क्या आपकी कुण्‍डली में लक्ष्मी प्राप्ति का योग है?

 
इस भौतिकता के युग में हर व्यक्ति को धन की आवश्यकता होती है । हर आदमी किसी न किसी प्रकार से धनार्जन करना चाह रहा है। हर आदमी को यह भी जानने की उत्सुकता रहती है कि उसे धन मिलेगा या नही? ऐसे ही प्रश्न आपके मन भी उठ रहे हो सकते हैं। इसी लिए हम आज लक्ष्मी योग पर चर्चा करने जा रहे हैं।

क्या होता है लक्ष्मी प्राप्ति योग?

वैसे तो धन देने वाले अनेकों योगों का उल्लेख ज्योतिषीय ग्रन्थों में मिलता है। जिनकी सम्यक जानकारी के लिए तो किसी अच्छे ज्योतिषी की शरण में जाना ही उचित रहेगा लेकिन हम यहां पर कुछ सरल लक्ष्मी प्राप्ति योगों पर चर्चा करेंगे। जो कि ज्योतिष की साधारण जानकारी रखने वाले व्यक्ति को भी समझ में आ जाय। रहा सवाल आपके प्रश्न क्या होता है लक्ष्मी योग का तो सरल शब्दों में कहा जाय तो कुण्डली में उपस्थित ऐसा योग जिसके प्रभाव से जातक को धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति हो लक्ष्मी योग कहलाता है। यहां हम द्वादश राशि व लग्नों के अनुसार धनयोग की चर्चा करेंगे।

लग्नानुसार लक्ष्मी प्राप्ति योग-

मेष लग्न - इसमें शनि नवम भाव में, गुरू सप्तम भाव में, शुक्र पंचम भाव में एंव सूर्य तृतीय भाव में हो तो लक्ष्मी योग बनता है।
वृष लग्न - इस लग्न में शनि सप्तम में या नवम में हो बुध द्वितीय या पंचम में हो तो धनयोग आपकी कुंडली में होगा ।
मिथुन लग्न - इस लग्न की कुंडली में मंगल नवम में हो , शुक्र सप्तम भाव में हो और चंद्रमा केन्द्र या त्रिकोण में तो धनयोग है।
कर्क लग्न - इसमें मंगल केन्द्र या त्रिकोण में, सूर्य द्वितीय, पांचवें या नवमें भाव में तथा चंद्र ग्रह लग्न या एकादश स्थान में हो तो धनयोग बनता है।
सिंह लग्न - इसमें बुध ग्रह द्वितीय, नवम या एकादश भाव में हो। सूर्य या शुक्र सप्तम स्थान में या शुक्र पंचम स्थान में हो तो धनयोग रहता है।
कन्या लग्न - इसमें शुभ ग्रह केन्द्र या त्रिकोण में, चंद्रमा सप्तम में, और बुध दशम स्थान में हो तो भी धनागमन होता रहता है।
तुला लग्न - इस लग्न में मंगल द्वितीय या सप्तम अथवा नवम स्थान में हो, सूर्य सप्तम या एकादश स्थान में हो, एवं शनि केन्द्र या त्रिकोण में हो तो लक्ष्मी का आगमन होता रहता है ।
वृश्चिक लग्न - इस लग्न में बृहस्पति केन्द्र या त्रिकोण में हो, शनि तृतीय स्थान में व बुध केन्द्र में हो तो लक्ष्मी जी की कृपा बनी रहती है।
धनु लग्न - इस लग्न में शनि गुरू केन्द्र या त्रिकोण में हो शनि तृतीय स्थान में हो एवं बुध केन्द्र में हो तो धनयोग बनता है ।
मकर लग्न – इसमें लग्न में शनि हो, द्वितीय भाव में शुक्र हो एवं केन्द्र या त्रिकोण में बुध स्थित हो तो लक्ष्मी योग बनता है ।
कुंभ लग्न - इसमें में गुरू द्वितीय स्थान या त्रिकोण में हो और मंगल दशम भाव में हो तो धनयोग बनता है ।
मीन लग्न - इसमें मंगल ग्रह नवम भाव में हो और गुरू केन्द्र या त्रिकोण में हो एवं शनि एकादश भाव में हो तो धनयोग बनता है ।

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए उपाय और सुझाव:-
  • धन या व्यापार से संबंधीत लेन-देन के खाते पर या पत्र व्यवहार करते समय हल्दी या केशर लगायें।
  • प्रतिदिन भोजन के लिए बनी पहली रोटी गाय को खिलायें।
  • शुक्रवार को सफेद वस्तुओं का दान करने से धन योग बनता हैं अत: यथा सम्भव यह कार्य करें।
  • प्रात : काल नाश्ता करने से पूर्व झाडू अवश्य लगायें।
  • रात को झूठे बर्तन, कचरा इत्यादि रसोई में न रखें।
  • प्रतिदिन संध्या समय घर पर पूजा एक निश्चित समय पर ही करें।
  • नियमित रुप से शनिवार के दिन घर कि साफ़-सफाई करें।
  • रुपया पैसा धन को थूक लगाकर गिनने से दरिद्रता आती हैं अत: इससे बचें।
  • बुधवार को धन का संचय करें। बैंक में धन जमा करवाते समय लक्ष्मी मंत्र जपना चाहिए।
  • घर में किसी भी देवी देवता कि एक से ज्यादा तस्वीर,मूर्ति पूजा स्थान न रखें।
  • जरुरत मंद व्यक्ति, गरिबो को यथासक्ति मदद कर उन्हें दान इत्यादि समय-समय पर देते रहें।
  • अशोक के मूल की जड़ का एक टुकड़ा पूजा घर में रखने और रोजाना धूप-दीप से पूजन करने से धन कि कमी नहीं खोती।
  • तिजोरी के लॉकर में हमेशा दो बॉक्स रखें। एक में रोजाना कुछ रूपये रख कर बंद कर दें, उसमें से रूपये नहीं निकालें या अत्याधिक आवश्यकता होने पर निकाले। दूसरे बॉक्स में से काम के लेन-देन के लिए रूपए निकालें।
  • आमदनी या कलेक्शन को कम से कम 24 घंटे के बाद ही खर्च के लिये निकालने से अत्याधिक धन लाभ होता हैं।
  • जो लोग नौकरी लरते हैं वह भी अपना पैसा बैंक में आने के या घर में लाने के 24 घंटे के बाद ही खर्च के लिये निकालने से अत्याधिक धन लाभ होता हैं।

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