

कन्या


यह सप्ताह आपके लिए अच्छा रहेगा, हालाँकि आप अधिक दूर की यात्राएं अथवा अन्य कार्यों पर खर्च भी करेंगे...आगे पढ़ें



तुला


इस सप्ताह आप को अपने कार्य क्षेत्र और पारिवारिक जीवन दोनों में शांति रखने का प्रयास करना होगा...आगे पढ़ें

वृश्चिक


इस सप्ताह व्यर्थ की चिंता से आप तनाव में रहेंगे और कुछ गलत निर्णय ले सकते हैं जिसके कारण बाद में आपको परेशानी उठानी पड़ सकती है...आगे पढ़ें

धनु


इस सप्ताह खर्चों की अधिकता रहने से आप को अपने फाइनेंस पर ध्यान देना होगा अन्यथा धन की कमी परेशान कर सकती है...आगे पढ़ें


मकर


इस सप्ताह अपना घर-परिवार आपकी पहली प्राथमिकता होगी। पारिवारिक मुद्दों पर आप अधिक समय देंगे...आगे पढ़ें

कुंभ


इस सप्ताह कार्यक्षेत्र पर अधिक कार्य करने की आवश्यकता होगी। पारिवारिक जीवन में सुख शांति बनी रहेगी...आगे पढ़ें

मीन


इस सप्ताह आप किसी लंबी यात्रा पर जाने की योजना बना सकते हैं और अधिक प्रयासों के बाद आपको उसका अच्छा फल भी प्राप्त होगा...आगे पढ़ें

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सूर्य का सिंह राशि में गोचर आज

5 राशि वालों की खुलने वाली है किस्मत? पढ़ें सूर्य के सिंह राशि में गोचर का ज्योतिषीय प्रभाव और आपके जीवन पर होने वाला असर!


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वैदिक ज्योतिष में सूर्य को आत्मा, पिता, पूर्वज और मान-सम्मान का कारक कहा जाता है। कुंडली में सूर्य की शुभ स्थिति व्यक्ति को उच्च सरकारी सेवा, सम्मान और यश प्रदान करती है। वहीं यदि कुंडली में सूर्य पीड़ित हो तो, पितृ दोष निर्मित हो जाता है। सूर्य देव की उपासना और रोजाना उन्हें जल चढ़ाने से व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। 

सूर्य आज यानि 17 अगस्त 2018, शुक्रवार को सुबह 7:06 बजे सिंह राशि में प्रवेश कर चुका है। सूर्य 17 सितंबर 2018, सोमवार सुबह 7:02 बजे तक इसी राशि में स्थित रहेगा। 

सूर्य का यह गोचर मेष, सिंह, कन्या, तुला और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए विशेष रूप से लाभकारी रहने वाला है। वहीं सूर्य के सिंह राशि में स्थित होने की वजह से सोना, चांदी, कॉटन, शक्कर, तेल और लाल रंग की वस्तुओं में तेजी बनेगी। आइये जानते हैं सूर्य के गोचर का सभी राशियों पर होने वाला असर…

मेष


इस दौरान आपको कोई नई जॉब मिल सकती है। वहीं व्यवसाय करने वाले जातकों को भी लाभ मिलने के शुभ संकेत हैं और आय में वृद्धि की प्रबल संभावना है...आगे पढ़ें

वृषभ


आपकी माता जी की सेहत में सुधार होने की संभावना है। हालाँकि घर का वातावरण थोड़ा अशांत रह सकता है...आगे पढ़ें

मिथुन


आपकी कार्य क्षमता में वृद्धि होगी और ज़ोख़िम लेने से भी आप पीछे नहीं हटेंगे। सफलता पाने के लिए आप जमकर मेहनत करेंगे...आगे पढ़ें


कर्क


आपके स्वभाव में क्रोध व अहंकार की वृद्धि हो सकती है। आप थोड़े कटु भाषी भी हो सकते हैं। जीवनसाथी की सेहत में कुछ कमी देखी जा सकती है...आगे पढ़ें

सिंह


सूर्य आपकी राशि प्रथम भाव में स्थित रहेगा। फलस्वरूप गोचर से आपको उच्च लाभ मिलने के योग बन रहे हैं। समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा...आगे पढ़ें

कन्या


इस दौरान यदि आपकी विदेश जाने की इच्छा है तो वह पूर्ण हो सकती है। नौकरी में स्थानांतरण होने की संभावना है...आगे पढ़ें


तुला


इस अवधि में आपको आर्थिक दृष्टि से उच्च लाभ मिलने की प्रबल संभावना है। सरकारी उच्च पदों पर आसीन लोगों से आपके संबंध अच्छे बनेंगे...आगे पढ़ें

वृश्चिक


कार्यक्षेत्र में आपकी उन्नति होगी। प्रमोशन आदि के भी योग हैं। अपने कार्य में आपको आनंद आएगा और लोग आपके अच्छे कार्यों की प्रशंसा करेंगे...आगे पढ़ें


धनु


समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा और प्रभावशाली लोगों से आपके अच्छे संबंध स्थापित होंगे। दान-धर्म के कार्यों में आपका मन लगेगा...आगे पढ़ें

मकर


इस दौरान आपके स्वास्थ्य में कुछ कमी देखने को मिल सकती है। अचानक आपके साथ कोई अप्रत्याशित घटना घट सकती है...आगे पढ़ें

कुंभ


इस स्थिति में आपका वैवाहिक जीवन थोड़ा प्रभावित रह सकता है। जीवनसाथी के साथ झगड़ा आदि होने की संभावना है...आगे पढ़ें

मीन


इस अवधि में आप अपने विरोधियों पर हावी रहेंगे। जीवनसाथी के व्यवहार में थोड़ी आक्रामकता नज़र आ सकती है। आपके ख़र्चों में वृद्धि संभव है...आगे पढ़ें

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72वां स्वतंत्रता दिवस आज

कुंडली से जानें भविष्य में कैसी होगी भारत की तस्वीर? भारत वर्ष आज मना रहा है अपनी आजादी की 72वीं वर्षगांठ। इस मौके पर पढ़ें हमारा यह लेख और जानें आने वाले समय में कैसी होगी भारत की तस्वीर!



हमारा देश आज स्वाधीनता दिवस की 72वीं वर्षगांठ मना रहा है। 1947 से लेकर 2018 तक भारत की तस्वीर पूरी तरह से बदल गई है। इन 7 दशकों में देशवासियों ने अपने परिश्रम से विश्व में भारत की एक नई पहचान बनाई है। मेडिकल साइंस, तकनीकी कौशल, अर्थव्यवस्था, डिफेंस, व्यापार और कृषि समेत कई क्षेत्रों में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिले हैं लेकिन चुनौतियां अभी भी बरकरार है। देश में अशिक्षा, बेरोजगारी, स्वास्थ्य सुविधाएँ, आर्थिक असमानता, भेदभाव और अन्य समस्याओं से निपटने के लिए सरकार के साथ-साथ हर देशवासी को मिलकर प्रयास करने होंगे। यही हमारी इस आजादी की वर्षगांठ का ध्येय होना चाहिए। आइये अब पढ़ते हैं भारत वर्ष की कुण्डली के अनुसार देश के लिए कैसा रहेगा आने वाला समय?


भारत को स्वतंत्रता 15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि में 12 बजे मिली थी, इसी समय आजाद भारत का जन्म हुआ। अत: इस समय के अनुसार भारत की जन्म कुंडली इस प्रकार है।

भारत वर्ष की कुंडली



इस कुंडली के अनुसार भारत वर्ष का वृषभ लग्न है और राहु लग्न भाव में स्थित है। मंगल द्वितीय भाव में बैठा हुआ है। शुक्र, बुध, सूर्य, चंद्रमा और शनि तृतीय भाव में स्थित हैं। वहीं बृहस्पति षष्ठम और केतु सप्तम भाव में बैठे हुए हैं। नवमांश कुंडली का लग्न मीन है, जो कि लग्न कुंडली में वृषभ से एकादश स्थान की राशि है। दोनों कुंडली की स्थिति सभी मामलों में लाभ और वृद्धि को दर्शाती हैं। वर्ष 1947 की शुरुआत से भारत वर्ष शनि, बुध, केतु, शुक्र और सूर्य की महादशा से गुजर चुका है। 11 अगस्त 2018 से भारत पर चंद्रमा और बृहस्पति की दशा चल रही है। 
  • कुंडली के अनुसार चंद्रमा तृतीय भाव में कर्क राशि में स्थित है। वहीं बृहस्पति आठवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी होकर छठे भाव में तुला राशि में बैठा है। 
  • तीसरे भाव से यातायात, संचार साधन, शेयर मार्केट, लेखक तथा अन्य चीजों का अनुमान लगाया जाता है। आठवें घर से देश पर आने वाली प्राकृतिक आपदाएं तथा कठिनाइयों का अनुमान लगाया जाता है और ग्यारहवें घर से संसद, विधानसभा तथा देश के कानून व्यवस्था का अनुमान होता है।
  • वहीं छठे भाव से देश में फैलने वाली संक्रामक बीमारियों, सेना के शस्त्र, मजदूर वर्ग, विदेशी सहायता, कर्ज आदि का पता लगता है। चंद्रमा जो कि तृतीय भाव का स्वामी होकर तृतीय भाव में स्थित है। यह स्थिति अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आक्रामक छवि और आत्म विश्वास को दर्शाती है। लेकिन बृहस्पति की ये स्थिति प्राकृतिक आपदाओं और अस्थिरता की ओर इशारा करती है तथा देश पर क़र्ज़ की स्थिति को पहले कम और फिर बढ़ाने की ओर भी इंगित कर रही है।
वहीं स्वतंत्र भारत के 72वें वर्ष की कुण्डली में 15 अगस्त 2018 को कर्क लग्न उदित हुआ है। वर्ष लग्न का स्वामी चंद्रमा तृतीय भाव में अपनी मित्र राशि के साथ बैठा हुआ है लेकिन शत्रु ग्रह शुक्र के साथ भी स्थित है। मुंथा दशम भाव में, मुंथा का स्वामी सप्तम भाव में अपनी उच्च राशि में स्थित है लेकिन केतु से पीड़ित है। सूर्य, बुध, राहु, मंगल आदि ग्रहों की गुप्त और बृहस्पति की प्रत्यक्ष शत्रु दृष्टि मुंथा पर पड़ रही है। आइये इस वर्षफल कुण्डली की मदद से जानते हैं कि आने वाले समय में भारत के भविष्य की तस्वीर कैसी होगी?


पड़ोसी देश और भारत


भारत की इस वर्षफल कुण्डली के अनुसार पड़ोसी देश चीन पुनः भारत को परेशान करने की कोशिश करेगा। चीन भारत की आर्थिक घेराबंदी के साथ-साथ पाकिस्तान और अन्य देशों के साथ मिलकर भारत के खिलाफ राजनीतिक घेराबंदी भी करने की कोशिश करेगा। हालांकि भारत चीन की इन चालों से निपटने के लिए भारत सरकार व्यापक योजनाएँ बनाएगी। पाकिस्तान और चीन को कूटनीतिक तरीके से मात देने की कोशिश करेगी। 

महँगाई, भ्रष्टाचार और आम आदमी 


महँगाई, भ्रष्टाचार, नये नियम-कानून और सरकारी अधिकारियों के मनमाने रवैये से परेशान होकर आम आदमी सड़कों पर आंदोलन के लिए उतर सकते हैं। हालांकि अक्टूबर माह से प्रशासनिक तंत्र को मजबूत करके सरकारी कामकाज को सुधारा जाएगा। इसके फलस्वरुप सरकारी योजनाएं पूर्ण रूप से लागू होंगी और इसका सीधा फायदा देश के नागरिकों को मिलेगा। 

राजनीतिक गतिरोध और संघर्ष


19 सितंबर तक भारत की कुण्डली में काल-सर्प योग रहने की वजह से राजनीतिक गतिरोध देखने को मिलेगा। राजनीतिक और सामाजिक हालात भी अस्थिर होने की संभावना है। देश के कुछ राज्यों में प्राकृतिक आपदाओं की वजह से भी नुकसान हो सकता है। 

आज़ादी की इस 72वीं वर्षगांठ पर हम स्वयं से यह वादा करें कि हम हमारे देश को स्वच्छ रखें और देश की एकता, अखंडता और आपसी सद्भाव को बनाए रखें। एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

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नाग पंचमी कल, जानें पूजा मुहूर्त

पढ़ें इस पर्व का पौराणिक,ज्योतिषीय महत्व! जानें 15 अगस्त 2018 को मनाई जाने वाली नाग पंचमी पर्व की पूजा विधि और नियम!


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हिन्दू पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का पर्व श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर में यह तिथि जुलाई या अगस्त के महीने में आती है। इस वर्ष यह पर्व 15 अगस्त को मनाया जाएगा। हिन्दू धर्म में नाग को देवता का दर्जा दिया गया है, इसलिए इस विशेष अवसर पर नाग देवता की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से सर्पदंश का भय नहीं रहता है। 

नाग पंचमी 2018- पूजा मुहूर्त
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त05:49:59 से 08:28:11 तक
अवधि2 घंटे 38 मिनट

विशेष: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में नाग पंचमी पूजा मुहूर्त

नाग पंचमी का पौराणिक महत्व


स्कंद पुराण, अग्नि पुराण, नारद पुराण और महाभारत में नाग देवता की पूजा के महत्व को दर्शाया गया है, साथ ही इन ग्रंथों में नाग पंचमी के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को भी बताया गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार नागों की उत्पत्ति का संबंध ब्रह्मा जी से माना गया है, इस वजह से नागों की पूजा को शुभ माना गया है। ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कश्यप की चार पत्नियां थीं। उनकी पहली पत्नी सभी देवताओं की मां, दूसरी पत्नी गरुड़, तीसरी पत्नी नाग और चौथी पत्नी दैत्यों की मां थी। ऋषि कश्यप की तीसरी पत्नी, जिनका नाम कद्रु था। उन्होंने नागों को जन्म दिया था, इसलिए नागों को कदरुजा के नाम से भी जाना जाता है। 

नागों की प्रजातियांँ


हिन्दू शास्त्रों के अनुसार नागों की कुल 9 प्रजातियां हैं। इनमें अनंत,वासुकि, शेषनाग, पद्मनाभ, कम्बल, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक और कालिया हैं। गीता ज्ञान में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कहा था कि- ‘नागों में शेषनाग हूं’ भगवान कृष्ण के इस कथन से नाग देवता के धार्मिक महत्व का पता चलता है। नागपंचमी को भ्रातृ पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के साथ बांबियों (मिट्टी से बने सांपों के रहने का स्थान) की पूजा करती हैं और उन्हें दूध अर्पित करती हैं। यह पूजा बहनें अपने भाई के सुखद और सफल जीवन की कामना के करती हैं। इस पूजा के प्रभाव से उनके भाइयों को सर्पदंश का भय नहीं रहता है। इसके अलावा नाग पंचमी का पर्व देश के अलग-अलग हिस्सों में विषरी पूजा के नाम से भी मनाया जाता है। यहां विषरी से तात्पर्य है ज़हर।

विस्तार से जानें: नाग पंचमी की पूजा विधि


हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में नागों का महत्व


हिन्दू धर्म में भगवान शिव और भगवान विष्णु का सर्पों से संबंध देखने को मिलता है। भोलेनाथ सर्प को गले में धारण करते हैं। वहीं भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन करते हैं। इन्हीं वजह से नागों को पूज्यनीय माना गया है। वहीं हिन्दू वैदिक ज्योतिष में भी सर्प का विशेष स्थान है। कहा जाता है कि राहु-केतु सर्प के दो भाग हैं। इनमें पूंछ को केतु और सिर को राहु कहा गया है। कुंडली में राहु-केतु विषम परिस्थिति में कालसर्प दोष का निर्माण करते हैं। कालसर्प दोष को अशुभ माना गया है, इसकी वजह से व्यक्ति को जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नाग पंचमी के दिन कालसर्प दोष की शांति के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। 

विभिन्न राज्यों में नाग पंचमी उत्सव 


महाराष्ट्र के नागपुर शहर में जहां नागों को एक विशेष पहचान मिली है। इस शहर के नाम की उत्पत्ति नागों से ही हुई है। यहां स्थित महल में एक मंदिर है जिसे नागोबा कहते हैं। इस मंदिर में नाग पंचमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर नीम के पेड़ के नीचे मिला था इसलिए इसे नागोबा का वोटा कहते हैं। 

नाग पंचमी का पर्व पूरे उत्तर भारत में मनाया जाता है। कश्मीर में नागों की पूजा कई वर्षों की जाती है। वहीं वाराणसी में भी नाग पंचमी धूमधाम से मनाई जाती है। नाग पंचमी के दिन अखाड़ों (जहां कुश्ती लड़ी जाती है) को सजाया जाता है। इस दिन अखाड़ों की साफ-सफाई कर उनकी दीवारों पर नाग और गुरुओं के चित्र लगाये जाते हैं। 

वहीं उत्तर-पूर्वी भारत के राज्य झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में नाग पंचमी के अवसर पर मनसा देवी की पूजा की जाती है। हिन्दू पौराणिक कथाओं में मनसा देवी को नागों की रानी और वासुकि नाग की बहन कहा जाता है। इन्हें सर्पों की देवी भी कहा जाता है। वासुकि वही नाग है जिन्हें समुद्र मंथन के लिए देवता और दानवों ने मंदराचल पर्वत से लपेटकर खींचा था। वासुकि नाग भगवान शिव के गले में लिपटा रहता है। 

नाग पंचमी के दिन घर की दीवारों पर नाग देवता की तस्वीर बनाकर बुरी शक्तियों से घर की रक्षा के लिए उनकी पूजा की जाती है। पूजा के समय नाग देवता को दूध चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन सच्ची श्रद्धा से नाग देवता की पूजन करने से अच्छी सेहत, धन और हर्ष की प्राप्ति होती है। 

हम आशा करते हैं कि नाग पंचमी पर आधारित यह लेख आपको ज़रूर पसंद आया होगा। हिन्दू धर्म से संबंधित पर्व-त्यौहार और ज्योतिषीय परिवर्तन के लिए विजिट करें एस्ट्रोसेज.कॉम

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साप्ताहिक राशिफल- 13 से 19 अगस्त 2018

4 राशि वालों के लिए सौगातों का सप्ताह! पढ़ें 13 से 19 अगस्त 2018 का साप्ताहिक राशिफल और जानें नौकरी, व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य आदि के लिए कैसा रहेगा यह सप्ताह!


अगस्त माह का यह सप्ताह वृषभ, कर्क, तुला और कुंभ राशि वालों के लिए विशेष रूप से लाभकारी रहने वाला है। ग्रह गोचर और नक्षत्र के प्रभाव से इन राशि वाले जातकों के जीवन में खुशियों के नये रंग देखने को मिलेंगे। हालांकि अन्य राशि के जातकों का जीवन भी सामान्य गति से चलता रहेगा। यह सप्ताह ज्योतिष, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अहम रहने वाला है। 

15 अगस्त को देश अपना 72वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। वहीं इसी दिन नाग पंचमी का पर्व भी पड़ रहा है। 17 अगस्त को सूर्य सिंह में गोचर करेगा और सभी राशियों को विभिन्न प्रकार से प्रभावित करेगा। 

आज सप्ताह की शुरुआत हरियाली तीज पर्व के साथ हो रही है, साथ ही आज सावन का तीसरा सोमवार है। जानें सावन सोमवार व्रत की विधि और महत्व


यह राशिफल चंद्र राशि पर आधारित है। चंद्र राशि कैल्कुलेटर से जानें अपनी चंद्र राशि

मेष


इस सप्ताह आप को अपनी उर्जा को नियंत्रित करते हुए विभिन्न कार्यों को उनके अंजाम तक पहुंचाना होगा...आगे पढ़ें

वृषभ


यह सप्ताह आपको ख़ुशियाँ देकर जाएगा और पारिवारिक जीवन में सुख शांति बनी रहेगी। कार्यस्थल पर आपको कुछ परेशानी हो सकती है...आगे पढ़ें

मिथुन


इस सप्ताह आप किसी यात्रा पर जा सकते हैं। स्वास्थ्य की दृष्टि से सप्ताह कुछ कमजोर रह सकता है...आगे पढ़ें

जानें,आज कैसी रहेगी बाजार की चाल: सेंसेक्स-निफ्टी भविष्यवाणी

कर्क


इस सप्ताह आपके जीवन में खुशियां आएंगी और परिवार में भी सुख शांति रहने से मन प्रसन्न रहेगा...आगे पढ़ें

सिंह


इस सप्ताह सुदूर यात्रा के योग बनेंगे और आप अत्यधिक व्यस्त रह सकते हैं। परिवार को कम समय दे पाएंगे...आगे पढ़ें

कन्या


इस सप्ताह आप सुदूर यात्रा पर जा सकते हैं और आप के खर्चों में वृद्धि होने की संभावना दिखाई देती है...आगे पढ़ें




तुला


इस सप्ताह आप स्वयं की कमाई हुई पूंजी अपने कार्य में लगा सकते हैं और यदि आप व्यापार करते हैं तो उसमें आपको अच्छी सफलता हाथ लग सकती है...आगे पढ़ें

वृश्चिक


इस सप्ताह कार्यक्षेत्र में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी। संभव है कि आप अपना कार्य क्षेत्र बदलने का प्रयास भी करें...आगे पढ़ें

धनु


मन में अनेक विचारों के चलते इस सप्ताह आप कुछ चिंतित रह सकते हैं। कार्यक्षेत्र में आपको मनचाही सफलता ना मिलने से मन परेशान हो सकता है...आगे पढ़ें


मकर


इस सप्ताह आपके जीवन में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहेगी। जहां एक ओर स्वास्थ्य आपको परेशान करेगा...आगे पढ़ें

कुंभ


इस सप्ताह अच्छी आमदनी के योग बनेंगे। हालांकि स्वास्थ्य समस्याएं आपको परेशान कर सकती हैं और इन पर खर्च भी हो सकता है...आगे पढ़ें

मीन


यह सप्ताह अधिक व्यस्त रहने वाला है और संभव है कि इस व्यस्तता के चलते आप अपने परिजनों को समय कम दे पाएँ...आगे पढ़ें

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हरियाली तीज कल, जानें पूजा विधि

सुखद वैवाहिक जीवन के लिए करें यह व्रत! पढ़ें हरियाली तीज व्रत की पूजा विधि और इस पर्व का धार्मिक महत्व। मुख्य रूप से सुहागन स्त्रियों का यह पर्व 13 अगस्त को धूमधाम से मनाया जाएगा।


सावन की रिमझिम फुहारों के बीच आने वाली हरियाली तीज का सुहागन स्त्रियों के लिए विशेष महत्व है। श्रावण मास की शुक्ल पक्ष में आने वाली तृतीया तिथि को हरियाली तीज कहा जाता है। यह पर्व पंजाब, उत्तर और मध्य भारत में विशेष रूप से मनाया जाता है। इन क्षेत्रों में मुख्य रूप से तीज के तीन पर्व मनाये जाते हैं। इनमें हरियाली तीज, कजरी तीज और हरतालिका तीज, जो कि हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण और भाद्रपद मास में आती हैं। खास बात है कि ये तीनों पर्व सुहागन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखते हैं। सावन मास में आने वाली हरियाली तीज में महिलाएं अपने पति और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करती हैं और व्रत रखती हैं।


हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस साल हरियाली तीज 13 अगस्त सोमवार को मनाई जाएगी। वहीं इसी महीने 29 अगस्त को कजरी तीज भी मनाई जाएगी। यह पर्व हरियाली तीज के 15 दिन बाद मनाया जाता है। कजरी तीज को बड़ी तीज या सातूड़ी तीज भी कहा जाता है। राजस्थान में इस दिन तीज माता का भव्य जुलूस निकाला जाता है। इसमें महिलाएं भजन गाती हैं और नृत्य करती हैं। 

हरियाली तीज पर सिंजारा की परंपरा


हरियाली तीज पर महिलाएँ अपने मायके आती हैं। इस अवसर पर ससुराल से उन्हें सिंजारा भेजे जाने की परंपरा है। दरअसल यह एक ऐसा उपहार है जिसमें नई चूड़ियां, मिठाई और सुहाग का सामान दिया जाता है। चूंकि इस दिन सिंजारा भेजे जाने की परंपरा है इसलिए कुछ स्थानों पर इस पर्व को सिंजारा तीज के नाम से भी जाना जाता है। 

पूजा के लिए ज़रूरी सामान


बेल पत्र, केले के पत्ते, धतूरा, अंकव पेड़ के पत्ते, तुलसी, शमी के पत्ते, काले रंग की गीली मिट्टी, जनैव, धागा और नए वस्त्र। माता पार्वती जी के श्रृंगार के लिए चूडियां, महौर, खोल, सिंदूर, बिछुआ, मेहंदी, सुहाग पूड़ा, कुमकुम और कंघी। इसके अलावा पूजा में नारियल, कलश, अबीर, चंदन, तेल और घी, कपूर, दही, चीनी, शहद ,दूध और पंचामृत आदि भी लें।


हरियाली तीज उत्सव और पूजा विधि


इस दिन सुबह उठकर व्रत और पूजा का संकल्प लें। इसके बाद काली मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की मूर्ति बनाएँ। थाली में सुहाग की सामग्री सजाएँ और इसके बाद विधिवत तरीके से पूजा की शुरुआत करें।

  • इस शुभ दिन के अवसर पर विवाहित स्त्री-पुरुष मंदिर में भगवान शिव के दर्शन करते हैं और उन्हें लाल पुष्प अर्पित करते हैं। साथ ही भोग के अलावा माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री चढ़ाई जाती है और सुखद वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं। क्योंकि भगवान शिव और माँ पार्वती की कृपा से वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
  • हिन्दू संस्कृति के अनुसार विवाहित महिला के ससुराल वाले इस दिन अपनी बहू को उपहार स्वरुप सुहाग की सामग्री भेजते हैं, जिसे सिंजारा कहा जाता है। इसमें फल, मिठाई, मेहंदी और चूड़ी आदि सामान होता है। 
  • यह पर्व सावन के महीने में आता है इसलिए इस दिन महिलाएँ विशेष रूप से हरे रंग के पारंपरिक वस्त्र पहनती हैं। साथ ही बिंदी, मेहंदी और चूड़ी पहनकर सोलह श्रृंगार करती हैं।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएँ एकत्रित होकर खेत और बगीचे में एक साथ नाच-गाकर इस पर्व को मनाती हैं।
  • व्रत रखकर महिलाएं संध्या या रात्रि में चंद्रमा की पूजा करती हैं। चंद्रमा को दूध और पुष्प अर्पित किया जाता है। इस दौरान लोकगीत गाये जाते हैं।

हरियाली तीज का पौराणिक महत्व


तीज का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के महत्व को दर्शाता है। हिन्दू पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन माता पार्वती के तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिये थे और उनसे विवाह किया था। इसलिए हरियाली तीज का यह पर्व सुहागन स्त्रियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होता है। इस दिन महिलाएं व्रत और पूजन करके भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

कहा जाता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए 108 वर्षों तक कठोर तप किया था। एक अन्य पौराणिक मत के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए 107 बार जन्म लिया था और घोर तपस्या की थी। इसके बाद 108वें जन्म में उनके त्याग और भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। इसलिए तीज का त्यौहार माता पार्वती को समर्पित माना गया है और तीज माता के रूप में उनकी पूजा की जाती है। 

एस्ट्रोसेज की ओर से सभी पाठकों को हरियाली तीज की हार्दिक शुभकामनाएं !
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सूर्य ग्रहण आज, पढ़ें राशिफल

4 राशि वालों को विशेष लाभ की संभावना! पढ़ें आज होने वाले सूर्य ग्रहण का राशिफल, साथ ही जानें ग्रहण का समय, सूतक और इससे संबंधित सावधानियां।



इस साल का तीसरा और अंतिम सूर्य ग्रहण आज यानि 11 अगस्त को घटित होने वाला है। हालांकि यह आंशिक सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए यहां पर इस ग्रहण का सूतक व धार्मिक महत्व नहीं माना जाएगा। यह सूर्य ग्रहण नॉर्थ-ईस्ट यूरोप और नॉर्थ अमेरिका आदि स्थानों पर दिखाई देगा। इसलिए इन देशों में सूर्य ग्रहण का सूतक माना जाएगा। 

सूर्य ग्रहण 11 अगस्त 2018
समयप्रकारदृश्यता
दोपहर 1:32:08 से शाम 5:00:40 बजे तक (भारतीय समयानुसार)आंशिकनॉर्थ/ईस्ट यूरोप, नॉर्थ/वेस्ट एशिया, नॉर्थ उत्तरी अमेरिका, अटलांटिक, आर्कटिक

विशेष: यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए यहां पर इसका सूतक मान्य नहीं होगा। 

सूर्य ग्रहण का ज्योतिषीय प्रभाव


यह सूर्य ग्रहण अश्लेषा नक्षत्र और कर्क राशि में लग रहा है। अश्लेषा बुध का नक्षत्र है, साथ ही कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है इसलिए इन दोनों नक्षत्र और राशि से संबंधित व्यक्तियों के लिए यह सूर्य ग्रहण कष्टकारी हो सकता है। इस ग्रहण के अश्लेषा नक्षत्र में घटित होने से वकील, राजनेता, लेखक, शिक्षक, ज्योतिषी, केमिकल इंजीनियर, दवा विक्रेता और व्यापारी आदि लोगों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। वहीं कर्क एक जलीय राशि है और चंद्रमा इसका स्वामी है, अतः इस राशि से संबंधित लोगों को जल और मानसिक रूप से हानि पहुंच सकती है।


मेष: नौकरी और व्यवसाय समेत सभी कार्यों में सफलता मिलने की संभावना है। आय के नए साधन मिलेंगे...आगे पढ़ें

वृषभ: धन लाभ होने के साथ-साथ सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। प्रियजन और मित्रों का साथ पाकर बहुत खुशी होगी...आगे पढ़ें

मिथुन: कामकाज या किसी अन्य कारण से परिवार से दूर जाना पड़ सकता है। समस्याएं बढ़ने से आप तनावग्रस्त रह सकते हैं...आगे पढ़ें

कर्क: तनाव बढ़ने से आपकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ प्रभावित होगी। तेज रफ्तार से वाहन बिल्कुल ना चलाएं...आगे पढ़ें

सिंह: परिवार में किसी मुद्दे को लेकर सदस्यों से विवाद हो सकता है, इसलिए संयम के साथ काम लें और वाणी पर नियंत्रण रखें...आगे पढ़ें

कन्या: हर परिस्थिति में भाई-बहनों से मदद मिलेगी। छोटी दूरी की यात्रा के योग बनेंगे। आपके साहस और आत्मबल में वृद्धि होगी...आगे पढ़ें



तुला: जीवन में कुछ समय के लिए अशांति और अस्थिरता रह सकती है। पारिवारिक जीवन में परेशानियां आएंगी...आगे पढ़ें

वृश्चिक: एकाग्रता की कमी होने से छात्रों को पढ़ाई में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। गलतफहमी होने से प्रियतम के साथ संबंधों में कड़वाहट आ सकती है...आगे पढ़ें

धनु: नौकरी और व्यापार से जुड़े हर काम में सफलता मिलेगी। मन में खुशी का भाव रहेगा। आप तरक्की करेंगे...आगे पढ़ें

मकर: वैवाहिक जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जीवनसाथी के साथ विवाद होने की संभावना है...आगे पढ़ें

कुंभ: अचानक धन हानि और मान-प्रतिष्ठा को चोट पहुंचने से निराशा हो सकती है। चेहरे या त्वचा से संबंधित विकार हो सकते हैं...आगे पढ़ें

मीन: तनाव बढ़ने से मानसिक रूप से परेशान रहेंगे। लंबी दूरी की यात्राएं कष्टकारी साबित हो सकती हैं...आगे पढ़ें

ग्रहण का सूतक


चूंकि यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए यहां पर इसका सूतक और धार्मिक महत्व नहीं माना जाएगा। सूतक काल में निम्न कार्यों को करने की मनाही होती है। 

  • सूतक और ग्रहण काल के दौरान मूर्ति पूजा, मूर्ति स्पर्श और खाना-पीना आदि वर्जित माना गया है। 
  • सूतक और ग्रहण काल के समय मंत्र जप विशेष लाभकारी माना गया है। 
  • सूतक के नियम असहाय,गर्भवती महिलाएं, बुज़ुर्ग , बच्चे और बीमार व्यक्ति पर यह लागू नहीं होते है।
  • सूतक में भोजन ना करे | बहुत ही आवश्यक होने पर दूध , फल, जूस या सात्विक भोजन ले सकते है | सूतक में भोजन ना बनाये | 

ग्रहण के समय क्या करें, क्या न करें


मान्यता है कि ग्रहण के समय वातावरण में नकारात्मक शक्तियां प्रबल हो जाती हैं। जिनका मानव समुदाय पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए कुछ कार्य अवश्य रूप से करना चाहिए और कुछ कार्य बिल्कुल नहीं करने चाहिए।

  • सूर्य ग्रहण के घटित होने से पहले दूध-दही और बने हुए भोजन में तुलसी के पत्ते डाल दें। ऐसा करने से इन पदार्थों पर ग्रहण का असर नहीं होता है।
  • ग्रहण से पहले भोजन कर लें और ग्रहण के दौरान कुछ न खाएं।
  • ग्रहण के समय पूजन, भगवान की मूर्ति और तुलसी व शमी के पौधे का स्पर्श न करें।
  • गर्भवती स्त्रियां ग्रहण के दौरान काटने, छीलने और सिलने का कार्य करने से बचें।
  • चाकू, कैंची और सुई का उपयोग भूलकर भी न करें।
  • ग्रहण के समय जितना अधिक से अधिक हो सके सूर्य मंत्र और ईश्वर का ध्यान करें।

ग्रहण समाप्ति के बाद करें ये काम


  • ग्रहण समाप्ति पर स्वयं स्नान करे और भगवान की मूर्तियों को स्नान कराएं।
  • तुलसी व शमी के पौधे में गंगाजल का छिड़काव करें।
  • ग्रहण के बाद गरीबों को दान और दक्षिणा दें। 
यह आंशिक सूर्य ग्रहण इस वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण था। साल 2019 में भी 3 सूर्य ग्रहण देखने को मिलेंगे। इनमें पहला सूर्य ग्रहण 6 जनवरी 2019 को दिखाई देगा। 

एस्ट्रोसेज की ओर से उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएँ!
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अंक ज्योतिष से जानें लकी मोबाइल नंबर

सीखें भाग्यशाली मोबाइल नंबर चुनने का आसान तरीका! इस लेख के माध्यम से जानें अंक ज्योतिष के अनुसार कैसे चुना जा सकता है मोबाइल लकी नंबर!



जीवन में भाग्य का साथ मिलना बेहद जरूरी है। क्योंकि यदि भाग्य साथ नहीं तो कितनी भी मेहनत कर ली जाए उसका मन चाहा परिणाम प्राप्त नहीं हो सकता। जिस प्रकार हमारे नाम का महत्व होता है उसी प्रकार जीवन में अंकों का भी महत्व होता है। इसलिए ज़रूरी है कि आपका मोबाइल नंबर ऐसा नंबर हो जो आपके जीवन के अंकों से मेल खाता हो और आपके लिए भाग्यशाली सिद्ध हो।


इस लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे कि अंक ज्योतिष के द्वारा विभिन्न अंकों का आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है और उनका आपके जीवन में क्या महत्व है, जिसके आधार पर आप अपना लकी मोबाइल नंबर जान सकते हैं।

कौन सा नंबर मेरे लिए भाग्यशाली होगा


जब भी आप मोबाइल कनेक्शन लेते हैं तो नंबर लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि मोबाइल का नंबर जिन-जिन अंकों से मिलकर बना है उनका आपके जीवन पर कैसा प्रभाव पड़ता है। इसके लिए आपको अपनी जन्मतिथि के अनुसार अपने मूलांक और भाग्यांक से मिलता हुआ अथवा उनके लिए शुभ और भाग्यशाली अंक का मोबाइल नंबर उपयोग करना चाहिए। 

मूलांक और भाग्यांक क्या हैं


लकी मोबाइल नंबर के बारे में जानने से पहले हमारे लिए जानना आवश्यक है कि मूलांक (Root Number) और भाग्यांक(Destiny Number) क्या है? इसको हम एक उदाहरण के द्वारा आसानी से समझ सकते हैं: 

किसी की जन्म की तारीख के अंकों का योग मूलांक और पूरी जन्म तिथि के अंकों का योग भाग्यांक कहलाता है। कुल योग को तब तक जोड़ते जाते हैं जब तक कि उत्तर 1 से 9 के बीच में ना आ जाए। 

उदाहरण के लिए यदि किसी की जन्म तिथि 22 अप्रैल 1983 है तो: 

उसका मूलांक होगा 2+2 = 4 और 

उसका भाग्यांक होगा 2+2+4+1+9+8+3 =29 = 2 + 9 = 11 = 1 + 1 = 2 

अर्थात 22 अप्रैल 1983 को जन्मे हुए व्यक्ति का मूलांक 4 और भाग्यांक 2 होगा। क्योंकि यहां भाग्य अंक अर्थात भाग्य का अंक दो है अतः व्यक्ति के जीवन में 2 अंक बहुत महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इसी से उसके भाग्य की उन्नति होगी। 


कैसे जानें अपना लकी मोबाइल नंबर


अब जिस प्रकार आपने अपना भाग्य अंक ज्ञात किया है उसी प्रकार अपने मोबाइल के अंकों के योग को तब तक जोड़ते जाएं जब तक कुल अंक 1 से 9 के बीच में ना प्राप्त हो जाए। 

जैसे- यदि किसी व्यक्ति का मोबाइल नंबर 9810098100 है तो इस मोबाइल नंबर के अंकों का कुल योग होगा 9+8+1+0+0+9+8+1+0+0=36 = 3+6 = 9

अर्थात इस मोबाइल नंबर का योगांक अथवा शुभांक 9 हुआ। वैसे तो 9 अंक सबसे शुभ माना जाता है लेकिन विशेष रूप से यह अंक उन लोगों के लिए अधिक शुभ होगा जिनका भाग्यांक 9 हो अथवा 9 से मित्रता रखने वाला हो।

मोबाइल नंबर लेते समय ध्यान रखने योग्य बातें


जब भी आप कोई नया मोबाइल कनेक्शन लेने जाएं तो कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखें जैसे कि मोबाइल के अंक यदि आरोही अर्थात बढ़ते हुए क्रम में होंगे तो आप के जीवन में उन्नति प्राप्त होगी इसके विपरीत यदि मोबाइल के अंक अवरोही अर्थात घटते हुए क्रम में होंगे तो जीवन में परेशानियां और कष्ट आ सकते हैं।

यदि आपके मोबाइल में 8 का अंक बार बार आता है तो यह अनलकी नंबर होता है। इसके कारण आपके जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं और आपको विभिन्न प्रकार की समस्याओं और आलोचनाओं का शिकार होना पड़ सकता है। हालांकि 8 अंक वालों के लिए यह शुभ होता है। इसके विपरीत यदि आपके मोबाइल में 9 का अंक आता है तो यह अत्यधिक शुभ अंक होता है। इसके कारण आपके ज्ञान में वृद्धि होती है तथा आपको पसंद से प्राप्त होती है। आप धनवान बनते हैं और आपका भाग्य आपका साथ देता है। इसलिए मोबाइल लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि आपके मोबाइल नंबर की संख्या में 8 का अंक कम से कम हो और 9 का अंक अधिक से अधिक।

भाग्यांक से जानें अपना लकी मोबाइल नंबर


ऊपर हमने बताया कि आप कैसे अपना भाग्यांक जान सकते हैं। अब हम आपको बताएँगे कि आपको अपने भाग्य अंक के अनुसार कौन-कौन से योगांक अथवा शुभांक वाला मोबाइल नंबर लेना चाहिए और कौन सा अंक नहीं लेना चाहिए। इसके साथ ही आप निम्नलिखित विवरण से यह भी जान सकते हैं कि आपको अपना मोबाइल किस तिथि को और किस दिन लेना ज्यादा शुभ रहेगा और किस दिन नहीं: 

यदि आपका भाग्यांक 1 है तो आपके लिए


  • शुभ महीने जनवरी, मार्च, मई, जुलाई और अक्टूबर हैं
  • शुभ दिन रविवार और गुरूवार है तथा 
  • शुभ तारीखें 1, 10, 19 और 28 हैं।
  • आपके लिए अशुभ महीने फरवरी और नवंबर
  • अशुभ दिन सोमवार और शनिवार तथा
  • अशुभ तारीखें 2, 9, 11 और 13 हैं।

यदि आपका भाग्यांक 2 है तो आपके लिए


  • शुभ महीने फरवरी, अप्रैल, अगस्त और नवंबर
  • शुभ दिन तथा सोमवार और बुधवार
  • शुभ तारीखें 2, 4, 8, 11, 16, 20 हैं। 
  • आपके लिए अशुभ महीने जनवरी, मई, और जून 
  • अशुभ दिन गुरूवार और शनिवार तथा 
  • अशुभ तारीखें 1, 3, 7 हैं।

यदि आपका भाग्यांक 3 है तो आपके लिए


  • शुभ महीने मार्च, मई, जुलाई, जून, सितंबर और दिसंबर
  • शुभ दिन मंगलवार और शुक्रवार तथा 
  • शुभ तारीखें 3, 6, 9, 12, 15 हैं। 
  • आपके लिए अशुभ महीने जनवरी, फरवरी
  • अशुभ दिन सोमवार और शनिवार तथा 
  • अशुभ तारीखें 1, 8, 14 हैं।

यदि आपका भाग्यांक 4 है तो आपके लिए


  • शुभ महीने फरवरी, अप्रैल और अगस्त
  • शुभ दिन सोमवार और बुधवार तथा 
  • शुभ तारीखें 2, 4, 8, 13, 16 हैं। 
  • आपके लिए अशुभ महीने जनवरी, मार्च, सितंबर
  • अशुभ दिन मंगलवार और शुक्रवार तथा 
  • अशुभ तारीखें 1, 15, 21 हैं।


यदि आपका भाग्यांक 5 है तो आपके लिए


  • शुभ महीने जनवरी, मार्च, मई और जुलाई
  • शुभ दिन बुधवार, बृहस्पतिवार और शनिवार तथा 
  • शुभ तारीखें 5, 10, 14, 19 हैं। 
  • आपके लिए अशुभ महीने अगस्त, सितंबर
  • अशुभ दिन सोमवार और मंगलवार तथा 
  • अशुभ तारीखें 1,11, 18 हैं।

यदि आपका भाग्यांक 6 है तो आपके लिए


  • शुभ महीने जून और सितंबर
  • शुभ दिन मंगलवार और शुक्रवार तथा 
  • शुभ तारीखें 6, 9, 15, 18 हैं। 
  • आपके लिए अशुभ महीने जनवरी, मार्च और मई
  • अशुभ दिन सोमवार और बुधवार तथा 
  • अशुभ तारीखें 1, 2, 5हैं।

यदि आपका भाग्यांक 7 है तो आपके लिए


  • शुभ महीने मार्च,जुलाई और दिसंबर
  • शुभ दिन बुधवार और शनिवार तथा 
  • शुभ तारीखें 1, 7, 8, 11 हैं। 
  • आपके लिए अशुभ महीने फरवरी, सितंबर और नवंबर
  • अशुभ दिन गुरूवार और शुक्रवार तथा 
  • अशुभ तारीखें 5, 15, 25 हैं।

यदि आपका भाग्यांक 8 है तो आपके लिए


  • शुभ महीने जनवरी, फरवरी, अप्रैल और अगस्त
  • शुभ दिन सोमवार और बुधवार तथा 
  • शुभ तारीखें 4, 8, 16, 17, 26 हैं। 
  • आपके लिए अशुभ महीने मार्च, सितंबर
  • अशुभ दिन शुक्रवार, शनिवार तथा 
  • अशुभ तारीखें 1, 3, 11 हैं।

यदि आपका भाग्यांक 9 है तो आपके लिए 


  • शुभ महीने मार्च, जून तथा सितंबर 
  • शुभ दिन मंगलवार और शुक्रवार तथा 
  • शुभ तारीखें 9, 15, 18 हैं। 
  • अशुभ महीने जुलाई,अगस्त
  • अशुभ दिन सोमवार,गुरूवार तथा 
  • अशुभ तारीखें 1, 4, 21 हैं।

कार्यक्षेत्र के अनुसार लकी नंबर का चयन


यदि आप अपने कार्य क्षेत्र के अनुसार भी लकी नंबर का चुनाव करना चाहते हैं तो नीचे दिए हुए विवरण को ध्यान से पढ़ें और जानें कि किस व्यवसाय के लिए कौन सा अंक आपका लकी नंबर होगा:

  • यदि आप प्रशासनिक अधिकारी अथवा राजनेता हैं तो आपके लिए लकी नंबर होगा 1, 2, 3 तथा 9 और अनलकी नंबर होगा 6 और 8 
  • यदि आप मीडिया के क्षेत्र से जुड़े हैं अथवा सेल्समैन हैं या सर्विस इंडस्ट्री से जुड़े हैं तो आपके लिए लकी नंबर होंगे 2,1,5 तथा अनलकी नंबर होंगे 4,7 
  • यदि आप शिक्षा के क्षेत्र से संबंधित है अथवा किसी धार्मिक कार्य अथवा समाज सेवा में संलिप्त हैं तो आपके लिए लकी नंबर होंगे 3,6,9 तथा अनलकी नंबर होंगे 2,5,7
  • यदि आप मध्यस्थता का कार्य करते हैं अथवा सरकारी विभाग में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं अथवा कमीशन एजेंट हैं तो आपके लिए लकी नंबर होंगे 4,5,6 और अनलकी नंबर होंगे 1,2,3
  • यदि आप ऐसे व्यापारी हैं जो खाद्य पदार्थों का कार्य करते हैं अथवा किसी स्थान पर आप लिपिक हैं तो आपके लिए लकी नंबर होगा1,5,6 और अनलकी नंबर होगा 2
  • यदि आप अभिनय के क्षेत्र से जुड़े हैं अथवा जौहरी हैं अथवा होटल व्यवसाय का कार्य करते हैं तो आपके लिए लकी नंबर होंगे 5,6,8 तथा अनलकी नंबर होंगे 1,2
  • यदि आप किसी सरकारी विभाग में तृतीय श्रेणी के कर्मचारी हैं अथवा आप मैकेनिक हैं तो आपके लिए लकी नंबर होंगे 7,9 तथा अनलकी नंबर वन 5,6
  • यदि आप पशुओं का व्यापार करते हैं अतः पशु पालते हैं या तर्कशास्त्री हैं अथवा ठेकेदारी का कार्य करते हैं तो आपके लिए लकी नंबर होंगे 5,6,8 तथा अनलकी नंबर होंगे 1,2,9
  • यदि आप किसी TV चैनल में कार्य करते हैं अथवा सुरक्षा एजेंसियों में हैं या फिर चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े हैं तो आपके लिए लकी नंबर होंगे 9,7 तथा अनलकी नंबर होंगे 5,6
  • इस प्रकार आप अंक शास्त्र के द्वारा अपना लकी मोबाइल नंबर जान सकते हैं और उस नंबर को प्राप्त करने के बाद अपने जीवन में तरक्की के द्वार खोल सकते हैं। 
हम आशा करते हैं कि हमारा यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज की ओर से उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं।

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