नाग पंचमी कल, जानें पूजा मुहूर्त

पढ़ें इस पर्व का पौराणिक,ज्योतिषीय महत्व! जानें 15 अगस्त 2018 को मनाई जाने वाली नाग पंचमी पर्व की पूजा विधि और नियम!


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हिन्दू पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का पर्व श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर में यह तिथि जुलाई या अगस्त के महीने में आती है। इस वर्ष यह पर्व 15 अगस्त को मनाया जाएगा। हिन्दू धर्म में नाग को देवता का दर्जा दिया गया है, इसलिए इस विशेष अवसर पर नाग देवता की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन नाग देवता की पूजा करने से सर्पदंश का भय नहीं रहता है। 

नाग पंचमी 2018- पूजा मुहूर्त
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त05:49:59 से 08:28:11 तक
अवधि2 घंटे 38 मिनट

विशेष: यह मुहूर्त नई दिल्ली के लिए प्रभावी है। जानें अपने शहर में नाग पंचमी पूजा मुहूर्त

नाग पंचमी का पौराणिक महत्व


स्कंद पुराण, अग्नि पुराण, नारद पुराण और महाभारत में नाग देवता की पूजा के महत्व को दर्शाया गया है, साथ ही इन ग्रंथों में नाग पंचमी के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व को भी बताया गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार नागों की उत्पत्ति का संबंध ब्रह्मा जी से माना गया है, इस वजह से नागों की पूजा को शुभ माना गया है। ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कश्यप की चार पत्नियां थीं। उनकी पहली पत्नी सभी देवताओं की मां, दूसरी पत्नी गरुड़, तीसरी पत्नी नाग और चौथी पत्नी दैत्यों की मां थी। ऋषि कश्यप की तीसरी पत्नी, जिनका नाम कद्रु था। उन्होंने नागों को जन्म दिया था, इसलिए नागों को कदरुजा के नाम से भी जाना जाता है। 

नागों की प्रजातियांँ


हिन्दू शास्त्रों के अनुसार नागों की कुल 9 प्रजातियां हैं। इनमें अनंत,वासुकि, शेषनाग, पद्मनाभ, कम्बल, शंखपाल, धृतराष्ट्र, तक्षक और कालिया हैं। गीता ज्ञान में भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं कहा था कि- ‘नागों में शेषनाग हूं’ भगवान कृष्ण के इस कथन से नाग देवता के धार्मिक महत्व का पता चलता है। नागपंचमी को भ्रातृ पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के साथ बांबियों (मिट्टी से बने सांपों के रहने का स्थान) की पूजा करती हैं और उन्हें दूध अर्पित करती हैं। यह पूजा बहनें अपने भाई के सुखद और सफल जीवन की कामना के करती हैं। इस पूजा के प्रभाव से उनके भाइयों को सर्पदंश का भय नहीं रहता है। इसके अलावा नाग पंचमी का पर्व देश के अलग-अलग हिस्सों में विषरी पूजा के नाम से भी मनाया जाता है। यहां विषरी से तात्पर्य है ज़हर।

विस्तार से जानें: नाग पंचमी की पूजा विधि


हिन्दू धर्म और वैदिक ज्योतिष में नागों का महत्व


हिन्दू धर्म में भगवान शिव और भगवान विष्णु का सर्पों से संबंध देखने को मिलता है। भोलेनाथ सर्प को गले में धारण करते हैं। वहीं भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन करते हैं। इन्हीं वजह से नागों को पूज्यनीय माना गया है। वहीं हिन्दू वैदिक ज्योतिष में भी सर्प का विशेष स्थान है। कहा जाता है कि राहु-केतु सर्प के दो भाग हैं। इनमें पूंछ को केतु और सिर को राहु कहा गया है। कुंडली में राहु-केतु विषम परिस्थिति में कालसर्प दोष का निर्माण करते हैं। कालसर्प दोष को अशुभ माना गया है, इसकी वजह से व्यक्ति को जीवन में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नाग पंचमी के दिन कालसर्प दोष की शांति के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। 

विभिन्न राज्यों में नाग पंचमी उत्सव 


महाराष्ट्र के नागपुर शहर में जहां नागों को एक विशेष पहचान मिली है। इस शहर के नाम की उत्पत्ति नागों से ही हुई है। यहां स्थित महल में एक मंदिर है जिसे नागोबा कहते हैं। इस मंदिर में नाग पंचमी के दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि यह मंदिर नीम के पेड़ के नीचे मिला था इसलिए इसे नागोबा का वोटा कहते हैं। 

नाग पंचमी का पर्व पूरे उत्तर भारत में मनाया जाता है। कश्मीर में नागों की पूजा कई वर्षों की जाती है। वहीं वाराणसी में भी नाग पंचमी धूमधाम से मनाई जाती है। नाग पंचमी के दिन अखाड़ों (जहां कुश्ती लड़ी जाती है) को सजाया जाता है। इस दिन अखाड़ों की साफ-सफाई कर उनकी दीवारों पर नाग और गुरुओं के चित्र लगाये जाते हैं। 

वहीं उत्तर-पूर्वी भारत के राज्य झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम में नाग पंचमी के अवसर पर मनसा देवी की पूजा की जाती है। हिन्दू पौराणिक कथाओं में मनसा देवी को नागों की रानी और वासुकि नाग की बहन कहा जाता है। इन्हें सर्पों की देवी भी कहा जाता है। वासुकि वही नाग है जिन्हें समुद्र मंथन के लिए देवता और दानवों ने मंदराचल पर्वत से लपेटकर खींचा था। वासुकि नाग भगवान शिव के गले में लिपटा रहता है। 

नाग पंचमी के दिन घर की दीवारों पर नाग देवता की तस्वीर बनाकर बुरी शक्तियों से घर की रक्षा के लिए उनकी पूजा की जाती है। पूजा के समय नाग देवता को दूध चढ़ाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन सच्ची श्रद्धा से नाग देवता की पूजन करने से अच्छी सेहत, धन और हर्ष की प्राप्ति होती है। 

हम आशा करते हैं कि नाग पंचमी पर आधारित यह लेख आपको ज़रूर पसंद आया होगा। हिन्दू धर्म से संबंधित पर्व-त्यौहार और ज्योतिषीय परिवर्तन के लिए विजिट करें एस्ट्रोसेज.कॉम

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