श्री महालक्ष्मी पूजन व दीपावली का महापर्व कार्तिक कृ्ष्ण पक्ष की अमावस्या में प्रदोष काल, स्थिर लग्न समय में मनाया जाता है। धन की देवी श्री महा लक्ष्मी जी का आशिर्वाद पाने के लिये इस दिन लक्ष्मी पूजन करना विशेष रूप से शुभ माना गया है। इस बार दीपावली में अमावस्या तिथि, प्रदोष काल, शुभ लग्न एवं चौघड़िया चारों योग बन रहे हैं। साथ ही इस दिन मंगलवार भी है। जो मुहूर्त के लिए विशेष महत्व रखते हैं। प्रदोष काल में दीपावली पूजन के लिए शुभ मुहूर्त माना गया है। इस काल में स्थिर लग्न को उत्तम माना जाता है। इस वर्ष दीपावली के दिन प्रदोषकाल सायं 5 बजकर 7 मिनट से सायं 7 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। वहीं वृषभ नामक स्थिर लग्न इस समय उदय रहेगी। दिल्ली के आसपास के शहरों में वृषभ लग्न 5 बजकर 33 मिनट से सायं 7 बजकर 28 मिनट तक रहेगी। इसमें भी लाभ नामक चौघडियों का समावेश सायं 6 बजकर 45 मिनट के बाद हो रहा है। दिल्ली के आसपास के शहरों में यह समय शाम 7 बजकर 7 मिनट से शाम 8 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। अलग-अलग स्थानों पर इसका समय अलग-अलग हो सकता है। पूर्वी भारत में लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त औसतन शाम 05 : 00 बजे से 06 : 56 तक रहेगा। उत्तर भारत में लक्ष्मी पूजन का समय औसतन शाम 05 : 35 बजे से 07 : 25 तक रहेगा। दक्षिण भारत में लक्ष्मी पूजन का समय औसतन शाम 05 : 47 बजे से 07 : 47 तक रहेगा। वहीं पश्चिम भारत लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त औसतन शाम 06 : 07 बजे से 08 : 05 तक रहेगा।
इस समय लग्नेश और षष्ठेश शुक्र पंचम भाव में स्थित है जो बृहस्पति से दृष्ट रहेगा। धनेश और पंचमेश बुध सप्तम भाव में स्थित है वह भी लग्न में स्थित बृहस्पति से दृष्ट रहेगा। तृतीयेश चन्द्रमा, चतुर्थेश सूर्य तथा भाग्येश और दशमेश शनि अर्थात तीन ग्रह छठे भाव में स्थित हैं। सप्तमेश और व्ययेश मंगल अष्टम में स्थित होकर अरिष्टफलकारी हो रहा है। इस समय अष्टमेश मंगल का दान या उपाय आदि करके वृष लग्न में खाता (बसना या बही) पूजन, श्रीगणेश लक्ष्मी इन्द्रादि का पूजन करना शुभद और लाभप्रद रहेगा।
दूसरा स्थिर लग्न सिंह है। दिल्ली के आसपास के शहरों में सिंह लग्न लगभग 12:08 AM (जो अंग्रेजी गणना के नियमानुसार 14 नवम्बर हो जाएगा) से सायं 2:25 AM तक रहेगी। इसमें अमृत और चर नामक चौघडियां भी समाहित हैं। इस समय में भी लक्ष्मीपूजन किया जा सकता है। इस समय लग्नेश सूर्य, व्ययेश चन्द्रमा, षष्ठेश तथा सप्तमेश शनि तीसरे भाव में स्थित हैं। लाभेश और धनेश होकर बुध चौथे भाव में स्थित है और गुरू ग्रह से दृष्ट है। भाग्येश और चतुर्थेश मंगल पंचम भाव में स्थित है। पंचमेश और अष्टमेश गुरु दशवें भाव में स्थित है। इस तरह देखा जाय तो इस लग्न में सभी ग्रहों की स्थितियां अनुकूल हैं और यह एक उत्तम मुहूर्त है। अत: सिंह लग्न में लक्ष्मी, गणेश, कुबेर व इन्द्रादि का पूजन अर्चन करना एवं खाता (बसना या बही) पूजन आदि शुभ रहेगा।
इन दोनो लग्नों अर्थात वृषभ और सिंह लग्न के बीच दो लग्न और आती हैं जो क्रमश: मिथुन और कर्क लग्न हैं। कर्क लग्न चर लग्न होती है और चर लग्न में लक्ष्मी पूजन नहीं किया जाता लेकिन मिथुन लग्न को द्विस्वभाव लग्न माना गया है यानी कि इस लग्न के आधे भाग को स्थिर माना गया है और आधे को चर संज्ञक माना गया है। दिल्ली के आसपास के शहरों में मिथुन लग्न 7:28 PM से सायं 9:42 PM मिनट तक रहेगी। जिसमें 20:46 PM तक लाभ नामक चौघडियों का समावेश है। इस लग्न में सप्तमेश और दशमेश गुरु केतू के साथ द्वादश भाव में स्थित है। अत: गुरु और केतू का दान और उपाय करके लक्ष्मी, गणेश, कुबेर व इन्द्रादि का पूजन अर्चन करना शुभ रहेगा। भारतीय मानक समय के अनुसार 11:20 PM से 12:04 AM तक महानिशीथ काल रहेगा जिसमें शुभ और अमृत नामक चौघडियों का समावेश रहेगा जिसमें लक्ष्मी,कुबेर, इन्द्रादि, महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती आदि का पूजन अर्चन, विभिन्न तांत्रिक प्रयोग, श्रीचक्रार्चन, श्रीयंत्र पूजन अर्चन अनुष्ठान आदि करना श्रेष्ठ एवं शुभ फलदायक होगा।
इस समय लग्नेश और षष्ठेश शुक्र पंचम भाव में स्थित है जो बृहस्पति से दृष्ट रहेगा। धनेश और पंचमेश बुध सप्तम भाव में स्थित है वह भी लग्न में स्थित बृहस्पति से दृष्ट रहेगा। तृतीयेश चन्द्रमा, चतुर्थेश सूर्य तथा भाग्येश और दशमेश शनि अर्थात तीन ग्रह छठे भाव में स्थित हैं। सप्तमेश और व्ययेश मंगल अष्टम में स्थित होकर अरिष्टफलकारी हो रहा है। इस समय अष्टमेश मंगल का दान या उपाय आदि करके वृष लग्न में खाता (बसना या बही) पूजन, श्रीगणेश लक्ष्मी इन्द्रादि का पूजन करना शुभद और लाभप्रद रहेगा।
दूसरा स्थिर लग्न सिंह है। दिल्ली के आसपास के शहरों में सिंह लग्न लगभग 12:08 AM (जो अंग्रेजी गणना के नियमानुसार 14 नवम्बर हो जाएगा) से सायं 2:25 AM तक रहेगी। इसमें अमृत और चर नामक चौघडियां भी समाहित हैं। इस समय में भी लक्ष्मीपूजन किया जा सकता है। इस समय लग्नेश सूर्य, व्ययेश चन्द्रमा, षष्ठेश तथा सप्तमेश शनि तीसरे भाव में स्थित हैं। लाभेश और धनेश होकर बुध चौथे भाव में स्थित है और गुरू ग्रह से दृष्ट है। भाग्येश और चतुर्थेश मंगल पंचम भाव में स्थित है। पंचमेश और अष्टमेश गुरु दशवें भाव में स्थित है। इस तरह देखा जाय तो इस लग्न में सभी ग्रहों की स्थितियां अनुकूल हैं और यह एक उत्तम मुहूर्त है। अत: सिंह लग्न में लक्ष्मी, गणेश, कुबेर व इन्द्रादि का पूजन अर्चन करना एवं खाता (बसना या बही) पूजन आदि शुभ रहेगा।
इन दोनो लग्नों अर्थात वृषभ और सिंह लग्न के बीच दो लग्न और आती हैं जो क्रमश: मिथुन और कर्क लग्न हैं। कर्क लग्न चर लग्न होती है और चर लग्न में लक्ष्मी पूजन नहीं किया जाता लेकिन मिथुन लग्न को द्विस्वभाव लग्न माना गया है यानी कि इस लग्न के आधे भाग को स्थिर माना गया है और आधे को चर संज्ञक माना गया है। दिल्ली के आसपास के शहरों में मिथुन लग्न 7:28 PM से सायं 9:42 PM मिनट तक रहेगी। जिसमें 20:46 PM तक लाभ नामक चौघडियों का समावेश है। इस लग्न में सप्तमेश और दशमेश गुरु केतू के साथ द्वादश भाव में स्थित है। अत: गुरु और केतू का दान और उपाय करके लक्ष्मी, गणेश, कुबेर व इन्द्रादि का पूजन अर्चन करना शुभ रहेगा। भारतीय मानक समय के अनुसार 11:20 PM से 12:04 AM तक महानिशीथ काल रहेगा जिसमें शुभ और अमृत नामक चौघडियों का समावेश रहेगा जिसमें लक्ष्मी,कुबेर, इन्द्रादि, महाकाली, महालक्ष्मी, महासरस्वती आदि का पूजन अर्चन, विभिन्न तांत्रिक प्रयोग, श्रीचक्रार्चन, श्रीयंत्र पूजन अर्चन अनुष्ठान आदि करना श्रेष्ठ एवं शुभ फलदायक होगा।
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